Book Title: Tirthankar Charitra Part 3
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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प्रभु का निर्वाण
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प्रभु का निर्वाण
भगवान् पार्श्वनाथ स्वामी के १६००० साधु, ३८००० साध्वियाँ, ३५० चौदह पूर्वधर, १४०० अवधिज्ञानी, ७५० मनःपर्यवज्ञानी, १००० केवलज्ञानी, ११०० वैक्रियलब्धिधारी, ६०० वादलब्धिसम्पन्न, १६४००० श्रावक और ३२७००० श्राविकाएँ * हुई।
निर्वाण समय निकट आने पर भगवान् तेतीस मुनियों के साथ सम्मेदशिखर पर्वत पर पधारे और अनशन किया। श्रावण-शुक्ला अष्टमी को विशाखा नक्षत्र में एक मास के अनशन के साथ प्रभु मोक्ष पधारे।
भगवान् गृहस्थावास में ३० वर्ष व्रतपर्याय में ७० वर्ष, इस प्रकार कुल आयु १०० वर्ष का रहा।
!! भ0 पार्श्वनाथ स्वामी का चरित्र पूर्ण हुआ ।।
* ग्रन्थ में ३७७... लिखी है, किन्तु कल्पसूत्र में ३२७००० लिखी है।
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