Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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अश्मक
प्राचीन चरित्रकोश
अश्वत्थामन्
एक ब्राह्मण के शाप के कारण, स्त्रीसमागम नही कर । २. बुलिल का पितृनाम । सायण के मतानुसार, सकता था। परंतु इक्ष्वाकु कुल की वृद्धि आवश्यक | बुलिल अश्व का लडका तथा अश्वतर का वंशज है। समझ कर, कल्माषपाद ने वशिष्ठ ऋषि से कह कर, उससे | सत्र के कुछ शंसनों के संबंध में गौश्ल के साथ इसका अपने मदयंती नामक पत्नी के उदर में गर्भस्थापना | संवाद हुआ (ऐ. ब्रा. ६.३०.)। करवाई (म. आ. ११३)। बारह वर्ष होने पर भी, यह | अश्वत्थामन्–सप्तचिरंजीवों में से एक । द्रोणाचार्य गर्भ बाहर नही आया। तब मदयंती ने अश्मप्रहार से | तथा गौतमी कृपी का यह एकमेव पुत्रा था । जन्म लेते ही उदरविदारण कर के इसे बाहर निकाला (म. आ. १६७. | उच्चैःश्रवा अश्व के समान जोर से चिल्ला कर, इसने तीनों ६८)। सात वर्षों के बाद, अश्मप्रहार कर वशिष्ठ ने इसे | लोक कंपित किये। अतः आकाशवाणी ने इसका नाम बाहर निकाला (भा. ९.९.३९) । इसने पौदन्य नामक | अश्वत्थामा रखा (म. आ. १६७. २९; द्रो. १६७. नगर बसायां (म. आ. १६८.२५)। इसे मूलक नामक | २९-३०)। टोणाचार्य का पुत्र होने से, इसे द्रोणि वा पुत्र था, जिसे आगे चल कर, नारीकवच नाम प्राप्त | द्रोणायन कहते हैं। रुद्र के अंश से उत्पत्ति होने के हुआ (भा. ९.९)। .
कारण, इसमें क्रोध तथा तेज था। २. एक राजा । कर्ण ने इसे जीत कर इससे कर वसूल
एक बार, एक धनिक के घरमें उसके पुत्र को गाय किया था (म. क. ८.२०)। भारतीय युद्ध में यह पांडवों |
| का दूध पीते इसने देखा । मुझे भी दूध चाहिए, ऐसा हठ के पक्ष में था (म. द्रो. ६१)।
यह करने लगा। उसे संतोष दिलाने के लिये, इसकी . ३. भीष्म शरपंजर पर पड़ा था, तब उसके पास रहने- | माता ने यवपिष्ठ में पानी घोल कर इसे पीने को दिया। वाला एक ब्राह्मण ।
उससे, 'मैंने दूध पिया,' कह कर यह आनंद से नाचने ४. अदमक देश का राजा (म. स. २८.३०७६) यह | लगा (म. आ. परि. १.७५; द्रोण देखिये)। कौरवों के पक्ष में था। व्यूहभेद करने के पश्चात् , अभिमन्यु | अश्वत्थामा को शस्त्रास्त्रविद्या की शिक्षा, कौरव-पांडवों के ने इसका वध किया (म. द्रो. ३६.२३)।
साथ ही द्रोणाचार्य के द्वारा मिली । जाति से ब्राह्मण होते - अश्मकी-तीसरे शूर की पत्नी।।
हुए भी, क्षत्रिय की विद्या सीखने के कारण इसमें क्षत्रिय: २. प्राचिन्वत् की पत्नी (म. आ. ९०. ३३)।
धर्म अधिक था। यह द्रौपदीस्वयंवर में (म. आ. १७७. आश्माकी भी पाठ है।
६.), तथा राजसूय में उपस्थित था (म.स. ३१.८)। - अश्मन्-एक ब्राह्मण । इसका जनक के साथ सुखदुःखनिवृत्ति पर संभाषण हुआ था (म. शां. २८)।
___ भारतीय युद्ध में सब सेनापतियों का पतन होने के . अश्मरथ्य-विश्वामित्रकुल का एक गोत्रकार । पश्चात् , भीम तथा दुर्योधन में गदायुद्ध हो कर, दुर्योधन अश्व-कश्या तथा दनु के पुत्रों में से एक।
उस में घायल हुआ। तब उसने अश्वत्थामा को सेनापत्य २. सत्य नामक देवगणों में से एक।
का अभिषेक किया। उस समय इसने पांडवों का वध ३. कश्यप तथा खशा का पुत्र ।
करने की प्रतिज्ञा की (म. श. ६४.३५)। इसने अकेले अश्वकेतु-दुर्योधन पक्षीय मगध देशोत्पन्न राजा।। ही पांडवों की एक अक्षौहिणी सेना का संहार किया। अभिमन्यु ने इसका वध किया (म. द्रो. ४७.७)।
अर्जुन तथा भीम के साथ यह काफी देर तक लड़ा। अश्वकंद-अमृत-रक्षक एक देव (म. आ. २८. | अंतमें इसका पराभव हुआ (म. वि. ५३-५४; क. १८)।
११, १२)। अश्वग्रीव--(सो. वृष्णि.) चित्रक राजा का पुत्र। । | अश्वत्थामा पांडवों को प्रिय था, एवं पांडव भी उसे प्रिय 'अश्वचक्र-कृष्णपुत्र सांब द्वारा मारा गया एक राजा | थे। तथापि, 'तुम पांडवों के पक्षपाती हो,' ऐसा दुर्योधन (म. व. १२०.१३)।
द्वारा वाक्ताडन होने पर, उसे उत्तर दे कर, इसने द्रोणअश्वजित-(सो. पूरु.) जयद्रथ का पुत्र । पुत्र को शोभा दे ऐसा पराक्रम किया, तथा पांडवसेना
अश्वतर-- कद्र पुत्र ( उर्ज देखिये)। मदालसा की | का संहार किया (म. द्रो. १३५)। मृत्यु के पश्चात् , दुसरी मदालसा प्राप्त कर, इसने ऋतध्वज | द्रोण का वध धृष्टद्युम्न द्वारा होने के पश्चात् , जब को दी।
| कौरव सेना हाहाःकार मचाती हुई चारों ओर भागने लगी, ४५