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उपोद्घात.
द्रव्यानुयोग, चरणकरणानुयोग, गणितानुयोग और धर्मकथानुयोग इन चार विभागोंमें धर्मशास्त्रका समावेश होता है। इन चार
अनुयोगोंमेंसे धर्मकथानुयोग बहुत सरल रीतिसे चार प्रकारके उपदेश करके विशेषतया बालजीवोंकी कल्पना अनुयोग. शक्तिपर जबरदस्त प्रभाव डालता है और उसके
प्रभावसे चरणकरणानुयोगद्वारा होनेवाली क्रियाको ज्ञप्तिके प्रमाणसे जीवनको उसके द्वारा सफल बनाता है; परन्तु हेत्वाभासोबाली युक्तिओं अथवा कुयुक्तिओंके श्रवणगोचर होनेपर तथा इसीप्रकार आत्माका अस्तित्व, पृथ्वीका अनादित्व और सृष्टिकर्तत्वनिरास आदि प्रश्नोके प्रसंगोके उपस्थित होनेपर घभरा जाते हैं; हताश हो जाते हैं और कईबार केन्द्रमेंसे हट जाते हैं । उस समय चरणकरणानुयोग जिसका विषय क्रियाकाण्डका है, जिसका अभ्यास द्रव्यानुयोग अथवा कथानुयोगके अभ्यासीको चुस्त बनाने में सहायभूत हो सकता है, उसकी आवश्यकता बहुत कम रहती है। नवीन अभ्यास आरम्भ करनेवालेको चरणकरणानुयोगका विषय बहुत उपयोगी सिद्ध नहि होता है । गणितानुयोगका विषय बहुत कठिन और शुष्क है । जिसको इस विषयपर स्वाभाविकतया प्रीति होती है उसको यह बहुत आनंद देता है और सावधान बनाता है; परन्तु यह विषय कभी भी सीधी रीतिसे सर्वथा लोकप्रिय नहीं होता है, न कभी हो सकेगा।
न्यानुयोगके विषयकी हकीकत इससे द्रव्यानुयोग तहन भिन्न . ही है। यह विषय बहुत ही उपयोगी है और इसके अनेकों
विभाग है। बुद्धिबलको मजबूत बनानेवाला हव्यानुयोग और उसी से उत्पन्न होनेवाले इस विषयपर
शास्त्रकी महत्ता, गंभीरता, उदारता और गहनलाका आधार रहता है। मानसिक शक्तियोंमेंसे कल्पनाशक्तिका पोषण कर मार्ग .करनेवाला तो बालजीवोंपर ही असर डाल