Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 03
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समानुपाति BIES विभाग:३ le संपादक संशोधिकच पन्यास जिनेन्द्रविजयजी गणिवर Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ dkumAAAAAAthabhrashthbhabhttsbeleteerthododaddehaddddedbedkateshdootbbetteedbachcbbbsebis . . .. " X.X.X श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला-ग्रन्थाङ्कः-७० श्री महावीरजिनेन्द्राय नमः। तपोमूर्ति पूज्याचार्य देवश्रीविजयकर्पूरसूरिगुरुभ्यो नमः / हालारदेशोद्धारक-पूज्याचार्य देवश्रीविजयामृतसूरिगुरुभ्यो नमः / tesheedabadsheetrebstestobobsessedbestndeshthsbhabhttshabadstandidatest to sbtasbcheeshaseetests atastessedoesbhttsshab stetbstatechshobshshabar आगम-सुधा-सिन्धुः तृतीयो विभागः पञ्चमगणधर-श्रीसुधर्मस्वामि-प्रणीतस्य श्रीमद्भगवतीसूत्रापरनाम्नः श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्रस्य उत्तरार्धात्मकः XX.X.XXXXXXXXX सम्पादकः संशोधकश्च तपोमूर्ति-पूज्याचार्यदेवश्रीमद्विजयकपूरसरीश्वर-पट्टालङ्कार-हालारदेशोद्धारक कविरत्न-पूज्याचार्यदेवश्रीमद्विजयामृतसूरीश्वर-विनेयः पंन्यास-श्रीजिनेन्द्रविजय-गणी प्रकाशिकाश्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला लाखाबावल-शांतिपुरी (सौराष्ट्र) कककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककार PP. Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ र प्रकाशिकाश्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला लाखाबावल-शांतिपुरी (सौराष्ट्र) गुजरात वीर सं• 2503 ] विक्रम सं० 2033 . [ सन् 1977 . . | आ आगमना अधिकारी योगवाही गुरुकुलवासी | सुविहित मुनिवरो छ। मूल्य रु. 65-00 卐 मुद्रकछगनलाल जैन के प्रबन्ध से गौतम बार्ट प्रिन्टर्स ब्यावर (राज.) Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ vswwwwwLMANMOHAMAY / संपादकीय निवेदन निष्कारणबंधु विश्ववत्सल चरमशासनपति श्रमण भगवान महावीरदेवे भव्यजीवोना हितने माटे स्थापेल शासन आजे विद्यमान छ अने विषमकालमां पण भव्य जीवोने माटे सर्वज्ञ परमात्मानुए शासन परम आलंबन रूप छ। तीर्थकरदेवोनी अविद्यमानतामा ते ओश्रीनी वाणी शासनना प्राण स्वरूप होय छ / श्री तीर्थंकरदेवोभे अर्थथी प्ररूपेल अने गणधरदेवो सूत्रथी गूथेल अ जिनवाणी हितकांक्षी पुन्यात्माओ माटे अमृत तुल्य छ। विद्यमान आगम श्रुतज्ञानमा मुख्यतया 45 आगम गणाय छे / ते उपरांत पण 84 आगमनी गणतरीने हिसावे बीजु पण केटलुक आगम रूपी श्रुतज्ञान विद्यमान छ / आगम सूत्रो उपर नियुकिओ, भाष्यो, चूर्णिओ अने टीकाओ रचायेल छ / अने अथी सूत्र सहित आगमनी अपंचांगी जैन शासनमा मान्य छ / तेना आधारे वर्तमान ज्ञानाचार, दर्शनाचार, चारित्राचार, तपाचार अने वीर्याचार रूप व्यवहार प्रवर्ते छ। सम्यग्दर्शन सम्यग्ज्ञान अने सम्यक्चारित्र रूप मुक्ति-मार्ग प्रवर्तमान छ। __पंचांगीनो वाचना, पृच्छना, परावर्तना, अनुप्रेक्षा अने धर्मकथा रूप पंचलक्षण स्वाध्याय जेटलो जोरदार तेटली श्री संघमा सम्यगज्ञाननी शुद्धि जोरदार, तेनाथी ज्ञानाचार उज्वल, उज्वल ज्ञानाचारथी दर्शनाचार उज्वल, उज्वल दर्शनाचारथी चारित्राचार उज्वल, उज्वल चारित्राचारथी तपाचार उज्वल अने चारे उज्वल आचारथी वीर्याचार उज्वल / वीर्याचारनी उज्वलताथी जैनशामन उज्वल / ए उज्वल जैन शासन सदा जयवंत वर्ते छ। ___आम शासननो आधार कहो के पायो कहो, मूल कहो के प्राण कहो, ओ श्री जिनवाणी छे अने ते जिनवाणी 45 मूल आगम सहित पंचांगी स्वरूप छे / पंचांगीने अनुसरता प्रकरण ग्रन्थो यावत् स्तवन सज्झाय के नाना निबंध के वाक्य स्वरूप छ / उपशम विवेक संवर अ त्रिपदी स्वरूप जिनवाणीथी घोर पापी चिलातीपुत्र पतनना मार्गथी नीकली प्रगतिमार्गना मुसाफीर बनीं गया हता। 45 मूल आगमना अधिकारी योगवाही गुरुकुलबासी सुविहित मुनिवरो छे। साध्वीजी महाराजो श्रीआवश्यक सूत्र आदि मूल सूत्रोना तेमज श्रीआचारांग सूत्रना योगवहन करवा Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संपादकीय निवेदन पूर्वक अधिकारी छ / श्रावक श्राविकाओ उपधान वहन करवा पूर्वक श्री आवश्यक सूत्र ना उपरांत दशकालिकसूत्रता षड्जीव-निकाय-नामना चोथा अध्ययन पर्यंतना श्रुतना अधिकारी छ / आम आगमश्रुतना अधिकारी मुनिवरो योगवहन करवा पूर्वक योग्यता मुजब अध्ययन आदि करीने पोताना ज्ञान दर्शन चारित्रने निर्मल बनावे छ / अने योग्यता मुजब धर्मकथा द्वारा जिणवाणी-पान कगवी साधु-साध्वी श्रावक-श्राविका रूप चारे प्रकारना संघने तेमज मार्गाभिमुख जीवोने मुक्तिमार्ग प्रदान करे छे / / . 45 आगमसूत्रो 6 विभागोमां वहेंचायेल छ / (1) अंगसूत्री-११ (2) उपांगसूत्रो-१२ (3) पयन्नासूत्रो-१० (4) छेदसूत्रो-६ (5) मूल सूत्रो-४ (6) चूलिकासूत्रो-२ / आ सूत्रोन स्वाध्याय आदि अध्ययन वधे ते माटे उपयोगी बने ते रीते 45 मूल सूत्रो श्वेताम्बर मूर्तिपूजक. श्रीसंघमा सलंग मुद्रित नथी अने जेथी आगम सूत्रोना स्वाध्याय आदिनी अनुकूलता थाय ते माटे शक्य प्रयत्ने संशोधन करीने प्रगट करवानी योजना विचारवामां आवी छे, ते योजना मुजब 45 आगमसूत्रोनु 14 विभागमां संपादन थशे / पहेलो, बीजो, चोथो, पांचमो, छटो, आठमो, अग्यारमो, बारमो, तेरमो, चौदमो विभाग प्रगट थया पछी आत्रीजी विभाग संपादित थयैल छे। आ विभागमा श्रीव्याख्याप्रज्ञप्ति अपरनाम श्री भगवती सूत्रना 13 शतक थी 41 शतक सुधी उत्तरार्ध आपवामां आवेल छे. श्रीभगवतीसूत्रनी रचना गणधरदेव श्रीमत्सुधर्मस्वामी भगवाने करी छे. आ श्री भगवती सूत्रना संपादनमा बाबु श्रीधनपतसिंहजी रायबहादुर प्रकाशित सटीक भगवती सूत्र तथा पूज्य आगमोद्वारक आचार्यदेव श्री सागरानन्दसूरीश्वरजी महाराज संशोधित श्री आगममञ्जूषा तथा श्रीआगमोदयसमिति प्रकाशित पू. आ० श्रीअभयदेवसूरीश्ववरजी महाराज विरचित टीका, सहितनु श्रीभगवतीमत्र, श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी पेढी प्रकाशित सटीक श्री भगवतीसूत्र, तेमज पूज्य आचार्यश्री दानशेखरसूरीश्वर विरचित टीका तेमज पं. हीरालाल हंसराज प्रकाशित श्री भगवतीसूत्र, विगेरे प्राप्त प्रकाशनो नो उपयोग कर्यो छे। ते ग्रन्थोना कर्ता संपादक अने प्रकाशक प्रत्ये कृतज्ञता प्रगट करूंछु / टीकाओ आदिमा रहेला पाठांतरो मेलवीने मूलपाठ जोडे कौंशमा आपेला छ / श्री श्रमण संघमा आगमो कंठस्थ करवामां, स्वाध्याय करवामां, विस्तृत टीकाओना वांचन पछी मूलसूत्रोनु पुनरावर्तन करवामां, आ मूल सूत्रोना संयुक्त संपादनथी घणी अनुकूलता रहेशे अने अथी उत्साही मुनि भगवंतो होशे होंशे सूत्रो कंठस्थ करीने आगम Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सपादकीय निवेदन श्रुतने धारण करवा माटे पण समर्थ बनी शकशे / 2, 5, के 10, 20 सूत्र कंठस्थ करनारा घण। मुनिवरो तैयार थशे अने पुरतो प्रयत्न थाय तो लगभग अक लाख श्लोक प्रमाण मूल सूत्रो कंठस्थ करी धारी राख नारा अनेक गणो मुनिवरोमा थइ शकशे / 'ज्ञानधनाः साधवः' 'शास्त्रचक्षुषः साधवः, अ विधान मुजब श्रमण संघना प्राण समान आ आगम. सूत्रोनु श्री श्रमण भगवंतो द्वारा विशेष परिशीलन थतां श्रीसंघने माटे श्री शासन ने माटे घणी उज्वलता फेलाशे अने अ आशयथी स्वपरना श्रेयकारी आगम सूत्रोनां संशोधन संपादनमा अविरत उत्साह प्रवर्तमान छ। प्रकाशननी सगवडता माटे श्री गौतम आर्ट प्रिन्टर्स (ब्यावर) ना व्यवस्थापक श्री छगनलाल भाई जे खंत अने उत्साह बताव्या के तेने कारणे आ प्रकाशनो समयसर प्रकाशित थइ रह्या छ / चरम तीर्थपति श्रमण भगवान महावीर देवे प्रकाशेल जिनवाणीनो प्रभाव पांचमा आराना छेडा सुधी रहेशे / ओ ज्वलंत जिनवाणीनो प्रकाश आपणा आत्माने योग्यता अने अधिकार मुजब अजवालनारो बने अने जिनवाणीनी आ उपासनाभक्तिमा भावना पूर्वक रस लइ रह्यो छु ते भावोल्लास टकी रहे अने सौ श्रुत आराधनामा उजमाल बनी एज मारा अतरनी शुभ अभिलाषा छ। वीर सं• 2503 वि० सं० 2033 श्रावण शुक्ल.५ गुरुवार ता० 21-7-77 आराधना भवन, विठल प्रेस, सुरेन्द्रनगर .. हालारदेशोद्धारक कविरत्न पूज्य आचार्यदेव श्रीमद्विजयअमृतसूरीश्वरजी महाराजानो . चरणसेवक पं. जिनेन्द्रविजय गणी Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ / प्रकाशकीय निवेदन अमारी ग्रन्थमाला तरफथी आ श्रीआगमसुधासिन्धु बीजो विभाग मूल प्रगट करता आनंद अनुभवीए छीए / हालमा 45 आगम मूल अने केटलाक आगम टीका सहित प्रगट करवानु काम शरू करतां आ ग्रन्थ नागरी लिपिमा मोटा टाइपमा प्रगट करेल छ / आ प्रकाशन पूर्वे श्री आगम-सुधा-सिन्धुना पहेलो, बीजो, पांचमो, चोथो, छट्ठो, आठमो, अग्यारमो, बारमो, तेरमो, चौदमो विभाग प्रगट थई गया छ / हाल सातमा विभागनु मुद्रण चाली रह्य छ / आ ग्रन्थनु संशोधन संपादन हालारदेशोद्धारक कविरत्न स्व. पू. आचार्यदेव श्रीमद्विजयअमृतसूरीश्वरजी महाराजना शिष्यरत्न पू० पंन्यासश्री जिनेन्द्रविजयजी गणिवरे घणी खंतथी करेल छ। - कागल छपाइ आदिना भाव वधवाने कारणे तेमज मर्यादित नकलो छपाती होवाथी खर्च धार्या करता वधु आवे छे / मोटा टाइपमा मुद्रित करतां पेज पण वधारे थाय छे / परंतु टकवानी अने अभ्यासनी दृष्टिए अनुकुलता रहेशे / आगम सूत्रोना अधिकारी योगवाही गुरुकुलवासी सुविहित मुनिओ छ। ए शास्त्रविधि मुजब पूज्य श्रमणसंघमा आगम वाचनादिमां अनुकुलता थाय ते रूप आ श्रुतभक्ति करता अमे आनंद अनुभविए छीए / श्री भगवतीसूत्रना 13 शतक थी 41 शतक सुधीना. सूत्रो आ जीजा विभागमा प्रगट थई रह्यां छ / 45 मूल आगम 14 विभागमा प्रगट थशे / सटीक आगमोमा श्रीमदुपासकदशा सूत्र श्रीमदन्तकृद्दशा, श्रीमदनन्तरोपपातिकदशा सूत्र तैयार थइ गयां छ / श्री आचारांगसूत्र श्रीशीलांकाचार्यश्रीजीनी टीका छपाय छ। मुद्रण माटे श्री गौतम आर्ट प्रिन्टर्सना व्यवस्थापको सारी खंत राखी छे तो तेमनो आभार मानी छी। वीर सं० 2503 वि सं० 2033 / ___ ज्येष्ठ कृष्ण 5 महेता मगनलाल चत्रभुज शाह कानजी होरजी मोदी Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सादर समर्पण परम उपकारी शासनप्रभावक प्रकृष्टवक्ता कविरत्न सिद्धांतनिष्ठ परमनिस्पृही हालारदेशोद्धारक ग्राम्यप्रजोना उद्धारक . परमउपकारी गुरुदेव पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजयअमृतसूरीश्वरजी महाराजा जेओ श्रीए धर्म बीजना दान वडे भव्य जीवोनो उद्धार कयों, शासनना ___ सत्योनी रक्षा माटे जेओश्री सदा अप्रमत्त रह्या, साचोर तीर्थ उद्धार माटे 20 वर्ष घीनो त्याग कर्यो, संयम जीवनमा सदा माटे लीलोतरीनो त्याग कर्यो, लांबा काल सुधी छ विगई त्याग, चार द्रव्यनी धारणा अने तेमां पण छास ने रोटली प्रायः लेवा, छेले पांच वर्षमा उपवासथी वीशस्थानकनी 17 ओली करी जेमां उपवास प्रायः चोवीहार तेमज - 10 तिथि पण उपवास आवे तेनी कालजी, शासननी आवी अद्भुत आराधना प्रभावना अने रक्षा वडे जेमणे जीवन धन्य बनाव्यु तेोश्रीना महान उपकारोनी स्मृतिमां कृतज्ञता रूपे आ श्री आगम-सुधा-सिन्धु भाग त्रीजो तेओश्रीने अर्पण करी धन्य वनु छु गुरुपदकजभृङ्ग जिनेन्द्रविजय Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * अनुक्रमणिका * त्रयोदशशतक क्रमः . उद्देशक 1 नारक ... कमांक उद्देशक पृष्ठांक 6 स्वप्न 445 7 उपयोग 4518 लोक 1 बली 45410 अवधि पृष्ठांक 552 557 557 556 454 * *560 -060Koc 3. परिचारणा (अणंतर) 4 नारक 5 माहार 6 उपपात भाषा 560 560 560 561 . 563 566 568 566 464 11 द्वीपकुमार 464 12 उदधिकुमार 470 13 दिशाकुमार 473 14 स्तनितकुमार सप्तदशशतक. 475 1 कुखर 2 संयत 475 3 शैलेशी (एजन) 478 4 क्रिया 480 5 ईश नकल्प 481 6-7 पृथिवी 482 . 8-1 अकाय 10.11 वायुकाय 486 12 एकेन्द्रिय 460 13 नागकुमार 14 सुवर्णकुमार 15 विद्य कुमार 16 भयुकुमार 17 अग्निकुमार अष्टादशशतक 1 प्रथम 542 2 विशाख 544 3 माकन्दिक 4 प्राणातिपात 5475 असुर है केतघटिका 10 समुद्घात चतुर्दशशतक 1 चरम 2 उन्माद 3 शरीर 4 पुद्गल 5 अग्नि 6 किं आहार ... 7 संश्लिष्ट 8 अन्तर अणगार 10 केवली पञ्चदशशतक गोशालकाख्य षोडशशतक 1 अधिकरण 2 जराशोक 485 571 552 m 4. नारकनिर्जरा 580 584 586 Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पृष्ठक द्वाविंशतितमशतक वर्ग 1 उद्देशा 10 ... 650 586 565 " ms cas. 651. क्रमांक उद्देशक 6 गुल 7 केवली 8 अणगार 6 भव्य 10 सोमिन - एकोनविंशतितमशतक 1-2 लेश्य गर्भ 3 पृथिवीकाय 4 महाश्रव 5 चरम 6 द्वीप भवन 8 निति 603 603 त्रयोविंशतितमशतक वर्ग 1 उद्देशा 10 6.6 652 610 611 614 पृष्ठ 653 666 673 616 618 676 600 620 657 689 665 620 633 635 703 चतुर्विंशतितमशतक बम० उद्देशक-उत्पात 1 नारक 2 असुरकुमार 3.11 नागकुमारादि 12. पृथिवीकाय 13-14 अप्कायादि 20 पञ्चेन्द्रियतियंच मनुष्य बाणव्यन्तर ज्योतिष वैमानिक जीवाख्य पञ्चविंशतितमशतक 1 लेश्या : 2 द्रव्य 3 संस्थान 4 युग्म . 5 पर्याय 6 निग्रन्थ 7 संयत 8 भोघ AN 10 वाणव्यन्तर . विशतितमातक 1 द्वीन्द्रिय 2 आकाश 3. प्राणध 4. उपचय 5 परमाणु 6 अन्तर *7 बन्ध 8 भूमि है चारणा 10 उपक्रम एकविंशतितमशतक वगा-१ उद्देशा 10 वग्ग 2 " वर्ग 3 // वर्ग 4 . , वर्ग 5 , वर्ग 6 " वर्ग 7 , वर्ग 8 , 704 706 647 648 715 " 742 745 761 Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अवान्तरशतक- 7 उद्देशा-११ 806 बन्धीनामक षड्विंशतितमशतक " 1 जीव 780 784 0. 785 808 808 . 78 0 . . 789 2 लेश्या 3-11 बंधी करिसुनामक सप्तविंशतितमशतक उद्देशा-११ कर्मसमर्जनाख्य अष्टाविंशतितमशतक उद्देशा-११ कम्मप्रस्थापनाख्य एकोनत्रिंशतिमशतक उद्देशा-११ समवसरणाख्य त्रिंशत्तमशतक 1 उद्देशक 2-11 उद्दे शकाः उपपाताख्य एकत्रिंशत्तमशतक उद्देशा-२८ उद्वर्तनाख्य द्वात्रिंशत्तमशतक उहे शा 28 एकेन्द्रियाख्य त्रयत्रिंशत्तमशतक अवान्तरशतक-१ उद्देशा-११ एकेन्द्रियश्रेणीनामक चतुस्त्रिंशत्तमशतक अ० श० 1.12 एकेन्द्रियाख्य पञ्चत्रिंशत्तमशतक अश०१.१२ द्वीन्द्रियाख्य षत्रिंशत्तमशतक अ० श० 1.12 त्रोन्द्रियाख्य सप्तत्रिंशत्तमशतक अ० शा. 1-12 ' चतुरिन्द्रियाख्य अष्टत्रिंशत्तमशतक अ० श०१.१२ असंज्ञिपञ्चेन्द्रियाख्य एकोनचत्वारिंशत्तमशतक 71 766 830 18 830 ___802 अ० श० 1.12 805 806 me co संज्ञिपञ्चेन्द्रियाख्य चत्वारिंशत्तमशतक / अ०श०१-२१ शशियुग्माख्य एकचत्वारिंशत्तमशतक उद्देशा 1-166 उद्देश-विधि 835 841 Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ द्धिपत्रकम् // पृष्ठं पंक्तिः अशुद्धं शुद्धं पृष्ठं पंक्तिः अशुद्धं शुद्धं 454 3 26 27 575 18 नेरइयए नेरइए 461 4 सपया समया 582 14 माइमिच्छदिट्ठी- माइमिच्छदिट्ठी४६२ 10 ०पएसा ? . पएसा ओगाढा ? 600 21 भित्तसरिसवा मित्तसरिसवा 462 22 ओगाढा ओगाढा ? 605 8 परिणमें ति .परिणामेंति 485 16 आयामिक्खंमेणं आयामविक्खंभेणं 610 20 वाणयंतर० वाणमंतर० 485 21 वडिंसगम्य ०वडिंसगस्स 614 21 कहविहे कइविहे 486 18 संश्लिष्ठाभिधः संश्लिष्टामिधः . 616 16 मिच्छादिट्ठीवि मिच्छदिट्ठीवि 501 13 तठे तुझे 616 16 सम्मामिछविट्ठीवि सम्मामिच्छदिट्ठीवि 502 16 कुप्मारंगामं कुम्मारगामं 621 15 तियएसिए तिपएसिए 506 1 उपगच्छति / उवागच्छति 636 24 जंधाचाणे जंघाचारणे 506 4 पव्वायाया पञ्चायाया 640 10 पन्नते! पन्नत्ते ? 507 13 -खंपरिवुडे . -संपग्वुिडे 645 4 अनेण अन्नेण 507 22 अणंदा आणंदा 645 . 8 बरसएहि बारसएहिं 509 23 वस्नीयम्स वम्मीयस्स 653 23 -तिरिक्जोणिएहितो तिरिक्खजोणिएहितो 510 16 आणागलिया। अणागलिय- 654 18 असंखेज्जाइभागं असंखेज्जइभागं 514 22 तओहितो तओहितो 656 20 पज्जात्ता०, पज्जत्ता० 515 6 -कन्नपीडए कन्नपीढए 660 18 अंतोमुहुत्तमम्मयाइं अंतोमुहुत्तममहियाई 522. . 6 बहुपडिपुन्नणं बहुपडिपुन्नाणं 671 2 वावसहस्सेहिं वाससहस्सेहिं 529 12 पडिलाभए पडिक्षाभिए 672 13 तिरिक्खजोसियाणं तिरिक्खजोणियाणं 526 17 26 16 676 12 बावीससहस्स० बावीसवाससहस्स० 533 5 उवागच्छति उवागच्छिहिंति 676 13 गमएमु गमएसु 539 5 ससणधायए समणघायए 685 19 पच्झिनएसु पच्छिल्लएसु 543 24 केणणं केणणं 6.0 14 सक्वरप्पभा० सकरप्पमा० 546 16 उच्चारेयच्चं उच्चारेयव्वं 610 21 छन्मग्गहणाई छब्भवग्गहणाई 563 21 संजयासंजय संजयासंजए 693 24 ततियगभे ततियगमे 565 22 एवं एयं 667 3 पुव्वकीडी पुव्वकोडी 568 15 जाप जाव 618 , वासासयसहस्सेहिं वाससयसहस्सेहि 569 18 सूचं सूत्रं 733 10 पएसायाए पएसट्टयाए 571 3 सत्तासुवि सत्तसुवि 741 15 आगासस्थिकायस्स आगासत्थिकायस्स 571 16 वायुकाख्य वायुकायाख्य 746 2 सणाकस्रायकुसीले दंसणकसायकुसीले. 573 6 भणं ते! गंभंते ! 748 14 मुभनाणे सुभनाणे Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पृष्ठं पंक्तिः अशुद्धं 748 18 -सुनाण सुअनाण 757 21 जवनाओ उजवज्जाओ 762 3 ०संजयए संजए 771 8 33 32 775 13 उववज्झायारणं उवज्झायाणं 777 3 वाणया वायणा 778 19 अष्टमाघुद्दे शकाः अष्टमायुदेशकाः 784 8 कम कम्म 787 21 विरवसेगा निरवसेसा 788 23 निरवेसेसं निरवसेसं 804 21 कह 805 7 किइविहा कइविहा 806 2 पण्णत्तो पण्णत्ताओ . 806 21 कठ्या काइया 807 15 सत्तसं सत्तम 808 18/12/20123 : उववज्जेज्जा 812 3 केणठेणं . से केणठेणं 812 22 पज्जतगस्स पज्जत्तगस्स 815 1 वज्जित्ताए वज्जित्तए . पृष्ठं पक्तिः अशुद्धं शुद्धं 817 11 भत्थेगाभा अत्थेगइया 818 1 एगिहिया एगिंदिया 820 7 चउथं चउत्थं 521 4 पचविशत्तमं पञ्चत्रिंशत्तमं 821 11 केण?णं केणढणं 822 2 अवहारसयमा अवहारसमया 24 14 अणत वा अर्णता वा 25 . असंखेज्जा व असंखेज्जा वा 826 5 -भवसद्धियएहिवि भवसिद्धिय-... एगिदियएहिवि 28 15 पञ्चविंशतितमं पचत्रिंशत्तमं 841 14 तुज्भे . तुम्मे सर्वत्र-एकादशम एकादश द्वादशम द्वादश त्रयोदशम त्रयोदश चतुर्दशम चतुदश पञ्चदशम पञ्चदश सप्तदशम सप्तदश अष्टादशम अष्टादश .. Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 45 बागम मूल-पुस्तक श्रेणी योजना अंगे * निवेदन * जणाषतां आनंद थाय छे के परम करुणानिधि चरम तीर्थपति श्रमण भगवान महावीरदेवे भव्य जीवोना श्रेयना हेतु रूप तीर्थनी स्थापना करी अने गणधर देवोने त्रिपदीनु प्रदान कयुः लब्धिनिधान श्री गणधर देवोओ द्वादशांगीनी रचना करी. जेमनी पाट परंपरा विद्यमान छे ते श्रीमत्सुधर्मस्वामीजीनी गी प्रवर्तमान ने वर्तमानमा अग्यार अंग आदि अंग प्रविष्ट अने बार उपांग दश पयन्ना, छ छेद, 4 मूल अने 2 चूलिका सूत्रो एम अंग बाह्य श्रुतज्ञान आदि विद्यमान छे ते सूत्रो उपर पूर्वाचार्य महापुरूषो विरचित नियुक्ति, भाष्य, चर्णि, टीका, अवचूरि विगेरे आगमानुसारी श्रुत विद्यमान छे. आ कल्याणकारी श्रुतना आधारे श्री महावीर परमात्मानु शासन प्रवर्तमान छे. पूज्य आचार्य भगवंतो आदि मुनिराजो आदि योगवहन, गुरुकुलवास, गुरुआज्ञा आदि योग्यता मुजब से श्रु तना अधिकारी छे. अने अथी से शास्त्रीय मर्यादामा रहेता पूज्योने आ अ तज्ञानना स्वाध्याय आदिनी अनुकुलता रहे ते हेतुथी श्रुत भक्तिरूपे 45 आगमो मूल तेमज केटलाक सूत्रोनी टीका आदि मुद्रित करवानुनक्की कयु के तेनु संशोधन अने संपादन हालार देशोद्धारक पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजयअमृतसूरीश्वरजी महाराजना शिष्य पूज्य पंन्यास श्री जिनेन्द्रविजयजी गणिवर अथाग परिश्रम पूर्वक करी रह्या छ। ____ आ सूत्रो श्री संघना भंडारोमा पूज्य गुरुदेवोने अर्पण करवा प्रसारित किरवानो भमे निर्णय कों छ / तेनी मर्यादित नकलो प्रकाशित थाय छे भने जे श्री संघो के श्रु तभक्ति रूपे श्रावकोभे आ. प्रतिमओ मेळववी होय तेमणे पोतानी नकल नी यादी लखावी देवा विनंति के। सूत्रोनी नकलो मर्यादित प्रकाशित थाय छ वळी बुकसेलरोने ते बेंचवा आपवानी नथी अटले पाछलथी प्रतिओ प्राप्त थवी मुश्केल पडशे / जेथी भंडारोने सुव्यवस्थित अने समृद्ध बनाववा श्री संघोये पोताना सेट तरतमां लखावी देवा, पूज्य गुरुदेवो के संघोने अर्पण करवा या श्री शासननी मिल्कत रूपे सुरक्षित राखी, पूज्य गुरुदेवोने स्वाध्याय आदि माटे अर्पण करवा सुश्रावको पण आ सेट खरीदी शकशे / तेभो आ सेट वांची के बैंची शकशे नहीं। 45 बागमो अने 4 सूत्रोनी टीकाभो मादि जे कार्य हाथ उपर धरायु के तेनु मूल्य 20 700) थशे। चौद विभागमा 45 भागम प्रगट थशे / Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 14 ] निवेदन पहोंचाडवानी सगवडला रहे ते माटे 8 थी 10 सूत्रो तैयार थयेथी रवाना कराशे / जेथी सेट मंगा. वनारे पोताने मोकलवानां ग्रन्थो रेल्वे के ट्रान्सपोर्ट द्वारा प्राप्त थाय तेवु सरनामु जणावयु / आ आगम श्रेणी अंगे नाम नोंधाववा तथा रकम मोकलवाना सरनामाः (1) महेता मगनलाल चत्रभुज .. (4) शा. वेलजी हीरजी गुढका शाक मारकेट सामे निशाल फली, 52 बी.एम.आझाद रोड, रंगवाला चाल, जामनगर, (सौराष्ट्र) मुंबई-४०००११ (2) शा. मनसुखलाल जीवराज भाडलावाला (5) शा. रीखवचन्द फुलचन्द . . ... शराफ बाजार, राजकोट (सौराष्ट्र) सी.पी. टेन्क पहेलो पारसीवाडो .. ओल्ड हीरा बील्डिग १ले माले वी. पी. रोड, मुंबई-४ (3) संघवी जयंतिलाल त्रिभोवनदास (6) नवीनचंद्र बाबुलाल शाह मार्फत-महावीर स्टोर 2681 फुवारा बाजार डेली फली लालबाग सामे, जामनगर * गांधी रोड़, अहमदावाद आ आगम श्रेणी उपरांत अप्रकट तथा अप्राप्य अन्योनु विशाल पाया उपर प्रकाशन करवानी पण अमारी धारणा छ। श्रुतज्ञाननी या मतिना कार्यमा सौनो साथ मलशे तो अमे वहेलासर सफल थशु अथी आ अंगे योग्य सहकारनी अपेक्षा राखी श्रुतज्ञान भक्विना कार्यमा साथ आपवा नम्र विनंति के। . Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2200 li श्री महावीरजिनेन्द्राय नमः / / // श्रीमणिबुद्धयाणंदहर्षकपूरामृतसूरिगुरुभ्यो नमः // 45 आगम मूल-पुस्तक श्रेणी योजना * श्री आगम-सुधा-सिन्धुः * संपादकः-तपोमूर्ति पूज्य आचार्यदेवश्री विजयकरमरीश्वरजी म. ना पट्टधर हालारदेशोद्धारक पूज्य आचार्यदेव श्रीमद्विजयअमृतसरीश्वरजी म. ना शिष्यरत्न . पू. पं. श्री जिनेन्द्रविजयजी गणिवर अग्यार अंग सूत्रो सप्तमो विभागः प्रथमो विभागः 5. श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र 4454 नं० . नाम श्लोक 6. , चंद्र प्रज्ञप्ति , 1 श्री आचारांग सूत्र 2554 7." सूर्य पज्ञप्ति , 2266 2." सूत्रकृताङ्ग 2100 8., कलिका 3." ठाणांग 3700 6., कल्पावतंसिका , 4., समायांग 1660 10. , पुष्पिका 11. , पुष्पचूलिका , द्वितीय-तृतीय-विभागः 12. , वहिदशा ____ 5. श्री भगवती सूत्र 15752 - चतुर्थो विभागः 10 पयन्ना सूत्रो 6. श्री ज्ञाता सूत्र 5464 अष्टमो विभाग 7., उपासकदशा " 812 " अतकृद्दशा 760 श्लोक ., अनुत्तरोपपातिक, 162 1. श्री चउशरण सूत्र 10, प्रश्नव्याकरण , 5250 2.,, आउरपञ्चक्खाण 11., विपाक 1216 , महापचक्खाण 176 बार उपांग सूत्रो 4., भक्त परिक्षा 5., तंदुलवैयालीय पञ्चमो विभागः 6. // संस्तारक 155 नं० नाम श्लोक " गच्छाचार 105 1. श्री उववाइ सूत्र 1167 8., गणिविज्जा 105 2., राजप्रश्नीय 2120 1., देवेन्द्र स्तव . 3., जीवाभिगम , 4700 10., मरणसमाधि 875 षष्ठो विभागः 1., चंन्द्र वेध्यक 174 2., वीरस्तव 43 ४.पन्नावणा सूत्र नाम - 80 215 375 ' 7787 Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 0 नाम 821 6 छेद सूत्रो 4 मूल सूत्रो नवमो विभागः द्वादशमो विभागः श्लोक 1. श्री आवश्यक सूत्र (नियुक्ति भाष्य सह) 1. श्री निशीथ सूत्र 2500 . . 2., बहत्कल्प 437 2., ओघनियुक्ति , (भाष्य सह) 1355 / " पंचकल्पभाष्य 3135 3." व्यवहार 373 त्रयोदशमो विभागः 4., दशाश्रत 2106 3. श्री दशवैकालिक सूत्र 700 5., जीतकल्प 105 , पिंडनियुकि , 835 4." उत्तराध्ययन , 2000 दशमो विभागः 6. श्री महा निशीथ सूत्र 4548 2 चूलिका सूत्री एकादशमो विभागः / चतुर्दशमो विभागः श्री कल्पसूत्र (प्रताकार 36 पोइन्ट टाइप) 1. श्री नंदी सूत्र 1215 2. श्री अनुयोगद्वार सूत्र 1866 सटीक आगमो आदि नं. नाम मूल श्लोक टीकाकार टीका श्लोक 1. श्री आचारांग सूत्र 2554 श्री शीलांकाचार्य 12000 2. श्री उपासकदशांग , 812 श्री अभयदेवसूरिजी 800 3. श्री अंतकृदशांग , 400 4., अनुत्तरोपपातिक, 182 5. नवस्मरणानि गौतमस्वामिरासश्च श्री Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // अहम् // पञ्चमगणभृत्श्रीमत्सुधर्मा स्वामि-प्रणीतं ॥श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति-सूत्रम्॥ (श्रीमद्भगवती-सूत्रम्) (उत्तरार्धम्) // अथ त्रयोदशमशतके नारकाभिधः प्रथमोद्देशकः // पुढवी 1 देव 2 मणंतर 3 पुढवी 4 श्राहारमेव 5 उववाए 6 / भासा 7 कम्म 8 अणगारे केयाघडिया 1 समुग्घाए 10 // 1 // 1 / रायगिहे जाव एवं वयासी-कति णं भंते ! पुढवीयो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! सत्त पुढवीश्रो पन्नत्ताश्रो, तंजहा-रयणप्पभा जाव अहेसत्तमा 2 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए केवतिया निरयावास-सयसहस्सा पराणत्ता ?, गोयमा ! तीसं निरयावास-सयसहस्सा पन्नत्ता 3 / ते णं भंते ! कि संखेजवित्थडा असंखेजवित्थडा ?, गोयमा ! संखेजवित्थडावि असंखेजवित्थडावि 4 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास-सयसहस्सेसु संखेजवित्थडेसु नरएसु एगसमएणं केवतिया नेरइया उववज्जति 1 ? केवतिया काउलेस्सा उववज्जति 2 ? केवइया कराहपक्खिया उववजंति 3 ? केवतिया सुकपक्खिया उववजंति 4 ? केवतिया सन्नी उववज्जंति 5 ? केवतिया असन्नी उववज्जति 6 ? केवतिया भवसिद्धीया उववज्जंति Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 446 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः 7 ? केवतिया अभवसिद्धीया उववज्जति 8 ? केवतिया अाभिणिबोहियनाणी उवधज्जंति 1 ? केवइया सुयनाणी उववज्जति 10 ? केवइया श्रोहिनाणी उववज्जति 11 ?, केवइया मइअन्नाणी उववज्जति 12 ? केवइया सुयअन्नाणी उववज्जति 13 ? केवइया विभंगनाणी उववज्जंति 14 ? केवइया चक्खुदंसणी उबवज्जति 15 ? केवइया अचक्खुदंसणी उववज्जति 16 ? केवइया श्रोहिदसणी उववज्जति 17 ? केवइया श्राहारसन्नोवउत्ता उववज्जति 18 ? केवइया भयसन्नोवउत्ता उववज्जंति 11 ? केवइया मेहुणसन्नोवउत्ता उववज्जंति 20? केवइया परिग्गहसन्नोवउत्ता उववज्जति 21 ? केवइया इस्थिवेयगा उववज्जंति 22 ? केवइया पुरिसवेदगा उववज्जंति 23 ? केवइया नपुंसगवेदगा उववज्जति 24 ? केवइया कोहकसाई उववज्जति 25 ? जाव केवइया लोभकसायी उववज्जति 28 ? केवइया सोइंदियउवउत्ता उववज्जति 21 ? जाव केवइया फासिदियोवउत्ता उववज्जति 33 ? केवइया नोइंदियोवउत्ता उववज्जतिः 34 ? केवतिया मणजोगी उववज्जंति 35 ? केवतिया वइजोगी उववज्जति 36 ? केवतिया कायजोगी उवबज्जति 37 ? केवतिया सागारोवउत्ता उववज्जति 38 ? केवतिया अणागारोवउत्ता उववज्जति 31 ?, गोयमा ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास-सयसहस्सेसु संखेजवित्थडेसु नरएसु जहन्नेणं एको वा दो वा तिनि वा उक्कोसेणं संखेजा नेरझ्या उववज्जति, जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेजा काउलेस्सा उववज्जंति, जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेजा कराहपक्खिया उववज्जंति, एवं सुकपक्खियावि, एवं सन्नी एवं प्रसन्नीवि, एवं भवसिद्धीया एवं अभवसिद्धिया, श्राभिणिवोहियनाणी सुयनाणी श्रोहिनाणी मइअन्नाणी सुयअन्नाणी विभंगनाणी चक्खुदंसणी ण उववज्जंति, जहन्नेणं एको वा दो वा तिनि वा उक्कोसेणं संखेजा अचक्खुदंसणी उववज्जंति, एवं श्रोहि Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 13 :: उद्देशकः 1 ] [ 447 दसणीवि श्राहारसन्नोवउत्तावि जाव परिग्गहसन्नोवउत्तावि, इत्थीवेयगा न उववज्जंति, पुरिसवेयगावि न उववजंति, जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेजा नपुंसगवेदगा उववज्जंति, ए कोहकसाई जाव लोभकसाई सोइंदियउवउत्ता न उववज्जंति, एवं जाव फासिदिनोवउत्ता न उववजंति, जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेजा नोइंदिअोवउत्ता उववज्जति, मणजोगी ण उववज्जति, एवं वइजोगीवि, जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उकोसेणं संखेजा कायजोगी उववज्जंति, एवं सागारोवंउत्तावि, एवं अणागारावउत्तावि 5 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास-सयसहस्सेसु संखेजवित्थडेसु नरएसु एगसमएणं केवइया नेरझ्या उववट्टांति ? केवतिया काउलेस्सा उववट्टति ? जाव केवतिया अणागारोवउत्ता उव्वट्टति ?, गोयमा ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास-सयसहस्सेसु संखेजवित्थडेसु नरएसु एगसमएणं जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उकोसेणं संखेजा नेरइया उववट्टांति, एवं जाव सन्नी, असन्नी ण उव्वट्टति, जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेजा भवसिद्धीया उव्वट्टांति, एवं जाव सुयअन्नाणी विभंगनाणी ण उववट्टति, चक्खुदंसणी ण उव्वट्टांति, जहन्नेणं एको वा दो वा तिनि वा उक्कोसेणं संखेजा अचक्खुदंसणी उव्वदृति, एवं जाव लोभकसायी, सोइंदियउवउत्ता ण उव्वदृति एवं जाव फासिदियोवउत्ता न उव्वति, जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेजा नोइंदियो. वउत्ता उव्वट्टति, मणजोगी न उव्वट्टति, एवं वइजोगीवि, जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिनि वा उक्कोसेणं संखेजा कायजोगी उव्वदृति, एवं सागरोवउत्ता श्रणागारोवउत्ता 6 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास-सयसहस्सेसु संखेजवित्थडेसु नरएसु केवइया नेरइया पन्नत्ता ? केवइया काउलेस्सा जाव केवतिया अणागारोवउत्ता पन्नत्ता ? केवतिया अणंतरो Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 448 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // तृतीयो विभागः / ववन्नगा पन्नत्ता 1 ? केवइया परंपरोववन्नगा पन्नत्ता 2 ? केवइया अणंतरोगाढा पन्नत्ता 3 ? केवइया परंपरोगाढा पन्नत्ता 4 ? केवइया अणंतराहारा पन्नत्ता 5 ? केवतिया परंपराहारा पन्नत्ता 6 ? केवतिया अणंतरपजत्ता पन्नत्ता 7 ? केवतिया परंपरपजत्ता पन्नत्ता 8 ? केवतिया चरिमा पनत्ता 1 ? केवतिया अचरिमा पन्नत्ता 10 ?, गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास-सयसहस्सेसु संखेजवित्थडेसु नरएसु संखेजा नेरतिया पन्नत्ता, संखेजा काउलेसा पनत्ता, एवं जाव संखेजा सन्नी पन्नत्ता, असन्नी सिय अस्थि सिय नत्थि, जइ अस्थि जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेजा पन्नत्ता, संखेजा भवसिद्धी पन्नत्ता, एवं जाव संखेजा परिग्गहसन्नोवउत्ता पनत्ता, इस्थिवेदगा नत्थि पुरिसवेदगा नत्थि, संखेजा नपुंसगवेदगा पन्नत्ता, एवं कोहकसायीवि मानकसाई जहा असन्नी एवं जाव लोभकसायी संखेजा सोइंदियोवउत्ता पन्नत्ता, एवं जाव फासिंदियोवउत्ता नोइंदियोवउत्ता जहा असन्नी, संखेज्जा मणजोगी पन्नत्ता, एवं जाव अणागारोवउत्ता, अणंतरोववन्नगा सिय अस्थि सिय नत्थि, जइ अत्थि जहा असन्नी, संखेजा परंपरोववनगा पन्नत्ता, एवं जहा अणंतरोववन्नगा तहा अणंतरोगाढगा अणंतराहारगा अणंतरपजत्तगा परंपरोगाढगा जाव अचरिमा जहा परंपरोववनगा 7 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास-सयसहस्सेसु असंखेजवित्थडेसु एगसमएणं केवतिया नेरइया उववज्जति जाव केवतिया अणागारोवउत्ता उववज्जति ?, गोयमा / इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास-सयसहस्सेसु असंखेजवित्थडेसु नरएसु एगसमएणं जहराणेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं असंखेजा नेरइया उववज्जंति, एवं जहेव संखेजवित्थडेसु तिनि गमगा तहा असंखेजवित्थडेसुवि तिन्नि गमगा, नवरं असंखेजा भाणियव्वा, सेसं तं चेव जाव असंखेजा अचरिमा पन्नत्ता, नाणत्तं लेस्सासु, लेसायो जहा पढमसए, नवरं Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 13 : उद्देशकः 1 } [449 संखेजवित्थडेसुवि असंखेजवित्थडेसुवि मोहिनाणी अोहिदंसणी य संखेजा उब्वट्टावेयव्वा, सेसं तं चेव = | सक्करप्पभाए णं भंते ! पुढवीए केवतिया निरयावास पुच्छा, गोयमा ! पणवीसं निरयावास-सयसहस्सा पराणत्ता 1 / ते णं भंते ! किं संखेजवित्थडा असंखेजवित्थडा एवं जहा रयणप्पभाए तहा सक्करप्पभाएवि, नवरं असन्नी तिसुवि गमएसु न भन्नति, सेसं तं चेव 10 / वालुयप्पभाए णं पुच्छा, गोयमा ! पन्नरस निरयावास-सयसहस्सा पन्नत्ता, सेसं जहा सकरप्पभाए णाणत्तं लेसासु लेसायो जहा पढमसए 11 / पंकप्पभाए पुच्छा, गोयमा ! दस निरयावास-सयसहस्सा पन्नत्ता, एवं जहा सकरप्पभाए नवरं श्रोहिनाणी श्रोहिदसणी य न उव्वदृति, सेसं तं चेव 12 / धूमप्पभाए णं पुच्छा, गोयमा ! तिन्नि निरयावास-सयसहस्सा एवं जहा पंकप्पभाए 13 / तमाए णं भंते ! पुढवीए केवतिया निरयावास पुच्छा, गोयमा ! एगे पंचूणे निरयावास-सयसहस्से पराणत्ते, सेसं जहा पंकप्पभाए 14 / अहेसत्तमाए णं भंते ! पुढवीए कति अणुत्तरा महतिमहालया महानिरया पन्नत्ता ?,गोयमा ! पंच अणुत्तरा जाव अपइट्टाणे 15 / ते णं भंते ! किं संखेजवित्थडा असंखेजवित्थडा ?, गोयमा ! संखेजवित्थडे य असंखेजवित्थडा य 16 / अहेसत्तमाए णं भंते ! पुढवीए पंचसु अणुत्तरेसु महतिमहालया जाव महानिरएसु संखेजवित्थडे नरए एगसमएणं केवतिया उववज्जति ?, एवं जहा पंकप्पभाए, नवरं तिसु नाणेसु न उववज्जति न उव्वट्टति, पन्नत्तएसु तहेव अस्थि, एवं असंखेजवित्थडेसुवि नवरं असंखेजा भाणियव्वा 17 // सूत्र 470 // इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास-सयसहस्सेसु संखेजवित्थडेसु नरएसु किं सम्मदिट्ठी नेरतिया उववज्जंति मिच्छदिट्ठी नेरतिया उववज्जंति, सम्मामिच्छदिट्ठी नेरतिया उववज्जति ?, गोयमा ! सम्मदिट्ठीवि नेरझ्या उववज्जंति मिच्छादिट्ठीवि नेरझ्या उववज्जति नो सम्मामिच्छदिट्ठी उवव Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 450 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः ज्जंति 1 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास-सयसहस्सेसु संखेजवित्थडेसु नरएसु किं सम्मदिट्टी नेरतिया उबट्टति ? एवं चेव 2 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास-सयसहस्सेसु संखेजवित्थडा नरगा किं सम्मट्ठिीहिं नेरइएहिं अविरहिया मिच्छादिट्टीहि नेरइएहिं अविरहिया सम्मामिच्छदिट्ठीहिं नेरइएहि अविरहिया वा ?, गोयमा ! सम्मदिट्टीहिंवि नेरइएहिं अविरहिया मिच्छादिट्ठीहिंवि अविरहिया सम्मामिच्छादिट्ठीहिं अविरहिया विरहिया वा, एवं असंखेजवित्थडेसुवि तिन्नि गमगा भाणियव्वा, एवं सक्करप्पभाएवि, एवं जाव तमाएवि 3 / अहेसत्तमाए णं भंते ! पुढवीए पंचसु अणुत्तरेसु जाव संखेज. वित्थडे नरए किं सम्मपिट्ठीनेरझ्या पुच्छा, गोयमा ! सम्मट्टिीनेरइया न उववज्जंति मिच्छादिट्टीनेरझ्या उववज्जति सम्मामिच्छदिट्ठी नेरइया न उववज्जंति, एवं उब्वट्टतिवि अविरहिए जहेव रयणप्पभाए, ए असंखेजविस्थडेसुवि तिनि गमगा 4 // सूत्र 471 // से नूर्ण भंते ! कराहलेस्से नीललेस्से जाव सुक्कलेस्से भरित्ता कराहलेस्सेसु नेरइएसु उववज्जति ?, हंता गोयमा ! कराहलेस्से जाव उववज्जति 1 / से केण?णं भंते ! एवं बुच्चइ कराहलेस्से जाव उववज्जति ?, गोयमा ! लेस्सट्ठाणेसु संकिलिस्समाणेसु 2 कराहलेसं परिणमइ कराहलेसे 2 कराहलेसेसु नेरइएसु उवव जंति से तेण?णं जाव उववज्जति 2 / से नूणं भंते ! कराहलेस्से जाव सुकलेसे भवित्ता नीललेस्सेसु नेरइएसु उववज्जंति ?, हंता गोयमा ! जाव उववज्जति 3 / से केण?णं जाव उववज्जति ?, गोयमा ! लेस्सट्टाणेसु संकिलिस्समाणेसु वा विसुज्झमाणेसु वा नीललेस्सं परिणमंति नीललेस्से 2 नीललेस्सेसु नेरइएसु उववनंति से तेण?णं गोयमा ! जाव उववज्जति 4 / से नूणं भंते ! कराहलेस्से नील जाव भवित्ता काउलेस्सेसु नेरइएसु उववज्जंति, एवं जहा नीललेस्साए तहा काउलेस्सावि भाणियव्वा Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 13 : उद्देशकः 2 ] [ 451 जाव से तेणटेणं जाव उववज्जंति 5 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरइ 6 // सूत्रं 472 // // इति त्रयोदशमशतके प्रथम उद्देशकः // 13-1 // // अथ त्रयोदशमशतके देवाभिध-द्वितीयोद्देशकः // कइविहा णं भंते ! देवा पराणता ?, गोयमा ! चउविहा देवा पन्नत्ता, तंजहा-भवणवासी वाणमंतरा जोइसिया वेमाणिया 1 / भवणवासी णं भंते ! देवा कतिविहा पराणत्ता ?, गोयमा ! दसविहा पराणत्ता, तंजहा-असुरकुमारा एवं भेयो जहा बितियसए देवुद्दे सए जाव अपराजिया सव्वट्ठसिद्धगा 2 / केवइया णं भंते ! असुरकुमारावास-सयसहस्सा पराणत्ता ?, गोयमा ! चोसटिं असुरकुमारावास-सयसहस्सा पराणत्ता 3 / ते णं भंते ! किं संखेजवित्थडा असंखेजवित्थडा ?, गोयमा ! संखेन्जवित्थडावि असंखेजवित्थडावि 4 / चोसट्टी णं भंते ! असुरकुमारावास-सयसहस्सेसु संखेजवित्थडेसु असुरकुमारावासेसु एगसमएणं केवतिया असुरकुमारा उववज्जति ? जाव केवतिया तेउलेसा उववज्जति ? केवतिया कराहपक्खिया उववज्जति?, एवं जहा रयणप्पभाए तहेव पुच्छा तहेव वागरणं, नवरं दोहिं वेदेहिं उववज्जंति, नपुंसगवेयगा न उववजंति सेसं तं चेव 5 / उव्वदृतगावि तहेव नवरं प्रसन्नी उव्वट्टति, योहिनाणी अोहिदंसणी य ण उव्वट्टति, सेसं तं चेव, पन्नत्तएस तहेव नवरं संखेजगा इत्थिवेदगा पराणत्ता, एवं पुरिसवेदगावि, नपुंसगवेदगा नथि 6 / कोहकसाई सिय अत्थि सिय नत्थि, जइ अत्थि जहरणेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेजा पराणत्ता, एवं माण माया संखेजा लोभकसाई पराणत्ता सेसं तं चेव 7 // तिसुवि गमएसु संखेज्जेसु चत्तारि लेस्सायो भाणियव्वाश्रो, एवं असंखेजवित्थडेसुवि नवरं तिसुवि गमएसु असंखेजा भाणियव्वा जाव असंखेजा Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 452 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः अचरिमा पराणत्ता 8 / केवतिया णं भंते ! नागकुमारावास-सयसहस्सा ? एवं जाव थणियकुमारा नवरं जत्थ जत्तिया भवणा 1 / केवतिया णं भंते ! वाणमंतरावाससयसहस्सा पन्नत्ता ?, गोयमा ! असंखेजा वाणमंतरावाससयसहस्सा पन्नत्ता 10 ते णं भंते ! किं संखेजवित्थडा असंखेजवित्थडा ?, गोयमा ! संखेजवित्थडा नो असंखेजवित्थडा 11 / संखेज्जेसु णं भंते ! वाणमंतरावास-सयसहस्सेतु एगसमएणं केवतिया वाणमंतरा उववज्जति ?, एवं जहा असुरकुमाराणं संखेजवित्थडेसु तिन्नि गमगा तहेव भाणियव्वा, वाणमंतराणवि तिनि गमगा 12 / केवतिया णं भंते ! जोतिसियविमाणावास-सयसहस्सा पराणता ?, गोयमा ! असंखेजा जोइसियविमाणावास-सयसहस्सा पराणत्ता 13 / ते णं भंते ! किं संखेजविस्थडा असंखेजविस्थडा ?, एवं जहा वाणमंतराणं तहा जोइसियाणवि तिनि गमगा भाणियब्वा नवरं एगा तेउलेस्सा, उववज्जतेसु पन्नत्तेसु य असन्नी नस्थि सेसं तं चेव 14 / सोहम्मे णं भंते ! कप्पे केवतिया विमाणावास-सयसहस्सा पन्नत्ता ?, गोयमा ! बत्तीसं विमाणावास-सयसहस्सा पराणत्ता 15 / ते णं भंते ! कि संखेजवित्थडा असंखेवित्थडा ?, गोयमा ! संखेजवित्थडावि असंखेनवित्थडावि 16 / सोहम्मे णं भंते ! कप्पे बत्तीसाए विमाणावाससयसहस्सेसु संखेजवित्थडेसु विमाणेसु एगसमएणं केवतिया सोहम्मा देवा उववज्जति ? केवतिया तेउलेसा उववज्जति ? एवं जहा जोइसियाणं तिनि गमगा तहेव तिनि गमगा भाणियव्वा, नवरं तिसुवि संखेजा भाणियव्वा, मोहिनाणी योहिदंसणी य चयावेयव्या, सेसं तं चेव 17 / असंखेजवित्थडेसु एवं चेव तिनि गमगा णवरं तिसुवि गमएसु असंखेजा भाणियब्बा, श्रोहिनाणी य श्रोहिदंसणी य संखेजा चयंति, सेसं तं चेव एवं जहा सोहम्मे वत्तव्यया भणिया तहा ईसाणेवि छ गमगा भाणियन्वा 18 / सणंकुमारे एवं चेव नवरं इत्थीवेयगा न उववज्जति पन्नत्तेसु Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र : शतकं 13 : उद्देशकः 2] ] 453 य न भरणंति, असन्नी तिसुवि गमएसु न भरणंति, सेसं तं चेव, एवं जाव सहस्सारे, नाणत्तं विमाणेसु लेस्सासु य, सेसं तं व 18 / श्राणयपाणयेसु णं भंते ! कप्पेसु केवतिया विमाणावाससया पराणत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि विमाणावाससया पराणत्ता 11 / ते णं भंते ! कि संखेजवित्थडा ?, असंखेजवित्थडा ? गोयमा ! संखेजवित्थडावि असंखेजवित्थडावि, एवं संखेजवित्थडेसु तिन्नि गमगा जहा सहस्सारे असंखेजवित्थडेसु उववज्जतेसु य चयंतेसु य एवं चेव संखेजा भाणियव्वा, पन्नत्तेसु अंसंखेजा, नवरं नोइंदियोवउत्ता अणंतरोववन्नगा अणंतरोगाढगा अणंतराहारगा अणंतरपजत्तगा य एएसि जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेजा पत्नत्ता, सेसा असंखेज्जा भाणियव्वा 20 / पारणच्चुएसु एवं चेव जहा श्राणयपाणएसु नाणत्तं विमाणेसु, एवं गेवेजगावि 21 / कति णं भंते ! अणुत्तरविमाणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंच अणुत्तरविमाणा पन्नत्ता 22 / ते णं भंते ! किं संखेजवित्थडा असंखेन्जवित्थडा ?, गोयमा ! संखेजवित्थडे य असंखेजवित्थडा य 23 / पंचसु णं भंते ! अणुत्तरविमाणेसु संखेजवित्थडे विमाणे एगसमएणं केवतिया अणुत्तरोववाइया देवा उववज्जति ?, केवतिया सुक्कलेस्सा उववज्जति ? पुच्छा, तहेव गोयमा ! पंच सु णं अणुत्तरविमाणेसु संखेजवित्थडे अणुत्तरविमाणे एगसमएणं जहराणेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेजा अणुत्तरोववाइया देवा उववज्जति 24 / एवं जहा गेवेजविमाणेसु संखेजवित्थडेसु नवरं किराहपक्खिया अभवसिद्धिया तिसु अन्नाणेसु एए न उववज्जति न चयंति न पन्नत्तएसु भाणियव्वा 25 / अचरिमावि खोडिज्जंति जाव संखेजा चरिमा पन्नत्ता, सेसं तं चेव, असंखेजवित्थडेसुवि एए न भन्नति नवरं अचरिमा अस्थि, सेसं जहा गेवेजएसु असंखेजवित्थडेसु जाव असंखेजा अचरिमा पन्नत्ता 26 / चोसट्ठीए णं भंते ! असुरकुमारावास Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 454 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः सयसहस्सेसु संखेजवित्थडेसु असुरकुमारावासेसु किं सम्मट्टिी असुरकुमारा उववज्जति मिच्छादिट्टी, एवं जहा रयणप्पभाए तिनि अालावगा भणिया तहा भाणियव्वा, एवं असंखेजवित्थडेसुवि तिन्नि गमगा 26 / एवं जाव गेवेजविमाणेसु, अणुत्तरविमाणेसुवि एवं चेव, नवरं तिसुवि श्रालावएसु मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी य न भन्नति, सेसं तं चेव 28 / से नूणं भंते ! कराहलेस्सा नील जाव सुकलेस्से भवित्ता कराहलेस्सेसु देवेसु उववज्जंति ?, हंता गोयमा ! एवं जहेव नेरइएसु पढमे उद्देसए. तहेव भाणियव्वं 21 / नीललेसाएवि जहेव नेरइयाणं जहा नीललेस्साए, एवं जाव पम्हलेस्सेसु सुकलेस्सेसु एवं चेव, नवरं लेस्सट्ठाणेसु विसुज्झमाणेसु 2 सुकलेस्सं परिणमति 2 सुकलेस्सेसु देवेसु उववज्जति, से तेण?णं जाव उववज्जति 30 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरइ 31 // सूत्रं 473 // // इति त्रयोदशमशतके द्वितीय उद्देशकः // 13-2 // // अथ त्रयोदशमशतके परिचारणा(अणंतरा)भिधः तृतीयोद्देशकः // नेरइया णं भंते ! अणंतराहारा ततो निव्वत्तणया एवं परियारणापदं निरवसेसं भाणियव्वं / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरइ // सूत्रं 474 // // अथ त्रयोदशमशतके नारकाभिधः चतुर्थोद्देशकः // ___ "नेरइय 1 फास 2 पणिही 3 निरयंते 4 चेव लोयमझे य 5 / दिसिविदिसाण य पवहा 6 पवत्तणं अस्थिकाएहिं 7 // 1 // अत्थी पएस Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 13 :: उद्देशकः 4 ] [ 455 फुसणा 8 योगाहणयाय जीवमोगाढा / अस्थि पएसनिसीयण बहुस्समे लोगसंगणे // 2 // " ___कति णं भंते ! पुढवीयो पन्नत्तायो?, गोयमा ! सत्त पुढवीयो पगणत्तायो, तजहा-रयणप्पभा जाव अहेसत्तमा 1 / अहेसत्तमाए णं भंते ! पुढवीए पंच अणुत्तरा महतिमहालया जाव अपइट्ठाणे, ते णं गरगा छट्ठीए तमाए पुटवीए नरएहितो महंततरा चेव 1 महाविच्छिन्नतरा चेव 2 महावासतरा चेव 3 महापइरिकतरा चेव 4, णो तहा महापवेसणतरा चेव 1 नो पाइनतरा चेत्र 2 नो बाउलतरा चेव 3 अणोमाण(यण)तरा चेव 4, तेसु णं नरएसु नेरतिया छट्ठीए तमाए पुढवीए नेरइएहितो महाकम्मतरा चेव 1 महाकिरियतरा चेव 2 महासवतरा चेव 3 महावेयणतरा चेव 4 नो तहा अप्पकम्मतरा चेव 1 नो अप्पकिरियतरा चेव 2 नो अप्पासवतरा चेव 3 नो अप्पवेदणतरा चेव 4 अप्पड्डियतरा चेव 1 अप्पजुत्तियतरा चेव 2 नो तहा महड्डियतरा चेव 1 नो महजुइयतरा चेव 2, 2 / छट्ठीए णं तमाए पुढवीए एगे पंचूणे निरयावाससयसहस्से पराणत्ते, ते णं नरगा अहेसत्तमाए पुढवीए नेरइएहितो नो तहा महत्तरा चेव महाविच्छिन्नतरा चेव 4, महप्पवेसणतरा चेव पाइन्नतरा चेव 4, 3 / तेसु णं नरएसु णं नेरतिया अहेसत्तमाए पुढवीए नेरइएहितो अप्पकम्मतरा चेव अप्पकिरियतरा चेव 4, नो तहा महाकम्मतरा चेव नो महाकिरियतरा चेव 4, महड्डियतरा चेव महाजुइयतरा चे नो तहा अप्पड्डियतरा चेव अप्पजुइयतरा चेव 4 / छट्ठीए णं तमाए पुढवीए नरगा पंचमाए धूमप्पभाए पुढवीए नरएहितो महत्तरा चेव 4, नो तहा महप्पवेसणतरा चेव 4, 5 / तेसु णं नरएसु नेरतिया पंचमाए धूमप्पभाए पुढवीएहितो महाकम्मतरा चेव 4 नो तहा अप्पकम्मतरा चेव 4 अप्पड्डियतरा चेव 2 नो तहा महड्डियतरा चेव 2, 6 / पंचमाए णं धूमप्पभाए पुढवीए तिन्नि निरयावास-सयसहस्सा पनत्ता, एवं जहा छट्ठीए भणिया, एवं सत्तवि पुढवीयो परोप्परं भराणंति Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 456 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // तृतीयो विभागः जाव रयणप्पभंति जाव नो तहा महड्डियतरा चेव अप्पजुत्तियतरा चेव 7 // सूत्रं 475 // रयणप्पभा-पुढविनेरइया णं भंते ! केरिसयं पुढविफासं पञ्चणुब्भवमाणा विहरंति ?, गोयमा ! अणिटुं जाव अमणामं एवं जाव अहेसत्तम-पुढविनेरझ्या एवं ग्राउफासं एवं जाव वणस्सइफासं ॥सूत्र 476 // इमा णं भंते ! रयणप्पभापुढवी दोच्चं सकरप्पभं पुर्वि पणिहाय सव्वमहतिया बाहल्लेणं सव्वखुड्डिया सव्वतेसु एवं जहा जीवाभिगमे वितिए नेरझ्यउद्दसए // सूत्रं 477 // इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए णिरयपरिसामंतेसु जे पुढविकाइया एवं जहा नेरइयउद्देसए जाव अहेसत्तमाए // सूत्रं 478 // कहि णं भंते ! लोगस्स पायाममज्झे पराणत्ते ?, गोयमा! इमीसे णं रयणप्पभाए उवासंतरस्स असंखेजतिभागं योगाहेत्ता एत्थ णं लोगस्स पायाममज्झे पराणत्ते 1 / कहि णं भंते ! अहेलोगस्स अायाममज्झे पाणते ?, गोयमा ! चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए उवासंतरस्स सातिरेगं श्रद्धं योगाहित्ता एत्थ णं अहेलोगस्स अायाममज्झे पराणत्ते 2 / कहि णं भंते ! उड्डलोगस्स अायाममज्झे पराणत्ते ?, गोयमा ! उप्पिं सणंकुमार-माहिंदाणं कप्पाणं हेडिं बंभलोए कप्पे रिट्ठविमाणे पत्थडे एत्थ णं उडलोगस्स पायाममज्झे पराणत्ते 3 कहिन्नं भंते ! तिरियलोगस्स श्रआयाममज्झे पराणत्ते ?, गोयमा ! जंबूद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स बहुमज्मदेसभाए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उवरिम-हेट्ठिल्लेसु खुड्डाग-पयरेसु एत्थ णं तिरिय-लोगस्स मज्झे अट्ठपएसिए रुयए पराणत्ते, जयो णं इमायो दस दिसायो पवहंति, तंजहा-पुरच्छिमा पुरच्छिमदाहिणा एवं जहा दसमसए नामधेजति 4 // सूत्रं 476 // इंदा णं भंते ! दिसा किमादीया किंपवहा कतिपदेसादीया कतिपदेसुत्तरा कतिपदेसीया किंपज्जवसिया किंसंठिया पन्नता ?, गोयमा ! इंदा णं दिसा रुयगादीया रुषगप्पवहा दुपएसादीया दुपएसुत्तरा लोगं पडुच्च असंखेजपएसिया अलागं पडुच्च अणंतपएसिया Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र : शतकं 13 :: उद्देशकः 4 ] [457 लोगं पडुच्च साईया सपजवसिया अलोगं पडुच्च साईया अपज्जवसिया लोगं पडुच मुरजसंठिया अलोगं पडुच्च सगडुद्धिसंठिया पन्नत्ता 1 / अग्गेयी णं भंते ! दिसा किमादीया किंपवहा कतिपएसादीया कतिपएस-विच्छिन्ना कतिपएसीया किंपज्जवसिया किंसंठिया पन्नत्ता ?, गोयमा ! अग्गेयी णं दिसा ख्यगादीया रुयगप्पवहा एगपएसादीया एगपएसविच्छिन्ना अणुत्तरा लोगं पडुच असंखेजपएसीया अलोगं पडुच्च अणंतपएसीया लोगं पडुच्च साइया सपजवसिया अलोगं पडुच्च साइया अपज्जवसिया छिन्नमुत्तावलिसंठिया परांणत्ता 2 / जमा जहा इंदा, नेरइया जहा अग्गेयी, एवं जहा इंदा तहा दिसायो चत्तारि जहा अग्गेई तहा चत्तारिवि विदिसायो 3 / विमला णं भंते ! दिसा किमादीया जाव किंसंठिया पन्नत्ता ?, पुच्छा जहा अग्गेयीए, गोयमा ! विमला णं दिसा स्यगादीया रुयगप्पवहा चउप्पएसादीया दुपएसविच्छिन्ना अणुत्तरा लोगं पडुच्च, सेसं जहा अग्गेयीए नवरं रुयगसंठिया पराणत्ता एवं तमावि 4 // 480 // किमियं णं भंते ! लोएत्ति पवुच्चइ ?, गोयमा ! पंचत्थिकाया, एस णं एवतिए लोएत्ति पवुच्चइ, तंजहा-धम्मस्थिकाए अहम्मत्थिकाए जाव पोग्गलत्थिकाए 1 / धम्मस्थिकाए णं भंते ! जीवाणं किं पवत्तति ?, गोयमा ! धम्मत्थिकारणं जीवाणं भागमण-गमण-भासुम्मसमण-जोगा वइजोगा कायजोगा जे यावन्ने तहप्पगारा चला भावा सव्वे ते धम्मस्थिकाए पवत्तंति, गइलक्खणे णं धम्मत्थिकाए 2 / अहम्मत्थिकारणं जीवाणं किं पवत्तति ?, गोयमा ! अहम्मत्थिकारणं जीवाणं गण-निसीयण-तुयट्टण मणस्स य एगत्तीभाव-करणता जे यावन्नेतहप्पगारा थिरा भावा सब्वे ते अहम्मत्थिकाये पवतंति, ठाणलक्खणे णं अहम्मत्थिकाए 3 / अागासस्थिकाए णं भंते ! जीवाणं अजीवाण य कि पवत्तति ?, गोयमा ! अागासत्थिकारणं जीवदव्वाण य अजीवदव्वाण य भायणभूए-एगेणवि से पुन्ने दोहिवि पुन्ने सयंपि माएजा / कोडिसएणवि Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 458 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः। तृतीयो विभागः पुन्ने कोडिसहस्सपि माएजा // 1 // अवगाहणा-लक्खणे णं अागासस्थिकाए 4 / जीवत्थिकारणं भंते ! जीवाणं किं पवनति ?, गोचमा ! जीवस्थिकाएणं जीवे अणंताणं श्राभिणिबोहिय-नाणपजवाणं श्रणंताणं सुयनाण-पजवाणं एवं जहा बितियसए अस्थिकाय-उद्देसए जाव उपयोगं गच्छति, उवयोगलक्खणे णं जीवे 5 / पोग्गलस्थिकाए णं पुच्छा, गोयमा ! पोग्गलत्थिकारणं जीवाणं बोरालिय-वेउव्विय-याहारए तेयाकम्मए सोइंदिय-चक्खिदिय-घाणिदिय-जिभिदिय-फासिंदिय--मणजोग-वयजोग-कायजोग-प्राणापाणूणं च गहणं पवत्तति, गहणलवखणे णं पोग्गलत्थिकाए 6 / // सूत्र 481 // एगे भंते ! धम्मस्थिकाय-पदेसे केवतिएहिं धम्मस्थिकायपएसेहिं पुढे ?, गोयमा ! जहन्नपदे तिहिं उक्कोसपदे छहिं 1 / केवतिएहिं अहम्मत्थिकायपएसेहिं पुढे ?, गोयमा ! जहन्नपए चरहिं उक्कोसपए सत्तहिं 2 / केवतिएहिं अागासत्थिकाय-पएसेहिं पुढे ?, गोयमा ! सत्तहिं केवतिएहिं जीवत्थिकाय-पएसेहिं पुढे ?, गोयमा ! अणंतेहिं 3 / केवतिएहिं पोग्गलत्थिकाय-पएसेहिं पुढे ?, गोयमा ! अणंतेहिं 4 / केवतिएहिं श्रद्धासमएहिं पु? ?, सिय पुढे सिय नो पुढे जइ पुढे नियम अणंतेहिं 5 / एगे भंते ! अहम्मत्थिकाय-पएसे केवतिएहि धम्मस्थिकाय-पएसेहिं पुढे ?, गोयमा ! जहन्नपए चरहिं उक्कोसपए सत्तहिं 6 / केवतिहिं अहम्मत्थिकायपएसेहिं पुढे ? जहन्नपए तिहिं उकोसपए छहि सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स 7 / एगे भंते ! भागासत्थिकाय-पएसे केवतिएहिं धम्मत्थिकाय-पएसेहिं पुढे?, गोयमा ! सिय पुढे सिय नो पुढे, जइ पुढे जहन्नपदे एक्केण वा दोहि वा तीहिं वा चउहिं वा उक्कोसपए सत्तहिं, एवं ग्रहम्मत्थिकायप्पएसेहिवि 8 / केवतिएहिं अागासस्थिकाय-पएसेहिं पुढे ? छहिं, केवतिएहिं जीवत्थिकाय-पएसेहिं पुढे ?, सिय पुढे सिय नो पुढे, जइ पुढे नियमं . अणंतेहिं 1 / एवं पोग्गलस्थिकाय-पएसेहिवि श्रद्धासमएहिवि 10 // सूत्रं 482 // Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 13 :: उद्देशकः 4 ] [459 एगे भंते ! जीवस्थिकाय-पएसे केवतिएहिं धम्मत्थिकायपएसेहिं पुच्छा, जहन्नपदे चउहिं उकोसपए सत्तहिं, एवं अहम्मस्थिकायपएसेहिवि 1 / केवतिएहिं अागासस्थिकाय-पऐसेहिं पुढे ?, सत्तहिं 2 / केवतिएहिं जीवत्थिकाय-पएसेहिं पुढे ?, सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स 3 / एगे भंते ! पोग्गलस्थिकायपएसे केवतिएहिं धम्मत्थिकायपएसेहिं पुढे ? एवं जहेव जीवस्थिकायस्त 4 / दो भंते ! पोग्गलत्थिकाय-प्पएसा केवतिएहि धम्मत्थिकायपएसेहिं पुट्ठा ?, जहन्नपए छहिं उकोसपए बारसहिं, एवं अहम्मत्थिकायप्पएसेहिवि 5 / केवतिएहिं अागासस्थिकायपएसेहिं पुढे ?, बारसहिं, सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स 6 / तिन्नि भंते ! पोग्गलत्थिकायपएसा केवतिएहिं धम्मत्थिकाय-पएसेहिं पुट्ठा ?, जहन्नपए अट्टहिं उकोसपए सत्तरसहिं 7 / एवं अहम्मत्थिकायपएसेहिवि 8 / केवतिएहिं अागासत्थिकाय-पएसेहिं पुट्ठा ?, सत्तरसहिं, सेसं जहा धम्मस्थिकायस्स 1 / एवं एएणं गमेणं भाणियव्वं जाव दस, नवरं जहन्नपदे दोनि पक्खिवियव्वा उक्कोसपए पंच 10 / चत्तारि पोग्गलत्थिकायस्स-जहन्नपए दसहिं उकोसपए बावीसाए, पंच पुग्गलत्थिकायस्स, जहरणपए बारसहिं उक्कोसपए सत्तावीसाए, छ पोग्गलत्थिकायस्स-जहराणपए चोदसहिं उकोसपए बत्तीसाए, सत्त पोग्गलथिकायस्स-जहन्नपए सोलसहिं उक्कोसपए सत्ततीसाए, अट्ट पोग्गलस्थिकायस्स जहराणपए अट्ठारसहि उक्कोसपए बायालीसाए, नव पोग्गलत्थिकायस्सजहन्नपए वीसाए उक्कोसपए सीयालीसाए, दस पोग्गलत्थिकायस्स जहगणपए बावीसाए उकोसपए बावन्नाए 11 / बागासत्थिकायस्स सव्वस्थ उकोसगं भाणियव्वं 12 / संखेजा भंते ! पोग्गलस्थिकायपएसा केवतिएहिं धम्मत्थिकायपएसेहिं पुट्ठा ?, जहन्नपदे तेणेव संखेजएणं दुगुणेणं दुरूवाहिएणं उकोसपए तेणेव संखेजएणं पंचगुणेणं दुरूवाहिएणं 13 / केवतिएहिं अधम्मथिकायपएसेहिं एवं चेव 14 / केवतिएहिं अागासत्थिकायपएसेहिं पुट्ठा ?, Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 460 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः तेणेव संखेजएणं पंचगुणेणं दुरूवाहिएणं 15 / केवइएहिं जीवस्थिकायपएसेहिं पुट्टा ?, अणंतेहिं 16 / केवइएहिं पोग्गलत्थिकायपएसेहि पुट्ठा ?, अणंतेहिं 17 / केवइएहिं श्रद्धासमएहिं ?, सिय पुढे सिय नो पुढे जाव श्रणंतेहिं 18 / असंखेजा भंते ! पोग्गलत्थिकायप्पएसा केवतिएहिं धम्मत्थिकाय-पएसेहिं पुट्ठा ?, जहन्नपए तेणेव असंखेजएणं दुगुणेणं दुरूवाहिएणं उकोसपए तेणेव असंखेजएणं पंचगुणेणं दुरूवाहिएणं, सेसं जहा संखेजाणं जाव नियमं अणंतेहिं 11 / अणंता भंते ! पोग्गलस्थिकायपएसा केवतिएहिं धम्मत्थिकायपएसेहिं पुट्ठा ? एवं जहा असंखेजा तहा अणंतावि निरवसेसं 20 / एगे भंते ! श्रद्धासमए केवतिएहिं धम्मस्थिकायपएसेहिं पुढे ?, सत्तहिं 21 / केवतिएहिं अहम्मत्थिकायपएसेहिं पुढे ?, एवं चेव एवं श्रागासस्थिकाएहिवि 22 / केवतिएहिं जीवत्थिकाय-पएसेहिं पुढे ?, अणंतेहिं, एवं जाव श्रद्धासमएहिं 24 / धम्मत्थिकाए णं भंते ! केवतिएहिं धम्मस्थिकायप्पएसेहिं पुढे ?, नथि एक्केणवि 25 / केवतिएहिं अंधम्मस्थिकाय. प्पएसेहिं ?, असंखेज्जेहिं 26 / केवतिएहिं श्रागासत्थिकायपएसेहिं पुढे ?, असंखेज्जेहिं 27 / केवतिएहिं जीवत्थिकायपएसेहिं पुढे ?, अणंतेहिं 28 / केवतिएहिं पोग्गलस्थिकायपएसेहिं ?, अणंतेहिं 21 / केवतिएहिं श्रद्धासमएहिं ?, सिय पुढे सिय नो पुढे, जइ पुढे नियमा अणंतेहिं 30 / अहम्मत्थिकाए णं भंते ! केवतिएहि धम्मत्थिकायपएसेहिं पुढे ?, असंखेज्जेहिं 31 / केवतिएहिं अहम्मत्थिकायपएसेहिं पुढे ?, णत्थि एक्केणवि, सेसं जहा धम्मस्थिकायस्स 32 / एवं एएणं गमएणं सब्वेवि सट्ठाणए नत्थि एक्केणवि पुट्टा, परट्ठाणए आदिल्लएहिं तिहिं असंखेज्जेहिं भाणियव्वं, पच्छिल्लएसु अणंता भाणियवा जाव श्रद्धासमयोत्ति 33 / जाव केवतिएहिं श्रद्धासमएहिं पुढे ? नत्थि एक्केणवि 34 / जत्थ णं भंते ! एगे धम्मस्थिकायपएसे श्रोगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकायप्पएसा श्रोगाढा ?, नत्थि Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं // शतकं 13 : उद्देशकः 4 ] [461 एकोवि, केवतिया अहम्मत्थिकायप्पएसा योगाढा ? एको, केवतिया अागासथिकायप्पएसा योगाढा ?, एको केवतिया जीवत्थिकायप्पएसा प्रोगाढा ?, श्रणंता, केवतिया पोग्गलत्थिकायप्पएसा योगाढा ?, अणंता, केवतिया श्रद्धासपया ?, सिय श्रोगाढा सिय नो योगाढा जइ श्रोगाढा अणंता 35 / जत्थ णं भंते ! एगे अहम्मत्थिकायपएसे योगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकायप्पएसा श्रोगाढा ?, एको, केवतिया अहम्मत्थिकायप्पएसा योगाढा ?, नत्थि एकोवि, सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स 36 / जत्थ णं भंते ! एगे पागासत्थिकायपएसे योगाढे तत्थ केवतिया धम्मस्थिकायप्पएसा योगाढा ?, सिय योगाढा सिय नो श्रोगाढा, जइ श्रोगाढा एको, एवं श्रहम्मत्थिकायपएसावि, केवइया थागासस्थिकायप्पएसा योगाढा ?, नत्थि एकोवि, केवतिया जीवस्थिकायप्पएसा योगाढा ?, सिय श्रोगाढा सिय नो योगाढा, जइ श्रोगाढा अणंता, एवं जाव श्रद्धासमया 37 / जत्थ णं भंते ! एगे जीवत्थिकायपएसे श्रोगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकायप्पएसा श्रोगाढा ?, एको, एवं अहम्मत्थिकायप्पएसा प्रोगाढा, एवं श्रागासत्थिकायपएसावि, केवतिया जीवत्थिकायप्पएसा योगाढा ?, अणंता, सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स 38 / जत्थ णं भंते ! एगे पोग्गलत्थिकायपएसे श्रोगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकायप्पएसा प्रोगाढा ?, एवं जहा जीवत्थिकायपएसे तहेव निरवसेसं 31 / जस्थ णं भंते ! दो पोग्गलस्थिकायपदेसा श्रोगाढा तत्थ केवतिया धम्मत्थिकायप्पएसा योगाढा ?, सिय एको सिय दोन्नि, एवं अहम्मत्थिकायस्सवि, एवं श्रागासथिकायस्सवि, सेसं जहा धम्मस्थिकायस्स 40 / जत्थ णं भंते ! तिन्नि पोग्गलत्थिकायप्पएसा योगाढा तत्थ केवइया धम्मत्थिकायप्पएसा योगाढा ?, सिय एको सिय दोन्नि सिय तिन्नि, एवं अहम्मत्थिकायस्सवि, एवं श्रागासथिकायस्सवि, सेसं जहेव दोराहं, एवं एक्केको पड्डियव्वो पएसो थाइल्लएहिं तिहिं अस्थिकाएहि, सेसं जहेव दोरहं जाव दसराहं सिय एको सिय दोन्नि Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 462 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः सिय तिनि जाव सिय दस, संखेजाणं सिय एको सिय दोन्नि जाव सिय दस सिय संखेजा, असंखेजाणं सिय एको जाव सिय संखेजा सिय असंखेजा, जहा असंखेजा एवं अणंतावि 41 / जत्थ णं भंते ! एगे श्रद्धासमए योगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकायप्पएसा श्रोगाढा ?, एको, केवतिया अहम्मत्थिकायप्पएसा योगाढा ?, एको, केवतिया अागासत्थिकायप्पएसा योगाढा ?, एको, केवतिया जीवत्थिकायप्पएसा योगाढा ?, अणंता, एवं जाव श्रद्धासमया 42 / जत्थ णं भंते ! धम्मस्थिकाए योगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकायप्पएसा योगाढा ?, नत्थि एकोवि, केवतिया अहम्मथिकायप्पएसा योगाढा ?, असंखेजा, केवतिया भागासस्थिकायप्पएसा ोगाढा ?, असंखेजा, केवतिया जीवस्थिकायप्पएसा ?, अणंता, एवं जाव श्रद्धासमया 43 / जत्थ णं. भंते ! अहम्मत्थिकाए योगाढे तत्थ केवतिया धम्मस्थिकायप्पएसा योगाढा ?, असंखेजा, केवतिया ग्रहम्मस्थिकायप्पएसा योगाढा ?, नत्थि एकोवि, सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स, एवं सव्वे, सट्टाणे नत्थि एकोवि भाणियव्वं, परट्ठाणे श्रादिलगा तिन्नि असंखेजा भाणियबा, पच्छिल्लगा तिन्नि अणंता भाणियव्या जाव अद्भासमयोत्ति जाव केवतिया श्रद्धासमया श्रोगाढा नत्थि एकोवि 44 // सूत्रं 483 // जत्थ णं भंते ! एगे पुढविकाइए योगाढे तत्थ णं केवतिया पुढविकाइया योगाढा ?, असंखेजा 1 / केवतिया अाउकाइया योगाढा ?, असंखेजा 2 / केवइया तेउकाइया योगाढा ?, असंखेजा 3 / केवइया वाउकाइया योगाढा ?, असंखेजा 4 / केवतिया वणस्सइकाइया योगाढा ?, अणंता 5 / जत्थ णं भंते ! एगे थाउकाइए योगाढे तत्थ णं केवतिया पुढविकाइया योगाढा असंखेजा 6 / केवतिया अाउकाइया श्रोगाढा असंखेजा 7 / एवं जहेव पुढविकाइयाणं वत्तव्वता तहेव सव्वेसिं निरवसेसं भाणियव्वं जाव वणस्सइकाइयाणं जाव केवतिया वणस्सइकाइया योगाढा ?, अणंता Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 13 : उद्देशकः 4 ] [ 463 8 ॥सूत्रं 484 // एयंसि णं भंते ! धम्मस्थिकायंसि अधम्मत्थिकायंसि श्रागासस्थिकायंसि चकिया केई श्रासइत्तए वा चिट्टित्तए वा निसीइत्तए वा तुइट्टित्तए वा ?, नो इण? समढे, अणंता पुण तत्थ जीवा योगाढा 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ एतसि णं धम्मत्थिकायंसि जाव भागासथिकायंसि णो चक्किया केई श्रासइत्तए वा जाव अोगाढा ?, गोयमा ! से जहा नामए-कूडागारसाला सिया दुहयो लित्ता गुत्ता गुत्तदुवारा जहा रायप्पसेणइज्जे जाव दुवारवयणाई पिहेइ 2 तीसे कूडागारसालाए बहुमज्झदेसभाए जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं पदीवसहस्सं पलीवेजा, से नूणं गोयमा ! तायो पदीवलेस्सायो अन्नमन-संबद्धायो अन्नमन्न-पुटायो जाव अन्नमन-घडताए चिट्ठांति ?, हंता चिट्ठांति, चकिया णं गोयमा ! केई तासु पदीवलेस्सासु श्रासइत्तए वा जाव तुयट्टित्तए वा ?, भगवं ! को तिण? सम?, अणंता पुण तत्थ जीवा योगाढा, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुबइ जाव योगाढा 2 // सूत्रं 485 // कहि णं भंते ! लोए बहुसमे ? कहि णं भंते ! लोए सव्वविग्गहिए पराणत्ते ?, गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उवरिम-हेट्ठिल्लेसु खुड्डाग-पयरेसु एत्थ णं लोए बहुसमे एत्थ णं लोए सव्वविग्गहिए पराणत्ते 1 / कहि णं भंते ! विग्गह-विग्गहिए लोए पराणत्ते ?, गोयमा ! विग्गहकंडए एत्थ णं विग्गहविग्गहिए लोए पराणत्ते 2 // सूत्रं 486 // किसंठिए णं भंते ! लोए परणत्ते ?, गोयमा ! सुपइट्ठिय-संठिए लोए पराणत्ते, हेट्ठा विच्छिन्ने मझे जहा सत्तमसए पदमुद्दे से जाव अंतं करेति 1 / एयस्स णं भंते ! अहेलोगस्स तिरियलोगस्स उड्ढलोगस्स य कयरे 2 हिंतो जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सम्वत्थोवे तिरियलोए उड्डलोए असंखेजगुणे अहेलोए विसेसाहिए 2 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरति // सूत्रं 487 // // इति त्रयोदशमशतके चतुर्थ उद्देशकः // 13-4 // माझे जहा सत्तास्थलोगस्स उडलोगली उडलोए असा सूत्र 487 // Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 464 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः // अथ त्रयोदशमशतके आहाराभिधः पञ्चमोद्देशकः॥ नेरइया णं भंते ! किं सचित्ताहारा अचित्ताहारा मीसाहारा ?, गोयमा ! नो सचित्ताहारा अचित्ताहारा नो मीसाहारा, एवं असुरकुमारा, पढमो नेरइयउद्दे सो निरवसेसो भाणियव्वो 1 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरति 2 // सूत्रं 488 // 13-5 // // अथ त्रयोदशमशतके उपपाताख्यः षष्ठोद्देशकः॥ .. रायगिहे जाव एवं वयासी-संतरं भंते ! नेरतिया उववज्जंति निरंतरं नेरइया उववज्जति ?, गोयमा ! संतरंपि नेरइया उववज्जति निरंतरंपि नेरइया उववज्जति 1 / एवं असुरकुमारावि 2 / एवं जहा गंगेये तहेव दो दंडगा जाव संतरंपि वेमाणिया चयंति निरंतरंपि वेमाणिया चयंति 3 / // सूत्र 486 // कहिन्नं भंते ! चमरस्स असुरिंदस्स असुररन्नो चमरचंचा नामं श्रावासे पराणत्ते ? गोयमा ! जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं तिरियमसंखेज्जे दीवसमुद्दे एवं जहा बितियए सभाए उद्देसए वत्तव्वया सच्चेव अपरिसेसा नेयव्या नवरं इमं नाणत्तं जाव तिगिच्छकुंडस्स उप्पायपव्वयस्स चमरचंचाए रायहाणीए चमरचंचस्स श्रावासपव्वयस्स अन्नेसिं च बहूणं सेसं तं चेव जाव तेरस य अंगुलाई श्रद्धंगुलं च किंचिविसेसाहियं परिक्खेवेणं, तीसे णं चमरचंचाए रायहाणीए दाहिणपञ्चच्छिमेणं छक्कोडिसए पणपन्नं च कोडीयो पणतीसं च सयसहस्साइं पन्नासं च सहस्साइं अरुणोदगसमुद्दतिरियं वीइवइत्ता एस्थ णं चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररनो चमरचंचे नामं श्रावासे पराणत्ते, चउरासीइं जोयणसहस्साई अायामविक्खंभेणं दो जोयणसयसहस्सा पन्नडिं च सहस्साई छञ्चबत्तीसे जोयणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं, से णं एगेणं पागारेणं सव्वयो समंता संपरिक्खित्ते, Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ से गां पागारे दिवा सभाविहणा जाव चव आवासे वह श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र " शतकं 13 : उद्देशकः 6 ] [465 से णं पागारे दिवड्ड जोयणसयं उड्ड उच्चत्तेणं एवं चमरचंचाए रायहाणीए वत्तव्वया भाणियव्वा सभाविहूणा जाव चत्तारि पासायपंतीयो 1 / चमरे णं भंते ! असुरिंदे असुरकुमारराया चमरचंचे आवासे वसहि उवेति ?, नो तिण? सम? 2 / से केणं खाइ अटेणं भंते ! एवं वुच्चइ चमरचंचे आवासे 2 ?, गोयमा ! से जहानामए-इहं मणुस्सलोगंसि उवगारिय-लेणाइ वा उज्जाणिय-लेणाइ वा णिजाणिय-लेणाइ वा धारिवारिय-लेणाइ वा तत्थ णं बहवे मणुस्सा य मणुस्सीयो य श्राप्तयंति सयंति जहा रायप्पसेणइज्जे जाव कल्लाणफल-वित्तिविसेसं पचणुब्भवमाणा विहरंति अन्नत्थ पुण वसहिं उवेंति, एवामेव गोयमा ! चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररनो चमरचंचे श्रावासे केवलं किड्डारतिपत्तियं अन्नत्थ पुण वसहि उति, से तेणढेणं जाव अावासे 3 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरइ 4 // सूत्रं 410 // तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ रायगिहायो नगरायो गुणसिलायो जाव विहरइ 1 / तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नामं नयरी होत्था वन्नो पुन्नभद्दे चेइए वन्नयो, तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कदाइ पुवाणुपुरि चरमाणे जाव विहरमाणे जेणेव चंपा नगरी जेणेव पुनभद्दे चेतिए तेणेव उवागच्छति 2 जाव विहरइ 2 / तेणं कालेणं 2 सिंधुसोवीरेसु जणवएसु वीतीभए नामं नगरे होत्था वन्नयो 3 / तस्स णं वीतीभयस्स नगरस्स बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए एत्थ णं मियवणे नामं उजाणे होत्था सव्वोउय-पुप्फ-फल-समिद्धे वनश्रो 4 / तत्थ णं वीतीभए नगरे उदायणे नामं राया होत्या महया वनो 5 / तस्स णं उदायणस्स रनो पभावती नामं देवी होत्था सुकुमालपाणिपाया वन्नयो 5 / तस्स णं उदायणस्स रन्नो पुत्ते पभावतीए देवीए अत्तए अभीतिनामं कुमारे होत्था सुकुमाल जहा सिवभद्दे जाव पच्चुवेक्खमाणे विहरति 6 / तस्स णं उदायणस्स स्नो नियए भायणेज्जे केसीनामं कुमारे होत्था Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 466 ] ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः सुकुमाल जाव सुरूवे, से णं उदायणे राया सिंधुसोवीरप्पामोक्खाणं सोलसराहं जणवयाणं वीतीभयप्पामोक्खाणं तिराहं तेसट्ठीणं नगरागरसयाणं (नगरसयाणं) महसेणप्पामोक्खाणं दसराहं राईणं बद्धमउडाणं विदिन-छत्तचामर-बालवीयणाणं अन्नेसिं च बहूणं राईसर-तलवर जाव सत्थवाहप्पभिईणं आहेवच्चं जाव कारेमाणे पालेमाणे समणोवासए अभिगयजीवाजीवे जाव विहरइ 7 / तए णं से उदायणे राया अन्नया कयाइ जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ जहा संखे जाव विहरइ 8 / तए णं तस्स उदायणस्स रन्नो पुव्वरत्तावरत्त-कालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अब्भत्थिए जाव समुप्पजित्था-धन्ना णं ते गामागर-नगर-खेड-कबड-मडंबदोणमुह-पट्टणासम-संबाह-सन्निवेसा जत्थ णं समणे भगवं महावीरे विहरइ, धन्ना णं ते राईसर-तलवर जाव सत्थवाहप्पभिईयो जे णं समणं भगवं महावीरं वंदंति नमसंति जाव पज्जुवासंति, जइ णं समणे भगवं महावीरे पुव्वाणुपुब्बिं चरमाणे गामाणुगामं जाव विहरमाणे इहमागच्छेजा इह समोसरेजा इहेव वीतीभयस्स नगरस्स बहिया मियवणे उजाणे अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिरिहत्ता संजमेणं तवसा जाव विहरेजा तो णं अहं समणं भगवं महावीरं वंदेजा नमसेजा जाव पज्जुवासेजा 1 / तएं णं समणे भगवं महावीरे उदायणस्स रन्नो अयमेयारूवं अब्भत्थियं जाव समुप्पन्नं वियाणित्ता चंपायो नगरीयो पुन्नभदायो चेइयायो पडिनिक्खमति 2 पुवाणुपुब्बिं चरमाणे गामाणुगाम दूइज्जमाणे जाव विहरमाणे जेणेव सिंधुसोवीरे जणवए जेणेव वीतीभये णगरे जेणेव मियवणे उजाणे तेणेव उवागच्छति 2 जाव विहरति 10 / तए णं वीतीभये नगरे सिंघाडग जाव परिसा पज्जुवासइ 11 / तए णं से उदायणे राया इमीसे कहाए लट्ठ समाणे हट्टतुट्टहियये कोडबियपुरिसे सदावेति 2 एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! बीयोभयं नगरं सभितरबाहिरियं जहा कूणियो उववाइए Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 13 : उद्देशका 6 ] / 467 जाव पज्जुवासति, पभावतीपामोक्खायो देवीयो तहेव जाव पज्जुवासंति, धम्मकहा 12 / तए णं से उदायणे राया समणस्स भगवश्रो महावीरस्स अंतियं धम्मं सोचा निसम्म हट्टतु? उट्ठाए उ?ई 2 समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो जाव नमंसित्ता एवं वयासी-एवमेयं भंते ! तहमेयं भंते ! जाव से जहेयं तुज्झे वदहत्तिकटटु जं नवरं देवाणुप्पिया ! अभीयिकुमारं रज्जे प्रवेमि 13 / तए णं अहं देवाणुप्पियाणं अंतिए मुडे भवित्ता जाव पव्ययामि, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह 14 / तए णं से उदायणे राया समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे हट्टतु? समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति 2 तमेव श्राभिसेक्कं हत्थिं दुरूहइ 2 त्ता समणस्स भगवयो महावीरस्स अंतियायो मियवणायो उजाणाणो पडिनिक्खमति 2 जेणेव वीतीभये नगरे तेणेव पहारेत्थ गमणाए 15 / तए णं तस्स उदायणस्स रनो अयमेयारूवे अब्भस्थिए जाव समुप्पजित्थाएवं खलु अभीयीकुमारे ममं एगे पुत्ते इ8 कंते जाव किमंग पुण पासणयाए ?, तं जति णं अहं अभीयीकुमारं रज्जे ठावेत्ता समणस्स भगवयो महावीरस्स अंतियं मुंडे भवित्ता जाव पव्वयामि तो णं अभीयीकुमारे रज्जे य रट्टे य जाव जणवए माणुस्सएसु य कामभोगेसु मुच्छिए गिद्धे गढिए अझोववन्ने अणादीयं श्रणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंत-संसार-कंतारं अणुपरियट्टिस्सइ, तं नो खलु मे सेयं अभीयीकुमारं रज्जे ठावेत्ता समणस्स भगवयो महावीरस्स जाव पव्वइत्तए, सेयं खलु मे णियगं भाइणेज्जं केसि कुमारं रज्जे ठावेत्ता समणस्स भगवश्रो जाव पव्वइत्तए 16 / एवं संपेहेइ 2 जेणेव वीतीभये नगरे तेणेव उवागच्छइ 2 वीतीभयं नगरं मझमज्झेणं जेणेव सए गेहे जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ 2 श्राभिसेक्क हत्थिं वेति 2 श्राभिसेक्कायो हत्थीयो पचोरुभइ 2 जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छति 2 सीहासणवरंसि पुरस्थाभिमुहे निसीयति 2 कोडबियपुरिसे Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 468 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः // तृतीयो विभागः सद्दावेति 2 एवं क्यासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! वीतीभयं नगरं सभितर-बाहिरियं जाव पचप्पिणंति 17 / तए णं से उदायण राया दोच्चपि कोडुबियपुरिसे सदावेति 2 एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! केसिस्स कुमारस्त महत्थं 3 एवं रायाभिसेयो जहा सिवभदस्स कुमारस्स तहेव भाणियन्वो जाव परमाउं पालयाहि इट्ठजण-संपरिबुडे सिंधुसोवीर-पामोक्खाणं सोलसराहं जणवयाणं वीतीभय-पामोक्खाणं तिराहं तेसट्ठीणं नगरागरसयाणं महसेणप्पामोक्खाणं दसराहं राया णं अन्नेसिं च बहूणं राईसर जाव कारेमाणे पालेमाणे विहराहित्तिकटु जयजयसद्द पउंजंति 18 ।तए णं से केसीकुमारे राया जाए महया जाव विहरति 11 / तए णं से उदायणे राया केसिं रायाणं श्रापुच्छइ, तए णं से केसीराया कोडवियपुरिसे सदावेति एवं जहा जमालिस्स तहेव सभितरवाहिरियं तहेव जाव निक्खमणाभिसेयं उवट्ठवेति 20 / तए णं से केसीरायो अणेगगणणायग जाव संपरिबुडे उदायणं रायं सीहासणवरंसि पुरस्थाभिमुहे निसीयावेति 2 अट्ठसएणं सोवनियाणं एवं जहा जमालिस्स जाव एवं वयासीभण सामी ! किं देमो ? किं पयच्छामो ? किंणा वा ते अट्ठो ?, तए णं से उदायणे राया केसिं रायं एवं वयासी-इच्छामि | देवाणुप्पिया ! कुत्तियावणायो एवं जहा जमालिस्स नवरं पउमावती अग्गकेसे पडिच्छइ पियविप्पयोगदूसणा 21 / तए णं से केसी राया दोच्चपि उत्तरावकमणं सीहासणं रयावेति 2 उदायणं रायं सेयापीतएहिं कलसेहिं सेसं जहा जमालिस्स जाव सन्निसन्ने तहेव अम्मधाती नवरं पउमावती हंसलक्खणं पडसाडगं गहाय सेसं तं चेव जाव सीयायो पचोरुभति 2 जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ 2 समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो वंदति नमंसति 2 उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं अवक्कमति 2 सयमेव श्राभरणमल्लालंकारं तं चेव पउमावती पडिच्छति जाव घडियव्वं सामी ! जाव Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं // शतकं 13 :: उद्देशकः 6 ] [ 469 नो पमादेयव्वंतिकटु 22 / केसी राया पउमावती य समणं भगवं महावीरं वंदति नमसंति 2 जाव पडिगया 23 / तए णं से उदायणे राया सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं सेसं जहा उसमदत्तस्स जाव सव्वदुक्खप्पहीणे 24 / // सूत्रं 411 // तए णं तस्स अभीयिस्स कुमारस्स अन्नदा कयाइ पुव्वरत्तावरत्त-कालसमयसि कुडुबजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अब्भत्थिए जाव समुप्पजित्था एवं खलु अहं उदायणस्स पुत्ते पभावतीए देवीए अत्तए, तए णं से उदायणे राया ममं अवहाय नियगं भायणिज्ज केसिकुमारं रज्जे ठावेत्ता समणस्स भगवो जाव पव्वइए 1 / इमेणं एयारूवेणं महया अप्पत्तिएणं मणोमाणसिएणं दुक्खेणं अभिभूए समाणे अंतेपुर-परियाल-संपरिबुडे सभंड-मत्तोवगरणमायाए वीतीभयायो नयरायो पडिनिग्गच्छति 2 पुव्वाणुपुल्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे जेणेव चंपा नयरी जेणेव कूणिए रायो तेणेव उवागच्छति 2 कूणियं रायं उवसंपज्जित्ताणं विहरति, तत्थवि णं से विउलभोग-समिति-समन्नागए यावि होत्था 2 / तऐ णं से अभीयीकुमारे समणोवासए यावि होत्था, अभिगय जाव विहरइ, उदायणंमि रायरिसिंमि समणुबद्धवेरे यावि होत्था 3 / तेणं कालेणं 2 इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए निरय-परिसामंतेसु चोसर्व्हि असुरकुमारावास-सयसहस्सा पन्नत्ता, तए णं से अभीयीकुमारे बहूई वासाई समणोवासगपरियागं पाउणति 2 श्रद्धमासियाए संलेहणाए तीसं भत्ताई अणसणाए छेएइ 2 तस्स गणस्स श्रणालोइय-पडिक्कते कालमासे कालं किचा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयपरिसामंतेसु चोयट्ठीए पायावा जाव (अायावासुरकुमारावाससय) सहस्सेसु अन्नयरंसि यायावा असुरकुमारावासंसि असुरकुमारदेवत्ताए उववन्ने, तत्थ णं अत्थेगइयाणं पायावगाणं असुरकुमाराणं देवाणं एगं पलिग्रोवमं ठिई पत्नत्ता, तत्थ णं अभीयिस्सवि देवस्स एगं पलिग्रोवमं ठिई पन्नत्ता 4 / से णं भंते ! अभीयीदेवे तायो देवलोगायो बाउक्खएणं Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 470 ] ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभागः 3 अणंतरं उव्वेट्टित्ता कहिं गच्छिहिति ?, कहिं उववज्जिहिति ?, गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतं काहिति 5 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरति // सूत्रं 412 // // इति त्रयोदशमशतके षष्ठ उद्देशकः // 13-6 // // अथ त्रयोदशमशतके भाषाभिधः सप्तमोद्देशकः // रायगिहे जाव एवं वयासी-आया भंते ! भासा अन्ना भासा ?, गोयमा ! नो पाया भासा अन्ना भासा 1 / रूवि भंते ! भासा अरूवि भासा ?, गोयमा ! रूवि भासा नो अरूवि भासा 2 / सचित्ता भंते ! भासा अचित्ता भासा ?, गोयमा ! नो सचित्ता भासा अचित्ता भासा 3 / जीवा भंते ! भासा अजीवा भासा ?, गोयमा ! नो जीवा भासा अजीवा भासा 4 / जीवाणं भंते ! भासा अजीवाणं भासा ?, गोयमा ! जीवाणं भासा नो अजीवाणं भासा 5 / पुब्बिं भंते ! भासा भासिन्जमाणी भासा भासासमयवीतिक्कता भासा ?, गोयमा ! नो पुवि भासा भासिन्जमाणी भासा णो भासासमयवीतिक्कता भासा 6 / पुदि भंते ! भासा भिजति, भासिन्जमाणी भासा भिजति, भासासमयवीतिक्कता भासा भिजति ?, गोयमा ! नो पुवि भासा भिजति भासिज्जमाणी भासा भिजइ नो भासासमयवीतिवकता भासा भिजति 7 / कतिविहा णं भंते ! भासा पराणत्ता ?, गोयमा ! चउविहा भासा पराणत्ता, तंजहा-सच्चा मोसा सच्चामोसा असच्चामोसा 8 ॥सूत्रं 413 // पाया भंते ! मणे अन्ने मणे ?, गोयमा ! नो पाया मणे अन्ने मणे जहा भासा तहा मणेवि जाव नो अजीवाणं मणे 1 / पुदि भंते ! मणे मणिजमाणे मणे ?, एवं जहेव भासा 2 / पुब्बि भंते ! मणे भिजति मणिजमाणे मणे भिजति मणसमयवीतिक्कते मणे भिन्नति ?, एवं जहेव भासा 3 / कतिविहे णं भंते ! मणे पराणत्ते ?, गोयमा ! चउब्विहे मणे Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 13 :: उद्देशकः 7 ] [ 471 पन्नत्ते, तंजहा-सच्चे जाव असच्चामोसे 4 // सूत्रं 414 // पाया भंते ! काये अन्ने काये ?, गोयमा ! आयावि काये अन्नेवि काये 1 / रूविं भंते ! काये अरूविकाये ?, पुच्छा, गोयमा ! रूविपि काये अरूविपि काए 2 / एवं एक्कक्के पुच्छा, गोयमा ! सचित्तेवि काये अचित्तेवि काए, जीवेवि काए अजीवेवि काए, जीवाणवि काए अजीवाणवि काए 3 / पुवि भंते ! काये पुच्छा, गोयमा ! पुविपि काए कायिजमाणेवि काए कायसमयवीतिक्कतेवि काये 4 / पुदि भंते ! काये भिन्नति पुच्छा, गोयमा ! पुबिपि काए भिजति जाव काए भिजति 5 / कइविहे णं भंते ! काये पन्नते ?, गोयमा ! सत्तविहे काये पन्नत्ते, तंजहा-पोराले ओरालियमीसए वेउविए वेउब्वियमीसए थाहारए पाहारगमीसए कम्मए 6 // सूत्रं 415 // कतिविहे णं भंते ! मरणे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविहे मरणे पराणत्ते, तंजहाश्रावीचियमरणे श्रोहिमरणे आदितियमरणे बालमरणे पंडियमरणे 1 / आवीचियमरणे णं भंते ! कतिविहे पराणते ?, गोयमा / पंचविहे पराणत्ते, तंजहा-दव्वावीचियमरणे खेत्तावीचियमरणे कालावीचियमरणे भवावीचियमरणे भावावीचियमरणे 2 / दवावीचियमरणे णं भंते ! कतिविहे पराणते ?, गोयमा ! चउबिहे पराणत्ते, तंजहा-नेरइय-दव्वावीचियमरणे तिरिक्खजोणिय-दव्वावीचियमरणे मणुस्स-दव्यावीचियमरणे देव-दव्यावीचियमरणे 3 / से केणट्टणं भंते ! एवं वुच्चइ नेरइय-दव्वावीचियमरणे नेरइयदव्वावीचियमरणे ?, गोयमा ! जगणं नेरइया नेरइए दव्वे वट्टमाणा जाई दव्वाई नेरइयाउयत्ताए गहियाई बधाई पुट्ठाई कडाई पट्टवियाई निविट्ठाई अभिनिविट्ठाई अभिसमन्नागयाइं भवंति ताई दवाई श्रावीची अणुसमयं निरंतरं मरतित्तिकटु से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ नेरइय-दव्वावीचियमरणे 4 / एवं जाव देवदवावीचियमरणे 5 / खेत्तावीचियमरणे णं भंते ! कतिविहे पराणत्ते ?, गोयमा ! चउबिहे पण्णते, तंजहा–नेरइय-खेत्तावीचियमरणे Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 472 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः तृतीयो विभागः जाव देवखे तावीचियमरणे 6 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ नेरइय-खेत्तावीचियमरणे 2 ?, जगणं नेरइया नेरइयखेत्ते वट्टमाणा जाइं दवाई नेरइयाउयताए एवं जहेब दवावीचियमरणे तहेव खेत्तावीचियमरणेवि 7 / एवं जाव भावावीचियमरणे 8 / भोहिमरणे णं भंते ! कतिविहे पराणते ?, गोयमा ! पंचविहे पराणत्ते, तंजहा-दव्योहिमरणे खेत्तोहिमरणे जाव भावोहिमरणे 1 / दव्वोहिमरणे णं भंते ! कतिविहे पराणत्ते ?, गोयमा ! चउबिहे पराणत्ते, तंजहा-नेरइयदव्योहिमरणे जाव देवदव्वोहिमरणे 10 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ नेरइयदव्वोहिमरणे 2 ?, गोयमा ! जराणं नेरइया नेरइयदब्वे वट्टमाणा जाई व्वाइं संपयं मरंति जगणं नेरइयाताई दव्वाइं अणागए काले पुणोवि मरिस्संति से तेण?णं गोयमा ! जाव दव्वोहिमरणे 11 / एवं तिरिक्खजोणिय-दव्वोहिमरणे मणुस्सदव्वोहिमरणे देवदव्वोहिमरणेवि 12 / एवं एएणं गमेणं खेत्तोहिमरणेवि कालोहिमरणेवि भयोहिमरणेवि भावोहिमरणेवि 13 / अाइंतियमरणे णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-दव्वादितियमरो खेत्तादितियमरणे जाव भावादितियमरणे 14 / दवादितियमरणे णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! चउबिहे पन्नत्ते, तंजहा–नेरइयदव्वाइंतियमरणे जाव देवदव्यादितियमरणे 15 / से केणतुणं भंते ! एवं वुचइ नेरइय-दव्वादितियमरणे 2 ?, गोयमा ! जगणं नेरइया नेरइयदव्वे वट्टमाणा जाई दव्वाइं संपयं मरंति जेणं नेरइया ताई दव्वाइं अणागए काले नो पुणोवि मरिसंति से तेण?णं जाव मरणे 16 / एवं तिरिक्खजोणिय-दव्वादितिय-मरणे मणुस्सदव्यादितियमरणे देवदवाइंतियमरणे, एवं खेत्ताइंतियमरणेवि एवं जाव भावाइंतियमरणेवि 17 / बालमरणे णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुवालसविहे पनत्ते, तंजहा-वलयमरणं जहा खंदए जाव गद्धपट्टे 18 / पंडियमरणे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ?, गोयमा ! दुविहे पराणत्ते, तंजहा Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 13 : उद्देशकः 8-9 ] [ 473 पायोवगमणे य भत्तपञ्चक्खाणे य 11 / पायोवगमणे णं भंते ! कतिविहे पन्नते, गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-णीहारिमे य अनीहारिमे य जाव नियमं अपडिकम्मे 20 / भत्तपञ्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पनत्ते ?, एवं तं चेव नवरं नियमं सपडिकम्मे 21 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 22 // सूत्रं 416 // // इति त्रयोदशमशतके सप्तम उद्देशकः 13-7 // // अथं त्रयोदशमशतके कर्माभिधोऽष्टमोद्देशकः // ‘पयडीणं भेयठिई बंधोवि य इंदियाणुवाएणं / केरिसय जहन्नठिइं बंधइ. उक्कोसियं वावि // 1 // ' कति णं भंते ! कम्मपगडीयो पराणत्तायो ?, गोयमा ! अट्ठ कम्मपगडीयो पराणत्तागो एवं बंधट्टिइउद्देसो भाणियव्यो निरवसेसो जहा पन्नवणाए 1 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ 2 // सूत्रं 417 // 13-8 // . // अथ त्रयोदशमशतके केतघटिकाभिधः नवमोद्देशकः // . रायगिहे जाव एवं वयासी-से जहानामए–केइ पुरिसे केयाघडियं गहाय गच्छेजा, एवामेव अणगारेवि भावियप्पा केयाघडियाकिचहत्थगएणं अप्पाणेणं उ8 वेहासं उप्पाएजा ?, गोयमा ! हता उप्पाएजा 1 / अणगारे णं भंते ! भावियप्पा केवतियाई पभू केयाघडियाहत्थ-किच्चगयाई रूवाई विउवित्तए ?, गोयमा ! से जहानामए-जुवतिं जुवाणे हत्थेणं हत्थे एवं जहा तइयसए पंचमुद्देसए जाव नो चेव णं संपत्तीए विउविसु वा विउबिति वा विउविस्संति वा 2 / से जहानामए–केइ पुरिसे हिरनपेलं गहाय गच्छेन्जा एवामेव अणगारेवि भावियप्पा हिरगणपेल-हत्थकिचगएणं अप्पा Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 474 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः णेणं सेसं तं चेव, एवं सुवन्नपेलं एवं रयणपेलं वइरपेलं वत्थपेल पाभरणपेलं, एवं वियलकिड्ड (लं, डं) सुबकिड्ड चम्मकिड्ड कंबलकिड्ड, एवं अयभारं तंबभारं तउयभार सीसगभारं हिरन्नभारं सुवन्नभारं वइरभारं 3 / से जहानामए-वग्गुली सिया दोवि पाए उल्लंबिया 2 उट्टपादायहोसिरा चिट्ठजा एवामेव अणगारेवि भावियप्पा वग्गुलीकिञ्चगएणं अप्पाणेणं उ8 वेहासं, एवं जन्नोवइयवत्तव्वया भाणियव्वा जाव विउविस्संति वा 4 / से जहानामए -जलोया सिया उदगंसि कायं उविहिया 2 गच्छेजा एवामेव सेसं जहा वग्गुलीए 5 / से जहाणामए-बीयंबीयगसउणे सिया दोवि पाए समतुरंगेमाणे 2 गच्छेजा एवामेव अणगारे सेसं तं चेव 6 / से जहाणामएपक्खिविरालिए सिया रुक्खायो रुक्खं डेवेमाणे गच्छेजा एवामेव अणगारे सेसं तं चेव 7 / से जहानामए-जीवंजीवगसउणे सिया दोवि पाए समतुरंगेमाणे 2 गच्छेजा एवामेव अणगारे सेसं तं चेव 8 / से जहाणामएहंसे सिया तीरायो तीरं अभिरममाणे 2 गच्छेजा एवामेव श्रणगारे हंसकिच्चगएणं अप्पाणेणं तं चेव 1 / से जहानामए समुद्दवायसए सिया वीईयो वीइं डेवेमाणे 2 गच्छेजा एवामेव तहेव 10 / से जहानामए–केइ पुरिसे चक्कं गहाय गच्छेजा एवामेव अणगारेवि भावियप्पा चकहत्थकिचगएणं अप्पाणेणं सेसं जहा केयाघडियाए, एवं छत्तं एवं चामरं, (चम्म) 11 / से जहानामए–केइ पुरिसे रयणं गहाय गच्छेज्जा एवं चेव, एवं वइरं वेरुलियं जाव रिट्ठ 12 / एवं उप्पलहत्थगं एवं पउमहत्थगं एवं कुमुदहत्थगं एवं जाव से जहानामए-केइ पुरिसे सहस्सपत्तगं गहाय गच्छेजा एवं चेव, से जहानामए-केइ पुरिसे भिसं अवदालिय 2 गच्छेन्जा एवामेव अणगारेवि भिसकिञ्चगएणं अप्पाणेणं तं चेव 13 / से जहानामए–मुणालिया सिया उदगंसि कायं उम्मजिय 2 चिट्ठिजा एवामेव सेसं जहा वग्गुलीए 14 / से जहानामए-वणसंडे सिया किराहे किराहोभासे जाव निकुरु Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतक 14 : उद्देशकः 1 ] [ 475 बभूए पासादीए 4 एवामेव अणगारेवि भावियप्पा वणसंडकिचगएणं अप्पाणेणं उड्डे वेहासं उप्पाएजा सेसं तं चेव 15 / से जहानामए-पुक्खरणी सिया चउकोणा समतीरा अणुपुव्व-सुजाय जाव सदुन्नइय-महुरसर-णादिया पासादीया 4 एवामेव अणगारेवि भावियप्पा पोक्खरणीकिच्चगएणं अप्पाणेणं उड्ढ वेहासं उप्पराजा ?, हंता उप्पएन्जा 16 / अणगारे णं भंते ! भावियप्पा केवतियाइं पभू पोक्खरणीकिचगयाइं स्वाइं विउवित्तए ?, सेसं तं चेव जाव विउविस्संति वा 17 / से भंते ! किं मायी विउव्वति अमायी विउव्वति ?, गोयमा ! मायी विउव्वइ नो श्रमायी विउव्वइ, मायी णं तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कते एवं जहा तइयसए चउत्थुद्दे सए जाव अस्थि तस्स श्राराहणा 18 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव विहरइत्ति 11 // सूत्रं 418 // . // इति त्रयोदशमशतके नवम उद्देशकः // 13-9 // // अथ त्रयोदशमशतके समुद्घाताभिधः दशमोद्देशकः // . कति णं भंते ! छाउमत्थिय-समुग्घाया पन्नत्ता ?, गोयमा ! छ छाउमत्थिया समुग्घाया पन्नत्ता, तंजहा-वेयणा-समुग्घाए एवं छाउमस्थिय-समुग्घाया नेयव्वा जहा पन्नवणाए जाव श्राहारग-समुग्घायेत्ति 1 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरइ 2 // सूत्रं 411 // 13-10 // तेरसमं सयं समत्तं // // इति त्रयोदशमं शतकम् // 13 // // अथ चतुर्दशमशतके चरमाभिधः प्रथमोद्देशकः // ___ चर 1 उम्माद 2 सरीरे 3 पोग्गल 4 अगणी 5 तहा किमाहारे * 6 / संसिट्ठ 7 मंतरे खलु 8 श्रणगारे 1 केवली चेव 10 // 1 // Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 476 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः रायगिहे जाव एवं वयासी-अणगारे णं भंते ! भावियप्पा चरमं देवावासं वीतिक्कते परमं देवावासमसंपत्ते एत्थ णं अंतरा कालं करेजा तस्स णं भंते ! कहिं गती कहिं उववाए पन्नत्ते ?, गोयमा ! जे से तत्थ परियस्सयो तल्लेसा देवावासा तहिं तस्स उववाए पन्नत्ते, से य तत्थ गए विराहेजा कम्मलेस्सामेव पडिमडइ, से य तत्थ गए नो विराहेजा एयामेव लेस्सं उवसंपजित्ताणं विहरति 1 / अणगारे णं भंते ! भावियप्पा चरमं असुरकुमारावासं वीतिक्कते परमअसुरकुमारासंपत्ते, एवं चेव एवं जाव थणियकुमारावासं जोइसियावासं एवं वेमाणियावासं जाव विहरइ 2 / // सूत्रं 500 // नेरइयाणं भंते ! कहं सीहा गती कहं सीहे गतिविसए पराणत्ते ?, गोयमा ! से जहानामए केइ पुरिसे तरुणे बलवं जुगवं जाव निउण-सिप्पोवगए श्राउट्टियं बाहं पसारेजा पसारियं वा बाहं अाउंटेजा विक्खिगणं वा मुट्ठि साहरेजा साहरियं वा मुट्ठि विक्खिरेजा उन्निमिसियं वा अच्छि निम्मिसेज्जा निम्भिसियं वा अछि उम्मिसेजा, भवे. एयारूवे ?, णो तिण? सम8, नेरइया णं एगसमएण वा दुसमएण वा तिसमएण वा विग्गहेणं उववज्जंति, नेरइयाणं गोयमा ! तहा सीहा गती तहा सीहे गतिविसए पराणत्ते एवं जाव वेमाणियाणं, नवरं एगिदियाणं चउसमइए विग्गहे भाणियव्वे, सेसं तं चेव // सूत्रं 501 // नेरइया णं भंते ! कि अणंतरोववन्नगा परंपरोववन्नगा अणंतर-परंपर-अणुववनगा ?, गोयमा ! नेरइया अणंतरोववन्नगावि परंपरोववन्नगावि अणंतरपरंपर-श्रणुववन्नगावि 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जाव अणंतरपरंपर-अणुववन्नगावि ?, गोयमा ! जे णं नेरइया पढमसमयोववन्नगा ते णं नेरइया अणंतरोववन्नगा, जे णं नेरइया अपढम-समयोववन्नगा ते णं नेरइया परंपरोववन्नगा, जे णं नेरइया विग्गहगइ-समावन्नगा ते णं नेरइया अणंतरपरंपर-अणुववन्नगा, से तेण?णं जाव अणुववन्नगावि 2 / एवं निरंतरं जाव वेमाणिया 1, 3 / Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 14 :: उद्देशका 1] [477 अणंतरोववन्नगा णं भंते ! नेरइया किं नेरइयाउयं पकरेंति तिरिक्खजोणियाउयं माणुस्साउयं देवाउयं पकरेंति ?, गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति जाव नो देवाउयं पकरेंति 4 / परंपरोववन्नगा णं भंते ! नेरइया कि नेरइयाउयं पकरेंति जाव देवाउयं पकरेंति ?, गोयमा ! नो नेरझ्याउयं पकरेंति तिरिक्खजोणियाउयंपि पकरेंति मणुस्माउयंपि पकरेंति नो देवाउयं पकरेंति 5 / अणंतरपरंपर-अणुववन्नगा णं भंते ! नेरइया किं नेरइयाउयं पकरेंति पुच्छा, नो नेरझ्याउयं पकरेंति जाव नो देवाउयं पकरेंति 6 / एवं जाव वेमाणिया, नवरं पंचिंदियतिरिक्खजोणिया मणुस्सा य परंपरोववन्नगा चत्तारिवि ग्राउयाइं पन्नत्ताई, सेसं तं चेव 2, 7 / नेरइया णं भंते ! किं अणंतरनिग्गया परंपरनिग्गया अनंतरपरंपर-निग्गया ?, गोयमा ! नेरझ्या णं अणंतरनिग्गयावि जाव अणंतरपरंपर-निग्गयावि 8 / से केण?णं जाव अणिग्गयावि ?, गोयमा ! जे णं नेरइया पढमसमयनिग्गया ते णं नेरइया अणंतरनिग्गया, जे णं नेरइया अपढमसमयनिग्गया ते णं नेरइया परंपरनिग्गया, जे णं नेरइया विग्गहगतिसमावनगा ते णं नेरइया अणंतरपरंपरणिग्गया, से तेण?णं गोयमा ! जाव अणिग्गयावि, एवं जाव वेमाणिया 3, 1 / अणंतरनिग्गया णं भंते ! नेरझ्या किं नेरइयाउयं पकरेंति जाव देवाउयं पकरेंति ?, गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति जाव नो देवाउयं पकरेंति 10 / परंपरनिग्गया णं भंते ! नेरइया कि नेरइयाउयं पकरेंति ?, पुच्छा, गोयमा ! नेरइयाउयंपि पकरेंति जाव देवाउयंपि पकरेंति 11 / अणंतरपरंपर-अणिग्गया णं भंते ! नेरइया पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति जाव नो देवाउयं पकरेंति, एवं निरवसेसं जाव वेमाणिया 4, 12 / नेरझ्या णं भंते! किं अणंतरं खेदोववनगा परंपर-खेदोववन्नगा श्रणंतरपरंपर-खेदाणुववन्नगा ?, गोयमा ! नेरइया, एवं एएणं अभिलावेणं तं चेव चत्तारि दंडगा भाणियव्वा 13 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरइ 14 ॥सूत्रं 502 // चोदसमसयस्स पढमो // 5 ॥इति चतुर्दशमशतके प्रथम उद्देशकः // 14-1 // Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 478 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु : तृतीयो विभागः / / अथ चतुर्दशमशतके उन्मादाभिधः द्वितीयोद्देशकः॥ कतिविहे णं भंते ! उम्मादे पराणत्ते ?, गोयमा ! दुविहे उम्मादे पराणत्ते, तंजहा-जक्खावेसे य मोहणिजस्स य कम्मस्त उदएणं, तत्थ णं जे से जक्खाएसे से णं सुहवेयणतराए चेव सुहविमोयणतराए चेव, तत्थ णं जे से मोहणिजस्स कम्मस्स उदएणं से णं दुहवेयणतराए चेव दुहविमोयणतराए चेव 1 / नेरइयाणं भंते ! कतिविहे उम्मादे पराणत्ते ?, गोयमा ! दुविहे उम्मादे पराणत्ते, तंजहा-जक्खावेसे य मोहणिजस्स य कम्मस्स उदएणं 2 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ नेरइयाणं दुविहे उम्मादे पराणत्ते, तंजहा-जक्खावेसे य मोहणिजस्स जाव उदएणं ?, गोयमा ! देवे वा से असुभे पोग्गले पक्खिवेजा, से णं तेसिं असुभाणं पोग्गलाणं पक्खिवणयाए जक्खाएसं उम्मादं पाउणेजा, मोहणिजस्स वा कम्मस्स उदएणं मोहणिज्जं उम्मायं पाउणेजा, से तेण?णं जाव उम्माए 3 / असुरकुमाराणं भंते ! कतिविहे उम्मादे पराणत्ते ?, एवं जहेव नेरइयाणं, नवरं देवे वा से महिड्डीयतराए असुभे पोग्गले पक्खिवेजा से णं तेसिं असुभाणं पोग्गलाणं पविखवणयाए जक्खाएसं उम्मादं पाउणेजा मोहणिजस्स वा सेसं तं चेब, से तेण?णं जाव उदएणं 4 / एवं जाव थणियकुमाराणं, पुढविकाइयाणं जाव मणुस्साणं एएसि जहा नेरइयाणं, वाणमंतरजोइसवेमाणियाणं जहा असुरकुमाराणं 5 // सूत्रं 503 // अस्थि णं भंते ! पजन्ने कालवासी वुट्टिकायं पकरेंति ?, हंता अत्थि 1 / जाहे णं भंते ! सक्के देविंदे देवराया वुट्टिकायं काउकामे भवति से कहमियाणिं पकरेति ?, गोयमा ! ताहे चेव णं से सक्के देविंदे देवराया अभितरपरिसए देवे सदावेति, तए णं ते अभितरपरिसगा देवा सदाविया समाणा मज्झिमपरिसए देवे सदावेंति, तए णं ते मझिमपरिसगा देवा सदाविया समाणा बाहिरपरिसए देवे सदावेंति, तए णं ते बाहिरपरिसगा देवा सदाविया समाणा बाहिरं बाहिरगा देवा संहावेंति, Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतक 14 :: उद्देशकः 2 ) [ 476 तए णं ते बाहिरगा देवा सद्दाविया समाणा श्राभियोगिए देवे सहावेंति, तए णं ते जाव सदाविया समाणा बुट्टिकाए देवे सहावेंति, तए णं ते बुट्टिकाइया देवा सद्दाविया समाणा वुट्टिकायं पकरेंति, एवं खलु गोयमा ! सक्के देविंदे देवराया बुट्टिकायं पकरेंति 2 / अस्थि णं भंते ! असुरकुमारावि देवा बुट्टिकायं पकरेंति ?, हंता अस्थि, किं पत्तियन्नं भंते ! असुरकुमारा देवा वुट्टिकायं पकरेंति ?, गोयमा ! जे इमे अरहंता भगवता एएसि णं जम्मणमहिमासु वा निक्खमणमहिमासु वा गाणुप्पायमहिमासु वा परिनिव्वाणमहिमासु वा एवं खलु गोयमा ! असुरकुमारावि देवा बुट्टिकायं पकरेंति 3 / एवं नागकुमारावि, एवं जाव थणियकुमारा वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिय एवं चेव 4 // सूत्रं 504 // जाहे णं भंते ! ईसाणे देविंदे देवराया तमुक्कार्य काउकामे भवति से कहमियाणिं पकरेति ?, गोयमा ! ताहे चेव णं से ईसाणे देविंदे देवराया अभितरपरिसए देवे सदावेति, तए णं ते अभितरपरिसगा देवा सदाविया समाणा, एवं जहेव सकस्स जाव तए णं ते श्राभियोगिया देवा सद्दाविया समाणा तमुक्काइए देवे सद्दावेंति, तए णं ते तमुकाइया देवा सदाविया समाणा तमुक्कायं पकरेंति, एवं खलु गोयमा ! ईसाणे देविंदे देवराया तमुक्कायं पकरेंति 1 / अस्थि णं भंते ! असुरकुमारावि देवा तमुकायं पकरेंति ?, हंता अत्थि। किं पत्तियन्नं भंते ! असुरकुमारा देवा तमुक्कायं पकरेंति ?,गोयमा किड्डारति-पत्तियं वा पडिणीय-विमोहणट्टयाए वा गुत्ती-संरक्खणहेउं वा अप्पणो वा सरीर-पच्छायणट्टयाए, एवं खलु गोयमा ! असुरकुमारावि देवा तमुक्कायं पकरेंति एवं जाव वेमाणिया 2 / सेवं भंते 2 त्ति जाव विहरइ 3 // सूत्रं 505 // // इति चतुर्दशमशतके द्वितीय उद्देशकः // 14-2 // - - Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 480 / ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः // अथ चतुर्दशमशतके शरीराभिधः तृतोयोद्देशकः // देवे णं भंते ! महाकाए महासरीरे अणगारस्स भावियप्पणो मज्झमज्झेणं वीइवएजा ?, गोयमा ! अत्थेगइए वीइवएजा अत्यंगतिए नो वीइभएजा 1 / से केण? णं भंते ! एवं वुच्चइ अत्थेगतिए वीइवएजा अत्थेगतिए नो वीइवएजा ?, गोयमा ! दुविहा देवा पराणत्ता, तंजहा-मायी. मिच्छादिट्ठी-उववन्नगा य अमायी-सम्मदिट्ठी-उववन्नगा य, तत्थ णं जे से मायी मिच्छट्ठिी उववन्नए देवे से णं अणगारं भावियप्पाणं पासइ 2 नो वंदति नो नमसति नो सक्कारेति नो कलाणं मंगलं देवयं चेइयं जाव पज्जुवासति, से णं अणगारस्स भावियप्पणो मज्झमज्झेणं वीइवएजा, तत्थ णं जे से अमायी सम्मदिट्ठि-उववन्नए देवे से णं अणगारं भावियप्पाणं पासइ पासित्ता वंदति नमंसति जाव पज्जुवासति, से णं अणगारस्म भावियप्पणो मझमझेणं नो वीयीवएजा, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ जाव नो वीइवएजा 2 / असुरकुमारे णं भंते ! महाकाये महासरीरे एवं चेव एवं देवदंडयो भाणियव्वो जाव वेमाणिए 3 // सूत्रं 506 // अस्थि णं भंते ! नेरइयाणं सकारेति वा सम्माणेति वा किकम्मेइ वा यन्भुटाणेइ वा ग्रंज. लिपग्गहेति वा पासणाभिग्गहेति वा पासणाणुप्पदाणेति वा इंतस्स पच्चुग्गच्छणया ठियस्स पज्जुवासण्या गच्छंतस्स पडिसंसाहणया ?, नो तिण? समढे 1 / अस्थि णं भंते ! असुरकुमाराणं सकारेति वा सम्माणेति वा जाव पडिसंसाहणया वा ?, हंता अत्थि, एवं जाव थणियकुमाराणं, पुढविकाइयाणं जाव चरिंदियाणं एएसिं जहा नेरइयाणं 2 / अस्थि णं भंते ! पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं सकारेइ वा जाव पडिसंसाहणया ?, हंता अस्थि, नो चेव णं श्रासणाभिग्गहेइ वा पासणाणुप्पयाणेइ था, मगुस्साणं जाव वेमाणियाणं जहा असुरकुमाराणं 3 // सूत्रं 507 // अप्पड्डीए णं भंते ! देवे महड्डियस्स देवस्स मज्झमझेणं वीइवएजा ?, नो तिण? सम? 1 / Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 14 :: उद्देशकः 4 ] [481 समिट्टीए णं भंते ! देवे समड्डियस्स देवस्स मज्झमझेणं वीइवएजा ? णो इणमढे सम?, पमत्तं पुण वीइवएजा 2 / से णं भंते ! किं सत्येणं श्रवकमित्ता पभू अणकमित्ता पभू ?, गोयमा ! अवकमित्ता पभू नो अणकमित्ता पभू 3 / से णं भंते ! किं पुब्बिं सत्थेणं अक्कमित्ता पच्छा वीयीवएजा पुचि वीईवएजा पच्छा सत्थेणं अकमेजा ?, एवं एएणं अभिलावेणं जहा दसमसए अाइड्डी-उद्दे सए तहेव निरवसेसं चत्तारि दंडगा भाणियव्वा जाव महडिया वेमाणिणी अप्पड्डियाए वेमाणिणीए 4 // सूत्रं 508 // रयणप्पभापुढविनेरइया णं भंते ! केरिसियं पोग्गलपरिणामं पञ्चणुब्भवमाणा विहरंति ?, गोयमा ! अणिटुं जाव अमणामं एवं जाव अहेसत्तमा-पुढविनेरइया 1 / एवं वेदणापरिणाम एवं जहा जीवाभिगमे वितिए नेरइयउद्दे सए जाव आहेसत्तमा-पुढविनेइरया णं भंते ! केरिसयं परिग्गहसन्नापरिणामं पचणुब्भवमाणा विहरंति ?, गोयमा ! अणिटुंजाव अमणामं 2 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ // सूत्रं 501 // // इति चतुर्दशमशतके तृतीय उद्देशकः // 14-3 // .. // अथ चतुर्दशमशतके पुद्गलाभिधः चतुर्थोद्देशकः // __"पोग्गल 1 खंधे 2 जीवे 3 परमाणू 4 सासए य 5 चरमे य। दुविहे खलु परिणामे अजीवाणं च जीवाणं 6 // 1 // " एस णं भंते ! पोग्गले तीतमणंतं सासयं समयं लुक्खी समयं अलुक्खी समयं लुक्खी वा अलुक्खी वा ? पुदि च णं करणेणं अणेगवन्नं श्रोगरूवं परिणाम परिणमति ?, अह से परिणामे निजिन्ने भवति तो पच्छा एगवन्ने एगरूवे सिया ?, हंता गोयमा ! एस णं पोग्गले तीते तं चेव जाव एगरूवे सिया 1 / एस णं भंते ! पोग्गले पडुप्पन्नं सासयं समयं ? एवं चेव, एवं श्रणागयमणंतंपि 2 / एस णं भंते ! खंधे तीतमणंतं ? एवं चेव खंधेवि जहा Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 482 ] -- [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः पोग्गले 3 ॥सूत्रं 510 // एस णं भंते ! जीवे तीतमणतं सासयं समयं दुक्खी समयं अदुक्खी समयं दुक्खी वा अदुक्खी वा ?, पुचि च करणेणं अणेगभूयं परिणामं परिणमइ ग्रह से वेयणिज्जे निजिन्ने भवति तयो पच्छा एगभावे एगभूए सिया ?, हंता गोयमा ! एस णं जीवे जाव एगभूए सिया, एवं पडप्पन्नं सासयं समयं, एवं अणागयमणंतं सासयं समयं / / सूत्रं 511 // परमाणुपोग्गले णं भंते ! किं सासए असासए ?, गोयमा ! सिय सासए सिय श्रसासए 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुचइ सिय सासए सिय असासए ?, गोयमा ! दव्वट्ठयाए सासए वन्नपज्जवेहिं जाव फासपज्जवेहिं असासए से तेणढणं जाव सिय सासए सिय असासए 2 // सूत्रं 512 // परमाणुपोग्गले णं भंते ! किं चरमे अचरमे?, गोयमा ! दव्वादेसेणं नो चरिमे अचरिमे, खेत्तादेसेणं सिय चरिमे सिय अचरिमे, कालादेसेणं सिय चरिमे सिय अचरिमे, भावादेसेणं सिय चरिमे सिय अचरिमे // सूत्रं 513 // कइविहे णं भंते ! परिणामे पराणते ?, गोयमा ! दुविहे परिणामे पराणत्ते, तंजहा-जीवपरिणामे य अजीवपरिणामे य, एवं परिणामपयं निरवसेसं भाणियव्वं 1 / सेवं भंते ! 2 जाव विहरति // सूत्रं 514 // // इति चतुर्दशमशतके चतुर्थ उद्देशकः // 14-4 // ॥अथ चतुर्दशमशतके अग्निनामकः पञ्चमोद्देशकः // ___“नेरइय अगणिमज्झे दस गणा तिरिय पोग्गले देवे / पव्वयभित्ती उल्लंघणा य पल्लंघणा घे // 1 // ' नेरइए णं भंते ! अगणिकायस्स मज्झमज्झेणं वीइवएजा ?, गोयमा ! अत्थेगतिए वीइवएज्जा अत्यंगतिए नो वीइवएजा 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ अत्थेगइए वीइवएजा अत्थेगतिए नो वीइवएजा ?, गोयमा ! नेरझ्या दुविहा पराणत्ता, तंजहा-विग्गहगति-समावनगा य अविग्गहगति-समावनगा य, तत्थ Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्यापाप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 14 :: उद्देशकः 5 ] [483 णं जे से विग्गहगति-समावन्नए नेरतिए से णं अगणिकायस्स मझमज्झेणं वीनएजा, से णं तत्थ झियाएजा ?, णो तिण? सम8, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ, तत्थ णं जे से अविग्गहगइ-समावन्नए नेरइए से णं अगणिकायस्स मज्झमझेणं णो वीइवएजा, से तेणद्वेणं जाव नो वीइवएजा 2 / असुरकुमारे णं भंते ! अगणिकायस्स पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगतिए वीइवएज्जा अत्यंगतिए नो वीइवएना 3 / से केण?णं जाव नो वीइवएजा ?, गोयमा ! असुरकुमारा दुविहा पराणत्ता, तंजहा-विग्गहगइ-समावन्नगा य अविग्गहगइ-समावन्नगा य, तत्थ णं जे से विग्गहगइ-समावन्नए असुरकुमारे से णं एवं जहेव नेरतिए जाव वक्कमति, तत्थ णं जे से अविग्गहगइ-समावन्नए असुरकुमारे से णं अत्थेगतिए अगणिकायस्स मज्झमज्झेणं वीतीवएज्जा अत्थेगतिए नो वीइवएजा जे णं वीतीवएजा से णं तत्थ झियाएजा ?, नो तिण? समढे, नो खलु तत्थ सत्यं कमति, से तेण?णं एवं जाव थणियकुमारे 4 / एगिदिया जहा नेरइया 5 / बेइंदिया णं भंते ! अगणिकायस्स मझमज्झणं जहा असुरकुमारे तहा बेइंदिएवि, नवरं जे णं वीयीवएजा से णं तत्थ झियाएजा ?, हंता झियाएजा, से णं तं चेव एवं जाव चउरिदिए 6 / पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिए णं भंते ! अगणिकाय पुच्छा, गोयमा! अत्थेगतिए वीइवएजा अत्थे. गतिए नो वीइवएजा 7 / से केण?णं भंते ! एवं बुच्चइ ?, गोयमा ! पंचिंदियतिरिक्खजोणिया दुविहा पराणत्ता, तंजहा-विग्गहगति-समावन्नगा य अविगहगइ-समावनगा य, विग्गहगइ समावन्नए जहेव नेरइए जाव नो खलु तत्थ सत्थं कमइ, अविग्गहगइ-समावन्नगा पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-इड्डिप्पत्ता य अणिडिप्पत्ता य, तत्थ णं जे से इडिप्पत्ते पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिए से णं अत्थेगइए अगणिकायस्स मझमज्झेणं वीयीवएन्जा प्रत्येगइए नो वीयीवएज्जा, जे णं वीसीवएजा से णं तत्थ Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 484 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः। तृतोयो विभागः झियाएजा ?, नो तिण? सम?, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ, तत्थ णां जे से अणिडिप्पते पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिए से णं अत्थेगतिए अगणिकायस्स मज्झमज्झेणं वीयीवएजा अत्थेगतिए नो वीइवएजा, जे णं वीयीवएज्जा से णं तत्थ झियाएजा ?, हंता झियाएजा, से तेण?णं जाव नो वीयीवएजा 8 / एवं मणुस्सेवि, वाणमंतर-जोइसिय वेमाणिए जहा असुरकुमारे 1 / // सूत्रं 515 // नेरतिया दस ठाणाई पचणुभवमाणा विहरंति, तंजहाअणिट्ठा सदा अणिट्ठा ख्वा अणिट्टा गंधा अणिट्ठा रसा अणिट्ठा फासा अणिट्ठा गती अणिट्ठा ठिती अणि? लावन्ने अणि? जसे कित्ती अणि? उट्ठाणकम्म-बलवीरिय-पुरिसकारपरक्कमे 1 / असुरकुमारा दस ठाणाई पचणुभवमाणा विहरंति, तंजहा-इट्टा सदा इट्टा रूवा जाव इ8 उठाण-कम्म-बलवीरिय-पुरिसकार-परक्कमे एवं जाव थणियकुमारा 2 / पुढविकाइया छट्ठाणाई पञ्चणुभवमाणा विहरंति, तंजहा-इटाणिट्टा फासा इट्टाणिट्ठा गती एवं जाव परकमे, एवं जाव वणस्सइकाइया 3 / बेइंदिया सत्तट्ठाणाई पचणु भवमाणा विहरंति, तंजहा-इट्टाणिट्ठा रसा सेसं जहा एगिदियाणं 4 / तेंदिया णं अट्ठाणाई पञ्चणुब्भवमाणा विहरंति, तंजहा-इटाणिट्ठा गंधा सेसं जहा बेंदियाणं 5 / चरिंदिया नवट्ठाणाई पचणुब्भवमाणा विहरंति, तंजहा-इटाणिट्ठा रूवा सेसं जहा तेंदियाणं 6 / पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया दस ठाणाई पचणुब्भवमाणा विहरंति, तंजहा-इटाणिट्ठा सदा जाव परकमे 7 / एवं मणुस्तावि, वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा 8 // सूत्रं 516 // देवे णं भंते ! महिड्डीए जाव महेसक्खे बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू तिरियपव्ययं वा तिरियभित्तिं वा उल्लंघेत्तए वा पल्लंघेत्तए वा ?, गोयमा ! णो तिण? सम? 1 / देवे णं भंते ! महिड्डिए जाव महेसक्खे बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू तिरिय जाव पल्लंघेत्तए वा ?, हंता पभू 2 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरइ 3 // सूत्रं 517 // // इति चतुर्दशमशतके पञ्चम उद्देशकः // 14-5 // Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) छत्रं :: शतकं 14 :: उद्देशकः 6 / [485 // अथ चतुर्दशमशतके किमाहाराभिधः षष्ठोद्देशकः // रायगिहे जाव एवं वयासी-नेरझ्या णं भंते ! किमाहारा किं परि. णामा किंजोणीया किंठितीया पराणता ?, गोयमा ! नेरझ्या णं पोग्गलाहारा पोग्गलपरिणामा पोग्गलजोणिया पोग्गलद्वितीया कम्मोवगा कम्मनियाणा कम्मट्टितीया कम्मुणामेव विप्परियासमेंति, एवं जाव वेमाणिया ॥सूत्रं 518 // नेरझ्या णं भंते ! किं वीयीदव्वाइं श्राहारेंति अवीचिदव्वाई श्राहारेति ?, गोयमा ! नेरतिया वीचिदव्वाइंपि अाहारेंति अवीचिदव्वाइपि श्राहारेंति 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ नेरतिया वीचिदव्वाईपि तं चेव जाव पाहारेंति ?, गोयमा ! जे णं नेरइया एगपएसूणाईपि दव्याई श्राहारैति ते णं नेरतिया वीचिदव्वाई थाहारेंति, जे णं नेरतिया पडिपुन्नाई दव्वाई थाहारेंति - ते णं नेरइया अवीचिदन्वाइं श्राहारेंति, से तेण?णं गोयमा ! ऐवं वुच्चइ जाव अाहारेंति 2 / एवं जाव वेमाणिया श्राहारेंति 3 // सूत्रं 511 // जाहे णं भंते ! सक्के देविंदे देवराया दिव्वाइं भोगभोगाई भुजिउंकामे भवति से कहमियाणिं पकरेंति ?, गोयमा ! ताहे चेव णं [ग्रंथाग्रं 1000] से सक्के देविंदे देवराया एगं महं नेमिपडिरूवगं विउव्वति एगं जोयणसयसहस्सं श्रआयामिक्खंभेणं तिनि जोयणसयसहस्साइं जाव श्रद्धंगुलं च किंचिविसेसाहियं परिक्खेवेणं, तस्स णं नेमिपडिरूवस्स उवरिं बहुसम-रमणिज्जे भूमिभागे पन्नत्ते जाव मणीणं फासे, तस्स णं नेमिपडिरूवगस्स बहुमज्झदेसभागे तत्थ णं महं एगं पासाय-बडेंसगं विउव्वति, पंच जोयणसयाई उ8 उच्चत्तेणं अड्डाइजाई जोयणसयाई विक्खंभेणं श्रब्भुग्गय-मूसियवनश्रो जाव पडिरूवं, तस्स पासायवडिंसगस्य उल्लोए पउमलय-भत्तिचित्ते जाव पडिरूवे, तस्स णं पासायवडेंसगस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे जाव मणीणं फासो मणिपेढिया अट्ठजोयणिया जहा वेमाणियाणं, तीसे णं मणिपेढियाए उवरि महं एगे देवसयणिज्जे विउब्वइ सयणिजवन्नयो जाव पडिस्वे, तत्थ Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 486 ) _ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः तृतीयो विभागः गणं से सक्के देविंदे देवराया अहिं अग्गमहिसीहिं सपरिवाराहिं दोहि य अणिएहिं नट्टाणिएण य गंधवाणिएण य सद्धिं महयाहयनट्ट जाव दिव्वाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ 1 / जाहे ईसाणे देविदे देवराया दिव्वाई जहा सक्के तहा ईसाणेवि निरवसेसं, एवं सणंकुमारेवि, नवरं पासायवडेंसो छ जोयणसयाई उड्ड उच्चत्तेणं तिन्नि जोयणसयाई विक्खंभेणं मणिपेढिया तहेव श्रट्ठजोयणिया, तीसे णं मणिपेढियाए उवरिं एत्थ णं महेगं सीहासणं विउव्वइ सपरिवार भाणियव्वं, तत्थ णं सणंकमारे देविदे देवराया बावत्तरीए सामाणिय-साहस्सीहिं जाव चरहिं बावत्तरीहिं थायरक्खदेवसाहस्सीहि य बहूहिं सणंकुमार-कप्पवासीहिं वेमाणिएहिं देवेहि य देवीहि य सद्धिं संपरितुडे महया ज़ाव विहरइ 2 / एवं जहा सणकुमारे तहा जाव पाणो अचुत्रो नवरं जो जस्स परिवारो सो तस्स भाणियब्वो, पासायउच्चत्तं जं सएसु 2 कप्पेसु विमाणाणं उच्चत्तं श्रद्धद्धं वित्थारो जाव अच्चुयस्स नवजोयणसयाइं उड्ड उच्चत्तेणं अद्धपंचमाइं जोयणसयाई विक्खंभेणं, तत्थ णं गोयमा ! अच्चुए देविदे देवराया दसहिं सामाणियसाहस्सीहिं जाव विहरइ, सेसं तं चेव 3 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 4 // सूत्रं 520 // // इति चतुर्दशमशतके षष्ठ उद्देशकः // 14-6 // // अथ चतुर्दशमशतके संश्लिष्ठाभिधः सप्तमोद्देशकः // रायगिहे जाव एवं वयासी-परिसा पडिगया, गोयमादी समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं आमंतेत्ता एवं वयासी-चिरसंसिट्टोऽसि मे गोयमा ! चिरसंथुयोऽसि मे गोयमा ! चिरपरिचित्रोऽसि मे गोयमा ! चिरजुसियोऽसि मे गोयमा ! चिराणुगोऽसि मे गोयमा ! चिराणुवत्तीसि मे गोयमा ! अणंतरं देवलोए अणंतरं माणुस्सए भवे, किं परं ? मरणा कायम्स Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञति (श्रीमद्भगवनि) सूत्रं :: शतकं 14 :: उद्देशकः 7 ] [487 भेदा इयो चुत्ता दोवि तुल्ला एगट्ठा अविसेसमणाणत्ता भविस्सामो // सूत्रं 521 // जहा णं भंते ! वयं एयम४ जाणामो पासामो तहा णं अणुत्तरोववाइयावि देवा एयम४ जाणंति पासंति ?, हंता गोयमा ! जहा णं वयं एयमट्ठजाणामो पासामो तहा अणुत्तरोववाइयावि देवा एयमट्ट जाणंति पासंति 1 / से केणढेणं जाव पासंति ?, गोयमा ! अणुत्तरोववाइया णं अणंतायो मणोदव्ववग्गणाओ लद्धाश्रो पत्तायो अभिप्तमन्नागयायो भवंति, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ जाव पासंति 2 // सूत्रं 522 // कइविहे णं भंते ! तुल्लए पराणते ?, गोयमा ! छविहे तुल्लए पराणत्ते, तंजहा-दव्वतुल्लए खेत्ततुल्लए कालतुल्लए भवतुल्लए भावतुल्लए संठाणतुल्लए 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ दव्वतुल्लए 2.?, गोयमा ! परमाणुपोग्गले परमाणुपोग्गलस्स दव्वो तुल्ले, परमाणुपोग्गले परमाणुपोग्गलवइरित्तस्स दव्वंत्रो णो तुल्ले, दुपएसिए खंधे दुपएसियस्स खंधस्स दव्वो तुल्ले, दुपएसिए खंधे दुपएसियवइरित्तस्स खंधस्स दव्वश्रो णो तुल्ले, एवं जाव दसपएसिए, तुल्लसंखेजपएसिए खंधे तुल्लसंखेजपएसियस्स खंधस्स दव्वो तुल्ले, तुल्लसंखेजपएसिए खंधे तुल्लसंखेजपएसियवइरित्तस्स खंधस्स दव्वश्रो णो सुल्ले, एवं तुल्लअसंखेजपएसिएवि, एवं तुल्लपणंतपएसिएवि, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुचइ दब्वश्रो तुल्लए 2, 2 / से केणटेणं भंते ! एवं वुचई खेत्ततुल्लए 2 ?, गोयमा ! एगपएसोगाढे पोग्गले एगपएसोगाढस्स पोग्गलस्स खेतो तुल्ले, एगपएसोगाढे पोग्गले एगपएसोगाढवइरित्तस्स पोग्गलरस खेत्तश्रो णो तुल्ले, एवं जाव दसपएसोगाढे, तुल्लसंखेजपएसोगाढे पोग्गले तुल्लसंखेजपएसोगाढस्स पोग्गलस्स खेत्तयो तुल्ले, तुलसंखेजपएसोगाढे पोग्गले तुल्लसंखेजपएसोगाढवइरित्तस्स पोग्गलस्स खेत्तो णो तुल्ले, एवं तुल्लअसंखेजपएसोगाढेवि, से तेण?णं जाव खेत्ततुल्लए 2, 3 / से केण?णं भंते ! एवं वुचइ कालतुल्लए 21, गोयमा ! एगसमयठितीए पोग्गले एगसमयठि Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 488 ) ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः अस्स पोग्गलस्स काल यो तुल्ले, एगसमयट्टितीए पोग्गले एगसमयठितीवइरित्तस्स पोग्गलस्स कालो णो तुल्ले, एवं जाव दससमयट्टितीए तुलसंखेजसमयठितीए एवं चेत्र, एवं तुल-असंखेज-समयठितीएवि, से तेण?णं जाव कालतुल्लए 2, 4 / से केण?णं भंते ! एवं वुन्चइ भवतुलए 2 ?, गोयमा ! नेरइए नेरइयस्स भवट्ठयाए तुल्ले नेरइयवइरित्तस्स भवठ्ठयाए नो तुल्ले, तिरिक्खजोणिए एवं चेव, एवं मणुस्से एवं देवेवि, से तेण?णं जाव भवतुल्लए 2, 5 / से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ भावतुल्लए भावतुल्लए ?, गोयमा ! एगगुणकालए पोग्गले एगगुणकालस्स पोग्गलस्स भावो तुल्ले एगगुणकालए पोग्गले एगगुणकालगवइरित्तस्स पोग्गलस्स भावो णो तुल्ले, एवं जाव दसगुणकालए, एवं तुल्लसंखेजगुणकालए पोग्गले, एवं तुल्लअसंखेजगुणकालएवि, एवं तुल्लअणंतगुणकालएवि, जहा कालए एवं नीलए लोहियए हालिद्दे सुकिल्लए, एवं सुभिगंधे एवं दुब्भिगंधे, एवं तित्ते जाव महुरे, एवं कक्खडे जाव लुक्खे, उदइए भावे उदइयस्स भावस्स भावो तुल्ले, उदइए भावे उदइयभाववइरित्तस्स भावस्स भावो नो तुल्ले, एवं उपसमिएभावे खइएभावे खोवसमिएभावे पारिणामिएभावे, संनिवाइए भावे संनिवाइयस्स भावस्स, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ भावतुल्लए 2, 6 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ संगणतुल्लए 21, गोयमा ! परिमंडले संठाणे परिमंडलस्स संगणस्स संगणो तुल्ले परिमंडलसंठाणवइरित्तस्स संठाणश्रो नो तुल्ले, एवं व? तंसे चउरंसे थायए, समचउरंससंठाणे समचउरंसस्त संठाणस्स संठाणयो तुल्ले समचउरंसे संठाणे समचउरंससंगणवइरित्तस्स संठाणस्स संठाणयो नो तुल्ले, एवं परिमंडले एवं जाव हुंडे, से तेण?णं जाव संठाण तुल्लए 2, 7 // सूत्रं 523 // भत्तपञ्चक्खायए णं भंते ! अणगारे मुच्छिए जाव अझोववन्ने थाहारमाहारेति अहे णं वीससाए कालं करेति तो पच्छा अमुच्छिए अगिद्धे Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 14 :: उद्देशकः 7 ] [486 जाव अणझोववन्ने थाहारमाहारेति ?, हंता गोयमा ! भत्तपञ्चक्खायए णं अणगारे तं चेव 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुचइ भत्तपञ्चक्खायए णं तं चेव ?, गोयमा ! भत्तपञ्चक्खायए णं अणगारे मुच्छिए जाव अमोववन्ने भवइ अहे णं वीससाए कालं करेइ तथो पच्छा अमुच्छिए जाव अाहारे भवड, से तेण?णं गोयमा ! जाव अाहारमाहारेति // सूत्रं 524 // अस्थि णं भंते ! लवसत्तमा देवा 2 ?, हंता अत्थि 1 / से केण?णं भंते ! एवं बुच्चइ लवसत्तमा देवा 2 1, गोयमा ! से जहानामए-केइ पुरिसे तरुणे जाव निउणसिप्पोवगए सालीण वा वीहीण वा गोधूमाण वा जवाण वा जवजवाण वा पकाणं परियाताणं हरियाणं हरियकंडाणं तिक्खेणं णवपजणएणं असिग्रएणं पडिसाहरिया 2 पडिसंखिविया 2 जाव इणामेव 2 त्तिकटू सत्तलवए लुएजा, जति णं गोयमा ! तेसिं देवाणं एवतियं कालं थाउए पहुप्पते तो णं ते देवा तेणं चेव भवग्गहणेणं सिझता जाव अंतं करेंता, से तेण?णं जाव लवसत्तमा देवा लवसत्तमा देवा // सूत्रं 525 // अस्थि णं भंते ! अणुत्तरोववाइया देवा 2 ?, हंता अत्थि 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ अणुतरोववाइया 2 ?, गोयमा ! अणुत्तरोववाइयाणं देवाणं अणुत्तरा सदा जाव अणुत्तरा फासा, से तेणतुणं गोयमा ! एवं बुच्चइ जाव अणुत्तरोववाइया देवा 2, 2 / अणुत्तरोववाइया णं भंते ! देवा णं केवतिएणं कम्मावसेसेणं अणुत्तरोववाइयदेवत्ताए उववन्ना ?, गोयमा ! जावतियं छट्ठभत्तिए समणे निग्गंथे कम्म निजरेति एवतिएणं कम्मावसेसेणं अणुत्तरोववाइया देवा देवत्ताए उववन्ना 3 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 4 // सूत्रं 526 // // इति चतुर्दशमशतके सप्तम उद्देशकः // 14-7 // Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 460 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विमागः // अथ चतुर्दशमशतके अन्तराभिधः अष्टमोद्देशकः / / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए सकरप्पभाए य पुढवीए केवतियं श्रवाहाए अंतरे पराणत्ते ?, गोयमा ! असंखेजाइं जोयणसहस्साई अवाहाए अंतरे पराणत्ते 1 / सकरप्पभाए णं भंते ! पुढवीए वालुयप्पभाए य पुढवीए केवतियं एवं चेव एवं जाव तमाए अहेसत्तमाए य 2 / अहेसत्तमाए णं भंते ! पुढवीए अलोगस्स य केवतियं श्राबाहाए अंतरे पराणत्ते?, गोयमा ! असंखेजाई जोयणसहस्साई बाबाहाए अंतरे पराणत्ते 3 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए जोतिसस्स य केवतियं पुच्छा, गोयमा ! सत्तनउए जोयणसए श्राबाहाए अंतरे पराणत्ते 4 / जोतिसस्स णं भंते ! सोहम्मीसाणाण य कप्पाणं केवतियं पुच्छा, गोयमा ! असंखेजाइं जोयण जाव अंतरे पराणत्ते 5 / सोहम्मीसाणाणं भंते ! सणंकुमार-माहिंदाण य केवतियं एवं चेव 6 / सणंकुमारमाहिंदाणं भंते ! बंभलोगस्स कप्पस्स य केवतियं एवं चेव 7 / बंभलोगस्स णं भंते ! लंतगस्स य कप्पस्स केवतियं एवं चेव 8 / लंतयस्स णं भंते ! महासुक्कस्स य कप्पस्स केवतियं एवं चेव 1 / एवं महासुक्कस्स कप्पस्स सहस्सारस्त य, एवं सहस्सारस्स प्राणय-पाणयकप्पाणं, एवं ग्राणयपाणयाण य कप्पाणं श्रारणच्चुयाण य कप्पाणं, एवं धारणच्चुयाणं गेविजविमाणाण य, एवं गेविजविमाणाणं अणुत्तरविमाणाण य. 10 / अणुत्तरविमाणाणं भंते ! ईसिंपन्भाराए य पुढवीए केवतिए पुच्छा, गोयमा ! दुवालसजोयणे अवाहाए अंतरे पराणत्ते 11 / ईसिंपन्भाराए णं भंते ! पुढवीए अलोगस्स य केवतिए अबाहाए पुच्छा, गोयमा ! देसूणं जोयणं अवाहाए अंतरे पराणत्ते 12 / / सूत्रं 527 // एस णं भंते ! सालरुखे उपहाभिहए तराहाभिहए दवग्गिजालाभिहए कालमासे कालं किचा कहिं गच्छिहिति कहिं उपवजिहिति ?, गोयमा ! इहेव रायगिहे नगरे सालरुक्खत्ताए पञ्चायाहिति, से णं तत्थ अचिय-वंदिय-पूइय-सक्कारिय-सम्माणिए दिव्वे सच्चे Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमन्याख्याप्राप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 14 : उद्देशकः 8 ] ( 461 सचोवाए सन्निहिय-पाडिहेरे लाउलोइय-महिए यावि भविस्सइ 1 / से णं भंते ! तोहितो अणंतरं उब्वट्टित्ता कहिं गमिहिति कहिं उववजिहिति ?, गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतं काहिति 2 / एस भंते ! साललट्ठिया उराहाभिहया तण्णाभिहया दवग्गिजालाभिहया कालमासे कालं किचा जाव कहिं उववजिहिति ?, गोयमा ! इहेव जंबूहीवे 2 भारहे वासे विज्झगिरि-पायमूले महेसरिए नगरीए सामलि-रुक्खत्ताए पञ्चायाहिति, साणं तत्थ अच्चिय-वंदिय-पूइय जाव लाउलोइय-महिए यावि भविस्सइ 3 / से णं भंते ! तयोहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता सेसं जहा सालरुक्खस्स जाव अंतं काहिति 4 / एस णं भंते ! उंबरलट्ठिया उराहाभिहया 3 कालमासे कालं किचा जाव कहिं उववजिहिति ?, गोयमा ! इहेव जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे पाडलिपुत्ते नाम नगरे पाडलि-रुक्खत्ताए पञ्चायाहिति, से णं तत्थ अच्चियवंदिय जाव भविस्सति 5 / से णं भंते ! अणंतरं उव्वत्तित्ता सेसं तं चेव जाव अंतं काहिति 6 // सूत्रं 528 // तेणं कालेणं तेणं समएणं अम्मडस्स परिवायगस्स सत्त अंतेवासीसया गिम्हकाल-समयंसि एवं जहा उबवाइए जाव बाराहगा // सूत्रं 521 // बहुजणे णं भंते ! अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ एवं खलु अम्मडे परिवायए कंपिल्लपुरे नगरे घरसए एवं जहा उववाइए अम्मडस्स वत्तव्वया जाव दडप्पइराणो अंतं काहिति // सूत्रं 530 // अत्थि णं भंते ! अव्वाबाहा देवा अव्वाबाहा देवा ?, हंता अस्थि 1 / से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ अब्वाबाहा देवा 2 ?, गोयमा ! पभू णं एगमेगे अव्वाबाहे देवे एगमेगस्स पुरिसस्स एगमेगंसि अच्छिपत्तंसि दिव्वं देविडि दिव्वं देवज्जुतिं दिव्वं देवजुतिं दिव्वं देवाणुभागं दिव्वं बत्तीसतिविहं नट्ट. विहिं उवदंसेत्तए, णो चेव णं तस्स पुरिसस्स किंचि श्राबाहं वा वाबाहं वा उप्पाएइ छविच्छेयं वा करेंति, एसुहुमं च णं उवदंसेजा, से तेणटेणं जाव अव्वाबाहा देवा 2, 2 // सूत्रं 531 // पभू णं भंते ! सक्के देविंदे Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 462 ] ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः देवराया पुरिसस्स सीसं पाणिणा असिणा छिदित्ता कमंडलुमि पक्खिवित्तए ?, हंता पभू 1 / से कहमिदाणि पकरेति ?, गोयमा ! बिंदिया 2 च णं पक्खिवेजा भिंदिया भिंदिया च णं पक्खिवेजा कोट्टिया कोट्टिया च णं पक्खिवेजा चुन्निया चुन्निया च णं पक्खिवेज्जा तो पच्छा खिप्पामेव पडिसंघाए जा नो / णं तस्स पुरिसस्स किंचि श्राबाहं वा वाबाहं वा उप्पाएजा छविच्छेदं पुण करेति, एसहुमं च णं पविखवेज्जा 2 ॥सूत्रं 532 / / अस्थि णं भंते ! जंभया देवा जंभया देवा ?, हंता अस्थि 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जंभया देवा जंभया देवा ?, गोयमा ! जंभगा णं देवा निच्चं पमुइयपक्कीलिया कंदप्परतिमोहणसीला जन्नं ते देवे कुद्धे पासेजा से णं पुरिसे महंतं श्रयसं पाउणिज्जा जे णं ते देवे तु? पासेजा से णं महंतं जसं पाउणेज्जा, से तेणटेणं गोयमा ! जंभगा देवा 2, 2 / कतिविहा णं भंते ! जंभगा देवा पराणत्ता ?, गोयमा ! दसविहा पराणत्ता, तंजहा-यन्नजंभगा पाण-जंभगा वत्थ-जंभगा लेण-जंभगा सयण जंभगा पुष्फ-जंभगा फल-जंभगा पुप्फफल-जंभगा विजा-जंभगा अवियत्त-जंभगा 3 / जंभगा णं भंते ! देवा कहिं वसहिं उति ?, गोयमा ! सव्वेसु चेव दीहवेयड्ढ सु चित्तविचित्त-जमग-पव्वएसु कंचण-पव्वएसु य एत्थ णं जंभगा देवा वसहि उवेंति 4 / जंभगाणं भंते ! देवाणं केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा ! एगं पलिग्रोवमं ठिती पराणत्ता 5 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव। विहरति 6 // सूत्र 533 // // इति चतुर्दशमशतके अष्टम उद्देशकः // 14-8 // // अथ चतुर्दशमशतके अणगाराभिधः नवमोद्देशकः // __यणगारे णं भंते ! भावियप्पा अप्पणो कम्मलेस्सं न जाणइ न पासइ तं पुण जीवं सरूविं सकम्मलेस्सं जाणइ पासइ ?, हंता गोयमा ! श्रणगारे Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतक 14 :: उद्देशका 6 ) [ 463 णं भावियप्पा अप्पणो जाव पासति 1 / अस्थि णं भंते ! सरूवी सकम्मलेस्सा पोग्गला अोभासंति 4 ?, हंता अस्थि 2 / कयरे णं भंते ! सरुवी सकम्मलेस्सा पोग्गला श्रोभासंति जाव पभासेंति ?, गोयमा ! जायो इमायो चंदिमसूरियाणं देवाणं विमाणेहितो लेस्सायो बहिया अभिनिस्सडायो ताश्रो अोभासंति पभासेंति एवं एएणं गोयमा ! ते सरूवी सकम्मलेस्सा पोग्गला अोभासेंति 4, 3 // सूत्रं 534 // नेरइयाणं भंते ! किं अत्ता पोग्गला अणत्ता पोग्गला ?, गोयमा ! नो अत्ता पोग्गला अणत्ता पोग्गला 1 / असुरकुमाराणं भंते ! कि अत्ता पोग्गला अणत्ता पोग्गला ?, गोयमा ! अत्ता पोग्गला णो अणत्ता पोग्गला, एवं जाव थणियकुमाराणं 2 / पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! अत्तावि पोग्गला अणत्तावि पोग्गला, एवं जाव मणुस्साणं, वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणियाणं जहा असुरकुमाराणं 3 / नेरझ्याणं भंते ! किं इट्टा पोग्गला अणिहा पोग्गला ?, गोयमा ! नो इट्ठा पोग्गला अणिट्ठा पोग्गला जहा अत्ता भणिया एवं इटावि कंतावि पियावि मणुनावि भाणियब्वा एए पंच दंडगा। देवे णं भंते ! महडिए जाव महेसक्खे स्वसहस्सं विउवित्ता पभू भासासहस्सं भासित्तए ?, हंता पभू 5 / सा णं भंते ! किं एगा भासा भासासहस्सं ?, गोयमा ! एगा णं सा भासा णो खलु तं भासासहस्सं 6 // सूत्रं 535 // तेणं कालेणं 2 भगवं गोयमे अचिरुग्गयं बालसूरियं जासुमणा कुसुम-पुजप्पकासं लोहितगं पासइ पासित्ता जायसड्ढे जाव समुप्पन्न-कोउहल्ले जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ जाव नमंसित्ता जाव एवं वयासी-किमिदं भंते ! सूरिए किमिदं भंते ! सूरियस्स अट्ठ?, गोयमा ! सुभे सुरिए सुभे सूरियस्स अट्ठ 1 / किमिदं भंते ! सूरिए किमिदं भंते ! सूरियस्स पभाए एवं चेव, एवं छाया, एवं लेस्सा 2 // सूत्रं 536 // जे इमे भंते ! अजत्ताए समणा निग्गंथा विहरंति एते णं कस्स तेयलेस्सं वीतिवयंति ?, गोयमा ! मासपरियाए समणे Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 464 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभागः निग्गंथे वाणमंतराणं देवाणं तेयलेस्सं वीइवयंति, दुमासपरियाए समणे निग्गंथे असुरिंदवजियाणं भवणवासीणं देवाणं तेयलेस्सं वीयिवयंति, एवं एएणं अभिलावेणं तिमासपरियाए समणे निग्गंथे असुरकुमाराणं देवाणं तेयलेस्सं वीइवयंति, चउम्मासपरियाए सगह-नक्खत्त-ताराख्वागणं जोतिसियाणं देवाणं तेयलेस्सं वीइवयंति, पंचमासपरियाए य सचंदिम-सूरियाणं जोतिसिंदाणं जोतिसरायाणं तेयलेस्सं वीइवयंति, छम्मासपरियाए समणे सोहम्मीसाणाणं देवाणं तेयलेस्सं वीइवयंति, सत्तमासपरियाए सणंकुमार-माहिंदाणं देवाणं तेयलेस्सं वीइवयंति, अट्टमासपरियाए बंभलोग-लंतगाणं देवाणं तेयलेस्सं वीइवयंति, नवमासपरियाए समणे महासुक-सहस्साराणं देवाणं तेयलेस्सं वीइवयंति, दसमासपरियाए प्राणय-पाणय-धारणच्चुयाणं देवाणं तेयलेस्सं वीइवयंति, एकारस-मास-परियाए गेवेजगाणं देवाणं तेयलेस्सं वीइवयंति बारस-मास-परियाए समणे निग्गंथे अणुत्तरोववाइयाणं देवाणं तेयलेस्सं वीयिवयंति, तेण परं सुक्के सुकाभिजाए भवित्ता तयो पच्छा सिझति जाव अंतं करेति 1 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरति 2 / // सूत्रं 537 // // इति चतुर्दशमशतके नवम उद्देशकः // 14-9 // // अथ चतुर्दशमशतके केवलिनामक-दशमोद्देशकः // - केवली णं भंते ! छउमत्थं जाणइ पासइ ?, हंता जाणइ पासइ 1 / जहा णं भंते ! केवली छउमत्थं जाणइ पासइ तहा णं सिद्धेवि छउमत्थं जाणइ पासइ ?, हंता जाणइ पासइ 2 / केवली णं भंते ! पाहोहियं जाणइ पासइ ?, एवं चे, एवं परमाहोहियं 3 / एवं केवलि एवं सिद्धं जाव जहा णं भंते ! केवली सिद्धं जाणइ पासइ तहा णं सिद्धेवि सिद्धं जाणइ पासइ ?, हंता जाणइ पासइ 4 / केवली णं भंते ! भासेज वा वागरेज वा ?, हंता Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 14 :: उद्देशकः 10 ] [ 465 भासेज वा वागरेज वा 5 / जहा णं भंते ! केवली भासेज वा वागरेज वा तहा णं सिद्धेवि भासेज वा वागरेज वा ?, णो तिण? सम? 6 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जहा णं केवली णं भासेज वा वागरेज वा णो तहा णं सिद्धे भासेज वा वागरेज वा ?, गोयमा ! केवली णं सउट्टाणे सकम्मे सबले सवीरिए सपुरिसकार परकमे, सिद्धे णं अणुट्ठाणे जाव अपुरिसकार-परक्कमे, से तेणढे णं जाव वागरेज वा 7 / केवली णं भंते ! उम्मिसेज वा निमिसेज वा ?, हंता उम्मिसेज वा निम्मिसेज वा एवं चेव, एवं बाउटेज वा पसारेज वा, एवं ठाणं वा सेज्ज वा निसीहियं वा चेएजा 8 / केवली णं भंते ! इमं रयणप्पभं पुढवि रयणप्पभापुढवीति जाणति पासति?, हंता जाणइ पासइ 1 / जहा णं भंते ! केवली इमं रयणप्पमं पुढवि रयणप्पभापुढवीति जाणइ पासइ तहा णं सिद्धेवि इमं रयणप्पभं पुढविं रयणप्पभपुढवीति जाणइ पासइ ?,हंता जाणइ पासइ 10 / केवली णं भंते ! सकरप्पभं पुढवि सकरपभापुढवीति जाणइ पासइ ?, एवं चेव एवं जाव अहेसत्तमा 11 केवली णं भंते ! सोहम्मं कप्पं जाणइ पासइ ?, हंता जाणइ पासइ, एवं चैव, एवं ईसाणं एवं जाव श्रव्चुयं 12 / केवली णं भंते ! गेवेजविमाणे गेवेजविमाणेत्ति जाणइ पासइ ?, एवं चेव, एवं अणुत्तरविमाणेवि 13 / फेवली णं भंते ! ईसिपब्भारं पुढवि ईसीपब्भारपुढवीति जाणइ पासइ ?, एव चेव 14 / केवली णं भंते ! परमाणुपोग्गलं परमाणुपोग्गलेत्ति जाणइ पासइ ?, एवं चेव 15 / एवं दुपएसियं खधं एवं जाव जहा णं भंते ! केवली अणंतपएसियं खंधं अणंतपएसिए खंधेत्ति जाणइ पासइ तहा णं सिद्धेवि अणंतपएसियं जार पासइ ?, हंता जाणइ पासइ 16 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति 17 / / सूत्रं 538 // चोदसमं सयं समत्तं // // इति चतुर्दशमं शतकम् // 14 // Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 466 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः // अथ गोशालकाख्यं पञ्चदशं शतकम् // ____ नमो सुयदेवयाए भगवईए। तेणं काले णं 2 सावत्थी नाम नगरी होत्था वन्नयो, तीसे णं सावत्थीए नगरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए तत्थ णं कोट्ठए नाम चेइए होत्था वन्नयो, तत्थ णं सावत्थीए नगरीए हालाहला नाम कुंभकारी श्राजीवियोवासिया परिवसति अड्डा जाव अपरिभूया आजीवियसमयंसि लट्ठा गहियट्ठा पुच्छियट्ठा विणिच्छियट्ठा अट्टिमिंज-पेम्माणुरागरत्ता अयमाउसो ! श्राजीवियसमये अट्ठे अयं परमठे सेसे अणठेत्ति श्राजीवियसमएणं अप्पाणं भावेमाणी विहरई 1 / तेणं काले णं 2 गोसाले मखलिपुत्ते चउव्वीस-वासपरियाए हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणंसि श्राजीविय-संघ-संपरिबुडे श्राजीवियसमएणं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ 2 / तए णं तस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स अन्नदा कदायि इमे छ दिसाचरा (पासावचिन्जा) अंतियं पाउभविस्था, तंजहा-साणे कलंदे कणियारे अच्छिद्दे (च्छेदे) अग्गिवेसायणे अज्जुन्ने गोमायु(तम)पुत्ते 3 / तए णं ते छ दिसाचरा अट्टविहं पुव्वगयं मग्गदसमं सतेहिं 2 मतिदंसणेहिं निज्जूहंति 2 गोसालं मंखलिपुत्तं उवट्टाइंसु 4 / तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते तेणं अगस्स महानिमित्तस्स केणइ उल्लोयमेत्तेणं सव्वेसिं पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं इमाई छ अणइक्कमणिजाई वागरणाई वागरेति, तंजहा-लाभं अलाभ सुहं दुक्खं जीवियं मरणं तहा 5 / तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते तेणं अटुंगस्स महानिमित्तस्स केणइ उल्लोयमेत्तेणं सावत्थीए नगरीए अजिणे जिणप्पलावी अगरहा अरहप्पलावी अकेवली केवलिप्पलावी असवन्नू सम्वन्नुप्पलावी अजिणे जिणसह पगा(भा)सेमाणे विहरइ 6 // सू० 531 // तए णं सावत्थीए नगरीए सिंगाडग जाव पहेसु बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ जाव एवं परूवेति एवं खलु देवाणुप्पिया! गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गोसाला भन्ने एवं ?, यसढे जावत चेव जाव भिंते ! गोसालागवं श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 15 : उद्देशकः 1] [497 जाव पकासेमाणे विहरति, से कहमेयं मन्ने एवं ?, ते णं काले णं 2 सामी समोसढे जाव परिसा पडिगया 1 / ते णं काले णं 2 समणस्स भगवत्रो महावीरस्स जेठे अंतेवासी इंदभूतीणामं अणगारे गोयमगोत्तेगां जाव छटुंछठेगां एवं जहा बितियसए नियंठुद्देसए जाव अडमाणे बहुजणसह निसामेति, बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमाइवखइ ४-एवं खलु देवाणुप्पिया ! गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव पगासेमाणे विहरति, से कहमेयं मन्ने एवं ?, तए णं भगवं गोयमे बहुजणस्स अंतियं एयमटुं सोचा निसम्म जाव जायसड्ढे जाव भत्तपाणं पडिदंसेति जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी-एवं खलु अहं भंते ! तं चेव जाव जिणसह पगासेमाणे विहरति से कहमेयं भंते ! एवं ?, तं इच्छामि णं भंते ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स उट्ठाण-परियाणियं परिकहियं 2 / गोयमादी समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी-जराणं से बहुजणे अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ ४–एवं खलु गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव पगासेमाणे विहरइ तगणं मिच्छा, अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि-एवं खलु एयस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स मंखलिनामं मंखे पिता होत्था, तस्स णं मंखलिस्स मंखस्स भदानामं भारिया होत्था सुकुमाल जाव पडिरुवा, तए णं सा भदा भारिया अन्नदा कदायि गुम्विणी यावि होत्था 3 / ते णं काले णं 2 सस्वणे नामं सन्निवेसे होत्था रिद्धस्थिमिए जाव सन्निभप्पगासे पासादीए 4, तत्थ णं सरवणे सन्निवेसे गोबहुले नाम माहणे परिवसति अड्डे जाव अपरिभूए रिउव्वेद जाव सुपरिनिट्टिए यावि होत्था, तस्स णं गोबहुलस्स माहणस्स गोसाला यावि होत्था 4 / तए णं से मंखलीमंखे नामं अन्नया कयाइ भदाए भारियाए गुठिवणीए सद्धिं चित्तफलग-हत्थगए मंखत्तणेणं अप्पाणं भावेमाणे पुव्वाणुपुब्बिं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे जेणेव सरवणे सन्निवेसे जेणेव गोबहुलस्स माह Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 468] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विमागा णस्स गोसाला तेणेव उवागच्छति 2 गोबहुलस्स माहणस्स गोसालाए एगदेसंसि भंडनिक्खेवं करेंति 2 सरवणे सन्निवेसे उच्चनीय-मज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडमाणे वसहीए सव्वयो समंता मग्गणगवेसणं करेति वसहीए सवयो समंता मग्गणगवेसणं करेमाणे अन्नत्थ वसहिं श्रलभमाणे तस्सेव गोबहुलस्स माहणस्स गोसालाए एगदेसंसि वासावासं उवागए 5 / तए णं सा भद्दा भारिया नवराहं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं श्रद्धट्ठमाण राइंदियाणं वीतिकंताणं सुसुमालपाणिपायं जाव पडिरूवगं दारगं पयाया 6 / तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो एकारसमे दिवसे वीतिक्कते जाव बारसाहे दिवसे अयमेयारूवं गुराणं गुणनिष्फन्नं नामधेज्ज कज्जंति-जम्हा णं अम्हें इमे दारए गोबहुलस्स माहणस्स गोसालाए जाए तं होउ णं अम्हं इमस्स दारगस्स नामधेज्ज गोसाले गोसालेत्ति, तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो नामधेनं करेंति गोसालेति 7 / तए णं से गोसाले दारए उम्मुक्कबालभावे विशणायपरिणयमेत्ते जोवणगमणुप्पत्ते सयमेव पाडिएक्कं चित्तफलगं करेति सयमेव चित्तफलगहत्थगए मंखत्तणेणं अप्पाणं भावमाणे विहरति 8 // सूत्रं 540 // ते णं काले णं 2 अहं गोयमा ! तीसं वासाई आगारवासमझे वसित्ता अम्मापिईहिं देवत्तगएहिं एवं जहा भावणाए जाव एगं देवदूसमादाय मुंडे भवित्ता प्रागारायो अणगारियं पव्वइत्तए 1 / तए णं अहं गोंयमा ! पढमं वासावासं अद्धमासंग्रद्धमासेणं खममाणे अट्ठियगाम निस्साए पढमं अंतरावासं वासावासं उवागए 2 / दोच्चं वासं मासंमासेणं खममाणे पुवाणुपुत्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइजमाणे जेणेव रायगिहे नगरे जेणेव नालिंदा बाहिरिया जेणेव तंतुवायसाला तेणेव उवागच्छामि 2 अहापडिरूवं उग्गहं योगिराहामि 2 तंतुवायसालाए एगदेससि वासावासं उवागए, तए णं अहं गोयमा ! पढमं मासखमणं उपसंपजित्ता णं विहरामि 3 / तए णं से Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 15 :: उद्देशकः 1 / [46 गोसाले मंखलिपुत्ते चित्तफलग-हत्थगए मंखत्तणेणं अप्पाणं भावेमाणे पुव्वाणुपुदि चरमाणे जाव दूइजमाणे जेणेव रायगिहे नगरे जेणेव नालिंदा बाहिरिया जेणेव तंतुवायसाला तेणेव उवागच्छइ 2 तंतुवाय-सालाए एगदेसंसि भंडनिक्खेवं करेति 2 रायगिहे नगरे उच्चनीय जाव अन्नत्थ कत्थवि वसहिं अलभमाणे तीसे य तंतुवायसालाए एगदेससि वासावासं उवागए 4 / जत्थेव (तए) णं अहं गोयमा !, पढम-मासक्खमण-पारणगंसि तंतुवायसालायो पडिनिक्खमामि 2 णालंदा-बाहिरियं मझमज्झेणं जेव रायगिहे नगरे तेणेव उवागच्छामि 2 रायगिहे नगरे उच्चनीय जाब अडमाणे विजयस्स गाहावइस्स गिहं अणुपविठे 5 / तए णं से विजए गाहावती ममं एजमाणं पासति 2 हट्ठतुट्ट जाव खिप्पामेव पासणायो अमुढेइ 2 पायपीढायो पचोरुहइ 2 पाउयायो श्रोमुयइ 2 एगसाडियं उत्तरासंगं करेति, अंजलि-मउलिय-हत्थे ममं सत्तट्ठपयाई अणुगच्छइ 2 ममं तिक्खुत्तो श्रायाहिण-पयाहिणं करेति 2 ममं वंदति नमंसति 2 ममं विउलेणं असणपाण-खाइमसाइमेणं पडिलाभेस्सामित्तिकटु तुट्टे पंडिलामेमाणेवि तुट्टे पडिलाभितेवि तुठे 6 / तए णं तस्स विजयस्स गाहावइस्स तेणं दव्वसुद्धेणं दायगसुद्धेणं तिवस्सिविसुद्धेणं तिकरणसुद्धेणं पडिगाहगसुद्धेणं] तिविहेणं तिकरणसुद्धणं दाणेणं मए पडिलाभिए समाणे देवाउए निबद्ध संसारे परित्तीकए गिहंसि य से इमाई पंच दिव्वाई पाउब्भूयाई, तंजहावसुधारा वुट्ठा 1 दसद्धबन्ने कुसुमे निवातिए 2 चेलुक्खेवे कए 3 श्राहयारो देवदु'दुभित्रो 4 अंतरावि य णं आगासे अहो दाणे 2 त्ति घु? 5, 7 / तए णं रायगिहे नगरे सिंघाडग जाव पहेसु बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ जाव एवं परुवेइ-धन्ने णं देवाणुप्पिया! विजए गाहावती कयत्थे णं देवाणुप्पिया ! विजये गाहावई कयपुन्ने णं देवाणुप्पिया ! विजए गाहावई कयलक्खणे णं देवाणुप्पिया ! विजये गाहावई कया णं Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 500 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः तृतीयो विभागः लोया देवाणुप्पिया ! विजयस्स गाहावइस्स सुलद्धे णं देवाणुप्पिया ! माणुस्सए जम्मजीवियफले विजयस्स गाहावइस्स जस्स णं गिहंसि तहारूवे साधु साधुरूवे पडिलाभिए समाणे इमाइं पंच दिव्वाइं पाउब्भूयाई, तंजहावसुधारा वुट्ठा जाव अहो दाणे 2 घुटे, तं धन्ने कयत्थे कयपुन्ने कयलक्खणे कया णं लोया सुलद्धे माणुस्सए जम्मजीवियफले विजयस्स गाहावइस्स विजयस्स गाहावइस्स 2, 8 / तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते बहुजणस्स अंतिए एयमटुं सोचा निसम्म समुप्पन्न-संसए समुप्पन्न-कोउहल्ले जेणेव विजयस्स गाहावइस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ 2 पासइ विजयम्स गाहावइस्स गिहंसि वसुहारं वुट्ट दसद्धवन्नं कुसुमं निवडियं ममं च णं विजयस्स गाहावइस्स गिहायो पडिनिवखममाणं पासति 2 हटुतु? जेणेव ममं अंतिए तेणेव उबागच्छति 2 ममं तिक्खुत्तो श्रायाहिणपयाहिणं करेइ 2. ममं वंदइ नमसइ 2 ममं एवं वयासी-तुझे णं भंते ! ममं धम्मायरिया ग्रहन्नं तुझ धम्मंतेवासी 1 / तए णं अहं गोयमा ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स एयमट्ठनो श्राढामि नो परिजाणामि तुसिणीए संचिट्ठामि, तए णं अहं गोयमा ! रायगिहायो नगरायो पडिनिक्खमामि 2 णालंदं बाहिरियं मज्झमज्झेणं निग्गच्छामि जेणेव तंतुवायसाला तेणेव उवागच्छामि 2 दोच्चं मासखमणं उवसंपजित्ताणं विहरामि 10 / तए णं अहं गोयमा ! दोच्चं मासक्खमण-पारणगंसि तंतुवायसालायो पडिनिक्खमामि 2 नालंदं 'बाहिरियं मझमझेणं जेणेव रायगिहे नगरे जाव अडमाणे पाणंदस्स गाहावइस्स गिहं अणुप्पविट्ठ 11 / तए णं से पाणंदे गाहावती ममं एजमाणं पासति एवं जहेव विजयस्स नवरं ममं विउलाए खजगविहीए पडिलाभेस्सामीति तुट्टे सेसं तं चेव जाव तच्चं मासक्खमणं उपसंपजित्ताणं विहरामि 12 / तए गणं अहं गोयमा ! तच्चमासक्खमणपारणगंसि तंतुवायसालायो पडिनिक्खमामि 2 तहेव जाव अडमाणे सुणंदस्स गाहावइस्स Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 15 : उद्देशकः ? ] (5.1 गिहं अणुपविट्ठे, तए णं से सुणंदे गाहावती एवं जहेव विजयगाहावती नवरं ममं सव्वकामगुणिएणं भोयणेणं पडिलाभेति. सेसं तं चेव जाव चउत्थं मासक्खमणं उपसंपजित्ताणं विहरामि 13 / तीसे णं नालंदाए बाहिरियाए अदूरसामंते एत्थ णं कोल्लाए नामं सन्निवेसे होत्था सन्निवेसवनयो, तत्थं णं कोलाए संनिवेसे बहुले नामं माहणे परिखसइ अडढे जाव अपरिभूए रिउव्वेय जाव सुपरिनिट्ठिए यावि होत्था, तए णं से बहुले माहणे कत्तियचाउम्मासियपाडिवगंसि विउलेणं महुधयसंजुत्तेणं परमराणेणं माहणे थायामेत्था 14 / तर णं अहं गोयमा ! चउत्थ-मासक्खमण-पारणगंसि तंतुवायसालानो पडिनिक्खमामि 2 णालंदं बाहिरियं मझमझेणं निग्गच्छामि 2 जेणेव कोल्लाए संनिवेसे तेणेव उवागच्छामि 2 कुलाए सन्निवेसे उच्चनीय जाव अडमाणस्स बहुलस्स माहणस्स गिहं श्रणुप्पविट्ठ, तए णं से बहुले माहणे ममं एजमाणं तहेव जाव ममं विउलेणं महुघयसंजुत्तेणं परमन्नेणं पडिलाभेस्सामीति त? सेसं जहा विजयस्स जाव बहुले माहणे बहुले माहणे 15 / तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते ममं तंतुवायसालाए अपासमाणे रायगिहे नगरे सभितरबाहिरियाए ममं सब्बयो समंता मग्गणगवेसणं करेति ममं कत्थवि सुतिं वा खुति वा. पवत्ति वा अलभमाणे जेणेव तंतुवायसाला तेणेव उवागच्छति 2 साडियायो य पाडियायो य कुंडियायो य पाहणाश्रो य चित्तफलगं च माहणे यायामेति थायामेत्ता सउत्तरोटुं मुडं कारेति 2 तंतुवायसालानो पडिनिक्खमति 2 णालंदं बाहिरियं मझमज्झेणं निग्गच्छइ 2 जेणेव कोल्लाग-सन्निवेसे तेणेव उवागच्छइ 16. / तए णं तस्स कोल्लागस्स संनिवेसरस बहिया बहिया बहु-: जणो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खति जाव परूवेति-धन्ने णं देवाणुप्पिया ! बहुले माहणे तं चेव जाव जीवियफले बहुलस्स माहणस्स 2, 17 / तए तं तस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स बहुजणस्स अंतियं एयमट्ट सोचा निसम्म अयमेया Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 502 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः। तृतीयो विभागः रूवे अभत्थिए जाव समुप्पजित्था-जारिसिया णं ममं धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स समणस्स भगवयो महावीरस्स इड्डी जुत्ती जसे बले वीरिए पुरि. सकारपरकमे लद्धे पत्ते अभिसमन्नागए नो खलु अत्थि तारिसिया णं अन्नस्स कस्सइ तहारुवस्स समणस्स वा माहणस्स वा इड्डी जुत्ती जाव परिक्कमे लद्धे पत्ते अभिसमन्नागए तं निस्संदिद्धं च णं एत्थ ममं धम्मायरिए धम्मोवदेसए समणे भगवं महावीरे भविस्सतीतिकटु कोल्लाग-सन्निवेसे सभितर–बाहिरिए ममं सव्वश्रो समंता मग्गणगवेसणं करेइ ममं सव्वश्रो जाव करेमाणे कोल्लागसंनिवेसस्स बहिया पणियभूमीए मए सद्धिं अभिसमनागए 18 | तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते हट्टतुट्टे मर्म तिक्खुत्तो थायाहिणं पयाहिणं जाव नमंसित्ता एवं वयासी-तुज्झे णं भंते ! मम धम्मायरिया अहन्नं तुझं अंतेवासी 11 / तए णं अहं गोयमा ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स एयमट्ठ पडिसुणेमि, तए णं अहं गोयमा ! गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं सद्धिं पणियभूमीए छव्यासाइं लाभं अलाभं सुखं दुक्खं सकारमसकारं पञ्चणुब्भवमाणे अणिच-जागरियं विहरिस्था 20 // सूत्रं 541 / / तए णं ग्रहं गोयमा ! अन्नया कदायि पढमसरदकालसमयंसि अप्पवुट्टिकायंसि गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं सद्धिं सिद्धत्थगामायो नगरायो कुमारगाम नगरं संपट्ठीए विहाराए 1 / तस्स णं सिद्धत्यस्स गामस्स नगरस्स कुम्मारगामस्स नगरस्स य अंतरा एत्थ णं महं एगे तिलथंभए पत्तिए पुप्पिए हरियग-रेरिजमाणे सिरीए अतीव 2 उवसोभेमागणे 2 चिट्टइ 2 / तए णं गोसाले मंखलिपुत्ते तं तिलथंभगं पासइ 2 ममं वंदइ नमसइ 2 एवं वयासी-एस णं भंते ! तिलथंभए कि निष्फजिस्सइ नो निष्फजस्सति ?, एए य सत्त तिलपुष्फजीवा उदाइत्ता 2 कहिं गच्छिहिति कहिं उववजि. हिंति ?, तए णं अहं गोयमा ! गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी-गोसाला! एस णं तिलथंभए निफजिस्सइ नो न निष्फजिस्सइ, एए य सत्त तिल Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं " शतकं 15 : उद्देशकः 1] [503 पुष्फजीवा उदाइत्ता 2 एयस्स चेव तिलथंभगस्स एगाए तिलसंगलियाए सत्त तिला पञ्चायाइसंति 3 / तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते ममं एवं श्राइक्खमाणस्स एयमट्ठ नो सद्दहति नो पत्तियति नो रोएइ एयमटुं असदहमाणे अपत्तियमाणे अरोएमाणे ममं पणिहाए अयगणं मिच्छावादी भवउत्तिकटु ममं अंतियायो सणियं 2 पञ्चोसकइ 2 जेणेव से तिलथंभए तेणेव उवागच्छति 2 तं तिलथंभगं सलेलुयायं चेव उप्पाडेइ 2 एगते एडेति, तक्खणमेत्तं च णं गोयमा ! दिवे अभवद्दलए पाउब्भूए, तए णं से दिव्वे अभवदलए खिप्पामेव पतणतणाएति 2 खिप्पामेव पविजुयाति 2 खिप्पामेव नचोदगं णातिमट्टियं पविरलप्पफुसियं रयरेणुविणासणं दिव्वं सलिलोदगं वासं वासति जेणं से तिलथंभए अासत्थे पञ्चायाए तत्थेव बद्धमूले तत्थेव पतिट्ठिए, ते य सत्त तिलपुष्फजीवा उद्दाइत्ता 2 तस्सेव तिलथंभगस्स एगाए तिलसंगुलियाए सत्त तिला पञ्चायाया 4 // सूत्रं 542 // तए णं अहं गोयमा ! गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं सद्धिं जेणेव कुंडग्गामे नगरे तेणेव उवागच्छामि 1 / तए णं तस्स डग्गामस्स नगरस्स बहिया वेसियायणे नामं बालतवस्सी छटुंछट्टेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड बाहायो पगिझिय 2 सूराभिमुहे पायावण-भूमिए पायावेमाणे विहरइ बाईच-तेय तवियायो य से छप्पईश्रो सब्वत्रो समंता अभिनिस्सवंति पाणभूय-जीवसत्त-दयट्ठयाए च णं पडियायो 2 तत्थेव 2 भुजोर पचोरभेति 2 / तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते वेसियायणं बालतवस्सि पासति 2 ममं अंतियायो सणियं 2 पञ्चोसकइ 2 जेणेव वेसियायणे बालतवस्सी तेणेव उवागच्छति 2 वेसियायणं बालतवस्सि एवं क्यासी-किं भवं मुणी मुणिए उदाहु जूयासेन्जायरए ?, तए णं से वेसियायणे बालतवस्सी गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स एयमटुंणो श्रादाति नो परियाणाति तुसिणीए संचिट्ठति 3 / तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते वेसियायणं बालतवरिस Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 504 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागा दोच्चंपि तच्चंपि एवं वयासी-किं भवं मुणी मुणिए उदाहु जूयासेजायरए, तए णं से वेसियायणे बालतवस्सी गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं दोच्चपि तच्चंपि एवं वुत्ते समाणे श्रासुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे पायावणभूमीयो पञ्चोरुभति 2 तेया-समुग्घाएणं समोहन्नइ तेयासमुग्घाएणं समोहन्नित्ता सत्तट्ठपयाई पच्चोसकइ 2 गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स वहाए सरीरगंसि तेयं निसिरइ 4 / तए णं अहं गोयमा ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स अणुकंपणट्टयाए वेसियायणस्स बालतवस्सिस्स तेय-पडिसाहरणट्टयाए एत्थ णं अंतरा अहं सीयलियं तेयलेस्सं निसिरामि जाए सा ममं सीयलियाए तेयलेस्साए वेसियायणस्स बालतवस्सिस्स सीयोसिणा तेयलेस्सा पडिहया 5 / तए णं से वेसियायणे बालतवस्सी ममं सीयलियाए तेयलेस्साए सीयोसिणं तेयलेस्सं पडिहयं जाणित्ता गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरगस्स किंचि श्राबाहं वा वाबाहं वा छविच्छेदं वा अकीरमाणं पासित्ता सीयोसिणं तेयलेस्सं पडि. साहरइ 2 ममं एवं वयासी-से गयमेयं भगवं ! से गयमयं भगवं ! 6 / तए णं गोसाले मंखलिपुत्ते ममं एवं वयासी-किराहं भंते ! एस जूयासिजायरए तुज्झे एवं वयासी-से गयमेयं भगवं ! गयगयमेयं भगवं !, तए णं अहं गोयमा ! गोसालं मंलिपुत्तं एवं वयासी-तुमं णं गोसाला ! वेसियायणं बालतवस्सिं पाससि पासित्ता ममं अंतियायो तुसिणियं 2 पञ्चोसकसि जेणेव वेसियायणे बालतवस्सी तेणेव उवागच्छसि 2 वेसियायणं बालतवस्सि एवं वयासी-किं भवं मुणी मुणिए उदाहु जयासेजायरए ?, तए णं से वेसियायणे बालतवस्सी तव एयम8 नो श्रादाति नो परिजाणाति तुसिणीए संचिटुइ, तए णं तुमं गोसाला वेसियायणं बालतवस्सि दोच्चंपि तच्चंपि एवं वयासी-किं भवं मुणी मुणिए जाव सेजायरए, तए णं से वेसियायणे बालतवस्सी तुमं दोच्चंपिं तच्चपि एवं वुत्ते समाणे श्रासुरुत्ते जाव पच्चोसकति 2 तव वहाए सरीरगंसि तेयलेस्सं निस्सरइ, तए Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 15 :: उद्देशकः 1] [505 णं अहं गोसाला ! तव अणुकंपणट्टयाए वेसियायणस्स बालतवस्सिस्स सीयतेयलेस्सा-पडिसाहरणट्ठयाए एत्थ णं अंतरा सीयलियतेयलेस्सं निसिरामि जाव पडिहयं जाणित्ता तव य सरीरगस्स किंचि आवाहं वा वाबाहं वा छविच्छेदं वा अकीरमाणं पासेत्ता सीयोसिणं तेयलेस्सं पडिसाहरति 2 ममं एवं वयासी-से गयमेयं भगवं गय 2 मेयं भगवं 7 / तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते ममं अंतियायो एयमटुं सोचा निसम्म भीए जाव संजायभये ममं वंदति नमंसति ममं 2 एवं वयासी-कहन्नं भंते ! संखित्तविउल-तेयलेस्से भवति ?, तए णं अहं गोयमा ! गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी-जेणं गोसाला एगाए सणहाए कुम्मासपिडियाए एगेण य वियडासएणं छट्टछ?णं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड्डे बाहायो पगिझिय 2 जाव विहरति से णं अंतो छराहं मासाणं संखित्त-विउल-तेयलेस्से भवति, तए णं से गासाले मंखलिपुत्ते मम एयम४ सम्म विणएणं पडिसुणेति 8 // सूत्रं 543 // तए णं अहं गोयमा ! अन्नदा कदाइ गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं सद्धिं कुम्मगामायो नगरायो सिद्धत्थग्गामं नगरं संपट्ठिए विहाराए जाहे य मो तं देसं हव्वमागया जत्थ णं से तिलथंभए 1 / तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते एवं वयासी-तुज्झे णं भंते ! तदा ममं एवं श्राइवखह जाव परुवेह-गोमाला ! एस णं तिलथंभए निष्फजिस्सइ तं चेव जाव पच्चाइस्संति तराणं मिच्छा इमं च णं पञ्चक्खमेव दीसइ एस णं से तिलथंभए णो निष्फन्ने अनिप्फनमेव ते य सत्त तिलपुप्फजीवा उदाइत्ता 2 नो एयस्स चेव तिलथंभगस्स एगाए तिलसंगुलियाए सत्त तिला पञ्चायाया 2 / तए णं अहं गोयमा ! गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी-तुमं णं गोसाला! तदा ममं एवं श्राइक्खमाणस्स जाव परूवेमाणस्स एयम४ नो सदहसि नो पत्तियसि नो रोययसि एयम? असदहमाणे अपत्तियमाणे श्ररोएमाणे ममं पणिहाए अयन्नं मिच्छावादी भवउत्तिकटु ममं अंतियात्रो Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 506 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु : तृतीयो विभागः सणियं 2 पचोसकसि 2 जेणेव से तिलथंभए तेणेव उवाच्छसि 2 जाव एगंतमंते एडेसि, तक्खणमेत्तं गोसाला ! दिव्वे अभवद्दलए पाउन्भूए, तए णं से दिवे अब्भवद्दलए खिप्पामेव तं चेव जाव तस्स चेव तिलथंभगस्स एगाए तिलसंगुलियाए सत्त तिला पवायाया, तं एस णं गोसाला ! से तिलथंभए निष्फन्ने णो अनिष्फनमेव, ते य सत्त तिलपुष्फजीवा उदाइत्ता 2 एयस्स चेव तिलथंभयस्स एगाए तिलसंगुलियाए सत्त तिला पञ्चायाया, एवं खलु गोसाला ! वणस्सइकाइया पउपरिहारं परिहरंति 3 / तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते ममं एवमाइक्खमाणस्स जाव परूवेमाणस्स .. एयम? नो सद्दहति 3 एयमट्ठ असदहमाणे जाव अरोएमाणे जेणेव से तिलथंभए तेणेव उवागच्छति 2 ताश्रो तिलथंभयानो तं तिलसंगुलियं खुडति खुड्डित्ता करयलंसि सत्त तिले पप्फोडेइ 4 / तए णं तस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स ते सत्त तिले गणमाणस्स अयमेयारूवे अब्भत्थिए जाव समुप्पजित्था-एवं खलु सव्वजीवावि पउट्ट-परिहारं परिहरंति, एस णं गोयमा ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स पउट्टे एस णं गोयमा ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स ममं अंतियायो आयाए अवक्कमणे पन्नत्ते 5 / / सू० 544 // तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते एगाए सणहाए कुम्मास-पिडियाए य एगेण य वियडासएणं छटुंछ?णं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड्ड बाहायो पगिझिय 2 जाव विहरइ 1 / तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते अंतो छराहं मासाणं संखित्त-विउल-तेयलेसे जाए 2 // सू० 545 // तए णं तस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स ग्रन्नया कयावि इमे छदिसाचरा अंतिय पाउभवित्था तंजहासाणो तं चेव सव्वं जाव अजिणे जिणसह पगासेमाणे विहरति 1 / तं नो खलु गोयमा ! गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव जिणसद्द पगासेमाणे विहरइ, गोसाले णं मंखलिपुत्ते अजिणे जिणप्पलावी जाव पगासेमाणे विहरइ, तए णं सा महतिमहालया महच्चपरिसा जहा सिवे जाव Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्व्याख्याप्राप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 15 उद्देशकः 1 ] [ 507 पडिगया 2 / तए णं सावत्थीए नगरीए सिंघाडग जाव बहुजणो अन्नमन्नस्स जाव परुवेइ-जन्नं देवाणुप्पिया! गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव विहरइ तं मिच्छा, समणे भगवं महावीरे एवं श्राइक्खइ जाव परूवेइ-एवं खलु तस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स मंसली नामं मखपिता होत्था, तए णं तस्स मंखलिस्स एवं चेव तं सव्वं भाणियव्वं जाव अजिणे जिणसह पगासेमाणे विहरइ, तं नो खलु गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव विहरइ गोसाले मंखलिपुत्ते अजिणे जिप्पलावी जाव विहरइ, समणे भगवं महावीरे जिणे जिणप्पलावी जाव जिणसह पगासेमाणे विहरइ 3 / तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते बहुजणस्स अंतियं एयम? सोचा निसम्म श्रासुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे पायावणभूमीयो पञ्चोरुहइ पायावणभूमीग्रो पचोरुहइत्ता सावत्थि नगरि मझमज्झेणं जेणेव हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणे तेणेव उवागच्छइ 2 हालाहलाए कुंभ कारीप कुंभकारावणंसि श्राजीविय-संघ-खंपरिखुडे महया श्रमरिसं वहमाणे एवं वावि विहरइ 4 // सू० 546 // तेणं कालेणं 2 समणस्स भगवश्रो महावीरस्स अंतेवासी पाणंदे नाम थेरे पगइभदए जाव विणीए छटुंछ?णं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ 1 / तए णं से पाणंदे थेरे छट्टक्खमणपारणगंसि पढमाए पोरिसीए एवं जहा गोयमसामी तहेव श्रापुच्छइ तहेव जाव उच्चनीय-मज्मिम जाव अडमाणे हालाहलाए कुंभकारीए कुभकारावणस्स अदूरसामंते बीइवयइ 2 / तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते पाणंदं थेरं हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणस्स अदूरसामंतेणं वीइवयमाणं पासइ 2 एवं वयासी-एहि ताव अणंदा ! इश्रो एगं महं उवमियं निसामेहि, तए णं से पाणंदे थेरे गोसालेणं मखलिपुत्तेणं एवं वुत्ते समाणे जेणेव हालाहलाए कुंभकारीएकुंभकारावणे जेणेव गोसाले मंखलिपुत्ते तेणेव उवागच्छति 3 / तए णं से गोसाले Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 508 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: तृतीयो विभागः मंखलिपुत्ते पाणंदं थेरं एवं वयासी-एवं खलु पाणंदा ! इतो चिरातीयाए अद्धाए केइ उच्चावगा वणिया प्रत्ययस्थी अत्थलुद्धा अत्थगवेसी अत्थकंखिया अत्थपिवासा अत्थगवेसणयाए णाणाविह-विउल-पणिय भंडमायाए सगडीसागडेणं सुबहुं भत्तयाणं पत्थयणं गहाय एगं महं अगामियं अणोहियं छिन्नावायं दीहमद्धं अडविं अणुप्पविट्टा 4 / तए णं तेसिं वणियाणं तीसे अकामियाए अणोहियाए छिन्नावायांए दीहमखाए अडवीए किंचि देसं अणुप्पत्ताणं समाणाणं से पुव्वगहिए उदए अणुपुव्वेणं परिभुजेमाणे 2 खीणे 5 / तए णं ते वणिया खीणोदता समाणा तराहाए परिभवमाणा (परब्भवमाणा) अन्नमन्ने सहावेंति 2 एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! श्रम्हं इमीसे अगामियाए जाव अडवीए किचि देसं अणुप्पत्ताणं समाणाणं : से पुश्वगहिए उदए अणुपुव्वेणं परिभुजेमाणे परिभुजेमाणे खीणे तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं इमीसे अगामियाए जाव अड़वीए उदगस्स सव्वश्रो समंता मग्गणगवेसणं करेत्तएत्तिकटु अन्नमन्नस्त अंतिए एयमटुं पडिसुणेति 2 तीसेणं अगामियाए जाव अडवीए उदगस्स सव्वो समंता मग्गणगवेसणं करेंति उदगस्स सव्वश्रो समंता मग्गणगवसणं करे-. .. माणा एगं महं वणसंड श्रासादेति किराहं किराहोभासं जावं निकुंरंबभूयं पासादीयं जाव पडिरूवं, तस्स णं वणसंडस्स बहुमझदेसमाए एत्थ णं महेगं वम्मियं श्रासादेंति, तस्स णं वम्मियस्त चत्तारि वप्पुयो अब्भुग्गयायो अभिनिसढायो तिरियं सुसंपग्गहियायो अहे पन्नगद्धरूवायो पन्नगद्धसंगण-संठियायो पासादीयायो जाव पडिरूवायो 6 / तए णं ते वाणिया हट्टतुट्ठ जाव अन्नमन्नं सदावेंति 2 एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे इमीसे अगामियाए जाव सवयो समंता मग्गणगवेसणं करेमाणेहिं इमे वणसंडे श्रासादिए किराहे किराहोभासे इमस्स णं वर्णसंडस्स बहुमज्झदेसभाए इमे वम्मीए प्रासादिए इमस्स ण वम्मीयस्स चत्तारि वप्पुत्रो अब्भु. Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र : शतकं 15 :: उद्देशकः 1] [506 ग्गयात्रो जाव पडिरुवायो तं सेयं खलु देवाणुप्पिया! अम्हं इमस्स वम्मीयस्स पढमं वप्पि(प्पु,पु) भिदित्तए अवि याई ओरालं उदगरयणं अस्सादेस्सामो 7 / तए णं ते वाणिया अन्नमन्नस्स अंतियं एयमट्ठ पडिसुणेति 2 तस्स वम्मीयस्स पढमं वप्पिं भिदंति, ते णं तत्थ अच्छं पत्थं जच्चं तणुयं फालियवन्नाभं श्रोरालं उदगरयणं प्रासादेंति 8 | तए णं ते वणिया हटुतु? जाव पाणियं पिवंति 2 वाहणाई पज्जेंति 2 भायणाई भरेंति 2 दोच्चंपि अन्नमन्नं एवं वदासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हेहिं इमम्स वम्मीयस्स पढमाए वप्पीए भिंगणाए अोराले उदगरयणे अस्सादिए तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं इमस्त वम्मीयस्स दोच्चपि वप्पि भिदितए, अवि याई एत्थ पोरालं सुवन्नरयणं प्रासादेस्सामो 1 / तए णं ते वणिया अन्नमनस्स अंतियं एयमट्ठ पडिसुणेति 2 तस्स वम्मीयस्स दोच्चंपि वप्पिं भिदंति ते णं तत्थ अच्छं जच्चं तावणिज्जं महत्थं महग्धं महरिहं अोरालं सुवन्नरयणं अस्मादेंति, तए णं ते वणिया हट्टतुट्ठ जाव भायणाई भरेंति 2 पवहणाई भरेंति 2 तच्चंपि अन्नमन्नं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे इमस्स वम्मीयस्स पढमाए वप्पाए भिन्नाए अोराले उदगरयणे अासादिए दोच्चाए वप्पाए भिन्नाए अोराले सुवन्नरयणे अस्सादिए त सेयं खलु देवाणुप्पिया! अम्हं इमस्स वम्मीयस्स तच्चपि वप्पिं भिदित्तए, अवि याई एत्य अोरालं मणिरयणं अस्सादेस्सामो 10 / तए णं ते वणिया अन्नमन्नस्स अंतियं एयमट्ठ पडिसुणेति 2 तस्स वम्मीयस्स तच्चपि वप्पिं भिंदंति, ते णं तत्थ विमलं निम्मलं निब्ब(ल)लं निकलं महत्थं महग्धं महरिहं अोरालं मणिरयणं अस्सादेति, तए णं ते वणिया हट्टतुट्ठ जाव भायणाई भरेंति 2 पवहणाई भरेंति 2 चउत्थंपि अन्नमन्नं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे इमस्स वस्मीयस्स पढमाए वप्पाए भिन्नाए थोराले उदगरयणे अस्सादिए दोचाए वप्पाए भिन्नाए अोराले सुवरणरयणे अस्सादिए तचाए वप्पाए Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 510 ) - [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : तृतीयो विभागः भिन्नाए अोराले मणिरयणे अस्सादिए तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं इमस्स वम्मीयस्त चउत्थंपि वप्पि भिदित्तए अवियाई उत्तमं महग्धं महरिहं थोरालं वइररयणं अस्सादेस्सामो 11 / तए णं तेसि वणियाणं एगे वणिए हियकामए सुहकामए पत्थकामए प्राणुकंपिए निस्सेसिए हियसुह-निस्सेसकामर ते वणिए एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे इमस्स वम्मीयस्स पढमाए वप्पाए भिन्नाए शोराले उदगरयणे जाव तचाए वप्पाए भिनाए अोराले मणिरयणे अस्सादिए, तं होउ अलाहि पजत्तं एसा चउत्थी. वप्पा मा भिजउ, चउत्थी णे वप्पा सउवसग्गा यावि होत्था, तए णं ते वणिया तस्स वणियस्म हियकामगस्स सुहकाम जाव हियसुहनिस्सेसकामगस्स एवमाइक्खमाणस्स जाव परुवेमाणस्स एयमटुं नो सद्दहति जाव नो रोयंति 12 / एयमट्ठ असइहमाणा जाव अरोएमाणा तस्स वम्मीयस्स चउत्थंपि वप्पि भिंदंति, ते णं तत्थ उग्गविसं चंडविसं घोरविसं महाविसं अतिकायमहाकायं मसिमूसाकालगयं नयणविस-रोसपुन्नं अंजणपुज-निगरप्पगासं रत्तच्छं जमलजुयल-चंचल-चलंतजीहं धरणितल-वेणियभूयं उक्कड-फुडकुडिल-जडुल-कक्खड-विकड-फडाडोव-करणदच्छं लोहागर-धम्ममाण-धमधर्मत-घोसं प्राणागलिय-चंड-तिव्वरोसं समुहियतुरिय-चवलं धर्मतं दिट्टीविसं सप्पं संघट्टति 13 / तर णं से दिट्टीविसे सप्पे तेहिं वणिएहि संघट्टिए समाणे श्रासुरुत्ते जाव मिसमिसेमाणे सणियं 2 उट्ठति 2 सरसरसरस्स वम्मीयस्स सिहरतलं दुरूहेइ 2 ग्राइचणिज्झाति 2 ते वणिए अगिमिसाए दिट्टीए सव्वत्रो समंता समभिलोएति 14 / तए ण ते वणिया तेणं दिट्ठीविसेणं सप्पेणं अणिमिसाए दिट्ठीए सव्वयो समंता समभिलोइया समाणा खिप्पामेव सभंडमत्तोवगरणया एगाहच्चं कूडाहच्चं भासरासी कया यावि होत्था 15 / तत्थ णं जे से वणिए तेसिं वणियाणं हियकामए जाव हियसुह-निस्सेसकामए से णं अणुकंपयाए देवयाए सभंड-मत्तोवगरण-मायाए नियगं नगरं Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 15 :: उद्देशकः 1] [511 साहिए 16 / एवामेव पाणंदा ! तववि धम्मायरिएणं धम्मोवएमएणं समणेणं नायपुत्तेणं अोराले परियाए श्रासाइए पोराला कित्तिवन्नसद्दसिलोगा सदेवमणुयासुरे लोए पुवंति गुव्वंति थुब्वंति इति खलु समणे भगवं महावीरे 2, तं जदि मे से अजज किंचिवि वदति तो णं तवेणं तेएणं एगाहच्वं कूडाहच्चं भासरासिं करेमि जहा वा वालेणं ते वणिया, तुमं च णं पाणंदा ! सारक्खामि संगोवामि जहा वा से वणिए तेसि वणियाणं हियकामए जाव निस्सेसकामए अणुकंपयाए देवयाए सभंडमत्तोवगरणमायाए जाव साहिए, तं गच्छ णं तुमं पाणंदा ! तव धम्मायरियस्स धम्मोवएसगस्स समणस्स नायपुत्तस्स एयमट्ठ परिकहेहि 17 / तए णं से आणंदे थेरे गोलालेणं मंखलिपुत्रेणं एवं वुत्ते समाणे भीए जाव संजायभए गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स अंतियायो हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणायो पडिनिक्वमति 2 सिग्धं तुरियं सावत्थि नगरि मझमझेणं निग्गच्छइ 2 जेणेव कोट्ठए चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति 2 समणं भगवं महावीरं तिखत्तो श्रायाहिणां पयाहिणां करेति 2 वंदति नमंसति 2 एवं वयासी-एवं खलु ग्रहं भंते ! छट्टक्खमण-पारणगंसि तुज्झेहिं अब्भगन्नाए समाणे सावत्थीए नगरीए उच्चनीय जाव अडमाणे हालाहलाए कुंभकारीए जाव वीयीवयामि, तए णं गोसाले मंखलिपुत्ते ममं हालाहलाए जाव पासित्ता एवं वयासी-एहि ताव आणंदा ! इयो एगं महं उमियं निसामेहि, तए णं अहं गोसालेणं मखलिपुत्तेणं एवं वुत्ते समाणे जेणेव हालाहलाए कुभकारीए कुंभकारावणे जेणेव गोमाले मंखलिपुत्ते तेणेव उवागच्छामि, तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते ममं एवं वयासी-एवं खलु आणंदा ! इयो चिरातीयाए अद्धाए केइ उच्चावया वणिया एवं तं चेव जाव सव्वं निरवसेसं भाणियव्वं जाव नियगनगरं साहिए तं गच्छ णं तुमं पाणंदा ! धम्मायरियस्स धम्मोवएसगस्स जाव परिकहेहि 18 // सू० 547 // तं पभू णं Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 512 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः भंते ! गोसाले मंखलिपुत्ते तवेणं तेएणं एगाहच्चं कूडाहच्चं भासरासिं करेत्तए ? विसए णं भते ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स जाव करेत्तए ? समत्थे णं भंते ! गोसाले जाव करेत्तए ?, पभू णं पाणंदा ! गोसाले मंखलिपुत्ते तवेणं जाव करेत्तए, विसए णं आणंदा ! गोसाले जाव करेत्तए, समत्थे णं पाणंदा ! गोसाले जाव करेत्तए, नो चेव णं अरिहंते भगवंते, परियावणियं पुण करेजा 1 / जावतिएणं आणंदा ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स तवतेए एत्तो अणंतगुण-विसिट्ठयराए चेव तवतेए अणगाराणं भगवंताणं, खंतिखमा पुण अणगारा भगवंतो 2 / जावइएणं पाणंदा! अणगाराणं भगवंताणं तवतेए एत्तो अण्तगुण-विसिट्टयराए चेव तवतेए थेराणं भगवंताणं खंतिखमा पुण थेरा भगवंतो 3 / जावतिएगां श्रागांदा ! थेराणां भगवंताणां तवतेए एत्तो अणंतगुण-विसिट्ठियतराए चेव तवतेए अरिहंताणं भगवंताणं, खंतिखमा पुण अरिहंता भगवंता 4 / तं पभू णं श्राणंदा ! गोसाले मंखलिपुत्ते पुत्ते तवेणं तेएणं जाव करेत्तए, विसए णं पाणंदा ! जाव करेत्तए, समत्थे णं पाणंदा ! जाव करेत्तए, नो चेव णं अरिहंते भगवंते, पारियावणियं पुण करेजा 5 // सूत्रं 548 // तं गच्छ णं तुमं पाणंदा ! गोयमाईणं समणाणं निग्गंथाणं एयमट्ठ परिकहेहि-माणं अज्जो! तुझं केइ गोसालं मंखलिपुत्तं धम्मियाए पडिचोयणाए पडिचोएउ धम्मियाए पडिसारणाए पडिसारेउ धम्मिएणं पडोयारेगां पडोयारेउ,गोसाले णं मंखलिपुत्ते समणेहिं निग्गंथेहि मिच्छ विपडिवन्ने 1 / तए णं से पाणंदे थेरे समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ 2 जेणेव गोयमादिसमणा निग्गंथा तेणेव उवागच्छति 2 गोयमादि समणे निग्गंथे थामतेति 2 एवं वयासी-एवं खलु अज्जो ! छट्ठक्खमणपारणगंसि समोणं भगवया महावीरेणं अब्भणुन्नाए समाणे सावत्थीए नगरीए उच्चनीय तं चेव सव्वं जाव नायपुत्तस्स एयमट्ठ परिकहेहि, तं मा णं अज्जो! तुज्झे केई गोसालं Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 15 :: उद्देशकः / [ 513 मंखलिपुत्तं धम्मियाए पडिचोयणाए पडिचोएउ जाव मिच्छं विपडिबन्ने 2 // सूत्रं 546 // जावं च णं पाणंदे थेरे गोयमाईणं समणाणं निग्गंथाणां एयमट्ठ परिकहेइ तावं च णं से गोसाले मंखलिपुत्ते हालाहलाए कुभकारीए कुंभकारावणाश्रो पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमित्ता आजीविय-संघ-संपरिबुडे महया अमरिसं वहमाणे सिग्धं तुरियं जाव सावत्थि नगरिं मझमज्झेगणं निग्गच्छति 2 जेणेव कोट्ठए चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवाच्छति 2 समणस्स. भगवो महावीरस्स अदूरसामंते ठिचा समणं भगवं महावीरं एवं वयासी-सुट्ठ णं बाउसो ! कासवा ! ममं एवं वयासी साहू णं पाउसो ! कासवा ! ममं एवं वयासी-गोसाले मंखलिपुत्ते ममं धमंतेवासी गोसाले मंखलीपुत्ते 2, 1 / जे णं से मंखलिपुत्ते तव धम्मतेवासी से णं सुक्के सुकाभिजाइए भवित्ता कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववन्ने, ग्रहन्नं उदाइनामं कु(क)डियायणीए अज्जुणस्स गोयमपुत्तस्स सरीरगं विप्पजहामि 2 गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरगं अणुप्पविसामि 2 इमं सत्तमं पउट्टपरिहारं परिहरामि 2 जेवि बाई बाउसो! कासवा ! अम्हं समयसि केइ सिभिसु वा सिझति वा सिन्झिस्संति वा सब्बे ते चउरासीति महाकप्प-सयसहस्साई सत्त दिव्वे सत्त संजूहे सत्त संनिगम्भे सत्त पउट्टपरिहारे पंच कम्मणि सयसहस्साई सद्धिं च सहस्साई छच्च सए तिन्नि य कम्मसे अणुपुब्वेणं खवइत्ता तो पच्छा सिझति बुज्झति मुच्चंति परिनिव्वाइंति सम्बदुक्खाणमंतं करेंसु वा करेंति वा करिस्संति वा 3 / से जहा वा गंगा महानदी जो पबूढा जहिं वा पज्जु(ज)वत्थिया एस णं श्रद्धपंच-जोयणसयाई थायामेणं अद्धजोयणं विक्खंभेणं पंच धणुसयाई उवेहेणं एएणं गंगापमाणेणं सत्त गंगायो सा एगा महागंगा सत्त महागंगाश्रो सा एगा सादीणगंगा सत्त सादीणगंगागो सा एगा मच्चु(दु, हु,) गंगा, सत्त मच्चुगंगाग्रो सा एगा लोहियगंगा सत्त लोहियगंगायो सा Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 514 ] __[ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभागः एगा यावतीगंगा सत्त श्रावतीगंगायो सा एगा परमावती, एवामेव सपुव्वा. वरेणं एगं गंगासयसहस्सं सत्तर सहस्सा छच्चगुणपन्न गंगासया (यगुणपन्नं अगुणपन्ना गंगासया) भवंतीति मक्खाया 4 / तासिं दुविहे उद्धारे पराणत्ते, तंजहा-सुहुम-बोंदि कलेवरे चेव बायर-बोंदि-कलेवरे चेव, तत्थ णं जे से सुहुमबोंदि-कलेवरे से ठप्पे, तत्थ णं जे से बायरबोंदिकलेवरे तयो णं वाससए 2 गए 2 एगमेगं गंगावालुयं अवहाय जावतिएणं कालेणं से कोट्टे खीणे णीरेए निल्नेवे निट्टिए भवति सेत्तं सरे सरप्पमाणे, एएणं सरप्पमाणेणं तिनि सरसयसाहस्सीयो से एगे महाकप्पे चउरासीइ महाकप्पसयसहस्साइं से एगे महामाणसे, अणंतायो. संजूहायो जीवे चयं चइत्ता उवरिल्ले माणसे संजूहे देवे उपवजति 5 / से णं तत्थ दिव्वाई भोगभोगाई भुजमाणे विहरइ विहरित्ता तायो देवलोगायो थाउक्खएणं भवक्खएणं ठिक्खएणं अशांतरं चयं दत्ता प्रहमे मनिगमे जीरे श्वाति 6 / सेयं तयोहितो अगांतरं उव्वट्टित्ता मझिल्ले माणसे संजूहे देवे उववजइ, से णं तत्थ दिव्वाइं भोगभोगाइं जाव विहरित्ता तायो देवलोयायो आउक्खएणं 3 जाव चइता दोच्चे सन्निगन्भे जीवे पञ्चायाति 7 / से णं तयोहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता हेट्ठिल्ले माणसे संजूहे देवे उववजइ, से णं तत्थ दिव्वाई जाव चइत्ता तच्चे सन्निगन्भे जीवे पञ्चायाति 8 / से णं तयोहिंतो जाव उबट्टित्ता उवरिल्ले माणुसुत्तरे संजूहे देवे उववजिहिति, से णं तत्थ दिव्वाई भोग जाव चइत्ता चउत्थे सन्निगन्भे जीवे पचायाति 1 / से णं तयोहितो अशांतरं उव्वट्टित्ता मझिल्ले माणुसुत्तरे संजूहे देवे उववज्जति, से णं तत्थ दिव्वाइं भोग जाव चइत्ता पंचमे सन्निगम्भे जीवे पचायाति 10 से गां तथोदितो अशांतरं उव्यट्टित्ता हिडिल्ले माणुसुत्तरे संजूहे देवे उववजति, से णं तस्थ दिव्वाइं भोग जाव चइत्ता छट्टे सन्निगन्भे जीवे पञ्चा. याति 11 / से णं तयोहितो यणांतरं. उवट्टित्ता बंभलोगे नाम से कप्पे Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 15 :, उद्देशकः 1 ] [515 पन्नत्ते पाईणपडीणायते उदीण-दाहिण-विच्छिन्ने जहा गणपदे जाव पंच वडेंसगा पन्नता, तंजहा-असोगवडेंसए जाव पडिरूवा, से णं तत्थ देवे उववजइ, से णं तत्थ दस सागरोवमाइं दिवाई भोग जाव चइत्ता सत्तमे सनिगमे जीवे पञ्चायाति 12 / से णं तत्थ नवराहं मासाणं बहुपडिपुनाणं अट्ठमाण जाव वीतिकंतागां सुकुमालग-भद्दलए मिउ-कुंडल(कुंतल)कुचिय-केसए मट्ठ-गंड-तल-कन्नपीडए देवकुमार-सप्पभए दारए पयायति 13 / से णं अहं कासवा! तेणं अहं श्राउसो ! कासवा ! कोमारिय-पव्वजाए कोमारएणं बंभरवासेणं अविद्धकन्नए चेव संखाणं पडिलभामि 2 इमे सत्त पउट्ट-परिहारे परिहरामि, तंजहा-एोजगस्स मल्लरामस्स मल्लमंडियस्स रोहस्स भारदाइस्स अज्जुणगस्स गोयमपुत्तस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स 14 / तत्थ णं जे से पढमे पउट्टपरिहारे से णं रायगिहस्स नगरस्स बहिया मंडियकुच्छिसि चेइयंसि उदाइम्स कुडियायणस्स सरीरं विप्पजहामि 2 एणेजगस्स सरीरगं अणुप्पविसामि 2 बावीसं वासाइं पढमं पउट्टपरिहारं परिहरामि 15 / तत्थ णं जे से दोच्चे पउट्ट. परिहारे से उद्दडपुरस्स नगरस्स बहिया चंदोयरणंसि चेइयंसि एोजगस्स सरीरगं विप्पजहामि 2 ता मल्लरामस्स सरीरगं अणुप्पविसामि 2 एकवीसं वासाइं दोच्चं पउट्टपरिहारं परिहरामि 16 / तत्थ णं जे से तच्चे पउट्टपरिहारे से णं चंपाए नगरीए बहिया अंगमंदिरंमि चेइयंसि मल्लरामस्स सरीरगं विप्पजहामि 2 मंडियस्स सरीरगं अणुप्पविसामि 2 वीसं वासाई तवं पउट्टपरिहारं परिहरामि 17 / तत्थ णं जे से चउत्थे पउट्टपरिहारे से णं वाणारसीए नगरीए बहिया काममहावणंसि चेइयंसि मंडियस्स सरीरगं विप्पजहामि 2 रोहस्स सरीरगं अणुप्पविसामि 2 एकूणवीसं बासाइ य चउत्थं पउट्टपरिहारं परिहरामि 18 / तत्थ णं जे से पंचमे पउट्टपरिहारे से णं बालभियाए नगरीए बहिया पत्तकालगयंसि चेइयंसि Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 516 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः तृतीयो विभागः रोहस्स सरीरगं विष्पजहामि 2 भारदाइस्स सरीरगं अणुप्पविसामि 2 अट्ठारस वासाइं पंचमं पउट्टपरिहारं परिहरामि 19 / तत्थ णं जे से छट्टे पउट्टपरिहारे से णं वेसालीए नगरीए बहिया कोंडियायणंसि चेइयंसि भारदाइयरस सरीरं विप्पजहामि 2 अज्जुणगस्स गोयमपुत्तस्स सरीरगं अणुप्पविसामि 2 सत्तर वासाई छटुं पउट्टपरिहारं परिहरामि 20 / तत्थ णं जे से सत्तमे पउट्टपरिहारे से णं इहेव सावत्थीए नगरीए हालाहलाए कुभकारीए कुभकारावणंसि अज्जुणगस्त गोयमपुत्तस्स सरीरगं विप्पजहामि अज्जुणयस्स गोयमपुत्तस्स सरीरगं विप्पजहित्ता गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरगं अलं थिरं धुवं धारणिज्जं सीयसहं उराहसहं खुहासह विविह-दंस-मसग-परीसहोवसग्गसहं थिरसंघयणंतिकटु तं अणुप्पविसामि 2 तं से णं सोलस वासाई इमं सत्तमं पउट्टपरिहारं परिहरामि 21 / एवामेव अाउसो! कासवा! एगेणं तेत्तीसेणं वाससएणं सत्त पउट्टपरिहारा परिहरिया भवंतीति मक्खाया, तं सुट्ठ णं अाउसो ! कासवा ! ममं एवं वयासी साधु ण पाउसो ! कासवा ! ममं एवं वयासी-गोसाले मंखलिपुत्ते ममं धम्मंतेवासित्ति गोसाले मंखलिपुत्ते 2, 22 // सूत्रं 550 // तए णं समणे भगवं महावीरे गोसालं मंखलिपुत्ते एवं वयासी-गोसाला! से जहानामए तेणए सिया गामेल्लएहिं पर(रि)भमाणे (पारब्भमाणे, परज्ममाणे) 2 कत्थय गड्ड वा दरिं वा दुग्गं वा णिन्नं वा पव्वयं वा विसमं वा अणस्सादेमाणे एगेणं महं उन्नालोमेण वा सणलोमेण वा कप्पासपम्हेण(पोम्हेणे, पोंभेग) वा तणसूएगा वा अत्ताणं यावरेत्ताणं चिट्ठजा से णं अणावरिए श्रावरियमिति अप्पाणं मन्नइ अप्पच्छराणे य पच्छराणमिति अप्पाणं मन्नति ग्रणिलुक्के णिलुकमिति अप्पाणं मन्नति अपलाए पलायगिति अप्पाणं मन्नति, एवामेव तुमंपि गोसाला ! अणन्ने संते अन्नमिति अप्पाणं उपलभसि तं मा एवं गोसाला! नारिहसि गोसाला ! सच्चेव ते सा छाया नो अन्ना // सूत्रं 551 / / Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 15 : उद्देशक. 1] [517 तए णां से गोसाले मंखलिपुत्ते समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे श्रासुरुते 5 समणं भगवं महावीरं उच्चावयाहिं अाउसणाहिं थाउसति 2 उच्चावयाहिं उद्धंसणाहिं उद्धंसेति उद्धंसेत्ता उच्चावयाहिं निभंछणाहिं निभंछेति 2 उच्चावयाहिं निच्छोडणाहिं निच्छोडेति 2 एवं वयासी-नट्ठसि कदाइ विणटेसि कदाइ भट्ठोऽसि कयाइ नट्ठविण? भट्ठसि कदायि अज ! न भवसि नाहि ते ममाहितो सुहमत्थि // सूत्रं 552 // ते णं काले णं 2 समणस्स भगवयो महावीरस्स अंतेवासी पाईणजाणवए सव्वाणुभूती णामं अणगारे पगइभद्दए जाव विणीए धम्मायरियाणुरागेणं एयमटुं असदहमाणे उट्ठाए उट्ठति 2 जेणेव गोसाले मंखलिपुत्ते तेणेव उवागच्छति 2 गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी-जेवि ताव गोसाला! तहारुवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अंतियं एगमवि पारियं (यायारियं) धम्मियं सुवयणं निसामेति सेवि ताव वंदति नमंसति जाव कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासइ, किमंग पुण तुमं गोसाला ! भगवया चेव पव्वाविए भगवया चेव मुंडाविए भगवया चेव सेहाविए भगवया चेव सिक्खाविए भगवया चेव बहुस्सुतीकए भगवो चेव मिच्छ विप्पडिबन्ने, तं मा एवं गोसाला! नारिहसि गोसाला ! सच्चेव ते सा छाया नो अन्ना 1 / तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते सव्वाणुभूतिणामं अणगारेणं एवं वुत्ते समाणे श्रासुरुत्ते 5 सव्वाणुभूति अणगारं तवेणं तेएणं एगाहच्चं कूडाहच्चं जाव भासरासि करेति 2 / तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते सव्वाणुभूति श्रणगारं तवेणं तेएणं एगाहच्वं कूडाहच्चं जाव भासरासिं करेत्ता दोच्चंपि समणं भगवं महावीरं उच्चावयाहि पाउसणाहिं अाउसइ जाव सुहं नस्थि 2 / ते णं काले णं 2 समणस्स भगवश्री महावीरस्स अंतेवासी कोसलजाणवए सुणक्खत्ते णाम अणगारे पगइभद्दए विणीए धम्मायरियाणुरागेणं जहा सव्वाणुभूती तहेव जाव सच्चेव ते सा छाया नो अन्ना 3 / तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते सुण Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 518 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विमागः क्खत्तेणं अणगारेग एवं वुत्ते समाणे त्रासुरुत्ते 5 सुनक्खत्तं अणगारं तवेणं तेएणं परितावेइ, तए णं से सुनक्खत्ते अणगारे गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं तवेणं तेएणं परिताविए समाणे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ 2 समणं भगतं महावीरं तिक्खुत्तो 2 वंदइ नमसइ 2 सयमेव पंच महब्बयाई पारुभेति 2 समणा य समणीयो य खामेइ 2 बालोइय-पडिकंते समाहिपत्ते प्राणुपुवीए कालगए 4 / तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते सुनवखतं अणगारं तवेणं तेएणं परितावेत्ता तच पि समणं भगवं महावीरं उच्चावयाहिं ग्राउसणाहिं ग्राउसति सव्वं तं चेव जाव सुहं नत्थि 5 / तए णं समणे भगवं महावीरे गोसालं मखलिपुत्तं एवं वयासी-जेवि ताव गोसाला ! तहारुवस्स समणस्स वा माहणस्स वा तं चेव जाव पज्जुवासेइ, किमंग पुण गोसाला ! तुमं मए चेव पव्वाविए जाव मए चेव बहुस्सुईकए ममं चेव मिच्छ विप्पडिवन्ने ?, तं मा एवं गोसाला ! जाव नो यन्ना 6 / तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे श्रासुरुत्ते 5 तेयासमुग्घाएणं समोहन्नइ 2 सत्तट्ठ पयाई पच्चोसका 2 समणस्स भगवयो महावीरस्स वहाए सरीरगंसि तेयं निसिरति, से जहानामए वाउकलियाइ वा वायमंडलियाइ वा सेलसि वा कुड्डसि वाथंभंसि वा थूमंसि वा श्रावरिजमाणी वा निवारिजमाणी वा सा णं तत्थेव णो कमति नो पकमति एवामेव गोसालस्सवि मंखलिपुत्तस्त तवे तेए समणस्स भगवयो महावीरस्स वहाए सरीरगंसि निसि? समाणे से णं तत्थ नो कमति नो पकमति अंचियंचि करेंति 2 श्रायाहिण-पयाहिणं करेति 2 उड्ड वेहा उप्पइए, से णं तो पडिहए पडिनियत्ते समाणे तमेव गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरगं अगुडहमाणे 2 अंतो 2 अणुप्पवि? 7 / तए णं से गोसाले मंखलिपुते सएणं तेएणं अन्नाइट्टे समाणे समणं भगवं महावीर एवं वयासी-तुम णं पाउसो! कासवा ! ममं तवेणं तेएणं अन्नाइटे Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्वगवति) सूत्रं // शतकं 15 :: उद्देशकः 1 ] [ 516 समाणे अंतो छराहं मासाणं पित्तजर-परिगयसरीरे दाहवक्कंतीए छउमत्थे चेव कालं करेस्ससि = / तए णं समणे भगवं महावीरे गोसालं मखलिपुत्तं एवं वयासो-नो खलु अहं गोसाला ! तव तवेणं तेएणं अन्नाइट्टे समाणे अंतो छराहं जाव कालं करेस्सामि अहन्नं अन्नाई सोलस वासाइं जिणे सुहत्थी विहरिस्सामि, तुमं णं गोसाला ! अप्पणा चेव सयेणं तेएणं अन्नाइट्टे समाणे अंतो सत्तरत्तस्स पित्तजर-परिगयसरीरे जाव छउमत्थे चेव कालं करेस्ससि 1 / तए णं सावत्थीए नगरीए सिंघाड़ग जाव पहेसु बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ जाव एवं परूवेइ, एवं खलु-देवाणुप्पिया! सावत्थीए नगरीए बहिया कोट्ठए चेइए दुवे जिणा संलवंति, एगे वयंतितुमं पुब्वि कालं करेस्तसि एगे वदंति तुमं पुब्बि कालं करेस्ससि, तत्थ णं के पुण सम्मावादी के. पुण मिच्छावादी ?, तत्थ णं जे से ग्रहप्पहाणे जणे से वदति-समणे भगवं महावीरे सम्मावादी गोसाले मंखलिपुत्ते मिच्छावादी 10 / अजोति समणे भगवं महावीरे समणे निग्गंथे श्रामं तेत्ता एवं वयासी-अजो! से जहानामए तणरासीइ वा कट्ठरासीइ वा पत्तरासीइ वा तयारासीइ वा तुसरासीइ वा. भुसरासीइ वा गोमयरासीइ वा अवकररासीइ वा अगणिज्झामिए अंगणिझंसिए श्रगणिपरिणामिए हयतेये गयतेये नट्ठतेये भट्ठतेये लुत्ततेए विणट्ठतेये जाव पवामेव गोसाले मंखलिपुत्ते मम वहाए सरीरगंसि तेयं निसिरेत्ता यतेये गयतेये जाव विणट्टतेये जाए, तं छदेणं अजो! तुज्झे गोसालं मंखलिपुत्तं धम्मियाए पडिचोयणाए पडिचोएह 2 धम्मियाए पडिसारणाए पडिसारेह 2 धम्मिएणं पडोयारेणं पडोयारेह 2 अढहि य हेऊहि य पसिणेहि य वागरणेहि य कारणेहि य निप्पट्ट-पसिण-वागरणं करेह 11 / तए णं ते समणा निग्गंथा समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ता समाणा समणं भगवं महावीरं वंदति नमसंति वंदित्ता नमंमित्ता जेणेव गोसाले मंखलिपुत्ते. तेणेव उवागच्छंति Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 520 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // तृतीयो विभागः तेणेव 2 गोसालं मंखलिपुत्तं धम्मियाए पडिचोयणाए पडिचोएंति 2 धम्मियाए पडिसाहरणाए पडिसाहति 2 धम्मिएणं पडोयारेणं पडोयारेति 2 अट्ठहि य हेऊहि य कारणेहि य जाव वागरणं वागरेंति 12 / तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते समणेहिं निग्गंथेहिं धम्मियाए पडिचोयणाए पडिचोतिजमाणे जाव निप्पट्ठपसिणवागरणे कीरमाणे श्रासुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे नो संचाएति समणाणं निग्गंथाणं सरीरगस्स किंचि श्राबाहं वा वाबाहं वा उप्पाएत्तए छविच्छेदं वा करेत्तए 13 / तए णं ते श्राजीविया थेरा गोसालं मंखलिपुत्तं समणेहिं निग्गंथेहि धम्मियाए पडिचोयणाए पडिचोएजमाणं धम्मियाए पडिसारणाए पडिसारिजमाणं धम्मिएणं पडोयारेण य पडोयारेजमाणं अट्ठोहि य हेऊहि य जाव कीरमाणं श्रासुरुत्तं जाव मिसि. मिसेमाणं समणाणं निग्गंथाणं सरीरगस्स किंचि आवाहं वा वाबाहं वा छविच्छेदं वा अकरेमाणं पासंति 2 गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स अंतियायो श्रायाए अवकमंति अायाए अवकमित्ता 2 जेणेव समणं भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति 2 समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो पायाहिण पयाहिणं करेंति 2 वंदंति नमसंति 2 समणं भगवं महावीरं उवसंपजित्ताणं विहरंति, अत्थेगइया श्राजीविया थेरा गोसालं चेव मंखलिपुत्तं उवसंपजित्ताणं विहरति 14 / तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते जस्सट्टाए हव्वमागए तम? असाहेमाणे रुंदाई पलोएमाणे दीहुराहाई नीसासमाणे दाढियाए लोमाए लुचमाणे श्रवड्डे कडूयमाणे पुयलि पफोडेमाणे हत्थे विणिझुणमाणे दोहिवि पाएहिं भूमि कोट्टे माणे हाहा ग्रहो ! होऽहमस्तीतिकटु समणस्स भगवयो महावीरस्स अंतियायो कोट्ठयायो चेइयायो पडिनिक्खमति 2 जेणेव सावत्थी नगरी जेणेव हालाहलाए कुंभकारीए कुभकारावणे. तेणवे उवागच्छइ 2 हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणंसि अंबकूणगहत्थगए मजपाणगं पियमाणे अभिक्खणं गायमाणे अभिक्खणं नचमाणे अभिवखणं हालाहलाए Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्रि (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 15 :: उद्देशकः 1 / [521 कुंभकारीए अंजलिकम्मं करेमाणे सीयलएणं मट्टियापाणएणं श्रायंचणिउदएणं गायाई परिसिंचमाणे 2 विहरति 15 // सू० 553 // अजोति समणे भगवं महावीरे समणे निग्गंथे श्रामंतेत्ता एवं वयासी-जावतिएणं अजो! गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं ममं वहाए सरीरगंसि तेये निसट्टे से णं अलाहि पजत्ते सोलसराहं जणवयाणं, तंजहा-अंगाणं वंगाणं मगहाणं मलयाणं मालवगाणं अत्थाणं वत्थाणं कोत्थाणं पाढाणं लाढाणं वजाणं मोलीणं कासीणं कोसलाणं अवाहाणं सुभुत्तराणं धाताए वहाए उच्छादणयाए भासीकरणयाए 1 / जंपि य अजो ! गोसाले मंखलिपुत्ते हालाहलाए कुंभकारीए कुभकारावणंसि अंबकूणगहत्थगए मजपाणं पियमाणे अभिक्खणं जाव अंजलिकम्म करेमाणे विहरइ तस्संवि य णं वजस्स पच्छादणट्ठयाए इमाइं अट्ठ चरिमाइं पनवेति, तंजहा-चरिमे पाणे चरिमे गेये चरिमे नट्ट चरिमे अंजलिकम्मे चरिमे पोक्खलसंवट्टए महामेहे चरिमे सेयणए गंधहत्थी चरिमे महासिलाकंटए संगामे अहं च णं इमीसे श्रोसप्पिणीए चउवीसाए तित्थकराणं चरिमे तित्थकरे सिज्मिस्सं जाव अंतं करेस्संति 2 / जंपि य अजो ! गोसाले मंखलिपुत्ते सीयलएणं मट्ठियापाणएणं श्रायंचणिउदएणं गायाई परिसिंचमाणे विहरइ तस्सवि य णं वजस्स पच्छादणट्टयाए इमाई चत्तारि पाणगाई पनवेति 3 / से किं तं पाणए ?, पाणए चउबिहे पन्नत्ते, तंजहा-गोपुटुए हत्थमदियए श्रायवतत्तए सिलापब्भट्ठए, सेत्तं पाणाए / से किंतं अपाणए ?, अपाणए चउबिहे पराणत्ते, तंजहा-थालपाणए तयापाणए सिंबलिपाणए सुद्धपाणए 5 / से कि तं थालपाणए ?, 2 जगणं दाथालगं वा दावारगं वा दाकुभगं वा दाकलसं वा सीयलगं उल्लगं हत्थेहिं परामुसइ न य पाणियं पियइ सेत्तं थालपाणए 6 / से किं तं तयापाणए ?, 2 जगणं अंबं वा अंबाडगं वा जहा पश्रोगपदे जाव बोरं वा तिंदुरुयं वा तरुयं वा तरुणगं वा श्रामगं वा श्रासगंसि श्रावीलेति वा पवीलेति वा न Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 522 / * / श्रीमदागमसुधासिन्धुः : तृतीयो विभागः य पाणियं पियइ सेत्तं तयापाणए 7 / से किं तं सिंबलिपाणए ?, 2 जगणं कलसंगलियं वा मुग्गसिंगलियं वा माससंगलियं वा सिंबलिसंगलियं वा तरुणियं आमियं अासगंसि श्रावीलेति वा पवीलेति वा ण य पाणियं पियति सेत्तं सिंबलिपाणए 8 / से किं तं सुद्धपाणए ?, सुद्धपाणए जगणं छम्मासे सुद्धखाइमं खाइति दो मासे पुढविसंथारोवगए य दो मासे कट्ठसंथारोवगए दो मासे दम्भसंथारोवगए, तस्स णं बहुपडिपुन्नणंछराहंमासाणं अंतिमराइए इमे दो देवा महड्डिया जाव महेसक्खा अंतियं पाउभवंति, तंजहा-पुन्नभद्दे य माणिभद्दे य, तए णं ते देवा सीयलएहिं उल्लएहिं हत्थेहि गायाई परामुसंति जेणं ते देवे साइजति से णं श्रासीविसत्ताए कम्मं पकरेति जे णं ते देवे नो साइजति तस्स णं तंसि सरीरगंसि अगणिकाए संभवति, से णं सएणं तेएणं सरीरगं झामेति 2 तो पच्छा सिज्झति जाव अंतं करेति, सेत्तं सुद्धपाणए 1 / तत्थ णं सावत्थीए नयरीए अयंपुले णाम श्राजीवियोवासए परिवसइ अड्डे जाव अपरिभूए जहा हालाहला जाव आजीवियसमएणं अप्पाणं भावेमाणे विहरति 10 / तए णं तस्स अयंपुलस्स श्राजीवियोवासगस्स अन्नया कदायि पुव्वरत्तावरत्तकालसमयसि कुडुबजागरियं जागरमाणस्म अयमेयारूवे अब्भत्थिए जाव समुप्पजित्थाकिसंठिया हल्ला पराणत्ता ?, 11 / तए णं तस्स अयंपुलस्स भाजीयोवासगस्स दोच्चंपि अयमेयारूवे अब्भत्थिए जाव समुप्पजित्था-एवं खलु ममं धम्मायरिए धामोवदेसए गोसाले मंखलिपुत्ते उप्पन्ननाणदंसणधरे जाव सव्वन्नू सव्वदरिसी इहेव सावत्थीए नगरीए हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणंसि ग्राजीवियसंघसंपरिवुडे श्राजीवियसमएणं. अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, तं सेयं खलु मे कल्लं जाव जलते गोसालं मंखलिपुत्तं वंदित्ता जाव पज्जुवासेत्ता इमं एयारूवं वागरणं वागरित्तएत्तिकटु एवं संपेहेति 2 कल्लं जाव जलते राहाए कय जाव अप्पमहग्घाभरणालंकिय Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 15 :: उद्देशकः 1 ] [ 523 सरीरे सायो गिहायो पडिनिक्खमति 2 पायविहारचारेणं सावत्थि नगरिं मझमझेणं जेणेव हालाहलाए कुभकारीए कुंभकारावणे तेणेव उवागच्छति 2 पासइ गोसालं मंखलिपुत्तं हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणंसि अंबकूणगहत्थगयं जाव अंजलिकमं करेमाणे सीयलयाएणं मट्टिया जाव गायाई परिसिंचमाणं पासइ 2 लजिए विलिए विड्डे सणियं 2 पच्चोसकइ 12 / तए णं ते श्राजीविया थेरा अयंपुलं आजीवियोवासगं लज्जियं जाव पचोसकमाणं पासइ 2 एवं वयासीएही ताव अयंपुला ! एताओ, तए णं से अयंपुले श्राजीवियो. वासए श्राजीवियथेरेहिं एवं वुत्ते समाणे जेणेव आजीविया थेरा तेणेव उवागच्छइ 2 ग्राजीविए थेरे वंदति नमंसति 2 नचासन्ने जाव पज्जुवासइ 13 / अयंपुलाइ श्राजीविया थेरा अयंपुलं आजीवियोवासगं एवं वयासीसे नूणं ते अयंपुला ! पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि जाव सिंठिया हल्ला पराणत्ता ?, तए णं तव अयंपुला ! दोच्चपि अयमेयारूवं तं चेव सव्वं भाणियब्वं जाव सावत्थिं नगरि मज्झमज्झेणं जेणेव हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणे जेणेव इहं तेणेव हव्वमागए 14 / से नूणं ते अयंयुला ! अट्ठ सम? ?, हंता अत्थि, जंपि य अयंपुला! तव धम्मायरिए धम्मोवदेसए गोसाले मंखलिपुत्ते हालाहलाए कुंभकारीएकुभकारावणंसि यंबकूणगहत्थगए जाव अंजलिं करेमाणे विहरति तत्थवि णं भगवं इमाई अट्ट चरिमाइं पनवेति, तंजहा-चरिमे पाणे जाव अंतं करेस्सति 15 / जेवि य अयंपुला ! तव धम्मायरिए धम्मोवदेसए गोसाले मंखलिपुत्ते सीयलयाए णं मट्टिया जाव विहरति, तत्थवि णं भंते ! इमाई चत्तारि पाणगाइं चत्तारि अपाणगाई पनवेति, से किं तं पाणए ? 2 जाव तो पच्छा सिज्मति जाव अंतं करेति, तं गच्छ णं तुम अयंपुला ! एस चेव तव धम्मायरिए धम्मोवदेसए गोसाले मंखलिपुते इमं एयारूवं वागरणं वागरित्तएत्ति 16 / तए णं से Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 524 / ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभागः अयंपुले आजीवियोवासए श्राजीविएहि थेरेहिं एवं वुत्ते समाणे हट्टतुट्टे उट्ठाए उ8ोति 2 जेणेव गोसाले मंखलिपुते तेणेव पहारेत्थ गमणाए 17 // तए णं ते आजीविया थेरा गोसालस्स मखलिपुत्तस्स अंबकू(खु)णगपडावण?याए एगंतमते संगारं कुब्वइ, तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते श्राजीवियाणं थेराणं संगारं पडिच्छइ 2 अंबकूणगं एगंतमंते एडेइ 18 / तए णं से श्रयंपुले श्राजीवियोवासए जेणेवे गोसाले मंखलिपुत्ते तेणेव उवागच्छद 2 गोसालं मंखलिपुत्तं तिक्खुत्तो जाव पज्जुवासति, अयंपुलादी गोसाले मंखलिपुत्ते अयंपुलं आजीवियोवासगं एवं वयासी-से नूणं अयंपुला ! पुबरत्तावरत्तकाल समयंसि जाव जेणेव ममं अंतियं तेणेव हव्वमागए, से नूणं अयंपुला ! अट्ठ सम? ?, हंता अत्थि, तं नो खलु एस अंबकूणए अंबचोयए णं एसे, किंसंठिया हल्ला पन्नत्ता ?. वंसीमूलसंठिया हल्ला पराणत्ता, वीणं वाएहि रे वीरगा 2, 11 / तए णं से अयंपुले आजीवियोवासए गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं इमं एयारूवं वागरणं वागरिए समाणे हट्टतुट्टे जाव हियए गोसालं मंखलिपुत्तं वंदइ नमसइ 2 पसिणाई पुच्छइ 2 अट्ठाई परियादियइ 2 उट्टाए उ?ति 2 गोसालं मंखलिपुत्तं वंदइ नमसइ 2 जाव पडिगए 20 / तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते अप्पणो मरणं ग्राभोएइ 2 श्राजीविए थेरे सहावेइ 2 एवं वयासी-तुज्झे णं देवाणुप्पिया! ममं कालगयं जाणेत्ता सुरभिणा गंधोदएणं राहाणे(वे)ह 2 पम्हलसुकुमालाए गंधकासाईए गायाई लूहेह 2 सरसेणं गोसीसचंदणेणं गायाई अणुलिपह 2 महरिहं हंसलक्खणं पाडसाडगं नियंसेह 2 सव्वालंकारविभूसियं करेह 2 पुरिससहस्सवाहिणि सीयं दूरुहेह 2 सावत्थीए नयरीए सिंघाडग जाव पहेसु महया महया सद्देणं उग्घोसेमाणा एवं वदह-एवं खलु देवाणुप्पिया ! गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिगप्पलावी जाव जिणसह पगासेमाणे विहरित्ता इमीसे अोसप्पिणीए चउवीसाए तिस्थयराणं चरिमे तिस्थयरे Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 15:: उद्देशकः 1 ] [ 525 सिद्धे जाव सव्वदुक्खपहीणे इड्डिसकारसमुदएणं मम सरीरगस्स णीहरणं करेह, तए णं ते श्राजीविया थेरा गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स एयमटुं विणएणं पडिसुणेति 21 // सूत्रं 554 // तए णं तस्स गोसालस्स- मंखखिपुत्तस्स सत्तरत्तंसि परिणममाणंसि पडिलद्धसम्मत्तस्स श्रयमेयारूवे अब्भत्थिए जाव समुप्पजित्था-णो खलु अहं जिणे जिणप्पलावी जाव जिणसह पगासेमाणे विहरति, अहं णं गोसाले चेव मंखलिपुत्ते समगाघायए समणमारए समणपडिणीए पायरियउवज्झायाणं अयसकारए श्रवन्नकारए अकित्तिकारए बहुहिं असब्भावुभावणाहि मिच्छत्ताभिनिवेसेहि य अप्पाणं वा परं वा तदुभयं वा वुग्गाहेमाणे वुप्पाएमाणे विहरित्ता सएणं तेएणं अन्नाइ8 समाणे अंतो सत्तरत्तस्स पित्तजरपरिगयसरीरे दाहवक्कंतीए छउमत्थे चेव कालं करेस्सं, समणे भगवं महावीरे जिणे जिणप्पलावी जाव जिणसह पगासेमाणे विहरइ 1 / एवं संपेहेंति एवं संपेहित्ता श्राजीविए थेरे सद्दावेइ 2 उच्चावय-सवहसाविए करेति 2 एवं वयासी-नो खलु अहं जिणे जिणप्पलावी जाव पकासेमाणे विहरइ, अंहन्न गोसाले मंखलिपुत्ते समणघायए जाव छउमत्थे चेव कालं करेस्सं, समणे भगवं महावीरे जिणे जिणप्पलावी जाव जिणसह पगासेमाणे विहरइ 2 / तं तुज्झे णं देवाणुप्पिया ! ममं कालगयं जाणेत्ता वामे पाए सुबेणं बंधेह 2 तिक्खुत्तो मुहे उठुहह तिक्खुत्तो 2 सावत्थीए नगरीए सिंघाडग जाव पहेसु आकढिविकिट्टि करेमाणा महया 2 सद्दे णं उग्घोसेमाणा 2 एवं वदहनो खलु देवाणुप्पिया ! गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव विहरिए, एस णं गोसाले चेव मंखलिपुत्ते समणघायए जाव छउमत्थे चेव कालगए 3 / समणे भगवं महावीरे जिणे जिणप्पलावी जाव विहरइ महया अणिड्डी-असकारसमुदएणं मम सरीरगस्स नीहरणं करेजाह, एवं वदित्तो कालगए 4 // सूत्रं 555 // तए णं श्राजीविया थेरा गोसालं Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 526 ] : - [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः मंखलिपुत्तं कालगयं जाणित्ता हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणस्स दुवाराई पिहेंति 2 हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणस्स बहुमज्झदेसभाए सावत्थि नगरिं आलिहंति 2 गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरगं वामे पादे सुबेणं बंधंति 2 तिक्खुत्तो मुहे उद्धटठति 2 सावत्थीए नगरीए सिंग्घाडग जाव पहेसु आकर्टिविकट्टि करेमाणा णीयं 2 सद्देणं उग्घोसेमाणा 2 एवं वयासी-नो खलु देवाणुप्पिया ! गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव विहरइ एस णं चेच गोसाले मंखलिपुत्ते समणधायए जाव छउमत्थे चेव कालगए समणे भगवं महावीरे जिणे जिणप्पलावी जाव विहरइ, सवहपडिमोक्खणगं करेंति 2 दोच्चपि पूयासकार-थिरीकरणट्टयाए गोसालस्स, मंखलिपुत्तस्स वामायो पादायो सुवं मुयंति 2 हालाहलाए कुभकारीए कुभकारावणस्स दुवारवयणाई अवगुणंति 2 गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरगं सुरभिणा गंधोदएणं राहाणेति तं चेव जाव महया इडिमकारसमुदएणं गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरस्स नीहरणं करेंति // सूत्रं 556 // तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कदायि सावत्थीयो नगरीयो कोट्टयानो चेइयायो पडिनिक्खमति 2 बहिया जणवयविहारं विहरइ 1 / ते णं काले णं 2 मेंढियगामे नामं नगरे होत्था वन्नो, तस्स णं में ढियगामस्स नगरस्स बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए एत्थ णं साल(ण)कोट्ठए नामं चेइए होत्था वन्नश्रो जाव पुढविसिलापट्टयो, तस्स णं सालकोट्ठगस्स णं चेइयस्स अदूरसामंते एत्थ णं महेगे मालुयाकच्छए यावि होत्था किराहे किराहोभासे जाव निकुरंबभूए पनिए पुष्फिए फलिए हरियगरेरिजमाणे सिरीए अतीव 2 उवसोभेमाणे चिट्ठति 2 / तत्थ णं मेंढियगामे नगरे रेवती नाम गाहावइणी परिवसतिः अड्डा जाव अपरिभूया, तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कदायि पुवाणुपुब्धि घरमाणे जाव जेणेव मेंढियगामे नगरे जेणेव साण(ल)कोठे चेइए जाव Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 15 :: उद्देशकः 1 / [527 परिसा पडिगया 3 / तए णं समणस्स भगवयो महावीरस्स सरीरगंसि विपुले रोगायक पाउन्भूए उज्जले जाव दुरहियासे पित्तजरपरिगयसरीरे दाहवक्कंतीए यावि विहरति, अवियाई लोहियवच्चाईपि पकरेइ, चाउव्वन्नं वागरेति–एवं खलु समणे भगवं महावीरे गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स तवेणं तेएणं अन्नाइठे समाणे अंतो छराहं मासाणं पित्तजरपरिगयसरीरे दाहवक्कंतीए छउमत्थे चेव कालं करेस्सति 4 / ते णं काले णं 2 समणस्स भगवयो महावीरस्स अंतेवासी सीहे नामं अणगारे पगइभद्दए जाव विणीए मालुयाकच्छगस्स अदूरसामंते छठंछट्टेणं अनिक्खित्तेणं 2 तबोकम्मेणं उट्ठबाहा जाव विहरति 5 / तए णं तस्स सीहस्स अणगारस्स झाणंतरियाए वट्टमाणस्स अयमेयारूवे जाव समुप्पन्जित्था-एवं खलु ममं धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स समणस्स भगवश्री महावीररस सरीरगंसि विउले रोगायंके पाउन्भूए. उज्जले जाव छउमत्थे चेव कालं करिस्सति, वदिस्संति य णं अन्नतित्थिया छउमत्थे चेव कालगए, इमेणं एयारूवेणं महया मणोमाणसिएणं दुवखेणं अभिभूए समाणे अायावणभूमीयो पचोरभइ 2 जेणेव मालुयाकच्छए तेणेव उवागच्छइ 2 मालुयाकच्छगं अंतो 2 अणुपविसइ 2 महया 2 सद्दणं कुहुकुहुस्स परुन्ने 6 / अजोत्ति समणे भगवं महावीरे समणे निग्गंथे पामतेति 2 एवं वयासी-एवं खलु अजो! ममं अंतेवासी सीहे नामं अणगारे पगइभद्दए तं चेव सव्वं भाणियव्वं जाव परुन्ने, तं गच्छह णं अजो! तुज्झे मीहं अणगारं सदह 7 / तए णं ते समणा निग्गंथा समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ता समाणा समणं भगवं महावीरं वंदंति नमसंति 2 समणस्स भगवयो महावीरस्स अंतियायो साण(ल)कोट्टयाश्रो चेइयायो पडिनिक्खमंति 2 जेणेव मालुयाकच्छए जेणेव सीहे अणगारे तेणेव उवागच्छन्ति 2 सीहं अणगारं एवं वयासीसीहा ! धम्मायरिया सदाति 8 | तए णं से सीहे अणगारे समणेहि Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 528 ) / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः निग्गंथेहिं सद्धिं मालुयाकच्छगायो पडिनिक्खमति 2 जेणेव साण(ल)कोट्ठा चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ 2 समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो पायाहीण पयाहीणं करेइ 2 जाव पज्जुवासति 1 / सीहादि समणे भगवं महावीरे सीहं अणगारं एवं वयासी-से नूणं ते सीहा ! झाणंतरियाए वट्टमाणस्स अयमेयारूवे जाव परून्ने, से नूणं ते सीहा ! अष्टे सम? ?, हंता अस्थि, तं नो खलु अहं सीहा ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स तवेणं तेएणं अन्नाइ8 समाणे अंतो छराहं मासाणं जाव कालं करेस्सं, अहन्नं अन्नाइं श्रद्धसोलस वासाइं जिणे सुहत्थी विहरिस्सामि, तं गच्छह णं तुमं सीहा ! मेंढियगाम नगरं रेवतीए गाहावतिणीए गिहे तत्थ णं रेवतीए गाहावतिणीए ममं अट्ठाए दुवे कवोयसरीरा उवक्खडिया तेहिं नो अट्ठो, अत्थि से श्रन्ने पारियासिए मजारकडए कुक्कुडमंसए तमाहराहि एएणं अट्ठो 10 / तए णं से सीहे अणगारे समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे हट्टतुढे जाव हियए समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता अतुरिय-मत्रवल-मसंभंतं मुहपोत्तियं पडिलेहेति 2 जहा गोयमसामी जाव जेणेव ममणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति 2 समणं भगवं महावीरं वंदति नमसति 2 समणस्स भगवयो महावीरस्स अंतियायो साण(ल)कोट्ठयायो चेइयायो पडिनिक्खमति 2 अतुरिय जाव जेणेव मेंढियगामे नगरे तेणेव उवागच्छति 2 मेंढियगामं नगरं मझमज्मेणं जेणेव रेवतीए गाहावइणीए गिहे तेणेव उवागच्छति 2 रेवतीए गाहावतिणीए गिहं अणुप्पवि? 11 / तए णं सा रेवती गाहावतिणी सीहं यणगारं एजमाणं पासति 2 हट्टतुट्ठहियया खिप्पामेव भासणायो अभुट्टेइ 2 सीहं अणगारं सत्तट्ठ पयाई अणुगच्छइ 2 तिक्खुत्तो यायाहीण-पयाहीणं करेइ 2 वंदति नमंसति 2 एवं बयासीसंदिसंतु णं देवाणुप्पिया ! किमागमणप्पयोयणं ?, तए णं से सीहे Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञाप्ते (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 15 .: उद्देशकः 1] [529 अणगारे रेवति गाहावइणी एवं वयासी-एवं खलु तुमे देवाणुप्पिए ! समणस्स भगवो महावीरस्स अट्ठाए दुवे कवोयसरीरा उवक्खडिया तेहिं नो अत्थे, अत्थि ते अन्ने पारियासिए मजारकडए कुक्कुडमंसए एयमाहराहि, तेणं अट्ठो 12 / तए णं सा रेवती गाहावइणी सीहं अणगारं एवं वयासी-केस णं सीहा ! से णाणी वा तवस्सी वा जे णं तव एस अट्टे मम ताव रहस्सकडे हब्बमक्खाए जो णं तुमं जाणासि ? एवं जहा खंदए जाव जत्रो णं अहं जाणामि 13 / तए णं सा रेवती गाहावतिणी सीहस्स अणगारस्स अंतियं एयम8 सोचा निसम्म हट्टतुट्टा जेणेव भत्तघरे तेणेव उवागच्छति 2 पत्तगं मोएति पत्तगं मोएत्ता जेणेव सीहे अणगारे तेणेव उवागच्छति 2 सीहस्स अणगारस्स पडिग्गहगंसि तं सव्वं संमं निस्सिरति 14 / तए णं तीए रेवतीए गाहावतिणीए तेणं दव्वसुद्धेणं जाव दाणेणं सीहे अणगारे पडिलाभए समाणे देवाउए निबद्ध जहा विजयस्स जाव जम्मजीवियफले रेखतीए गाहावतिणीए रेवतीए गाहा. वतिणीए 15 / तए णं से सीहे यणगारे रेवतीए गाहावतिणीए गिहायो पडिनिक्खमति 2 मेंढियगामं नगरं मज्झमज्झेणं निग्गच्छति निग्गच्छइत्ता जहा गोयमसामी जाव भत्तपाणं पडिदंसेति 2 समणस्स भगवश्रो महावीरस्स पाणिसि तं सव्वं संमं निस्सिरति 26 / तए णं समणे भगवं महावीरे अमुच्छिए जाव अणज्झोववन्ने बिलमिव पन्नगभूएणं अप्पाणेणं तमाहारं सरीरकोढगंसि पक्खिवति 17 / तए णं समणस्स भगवत्रो महावीरस्स तमाहारं श्राहारियस्स समाणस्स से विपुले रोगायके खिप्पामेव उवसमं पत्ते ह? जाए अारोगे बलियसरीरे, तुट्ठा समणा तुटायो समणीयो तुट्ठा सावया तुटायो सावियागो तुट्टा देवा तुट्ठायो देवीयो सदेवमणुयासुरे लोए तुढे हटे जाए समणे भगवं महावीरे हट्टे जाए आरोगे बलियसरीरे 2, 18 ॥सूत्रं 557 // भंतेत्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीर Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 530 ]. [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभागो वंदति नमंसति 2 एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी पाईणजाणवए सव्वाणुभूतीनामं अणगारे पगतिभदए जाव विणीए, से णं भत्ते ! तदा गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं तवेणं तेएणं भासरासीकए समाणे कहिं कहिं उववन्ने ?, एवं खलु गोयमा ! ममं अंतेवासी पाईणज णवए सव्वाणुभूतीनामं यणगारे पगइभदए जाव विणीए, से णं तदा गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं तवेणं भासरासीकए समाणे उड्ड चंदिमसूरिय जाव बंभलंतकमहासुक्के कप्पे वीइवइत्ता सहस्सारे कप्पे देवत्ताए उववन्ने, तत्थ णं अत्थेगतियाणं देवाणं अट्ठारस सागरोवमाई ठिती पन्नत्ता तत्थ णं सव्वाणुभूतिस्सवि देवस्स अट्ठारस सागरोवमाइं. ठिती पन्नत्ता, से णं सव्वाणुभूती देवे तारो देवलोगायो श्राउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं जाव . महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतं करेहिति 1 / एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी कोसलजाणवए सुनक्खत्ते नाम श्रणगारे पगइभदए जाव विणीए, से णं भंते ! तदा णं गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं तवेणं परिताविए समाणे कालमासे कालं किच्चा कहिं गए कहिं उववन्ने ?, एवं खलु गोयमा ! ममं अंतेवासी सुनक्खत्ते नामं अणगारे पगइभदए. जाव विणीए, से णं तदा गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं तवेणं तेएगणं परिताविए समाणे. जेणेव ममं अंतिए तेणेव उवागच्छति 2 वंदति नमंसति 2 सयमेव पंच महब्वयाई थारुभेति सयमेव पंच महव्ययाई बारुभित्ता समणा य समणीयो य खामेति 2 बालोइयपडिक्कते समाहिपत्ते * कालमासे . कालं किच्चा उड्ड चंदिमसूरिय जाव ग्राणय-पाणयारणकप्पे वीईवइत्ता अच्चुए कप्पे देवत्ताए उववन्ने, तत्थ अत्थेगतियाणं देवाणं बावीसं सागरोवमाइं ठिती पराणत्ता, तत्थ णं सुनक्खत्तस्सवि देवस्स बावीसं . सागरोक्माई सेसं जहा सव्वाणुभूतिस्म जाव अंतं. काहिति 2 // सूत्रं 558 // एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी कुसिस्से गोसाले नामं मंखलिपुत्ते से णं भंते ! गोसाले मंखलिपुत्ते काल Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र : शतकं 15 :: उद्देशकः 1 ] ! 531 मासे कालं किच्चा कहिं गए कहिं उववराणे ?, एवं खलु गोयमा ! ममं अंतेवासी कुसिस्से गोसाले नामं मंखलिपुत्ते समणधायए जाव. छउमत्थे चेव कालमासे कालं किचा उड्डे चंदिम जाव अच्चुए कप्पे देवत्ताए उववराणे, तत्थ णं अत्यंगतियाणं देवाणं बावीसं सागरोवमाइं ठिती पराणत्ता तत्थ णं गोसालस्सवि देवस्स बावीसं सागरोवमाइं ठिती पराणत्ता 1 / से णं भंते ! गोसाले देवे ताबो देवलोगायो पाउक्खएण 3 जाव कहिं उववजिहिति ?, गोयमा ! इहेव जंबूदीवे 2 भारहे वासे विंझगिरिपायमुले पंडेसु जणवएसु सयदुवारे नगरे समुतिस्स रन्नो भदाए भारियाए.कुच्छिसि पुत्तत्ताए पचायाहिति, से णं तत्थ नवराहं मासाणं बहुपडिपुराणाणं जाव वीनिक्कंताणं जाव सुरूवे दारए पयाहिति, जं रयणिं च णं से दारए जाइहिति तं रयणिं च णं सयदुवारे नगरे सभितरबाहिरिए भारग्गसो य कुंभग्गसो य परमवासे य रयणवासे य वासे वासिहिति 2 / तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो एकारसमे दिवसे वीतिक्कते जाव संपत्ते बारसाहदिवसे अयमेयारूवं गोराणं गुणनिप्फन्नं नामधेज्ज काहिति-जम्हा णं अम्हं इमंसि दारगंसि जायंसि समाणंसि सयदुवारे नगरे सम्भितरबाहिरिए जाव रयणवासे वुढे तं होउ णं अम्हं इमस्स दारगस्स नामधेज्ज महापउमे महापउमे, तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो नामधेज़ करेहिति महापउमोत्ति 3 / तए णं तं महापउमं दारगं अम्मापियरो सातिरेगट्ठवासजायगं जाणित्ता सोभणंसि तिहि-करण-दिवस-नक्खत्तमुहुत्तंसि महया 2 राया: भिसेगेणं अभिसिचेहिति, से णं तत्थ राया भविस्सति महया हिमवंतमहंतवन्नो जाव विहरिस्सइ 4 / तए णं तस्स महापउमस्स रन्नो अन्नदा कदायि दो देवा महडिया जाव महेसक्खा सेणाकम्मं काहिति, तंजहापुन्नभद्दे य माणिभद्दे य 5 / तए णं सयदुवारे नगरे बहवे राईसरतलवर जाव महेसक्खा सेणाकम्मं जाव सत्यवाहप्पभिईश्रो अन्नमन्नं सदावेहिंति 2 Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 532 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः एवं. वदेहिंति-जम्हा णं देवाणुप्पिया! अम्हं महापउमस्स रन्नो दो देवा महड्डिया जाव सेणाकम्मं करेंति तंजहा-पुन्नभद्दे य माणिभदे य, तं होउ णं देवाणुप्पिया ! अम्हं महापउमस्स रनो दोच्चंपि नामधेज्जे देवसेणे 2, तए णं तस्स महापउमस्स रन्नो दोच्चेवि नामधेज्जे भविस्सति देवसेणेति 2, 6 / तए णं तस्स देवसेणस्स रनो अन्नया कयाई सेते संखदल-विमलसन्निगासे चउहते हस्थिरयणे समुप्पजिस्सइ 7 / तए णं से देवसेणे राया तं सेयं संखतलविमलसन्निगासं चउद्दतं हत्थिरयणं दूरूढे समाणे सयदुवारं नगरं मझमज्झेणं अभिक्खणं 2 अतिजाहिति निजाहिति य, तए णं सयदुवारे नगरे बहवे राईसर जाव पभिईयो अन्नमन्नं सदावेंति 2 वदेहिति-जम्हा णं देवाणुप्पिया ! अम्हं देवसेणस्स रन्नो सेते संखतल-विमल सन्निकासे चद्दते हुत्थिरयणे समुप्पन्ने, तं होउ णं देवाणुप्पिया ! अम्हं देवसेणस्स रन्नो तच्चेवि नामधेज्जे विमलवाहणे 2, तए णं तस्स देवसेणस्स रन्नो तच्चेवि नामधेज्जे विमलवाहणेत्ति 8 | तए णं से विमलवाहणे राया अन्नया कदायि समणेहिं निग्गंथेहि मिच्छ विप्पडिवजिहिति अप्पेगतिए बाउसेहिति अप्पेगतिए अवहसिहिति अप्पेगतिए निच्छोडेहिति अप्पेगतिए निब्भत्थेहिति अप्पेगतिए बंधेहिति अप्पेगतिए णिरु भेहिति अप्पेगतियाणं छविच्छेदं करेहिति अप्पेगतिए पमारेहिइ अप्पेगतियाणं उद्दवेहिति अप्पेगतियाणं वत्थं पडिग्गहं कंबल पायपुछणं याच्छिदिहिति विञ्छिदिहिति भिदिहिति अवहरिहिति अप्पेगतियाणं भत्तपाणं वोच्छिदिहिति अप्पेगतिए णिनगरे करेहिति अप्पेगतिए निविसए करहिति 1 / तए णं सयदुवारे नगरे बहवे राईसर जाव वदिहिंति-एवं खलु देवाणुप्पिया! विमलवाहणे राया समोहिं निग्गंथेहि मिच्छ विप्पडिवन्ने अप्पेगतिए पाउस्सति जाव निविसए करेति, तं नो खलु देवाणुप्पिया ! एवं अम्हं सेयं नो खलु एवं विमलवाहणस्स रनो सेये नो खलु पये रजस्स वा Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 15 :: उद्देशकः 1 ] [533 रटुस्स वा बलस्स वा वाहणस्त वा पुरस्स वा अंतेउरस्स वा जणवयस्स वा सेयं जगणं विमलवाहणे राया समणेहिं निगंथेहिं मिच्छ विपडिवन्ने 10 / तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं विमलवाहणं रायं एयम8 विनवित्तएत्तिकट्टु अन्नमन्नस्स अंतियं एयमट्टपडिसुणेहिंति 2 जेणेव विमलवाहणे राया तेगाव उवागब्छंति 2 करयलपरिग्गहियं विमलवाहणं रायं जएणं विजएणं बद्धावेहिति 2 एवं वदिहिति-एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणेहिं निग्गंथेहि मिच्छं विपडिवन्ना अप्पेगतिए आउस्संति जाव अप्पेगतिए निविसए करेंति 11 ।तं नो खलु एयं देवाणुप्पियाणं सेयं नो खलु एयं अम्हं सेयं नो खलु एयं रजस्सवा जाव जणवयस्स वा सेयं जंणं देवाणुप्पिया: समणेहिं निग्गंथेहि मिच्छं विप्पडियन्ना त विरमंतु णं देवाणुप्पिया ! एअस्स अट्ठस्स अकरणयाए 12 / तए णं से विमलवाहणे राया तेहिं बहूहिं राईसर जाव सत्थवाहप्पभिईहिं एयमट्ठ विनत्ते समाणे नो धम्मोत्ति नो तवोत्ति मिच्छा विणएणं एयमट्ठ पडिसुणेहिति, तस्स णं सयदुवारस्स नगरस्त बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभागे एत्थ णं सुभूमिभागे नामं उजाणे भविस्सइ सव्वोउय वन्नयो 13 / ते णं काले णं ते णं समए णं विमलस्स अरहयो पउप्पए सुमंगले नाम अणगारे जाइसंपन्ने जहा धम्मघोसस्स वन्नयो जाव संखित्त-विउल तेयलेस्से तिनाणोवगए सुभूमिभागस्स उजाणस्स अदूरसामते छ8ढेणं अणिक्त्तेिणं जाव यायावेमाणे विहरिरसति 14 / तए णं से विमलवाहणे राया अन्नया कदायि रहचरियं काउंनिजाहिति, तए णं से विमलवाहणे राया सुभूमिभागस्स उजाणस्स श्रदूरसामंते रहरियं करेमाणे सुमंगलं अणगारं छटुंछ?णं जाव पायावेमाणं पासिहिति 2 श्रासुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे सुमंगलं अणगारं रहसिरेणं [ग्रन्थाग्रं 10000] णोलावेहिति 15 / तए णं से सुमंगले अणगारे विमलवाहणेणं स्ना रहसिरेणं नोलाविए समाणे सणियं 2 उद्धेहिति 2 दोच्चपि उड्ड बाहायो Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 534 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभागः पगिझिय जाव यायावेमाणे विहरिस्सति, तए णं से विमलवाहणे राया सुमंगलं अणगारं दोच्चंपि रहसिरेणं णोल्लावेहिति 16 / तए णं से सुमंगले अणगारे विमलवाहणेणं रना दोच्चंपि रहसिरेणं णोल्लाविए समाणे सणियं 2 उट्ठोहिति 2 श्रोहिं पउंजति 2 ता विमलवाहणस्म रराणो तीतद्धं योहिणा अाभोएहिति 2 त्ता विमलवाहणं रायं एवं वइहिति-नो खलु तुमं विमलवाहणे रायानो खलु तुमं देव सेणे राया नो खलु तुमं महापउमे राया, तुमराणं इयो तच्चे भवग्गहणे गोसाले नामं मंखलिपुत्ते होत्था समणघायए जाव छ रमत्थे चेव कालगए, तं जति ते तदा सव्वाणुभूतिणा अणगारेणं पभुणावि होऊगणं सम्मं सहियं खमियं तितिक्खयं अहियासियं जइ ते तदा सुनक्खत्तेणं अणगारेणं जाव अहियासियं, जइ ते तदा समणेणं भगवया महावीरेणं पभुणावि जाव अहियासियं, तं नो खलु ते अहं तहा सम्म सहिस्सं जाव अहियासिस्सं, अहं ते नवरं सहयं सरहं ससारहियं तवेणं तेएणं एगाहच्चं कूडाहचं भासरासिं करेजामि 17 / तए णं से विमलवाहणे राया सुमंगलेणं गुणगारेणं एवं वुत्ते समाणे ग्रासुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे सुमंगलं अणगारं तच्चपि रहसिरेणं णोल्लाहिति, तए णं से सुमगले यणगारे विमलवाहणेणं रगणा तच्चपि रहसिरेणं नोल्लाविए समाणे श्रासुरुते जाव मिसिमिसेमाणे यायावणभूमीयो पचोरुभइ 2 तेयासमुग्घाएणं समोहनिहिति 2 सत्तट्ठ पयाई पच्चोसकिहिति 2 विमलवाहणं रायं सहयं सरहं ससारहियं तवेणं तेएणं जाव भासरासिं करेहिति 18 / सुमंगले णं भंते ! अणगारे विमलवाहणं रायं सहयं जाव भासरासिं करेत्ता कहिं गच्छिहिति कहिं उववजिहिति ?, गोयमा : सुमंगले अणगारे णं विमलवाहणं रायं सहयं जाव भासरासिं करेत्ता बहूहिं चउत्थ छट्टट्ठम-दसम-दुवालस जाब विचित्तेहि तवोकम्मेहिं अप्पाणं भावमाणे बहूई वासाइं सामनपरियागं पाउणेहि 2 ता मासियाए संलेहणाए सहि Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 15 :: उद्देशकः 1 ] [ 535 भत्ताए अणसणाए जाव छेदेत्ता बालोइयपडिक्कते समाहिपने उड्डे चंदिम जाव गेविज-विमाणावाससयं वीयीवइत्ता सव्वट्ठसिद्धे महाविमाणे देवत्ताए उववजिहिति, तत्थ णं देवाणं अजहन्नमणुकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई ठितो पन्नत्ता, तत्थ णं सुमंगलस्सवि देवस्स अजहन्नमणुकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई ठिती पन्नत्ता 11 / से णं भंते ! सुमंगले देवे तायो देवलोगायो जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतं करेति २०॥सूत्रं 558 // विमलवाहणे णं भंते! राया सुमंगलेणं श्रणगारेणं सहए जाव भासरासीकए समाणे कहिं गच्छिहिति कहिं उवजिहिति ?, गोयमा ! विमलवाहणे णं राया सुमंगलेणं अणगारेणं सहये जाव भासरामीकए समाणे अहेसत्तमाए पुढवीए. उक्कोसकालट्टिइयंसि नरयंसि नेरइयत्ताए उववजिहिति 1 / से गणं ततो अणंतरं उध्वट्टित्ता मच्छेसु उववजिहिति 2 / से णं तत्थ सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा दोच्चपि अहे सत्तमाए पुढवीए उकोस-कालद्वितीयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववजिहिति 3 / से णं तोऽणांतरं उव्वट्टिता दोच्चपि मच्छेसु उववजिहिति 4 / तत्थवि णं सत्थवज्झे जाव किच्चा छट्ठीए तमाए पुढवीए उक्कोसकालट्ठिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववजिहिति 5 / से णं तयोहिंतो जाव उवट्टित्ता इत्थियासु उववजिहिति 6 / तत्थवि णं सत्थवज्झे दाह जाव दोच्चंपि छट्ठीए तमाए पुढवीए उक्कोसकाल जाव उबट्टित्ता दोच्चंपि इत्थियासु उववजिहिति 7 / तत्थवि णं सस्थवज्झे जाव किच्चा पंचमाए धूम्मप्पभाए पुढवीए उक्कोसकालजाव उबट्टित्ता उरएसु उववजिहिति, 8 / तत्यवि णं सत्थवज्झे जाव किच्चा दोच्चपि पंचमाए जाव उबट्टित्ता. दोच्चंपि उरएसु उववजिहिति जाव किचा चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए उक्कोसकालद्वितीयंसि जाव उव्वट्टित्ता सीहेसु उववजिहिति 1 / तत्थवि णं सस्थवज्झे तहेव जाव किच्चा दोच्चंपि चउत्थीए पंक जाव उबट्टित्ता दोच्चंपि सीहेसु उपवजिहिति जाव किच्चा Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 536 ) ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः तच्चाए वालुयप्पभाए उक्कोसकाल जाव उव्वट्टित्ता पक्खीसु उववजिहिति 10 / तत्थवि णं सत्थवज्झे जाव किच्चा दोच्चंपि तचाए वालुय जाव उव्यट्टित्ता दोच्चपि पक्खीसु उववजिहिति जाव किच्चा दोच्चाए सकरप्पभाए जाव उव्वट्टित्ता सिरीसवेसु उवजिहिति 11 / तत्थवि णं सत्थवज्झे जाव किच्चा दोच्चंपि दोचाए सकरप्पभाए जाव उव्वट्टित्ता दोच्चपि सिरीसवेसु उववजिहिति जाव किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोसकालद्वितीयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववजिहिति, जाव उध्वट्टित्ता सरणीसु उववजिहिति 12 / तत्थवि णं सत्थवझे जाय किच्चा असन्नीसु उववजिहिति 13 / तत्थविणं सस्थवज्झे जाव किच्चा दोच्चंपि इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पलिअोवमस्स असंखेजइभागट्टितीयंसि णरगंसि नेरइयत्ताए उववजिहिति 14 / से णं तयो जाव उव्वट्टित्ता जाई इमाई खहयरविहाणाई भवंति, तंजहा-चम्मपक्खीणं लोमपक्खीणं समुग्गपक्खीणं विययपक्खीणं तेसु अणेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता 2 तत्थेव 2 भुजो 2 पञ्चायाहिति 15 / सव्वत्थवि णं मत्थवज्झे दाहवक्कतीए कालमासे कालं किया जाइं इमाई भुयपरिसप्पविहाणाई भवंति, तंजहागोहाणं नउलाणं जहा पनवणापए जाव जाहगाणां 16 / तेसु अणेगसयसहस्सखुत्तो सेसं जहा खहचराणं जाव किच्चा जाई इमाई उरपरिसप्पविहाणाई भवंति, तंजहा-बहीणं अयगराणं श्रासालियाणं महोरगाणं 17 / तेसु अगसयसहस्सखुत्तो जाव किच्चा जाई इमाई चउप्पदविहाणाई भवंति, तंजहा-एगखुराणं दुखुराणं गंडीपदाणं सणहपदाणं 18 / तेसु यणेगसयसहस्स जाव किच्चा जाई इमाइं जलयरविहाणाई भवति, तंजहामच्छाणं कछभाणं जाव सुसुमाराणं 11 / तेसु अणेगसयसहस्सखुत्तो जाव किचा जाइं इमाई चरिंदियविहाणाई भवंति, तंजहा-अंधियाणं पोत्तियाणं जहा पनवणापदे जाव गोमयकीडाणं 20 / तेसु. अणेगसयसहस्सखुत्तो जाव किच्चा जाई इमाई तेइंदियविहाणाई भवंति, तंजहा Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतक 15 : उद्देशकः 1 ] [ 537 उवचियाणं जाव हत्थिसोंडाणं तेसु अणेगसयसहस्सखुत्तो जाव किच्चा जाई इमाई बेइंदियविहाणाई भवंति, तंजहा-पुलाकिमियाणं जाव समुद्दलिक्खाणं 21 / तेसु अणेगसयसहस्सखुत्तो जाव किचा जाई इमाई वणस्सइविहाणाई भवंति, तंजहा-रुक्खाणं गुच्छाणं जाव कुहणाणं 22 / तेसु अणेगसयसहस्सखुत्तो जाव पञ्चायाइरसइ, उस्सन्नं च णं कडुयरुक्खेसु कडुयवल्लीसु सव्वत्थवि णं सत्थवज्झे जाव किच्चा जाई इमाई वाउकाइयविहाणाई भवंति, तंजहा-पाईगावायाणं जाव सुद्धवायाणं 23 / तेसु अणेगसयसहस्सखुत्तो जाव किवा जाई इमोइं तेउकाइयविहाणाई भवंति, तंजहा-इंगालाणं जाव सूरकंतमणिनिस्सियाणं 24 / तेसु अणेगसयस्सखुत्तो जाव किच्चा जाई इमाइं अाउकाइयविहाणाई भवंति, तंजहा-उस्साणं जाव खातोदगाणं 25 / तेसु अणेगसयसहस्सखुत्तो जाव पञ्चायातिस्सइ, उस्सरणं च णं खारोदएसु खातोदएसु, सव्वत्थवि णं सत्थवज्झे जाव किच्चा जाइं इमाइं पुढविकाइयविहाणाई भवंति, तंजहा-पुढवीणं सकराणं जाव सुरकंताणं 26 / तेसु अणेगप्तयसहस्सखुत्तो जाव पञ्चायाहिति, उस्सन्नं च णं खर-बायर..पुढविकाइएसु, सव्वत्थवि णं सत्थवज्झे जाव किच्चा रायगिहे नगरे बाहिं खरियत्ताए उववजिहिइ 27 / तत्थवि णं सत्थवज्झे जाव किच्चा दुचंपि रायगिहे नगरे अंतो खरियत्ताए उववजिहिति 28 | तत्थवि णं सत्थवज्झे जाव किच्चा 21 // सूत्रं 556 // इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे विझ गिरिपायमूले बेभेले सन्निवेसे माहणकुलंसि दारियत्ताए पञ्चायाहिति 1 / तए णं तं दारियं अम्मापियरो उम्मुक्कबालभावं जोव्वणगमणुप्पत्तं पडिरूवएणं सुक्केणं पडिरूविएणं विणएणं पडिरूवियस्स भत्तारस्स भारियत्ताए दलइस्सति, सा णं तस्स भारिया भविस्सति इट्टा कंता जाव अणुमया भंडकरं. डगसमाणा तेलकेला इव सुसंगोविया चेलपेडा इव सुसंपरिग्गहिया रयणकरंडयोविव सुसारक्खिया सुसंगोविया मा णं सीयं मा णं उराहं जाव Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 538 ] ... [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभागः परिस्सहोवसग्गा फुसंतु 2 / तए णं सा दारिया अन्नदा कदायि गुम्विणी ससुरकुलायो कुलघरं निजमाणी यंतरा दवग्गिजालाभिहया कालमासे कालं किच्चा दाहिणिल्लेसु अग्गिकुमारेसु देवेसु देवत्ताए उववजिहिति 3 / से णं ततोहिंतो अणंतरं उव्वट्टित्ता माणुस्सं विग्गहं लभिहिति माणुस्सं 2 केवलं बोहिं बुझिहिति 2 मुंडे भवित्ता आगारायो अणगारियं पञ्चहिति तत्थविय णं विराहियसामन्ने कालमासे कालं किच्चा दाहिणिल्लेसु असुरकुमारेसु देवेसु देवत्ताए उववजिहिति 4 / से णं तयोहिंतो जाव उवट्टित्ता माणुसं विग्गहं तं चेव जाव तत्थवि णं विराहियसामन्ने कालमासे जाव किच्चा दाहिणिल्लेसु नागकुमारेसु देवेसु देवत्ताए उववजिहिति 5 / से णं तयोहिंतो अणंतरं एवं एएणं अभिलावणं दाहिणिल्लेसु सुवनकुमारेसु एवं विज्जुकुमारेसु एवं अग्गिडमारवज्जं जाव दाहिणिल्लेसु थणियकुमारेसु से णं तयो जाव उव्वट्टित्ता माणुस्सं विग्गहं लभिहिति जाव विराहियसामन्ने जोइसिएसु देवेसु उववजिहिति 6 / से णं तयो अणंतरं चयं चइत्ता माणुस्सं विग्गहं लभिहिति जाव अविराहियसामन्ने कालमासे कालं किचा सोहम्मे कप्पे देवत्ताए उववजिहिति 7 / से णं तयोहितो अणंतरं चयं चइत्ता माणुस्सं विग्गहं लभिहिति केवलं बोहिं बुझिहिति, तत्थवि णं अविराहियमामन्ने कालमासे कालं किच्चा ईसाणे कप्पे देवत्ताए उववजि. हिति 8 / से णं तयो चइत्ता माणुम्म विग्गहं लभिहिति, तत्थवि णं अविराहियसामन्ने कालमासे कालं किच्चा सणकुमारे कप्पे देवत्ताए उववजिहिति 1 / से णं तयोहिंतो एवं जहा सणंकुमारे तहा बंभलोए महासुक्के पाणए पारणे, से णं तो जाव अविराहियसामन्ने कालमासे कालं किचा सव्वट्ठसिद्धे महाविमाणे देवत्ताए उववजिहिति 10 / से णं तयोहितो अणंतरं चयं चइत्ता महाविदेहे वासे जाइं इमाई कुलाइं भवंति–अड्डाई जाव अपरिभूयाई, तहप्पगारेसु कुलेसु पुत्तत्ताए पञ्चायाहिति 11 / एवं जहा उववाइए Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 15-16 :: उद्देशकः 1 ] [ 539 दढप्पइनवत्तव्वया सच्चेव वत्तव्वया निरवसेसा भाणियया जाव केवलवरनाणदंसणे समुप्पजिहिति 12 / तए णं से दढप्पइन्ने केवली अप्पणो तीश्रद्धं ग्राभोएहीइ 2 समणे निग्गंथे सदावेहिति 2 एवं वदिहीइ-एवं खलु अहं अजो ! इयो चिरातीयाए श्रद्धाए गोसाले नाम मंखलिपुत्ते होत्था ससणघायए जाव छउमत्थे चेव कालगए तम्मूलगं च णं अहं अजो! अणादीयं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंतसंसारकतारं अणुपरियट्टिए, तं मा णं अजो! तुझ केयि भवतु पायरियपडिणीयए उवज्झायपडिणीए पायरियउवझायाणं अयसकारए अवनकारए अकित्तिकारए, मा णं सेऽवि एवं चेव अणादीयं अणवदग्गं जाव संसारकंतारं अणुपरियट्टिहिति 13 / जहा णं अहं / तए णं ते समणा निग्गंथा दढप्पइन्नस्स केवलिस्स अंतियं एयमटुं सोचा निसम्म भीया तत्था तसिया संसार भउविग्गा दढप्पइन्नं केवलिं वंदिहिंति 2 तस्स ठाणस्स पालोइएहिंति पडिकमेहिति निदिहिंति जाव अहारियं पायच्छित्तं तवोकम्मं पडिवजिहिति 14 / तए णं से दढप्प्पइन्ने केवली बहुइं वासाइं केवलपरियागं पाउणिहिति बहूहिं 2 अप्पणो बाउसेसं जाणेना भत्तं पञ्चक्खाहिति एवं जहा उववाइए जाव सव्वदुक्खाणमंतं काहिति 15 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 16 // सूत्रं 560 // तेयनिसग्गो सम्मत्तो // समत्तं च पन्नरसमं सयं एकसरयं // // इति पञ्चदशमं शतकम् // 15 // - // अथ षोडशशतके अधिकरणाख्य-प्रथमोशकः / / अहिगरणि जरा कम्मे जावतियं गंगदत्त सुमिणे य / उपयोग लोग बलि योही दीव उदही दिसा थणिया // 1 // तेणं काले णं ते णं समए णं रायगिहे जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी-अस्थि णं भंते ! अधिकरणिसि वाउयाए वक्कमति ?, हंता अस्थि 1 / Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 540 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः से भंते ! किं पुढे उद्दाइ अपुढे उद्दाइ ?, गोयमा! पुढे उद्दाइ नो अपुढे उदाइ 2 / से भंते ! कि ससरीरी निक्खमइ असरीरी निक्खमइ एवं जहा खंदए जाव नो असरीरी निक्खमइ 3 // सूत्रं 561 // इंगालकारियाए णं भंते ! अगणिकाए केवतियं कालं संचिट्ठति ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं तिन्नि राइंदियाई, अन्नेवि तत्थ वाउयाए वकमति, न विणा वाउयाएणं अगणिकाए उजलति // सूत्रं 562 // पुरिसे णं भंते ! अयं अयकोट्ठसि अयोमएणं संडासएणं उबिहमाणे वा पबिहमाणे वा कतिकिरिए ?, गोयमा ! जावं व णं से पुरिसे अयं ययकोट्ठसि अयोमएणं संडासएणं उबिहिति वा पविहिति वा तावंच णं से पुरिसे कातियाए जाव पाणाइवायकिरियाए पंचहि किरियाहिं पुढे, जेसिपिय णं जीवाणं सरीरेहितो अए निव्वत्तिए अयको? नियत्तिए संडासए निव्वत्तिए इंगाला नियत्तिया इंगालकड्डिणि निव्वत्तिया भत्था निव्वत्तिया तेवि णं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुट्ठा 1 / पुरिसे णं भंते ! अयं अयकोट्टायो ययोमएणं संडासएणं गहाय अहिकरणिंसि उक्खिब्धमाणे वा निक्विब्वमाणे वा कतिकिरिए ?, गोयमा! जावं च णं से पुरिसे अयं अयकोहायो जाव निक्खिवइ वा तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पाणाइवायकिरियाए पंचहिं किरियाहिं पुढे,जेसिपिणं जीवा णं सरीरेहितो अयो निव्वत्तिए संडासए निबत्तिए चम्मे? निव्वत्तिए मुट्ठिए निबत्तिए अधिकरणि णिबत्तिया अधिकरणिखोडी णिबत्तिया उदगदोणी णिव्वत्तिया अधिकरणसाला निव्वत्तिया तेवि णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा 2 // सूत्रं 563 // जीवे णं भंते ! कि अधिकरणी अधिकरणं ?, गोयमा ! जीवे अधिकरणीवि अधिकरणंपि 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जीवे अधिकरणीवि अधिकरणंपि ?, गोयमा! अविरतिं पडुच्च से तेण?णं जाव अहिकरणंपि 2 / नेरइए णं भंते ! किं अधिकरणी Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 16 : उद्देशकः 1] [541 अधिकरणं ?, गोयमा ! अधिकरणीवि अधिकरणंपि एवं जहेब जीवे तहेव नेरइएवि, एवं निरंतरं जाव वेमाणिए 3 / जीवे णं भंते ! कि साहिकरणी निरहिकरणी ?, गोयमा ! साहिकरणी नो निरहिकरणी 4 / से केण?णं पुच्छा, गोयमा ! अविरतिं पडुच्च, से तेण?णं जाव नो निरहिकरणी एवं जाव वेमाणिए 5 / जीवे णं भंते ! किं पायाहिकरणी पराहिकरणी तदुभयाहिकरणी. ? गोयमा ! श्रायाहिकरणीवि पराहिकरणीवि तदुभयाहिकरणीवि 6 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जाव तदुभयाहिकरणीवि ?, गोयमा ! थविरतिं पडुच्च, से तेण?णं जाव तदुभयाहिकरणीवि, एवं जाव वेमाणिए 7 / जीवाणं भंते ! अधिकरणे किं पायप्पयोगनिव्वत्तिए परप्पयोगनिव्वत्तिए तदुभयप्पयोगनिव्वत्तिए ?, गोयमा ! श्रायप्पयोगनिव्वत्तिएवि परप्पयोगनिव्वत्तिवि तदुभयप्पयोगनिव्वत्तिएवि 8 / से केटेणं भंते ! एवं वुनइ ?, गोयमा ! अविरतिं पडुच्च, से तेण?णं जाव तदुभयप्पयोगनिव्वत्तिएवि, एवं जाव वेमाणियाणं 1 // सूत्रं 564 // कइ णं भंते ! सरीरगा पराणत्ता ?, गोयमा ! पंच सरीरा पराणत्ता, तंजहाश्रोरालिए जाव कम्मए 1 / कति णं भंते ! इंदिया पराणत्ता ?, गोयमा ! पंच इंदिया पराणत्ता, तंजहा-सोइंदिए. जाव फासिदिए 2 / कतिविहे णं भंते ! जोए पराणत्ते ?, गोयमा ! तिविहे जोए पराणत्ते, तंजहा-मणजोए वइजोए कायजोए 3 / जीवे णं भंते ! श्रोरालियसरीरं निव्वत्तेमाणे कि अधिकरणी अधिकरणं ?, गोयमा ! अधिकरणीवि अधिकरणंपि 4 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ अधिकरणीवि अधिकरणंपि ?, गोयमा ! अविरतिं पडुच्च, से तेण?णं जाव अधिकरणंपि 5 / पुढविकाइए णं भंते ! श्रोरालियसरीरं निव्वत्तेमाणे किं अधिकरणी अधिकरणं ?, एवं चेव, एवं जाव माणुस्से 6 / एवं वेउब्वियसरीरंपि, नवरं जस्स अस्थि 7 / जीवे णं भंते ! पाहारगसरीरं निव्वत्तेमाणे किं अधिकरणी ? पुच्छा, गोयमा ! Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 542 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः अधिकरणीवि अधिकरणंपि 8 / से केण?णं जाव अधिकरणंपि ?, गोयमा ! पमायं पडुच्च, से तेण?णं जाव अधिकरणंपि, एवं मणुस्सेवि, तेयासरीरं जहा पोरालियं, नवरं सव्वजीगणं भाणियव्वं, एवं कम्मगसरीरंपि 1 | जीवे णं भंते ! सोइंदियं निव्वत्तेमाणे किं अधिकरणी अधिकरणं ?, एवं जहेव ओरालियसरीरं तहेव सोइंदियंपि भाणियवं, नवरं जस्स अत्थि सोइंदियं 10 / एवं चक्खिदिय-घाणिदिय-जिभिदियफासिदियाणवि, नवरं जाणियव्वं जस्स जं अस्थि 11 / जीवे णं भंते ! मणजोगं निव्वत्तेमाणे किं अधिकरणी अधिकरणं, एवं जहेव सोइंदियं तहेव निरवसेस, वइजोगो एवं चेव, नवरं एगिदियवज्जाणं, एवं कायजोगोवि, नवरं सव्वजीवाणं जाव वेमाणिए 12 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 13 // सूत्रं 565 // // इति षोडशशतके प्रथम उद्देशकः // 16-1 // ॥अथ षोडशशतके जराशोकाख्य-द्वितीयोद्देशकः // रायगिहे जाव एवं वयासी-जीवाणं भंते ! किं जरा सोगे ?, गोयमा ! जीवाणं जरावि सोगेवि 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जाव सोगेवि ?, गोयमा ! जे णं जीवा सारीरं वेदणं वेदेति तेसि णं जीवाणं जरा, जे णं जीवा माणसं वेदणां वेदेति तेसि णं जीवाणां सोगे से तेण?णं जाव सोगेवि 2 / एवं नेरइयाणवि, एवं जाव थणियकुमाराणं 3 / पुढविकाइयाणं भंते ! किं जरा सोगे?, गोयमा ! पुढविकाइयाणं जरा नो सोगे 4 / से केणढे गां जाव नो सोगे ?, गोयमा ! पुढविकाइयाणां सारीरं वेदां वेदेति नो माणसं वेदणां वेदेति से तेण?ण जाव नो सोगे 5 / एवं जाव चरिंदियागां, * सेसाणां जहा जीवाणं जाव वेमाणियाणं 6 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव पज्जुवासति 7 // सूत्रं 566 // ते णं काले णं 2 Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवनि) सूत्रं : शतकं 16 :: उद्देशकः 2 ] [ 543 सक्के देविंदे देवराया वजपाणी पुरंदरे जाव भुजमाणे विहरइ, इमं च णं केवलकप्पं जंबुद्दीवं 2 . विपुलेणं श्रोहिणा - अाभोएमाणे 2 पासति समणं भगवं महावीरं जंबुद्दीवे 2, 1 / एवं जहा ईसाणे तइयसए तहेव सकोवि, नवरं पाभियोगे ण सद्दावेति हरी पायत्ताणियाहिवई सुघोसा घंटा पाल यो विमाणकारी पालगं विमाणं उत्तरिल्ले निजाणमग्गे दाहिणपुरच्छिमिल्ले रतिकरपव्वए, सेसं तं चेव जाव नामगं सावेत्ता पज्जुवासति, . धम्मकहा जाव परिसा पडिगया 2 / तए णं से सक्के देविदे देवराया समणस्स भगवश्री महावीरस्स अंतियं धमं सोचा निसम्म हटुतुट्ट जाव . हियया समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति 2 एवं वयासी-कतिविहे णं भंते ! उग्गहे पनत्ते, ?, सका ! पंचविहे उग्गहे पराणत्ते, तंजहा-देविंदोग्गहे. रायोग्गहे गाहावइउग्गहे सागारियउग्गहे साहम्मियउग्गहे 3 / जे इमे भंते ! अजत्ताए समणा निग्गंथा विहरंति एएसि णं ग्रहं उग्गहं अणुजा- . णामीतिकटु समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति 2 तमेव दिव्वं जाणविमाणं दुरूहति 2 जामेव दिसं पाउभूए तामेव दिसं पडिगए 4 / भंतेत्तिं भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति 2. एवं वयासीजं णं भंते ! सक्के, देघिदे देवराया तुज्झे णं एवं वदइ सच्चे णं एसमठे ?, हंता सच्चे 5 // सूत्रं 567 // सक्के . णं भंते ! देविंदे देवराया कि सम्मावादी मिच्छावादी ?, गोंयमा ! सम्मावादी नो मिच्छावादी 1 / सक्के णं भंते ! देविदे देवराया कि सच्चं भासं भासति मोसं भासं भासति सच्चामोसं भासं भासति असञ्चामोसं भासं भासति ?, गोयमा ! सच्चंपि भासं भासति जाव असचामोसपि भासं भासति 2 / सक्के णं भंते ! देविदे देवराया कि सावज भासं भासति श्रणवज्जं भासं भासति ?, गोयमा ! सावज्जपि भासं भासति प्रणवज्जंपि भासं भासति 3 / से केण?णं भंते ! एवं वुचइ-सावज्जंपि जाव Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 544 ] __ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभागः श्रणवजपि भासं भासति ?, गोयमा ! जाहे णं सक्के देविंदे देवराया सुहुमकायं अणिज्जूहित्ताणं भासं भासति ताहे णं सक्के देविदे देवराया सावज्ज भासं भासति जाहे णं सक्के देविंदे देवराया सुहुमकायं निहित्ता णं भासं भासति ताहे णं सक्के देविदे देवराया अणवज्जं भासं भासति सें तेण?णं जाव भासति 4 / सक्के णं भंते ! देविंदे देवराया कि भवसिद्धीए अभवसिद्धीए सम्मदिट्ठीए ? एवं जहा मोउद्देसए सणंकुमारो जाव नो अचरिमे 5 // सूत्रं 568 // जीवा णं भंते ! किं चेयकडा कम्मा कजति अचेयकडा कम्मा कज्जति ?, गोयमा ! जीवा णं चेयकडा कम्मा कज्जति नो अचेयकडा कम्मा कज्जति 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जाव कज्जंति?, गोयमा ! जीवाणं श्राहारोवचिया पोग्गलाबोंदिचिया पोग्गला कलेवरचिया पोग्गला तहा 2 ण ते पोग्गला परिणमति नत्थि अचेयकडा कम्मा समणाउसो !, दुट्ठाणेसुः दुसेजासु दुन्निसीहियासु तहा 2 णं ते पोग्गला परिणमति नत्थि अचेयकडा कम्मा समणाउसो !, श्रायके से वहाए होति संकप्पे से वहाए होति मरणंते से वहाए होति तहा 2 णं ते पोग्गला परिणमति नत्थि अंचेयकडा कम्मा समणाउसो ! से तेण?णं जाव कम्मा कज्जति 2 / एवं नेरतियाणवि एवं जाव वेमाणियाणं 3 / सेवं भंते ! 2 जाव विहरति 4 // सूत्रं 561 // // इति षोडशशतके द्वितीय उद्देशकः // 16-2 // // अथ षोडशशतके कांख्य तृतीयोद्देशकः॥ रायगिहे जाव एवं वयासी-कति णं भंते ! कम्मपयडीयो पराणत्तायो ?, गोयमा ! अट्ठ कम्मपयडीयो पराणत्तायो, तंजहा-नाणावरणिज्ज जाव अंतराइयं, एवं जाव वेमाणियाणं 1 / जीवे णं भंते ! नाणावरणिज्ज कम्म वेदेमाणे कति कम्मपगडीयो वेदेति ?, गोयमा ! घट्ट कम्मप्पगंडीयो Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रत्रप्ति (श्रीमद्भगवति) छत्रं :: शतक 16 : उद्देशकः 4 ] [ 545 2 / एवं जहा पनवणाए वेदावेउद्दसत्रो सो चेव निखसेसो भाणियब्वो, वेदाबंधोवि तहेव, बंधावेदोवि तहेव, बंधाबंधोवि तहेव भाणियव्वो जाव वेमाणियाणंति 3 / वेयावेत्रो पढमो 1 वेयाबंधो य बीययो होइ 2 / बंधावेश्रो तइयो 3 चउत्थो बंधबंधो उ 4 // 1 // सेवं भंते ! 2 जाव विहरति 4 ॥सूत्रं 570 // तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नदा कदायि रायगिहायो नगरायो गुणसिलायो चेइयायो पडिनिक्खमति 2 बहिया जणवयविहारं विहरति 1 / तेणं कालेणं तेणं समएणं उल्लुयतीरे नामं नगरे होत्था वन्नो, तस्स णं उल्लुयतीरस्स नगरस्स बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसिभाए एत्थ णं एगजंबूए नामं चेइए होत्था वनयो 2 / तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नदा कदायि पुव्वाणुपुब्बिं चरमाणे जाव एगजंबूए समोसढे जाव परिसा पडिगया 3 / भंतेत्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदिना नमंसित्ता एवं वयासी-श्रणगारस्स णं भंते ! भावियप्पणो छटुंछट्टेणं अणिक्खित्तेणं जाव पायावेमाणस्स तस्स णं पुरच्छिमेणं अबढ दिवसं नो कप्पति हत्थं वा पादं वा बाहं वा ऊरु वा प्राउट्टावेत्तए वा पसारेत्तए वा, पञ्चच्छिमेणं से अवड्ड दिवसं कप्पति हत्यं वा पादं वा जाव ऊरु वा पाउंटावेत्तए वा पसारेत्तए वा, तस्स णं अंसियाथो लंबंति तं च वेज्जे अदक्खु ईसिं पाडेति ईसि 2 अंसियाश्रो छिदेजा से नूणं भंते ! जे छिंदति तस्स किरिया कजति जस्स छिजति नो तस्स किरिया कन्जइ णरणत्थेगेणं धम्मंतराइएणं ?, हंता गोयमा ! जे छिदति जाव धमंतराएणं 2 / सेवं भंते ! सेवं भंतेति जाव विहरइ 3 // सूत्रं 571 // // इति षोडशशतके तृतीय उद्देशकः // 16-3 // // अथ षोडशशतके नारकनिर्जराख्य-चतुर्थोद्देशकः // रायगिहे जाव एवं वयासी-जावतियन्नं भंते ! अन्नइलायए समणे निग्गंथे कम्म निजरेति एवतियं कम्मं नरएसु नेरतियागां वासेण वा Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ यो तिगत एवतियं काह) वा खवयन 546 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः वासेहिं वा वाससएहि वा खवति ?, णो तिणढे समढे 1 / जावतियराणं भंते ! च उत्थभत्तिए समणे निग्गंथे कम्मं निजरेति एवतियं कम्मं नरएसु नेरझ्या वासमण्णां वा वाससाहिं वा वाससहस्सेहिं वा वाससयसहस्सेहिं (ण) वा खवियंति ?, णो तिण? समढे 2 / जावतियन्नं भंते ! छट्टभत्तिए समणे निग्गंथे कम्म निजरेति एवतियं कम्मं नरएसु नेरझ्या वाससहस्सेण वा वाससहस्सेहिं वा वाससयसहस्सेण(हिं) वा खवयंति ?, णो तिण? सम? 3 / जावतियन्नं भंते ! अट्ठमभत्तिए समणे निग्गंथे कम्मं निजरेति एवतियं कम्मं नरएसु नेरतिया वाससयसहस्सेण वा वाससयसहस्सेहिं वा वासकोडीए वा खवयंति ?, नो तिण? समढे 4 / जावतियन्नं भंते ! दसमभत्तिए समणे निग्गंथे कम्मं निजरेति एवतियं कम्मं नरएसु नेरतिया वासकोडीए वा वासकोडीहिं वा वासकोडाकोडीए वा खवयंति ?, नो तिण? सम? 5 / से केणढे गां भंते ! एवं वुच्चइ जावतियं अन्नइलातए समणे निग्गंथे कम्मं निजरेति एवतियं कम्म नरएसु नेरतिया वासेण वा वासेहिं वा वाससएण वा (जाव) वास(सय)सहस्सेण वा नो खवयंति जावतियं चउत्थभत्तिए, एवं तं चेव पुव्वभणियं उच्चारेयच्चं जाव वासकोडाकोडीए वा नो खवयंति ?, गोयमा! से जहानामए-केइ पुरिसे जुन्ने जराजजरियदेहे सिढिलतयालि-तरंग-संपिणद्धगत्ते पविरल-परिसडिय-दंतसेढी उराहाभिहए तराहाभिहए थाउरे झुझिए पिवासिए दुबले किलंते एगं महं कोसंबगंडियं सुक्क जडिलं गंठिल्लं चिकणं वाइद्धं अपत्तियं मुडेण परसुणा अवकमेजा, तए णं से पुरिसे महंताई 2 सद्दाई।करेइ नो महंताई 2 दलाई अवदालेइ, .एवामेव गोयमा! नेरझ्याणं पावाइं कम्माई गाढीकयाई चिकणीकयाई एवं जहा छट्ठसए जाव / नो महापज्जवसाणा भवंति, से जहानामए-केई पुरिसे अहिकरणि पाउडेमाणे महया जाव नो महापजवसाणा भवंति, से जहानामए केई पुरिसे Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 16 :: उद्देशकः 5 ] [ 547 तरुणे बलवं जाव मेहावी निउणसिप्पोवगए एगं महं सामलिगंडियं उल्लं अजडिलं अगंठिल्लं अचिकणं अवाइद्धं सपत्तियं तिक्खेण परसुणा अंकमेजा, तए णं से णं पुरिसे नो महंताई 2 सदाइं करेति महंताई 2 दलाई अवदालेति, एवामेव गोयमा ! समणाणं निग्गंथाणं अहाबादराई कम्माई सिढिलीकयाई णिट्ठियाई कयाइं जाव खिप्पामेव परिविद्धत्थाई भवंति जावतियं तावतियं जाव महापजवसाणा भवंति, से जहा वा केइ पुरिसे सुकतणहत्थगं जायतेयंसि पक्खिवेजा एवं जहा छट्टसए तहा अयोकवल्लेवि जाव महापजवसाणा भवंति, से तेण?णं गोयमा ! एवं बुच्चइ जावतियं अनइलायए समणे निग्गंथे कम्मं निजरेति तं चेव जाव वासकोडाकोडीए वा नो खवयंति 6 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव विहरइ 7 // सूत्रं 572 // // इति षोडशशतके चतुर्थ उद्देशकः // 16-4 // // अथ षोडशशतके गङ्गदत्ताख्य-पञ्चमोद्देशकः / / ते ण काले णं ते णं समए णं उल्लुयतीरे नाम नगरे होत्था वनश्रो, एगजंबूए चेइए वन्नयो 1 / ते णं काले णं ते णं समए णं सामी समोसढे जाव परिसा . पज्जुवासति 2 / ते णं काले णं 2 सक्के देविदे देवराया वजपाणी एवं जहेब बितियउद्देसए तहेव दिव्वेणं जाणविमाणेगां पागो जाव जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ 2 जाव नमंसित्ता एवं वयासी-देवे णं भंते ! महड्डिए जाव महेसबखे बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू श्रागमित्तए ?, नो तिण? समढे 3 / देवे णं भंते ! महड्डिए जाव महेसक्खे बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू श्रागमित्तए?, हत्ता पभू 4 / देवे णं भंते ! महड्डिए एवं एएणं अभिलावेगां गमित्तए 2 एवं भासित्तए वा वागरित्तए वा 3 उम्मिसावेत्तए वा निमिसावेत्तए वा 4 प्राउट्टावेत्तए वा पसारेत्तए वा 5 ठगणं वा सेज्जं वा निसीहियं वा चेइत्तए Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 548 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभामः वा 6 एवं विउवित्तए वा 7 एवं परियारावेत्तए वा = जाव हंता पभू, इमाइं अट्ठ उक्खित्त-पसिणवागरणाई पुच्छइ, इमाई 2 संभंतिय-वंदणएगां वंदति 2 तमेव दिव्वं जाणविमाणां दुरूहति 2 जामेव दिसं पाउभूए तामेव दिसं पडिगए 5 // सूत्रं 573 // भंतेत्ति भगवं गोयमे समगां भगवं महावीरं वंदति नमसति 2 एवं वयासी-अन्नदा णं भंते ! समके देविंदे देवराया देवाणु प्पियं वंदति नमंसति सकारेति जाव पज्जुवासति 1 / किराहं भंते ! अज सक्के देविंदे देवराया देवाणुप्पियं अट्ठ उक्खित्त-पसिणवागरणाई पुच्छइ 2 संभंतियवंदणएगां वंदति णमंसति 2 जाव पडिगए ?. गोयमादि समणे भगवं महावीरे भगवं गोयम एवं वयासी-एवं खलु गोयमा ! ते णं काले णं 2 महासुक्के कप्पे महासामाणे विमाणे दो देवा महड्डिया जाव महेसक्खा एगविमाणंसि देवत्ताए उववन्ना, तंजहा-मायिमिच्छदिट्ठिउववन्नए य अमायिसम्मदिट्ठिउववन्नए य 2 / तए णं से मायिमिच्छादिट्टिउववन्नए देवे तं अमायिसम्मदिट्ठिउववन्नगं देवं एवं वयासी-परिणममाणा पोग्गला नो परिणया अपरिणया परिणमंतीति पोग्गला नो परिणया अपरिणया 3 / तए णं से अमायिसम्मदिट्ठीउदबन्नए देवे तं मायिमिच्छदिट्ठीउववन्नगं देवं एवं वयासी-परिणममाणा पोग्गला परिणया नो अपरिणया परिणमंतीति पोग्गला परिणया नो अपरिणया 4 / तं मायिमिच्छदिट्टीउववन्नगं एवं पडिहणइ 2 श्रोहिं पउंजइ 2 ममं श्रोहिणा श्राभोएइ ममं 2 श्रयमेयारूवे जाव समुप्पजित्थाएवं खलु समणे भगवं महावीरे जंबुद्दीवे 2 जेणेव भारहे वासे जेणेव उल्लुयतीरे नगरे जेणेव एगजंबुए चेइए ग्रहापडिरूवं जाव विहरति, तं सेयं खलु मे समगां भगवं महावीरं वंदित्ता जाव पज्जुवासित्ता इमं एयारूवं वागरगां पुच्छित्तएत्तिकट्टु एवं संपेहेइ एवं संपेहित्ता चउहिवि सामाणियसाहस्सीहिं परियारो जहा सूरियाभस्स जाव निग्घोसनाइयरवणां जेणेव Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 16 : उद्देशकः 5 ] [ 546 जंबुद्दीवे 2 जेणेव भारहे वासे जेणेव उल्लुयातीरे नगरे जेणेव एगजंबुए चेइए जेणेव ममं अंतियं तेणेव पहारेत्थ गमणाए 5 / तए णं से सक्के देविंदे देवराया तस्स देवस्स तं दिव्वं देवढि दिव्वं देवजुतिं दिव्वं देवाणुभागं दिव्वं तेयलेस्सं असहमाणे ममं अट्ठ उक्खित्तपसिणवागरणाई पुच्छइ संभंतिय जाव पडिगए 6 ॥सूत्रं 574 // जावं चणं समणे भगवं महावीरे भगवश्रो गोयमस्स एयमट्ठ परिकहेति तावं च णं से देवे तं देसं हव्यमागए 1 / तए णं से देवे समगां भगवं महावीरं तिक्खुत्तो वंदति नमंसति 2 एवं वयासी-एवं खलु भने ! महासुक्के कप्पे महासामाणे विमाणे एगे मायिमिच्छदिदिउववन्नए देवे ममं एवं वयासी-परिणममाणा पोग्गला नो परिणया अपस्णिया परिणमंतीति पोग्गला नो परिणया अपरिणया 2 / तए णं ग्रहं तं मायिमिच्छदिटिउववन्नगं देवं एवं वयासी-परिणममाणा पोग्गला परिणया नो अपरिणया परिणमंतीति पोग्गला परिणया णो अपरिणया 3 / से कहमेयं भंते ! एवं ?, गंगदत्तादिसमणे भगवं महावीरे गंगदत्तं देवं एवं वयासी-अहंपि णं गंगदत्ता ! एवंमाइक्खामि 4 परिणममाणा पोग्गला जाव नो अपरिणया सच्चमेसे 8 / / तए णं से गंगदत्ते देवे समणस्स भगवश्री महावीरस्स अंतियं एयमटुं सोचा निसम्म हट्टतुट्टे समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति 2 नचासन्ने जाव पज्जुवासति 5 / तए णं समणे भगवं महावीरे गंगदत्तस्स देवस्स तीसे य जाव धम्म परिकहेइ जाव बाराहए भवति 6 / तए णं से गंगदत्ते देवे समणस्स भगवयो महावीररस अंतिए धम्मं सोचा निसम्म हट्टतुट्टे उठाए उट्ठति उर्दुत्ता समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति 2 एवं वयासी-ग्रहराहं भंते ! गंगदत्ते देवे किं भवसिद्धिए अभवसिद्धिए ? एवं जहा सूरियाभो जाव बत्तीसतिविहं नट्टविहं उवदंसेति 2 जाव तामेव दिसं पडिगए 7 // सूत्रं 575 // भंतेत्ति भगवं. गोयमे समणं भगवं महावीरं जाव एवं Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 550 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विमागः वयासी-गंगदत्तस्स णं भंते ! देवस्स सा दिव्वा देवड्डी दिव्वा देवजुनी जाव अणुपविट्ठा ?, गोयमा! सरीरं गया सरीरं अणुप्पविट्ठा कूडागार-सालादिळंतो जाव सरीरं अणुप्पविठ्ठा 1 / अहो णं भंते ! गंगदत्ते देवे महडिए जाव महेसक्खे ?, गंगदत्तेणं भंते ! देवेणं सा दिव्या देवड्डी दिव्वा देवजुत्ती किराणा लद्धा जाव गंगदत्तेणं देवेणं सा दिव्वा देवड्डी जाव अभिसमन्नागया ?, गोयमादी समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं क्यासी-एवं खलु गोयमा ! ते णं काले णं 2 इहेव जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे हथिणापुरे नाम नगरे होत्था वन्नयो, सहसंबवणे उज्जाणे वन्नयो, तत्थ णं हत्थिणापुरे नगरे गंगदत्ते नाम गाहावती परिवसति घड्ढ जाव अपरिभूए 2 / ते णं काले णं 2 मुणिसुव्वए अरहा श्रादिगरे जाव सव्वन्नू सव्वदरिसी श्रागासगएणं चक्कणं जाव पकडिजमाणेणं 2 सीसगणसंपरिवुडे पुव्वाणुपुरि चरमाणे गामाणुगामं जाव जेणेव सहसंबवणे उजाणे जाव विहरति परिसा निग्गया जाव पज्जुवासति 3 / तए णं से गंगदत्ते गाहावती इमीसे कहाए ल? समाणे हट्टतुट्टे गहाए कयबलिकम्मे जाव सरीरे सायो गिहायो पडिनिक्खमति 2 पायविहारचारेणं हथिणागपुरं नगरं मझमज्झेणं निग्गच्छति 2 जेणेव सहसंबवणे उजाणे जेणेव मुणिसुव्वए अरहा तेणेव उवागच्छइ 2 मुणिसुव्वयं अरहं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ 2 जाव तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासति / तए णं मुणिसुव्वए अरहा गंगदत्तस्स गाहावतिस्स तीसे य महति जाव परिसा पडिगया, तए णं से गंगदत्ते गाहावती मुणिसुब्वयस्स अरहो अंतियं धम्मं सोचा निसम्म हट्टतुट्टे उठाए उट्ठति 2 मुणिसुव्वयं अरहं वंदति नमंसति वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-सदहामि णं भंते ! निग्गंथं पावयणं जाव से जहेयं तुझे वदह, जं नवरं देवाणुप्पिया! जेट्टपुत्तं कुडुबे मवेमि तए णं अहं देवाणुप्पियाणं अंतियं मुडे जाव पव्वयामि, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 16 :: उद्देशकः 5 ] 5 / तए णं से गंगदत्ते गाहावई मुणिसुव्वएणं अरहया एवं वुत्ते समाणे हट्ठतुट्ठ जाव हियए मुणिसुव्वयं अरिहं वंदति नमंसति 2 मुणिसुव्वयस्स अरहयो अंतियायो सहसंबवणाश्रो उजाणाश्रो पडिनिक्खमति 2 जेणेव हत्थिणापुरे नगरे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छति 2 विउलं असणं पाणं जाव उवक्खडावेति 2 मित्तणातिणियग जाव आमंतेति अामंतेत्ता तयो पच्छा गहाए जहा पूरणे जाव जेट्टपुत्तं कुडुबे ठावेति तं मित्तणाति जाव जेट्टपुत्तं च श्रापुच्छति 2 पुरिससहस्सवाहणिं सीयं दुरूहति 2 मित्तणातिनियग जाव परिजणेणं जेट्टपुत्तेण य समणुगम्ममाणमग्गे सव्विडीए जाव णादितरवेणं हत्थिणागपुरं मझमज्भेणं निग्गच्छइ 2 जेणेव सहसंबवणे उजाणे तेणेव उवागच्छइ 2 छत्तादिते तित्थगरातिसए पासति एवं जहा उदायणो जाव सयमेव याभरणं मुयइ 2 सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेति 2 जेणेव मुणिसुव्वए अरहा एवं जहेव उदायणो तहेव पव्वइए 6 / तहेव एक्कारस अंगाई अहिजइ जाव मासियाए संलेहणाए सर्टि भत्ताई अणसणाए जाव छेदेति 2 बालोइयपडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा महासुक्के कप्पे महासामाणे विमाणे उववायसभाए देवसयणिज्जसि जाव गंगदत्तदेवत्ताए उववन्ने 7 / तए णं से गंगदत्ते देवे अहुणोववन्नमेतए समाणे पंचविहाए पजत्तीए पजत्तिभावं गच्छति, तंजहा-पाहारपजत्तीए जाव भासामणपज्जत्तीए, एवं खलु गोयमा! गंगदत्तेणं देवेणं सा दिव्वा देवड्डी जाव अभिसमन्नागया 8 | गंगदत्तस्स णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता ?, गोयमा ! सत्तरससागरोवमाइं ठिती 1 / गंगदत्ते णं भंते ! देवे तारो देवलोगायो ग्राउक्खएणं जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतं काहिति 10 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 11 // सूत्रं 576 // // इति षोडशशतके पञ्चम उद्देशकः // 16-5 / / Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 552 ) . ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः // अथ षोडशशतके स्वप्नाख्य-षष्ठोद्देशकः // कतिविहे णं भंते ! सुविणदसणे पराणते ?, गोयमा ! पंचविहे सुविणदंसणे पराणत्ते, तंजहा-ग्रहातच्चे पयाणे चिंतासुविणे तविवरीए अव्वत्तदंसणे 1 / सुत्ते णं भंते ! सुविणं पासति जागरे सुविणं पासति सुत्तजागरे सुविणं पासति ?, गोयमा ! नो सुत्ते सुविणं पासइ नो जागरे सुविणं पासइ सुत्तजागरे सुविणं पासइ 2 | जीवा णं भंते ! किं सुत्ता जागरा सुत्तनागरा ?, गोयमा ! जीवा सुत्तावि जागरावि सुत्तजागरावि 3 / नेरइया णं भंते ! किं सुत्ताजागरा सुत्तजागरा ? पुच्छा, गोयमा ! नेरइया सुत्ता नो जागरा नो सुत्तजागरा, एवं जाव चरिंदिया 4 / पंचिंदियतिरिक्खजोणिया णं भंते ! किं सुत्ता जागरा सुत्तजागरा पुच्छा, गोयमा ! सुत्ता नो जागरा सुत्तजागरावि, मणुस्सा जहा जीवा, वाणमंतर-जोइसियवेमाणिया जहा नेरइया 5 // सूत्रं 577 // संवुडे णं भंते ! सुविणं पासइ असंवुडे सुविणं पासइ संवुडासंवुडे सुविणं पासइ ?, गोयमा ! संवुडेवि सुविणं पासइ असंवुडेवि सुविणं पासइ संवुडासंबुडेवि सुविणं पासइ, संवुडे सुविणं पासति अहातचं पासति, असंवुडे सुविणं पासति तहावि तं होजा अन्नहा वा तं होजा, संवुडासंवुड़े सुविणं पासति एवं चेव 1 / जीवा णं भंते ! किं संवुडा असंवुडा संवुडासंवुडा ?, गोयमा ! जीवा संवुडावि असंवुडावि संवुडासंवुडावि, एवं जहेब सुत्ताणं दंडयो तहेव भाणियव्यो 2 / कति णं भंते ! सुविणा पराणत्ता ?, गोयमा ! बायालीसं सुविणा पन्नत्ता 3 / कइ णं भंते ! महासुविणा पराणता ?, गोयमा ! तीसं महासुविणा पराणत्ता 4 / कति णं भंते ! सव्वसुविणा पराणत्ता ?, गोयमा ! बावत्तरिं सव्वसुविणा पराणत्ता 5 / तित्थयरमायरो णं भंते ! तित्थगरंसि गम्भं वकममाणंसि कति महासुविणे पासित्ता णं पडिबुझांति ?, गोयमा ! तित्थयरमायरो णं तित्थयरंसि गम्भं वक्कममाणंसि एएसिं तीसाए महासुविणाणं Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 16 :: उद्देशकः 6 ] [553 इमे चोइस महासुविणे पासित्ता णं पडिबुज्झति, तंजहा-गय-उसभ-सीहअभिसेय जाव सिहिं च 6 / चकवट्टिमायरो णं भंते ! चकवटिसि गभं वकममाणंसि कति महासुमिणे पासित्ता णं पडिबुझति ?, गोयमा ! चक्कवट्टिमायरो चकवट्टिसि गम्भं वकममाणंसि एएसि तीसाए महासुमिणाणं एवं जहा तित्थगरमायरो जाव सिहिं च 7 / वासुदेवमायरो णं पुच्छा, गोयमा ! वासुदेवमायरो जाव वक्कममाणंसि एएसिं चोइसराहं महासुविणाणं अन्नयरे सत्त महासुविणे पासित्ताणं पडिबुज्झति 8 / बलदेवमायरो वा णं पुच्छा, गोयमा ! बलदेवमायरो जाव एएसिं चोदसराहं महासुविणाणं अन्नयरे चत्तारि महासुविणे पासित्ता णं पडिबुज्झति 1 / मंडलियमायरो णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! मंडलियमायरो जाव एएसिं चोइसराहं महासुविणाणं अन्नयरं एगं महासुविणं पासित्ता णं पडिबुज्झति ॥सूत्रं 578 // समणे भगवं महावीरे छउमत्थकालियाए अंतिमराइयंसि इमे दस महासुविणे पासित्ताणं पडिबुद्धे, तंजहा-एगं च णं महं घोररूवदित्तधरं तालपिसायं सुविणे पराजियं पासित्ताणां पडिबुद्धे 1 एगं च णं महं सुकिल्लपक्खगं पुंसकोइलगं सुविणे पासित्ताणं पडिबुद्धे 2 एगं च णं महं चित्त-विचित्तपक्खगं पुंसकोइलगं सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धे 3 एगं च णं महं दामदुगं सव्वरयणामयं सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धे 4 एगं च णं महं सेयगोवग्गं सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धे 5 एगं च णं महं पउमसरं सव्वो समंता कुसुमिय० सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धे 6 एगं च णं महासागरं उम्मी. वीयी-सहरसकलियं भुयाहिं तिन्नं सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धे 7 एगं च णं महं दिणयरं तेयसा जलंतं सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धे 8 एगं च णं महं हरि-वेरुलिय-वन्नामेणं नियगेणं अंतणं माणुसुत्तरं पव्वयं सव्वश्रो समंता श्रावेढियं परिवेढियं सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धे 1 एगं च णं महं मंदरे पव्वए मंदरचूलियाए उवरिं सीहासणवरगयं अप्पाणं सुविणे पासित्ता Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 554 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभागः णं पडिबुद्धे 10, 1 / जराणं समणं भगवं महावीरं एगं घोररूवदित्तधरं तालपिसायं सुविणे पराजियं पासित्ता णं पडिबुद्धे तराणं समणेणं भगवया महावीरेणं मोहणिज्जे कम्मे मूलायो उग्घायिए 1, जन्नं समणे भगवं महावीरे एगं महं सुकिल्ल जाव पडिबुद्धे तराणं समणे भगवं महावीरे सुकमाणोवगए विहरति 2, जगणं समणे भगवं महावीरे एगं महं चित्तविचित्त जाव पडिबुद्धे तराणं समणे भगवं महावीरे विचित्तं ससमयपरसमइयं दुवालसंगं गणिपिडगं श्राघवति पनवेति परूवेति दंसेति निदंसेति उवदंसेति, तंजहा-यायारं सूयगडं जाव दिट्ठिवायं 3, जगणं समणे भगवं महावीरे एगं महं दामदुगं सव्वरयणामयं सुविणे पासित्ताणं पडिबुद्धे तराणं समणे भगवं महावीरे दुविहं धम्म पन्नवेति, तंजहा-यागारधम्मं वा अणागारधर्म वा 4, जगणं समणे भगवं महावीरे एगं महं सेयगोवग्गं जाव पडिबुद्धे तराणं समणस्स भगवयो महावीरस्स चाउ. बराणाइन्ने समणसंघे, तंजहा-समणा समणीयो सावया सावियायो 5, जगणं समणे भगवं महावीरे एगं महं पउमसरं जाव पडिबुद्धे तगणं समणे जाव वीरे चउबिहे देवे पन्नवेति, तंजहा-भवणवासी वाणमंतरे जोतिसिए वेमाणिए 6, जन्नं समणे भगवं महावीरे एगं महं सागरं जाव पडिबुद्धे तन्नं समणेणं भगवया महावीरेणं अगणादीए अणवदग्गे जाव संसारकंतारे तिन्ने 7, जन्नं समणे भगवं महावीरे एगं महं दिणयरं जाव पडिबुद्धे तन्नं समणस्स भगवत्रो महावीरस्स अणंते अणुत्तरे निव्वाधार निरावरणे कसिणे पडिपुराणे केवलवरनाणदंसणे समुपन्ने 8, जगणं समणे जाव वीरे एगं महं हरिवेरुलिय जाव पडिबुज्झे तगणं समणस्स भगवो महावीरस्स अोराला कित्तिवन्न-सहसिलोया सदेवमणुयासुरे लोए परिभमंति-इति खलु समणे भगवं महावीरे इति खलु समणे भगवं महावीरे 1, जन्नं समणे भगवं महावीरे मंदरे पव्वए मंदरचूलियाए जाव पडिबुद्धे Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 16 : उद्देशकः 6 ] [555 तगणं समणे भगवं महावीरे सदेवमणुासुराए परिसाए मज्भगए केवली (केवलीणं, केवलीपराणत्तं धम्मं ग्राघवेति जाव उवदंसेति 2 // सूत्रं 571 / / इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं हयपति वा गयपंतिं वा जाव वसभपति वा पाप्तमाणे पासति दुरूहमाणे दुरूहति दुरूढमिति अप्पाणं मन्नति तवखणामेव बुज्झति तेणेव भवग्गहणेणं सिझति जाव अंतं करेति 1 / इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं दामिणिं पाईण-पडिणायतं दुहश्रो समुद्दे पुटु पासमाणे पासति संवेल्लेमाणे संवेल्लेइ संवेल्लियमिति अप्पाणं मन्नति तक्खणामेव थप्पाणं बुज्झति तेणेव भवग्गहणेणं जाव अंतं करेति 2 / इत्थी वा पुरिसे वा एगं महं रज्जु पाईणपडिणायतं दुहयो लोगंते पुढे पासमाणे पासति छिंदमाणे छिदति छिन्नमिति अप्पाणं मन्नति तक्खणामेव जाव अंतं करेति 3 / इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं किराहसुत्तगंवा जाव सुकिल्लसुत्तगंवा पासमाणे पासति उग्गोवेमाणे उग्गोवेइ उग्गोवितमिति अप्पाणं मन्नति तकखणामेव जाव अंत करेति 4 / इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं अयरासिं वातंबरासिं तउयरासिंवा सीसगरासि वा पासमाणे पासति दुरूहमाणे दुरूहति दुरूढमिति अप्पाणं मन्नति तक्खणामेव बुज्झति दोच्चे भवग्गहणे सिज्झति जाव अंत करेति 5 / इत्थी वा पुरिसे वा सुविणते एगं महं हिरनरासिं वा सुवन्नरासि वा रयणरासि वा वइररासि वा पासमाणे पासइ दुरूहमाणे दुरूहइ दुरूढमिति अप्पाणं मन्नति तक्खणामेव बुज्झति तेणेव भवग्गहणेणं सिझति जाव अंतं करेति 6 / इत्थी वा पुरिसे वा सुविणते एगं महं तणरासिं वा जहा तेयनिसग्गे जाव अवकररासिं वा पासमाणे पासति विक्खिरमाणे विक्खिरइ विकिराणमिति अप्पाणं मन्नति तवखणामेव बुन्झति तेणेव जाव अंतं करेति 7 / इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं सरथंभं वा वीरिणथंभं वा वसीमूलथंभं वा वल्लीमूलथंभं वा पासमाणे पासइ उम्मूलेमाणे उम्मूलेइ उम्मूलितमिति अप्पाणं मन्नइ तक्खणामेव बुज्झति Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 556 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: तृतीयो विभागः तेणेव जाव अंतं करेति 8 / इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं खीरकुभं वा दधिकुभं वा घयकुभं वा मधुकुभं वा पासमाणे पासति उप्पाडेमाणे उप्पाडेइ उप्पाडितमिति अप्पाणं मन्नति तक्खणामेव बुज्झति तेणेव जाव अंतं करेइ 1 / इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं सुरावियडकुभं वा सोवीरवियडकुभं वा तेल्कुभं वा वसाकुभं वा पासमाणे पासति भिंदमाणे भिंदति भिन्नमिति अप्पाणं मन्नति तक्खणामेव बुज्झति दोच्चेगां भवग्गहणेगां जाव अंतं करेति 10 / इत्थी वा पुरिसे वा सुवि ते एगं महं पउमसरं कुसुमियं पासमाणे पासति योगाहमाणे योगाहति . श्रोगाढमिति अप्पाणं मन्नति तक्खगामेव बुज्झति तेणेव जाव अंतं करेति 11 / इत्थी वा जाव सुविणते एगं महं सागरं उम्मीवीयीसहस्सकलियं पासमाणे पासति तरमाणे तरति तिन्नमिति अप्पाणं मन्नति तक्खणामेव जाव अंतं करेति 12 / इत्थी वा जाव सुविणंते एगं महं भवणं सव्वरयणामयं पासमाणे पासति श्रणुप्पविसमाणे अणुप्पविसति अणुप्पविट्ठमिति [दुरूहमाणे दुरूहति दुरूढमिति] अप्पाणं मन्नति तक्खणामेव बुज्झति तेणेव जाव अंतं करेति 13 / इत्थी वा पुरिसे वा सुविणते एगं महं विमाणं सब्बरयणामयं पासमाणे पासइ दुरूहमाणे दुरूहति दुरूढमिति अप्पाणं मन्नति तक्खणामेव बुज्झति तेणेव जाव अंतं करेंति 14 // सूत्रं 580 // अह भंते ! कोटपुडाण वा जाव केयतीपुडाण वा अणुवायंसि उभिजमाणाण वा जाव गणायो वा ठाणं संकामिजमाणाणं कि को? वाति जाव केयई वाइ ?, गोयमा ! नो को? वाति. जाव नो केयई वाती घाणसहगया पोग्गला वाति 1 / सेवं भंते 2 त्ति जाव विहरइ 2 // सूत्रं 581 // // इति षोडशशतके षष्ठ उद्देशकः // 16-6 // . Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 16 :: उद्देशकः 7 ] [557 . // अथ षोडशशतके उपयोगाख्य-सप्तमोद्दशकः // कतिविहे णं भंते ! उवयोगे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे उवयोगे पन्नत्ते, एवं जहा उवयोगपदं पन्नवणाए तहेव निरवसेसं भाणियव्वं 1 / पासणयापदं च निरवसेसं नेयव्वं 2 / सेवं भंते! 2 तिजाव विहरइ ३॥सूनं५८२॥१६-७॥ // अथ षोडशशतके लोकाख्योऽष्टमोद्देशकः // किंमहालए णं भंते ! लोए पन्नत्ते ?, गोयमा ! महतिमहालए जहा बारसमप्सए तहेव नाव असंखेजायो जोयणकोडाकोडीयो परिक्खेवेणं 1 / लोयस्स णं भंते ! पुरच्छिमिल्ले चरिमंते कि जीवा जीवदेसा जीवपएसा अजीवा अजीवदेसा अजीवपएसा ?, गोयमा ! नो जीवा जीवदेसावि जीवपएसावि अनीवावि अजीवदेसावि अजीवपएसावि, जे जीवदेसा ते नियम एगिदियदेसा य ग्रहवा एगिदियदेसा य बेइंदियस्स य देसे एवं जहा दसमसए अग्गेयीदिसा तहेव नवरं देसेसु अणिंदियाणं अाइलविरहियो, जे अरूवी अजीवा ते छविहा, श्रद्धासमयो नत्थि, सेसं तं चेव सव्वं निरवसेसं 2 / लोगस्स णं भंते ! दाहिणिल्ले चरिमंते किं जीवा जाव अजीवपएसावि ?, एवं चेव, एवं पञ्चच्छिमिल्लेवि, उत्तरिल्लेवि 3 / लोगस्स णं भंते ! उवरिल्ले चरिमंते किं जीवा जाव यजीवपएसावि ? पुच्छा, गोयमा ! नो जीवा जीवदेसावि जाव अजीवषएसावि 4 / जे जीवदेसा ते नियम एगिदियदेसा य अणिदियदेसा य अहवा एगिदियदेसा य अणिदियदेसा य बदियस्स य देसे, अहवा एगिदियदेसा य अणिंदियदेसा य दियाण य देसा, एवं मझिल्लविरहियो जाव पंचिंदियाणं 5 / जे जीवप्पएसा ते नियम एगिदियप्पएसा य अणिंदियप्पएसा य अहवा एगिदियप्पएसा य अणिदियप्पएसा य बेंदियस्सप्पदेसा य अहवा एगिदियपएसा य अणिदियप्पएमा य बेइंदियाण य पएसा, एवं आदिल्लविरहियो जाव पंबिंदियाणं, अजीवा जहा दसमसए तमाए तहेव निरवसेसं 6 / लोगस्स गां भंते ! हेट्ठिल्ले चरिमंते Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 558 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः किं जीवा पुच्छा ?, गोयमा ! नो जीवा जीवदेसावि जाव अजीवप्पएसावि, जे जीवदेसा ते नियमं एगिदियदेसा ग्रहवा एगिदियदेसा य बेइंदियस्स देसे ग्रहवा एगिदियदेसा य बेंदियाण य देसा एवं मज्झिल्लविरहियो जाव अणिंदियाणं पदेसा पाइलविरहिया सव्वेसिं जहा पुरच्छिमिल्ले चरिमंते तहेव, अजीवा जहेव उवरिल्ले चरिमंते तहेव७। इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए पुरच्छिमिल्ले चरिमंते किं जीवा ? पुच्छा, मोयमा ! नो जीवा एवं जहेव लोगस्स तहेव चत्तारिवि चरिमंता जाव उत्तरिल्ले, उवरिल्ले तहेव जहा दसमसए विमला दिसा तहेव निरवसेसं, हेट्ठिल्ले चरिमंते तहेव नवरं देसे पंचिंदिएसु तियभंगोत्ति सेसं तं चेव, एवं जहा रयणप्पभाए चत्तारि चरमंता भणिया एवं सकरप्पभाएवि उवरिमहेट्ठिला जहा रयणप्पभाए हेट्ठिल्ले 8 / एवं जाव अहे सत्तमाए, एवं सोहम्मस्सवि जाव अच्चुयस्स गेविजविमाणाणं एवं चेव, नवरं उपरिमहेट्ठिल्लेसु चरमंतेसु देसेसु पंचिंदियाणवि मज्झिल्लविरहियो चेव एवं जहा गेवेजविमाणा तहा अणुत्तरविमाणावि ईसिपभारावि 1 ॥सूत्रं 583 // परमाणुपोग्गले णं भंते ! लोगस्स पुरच्छिमिलायो चरिमंतायो पञ्चच्छिमिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छति, पञ्चच्छि-मिल्लायो चरिमंतायो पुरच्छिमिल्लं चरिमंतं एगसमपणं गच्छति, दाहिणिलायो चरिमंतायो उत्तरिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छति, उत्तरिल्लायो चरिमंताश्रो दाहिणिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छति, उबरिलायो चरमंतायो हेट्ठिल्लं चरिमंतं एवं जाव गच्छति, हेहिल्लाबो चरिमंतायो उवरिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छति ?, हंता गोयमा! परमाणुपोग्गले णं लोगस्स पुरच्छिमिल्लं तं चेव जाव उवरिल्लं चरिमंतं गच्छति // सूत्रं 584 // पुरिसे णं भंते ! वासं वासति नो वासतीति हत्थं वा पायं वा बाहुं वा उरुवा अाउट्टावेमाणे वा पसारेमाणे वा कतिकिरिए ?, गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे वासं वासति वासं नो वासतीति हत्थं वा जाव ऊरुवा अाउट्टावेति वा पसारेति वा तावं च Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 14 : उद्देशकः 10 ] [ 556 णं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुढे // सूत्रं 585 // देवे णं भंते ! महड्डिए जाव महेसक्खे लोगंते ठिचा पभू अलोगंसि हत्थं वा जाव उरुवा अाउंटावेत्तए वा पसारेत्तए वा ?, णो तिण? सम? 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ देवे णं महड्डीए जाव लोगते ठिचा णो पभू अलोगंसि हत्थं वा जाव पसारेत्तए वा ?, जीवाणं श्राहारोवचिया पोग्गला बोदिचिया पोग्गला कलेवरचिया पोग्गला पोग्गलामेव पप्प जीवाण य अजीवाण य गतिपरियाए पाहिजइ, अलोए णं नेवस्थि जीवा नेवत्थि पोग्गला से तेणटेणं जाव पसारेत्तए वा 2 // सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 3 // सूत्रं 586 / / . . इति षोडशशतके अष्टम उद्देशकः // 16-8 // // अथ षोडशशतके बलिनामक-नवमोद्देशकः / / कहिन्नं भंते ! बलिस्स वइरोयणिदस्स वइरोयणरन्नो सभा सुहम्मा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं तिरियमसंखेज्जे जहेव चमरस्स जाव बायालीसं जोयणसहस्साई भोगाहित्ता पत्थणं बलिस्स वइरोयणिदस्स वइरोयणरन्नो स्यांगदे नाम उप्पायपव्वए पन्नत्ते सत्तरस एकवीसे जोयणसए एवं पमाणं जहेब तिगिच्छिकूडस्स पासायवडेंसगस्सवि तं चेव पमाणं सीहासणं सपरिवारं बलिस्स परियारेणं अट्टो तहेव नवरं रुयगिंदप्पभाई 3 सेसं तं चेव जाव बलिचंचाए रायहाणीए अन्नेसिं च जाव रुयगिदस्स णं उप्पायपव्वयस्स उत्तरेणं छक्कोडिसए तहेव जाव चत्तालीसं जोयणसहस्साई भोगाहित्ता एत्थ गणं बलिस्म वइरोयणिदस्स वइरोयणरन्नो बलिचत्रा नाम रायहाणी पन्नत्ता एगं जोयणसयसहस्सं पमाणं तहेव जाव बलिपेढस्स उववायो जाव थायरक्खा सव्वं तहेव निरवसेसं नवरं सातिरेगं सागरोवमं ठिती पन्नता सेसं तं चेव जाव बली वइरोयणिंदे बली वइरोयणरगणे 1 / सेवं भंते ! 2 जाव विहरति 2 // सूत्र 587 // 16 // . . Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 560 ] ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः : तृतीयो विभागा // अथ षोडशशतके अवधिनामक-दशमोद्देशकः // ___“कतिविहे णं भंते ! श्रोही पन्नत्ते !, गोयमा ! दुविहा श्रोही पन्नत्ता, श्रोहीपदं निरवसेसं भाणियव्वं 1 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव विहरति 2 // सूत्रं 588 // 16-10 // - // अथ षोडशशतके द्वीपाख्यैकादशमोद्देशकः / / // उदधिदिशास्थनिताख्य-त्रयोद्दे शकाश्च // दीवकुमारा णं भंते ! सव्वे समाहारा सब्वे समुस्सासनिस्सासा ?, णो तिणढे सम8 1 / एवं जहा पढमसए बितियउद्दे सए दीवकुमाराणं वत्तवया तहेव जाव समाउया समुस्सासनिस्सासा, एवं नागावि 2 / दीवकुमाराणं भंते ! कति लेस्सायो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! चत्तारि लेस्सायो पन्नत्तायो, तंजहा-कराहलेस्सा जाव तेउलेस्सा 3 / एएसि णं भंते ! दीवकुमाराणं कराहलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कयरे 2 हितो जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा दीवकुमारा तेउलेस्सा काउलेस्सा असंखेजगुणा नीललेस्सा विसेसाहिया कराहलेस्सा विसेसाहिया 4 / एएसि णं भंते ! दीवकुमाराणं कराहलेसाणं जाव तेऊलेस्साण य कयरे 2 हिंतो अप्पड्डिया वा महड्डिया वा ?, गोयमा ! कराहलेस्साहितो नीललेस्सा महड्डिया जाव सव्वमहड्डीया तेउलेस्सा 5 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव विहरति 6 / उदहिकुमारा णं भंते ! सव्वे समाहारा एवं चेव 1. / सेवं भंते ! जाव विहरइ 2 // 16-12 // एवं दिसाकुमारावि // 16-13 // एवं थणियकुमारावि, सेवं भंते ! सेव भंते ! जाव विहरइ // 16-14 // // सूत्रं 586 // सोलसमं सयं समत्तं // // इति षोडशं शतम् // 16 // Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 17 : उद्देशकः 1 / [561 // अथ सप्तदशमशतके कुञ्जराख्य-प्रथमोद्देशकः // नमो सुयदेवयाए भगवईए॥ कुजर 1 संजय 2 सेलेसि 3 किरिय 4 ईसाण 5 पुढवि 6-7 दग 8-1 वाऊ 10-11 / एगिदिय 12 नाग 13 सुवन्न 14 विज्जु 15 वायु 16 ऽग्गि 17 सत्तरसे // 1 // - रायगिहे जाव एवं वयासी-उदायी णं भंते ! हस्थिराया करोहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता उदायिहत्थिरायत्ताए उववन्नो?, गोयमा ! असुरकुमारेहितो देवेहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता उदायिहत्थिरायत्ताए उववन्ने 1 / उदायी णं भंते ! हंत्थिराया कालमासे कालं किवा कहिं गच्छिहिति कहिं उववजिहिति ?, गोयमा ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोससागरोवमट्ठितियंसि निरयावासंसि नेरइयत्ताए उववजिहिति 2 / से णं भंते ! तयोहितो अणंतर उव्यट्टित्ता कहिं गच्छिहिति कहिं उववजिहिति ?, गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतं काहिति 3 / भूयाणंदे णं भंते ! हत्थिराया करोहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता भूयाणंदे हस्थिरायत्ताए एवं जहेव उदायी जाव अंतं काहिति 4 // सू. 510 // पुरिसे णं भंते ! तालमारुहइ 2 तालाबो तालफलं पचालेमाणे वा पवाडेमाणे वा कतिकिरिए ?, गोयमा ! जावंच णं से पुरिसे तालमारुहइ 2 तालाबो तालफलं पयालेइ वा पवाडेइ वा तावंच णं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुढे जेसिपि य णं जीवाणं सरीरेहितो तले निव्वत्तिए तलफले निवत्तिए तेऽवि णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा 1 / अहे णं भंते ! से तालप्फले अप्पणो गरुयत्ताए जाव पच्चोवयमाणे जाई तत्थ पाणाइं जाव जीवियायो ववरोवेति तए णं भंते ! से पुरिसे कतिकिरिए ?, गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे तलप्फले अप्पणो गरुयत्ताए जाव जीवियात्रो ववरोवेति तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव चउहि किरियाहिं पु?, जेसिपि णं जीवाणं सरीरेहितो तले निबत्तिए तेवि णं जीवा काइयाए Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 562 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः जाव चउहिं किरियाहिं पुटा, जेसिपि णं जीवाणं सरीरेहितो तालप्फले निबत्तिए तेवि णं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुटा, जेविय से जीवा अहे वीससाए पच्चोवयमाणस्स उवग्गहे वट्टांति तेऽविय णं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुट्ठा 2 / पुरिसे णं भंते ! रुक्खस्स मूलं पचालेमाणे वा पवाडेमाणे वा कतिकिरिए ?, गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे रुक्खस्स मूलं पचालेमाणे वा पवाडेमाणे वा तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुढे, जेसिपि य णं जीवाणं सरीरेहितो मूले(कंदे) निव्वत्तिए जाव बीए निव्वत्तिए तेवि य णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्टा 3 / अहे णं भंते ! से मूले अप्पणो गरुयत्ताए जाव जीवियायो ववरोवेइ तयो णं भंते ! से पुरिसे कतिकिरिए ?, गोयमा ! जावं च णं से मूले अप्पणो जाव ववरोवेइ तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव चउहि किरियाहिं पुढे, जेसिपि य गणं जीवाणं सरीरेहितो कंदे निव्वत्तिए जाव बीए निव्वत्तिए तेवि णं जीवा काइयाए जाव बउहिं पुट्टा, जेसिपि य णं जीवाणं सरीरेहितो मूले निव्वत्तिए तेवि णं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुठ्ठा, जेवि य णं से जीवा हे वीससाए पच्चोवयमाणस्स उवग्गहे वटंति तेवि णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा 4 / पुरिसे णं भंते ! रुक्खस्स कंदं पचालेइ तयो णं भंते ! से पुरिसे कतिकिरिए ? गोयमा ! तावं च णं से पुरिसे जाव पंचहिं किरियाहिं पुढे, जेसिपि णं जीवाणं सरीरेहितो मूले निव्वत्तिए जाव बीए निवत्तिए तेवि णं जीवा जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा 5 / अहे णं भंते ! से कंदे अप्पणो जाव चउहि पुढे, जेसिपि णं जीवाणं सरीरेहितो मूले निव्वत्तिए खंधे निव्वत्तिए जाव चउहिं पुट्ठा, जेसिपि णं जीवाणं सरीरेहितो कंदे निव्वत्तिए तेवि य णं जीवा जाव पंचहिं पुट्ठा, जेवि य से जीवा अहे वीससाए पच्चोवयमाणस्स जाव पंचहिं पुट्ठा जहा खंधो एवं जाव बीयं Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 14 :: उद्देशकः 2 ) [ 563 6 // सूत्रं 511 // कति णं भंते ! सरीरगा पराणत्ता ?, गोयमा ! पंच सरीरगा पन्नत्ता, तंजहा-पोरालिय जाव कम्मए 1 / कति णं भंते ! इंदिया पत्नत्ता ?, गोयमा ! पंच इंदिया पन्नत्ता, तंजहा-सोइंदिए जाव फासिदिए 2 / कतिविहे णं भंते ! जोए पन्नत्ते ?, गोयमा ! तिविहे जोए पन्नत्ते, तंजहा-मणजोए वयजोए कायजोए 3 / जीवे णं भंते ! थोरालियसरीरं निव्वत्तेमाणे कतिकिरिए ?, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए, एवं पुढविकाइएवि एवं जाव मणुस्से 4 / जीवा णं भंते ! श्रोरालियसरीरं निव्वत्तेमाणा कतिकिरिया ?, गोयमा! तिकिरियावि चउकिरियावि पंचकिरियावि 5 / एवं पुढविकाइया एवं जाव मणुस्सा, एवं वेउब्वियसरीरेणवि दो दंडगा नवरं जस्स अत्थि वेउब्वियं एवं जाव कम्मगसरीरं 6 / एवं सोइंदियं फासिदियं, एवं मणजोगं वयजोगं कायजोगं जस्स जं अस्थि तं भाणियब्वं, एए एगत्तपुहुत्तेणं छब्बीसं दंडगा 7 // सूत्रं 512 // कतिविहे णं भंते ! भावे पराणते ?, गोयमा ! छविहे भावे पन्नत्ते, तंजहा-उदइए उपसमिए जाव सन्निवाइए 1 / से किंतं उदइए?, उदइए भावे दुविहे पराणत्ते, तंजहा-उदइए उदयनिप्पन्ने य 2 / एवं एएणं अभिलावेणं जहा अणुयोगदारे छन्नामं तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव से तं सन्निवाइए भावे 3 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरइ 4 // सूत्रं 513 // // इति सप्तदशमशतके प्रथम उद्देशकः // 17-1 // // अथ सप्तदशमशतके संयताख्य-द्वितीयोई शकः // से नूणं भंते ! संयत-विरत-पडिहय-पञ्चक्खाय-पावकम्मे धम्मे ठिए अस्संजय-अविरय-अपडिड्य-पच्चवखाय-पावकम्मे अधम्मे ठिते संजयासंजय धम्माधम्मे ठिते ?, हंता गोयमा ! संजयविरय जाव धम्माधम्मे ठिए 1 / एएसि णं भंते ! धम्मंसि वा अहम्मंसि वा धम्माधम्मंसि वा चकिया केइ Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 564 ] ( श्रीमदागमसुधासिन्धु :: तृतीयो विभागः अासइत्तए वा जाव तुयट्टित्तए वा ?, गोयमा ! णो तिण? सम? 2 / से केणं खाइ अट्टणं भंते ! एवं वुच्चइ जाव धम्माधम्मे ठिते ?, गोयमा ! संजयविरय जाव पावकम्मे धम्मे ठिते धम्मं चेव उवसंपजित्ताणं विहरति, असंयत जाव पावकम्मे अधम्मे ठिए अधम्म चेव उवसंपजित्ताणं विहरइ, संजायासंजए धम्माधम्मे ठिते धम्माधम्म उवसंपजित्ताणं विहरति, से तेणटेणं जाव ठिए 3 / जीवा णं भंते ! किं धम्मे ठिया अधम्मे ठिया धम्माधम्मे ठिया ?, गोयमा ! जीवा धम्मेवि ठिता अधम्मेवि ठिता धम्माधम्मेवि ठिता 4 / नेरझ्याणं पुच्छा ?, गोयमा ! ओरझ्या णो धम्मे ठिता अधम्मे ठिता णो धम्माधम्मे ठिता 5 / एवं जाव चरिंदियाण, पंचिंदियतिरिवखजोणियाणं पुच्छा, गोयमा! पंचिंदियतिरिक्ख-जोणिया, नो धम्मे ठिया अधम्मे ठिया धम्माधम्मेवि ठिया 6 / मणुस्सा जहा जीवा, वाणमंतर-जोइसिय वेमाणिया जहा नेरइया 7 // सूत्रं 514 // अन्नउत्थिया णं भंते ! एव माइक्खंति जाव परूवेति-एवं खलु समणा पंडिया समणोवासया बालपंडिया जस्स णं एगपाणाएवि दंडे अणिक्खित्ते से णं एगंतबालेत्ति वत्तव्यं सिया, से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोयमा ! जगणं ते अन्नउत्थिया एवमाइक्खंति जाव वत्तव्वं सिया, जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु ग्रहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि एवं खलु समणा पंडिया समणोवासगा बालपंडिया जस्स णं एगपाणाएवि दंडे निक्खित्ते से णं नो एगंतबालेति वत्तव्वं सिया 1 / जीवा णं भंते ! कि बाला पंडिया बालपंडिया ?, गोयमा ! जीवा बालावि पंडियावि बालपंडियावि 2 / नेरइयाणं पुच्छा, गोयमा ! नेरइया बाला नो पंडिया नो बालपंडिया, एवं जाव चउरिदियाणं 3 / पंबिंदियातिरिक्ख नोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया बाला नो पंडिया बालपंडियावि, मणुस्सा जहा जीवा, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा नेरइया 4 / / सूत्र 515 // Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमन्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 15:: उद्देशकः 15 ] [ 565 अनउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति जाव परुति-एवं खलु पाणातिवाए मुसावाए जाव मिच्छादंसणसल्ले वट्टमाणस्स अन्ने जीवे अन्ने जीवाया पाणाइवायवेरमणे जाव परिग्गहवेरमणे कोहविवेगे जाव मिच्छादसणसालविवेगे वट्टमाणस्स अन्ने जीवे अन्ने जीवाया, उप्पत्तियाए जाव परिणामियाए वट्टमाणस्स अन्ने जीवे अन्ने जीवाया, उप्पत्तियाए उग्गहे ईहा अवाए धारणाए वट्टमाणस्स जाव जीवाया, उट्ठाणे जाव परक्कमे वट्टमाणस्स जाव जीवाया, नेरइयत्ते तिरिक्खमणुस्सदेवत्ते वट्टमाणस्स जाव जीवाया, नाणावरणिज्जे जाव अंतराइए वट्टमाणस्स जाव जीवाया, एवं कराहलेस्साए जाव सुकलेस्साए सम्मदिट्ठीए 3 एवं चक्खुदंसणे 4 श्राभिणिबोहियनाणे 5 मतिअन्नाणे 3 अाहारसन्नाए 4 एवं श्रोरालियसरीरे 5 एवं मणजोए 3 सागारोवोगे अणागारोवयोगे वट्टमाणस्स अण्णे जीवे अन्ने जीवाया, से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोयमा ! जगणं ते अन्नउत्थिया एवमाइक्खंति जाव मिच्छं ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि-एवं खलु पाणातिवाए जाव मिच्छादसणसल्ले वट्टमाणस्स सच्चेव जीवे सच्चेव जीवाया जाव अणागारोवोगे वट्टमाणस्स सच्चेव जीवे सच्चेव जीवाया / / सूत्रं 516 // देवे णं भंते ! महड्डीए जाव महेसक्खे पुवामेव रुवी भवित्ता पभू अरूविं विउवित्ताणं चिट्टित्तए ?, णो तिण? समढे 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ देवे णं जाव नो पभू अरूविं विउवित्ताणं चिट्ठित्तए ?, गोयमा ! अहमेयं जाणामि अहमेयं पासामि अहमेयं बुज्झामि अहमेयं अभिसमन्नागच्छामि, मए एयं नायं मए एयं दिट्ठ मए एवं बुद्धं मए एवं अभिसमन्नागयं, जराणं तहागयस्स जीवस्स सरूविस्स सकम्मस्स सरागस्स सवेदस्स समोहस्स सलेसस्स ससरीरस्स तायो सरीरात्रो 16 Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 566 ] ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः तृतीयोः विभागः अविप्पमुक्कस्स एवं पन्नायति, तंजहा-कालत्ते वा जाव सुकिल्लत्ते वा सुब्भिगंधत्ते वा दुन्भिगंधत्ते वा तित्ते वा जाव महुरते वा कक्खडते जाव लुक्खत्ते, से तेण?णं गोयमा ! जाव चिट्ठित्तए 2 / सच्चेव णं भंते ! से जीवे पुवामेव अरुवी भवित्ता पभू रूविं विउव्वित्ताणं चिट्टित्तए ?, णो तिणढे समढे 3 / से केणढेणं जाव चिट्ठित्तए गोयमा ! अहमेयं जाणामि जाव जन्नं तहागयस्स जीवस्स अरूविस्स अकम्मस्स रागस्स अवेदस्स अमोहस्स अलेसम्स असरीरस्स तारो सरीरायो विप्पमुक्कस्स णो एवं पन्नायति, तंजहा-कालते वा जाव लुक्खत्ते वा, से तेण?णं जाव चिट्टित्तए वा 4 / सेवं भंते! 2 ति जाव विहरइ 5 // सूत्रं 517 // // इति सप्तदशमशतके द्वितीय उद्देशकः // 17-2 // ॥अथ सप्तदशमशतके शैलेशी(एजन)नामक-तृतीयोद्देशकः / / सेलेसिं पडिवन्नए णं भंते ! अणगारे सया समियं एयति वेयति जाव तं तं भावं परिणमति ?, णो तिण? सम?, णराणत्थेगेणं परप्पयोगेणं 1 / कतिविहा णं भंते ! एयणा पराणत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा एयणा पराणत्ता, तंजहा-दव्वेयणा खेत्तेयणा कालेयणा भवेयणा भावेयणा 2 / देव्वेयणा णं भंते ! कतिविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! उव्विहा पन्नत्ता, तंजहा-नेरड्यदव्वेयणा तिरिक्खजोणियदव्वेयणा मणुस्सदव्वेयणा देवदव्वेयणा 3 / से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-नेरइयदव्वेयणा 2 ?, गोयमा ! जन्नं नेरइया नेरइयदव्वे वट्टिसु वा वट्टति वा वट्टिस्संति वा, ते णं तत्थ नेरतिया नेरतियदव्वे वट्टमाणा नेरइयदव्वेयणं एइंसु वा एयंति वा एइस्संति वा, से तेणटेणं जाव दव्वेयणा 4 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ तिरिक्खजोणियदव्वेयणा एवं चेव, नवरं तिरिक्खजोणियदव्वेयणं भाणियव्वं, सेसं तं चेव, एवं जाव देवदव्वेयणा 5 / खेतेयणा णं भंते ! कतिविहा पराणत्ता ?, गोयमा ! चउबिहा Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 17 :: उद्देशकः 3 ] [567 पन्नत्ता, तंजहा-नेरइयखेत्तेपणा जाव देवखेत्तेयणा / से केण?णं भंते! एवं बुच्चइ नेरइयखेत्तेयणा 2 ?, एवं चेव नवरं नेरइयखेत्तेयणा भाणियव्वा 7 / एवं जाव देवखेनेयणा, एवं कालेयणावि, एवं भवेयणावि, भावेयणावि जाव देवभावेयणा 8 // सूत्रं 518 // कतिविहा णं भंते ! चलणा पराणत्ता ?, गोयमा ! तिविहा चलणा पत्नत्ता, तंजहा-सरीरचलणा इंदियचलणा जोगचलणा 1 / सरीरचलणा णं भंते ! कतिविहा पन्नत्ता, गोयमा ! पंचविहा पन्नत्ता, तंजहा-थोरालियसरीरचलणा जाव कम्मगसरीरचलणा 2 / इंदियचलणा णं भंते ! कतिविहा पनत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा पराणत्ता, तंजहा-सोइंदियचलणा जाव फासिदियचलणा 3 / जोगचलणा णं भंते ! कतिविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-मणजोगचलणा वइजोगचलणा कायजोगचलणा 4 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ श्रोरालियसरीरचलणा 2 ?, गोयमा ! जे णं जीवा बोरालियसरीरे वट्टमाणा गोरालियसरीरपयोगाई दव्वाई योरालियसरीरत्ताए परिणामेमाणा ओरालियसरीरचलणं चलिंसु वा चलंति वा चलिस्संति वा से तेणतुणं जाव बोरालियसरीरचलणा 2, 5 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ वेउव्वियसरीरचलणा 2 ? एवं चेव नवरं वेउब्वियसरीरे वट्टमाणा एवं जाव कम्मगसरीरचलणा 6 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ सोइंदियचलणा 21, गोयमा ! जन्नं जीवा सोइंदिए वट्टमाणा सोइंदियपायोगाई दव्वाइं सोईदियत्ताए परिणामेमाणा सोइंदियचलणं चलिंसु वा चलंति वा चलिस्संति वा से तेणट्टेणं जाव सोतिदियचलणा 2, एवं जाव फासिदियचलणा 7 / से केणढे णं एवं वुचइ मणोजोगचलणा 2 ?, गोयमा ! जराणं जीवा मणजोए वट्टमाणा मणजोगप्पायोगाई दव्वाइं माजोगत्ताए परिणामेमाणा मणजोगचलणं चलिंसु वा चलिति वा चलिस्संति वा से तेण?णं जाव मणजोगचलणा 2, एवं वइजोगचलणावि, एवं कायजोग Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 568 ) .. [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः चलणावि 8 // सूत्रं 511 // अंह भंते ! संवेगे निव्वेए गुरुसाहम्मियसुस्सूसणया 3 बालोयणया निंदणया गरहणया 6 खमावणया विउसमणया सुयसहायया भावे अप्पडिबद्धया विणिवट्टणया विवित्तसयणासणसेवणया 11 सोइंदियसंवरे जाव फासिदियसंवरे 16 जोगपञ्चवखाणे सरीरपञ्चक्खाणे कसायपञ्चक्खाणे संभोगपञ्चक्खाणे उवहिपञ्चवखाणे भत्तपञ्चक्खाणे 22 खमा विरागया 24 भावसच्चे जोगसच्चे करणसच्चे 27 मणसमराणाह(समाधा)रणया वयसमन्नाहरणया कायसमन्नाहरणया 30 कोहविवेगे जाव मिच्छादसणसल्लविवेगे 43 णाणसंपन्नया दंसणसंपन्नया चरित्तसंपन्नया 46 वेदणअहियासणया मारणंतियअहियासणया 48, 1 / एएणं भते ! पया किंपज्जवसाणफला पराणत्ता ?, समणाउसो ! गोयमा ! संवेगे निव्वेगे जाव मारणंतियअहियासणया एए णं सिद्धि-पज्जवसाणफला पन्नत्ता, समणाउसो ! 2 / सेवं भंते ! 2 जाव विहरति 3 // सूत्रं 600 / / // इति सप्तदशमशतके तृतीय उद्देशकः // 17-3 // . // अथ सप्तदशमशतके क्रियाख्य-चतुर्थोद्देशकः // तेणं काले णं 2 रायगिहे नगरे जाप एवं वयासी-ग्रंथि णं भंते ! जीवाणं पाणाइवाएणं किरिया कजइ ?, हंता अस्थि 1 / सा भंते ! किं पुट्ठा कजइ अपुट्ठा कजइ ?, गोयमा ! पुट्ठा कजइ नो अपुट्ठा कजइ 2 / एवं जहा पढमसए छठ्ठद्दे सए जाव नो श्रणाणुपुस्विकडाति वत्तव्वं सिया, एवं जाव वेमाणियाणं, नवरं जीवाणं एगिदियाण य निव्वाघाएणं छदिसिं वाघायं पडुच्च सिय तिदिसि सिय चउदिसि सिय पंचदिसि सेसाणं नियम छदिसि 3 / अस्थि णं भंते ! जीवाणं मुसावाएणं किरिया कजइ ?, हंता अत्थि 4 / सा भंते ! किं पुट्ठा कन्जइ जहा पाणाइवाएणं दंडगो एवं मुसावाएणवि, एवं अदिन्नादाणेणवि मेहुणेणवि परिग्गहेणवि, एवं एए पंच Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 17 :: उद्देशकः 5 ] [ 569 दंडगा 5, 5 / समयन्नं भंते ! जीवाणं पाणाडवाएणं किरिया कजइ सा भंते ! किं पुट्ठा कजइ अपुट्ठा कन्जइ, एवं तहेव जाव वत्तव्यं सिया जाव वेमाणियाणं, एवं जाव परिग्गहेणं, एवं एतेवि पंच दंडगा 10, 6 / जंदेसेणं भंते ! जीवाणं पाणाइवाएणं किरिया कन्जति एवं चेव जाव परिग्गहेणं, एवं एतेवि पंच दंडगा 15, 7 / जंपएसन्नं भंते ! जीवाणं पाणाइवाएणं किरिया कन्जइ सा भंते ! किं पुट्ठा कन्जति एवं तहेव दराडो एवं जाव परिग्गहेणं 20, एवं एए वीसं दंडगा 8 // सूत्रं 601 // जीवाणं भंते ! किं अत्तकडे दुक्खे परकडे दुवखे तदुभयकडे दुवखे ?,गोयमा ! अत्तकडे दुवखे नोपरकडे दुक्खे नो तदुभयकडे दुक्खे, एवं जाव वेमाणियाणं 1 / जीवा णं भंते / किं अत्तकडं दुल्खं वेदेति परकडं दुक्खं वेदेति तदुभयकडं दुक्खं वेदेति ?, गोयमा! अत्तकडं दुक्खं वेदेति नो परकडं दुवखं वेदेति नो तदुभयकडं दुक्खं वेदेति, एवं जाव वेमाणियाणं 2 / जीवाणं भंते ! किं अत्तकडा वेयणा परकडा वेयणा पुच्छा, गोयमा ! अत्तकडा वेयणा णो परकडा वेयणा णो तदुभयकडावेयणा एवं जाव वेमाणियाणं 3 / जीवा णं भंते ! किं अत्तकडं वेदणं वेदेति परकडं वेदणं वेदेति तदुभयकडं वेदणं वेदेति ?, गोयमा ! जीवा अत्तकडं वेयणं वेदेति नो परकडं नो तदुभयकडं, एवं जाव वेमाणियाणं 4 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरति 5 // सूचं 602 // 17-4 // // अथ सप्तदशमशतके ईशानकल्पाख्य-पञ्चमोद्देशकः // . कहि णं भंते ! ईसाणस्स देविंदस्स देवरन्नो सभा सुहम्मा परणत्ता ?, गोयमा ! जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिजायो भूमिभागायो उड्डे चंदिमसूरियनहा गणपदे जाव मज्झे ईसाणवडेंसए महाविमाणे से णं ईसाणवडेंसए महाविमाणे अद्धतेरस जोयण Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 570 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: तृतीयो विभागः सयसहस्साई एवं जहा दसमसए सक्कविमाणवत्तव्वया सा इहवि ईसाणस्म निरवसेसा भाणियव्वा जाव पायरक्खा, ठिती सातिरेगाइं दो सागरोवमाई, सेसं तं चेव जाव ईसाणे देविंदे देवराया 2, 1 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरइ 2 // सूत्रं 603 // 17-5 // // अथ सप्तदशमशतके पृथिवीनामक-षष्ठ-सप्तमोद्देशकौ // ___ पुढविकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए समोहए 2 जे . भविए सोहम्मे कप्पे पुढविकाइयत्ताए उववजितए से भंते ! किं पुचि उववजित्ता पच्छा संपाउणेज्जा पुब्बि वा संपाउणित्ता पच्छा उववज्जेजा ?, गोयमा ! पुग्विं वा उववजित्ता पच्छा संपाउणेजा पुब्बि वा संपाउणित्ता पच्छा उववज्जेजा 1 / से केण?णं जाव पच्छा उववज्जेजा ?, गोयमा ! पुढविकाइयाणं तयो समुग्घाया पन्नत्ता, तंजहा-वेदणासमुग्घाए कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्घाए, मारणंतियसमुग्घाएणं समोहणमाणे देसेण वा समोहणति सव्वेण वा समोहणति देसेणं समोहन्नमाणे पुब्धि संपाउणित्ता पच्छा उववजिजा, सव्वेणं समोहणमाणे पुदि उववज्जेत्ता पच्छा संपाउणेजा, से तेण?णं जाव उववजिन्जा 2 / पुढविकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए जाव समोहए 2 जे भविए ईसाणे कप्पे पुढवि एवं चेव ईसाणेवि, एवं जाव अच्चुयगेविजविमाणे, अणुत्तरविमाणे ईसिपब्भाराए य एवं चेव 3 / पुढविकाइए णं भंते ! सकरप्पभाए पुढवीए समोहए 2 जे भविए सोहम्मे कप्पे पुढवि एवं जहा रयणप्पभाए पुढविकाइए उववाइयो एवं सकरप्पभाएवि पुढविकाइयो उववाएयब्वो जाव ईसिपब्भाराए, एवं जहा रयणप्प. भाए वत्तव्वया भणिया एवं जाव अहेसत्तमाए समोहए ईसीपब्भाराए उववाए. यवो 4 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 5 // सूत्रं 60 // 17-6 // पुढवीकाइए णं भंते ! सोहम्मे कप्पे समोहए समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 15 :: उद्देशकः 1] [571 पुढवीए पुढवीकाइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते ! किं पुब्धि सेसं तं चेव जहा रयणप्पभापुढविकाइए सव्वकप्पेसु जाव ईसिपभाराए ताव उववाइयो एवं सोहम्मपुढविकाइनोवि सत्तासुवि पुढवीसु उववाएयव्वो जाव अहेसत्तमाए 1 / एवं जहा सोहम्मपुढविकाइनो सव्वपुढवीसु उववाइयो एवं जाव ईसिपब्भारापुढविकाइयो सव्वपुढवीसु उववाएयव्वो जाव अहेसत्तमाए 2 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 3 // सूत्र 605 // 17-7 // // अथ सप्तदशमशतके अप्कायाख्यौ अष्टमनवमोह शकौ // अाउकाइए ण भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए समोहए 2 जे भविए सोहम्मे कप्पे पाउकाइयत्ताए उववजित्तए, एवं जहा पुढविकाइयो तहा पाउकाइग्रोवि सव्वकप्पेसु जाव ईसिपञ्भाराए तहेव उववाएयव्यो, एवं जहा रयणप्पभागाउकाइयो उववाइयो तहा जाव अहेसत्तमापुढविश्राउकाइयो उववाएयव्यो जाव ईसिपब्भाराए 1 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 3 // सूत्र 606 // 17-8 // श्राउकाइए णं भंते ! सोहम्मे कप्पेसमोहए समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए घणोदधिवलएसु बाउकाइयत्ताए उववजिनए से णं भंते ! सेसं तं चेव एवं जाव अहेसत्तमाए जहा सोहम्मयाउकाइयो, एवं जाव ईसिपभाराबाउकाइयो जाव अहेसत्तमाए उववाएयवो 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // सूत्रं 607 // 17-1 // // अथ सप्तदशमशतके वायुकाख्य-दशमेकादशोद्देशकौ // वाउकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए जाव जे भविए सोहम्मे कप्पे वाउकाइयत्ताए उववजित्तए से णं जहा पुढविकाइयो तहा वाउकाइश्रोवि नवरं वाउकाइयाणं चत्तारि समुग्घाया पन्नत्ता, तंजहा-वेदणासमुग्घाए जाव वेउब्वियसमुग्घाए, मारणंतियसमुग्घाएणं समोहणमाणे देसेण वा Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 572 / ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः : तृतीयो विभाग : समोहए, सेसं तं चेव जाव अहेसत्तमाए समोहयो ईसिपब्भाराए उववाएयबो 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // सूत्रं 608 // 17.10 // वाउकाइए णं भंते ! सोहम्मे कप्पे समोहए 2 जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए घणवाए तणुवाए घणवायवलएसु तणुवायवलएसु वाउकाइयत्ताए उववज्जेत्तए, से णं भंते ! सेसं तं चेव एवं जहा सोहम्मे वाउकाइयो सत्तसुवि पुढवीसु उववाइयो एवं जाव ईसिपब्भाराए वाउकाइयो अहेसत्तमाए जाव उववाएयव्यो 1 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 2. . // सूत्रं 601 // 17-11 // // अथ सप्तदशमशतके एकेन्द्रियाख्य-द्वादशमोद्देशकः // एगिदियाणं भंते ! सव्वे समाहारा सव्वे समसरीरा एवं जहा पढमसए बितियउद्देसए पुढविकाइयाणं वत्तव्वया भणिया सा चेव एगिदियाणं इह भाणियव्वा जाव समाउया समोववन्नगा 1 / एगिदिया णं भंते ! कति लेस्सायो पन्नत्तायो ?, गोयना ! चत्तारि लेस्सायो पन्नत्तायो, तंजहाकराहलेस्सा जाव तेउलेस्सा 2 / एएसि णं भंते ! एगिदियाणं कराहलेस्साणं जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा एगिदियाणं तेउलेस्सा काउलेस्सा अणंतगुणा णीललेस्सा विसेसाहिया कराहलेस्सा विसेसाहिया 3 / एएसि णं भंते ! एगिदिया णं कराहलेस्सा इड्डी जहेव दीवकुमाराणं 4 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 5 // सूत्रं 610 // 17-12 // // अथ सप्तदशमशतके नाग-सुवर्ण-विद्यु द्वाय्वग्निकुमाराख्या त्रयोदशमतस्सप्तदशमान्तोद्देशकाः / / नागकुमारा णं भंते ! सव्वे समाहारा जहा सोलसमसए दीवकुमारहे से तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव इड्डीति 1 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 18:: उद्देशकः 1 ] [ 573 जाव विहरति 2 // सूत्रं 611 // 17-13 // सुवनकुमारा णं भंते ! सन्चे समाहारा 1 / एवं चेव सेवं भंते ! 2 जाव विहरति 2 // सूत्रं 612 // // 17-14 // विज्जुकुमारा णं भंते ! सव्वे समाहारा एवं चेव 1 / सेवं भंते ! 2 जाव विहरति 2 // सूत्रं 613 // 17-15 // वायुकुमारा णं भते ! सब्वे समाहारा एवं चेव 1 / सेवं भंते ! 2 जाव विहरति 2 // सूत्रं 614 // 17-16 // अग्गिकुमारा भंणं ते ! सवे. समाहारा एवं चेव 1 / सेवं भंते ! 2 जाव विहरति 2 // सूत्रं 615 // 17-17 // सत्तरसमं सयं समत्तं // // इति सप्तदशमं शतकम् // 17 // // अथ अष्टादशमशतके प्रथमाख्य-प्रथमोद्देशकः // पढमे 1 विसाह 2 मार्यदिए य 3 पाणाइवाय 4 असुरे य 5 / गुल 6 केवलि 7 अणगारे 8 भविए 1 तह सोमिलटारसे 10 // 1 // (जीवाहारग भव सन्नि-लेसा-दिट्ठी य संजयकसाए / णाणे जोगुवोगे वेए य सरीरपजत्ती // 2 // ) तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे जाव एवं वयासी-जीवे णं भते ! जीवभावेणं किं पढमे अपढमे?, गोयमा ! नो पढमे अपढमे, एवं नेरइए जाव वेमाणिया 1 / सिद्धे णं भंते ! सिद्धभावेणं किं पढमे अपढमे ?, गोयमा ! पढमे नो अपढमे 2 / जीवा णं भंते ! जीवभावेणं किं पढमा अपढमा ?, गोयमा ! नो पढमा अपढमा, एवं जाव वेमाणिया 1, 3 / सिद्धा णं पुच्छा, गोयमा ! पढमा नो अपढमा 4 / श्रहारए णं भंते ! जीवे श्राहारभावेणं किं पढमे अपढमे ?, गोयमा ! नो पढमे अपढमे, एवं जाव वेमाणिए, पोहत्तिए एवं चेव 5 / अणाहारए णं भंते ! जीवे अणाहारभावेणं पुच्छा, गोयमा ! सिय पढमे सिय अपढमे 6 / नेरइए गां भंते ! एवं नेरतिए Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 574 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभाग जाव वेमाणिए नो पढमे अपढमे, सिद्धे पढमे नो गपढमे 7 / श्रणाहारगा णं भंते! जीवा प्रणाहारभावेणं पुच्छा, गोयमा ! पढमावि अपढमावि, नेरड्या जाव वैमाणिया णो पढमा अपढमा, सिद्धा पढमा नो अपढमा एक के पुच्छा भाणियव्वा 2, 8 / भवसिद्धीए एगत्तपुहुत्तेणं जहा थाहारए, एवं अभवसिद्धीएवि१। नोभवसिद्धीयनोत्रभवसिद्धीएणं भंते जीवे नोभवसिद्धीय-नोभवसिद्धीयभावेणं पुच्छा, गोयमा ! पढमे नो अपढमे 10 / णोभवसिद्धीनोयभवसिद्धीया णं भते ! सिद्धा नोभवसिद्धी-नोत्रभवसिद्धीयभावेणं, एवं चेव पुहुत्तेणवि दोराहवि 11 / सन्नी णं भंते ! जीवे सन्नीभावेणं किं पढमे पुच्छा, गोयमा! नो पढमे अपढमे, एवं विगलिंदियवज्जं जाव वेमाणिए, एवं पुहुत्तेणवि 3, 12 / असनी एवं चेव एगत्तपुहुत्तेणं नवरं जाव वाणमंतरा, नोसन्नीनोग्रसन्नी जीवे मणुस्से सिद्धे पढमे नो अपढमे, एवं पुहूत्तेणवि 4, 13 / सलेसे णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! जहा थाहारए एवं पुहुत्तेणवि कराहलेस्सा जाव सुकलेस्सा एवं चेव नवरं जस्स जा लेसा अत्थि 14 / अलेसे णं जीवमणुस्ससिद्धे जहा नोसन्नीनोग्रसन्नी 5, 15 / सम्मदिट्ठीए णं भंते ! जीवे सम्मदिट्ठीभावेणं किं पढमे पुच्छा, गोयमा ! सिय पढमे सिय अपढमे एवं एगिदियवज्जं जाव वेमाणिए 16 / सिद्धे पढमे नो अपढमे, पुहुत्तिया जीवा पढमावि अपढमावि, एवं जाव वेमाणिया, सिद्धा पढमा नो अपढमा 17 / मिच्छादिट्ठीए एगत्तयुहुत्तेणं जहा थाहारगा, सम्मामिच्छादिट्ठी एगत्तपुहुत्तेणं जहा सम्मदिट्ठी, नवरं जस्स अस्थि सम्मामिच्छत्तं 6, 18 | संजए जीवे मणुस्से य एगत्तपुहुत्तेण जहा सम्मदिट्ठी असंजए जहा श्राहारए, संजयासंजए जीवे पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियमणुस्सा एगत्तपुहुत्तेणं जहा सम्मदिट्ठी नोसंजए-नोअस्संजए-नोसंजयासंजए जीवे सिद्धे य एगत्तपुहुत्तेणं पढमे नो अपढमे 7, 11 / सकसायी कोहकसायी जाव लोभकसायी एए एगत्तपुडुत्तेणं जहा थाहारए, अफसायी जीवे सिय पढमे सिय अपढमे, एवं मणुस्सेवि Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 18 : उद्देशकः 1 / [ 575 सिद्धे पढमे नो यपढमे, पुहुत्तेणं जीवा मणुस्सावि पढमावि अपढमावि, सिद्धा पढमा नो अपढमा 8, 20 / णाणी एगत्तपुहृत्तेणं जहा सम्मदिट्ठी याभिणिबोहियनाणी जाव मणपजवनाणी एगत्तपुहुत्तेणं एवं चेव नवरं जस्स जं अत्थि, केवलनाणी जीवे मणुस्से सिद्धे य एगत्तपुहुत्तेणं पढमा नो अपढमा, अन्नाणी मइयन्नाणी सुययन्नाणी विभंगनाणी एगत्तपुहुत्तेणं जहा थाहारए 1, 21 सजोगी मणजोगी वयजोगी कायजोगी एगत्तपुहुत्तेणं जहा श्राहारए, नवरं जस्स जो जोगो अस्थि, अजोगी जीवमणुस्ससिद्धा एगत्तपुहुत्तेणं पढमा नो अपढमा 10, 22 / सागारोवउत्ता अणागारोवउत्ता एगत्तपुहुत्तेणं जहा श्रणाहारए 11, 23 / सवेदगो जाव नपुसगवेदगो एगत्तपुहुत्तेणं जहा थाहारए नवरं जस्स जो वेदो अस्थि, अवेदयो एगत्तपुहुत्तेणं तिसुवि पदेसु जहा अकसायी 12, 24 / ससरी जहा याहारए एवं जाव कम्मगसरीरी जस्स जं अस्थि सरीरं नवरं पाहारगसरीरी एगत्तपुहुत्तेणं जहा सम्मदिट्टी, असरीरी जीवो सिद्धो एगत्तपुहुत्तेणं पढमो नो अपदमो 13, 25 / पंचहिं पजतीहिं पंचहिं अपजत्तीहिं एगत्तपुहुत्तेणं जहा याहारए, नवरं जस्स जा अत्थि जाव वेमाणिया नोपढमा अपढमा 14, 26 / इमा लक्खणगाहाजो जेणपत्तपुयो भावो सो तेण यपढमयो होइ। सेसेसु होइ पढमो अपत्तपुव्वेसु भावेसु // 1 // जीवे णं भंते ! जीवभावणं किं चरिमे अचरिमे ?, गोयमा ! नो चरिमे अचरिमे 27 / नेरइयए णं भंते ! नेरइयभावेणं पुच्छा, गोयमा ! सिय चरिमे सिय अचरिमे, एवं जाव वेमाणिए, सिद्धे जहा जीवे 28 / जीवा णं पुच्छा, गोयमा ! नो चरिमे अचरिमा, नेरइया चरिमावि अचरिमावि, एवं जाव वेमाणिया, सिद्धा जहा जीवा 1, 21 / थाहारए सव्वत्थ एगत्तेणं सिय चरिमे सिय अचरिमे पुहुत्तेणं चरिमावि अचरिमावि, अणाहारयो जीवे सिद्धो य एगत्तेणवि पुहुत्तेणवि नो चरिमे श्रचरिमे, सेसट्ठाणेसु एगत्तपुहुत्तेणं जहा याहारयो 2, 30 / भवसिद्धीयो Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 576 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः जीवपदे एगत्तपुहुत्तेणं चरिमे नो अचरिमे, सेसटाणेसु जहा थाहारो, अभवसिद्धीयो सम्वत्थ गत्तपुहुत्तेणं नो चरिमे अचरिमे, नोभवसिद्धीय. नोग्रभवसिद्धीय जीवा सिद्धा य एगत्तपुहुत्तेणं जहा अभवसिद्धीयो 3, 31 / सन्नी जहा अाहारयो, एवं प्रसन्नीवि, नोसन्नीनोसन्नी जीवपदे सिद्धपदे य अचरिमे, मणुस्सपदे चरिमे एगत्तपुहुत्तेणं 4, 32 / सलेस्सो जाव सुक्कलेस्सो जहा आहारयो नवरं जस्स जा अत्थि, अलेस्सो जहा नोसन्नीनोसन्नी 5, 33 / सम्मदिट्ठी जहा अणाहारो, मिच्छादिट्टी जहा आहारयो, सम्मामिच्छादिट्टी एगिदियविगलिंदियवज्जं सिय चरिमे सिय अचरिमे, पुहुत्तेणं चरिमावि अचरिमावि 6, 34 / संजयो जीवो मणुस्सो य जहा थाहारो, अस्संजोऽवि तहेव, संजयासंजएवि तहेव नवरं जस्स जं अत्थि, नोसंजय-नोत्रसंजय नोसंजयासंजय जहा नोभवसिद्धीय-नोअभवसिद्धीया 7,35 / सकसाई जाव लोभकसायी सव्वट्ठाणेसु जहा याहारयो, अकसायी जीवपदे सिद्धे य नो चरिमो अचरिमो, मणुस्सपदे सिय चरिमो सिय अचरिमो 8, 36 / णाणी जहा सम्मट्ठिी सव्वत्थ भाभिणिबोहियनाणी जाव मणपजवनाणीजहा थाहारो नवरं जस्स जं अस्थि केवलनाणी जहा नोसन्नीनोग्रसन्नी, अन्नाणी जाव विभंगनाणी जहा आहारयो 1, 37 / सजोगी जाव कायंजोगी जहा थाहारयो जस्स जो जोगो अस्थि अजोगी जहा नोसन्नीनोश्रसन्नी 10,38 / सागारोवउत्तो प्रणागारोवउत्तो य जहा यणाहारयो 11, 31 / सवेदनो जाव नपुसगवेदयो जहा थाहारो अवेदयो जहा अकसाई 12, 40 / ससरीरी जाव कम्मगसरीरी जहा आहारयो नवरं जस्स जं अत्थि, असरीरी जहा नोभवसिद्धीयनोत्रभवसिद्धीय 13, 41 / पंचहिं पजत्तीहिं पंचहिं अपज्जत्तीहि जहा श्राहारयो सव्वत्थ एगत्तपुहुत्तेणं दंडगा भाणियव्वा 14, 42 / इमा लक्खणगाहा-जो जं पाविहिति पुणो भावं सो तेण अचरिमो होइ / अच्चंतवियोगो जस्स जेण भावेण सो चरिमो॥ 1 // सेवं भंते ! Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 18 :: उद्देशकः 2] [577 2 जाव विहरति 43 // सूत्रं 616 // // इति अष्टादशमशतके प्रथम उद्देशकः / / 8-1 // // अथ अष्टादशमशतके विशाखाख्य-द्वितीयोद्देशकः // तेणं कालेणं 2 विसाहानामं नगरी होत्था वन्नयो, बहुपुत्तिए चेइए वन्नो, सामी समोसढे जाव पज्जुवासइ 1 / तेणं कालेणं 2 सक्के देविंदे देवराया वजपाणी पुरंदरे एवं जहा सोलसमसए बितियउद्देसए तहेव दिव्वेणं जाणविमाणेणं वागश्रो नवरं एत्थ भाभियोगादि अत्थि जाव बत्तीसतिविहं नट्टविहिं उवदंसेति 2 जाव पडिगए 2 / भंतेत्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं जाव एवं वयासी-जहा तईयसए ईसाणस्स तहेव कूडागारदिट्ठतो तहेव पुन्वभवपुच्छा जाव अभिसमन्नागया ?, गोयमादि समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी-एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे हत्थिणापुरे नाम नगरे होत्था वन्नयो, सहस्संबवणे उजाणे वन्नो 3 / तत्थ णं हथिणागपुरे नगरे कत्तिए नाम सेट्ठी परिवसति अड्डे जाव अपरिभूए णेगमपटमासणिए गोगमट्टमहस्सस्स बहुसु कज्जेसु य कारणेसु य कोड बेसु य एवं जहा रायप्पसेणइज्जे चित्ते जाव चवखुभूए णेगमट्ठसहस्सस्स सयरस य कुडुबस्स बाहेवच्चं जाव कारेमाणे पालेमाणे य समणोवासए अहिगयजीवा जीवे जाव विहरति 4 / तेणं कालेणं 2 मुणिसुव्वए अरहा श्रादिगरे जहा सोलसमसए तहेव जाव समोसढे जाव परिसा पज्जुवा. सति 5 / तए णं से कत्तिए सेट्ठी इमीसे कहाए लट्ठ समाणे हट्टतुट्ट एवं जहा एकारसमसए सुदंसणे तहेव निग्गयो जाव पज्जुवासति 6 / तए णं मुणिसुब्बए अरहा कत्तियस्स सेट्ठिस्स धम्मकहा जाव परिसा पडिगया 7 / तए णं से कत्तिए सेट्ठी मुगिसुव्वय जाव निसम्म हट्टतुट्ट उठाए उट्ठति 2 मुणिसुव्वयं जाव एवं वयासी-एवमेयं भंते ! जाव से जहेयं तुज्झे वदह Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 578 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभागः नवरं देवाणुप्पिया ! नेगमट्ठसहस्सं आपुच्छामि जेट्टपुत्तं च कुडुबे ठावेमि, तए णं अहं देवाणुप्पियाणं अंतियं पचयामि अहासुहं जाव मा पडिबंधं / तए णं से कत्तिए सेट्ठी जाव पडिनिक्खमति 2 जेणेव हत्थिणापुरे नगरे जेणेव सए गेहे तेणेव उवागच्छइ 2 णेगमट्ठसहस्सं सदावेति 2 एवं वयासीएवं खलु देवाणुप्पिया ! मए मुणिसुव्ययस्स अरहयो अंतियं धम्मे निसन्ते सेऽविय मे धम्मे इच्छिए पडिच्छिए अभिरुइर, तए णं अहं देवाणुप्पिया ! संसारभयुबिग्गे जाव पव्वयामि तं तुज्झे णं देवाणुप्पिया ! किं करेह किं ववसह किं भे हियइच्छिए किं भे सामत्थे ?, 1 / तए णं तं ोगमट्ठसहस्संपि तं कत्तियं सेट्टि एवं वयासी-जइ णं देवाणुप्पिया ! संसारभयुविग्गा जाव पब्वइस्संति श्रम्हं देवाणुप्पिया ! किं अन्ने थालंबणे वा श्राहारे वा पडिबंधे वा ?, अम्हेवि णं देवाणुप्पिया ! संसारभयुब्बिग्गा भीया जम्मणमरणाणं देवाणुप्पिएहि सद्धिं मुणिपुव्वयस्स अरहयो अंतियं मुडा भवित्ता आगारायो जाव पव्वयामो 10 / तए णं से कत्तिए सेट्ठी तं नेगमट्ठसहस्सं एवं वयासी-जदी णं देवाणुप्पिया ! संसारभयुविग्गा भीया जम्मणमरणार्ण मए सद्धिं मुणिसुव्यय जाव पब्बयह तं गच्छह णं तुज्झे देवाणुप्पिया ! सएसु गिहेसु विपुलं असणं जाव उवक्खडावेह मित्तनाइ जाव पुरों जेट्टपुत्ते कुडुबे ठगवेह 2 तं मित्तनाइ जाव जेट्टपुत्ते श्रापुच्छह 2 पुरिससहस्स-वाहिणीयो सीयायो दुरूहह 2 त्ता मित्तनाइ जाव परिजणेणं जेट्टपुत्तेहि य समणुगम्ममाणमग्गा सव्वड्डीए जाव रखेणं अकालपरिहीणं चेव मम अंतियं पाउब्भवह 11 / तए णं ते नेगमट्ठसहस्संपि कत्तियम्स सेट्ठिस्स एयमट्ट विणएणं पडिसुणेति 2 जेणेव साइं साइं गिहाइं तेणेव उवागच्छंति 2 विपुलं असण जाव उवक्खडाति 2 मित्तनाइ जाव तस्सेव मित्तनाइ जाव पुरो जेट्टपुत्ते कुडुबे ठावेंति 2 तं मित्तनाइ जाव जेट्टपुत्ते य ापुच्छति 2 पुरिससहस्सवाहिणीयो सीयायो दुरुहंति 2 मित्तणाति जाव परिजणेणं जेट्टपुत्तेहि Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 18 :: उद्देशकः 2 ] ( 576 य समणुगम्ममाणमग्गा सव्वड्डीए जाव रवेणं अकालपरिहीणं चेव कत्तियस्स सेट्ठीस्स अंतियं पाउभवंति 12 / तए णं से कत्तिए सेट्ठी विपुलं असणं 4 जहा गंगदत्तो जाव मित्ताणाति जाव परिजणेणं जेटुपुत्तेणं णेगमट्ठसहस्सेण य समणुगम्ममाणमग्गे सबडिए जाव रखेणं हथिणापुर नगरं मज्झमज्झेणं जहा गंगदत्तो जाव प्रालित्ते णं भंते ! लोए पलित्ते णं भंते ! लोए ग्रालित्तपलित्ते णं भंते ! लोए जाव अणुगामियत्ताए भविस्सति तं इच्छामि णं भंते ! णेगमट्ठसहस्सेण सद्धिं सयमेव पव्वावियं जाव धम्ममाइक्खियं 13 / तए णं मुणिसुव्वए अरहा कत्तियं सेढि णेगमट्ठसहस्सेणं सद्धिं सयमेव पव्वावेति जाव धम्ममाइक्खइ, एवं देवाणुप्पिया! गंतव्वं एवं चिट्ठियव्वं जाव संजमियव्वं, तए णं से कत्तिए सेट्ठी नेगमट्ठसहस्सेण सद्धिं मुणिसुव्वयस्स यरहयो इमं एयारूवं धम्मियं उवदेसं सम्म पडिवजइ तमाणाए तहा गच्छति जाव संजमेति 14 / तए णं से कत्तिए सेट्ठी णेगमट्ठसहस्सेणं सद्धिं अणगारे जाए ईरियासमिए जाव गुत्तवंभयारी 15 / तए णं से कत्तिए श्रणगारे मुणिसुव्वयस्स थरहयो तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाई चोद्दस पुव्वाइं अहिज्जइ 2 बहूहिं चउत्थछट्टट्ठम जाव अप्पाणं भावेमाणे बहुपडिपुन्नाई दुवालवासाई सामनपरियागं पाउणइ 2 मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झोसेई 2 सढि भत्ताई अणसणाए छेदेति 2 बालोइय जाव कालं किचा सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडेंसए विमाणे उखावायसभाए देवसयणिज्जसि जावसक्के देविंदत्ताए उववन्ने तए णं से सक्के देविंदे देवराया अहुणोववरणे 16 / सेसं जहा गंगदत्तस्स जाव अंत काहिति, नवरं ठिती दो सागरोवमाई सेसं तं चेव 17 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 18 // सूत्रं 6 17 // // इति अष्टादशमशतके द्वितीय उद्देशकः // 18-2 / / Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 580 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभाग // अथ अष्टादशमशतके माकन्दिकाख्य-तृतीयोद्देशकः // ते णं काले णं 2 रायगिहे नगरे होत्था वन्नो, गुणसिलए चेइए वनभो, जाव परिसा पडिगया 1 / ते णं काले णं ते ण समए णं समणस्स भगवयो महावीरस्स जाव अंतेवासी मागंदियपुत्ते नामं अणगारे पगइभदए जहा मंडियपुत्ते जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी-से नूणं भंते ! काउलेस्से पुढवीकाइए काउलेस्सेहितो पुढवीकाइएहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता माणुसं विग्गहं लभति 2 केवलं बोहिं बुज्झति 2 तो पच्छा सिज्झति जाव अंतं करेति ?, हंता मागंदियपुत्ता ! काउलेस्से पुढविकाइए जाव अंतं करेति 2 / से नूणं भंते ! काउलेस्से श्राऊकाइए काउलेसेहिंतो श्राउकाइएहितो श्रणंतरं उध्वट्टित्ता माणुसं विग्गहं लभति 2 केवलं बोहिं बुन्झति जाव अंतं करेति ?. हंता मागंदियपुत्ता ! जाव अंतं करेति 3 / से नूणं भंते ! काउलेस्से वणसइकाइए एवं चेव जाव अंतं करेति, सेवं भंते ! 2 त्ति मागंदियपुत्ते यणगारे समणं भगवं महावीरं जाव नमंसित्ता जेणेव समणे निग्गंथे तेणेव उवागच्छति 2 समणे निग्गंथे एवं वयासी-एवं खलु अजो! काउलेस्से पुढविकाइए तहेव जाव अंतं करेति एवं खलु अजो / काउलेस्से ग्राउकाइए जाव. अंतं करेति, एवं खलु अजो ! काउलेस्से वणस्सकाइए जाव अंतं करेति 4 / तए णं समणा निग्गंथा मागंदियपुत्तस्स अणगारस्स एवमाइक्खमाणस्स जाव एवं परूवेमाणस्स एयमटुं नो सदहति 3 एयम8 असद्दहमाणा 3 जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति 2 समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति 2 एवं वयासी-एवं खलु भंते ! मागंदियपुत्ते अणगारे अम्हं एवमाइक्खति जाव परूवेति–एवं खलु अजो ! काउलेस्से पुढविकाइए जाव अंतं करेति, एवं खलु अजो ! काउलेस्से श्राउकाइए जाव अंतं करेति, एवं वणस्सइकाइएवि जाव अंतं करेति, से कहमेयं भंते ! एवं ?, अजोत्ति समणे भगवं महावीरे ते समणे निग्गंथे आमंतित्ता एवं वयासी Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लाललेस्से पुढविका वणस्सइकाइएविलसेवि जहाँ प श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतक 18 // उद्देशकः 3 ] [ 581 जगणं अजो ! मागंदियपुत्ते यणगारे तुझे एवं ग्राइक्सति जाव पवेति एवं खलु यजो ! काउलेस्से पुढविकाइए जाव अंतं करेति, एवं खलु अजो! काउलेस्से अउकाइए जाव अंतं करेति, एवं खलु अजो ! काउलेस्से वणस्सइ. काइएवि जाव अंतं करेति, सच्चे णं एसम?, यहंपि णं अजो ! एवमाइक्खामि 4 एवं खलु अजो ! कराहलेसे पुढविकाइए कराहलेसेहितो पुढविकाइएहितो जाव अंतं करेति, एवं खलु अजो! नीललेस्से पुढविकाइए जाव अंतं करेति, एवं काउलेस्सेवि जहां पुढविकाइए, एवं श्राउकाइएवि, एवं वणस्सइकाइएवि, सच्चे णं एसम? 5 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति समणा निग्गंथा समणं भगवं महावीरं वंदंति नमसंति 2 जेणेव मागंदियपुत्ते श्रणगारे तेणेव उवागच्छंति. 2 मागंदियपुत्तं अणगारं वंदंति नमसंति 2 एयमटुं सम्मं विणएणं भुजो 2 खामेति 6 // सूत्रं 618 // तए णं से मागंदियपुत्ते अणगारे उट्टाए उट्ठति उद्वेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति 2 समणं भगवं महावीरं बंदति. नमंसति 2 एवं वयासी-अणगारस्स णं भंते ! भावियप्पणो सव्वं कम्मं वेदेमाणस्स सव्वं कम् निजरेमाणस्स चरिमं मारं मरमाणस्स सव्वं मारं मरमाणस्स सब्द सरीरं विप्पजहमाणस्स चरिमं कम्मं वेदेमाणस्स चरिमं कम्मं निजरेमाणस्स चरिमं सरीरं विप्पजहमाणस्स मारणंतियं कम्मं वेदेमाणस्स मारणतियं कम्म निजरेमाणस्स मारं मरमाणस्स मारणंतियं सरीरं विप्पजहमाणस्स जे चरिमा निजरापोग्गला सुहुमा णं ते पोग्गला पन्नत्ता समणाउसो! सव्वं लोगंपिणं ते उग्गाहित्ताणं चिट्ठति ?, हंता मागंदियपुत्ता.! 1 / अणगारस्स णं भंते ! भावियप्पणो जाव योगाहित्ताणं चिट्ठति छउमत्थे णं भंते ! मणुस्से तेसि निजरापोग्गलाणं किंचि प्राणत्तं वा णाणत्तं वा एवं जहा इंदियउद्दे सए पढमे जाव वेमाणिया जाव तत्थ णं जे ते उवउत्ता ते जाणंति पासंति श्राहारेंति, से तेण?णं निक्लेवो भाणियव्योति न पासंति श्राहारंति, Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 582 ) .. [श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभागो नेरइया णं भंते ! निजरापुग्गला न जाणंतिन पासंति आहारंति. एवं जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं, मणुस्सा ण भंते! निजरापोग्गले कि जाणंति पासंति श्राहारंति उदाहु न जागांति न पासंति नाहारंति ?, गोयमा ! अत्थेगइया जाणंति 3 अत्थेगइया न जाणंति न पासंति थाहारंति 2 / से केण?णं भंते ! एवं वुचइ अत्थेगइया जाणंति पासंति थाहारंति अत्थेगइया न जाणंति न पासंति थाहारंति?, गोयमा! मणुस्सा दुविहा पनत्ता, तंजहासन्नीभूया य असन्नीभूया य, तत्थ णं जे ते असन्नीभूया ते न जाणंति न पासंति अाहारंति, तत्थ णं जे ते सन्नीभूया ते दुविहा पत्नत्ता, तंजहाउवउत्ता अणुवउत्ता य, तत्थ णं जे ते अणुवउत्ता ते न याणंति न पासंति आहारंति, तत्थ णं जे ते उवउत्ता ते जाणंति 3, से तेणटेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ अत्यंगइया न जाणंति 2 श्राहारेंति अत्थेगइया जाणंति 3, वाणमंतरजोइसिया जहा नेरझ्या 3 / वेमाणिया णं ते भंते ! निजरापोग्गले किं जाणंति 6 ?, गोयमा ! जहा मणुस्सा नवरं वेमाणिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहामाइमिच्छदिट्ठी-उववन्नगा य अमाइतम्मदिट्ठी-उववनगा य, तत्थ णं जे ते मायिमिच्छदिट्ठी-उववन्नगा ते णं न जाणंति न पासंति अाहारंति, तस्थ णं जे ते अमायिसम्मदिट्ठी-उववन्नगा ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-अणंतरोववनगा य परंपरोक्वन्नगा य, तत्थ णं जे ते अणंतरोववन्नगा ते णं न याणंति नपासंति अाहारेंति, तत्थ णं जे ते परंपरोक्वनगा ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहापजत्तगा य अपजत्तगा य, तत्थ णं जे ते अपजत्तगा ते णं न जाणंति 2 आहारंति, तत्थ णं जे ते पजत्तगा ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-उपउत्ता य अणुवउत्ता य, तत्थ णं जे ते अणुवउत्ता ते ण याणंति 2 थाहारंति 4 // सूत्रं 611 // कतिविह णं भंते ! बंधे पन्नत्ते ?, मागंदियपुत्ता ! दुविह बंधे पन्नत्ते, तंजहा-दव्वबंधे य भावबंधे य 1 / दव्वबंधे णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, मागंदियपुत्ता ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-पयोगबंधे य वीससाबंधे य 2 / Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 18 :: उद्देशकः 3] [583 वीससाबंधे णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते?, मागंदियपुत्ता ! दुविहे पन्नत्ते ?, तंजहा-साइयवीससाबंधे य अणादीयवीससाबंधे य 3 / पयोगबंधे णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते मागंदियपुत्ता ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-सिदिल-बंधणबंधे य धणिय-बंधणबंधे य 4 / भावबंधे णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, मागंदियपुत्ता ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-मूलपगडिबंधे य उत्तरपगडिबंधेय ५।नेरइयाणं भंते ! कतिविहे भावबंधे पन्नत्ते?, मागंदियपुत्ता! दुविहे भावबंधे पंचत्ते, तंजहा-मूलपगडि. बंधे य उत्तरपगडिबंधे य, एवं जाव वेमाणियाणं ६।नाणावरणिजस्स णं भंते! कम्मस्स कतिविहे भावबंधे पन्नत्ते?, मागंदिया ! दुविहे भावबंधे पनत्ते, तंजहामूलपगडिबंधे य उत्तरपयडिबंधे य 7 / नेरतियाणं भंते ! नाणावरणिजस्स कम्मस्स कतिविहे भावबंधे पन्नत्ते ?, मागंदियपुत्ता ! दुविहे भावबंधे पन्नत्ते तंजहा-मूलपगडिबंधे य उत्तरपयडिबंधे य 8 / एवं जाव वेमाणियाणं, जहा नाणावरणिज्जेणं दंडयो भणियो एवं जाव अंतराइएणं भाणियब्वो 1 // सूत्रं 620 // जीवाणं भंते ! पावे कम्मे जे य कडे जाव जे य कजिस्सइ अस्थि याइ तस्स केइ णाणते ?, हंता अत्थि 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जीवाणं पावे कम्मे जे य कडे जाव जे य कजिस्सति अस्थि याइ तस्स णाणते ?, मागंदियपुत्ता ! से जहानामए-केइ पुरिसे धणु परामुसइ धणु 2 उसु परामुसइ 2 ठाणं ठाएइ 2 श्राययकन्नाययं उसु करेंति 2 उट्ठ वेहासं उन्विहइ से नूणं मागंदियपुत्ता ! तस्स उसुस्स उड्ड वेहासं उव्वीढस्स समाणस्स एयतिवि णाणत्तं जाव तं तं भावं परिणमतिवि णाणत्तं ?, हंता भगवं ! एयतिवि णाणत्तं जाव परिणमतिवि णाणत्तं से तेण?णं मागंदियपुत्ता ? एवं वुचइ जाव तं तं भावं परिणमतिवि णाणत्तं, नेरइयाणं पावे कम्मे जे य कडे एवं चेव नवरं जाव वेमाणियाणं 2 // सूत्रं ६२१॥नेरइया णं भंते ! जे पोगले आहारत्ताए गेरहंति तेसि णं भंते ! पोग्गलाणं सेयकालंसि कतिभागं अाहारेंति कतिभागं निजरेंति ?, मागंदियपुत्ता ! असंखेजइभागं Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 584 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः थाहारेंति अणंतभागं निजरेंति 1 / चक्किया णं भंते ! केइ तेसु निजरापोग्गलेसु श्रासइत्तए वा जाव तुयट्टित्तए वा ? णो तिण? सम?, अणाहरणमेयं बुइयं समणाउसो ! एवं जाव वेमाणियाणं 2 / सेवं भंते / सेवं भंतेति जाव विहरति 3 // सूत्र 622 // .. . .. // इति अष्टादशमशतके तृतीय उद्देशकः // 18-3. / .. ॥अथ अष्टादशमशतके प्राणातिपाताख्य चतुर्थोद्देशकः // ते काले णं 2 रायगिहे जाव भगवं गोयमे एवं वयासी-ग्रह भंते ! पाणाइवाए मुसावाए जाव मिच्छादसणसल्ले पाणाइवायवेरमणे मुसावाए जाव मिच्छादसणसल्लवेरमणे, पुढविकाइए जाव वणस्सइकाइए, धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए भागासस्थिकाए जीवे असरीरपडिबद्धे परमाणुपोग्गले, सेलेसि पडिवन्नए अणगारे सव्वे य बायरवोंदिधरा कलेवरा, एए णं, दुविहा जीवदव्वा य अजीवदव्वा य जीवाणं भंते ! परिभोगत्ताए हव्वमागच्छति ?, गोयमा ! पाणाइवाए जाव एए णं दुविहा जीवदव्या य अजीवदव्वा य अत्थेगतिया जीवाणं परिभोगत्ताए हव्वमागच्छति अत्थेगतिया जीवाणं जाव नो हब्वमागच्छंति 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ पाणाइवाए जाव नो हब्बमागच्छंति ?, गोयमा ! पाणाइवाए जाव मिच्छादसणसल्ले, पुढविकाइए जाव वणम्सइकाइए, सब्वे य वायरबोंदिधरा कलेवरा, पए णं दुविहा जीवदव्वा य अजीवदव्वा य, जीवाणं परिभोगत्ताए हबमागच्छंति, पाणाइवायवेरमणे जाव मिच्छादंसणसल्लविवेगे, धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए जाव परमाणुपोग्गले, सेलेसी पडिवन्नए अणगारे एए णं दुविहा जीवदव्वा य अजीवदवा य, जीवाणं परिभोगत्ताए नो हबमागच्छंति से तेण?णं जाव नो हव्वमागच्छति 2 // सूत्रं 623 // कति णं भंते ! कसाया पन्नत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि कसाया पन्नत्ता, तंजहा-कसायपदं निखसेसं भाणियब्वं जाव निजरिस्संति लोभेणं 1 / कति णं भंते ! जुम्मा पन्नत्ता ?, गोयमा ! Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञाप्त (श्रीमद्भगवति) सूत्र : शतकं 18 : उद्देशकः 4] [585 चत्तारि जुम्मा पन्नत्ता, तंजहा-कडजुम्मे तेयोगे दावरजुम्मे कलियोगे 2 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जाव कलियोए ?, गोयमा ! जे णं रासीचउकएणं अबहारेणं अबहीरमाणे चउपजवसिए सेत्तं कडजुम्मे, जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे तिपन्जवसिए सेत्तं तेयोए, जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे दुपजवसिए सेत्तं दावरजुम्मे, जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे एगपजवसिए सेत्तं कलियोगे, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ जाव कलियोए 3 / नेरइया णं भंते ! किं कडजुम्मा तेयोगा दावरजुम्मा कलियोगा 4 ?, गोयमा ! जहन्नपदे कडजुम्मा उक्कोसपदे तेयोगा अजहन्नुकोसपदे सिय कडजुम्मा 1 जाव सिय कलियोगा 4, एवं जाव थणियकुमारा 4 / वणस्सइकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नपदे अपदा उक्कोसपदे य अपदा अजहन्नुकोसियपदे सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा 5 / बेइंदिया णं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नपदे कडजुम्मा उक्कोसपदे दावरजुम्मा, अजहन्न-मणुक्कोसपदे सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा 6 / एवं जाव चतुरिंदिया, सेसा एगिदिया जहा बेदिया, पंबिंदियतिरिक्खजोणिया जाव वेमाणिया जहा नेरइया, सिद्धा जहा वणस्सइकाइया 7 / इत्थीयो णं भंते ! किं कडजुम्मा जाव कलियोगा ?, गोयमा ! जहन्नपदे कडजुम्मायो उक्कोसपदे सिय कडजुम्मायो अजहन्नमणुकोसपदे सिय कडजुम्मायो जाव सिय कलियोगायो 8 / एवं असुरकुमारित्थीयोवि जाव थणियकुमारइत्थीयो, एवं तिरिक्खजोणियइत्थीयो एवं मणुसिस्थीयो एवं जाव वाणमंतरजोइसियवेमाणियदेविस्थीयो 1 // सूत्रं 624 // जावतियाणं भंते ! वरा अंधगवरिहणो जीवा तावतिया परा अंधगवरािहणो जीवा ?, हंता गोयमा! जावतिया वरा अंधगवरिहणो जीवा तावतिया परा अंधगवरिहणो जीवा 1 / सेवं भंते 2 ति जाव विहरति 2 // सूत्रं 625 // . // इति अष्टादशमशतके चतुर्थ उद्देशकः // 18-4 // Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 586 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः // अथ अष्टादशमशतके असुराख्य-पञ्चमोद्देशकः // दो भंते ! असुरकुमारा एगंसि असुरकुमारावासंसि असुरकुमारदेवत्ताए उववन्ना तत्थ णं एगे असुरकुमारे देवे पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडि. रूवे एगे असुरकुमारे देवे से णं नो पासादीए नो दरिसणिज्जे नो अभिरुवे नो पडिरूवे से कहमेयं भंते! एवं ?, गोयमा ! असुरकुमारा देवा दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-वेउब्बियसरीरा य अवेउब्वियसरीरा य, तत्थ णं जे से वेरब्वियसरीरे असुरकुमारे देवे से ण पासादीए जाव पडिरूवे, तत्थ णं जे से अवेउब्वियसरीरे असुरकुमारे देवे से णं नो पासादीए जाव नो पडिरूवे 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ तत्थ णं जे से वेउब्वियसरीरे तं चेव जाव पडिरूवे ?, गोयमा ! से जहानामए-इहं मणुयलोगंसि दुवे पुरिसा भवंतिएगे पुरिसे अलंकियविभूसिए एगे पुरिसे अणलंकियविभूसिए, एएसि णं गोयमा ! दोरहं पुरिसाणं कयरे पुरिसे पासादीए जाव पडिरूवे कयरे पुरिसे नो पासादीए जाव नो पडिरूवे, जे वा से पुरिसे अलंकियविभूसिए जे वा से पुरिसे अणलंकियविभूसिए ?, भगवं ! तत्थ जे से पुरिसे अलंकियविभूसिए से णं पुरिसे पासादीए जाव पडिरूवे, तत्थ णं जे से पुरिसे श्रणलंकियविभूसिए से णं पुरिसे नो पासादीए जाव नो पडिरूवे से तेणटेणं जाव नो पडिरूवे 2 / दो भंते ! नागकुमारा देवा एगंसि नागकुमारावासंसि एवं चेव एवं जाव थणियकुमारा वाणमंतरजोतिसिया वेमाणिया एवं चेव 3 // सूत्र 626 // दो भंते! नेरतिया एगंसि नेरतियावासंसि नेरतियत्ताए उववन्ना, तत्थ णं एगे नेरइए महाकम्मतराए चेव जाव महावेयणतराए चेव एगे नेरइए अप्पकम्मतराए चेव जाव अप्पवेयणतराए चेव से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोयमा ! नेरइया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-मायिमिच्छादिट्ठि-उववन्नगा य श्रमायिसम्मदिट्ठि-उववनगा य, तत्थ णं जे से मायिमिच्छादिट्ठिउववन्नए नेरइए से णं महाकम्मतराए चेव जाव महावेयणतराए चेव, तत्थ णं जे से Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (धीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 18 / उद्देशकः 5 / [587 अमायिसम्मदिट्ठियबन्नए नेरइए से णं अप्पकम्मतराए चेव जाव अप्पवेयणतराए चेव 1 / दो भंते ! असुरकुमारा एवं चेव एवं एगिदियविगलिंदियवज्जं जाव वेमाणिया 2 // सूत्रं 627 // नेरइए णं भंते ! अणंतरं उव्वट्टित्ता जे भविए पंचिंदिय-तिरिक्ख-जोणिएसु उववजित्तए से णं भंते ! कयरं श्राउयं पडिसंवेदेति ?, गोयमा ! नेरइयाउयं पडिसंवेदेति पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाउए से पुरयो कडे चिट्ठति, एवं मणुस्सेसुवि, नवरं मणुस्साउए से पुरयो कडे चिटुइ 1 / असुरकुमारा णं भंते ! अणंतरं उव्वट्टित्ता जे भविए पुढविकाइएसु उववजित्तए पुच्छा, गोयमा ! असुरकुमाराउयं पडिसंवेदेति पुदविकाइयाउए से पुरषो कडे चिट्टइ 2 / एवं जो जहि भविश्रो उववजित्तए तस्स तं पुरयो कडं चिट्ठति, जत्थ ठियो तं पडिसंवेदेति जाव वेमाणिए, नवरं पुढविकाइए पुढविकाइएसु उववज्जति पुढविकाइयाउयं पडिसंवेएति अन्ने य से पुढविकाइयाउए पुरयो कडे चिट्ठति, एवं जाव मणुस्सो सट्ठाणे उववाएव्वो परट्ठाणे तहेव 3 // सूत्र 628 // दो भंते ! असुरकुमारा एगंसि असुरकुमारावासंसि असुरकुमार-देवत्ताए उववन्ना तत्थ णं एगे असुरकुमारे देवे उज्जुयं विउविस्सामीति उज्जुयं विउव्वइ वंकं विउव्विस्सामीति वंकं विउब्बइ जं जहा इच्छइ तं तहा विउव्वइ एगे असुरकुमारे देवे उज्जुयं विउविस्सामीति वंकं विउव्वइ वंक विउव्विस्सामीति उज्जयं विउव्वइ जं जहा इच्छति णो तं तहा विउव्वइ से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोयमा ! असुरकुमारा देवा दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-मायिमिच्छदिट्ठिउववन्नगा य अमायिसम्मट्ठिीउववनगा य, तत्थ णं जे से मायिमिच्छादिट्ठिज्ववन्नए असुरकुमारे देवे से णं उज्जुयं विउबिस्सामीति वकं विउव्वति जाव णो तं तहा विउब्वइ, तत्थ णं जे से अमायिसम्मदिट्टिउववन्नए असुरकुमारे देवे से उज्जुयं विउव्वइ जाव तं तहा विउव्वइ 1 / दो भंते ! नागकुमारा एवं चेव, एवं जाव थणियकुमारा, वाणमंतरा जोइसिया वेमाणिया एवं चेव 2 / Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 588 ) .. [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः तृतीयो विभागः सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरति 3 // सूत्रं 621 // // इति अष्टादशमशतके पञ्चम उद्देशकः // 18-5 // // अथ अष्टादशमशतके गुलाख्य-षष्ठोद्देशकः // ___ फाणियगुले णं भंते ! कतिवन्ने कतिगंधे कतिरसे कतिफासे पराणते ?, गोयमा ! एत्थ णं दो नया भवंति, तंजहा-निच्छइयनए य, वावहारियनए य, वावहारियनयस्स गोड्डे फाणियगुले नेच्छइयनयस्स पंचवन्ने दुगंधे पंचरसे अट्ठफासे पन्नत्ते 1 / भमरे णं भंते ! कतिवन्ने ? पुच्छा, गोयमा ! एत्थ णं दो नया भवंति, तंजहा-निच्छइयनए य वावहारियनए य, वावहारियनयस्स कालए भमरे नेच्छझ्यनयस्स पंचवन्ने जाव अट्ठफासे पन्नत्ते 2 / सुयपिच्छे ण भंते ! कतिवन्ने एवं चेव, नवरं वावहारियनयस्स नीलएसुयपिच्छे नेच्छइयनयस्स पंचवराणे सेसं तं चेव 3 / एवं एएणं अभिलावेणं लोहिया मंजिट्ठिया पीतिया हालिद्दा सुकिल्लए संखे सुभिगंधे कोठे दुन्भिगंधे मयगसरीरे तित्ते निबे कडया सुंठी कसाए कविढे अंबा अंबिलिया महुरे खंडे कक्खडे बहरे मउए नवणीए गरुए अए लहुए उलुयपत्ते सीए हिमे उसिणे अगणिकाए णिद्धे तेल्ले 4 / छारिया णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! एत्थ दो नया भवंति, तंजहा-निच्छइयनए य ववहारियनए य, ववहारियनयस्स लुक्खा छारिया नेच्छश्यनयस्स पंचवन्ना जाव अट्ठफासा पन्नत्ता 5 // सूत्रं 630 // परमाणुपोग्गले णं भंते ! कतिवन्ने जाव कतिफासे पन्नत्ते ?, गोयमा ! एगवन्ने एगगंधे एगरसे दुफासे पन्नत्ते .1 / दुपएसिए णं भंते ! खंधे कतिवन्ने पुच्छा, गोयमा! सिय एगवन्ने सिय दुवन्ने सिय एग गंधे सिय दुगंधे सिय ऐगरसे सिय दुरसे सिय दुफासे सिय तिफासे सिय त्रउफासे पन्नत्ते 2 / एवं तिपएसिएवि, नवरं सिय एगवन्ने सिय दुवन्ने सिय तिवन्ने, एवं रसेसुवि, सेसं जहा दुपएसियस्स 3 / Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 18 :, उद्देशकः 7 ] [586 एवं चउपएसिएवि नवरं सिय एगवन्ने जाव सिय चउवन्ने, एवं रसेसुवि सेसं तं चेव 41 एवं पंचपएसिएवि, नवरं सिय एगवन्ने जाव सिय पंचवन्ने, एवं रसेसुवि गंधफासा तहेव, जहा पंचपएसियो एवं जाव असंखेजपएसियो 5 / सुहुमपरिणए णं भंते ! अणंतपएसिए खंधे कतिवन्ने जहा पंचपएसिए तहेव निरवसेसं 6 / बादरपरिणए णं भंते ! अणंतपएसिए खंधे कतिवन्ने पुच्छा, गोयमा ! सिय एगवन्ने जाव सिय पंचवन्ने सिय एगगंधे सिय दुगंधे सिय एगरसे जाव सिय पंचरसे सिय चउफासे जाव सिय अठ्ठफासे पन्नते 7 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरति 8 // सूत्रं 631 // // इति अष्टादशमशतके षष्ठ उद्देशकः // 18-6 // // अथ अष्टादशमशतके केवलिनामक-सप्तमोद्देशकः // रायगिहे जाव एवं वयासी-अन्नउत्थिया णं भंते ! एवमाइवखंति जाव पस्वेति-एवं खलु केवली जक्खाएसेणं श्राइस्सइ एवं खलु केवली जक्खाएसेणं याति? समाणे याहच दो भासायो भासति, तंजहा-मोसं वा सच्चामोसं वा 1 / से कहमेयं भंते ! एवं गोयमा ! जगणं ते अन्नउत्थिया जाव जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहिंसु, अहं पुण गोयमा! एवमाइक्खामि ४-नो खलु केवली जक्खाएसेणं प्राइस्सति, नो खलु केवली जक्खाएसेणं श्राति? समाणे शाहच दो भासायोभासति, तंजहा-मोसंवा सच्चामोसं वा, केवली णं असावजायो अपरोवघाइयायो याहच्च दो भासायो भासति, तंजहा-सच्चं वा असच्चामोसं वा 2 // सूत्रं 632 // कतिविहे णं भंते ! उवही पराणत्ते ?, गोयमा ! तिविहे उवही पन्नत्ते, तंजहा-कम्मोवही सरीरोवही बाहिरभंडमत्तोवगरणोवही 1 / नेरइयाणं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! दुविहे उवही पन्नत्ते, तंजहा-कम्मोवही य सरीरोवही य, सेसाणं तिविहा उवही एगिदियवजाणं जाव वेमाणियाणं 2 / एगिदियाणं दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-कम्मोवही य सरीरोवही य, Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 560 ] ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः : तृतीयो विभागः 3 / कातेविहे णं भंते ! उबही पन्नत्ते ?. गोयमा ! तिविहे उवही पन्नत्ते, तंजहा-सचित्ते अचित्ते मीसए, एवं नेरइयाणवि, एवं निरवसेसं जाव वेमाणियाणं 4 / कतिविहे णं भंते ! परिग्गहे पत्नत्ते ?, गोयमा ! तिविहे परिग्गहे पत्नत्ते, तंजहा-कम्मपरिग्गहे सरीरपरिग्गहे बाहिरग-भंडमत्तोवगरणपरिग्गहे 5 / नेरइयाणं भंते ! एवं जहा उवहिणा दो दंडगा भणिया तहा परिग्गहेणवि दो दंडगा भाणियब्वा, [ ग्रन्थाग्रं 11000 ] 6 / कइविहे णं भंते ! पणिहाणे पन्नत्ते ?, गोयमा ! तिविहे पणिहाणे पन्नत्ते, तंजहामणपणिहाणे वइपणिहाणे कायपणिहाणे 7 / नेरझ्याणं भंते ! कइविहे पणिहाणे पन्नत्ते, एवं चेव एवं जाव थणियकुमाराणं 8 / पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! एगे कायपणिहाणे पन्नत्ते, एवं जाव वणस्सइकाइयाणं / बेइंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! दुविहे पणिहाणे पन्नत्ते, तंजहा-बइपणिहाणे य कायपणिहाणे य, एवं जाव चउरिदियाणं, सेसाणं तिविहेवि जाव वेमाणियाणं 10 / कतिविहे णं भंते ! दुप्पणिहाणे पन्नत्ते ?, गोयमा ! तिविहे दुप्पणिहाणे पन्नत्ते, तंजहा-मणदुप्पणिहाणे जहेव पणिहाणेणं दंडगो भणियो तहेव दुप्पणिहाणेणवि भाणियब्वो 11 / कतिविहे णं भंते ! सुप्पणिहाणे पन्नते ?, गोयमा ! तिविहे सुप्पणिहाणे पन्नत्ते, तंजहा-मण. सुप्पणिहाणे वइसुप्पणिहाणे कायसुप्पणिहाणे 12 / मणुस्साणं भंते ! * कइविहे सुप्पणिहाणे पन्नत्ते ? एवं चेव जाव वेमाणियाणं 13 / सेवं भंते 2 जाव विहरति 14 / तए णं समणे भगवं महावीरे जाव बहिया जणवयविहारं विहरइ 15 // सूत्रं 633 // ते णं काले णं 2 रायगिहे नामं नगरे गुणसिलए चेइए वन्नयो नाव पुढविसिलापट्टयो, तस्स णं गुणसिलस्स चेइयस्स अदूरसामंते बहवे अन्नउत्थिया परिवति, तंजहा-कालोदायी सेलोदायी, एवं जहा सत्तमसए 1 / अन्नउत्थिउद्देसए जाव से कहमेयं मन्ने एवं ?. तत्थ णं रायगिहे नगरे मद्दुए नामं समणोवासए परिवसति अड्डे जाव अपरि Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 18 :: उद्देशकः 7 ] [ 561 भूए अभिगयजीवा जाव विहरति / तए णं समणे भगवं महावीरे अनया कदायि पुव्वाणुपुचि चरमाणे जाव समोसढे परिसा पडिगया जाव पज्जुवाप्तति 3 / तए णं मदुए समणोवासए इमीसे कहाए लट्ठ समाणे हट्टतुट्ट जार हियए राहाए जाव सरीरे सयायो गिहायो पडिनिक्खमति 2 पादविहारचारेणं रायगिहं नगरं जाव निग्गच्छति 2 तेसि अन्नउत्थियाणं अदूरसामंतेणं वीयीवयंति 4 / तए णं ते अन्नउत्थिया मदुयं समणोवासयं अदूरसामंतेणं वीयीवयमाणं पासंति 2 अन्नमन्नं सदावेति 2 त्ता एवं वयासीएवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं इमा कहा अविउप्पकडा इमं च णं मदुए समणोवासए अम्हं अदूरसामंतेणं वीइवयइ तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं मदुयं समणोवासयं एयमट्ठ पुच्छित्तएत्तिकटु अन्नमन्नस्स अंतियं एयमट्ठ पडिसुणेति अन्नमन्नस्स 2 ता जेणेव मदुए समणोवासए तेणेव उवागच्छति 2 मदुयं समणोवासयं एवं वदासी-एवं खलु मदुया ! तव धम्मायरिए धम्मोवदेसए समणे णायपुत्ते पंच अस्थिकाये पन्नवेइ जहा सत्तमे सए अन्नउत्थिउद्देसए जाव कहमेयं मया ! एवं ? 5 / तए णं से मदुए समणोवासए ते अन्नउत्थिए. एवं वयासी-जति कज्जं कजति जाणामो पासामो अहे कज्जं न कजति न जाणामो न पासामो 6 / तए णं ते अन्नउत्थिया मदुयं समणोवासयं एवं वयासी-केस णं तुम मदुया ! समणोवासगाणं भवसि जे णं तुमं एयमट्ठन जाणसि न पाससि ? तए णं से मदुए समणोवासए ते अन्नउस्थिए एवं वयासी-अस्थि णं पाउसो! वाउयाए वाति ?, हंता अस्थि 7 / तुज्झे णं पाउसो ! वाउयायस्स वायमाणस्स रूवं पासह ?, णो तिण8 समढे 8 / अस्थि णं थाउसो! घाणसहगया पोग्गला ?, हंता अत्थि 1 / तुज्झे णं बाउसो! घाणसहगयाणं पोग्गलाणं रूवं पासह ?, णो तिण? सम? 10 / अस्थि णं भंते ! बाउसो ! अरणिसहगये अगणिकाये ?, हंता अस्थि 11 / तुज्झे णं अाउसो ! Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 562 } . .. ... श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभागः अरणिसहगयस्स अगणिकायस्स एवं पासह ?, णो तिण? सम? 12 / अस्थि णं अाउमो ! समुहस्स पारगयाई रुवाई ?, हंता अस्थि 13 / तुझे णं श्राउसो ! समुदस्स पारगयाइं रूवाइं पासह ?, णो तिण? सम? 14 / अस्थि णं अाउसो ! देवलोगगयाइं स्वाइं ?, हंता अत्थि 15 / तुज्झे णं पाउसो ! देवलोगगयाई रूवाई पासह ?, गो तिण? सम? 16 / एवामेव अाउसो ! अहं चा तुज्झे वा अन्नो वा छउमत्थो जइ जो जं न जाणइ न पासइ तं सव्वं न भवति एवं ते सुबहुए लोए ण भविस्सतीतिकटु ते णं अन्नउत्थिए एवं पडिह(भ)णइ 2 जेणेव गुणसिलए चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति 2 समणं भगवं महावीरं पंचविहेणं अभिगमेणं जाव पज्जुवासति 17 / मदुयादी ! समणे भगवं महावीरे मद्दुयं समणोवासगं एवं वयासी-सुठु णं मदुया ! तुमं ते यनउथिए एवं वयासी, साहू णं मया ! तुमं ते अन्नउत्थिए एवं वयासी, जे णं मया ! अट्ट वा हेउं वा पसिणं वा वागरणं वा यन्नायं अदिढ अस्सुतं अमयं अविराणायं बहुजणमज्झे श्राघवेति पनवेति जाव उवदंसेति, से णं अरिहंताणं श्रासायणाए वट्टति अरिहंतपन्नत्तस्स धम्मस्स यासायणाए वट्टति केवलीणं अासायणाए वट्टति केवलिपन्नत्तस्स धम्मस्स यासायणाए वट्टति, तं सुठु णं तुमं मदुया! ते अनउस्थिए एवं वयासी, साहू णं तुमं मदुया ! जाव एवं वयासी 18 / तए णं मदुए समणोवासए समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते सनाणे हट्ट तु? समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति 2 णचासन्ने जाव पज्जुवासइ 11 / तए णं समणे भगवं महावीरे मदुयस्स समणोवासगस्स तीसे य जाव परिसा पडिगया 20 / तए णं मददुए समणोवासए समणस्स भगवश्रो महावीरस्स जाव निसम्म हट्टतुट्ठ पसिणाई वागरणाई पुच्छति 2 अट्ठाई परियातिइ 2 उट्टाए उट्ठति 2. समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति 2 जाव पडिगए 21 / भंतेत्ति भगवं गोयमे Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 18 // उद्देशक 7 ) [ 563 समणे भगवं महावीरे वंदइ नमसइ 2 एवं वयासी-पभू णं भंते ! मदुए समणोवासए देवाणुप्पियाणं अंतियं जाव पव्वइत्तए ?, णो तिण? सम8, एवं जहेव संखे तहेव अरुणाभे जाव अंतं काहिति 22 // सूत्रं 634 / / देवे णं भंते ! महड्डिए जाव महेसक्खे स्वसहस्सं विउवित्ता पभू अन्नमन्नेणं सद्धिं संगामं संगामित्तए ?, हंता पभू 1 / तायो णं भंते ! बोंदीयो किं एगजीवफुडायो अणेगजीवफुडायो ?, गोयमा ! एगजीवफुडायो णो अणेगीवफुडायो 2 / ते णं भंते ! तेसिं बोंदीणं अंतरा कि एगजीवफुडा श्रणेगजीयफुडा ?, गोयमा ! एगजीवफुडा नो अणेगजीवफुडा 3 / पुरिसे णं भंते ! अंतरेणं हत्थेण वा एवं जहा अट्ठमसए तइए उद्देसए जाव नो खलु तत्थ सत्थं कमति 4 // सूत्रं 635 // अस्थि णं भंते ! देवासुराणं संगामे 2 ?, हंता अस्थि 1 / देवासुरेसु णं भंते ! संगामेसु वट्टमाणेसु किन्न तेसिं देवाणं पहरणरयणत्ताए परिणमति ?, गोयमा ! जन्नं ते देवा तणं वा कटुं वा पत्तं वा सक्करं वा परामुसंति तं तं तेसि देवाणं पहरणरयणत्ताए परिणमति 2 / जहेव देवाणं तहेव असुरकुमाराणं ?, णो तिण? सम?, असुरकुमाराणं देवाणं निच्चं विउव्विया पहरणरयणा पन्नत्ता 3 / // सूत्र 636 // देवे णं भते! महड्डिए जाव महेसवखे पभू लवणसमुद्द अणुपरियट्टित्ताणं हव्वमागच्छित्तए ?, हंता पभू 1 / देवे णं भंते ! महड्डिए एवं धायइसंडं दीवं जाव हेता पभू 2 / एवं जाव रुयगवरं दीवं जाव हता पभू 3 / ते णं परं वीतीवएना नो चेव णं अणुपरियटेजा 4 ॥सूत्रं 637 // अस्थि णं भंते! देवा जे अणंते कम्मसे जहन्नेणं एक्कैण वा दोहिंवा तीहिंवा उक्कोसेणं पंचहि वाससएहि खवयंति?, हंता अस्थि 1 / अस्थि णं भंते ! देवा जे अणते कम्मसे जहन्नेणं एक्केण वा दोहि वा तीहिं वा उक्कोसेणं पंचहिं वाससहस्सेहि खवयंति ?, हंता अस्थि 2 / अस्थि णं भंते ! ते देवा जे अणंते कम्मसे जहन्नेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 564 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: तृतीयो विभागः उक्कोसेणं पंचहिं वाससयसहस्सेहिं खवयंति ?, हंता अस्थि 3 / कयरेणं भंते ! ते देवा जे अणंते कम्मसे जहन्नेषां एक्केण वा जाव पंचहिं वाससएहि खवयंति ?, कयरे णं भंते ! ते देवा जाव पंचहिं वाससहस्सेहिं खवयंति ?, कयरे णं भंते ! ते देवा जाव पंचहिं वाससयसहस्सेहिं खवयंति ?, गोयमा ! वाणमंतरा देंवा अणंते कम्मसे एगेणं वाससएणं खवयंति, असुरिंदवजिया भवणवासी देवा अणंते कम्मसे दोहिं वाससएहि खवयंति, असुरकुमारा णं देवा अणंते कम्मंसे तीहिं वाससएहिं खवयंति, गहनक्खत्तताराख्वा जोइसिया देवा अणंते कम्मसे चउहि वास जाव खवयंति, चंदिमसूरिया जोइसिंदा जोतिसरायाणो अणंते कम्मसे पंचहिं वाससएहि खवयति 4 / सोहम्मीसाणगा देवा अणंते कम्मसे एगेणं वाससहस्सेणं जाब खवयंति, सणकुमारमाहिंदगा देवा अणंते कम्मसे दोहि वाससहस्सेहिं खवयंति, एवं एएणं अभिलावेणं बंभलोगलंतगा देवा अणंते कम्मसे तीहिं वाससहस्सेहिं खवयंति, महासुक्कसहस्सारगा देवा अणंते चउहि वाससंहस्सेहिं खवयंति, प्राणय-पाणय-धारण-अच्चुयगा देवा श्रणंते पंचहिं वाससहस्सेहिं खवयंति 5 / हिट्ठिमगेविजगा देवा अणते कम्मसे एगेणं वाससयसहस्सेणं खवयंति, मज्झिमगेवेजगा देवा अणते दोहिं वाससयसहस्सेहिं जाव खवयंति, उवरिमगेवेजगा देवा अणंते कम्मसे तिहिं वास जाव खवयंति 6 / विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजियगा देवा अणंते चउहि वास जाव खवयंति, सव्वट्ठसिद्धगा देवा अणंते कम्मसे पंचहिं वाससयसहस्सेहिं खवयंति 7 / एएण?णं गोयमा ! ते देवा जे गणंते कम्मसे जहन्नेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहि वा उक्कोसेणं पंचहि वाससएहिं खवयंति एएणं गोयमा! ते देवा जाव पंचहि वाससहस्सेहिं खवयंति, एएणटेणं गोयमा! ते देवा जाव पंचहिं वाससयसहस्सेहिं खवयंति / सेवं भंते। सेवं भंते ! ति जाव विहरति 1 ॥सूत्रं 638 // // इति अष्टादशमशतके सप्तम उद्देशकः // 18-7 // Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवनि) सूत्र :: शतकं 18 :: उद्देशक 8 ] [ 565 // अथ अष्टादशमशतके अणगाराख्यो-ऽष्टमोद्देशकः // ___ रायगिहे जाव एवं वयामी-यणगारस्स णं भंते ! भावियप्पणो पुरो दुहयो जुगमायाए पेहाए रीयं रीयमाणस्स पायस्म ग्रह कुवकुडपोयए वा वट्टापोयए वा कुलिंगच्छाए वा परियावज्जेजा, तस्स णं भंते ! किं ईरियावहिया किरिया कजइ संपराइया किरिया कन्जइ ?, गोयमा ! अणगारस्स णं भावियप्पणो जाव तस्स णं ईरियावहिया किरिया कज्जइ नो संपराइया किरिया कजइ 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जहा सत्तमसए संवुडुद्देसए जाव अट्ठो निक्खित्तो 2 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव विहरति 3 / तए णं समणे भगवं महावीरे बहिया जाव विहरति 4 ॥सूत्रं 636 // तेणं काले णं. 2 रायगिहे नामं नयरे गुणसिलए चेइए वराणयो पुढविसिलापट्टए तस्स णं गुणसिलस्स चेइयस्स अदूरसामते बहवे अन्नउस्थिया परिवसंति 1 / तए णं समणे भगवं महावीरे जाव समोसढे जाव परिसा पडिगया 2 / ते णं काले णं 2 समणस्म भगवयो महावीरस्स जे? अंतेवासी इंदभूतिनाम अणगारे जाव उट्ठजाणू जाव विहरइ 3 / तए णं ते अन्नउत्थिया जेणेव भगवं गोयमे तेणेव उवागच्छंति उवागच्छइत्ता भगवं गोयमं एवं वयासीतुज्झे णं अजो ! तिविहं तिविहेणं अस्संजया जाव एगंतवाला यावि भवह, तए णं भगवं गोयमे अन्नउत्थिए एवं वयासी-से केणं कारणेणं अजो! अम्हे तिविहं तिविहेणं अस्संजया जाव एगंतबाला यावि भवामो 4 / तए णं ते अन्नउत्थिया भगवं गोयमं एवं वयासी-तुज्झे णं अजो ! रीयं रीयमाणा पाणे पेच्चेह अभिहणह जाव उवद्दवेह, तए णं तुझे पाणे पेच्चेमाणा जाव उवद्दवेमाणा तिविहं तिविहेणं जाव एगंतबाला यावि भवह, 5 / तएणं भगवं गोयमे ते अन्नउत्थिए एवं वयासी-नो खलु अजो! अम्हे रीयं रीयमाणा पाणे पेच्चेमो जाव उबद्दवेमो, अम्हे णं अजो ! रीयं रीयमाणा कायं च जोयं च रीयं च पडुच दिस्सा 2 पदिस्सा 2 वयामो Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः तए णं अम्हे दिस्सा दिस्सा वयमाणा पदिस्सा पदिस्सा वयमाणा णो पाणे पेच्चेमो जाव णो उवद्दवेमो, तए णं अम्हे पाणे अपेच्चेमाणा जाव अणोहवेमाणा तिविहं तिविहेणं जाव एगंतपंडिया यावि भवामो, तुज्झे णं अजो! अप्पणा चेव तिविहं तिविहेणं जाव एगंतबाला यावि भवह 6 / तए णं ते अन्नउत्थिया भगवं गोयमं एवं वयासी-केणं कारणेणं अजो ! अम्हे तिविहं तिविहेणं जाव भवामो, तए णं भगवं गोयमे ते अन्नउत्थिए एवं वयासी-तुझे णं अजो! रीयं रीयमाणा पाणे पेच्चेह जाव उबद्दवेह, तए णं तुज्झे पाणे पेच्चेमाणा जाव उवहवेमाणा तिविहं जाव एगंतबाला यावि भवह 7 / तए णं भगवं गोयमे ते अन्नउस्थिए एवं पडिहणइ पडिहणित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरं तेणेव उवागच्छइ 2 समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति वंदित्ता नमंसित्ता णचासन्ने जाव पज्जुवासति 8 | गोयमादि समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी-सुठ्ठ णं तुमं गोयमा ! ते अन्नउत्थिए एवं वयासी-साहु णं तुमं गोयमा ! ते अन्नउत्थिए एवं वयासी, अस्थि णं गोयमा ! ममं बहवे अंतेवासी समणा निग्गंथा छउमत्था जे णं नो पभू एवं वागरणं वागरेत्तए जहा णं तुमं तं सुट्ठ णं तुमं गोयमा ! ते अन्नउत्थिए एवं वयासी, साहू णं तुमं गोयमा ! ते अन्नउत्थिए एवं क्यासी 1 // सूत्रं 640 // तए णं भगवं गोयमे समणेणं भगवया महावीरेण एवं वुत्ते समाणे हट्टतुटे समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति 2 एवं वयासी-छउमत्थे णं भंते ! मणूसे परमाणुपोग्गलं किं जाणति पासति उदाहु न जाणति न पासति ?, गोयमा ! अत्थेगतिए जाणति न पासति अत्यंगतिए न जाणति न पासति 1 / छउमत्थे णं भंते ! मणूसे दुपएसियं खंधं किं जाणति 2 ?, एवं चेव 2 / एवं जाव असंखेज्जपदेसियं 3 / छउमत्थे णं भंते ! मणूसे अणंतपएसियं खंधं किं पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगतिए जाणति पासति 1 अत्यंगतिए जाणति न पासति 2 अत्थे Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 18 :: उद्देशकः 8.6] [ 567 गतिए जाणति न पासई 3 अत्थेगतिया न जाणइ न पासति 4, 4 / श्राहोहिए णं भंते ! मणुस्से परमाणुपोग्गलं जहा छउमत्थे एवं याहोहिएवि जाव श्रणंतपदेसियं, परमाहोहिए णं भंते ! मणूसे परमाणुपोग्गलं जं समयं जाणति तं समयं पासति जं समयं पासति तं समयं जाणति ?, णो तिण8 समढे 5 / से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ परमाहोहिए णं मासे परमाणुपोग्गलं जं समयं जाणति नो तं समयं पासति जं समयं पासति नो तं समयं जाणति ?, गोयमा ! सागारे से नाणे भवइ अणगारे से दंसणे भवइ, से तेणटेणं जाव नो तं समयं जाणति एवं जाव अणंतपदेसियं 6 / केवली णं भंते ! मणुस्से परमाणुपोग्गलं जहा परमाहोहिए तहा केवलीवि जाव अणंतपएसियं 7 / सेवं भंते 2 त्ति जाव विहरति // सूत्रं 641 // - // इति अष्टादशमशतके अष्टम उद्देशकः // 18-8 // // अथ अष्टादशमशतके भव्याख्य-जवमोद्देशकः // रायगिहे जाव एवं वयासी-अस्थि णं भंते ! भवियदव्वनेरइया 21, हंता अस्थि 1 / से केणढणं भंते ! एवं वुच्चइ भवियदव्वनेरइया 2 ?, जे भविए पंचिंदिए तिरिक्खज़ोणिए वा मणुस्से वा नेरइएसु उववजित्तए, से तेणटेणं जाव भवियदव्वनेरइया 2, 2 / एवं जाव थणियकुमारा 3 / अत्थि णं भंते ! भवियदव्वपुढविकाइया 2 ?, हंता अस्थि 4 / से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ भवियदव्वपुढविकाइया 2 ? गोयमा ! जे भविए तिरिक्खजोणिए वा मणुस्से वा देवे वा पुढविकाइएसु उववज्जति, से तेणटेणं भंते ! एवं वुचइ भवियदव्यपुढविकाइया 2, 5 / श्राउकाइय-वणस्सइकाइयाणं एवं चेव उववायो, तेउ-बाऊ-बेइंदिय-तेइंदिय-चरिदियाण य जे भविए तिरिक्खजोणिए मणुस्से वा, पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं जे भविए नेरइए वा तिरिक्खजोणिए वा मणुस्से वा देवे वा पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिए वा, Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 568 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभागः एवं मणुस्सावि, वागामंतर-जोइसिय-वेमाणियाणं जहा नेरइया 6 / भवियदब-नेरइयस्स णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुवकोडी 7 / भवियदव्व-असुरकुमारस्स णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं तिनि पलियोवमाई, एवं जाव थणियकुमारस्स 8 / भवियदव्व-पुढविकाइयस्स णं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सातिरेगाई दो सागरोवमाई, एवं बाउकाइयस्सवि 1 / तेउवाऊ जहा नेरइयस्स, वणस्सइ. काइयस्स जहा पुढविकाइयस्स, बेइंदियस्स तेइंदियस्स चरिंदियस्स जहा नेरझ्यस्त, पंचिंदियतिरिक्खजोणियस्स जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तेतीसं सागरोवमाई, एवं मणुस्सावि, वाणमंतरजोइसियवेमाणियस्स जहा असुरकुमारस्स 10 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरति 11 // सूत्रं 642 // // इति अष्टादशमशतके नवम उद्देशकः // 18-9 // // अथ अष्टादशमशतके सोमिलाख्य-दशमोद्देशकः // रायगिहे जाव एवं वयासी-अणगारे णं भंते ! भावियप्पा असिधारं वा खुरधारं वा योगाहेजा ?, हंता उग्गाहेजा 1 / से णं तस्थ बिज्जेज वा भिज्जेज वा ?, णो तिण? समढे णो खलु तत्थ सत्थं कमइ 2 / एवं जहा पंचमसए परमाणु-पोग्गल-बत्तचया जाव अणगारे णं भंते ! भावियप्पा उदावत्तं वा जाव नो खलु तत्थ सत्थं कमइ 3 // सूत्रं 643 // परमाणुपोग्गले णं भंते ! वाउयाएणं फुडे वाउयाए वा परमाणुपोग्गलेणं फुडे ?, गोयमा ! परमाणुपोग्गले वाउयाएणं फुडे नो वाउयाए परमाणुपोग्गलेणं फुडे 1 / दुप्पएसिए णं भंते ! खं० वाउयाएण एवं चेव एवं जाव असंखेजपएसिए 2 / श्रणंतपएसिए णं भंते ! खंधे वाउपुच्छा, गोयमा ! अणंतपएसिए खंधे वाउयाएणं फुडे वाउयाए अणंतपएसिएणं खंघेणं सिय फुडे सिय नो फुडे Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 18 :: उद्देशकः 10 ] [ 566 31 वत्थी भंते ! वाउयाएणं फुडे वाउयाए वत्थिणा फुडे ?, गोयमा ! वत्थी वाउयाएणं फुडे नो वाउयाए वस्थिणा फुडे 4 // सूत्र 644 // अस्थि णं भंते ! इमीसे रयणप्पनाए पुढविए अहे दव्वाइं वन्नयो काल-नील-लोहियहालिद्द-सुकिल्लाई, गंधयो सुब्भिगंधाई दुन्भिगंधाई, रसश्रो तित्त-कडुय-कसायअंबिल-महुराई फासयो कक्खड-मउय-गरुय-लहुय-सीय-उसिण-निद्ध-लुक्खाई अन्नमनबद्धाइं अन्नमनपुट्ठाई अन्नमन्नयोगाढाई (अन्नमन्नबद्ध पुट्ठाई) अन्नमनघडताए चिट्ठति ?, हंता अस्थि, एवं जाव अहेसत्तमाए 1 / अस्थि णं भंते ! सोहम्मस्स कप्पस्त अहे एवं चेव एवं जाव ईसिपभाराए पुढविए 2 / सेवं भंते ! 2 जाव विहरइ 3 / तए णं समणे भगवं महावीरे जाव बहिया जणवयविहारं विहरति 4 // सूत्रं 645 // ते णं काले णं 2 वाणियग्गामे नाम नगरे होत्था वन्नयो, दूतिपलासए चेतिए वन्नयो 1 / तत्थ णं वाणियग्गामे नगरे सोमिले नामं माहणे परिवसति अड्डे जाव अपरिभूए रिउव्वेद जाव सुपरिनिट्ठिए पंचराहं खंडियसवाणं सयस्स य कुडुबस्स आहेवच्चं जाव विहरति 2 / तए णं समणे भगवं महावीरे जाव समोसढे जाव परिसा पज्जु. वासति 3 / तए णं तस्स सोमिलस्स माहणस्स इमीसे कहाए लट्ठस्स समाणस्स अयमेयारूवे जाव समुप्पजित्था एवं खलु समणे णायपुत्ते पुव्वाणुपुब्बिं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे इहमागए जाव दूतिपलासए चेइए अहापडिरूवं जाव विहरइ 4 / तं गच्छामि णं समणस्स नायपुत्तस्स अंतियं पाउब्भवामि इमाइं च णं एयाख्वाइं अट्ठाई जाव वागरणाई पुच्छिस्सामि, तं जइ इमे से इमाइं एयाख्वाइं अट्ठाई जाव वागरणाई वागरेहिति ततो णं वंदीहामि नमसीहामि जाव पन्जुवासीहामि, अहमेयं से इमाइं अट्ठाई जाव वागरणाई नो वागरेहिति तो णं एएहिं चेव अट्ठहि य जाव वागरणेहि य निप्पट्ठपसिणवागरणं करेस्सामीतिकटु एवं संपेहेइ 2 राहाए जाव सरीरे सानो गिहारो पडिनिवखमति 2 पायविहारचारेणं एगेणं Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 600 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभागः खंडियसएणं सद्धिं संपरिबुडे वाणियगामं नगरं मझमज्झणं, निग्गच्छइ 2 जेणेव दूतिपलासए चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ 2 समणस्स 3 अदूरसामंते ठिचा समणं भगवं महावीरं एवं वयासी-जत्ता ते भंते ! जवणिज्जते भंते ! अव्वाहं ते भंते ! फासुयविहारं ते भंते !?,सोमिला! जत्तावि मे जवणिज्जपि मे अब्बाबाहपि मे फासुयविहारंपि मे 5 / किं ते भंते ! जत्ता ?, सोमिला ! जं मे तव-नियम-संजम-सज्झाय-झाणावस्सयमादीएसु जोगेसु जयणा सेत्तं जत्ता 6 / किं ते भंते ! जवणिज्जं ?, सोमिला ! जवणिज्जे दुविहे पन्नत्ते तंजहा-इंदियजवणिज्जे य नोइंदियजवणिज्जे य 7 / से किं तं इंदियजवणिज्जे ?, 2 जं मे सोइंदिय-चक्खिदिय-घाणिदियजिभिदिय-फासिंदियाइं निरुवहयाई वसे वट्टांति सेत्तं इंदियजवणिज्जे 8 / से किं तं नोइंदियजवणिज्जे ?, 2 ज मे कोह-माण-माया-लोभा वोच्छिन्ना नो उदीरेंति से तं नोइंदिराजवणिज्जे, सेत्तं जवणिज्जे 1 / किं ते भंते ! अब्बावाहं ?, सोमिला ! जं मे वातिय-पित्तिय-सिभिय-सनिवाइया विविहा रोगायंका सरीरगया दोसा उवसंता नो उदीरेंति सेत्तं अव्वाबाहं 10 / किं ते भंते ! फासुयविहारं , सोमिला ! जन्नं पारामेसु उजाणेसु देवकुलेस सभासु पवासु इत्थी-पसु पंडग-विवजियासु वसहीसु फासुएसणिज्जं पीढफलग-सेन्जासंथारगं उवसंपजित्ताणं विहरामि सेत्तं फासुयविहारं 11 / सरिसवा ते भंते ! किं भवखेया अभवखेया ?, सोमिला ! सरिसवा भवखेयावि अभक्खेयावि 12 / से केण?णं भंते ! एवं वुचइ सरिसवा मे भवखेयावि अभक्खेयावि ?, से नूणं ते सोमिला ! बंभन्नएसु नएसु दुविहा सरिसवा पन्नत्ता, तंजहा-भित्तसरिसवा य धनसरिसवा य 13 / तत्थ णं जे ते मित्तसरिसवा ते तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-सहजायया सवडियया सहपंसुकीलियया, ते णं समणाणं निग्गंथाणं अभक्खया 14 / तत्थ णं जे ते धनसरिसवा ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सत्थपरिणया य असत्थपरिणया य, Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 18 :: उद्देशकः 10 ] [ 601: तत्थ णं जे ते असत्थपरिणया ते णं समणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया 15 / तत्थ णं जे से सत्थपरिणया ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-एसणिज्जा य अणेसणिज्जा य, तत्थ णं जे ते गणेसणिज्जा ते समणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया 16 / तत्थ णं जे ते एसणिजा ने दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-जाइया य अजाइया य, तत्थ णं जे ते अजाइया ते णं समणाणं निग्गंथाणं अभवखेया 17 / तत्थ णं जे ते जातिया ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-लद्धा य श्रलद्धा य, तत्थ णं जे ते अलद्धा ते णं समणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया 18 / तत्थ णं जे ते लद्धा ते णं समणाणं निग्गंथाणं भक्खेया, से तेणटेणं सोमिला ! एवं वुच्चइ जाव अभक्खेयावि 11 / मासा ते भंते ! किं भक्खेया अभक्खेया ?, सोमिला ! मासा मे भक्खेयावि अभक्खेयावि 20 / से केण?णं जाव अभक्खेयावि, से नूणं ते सोमिला ! बंभन्नएसु नएसु दुविहा मासा पन्नत्ता, तंजहा-दव्वमासा य कालमासा य 21 / तत्थ णं जे ते कालमासा ते णं सावणादीया आसाढपजवसाणा दुवालस, तंजहासावणे भद्दवए पासोए कत्तिए मग्गसिरे पोसे माहे फागुणे चित्ते वइसाहे जेट्टामूले अासाढे, ते णं समणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया 22 / तत्थ णं जे ते दव्वमासा ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा- अस्थमासा य धराणमासा य 23 / तत्थ णं जे ते अस्थमासा ते दुविहा पत्नत्ता, तंजहा-सुवन्नमासा य रुप्पमासा य, ते णं समणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया 24 / तत्थ णं जे ते धनमासा ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सस्थपरिणया य असत्थपरिणया य, एवं जहा धनसरिसवा जाव से तेणटेणं जाव अभक्खेयावि 25 / कुलत्था ते भंते ! किं भक्खेया अभक्खेया ?, सोमिला ! कुलत्था भक्खयावि अभवखेयावि 26 / से केणटेणं जाव अभक्खेयावि ?, से नृणं सोमिला ! ते बंभन्नएसु नएसु दुविहा कुलत्था पन्नता, तंजहा-इत्थिकुलत्था य धनकुलत्था य 27 / तत्थ णं जे ते इत्थिकुलत्था ते तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-कुलकन्नयाइ वा Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 601 ] - [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभागः कुलवहूयाति वा कुलमाउयाइ वा, ते ण समणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया 28 / तत्थ णं जे ते धनकुलत्था एवं जहा धनसरिसवा से तेण?णं जाव अभक्खेयावि 21 // सूत्र 646 // एगे भवं दुवे भवं अक्खए भवं अव्वए भवं अवट्ठिए भवं अणेगभूयभावभविए भवं ?, सोमिला ! एगेवि अहं जाव अणेगभूय-भाव-भविएवि अहं 1 / से केण?णं भंते ! एवं बुच्चइ जाव भविएवि अहं ?, सोमिला ! दव्वट्ठयाए एगे अहं, नाणदंसहठ्याए दुविहे अहं, पएसट्टयाए अक्खएवि अहं अव्वएवि अहं, अवट्ठिएवि अहं उवयोगट्टयाए अणेगभूय-भाव-भविएवि अहं, से तेण?णं जाव भविएवि अहं 2 / एत्थ णं से सोमिले माहणे संबुद्धे समणं भगवं महावीरं जहा खंदयो जावे से जहेयं तुज्झे वदह 3 / जहा णं देवाणुप्पियाणं अंतिए बहवे राईसर एवं जहा रायप्पसेणइज्जे चित्तो जावं दुवालसविहं सावगधम्म पडिवजति पडिवजित्ता समंणं भंगवं महावीरं वंदति जाव पडिगए 4 / तए णं से सोमिले माहणे समणोवासए जाव अभिगयजीवा जाव विहरइ 5 / भंतेत्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-पभू णं भंते !' सोमिले माहणे देवाणुप्पियाणं अंतिए मुडे भवित्ता जहेव संखे तहेव निरवसेसं जाव अंतं काहिति 6 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरति 7 // सूत्रं 647 // // अट्ठारसमं संयं समत्तं // // इति अष्टावशमशतके दशम उद्देशकः // 18-10 // . .. // इति अष्टादशमं शतकम् // 18 // . Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रत्रप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 16 :: उद्देशकः 1-3 ] [603 // अथ एकोनविंशतितमशतके लेश्यागमाख्यौ प्रथम द्वितीयोद्देशकौ // लेस्सा य 1 गम्भ 2 पुढवी 3 महासवा 4 चरम 5 दीव 6 भवणा 7 य / नियत्ति 8 करण 1 वणवरसुरा 10 य एगूणवीसइमे // 1 // . रायगिहे जाव एवं वयासी-कति णं भंते ! लेस्सायो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! छल्लेसायो पन्नत्तायो, तंजहा-एवं जहा पन्नवणाए चउत्थो लेसुदे सयो भाणिय वो निरवसेसो 1 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरति 2 // सूत्रं 648 // 11-1 // कति णं भंते ! लेस्सायो पन्नत्तायो ? एवं जहा पन्नरणाए गम्भुइँसो सो चेव निरवसेसो भाणियबो 1 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाक विहरति 2 // सूत्रं 646 // 11-2 // ॥अथ एकोनविंशतितमशतके पृथिवीकायाख्य-तृतीयोद्देशकः।। रायगिहे जाव एवं वयासी-सिय भंते ! जाव चत्तारि पंच पुढविकाइया एगयो साधारणसरीरं बंधंति 2 तथो पच्छा थाहारेति वा परि. णाति वा सरीरं वा बंधंति ?, नो इण? समठे, पुढविकाइयाणं पत्तेयाहारा पत्तेयपरिणामा पत्तेयं सरीरं बंधंति 2 ततो पच्छा थाहारेंति वा परिणामेति वा सरीरं वा बंधंति 1 / तेसि णं भंते ! जीवाणं कति लेस्सायो पत्नत्तायो ?, गोयमा ! चत्तारि लेस्सायो पन्नत्तायो, तंजहा-कराहेलेस्सा नीललेस्सा काउलेस्सा तेउलेस्सा 2 / ते णं भंते ! जीवा किं सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी ?, गोयमा ! नो सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी नो सम्मामिच्छादिट्ठी 3 / ते णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! नो नाणी अन्नाणी, नियमा दुअन्नाणी तंजहा-मइअन्नाणी य सुयअन्नाणी य 4 / ते णं भंते! जीवा किं मणजोगी वयजोगी कायजोगी ?, गोयमा ! नो मणजोगी नो वयजोगी कायजोगी 5 / ते णं भंते! जीवा कि Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 604 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: तृतीयो विभागः सागारोवउत्ता अणागारोवउत्ता?, गोयमा ! सागारोवउत्तावि अणागारोवउ. त्तावि 6 / ते णं भंते ! जीवा किमाहारमाहारेंति ?, गोयमा ! दव्वश्रो णं गणंतपदेसियाई दवाई एवं जहा पनवणाए पढमे श्राहारुद्द सए जाव सव्वप्पणयाए (सव्वपयाए) ? थाहारमाहारेंति। ते णं भंते ! जीवा जमाहारेति तं चिज्जति जं नो श्राहारेंति तं नो चिज्जति चिन्ने वा से उद्दाइ पलिसप्पति वा ?, हंता गोयमा ! ते णं जीवा जमाहारेंति तं चिज्जति जं नो जाव पलिसप्पति वा 8 / तेसि णं भंते ! जीवाणं एवं सन्नाति वा पन्नाति वा मणोति वा वईड वा अम्हे णं आहारमाहारेमो ?, णो तिण? सम? थाहारेंति पुण ते तेसिं 1 / तेसि णं भंते ! जीवाणं एवं सन्नाति जाव वीयीति वा अम्हे णं इटाणि? फासेयरे वेदेमो पडिसंवेदेमो ?, णो तिणढे सम8, पडिसंवेदेति पुण ते 10 / ते णं भंते ! जीवा किं पाणाइवाए उवक्खाइज्जति मुसावाए अदिनादाणे जाव मिच्छादंसणसल्ले उवक्खाइज्जति ?, गोयमा ! पाणाइवाएवि उवक्खाइज्जति जाव मिच्छादसणसल्लेवि उवक्खाइज्जंति, जेसिपि णं जीवाण ते जीवा एवमाहिज्जंति तेसिपि णं जीवाणं नो विजाए नाणत्ते 11 / ते णं भंते ! जीवा कयोहिंतो उववज्जति किं नेरइएहितो उववज्जति ? एवं जहा ववकंतीए पुवीकाइयाणं उबवायो तहा भाणियन्वो 12 ! तेसि णं. भंते ! जीवाणं केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साई 13 / तेसि णं भंते ! जोवाणं कति समुग्घाया पन्नत्ता ?, गोयमा ! तयो समुग्धाया पत्नत्ता, तंजहा-वेयणासमुग्घाए कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्वाए 14 / ते णं भंते ! जीवा मारणंतिय-समुग्घाएणं किं समोहया मरंति असमोहया मरंति ?, गोयमा ! समोहयावि मरंति असमोहयावि मरंति 15 / ते णं भंते ! जीवा अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छंति कहिं उववजंति ?, एवं उव्वट्टणा जहा वक्कंतीए 16 / सिय भंते ! जाव चत्तारि Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 19 :: उद्देशकः 3 ] [605 पंच ग्राउकाइया एगययो साहारणसरीरं बंधंति 2 तो पच्छा थाहारेति एवं जो पुढविकाइयाणं गमो सो चेव भाणियव्वो जाव उव्वति नवरं टिती सत्तवाससहस्साई उक्कोसेणं सेसं तं चेव 17 / सिय भंते ! जाव चत्तारि पंच सेउक्काइया एवं चेव नवरं उववायो ठिती उव्वट्टणा य जहा पनवणाए सेसं तं चेव 18 / वाउकाइयाणं एवं चेव नाणत्तं नवरं चत्तारि समुग्घाया 11 / सिय भंते ! जाव चत्तारि पंच वणस्सइकाइया पुच्छा, गोयमा ! णो तिण? समठे, अणंता वणस्सइकाइया एगयो साहारणसरीरं बंधंति 2 तयो पच्छा अाहारेंति वा परिणति वा सरीरं वा बंधंति, सेसं जहा तेउकाइयाणं जाव उव्वट्टति, नवरं श्राहारो नियम छदिसिं, ठिती जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, सेसं तं चैव 20 // सूत्रं 650 // एएसि णं भंते ! पुदविकाइयाणं अाउ-तेउ-वाउ-वणस्सइकाइयाणं सुहुमाणं बादराणं पजत्तगाणं अपजत्तगाणं जाव जहन्नुकोसियाए योगाहणाए कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा सहुमनियोयस्स अपजत्तस्स जहन्निया योगाहणा 1 सुहुमवाउकाइयस्स अपजत्तगस्स जहन्निया योगाहणा असंखेजगुणा 2 सुहुमतेऊयपजत्तस्स जहनिया योगाहणा असंखेज्जगुणा 3 सुहुमयाऊअपजत्तस्स जहनिया योगाहणा असंखेजगुणा 4 सुहुमपुढविअपजत्तस्स जहन्निया योगाहणा असंखेजगुणा 5 बादरवाउकाइयस्स अपजत्तगस्स जहन्निया योगाहणा असंखेजगुणा 6 बादरतेऊ अपजत्तजहनिया योगाहणा असंखेजगुणा 7 बादरग्राउ-अपज्जत्तजहनिया भोगाहणा असंखेजगुणा 8 बादरपुढवीकाइयअपजत्त-जहन्निया योगाहणा असंखेजगुणा 1 पत्तेयसरीर-बादरवणस्सइकाइयस्त बादरनियोयस्स एएसि णं पज्जत्तगाणं एएसि णं अपजत्तगाणं जहन्निया योगाहणा दोराहवि तुल्ला असंखेजगुणा 10-11 सुहुमनिगोयस्स पजत्तगस्स जहन्निया योगाहणा असंखेजगुणा 12 तस्सेव अपज्जत्त Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 606 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः गस्त उक्कोसिया श्रोगाहणा विसेसाहिया 13 तस्स चेव पजत्तगस्स उक्को. सिया श्रोगाहणा विसेसाहिया 14 सुहुम-बाउकाइयस्स पजत्तगरस जहनिया योगाहणा अमंखेजगुणा 15 तस्स चेव अपजत्तगस्त उक्कोसिया श्रोगाहणा विसेसाहिया 16 तस्स चेव पजत्तगस्स उक्कोसा विसेसाहिया 17 एवं सुहुमतेउकाइयस्सवि 18 / 11 / 20 एवं सुहुमयाउकाइयस्सवि 21 / 22 / 23 एवं सुहुमपुढविकाइयस्स विसेसाहिया 24 / 25 / 26 एवं बादरखाउकाइयस्स विसेसाहिया 27/28 / 21 एवं बायरतेउकाइयस्स विसेसाहिया 30/31 / 32 एवं बादरग्राउकाइयस्स विसेसाहिया 33 // 34 // 35 एवं बादरपुढविकाइयस्स विसेसाहिया 36 // 37 // 38 सव्वेसिं तिविहेणं गमेणं भाणियव्वं, बादरनिगोयस्स पजत्तगस्स जहनिया योगाहणा असंखेजगुणा 31 तस्स चेव अपजत्तगस्स उक्कोसिया योगाहणा विसेसाहिया 40 तस्स चेव पजत्तगस्स उक्कोसिया योगाहणा विसेसाहिया 41 पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइयस्स पज्जत्तगस्स जहन्निया योगाहणा असंखेजगुणा 42 तस्स चेव अपज्जत्तगस्स उक्कोसिया योगाहणा असंखेजगुणा 43 तस्स चेव पजत्तगस्स उक्कोसिया श्रोगाहणा असंखेजगुणा 44 // सूत्रं 651 // एयस्स णं भंते ! पुढविकाइयस्त अाउकाइयस्स तेऊक्काइयस्स वाऊक्काइयस्स वणस्सइकाइयस्स कयरे काये सव्वसुहमे कयरे काए सव्वसुहुमतराए ?, गोयमा ! वणस्सइकाइए सबसुहमे वणस्सइकाइए सव्वसुहुमतराए 1.1 / एयस्स | भंते ! पुढविकाइयस्स पाउकाइयस्स तेउक्काइयस्स वाउकाइयस्स कयरे काये सव्वसुहुमे कयरे काये सव्वसुहुमतराए ?, गोयमा ! वाउकाए सव्वसुहुमे वाउकाये सव्वसुहुमतराए 2, 2 / एयस्स णं भंते ! पुढविकाइयस्स ग्राउक्काइयस्स तेउकाइयस्स कयरे काये सव्वसुहुमे कयरे काए सव्वसुहुमतराए ?, गोयमा ! तेउकाए सव्वसुहुमे तेउकाए सव्वसुहुमतराए 3, 3 / एयस्स णं भंते ! पुढविकाइयस्स आउकाइयस्स कयरे काए सव्वसुजुमे कयरे काये सव्वसुहुम Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 19 :: उद्देशकः 3] [607 तराए ?, गोयमा ! श्राउकाए सव्वसहमे पाउकाए सव्वसुहुमतराए 4, 4 / एयस्स णं भंते ! पुढविकाइयस्स पाउकाइयस्स तेउकाइयस्स वाउकाइयस्स वणस्सइकाइयस्स कयरे काये सव्ववादरे कयरे काये सव्वबादरतराए ?, गोयमा ! वणस्सइकाये सव्ववादरे वणस्सइकाये सव्वबादरतराए 1, 5 / एयस्स णं भंते ! पुढविकाइयस्स अाउकाइयस्स तेउकाइयस्स वाउकाइयस्स कयरे काए सव्वबादरे कयरे काए सव्ववादरतराए ?, गोयमा ! पुढविकाए सव्वबादरे पुढविकाए सव्वबादरतराए 2, 6 / एयस्स णं भंते ! बाउकाइयरस तेऊकाइयस्स वाउकाइयस्स कयरे काए सव्वबादरे कयरे काए सव्वबादरतराए?, गोयमा ! अाउकाए सव्वबादरे बाउकाए सव्वबादरतराए 3, 7 / एयस्स णं भंते ! तेउकाइयस्स वाउकाइयस्स कयरे काए सव्वबादरे कयरे काए सव्वबादरतराए ?, गोयमा ! तेउकाए सव्वबादरे तेउकाए सव्वबादरतराए 4, 8 / केमहालए णं भंते ! पुढविसरीरे पन्नत्ते ?, गोयमा ! अणंताणं सुहुमवणस्सइकाइयाणं जावइया सरीरा से एगे सुहुमवाउसरीरे असंखेजाणं सुहुमवाउसरीराणं(काइयाणं) जावतिया सरीरा से एगे सुहुमतेऊसरीरे, असंखेजाणं सुहुमतेऊकाइयसरीराणं जावतिया सरीरा से एगे सुहुमे पाऊसरीरे, असंखेजाणं सहुमयाउकाइयसरीराणं जावइया सरीरा से एगे सुहुमे पुढविसरीरे, असंखेजाणं सुहुमपुढविकाइयसरीराणं जावइया सरीरा से एगे बादरवाउसरीरे, असंखेजाणं बादरवाउकाइयाणं जावइया सरीरा से एगे बादरतेऊसरीरे, असंखेजाणं बादरतेउकाइयाणं जावतिया सरीरा से एगे बादराउसरीरे, असंखेजाणं बादरयाउकाइयाणं जावतिया सरीरा से एगे बादरपुढविसरीरे, एमहालए गां गोयमा ! पुढविसरीरे पन्नत्ते 1 // सूत्रं 652 // पुढविकाइयस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! से जहानामए रन्नो चाउरंतचकवट्टिस्स वनगपेसिया तरुणी बलवं जुगवं जुवाणी अप्पायंका वन्नयो जाव निउणसिप्पोवगया Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 608 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभाग : नवरं चम्मेठ्ठदुहणमुट्ठियसमाहयणिचियगत्तकाया न भरणति सेसं तं वेव जाव निउणसिप्पोवगया तिखाए वयरामईए सरहकरणीए तिक्खेणं वइरामएणं वट्टावरए एगं महं पुढविकाइयं जतुगोलासमाणं गहाय पडिसा. हरिय 2 पडिसंखिविय 2 जाव इणामेवत्तिक तिसत्तखुत्तो उप्पीसेज्जा, तत्थ णं गोयमा ! अत्थेगतिया पुढविकाइया श्रालिद्धा अस्थगइया पुढविकाइया नो ग्रालिद्धा अत्थेगइया संघट्टि(ट्टि)या अत्थेगइया नो संघट्टि(ट्टि)या अत्थेगइया परियाविया अत्थेगइया नो परियाविया अत्थेगइया उद्दविया अत्थेगइया नो उद्दविया अत्थेगइया पिट्ठा अत्यंगतिया नो पिट्टा, पुढविकाइयस्स णं गोयमा ! एमहालिया सरीरोगाहणा पराणत्ता 1) पुढविकाइएणं भंते! अक्कते समाणे केरिसियं वेदणं पञ्चणुब्भवमाणे विहरति ?, गोयमा ! से जहानामए–केइ पुरिसे तरुणे बलवं जाव निउणसिप्पोवगए एगं पुरिसं जुन्नं जराजजरियदेहं जावदुब्बलं किलंतं जमलपाणिणा मुद्धाणसि अभिहणिज्जा, से णं गोयमा ! पुरिसे तेणं पुरिसेणं जमलपाणिणा मुद्धाणंसि अभिहए समाणे केरिसियं वेदणं पञ्चणुब्भवमाणे विहरति ?, अणिटुं समणाउसो !, तस्स णं गोयमा ! पुरिसस्स वेदणाहितो पुढविकाइए अक्कंते समाणे एत्तो अणि?तरियं चेव अकंततरियं जाव अमणामतरियं चेव वेदणं पञ्चणुब्भवमाणे विहरति 2 / पाउयाए णं भंते ! संघट्टिए समाणे केरिसियं वेदणं पचणुब्भवमाणे विहरति ?, गोयमा ! जहा पुढविकाइए एवं चेव, एवं तेऊयाएवि, एवं वाऊयाएवि, एवं वणस्सइकाएवि जाव विहरति 3 / सेवं भंते ! 2 ति जाब विहरति 4 // सूत्र 653 // // इति एकोनविंशतितमशतके तृतीय उद्देशकः / / 16-3 // Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 19 : उद्देशकः 4] [609 // अथ एकोनविंशतितमशतके महावाख्य-चतुर्थोद्देशक : / सिय भंते ! नेरइया महासवा महाकिरिया महावेयणा महानिजरा ? गोयमा ! णो तिणढे समढे 1 / सिय भंते ! नेरइया महासवा महाकिरिया महावेयणा अप्पनिजरा ? हंता सिया 2 / सिय भंते ! नेरइया महासवा महाकिरिया अप्पवेयणा महानिजरा ?, गोयमा ! णो तिणढे समढे 3 | सिय भंते ! नेरडया महासवा महाकिरिया अप्पवेदणा अप्पनिजरा ? गोयमा ! णो तिण? समढे 4 / सिय भंते ! नेरइया महासवा अप्पकिरिया महावेदणा महानिजरा ?, गोयमा ! णो तिण? समढे 5 / सिय भंते : नेरइया महासवा अप्पकिरिया महावयणा अप्पनिजरा?, गोयमा! नो तिण? सम? 6 / सिय भंते ! नेरतिया महासवा अप्पकिरिया अप्पवेदणा महानिजरा ?, नो तिण? समढे 7 / सिय भंते ! नेरतिया महासवा अप्पकिरिया अप्पवेदणा अप्पनिजरा ?, णो तिण? समढे 8 / सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा महाकिरिया महावेदणा महानिजरा ?, नो तिणढे समढे 1 | सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा महाकिरिया महावेदणा अप्पनिजरा ?, नो तिण8 समढे 10 / सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा महाकिरिया अप्पावेयणा महानिजरा ?, नो तिण? समढे 11 / सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा महाकिरिया अप्पवेदणा अप्पनिजरा ?, णो तिण? सम? 12 / सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा अप्पकिरिया महावेयणा महानिजरा ? नो तिणढे समढे 13 / सिय भंते ! नेरतिया अप्पासवा अप्पकिरिया महावेदणा अप्पनिजरा ? नो तिण? समढे 14 / सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा अप्पकिरिया अप्पवेयणा महानिजरा ?, नो तिण? समढे 15 / सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा अप्पकिरिया अप्पवेयणा अप्पनिजरा ?, णो तिणढे समढे एते सोलस भंगा 16 / सिय भंते ! असुरकुमारा महासवा महाकिरिया महावेदणा महानिजरा ?, णो तिणढे समटे, एवं उत्थो Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 610] . : . श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः भंगो भाणियब्वो, सेसा पन्नरस भंगा खोडेयव्वा, एवं जाव थणियकुमारा 17 / सिय भंते ! पुढविकाइया महासवा महाकिरिया महावेयणा महानिजरा ? हंता, एवं जाव सिय भंते ! पुढविकाइया अप्पासवा अप्पकिरिया अप्पवेयणा अप्पनिजरा ? हंता सिया 18 / एवं जाव मणुस्सा, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा असुरकुमारा 11 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ // सूत्रं 654 // // इति एकोनविंशतितमे शतके चतुर्थ उद्देशकः // 19-4 // // अथ एकोनविंशतितमशतके चरमाख्य-पञ्चमोद्देशकः // अस्थि णं भंते ! चरिमावि नेरतिया परमावि नेरतिया ?, हंता अस्थि, से नूणं भंते ! चरमेहितो नेरइएहितो परमा नेरझ्या महाकम्मतराए चेव महस्सवतराए चेव महावयणतराए चेच परमेहितो वा नेरइएहिंतो वा चरमा नेरइया अप्पकम्मतराए चेव अप्पकिरियतराए चेव अप्पासवतराए चेव अप्पवेयणतराए चेत्र ?, हंता गोयमा! चरमेहितो नेरइएहिंतो परमा जाव महावेयणतराए चेव परमेहिंतो वा नेरइएहितो चरमा नेरइया जाव अप्पवेयणतरा चेव 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुझ्इ जाव अप्पवेयणतरा चेव ?, गोयमा! उितिं पडुच्च, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ जाव अप्पवेदणतरा चेव 2 / अस्थि णं भंते ! चरमावि असुरकुमारा परमावि असुरकुमारा ?, एवं चेव, नवरं विवरीयं भाणियब्वं, परमा अप्पकम्मा चरमा महाकम्मा, सेसं तं चेव जाव थणियकुमारा ?, ताव एवमेव 3 / पुढविकाइया जाव मणुस्सा एवं जहा नेरइया, वाणपंतरजोइसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा ४॥सूत्रं.६५५॥ कइविहा णं भंते ! वेदणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा वेदणा पन्नत्ता, तंजहा-निदा य अनिदा य 1 / नेरइया णं भंते ! किं निदायं वेदणं वेयंति अनिदायं जहा पन्नवणाए जाव वेमाणियत्ति 2 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरति 3 // सूत्रं 656 // 11-5 // Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 19 :: उद्देशकः 6-7 ] [ 611 // अथ एकोनविंशतितमशतके द्वीपाख्य-षष्ठोद्देशकः // कहि भंते ! दीवसमुद्दा ? केवइया णं भंते ! दीवसमुद्दा ? किंसंठिया णं भंते ! दीवसमुद्दा ? एवं जहा जीवाभिगमे दीवसमुदुद्दे सो सो चेव इहवि जोइसियमंडिउद्देसगवजो भाणियन्वो जाव परिणामो जीवउववायो जाव अणंतखुत्तो 1 / सेवं भंते 2 ति जाव विहरइ 2 // सूत्रं 657 // 11-6 // // अथ एकोनविंशतितमशतके भवनाख्य-सप्तमोद्देशकः // केवतिया णं भंते ! असुरकुमार-भवणावास-सयसहस्सा पनत्ता ?, गोयमा ! चउसर्हि असुरकुमार-भवणावास-सयसहस्सा पन्नत्ता 1 / ते णं भंते ! किमया पन्नत्ता ?, गोयमा ! सव्वरयणामया अच्छा सराहा जाव पडिरूवा, तत्थ णं बहवे जीवा य पोग्गला य वक्कमति विउक्कमति चयंति उववज्जति सासया णं ते भवणा दवट्ठयाए वन्नपजवेहिं जाव फासपजवेहिं असासया, एवं जाव थणियकुमारावासा 2 / केवतिया णं भंते ! वाणमंतर-भोमेजनगरावास-सयसहस्सा पनत्ता ?, गोयमा ! असंखेजा वाणमंतर-भोमेजनगरावास-सयसहस्सा पन्नत्ता 3 / ते णं भंते ! किमया पन्नत्ता ? सेसं तं चेव 4 / केवतिया णं भंते ! जोइसिय-विमाणावास-सयसहस्सा ? पुच्छा, गोयमा! असंखेजा जोइसिय-विमाणावास-सयसहस्सा पन्नत्ता 5 / ते णं भंते ! किमया पन्नत्ता ?, गोयमा ! सवफालिहामया अच्छा, सेसं तं चेव सोहम्मे णं भंते ! कप्पे केवतिया विमाणावास-सयसहस्सा पन्नत्ता ?, गोयमा! बत्तीसं विमाणावास-सयसहस्सा 7 / ते णं भंते ! किमया पन्नत्ता ?, गोयमा ! सव्वरयणामया अच्छा, सेसं तं चेव जाव अणुत्तरविमाणा, नवरं जाणेयव्वा जत्थ जत्तिया भवरमा विमाणा वा 8 | सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 1 // सूत्रं 658 // 11-7 // Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 612 ] - [ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: तृतीयो विभागः // अथ एकोनविंशतितमशतके निवृत्तिनामकोऽष्टमोद्देशकः। कतिविहा णं भंते ! जीवनिव्वत्ती पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा जीवनिव्वत्ती पन्नत्ता, तंजहा-एगिदियजीवनिव्वत्तिए जाव पंचिंदियजीवनिव्वत्तिए 1 / एगिदियजीवनिव्वत्तिए णं भंते ! कतिविहा पन्नत्ता-?, गोयमा ! पंचविहा पन्नत्ता, तंजहा-पुढविकाइय-एगिदियजीवनिव्वत्ती जाव वणस्सइकाइय-एगिदियजीवनिव्वत्ती 2 / पुढविकाइप-एगिदियजीवनिव्वत्ती णं भंते ! कतिविहा पन्नत्ता, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सुहुमपुढविकाइय-एगिदियजीवनिव्वत्ती य बादरपुढविकाइय-एगिदियजीवनिव्वत्ती य, 3 / एवं चेव एएणं अभिलावेणं भेदो जहा बड्डगबंधो तेयगसरीरस्स जाव सव्वट्ठसिद्ध-अणुत्तरोववातिय-कप्पातीत-वेमाणिय-देव-पंचिंदियजीवनिव्वत्ती णं भंते ! कतिविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तगसव्वट्ठसिद्ध-अणुत्तरोववातिय जाव देवपंचिंदियजीवनिव्वत्ती य अपजत्तसव्वट्ठसिद्धाणुत्तरोववाइय जाव देवपंचिंदियजीवनिव्वत्ती य 4 / कतिविहा रणं भंते ! कम्मनिव्वत्ती पन्नत्ता ?, गोयमा ! अट्टविहा कम्मनिव्वत्ती पन्नत्ता, तंजहा-नाणावरणिज-कम्मनिबत्ती जाव अंतराइय-कम्मनिव्वत्ती 5 / नेरइयाणं भंते ! कतिविहा कम्मनिव्वत्ती पन्नत्ता ?, गोयमा ! अट्ठविहा कम्मनिव्वत्ती पन्नत्ता, तंजहा-नाणावरणिज-कम्मनिव्वत्ती जाव यंतराइयकम्मनिवत्ती, एवं जाव वेमाणियाणं 6 / कतिविहा णं भंते ! सरीरनिव्वत्ती पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा सरीरनिव्वत्ती पन्नत्ता, तंजहा-थोरालियसरीर. निव्वत्ती जाव कम्मगसरीरनिव्वत्ती 7 / नेरइयाणं भंते ! एवं चेव एवं जाव वेमाणियाणं, नवरं नायव्वं जस्स जइ. सरीराणि 8 / कइविहा णं भंते ! सबिदियनिव्वत्ती पन्नत्ता ?, गोंयमा! पंचविहा सव्विदियनिव्वती पन्नत्ता, तंजहा-सोइंदियनिव्वत्ती जाव फासिदियनिव्वत्ती, एवं जाव नेरइया जाव थणियकुमाराणं 1 / पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा! एगा फासिदियनिव्वत्ती Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 16 :: उद्देशकः 8] [613 पन्नत्ता, एवं जस्स जइ इंदियाणि जाव वेमाणियाणं 10 / कइविहा गं भंते ! भासानिव्वत्ती पन्नत्ता ?, गोयमा ! चउब्विहा भासानिव्वत्ती पन्नत्ता, तंजहा–सञ्चामासानिव्वत्ती मोसाभासानिव्वत्ती सच्चामोसमासानिव्वत्ती असच्चामोसमासानिव्वत्ती, एवं एगिदियवज्ज जस्स जा भासा जाव वेमाणियाणं 11 / कइविहा णं भंते ! मणनिवत्तीए पन्नत्ता ?, गोयमा ! चउबिहा मणनिबत्ती पन्नत्ता, तंजहा-सच्चमणनिबत्ती जाव असच्चामोसमणनिव्वत्तीए एवं एगिदियविगलिंदियवज्जं जाव चेमाणियाणं 12 / कइविहा णं भंते !. कसायनिव्वत्ती पन्नत्ता ?, गोयमा ! चउब्विहा कसायनिव्वत्ती पन्नता, तंजहा. कोहकसायनिव्वत्ती जाव लोभकसायनिवत्ती एवं जाव वेमाणियाणं 13 / कइविहा णं भंते ! वन्ननिव्वत्ती पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा वननिवत्ती पन्नत्ता, तंजहा-कालवन्ननिव्वत्ती जाव सुकिल्लवन्ननिव्वत्ती 14 / एवं निरवसेसं जाव वेमाणियाणं, एवं गंधनिव्वत्ती दुविहा जाव वेमाणियाणं, रसनिवत्ती पंचविहा जाव वेमाणियाणं, फासनिव्वत्ती अट्टविहा जाव वेमाणियाणं 15 / कतिविहा णं भंते ! संठाणनिव्वत्ती पन्नत्ता ? गोयमा ! छव्विहा संठाणनिव्वत्ती पन्नत्ता तंजहा-समचउरंससंठाणनिव्वत्ती जाव हुंडसंठाणनिव्वत्ती 16 / नेरझ्याणं पुच्छा गोयमा ! एगा हुंडसंठाणनिव्वत्ती पन्नत्ता 17 / असुरकुमाराणं पुच्छा, गोयमा ! एगा समचउरंस-संठाणनिव्वत्ती पन्नत्ता, एवं जाव थणियकुमाराणं 18 / पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! एगा मसूरचंदसंगणनिव्वत्ती पन्नत्ता, एवं जस्स जं संठाणं जाव वेमाणियाणं 11 / कइविहा णं भंते ! सन्नानिव्वत्ती पन्नत्ता ?, गोयमा ! चउब्विहा सन्ना निव्वत्ती पन्नत्ता, तंजहा-थाहारसन्नानिवत्ती जाव परिग्गहसन्नानिव्वत्ती, एवं जाव वेमाणियाणं 20 / कइविहा णं भंते ! लेस्प्तानिव्वत्ती पन्नत्ता ?, गोयमा ! छव्विहा लेस्सानिव्वत्ती पन्नत्ता, तंजहा-कराहलेस्सानिबत्ती जाव सुकलेसानिव्वत्ती, एवं जाव वेमाणियाणं Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 614 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः जस्स जइ लेस्सायो 21 / कइविहा णं भंते ! दिविनिव्वती पन्नत्ता ?, गोयमा ! तिविहा दिट्ठीनिव्वत्ती पन्नत्ता ?, तंजहा-सम्मादिटिनिव्वत्ती मिच्छादिविनिवत्ती सम्मामिच्छदिट्ठीनिव्वत्ती, एवं जाव वेमाणियाणं जस्स जइविहा दिट्ठी 22 / कतिविहा णं भंते ! णाणनिव्वत्ती पत्नत्ता ?. गोयमा ! पंचविहा णाणनिबत्ती पन्नता, तंजहा-श्राभिणिबोहिय-णाणनिव्वत्ती जाव केवलनाणनिव्वत्ती, एवं एगिदियवज्जं जाव वेमाणियाणं जस्स जइ णाणा 23 / कतिविहा णं भंते ! अन्नाणनिव्वत्ती पन्नत्ता ?, गोयमा ! तिविहा अन्नाणनिव्वत्ती पत्नत्ता, तंजहा-मइअन्नाणनिव्वत्ती सुयबन्नाणनिव्वत्ती विभंगनाणनिव्वत्ती, एवं जस्स जइ अन्नाणा जाव वेमाणियाणं 24 / कइविहा णं भंते ! जोगनिव्वत्ती पत्नत्ता ?, गोयमा ! तिविहा जोगनिव्वत्ती पन्नत्ता, तंजहा-मणजोगनिव्वत्ती वयजोगनिव्वत्ती कायजोगनिव्वत्ती, एवं जाव वेमाणियाणं जस्स जइविहो जोगो 25 / कइविहा भंते ! उवयोगनिव्वत्ती पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा उपयोगनिव्वत्ती पन्नत्ता, तंजहा-सागारोवयोगनिव्वत्ती अणागारोव योगनिव्वत्ती, एवं जाव वेमाणियाणं 26 / [ अत्र सङ्ग्रहगाथे वाचनान्तरे-जीवाणं निव्वत्ती कम्मप्पगडी सरीरनिव्वत्ती। सविदियनिबत्ती भासा य मणे कसाया य // 1 // वन्ने गंधे रसे फासे संगणविही य होइ बोद्धव्यो। लेसादिट्ठीणाणे उपयोगे चेव जोगे य // 2 // ] सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ / / सूत्रं 656 // // इति एकोनविंशतितमशतके अष्टम उद्देशकः // 19-8 // ॥अथ एकोनविंशतितमशतके करणाख्य-नवमोद्देशकः॥ ___कहविहे गं भंते ! करणे पराणते ?, गोयमा ! पंचविहे करणे पन्नत्ते, तंजहा-दबकरणे खेत्तकरणे कालकर भवकरणे भावकरणे 1 / नेरइयाणं भंते ! कतिविहे करणे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविहे करणे पन्नत्ते, Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ / एवं जावो चउन्वित करणे छब्बित को नपुंसक श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 19 :: उद्देशकः 9] [615 तंजहा-दव्वकरणे जाव भावकरणे एवं जाव वेमाणियाणं 2 / कतिविहे णं भंते ! सरीरकरणे पन्नते ?, गोयमा ! पंचविहे सरीरकरणे पन्नत्ते, तंजहाबोरालियसरीरकरणे जाव कंम्मगसरीरकरणे य, एवं जाव वेमाणियाणं जस्स जइ सरीराणि 3 / कइविहे णं भंते ! इंदियकरणे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविहे इंदियकरणे पन्नत्ते, तंजहा-सोइंदियकरणे जाव फासिदियकरणे 4 / एवं जाव वेमाणियाणं जस्स जइ इंदियाई, एवं एएणं कमेणं भासाकरणे चउबिहे मणकरणे चउब्विहे, कसायकरणे चउन्विहे, समुग्धायकरणे सत्तविहे, सन्नाकरणे चउविहे, लेसाकरणे छबिहे, दिद्विकरणे तिविहे, वेदकरणे तिविहे पन्नत्ते, तंजहा-इत्थिवेदकरणे पुरिसवेदकरणे नपुसकवेदकरणे 5 / एए सब्वे नेरइयादी दंडगा जाव वेमाणियाणं जस्स जं अत्थि तं तस्स सव्वं भाणियव्वं 6 / कतिविहे णं भंते ! पाणाइवायकरणे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविहे पाणाइवायकरणे पन्नत्ते, तंजहा-एगिदियपाणाइवायकरणे जाव पंचिंदियपाणाइवायकरणे, एवं निरवसेसं जाव वेमाणियाणं 7 / कइविहे णं भंते ! पोग्गलकरणे पन्नते ?, गोयमा ! पंचविहे पोग्गलकरणे पन्नत्ते, तंजहा-वनकरणे गंधकरणे रसकरणे फासकरणे संठाणकरणे 8 / वन्नकरणे णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-कालवन्नकरणे जाव सुकिल्लवन्नकरणे 1 / एवं भेदो, गंधकरणे दुविहे रसकरणे पंचविहे, फासकरणे अट्ठविहे 10 / संगणकरणे णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-परिमंडलसंठाणे जाव थायतसंठाणकरणेत्ति 11 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 12 // सूत्रं 660 // 11-1 // Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 616] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: तृतीयो विभागः ॥अथ एकोनविंशतितमशतके वाणव्यन्तराख्य-दशमोद्देशकः॥ वाणमंतराणं भंते ! सव्वे समाहारा, एवं जहा सोलसमसए दीव. कुमारुद्द सो जाव अप्पड्डियत्ति 1 / सेवं भंते 2 त्ति जाव विहरति 2 // सूत्रं 661 // 11-10 // एकूणवीसतिमं सयं समत्तं // // इति एकोनविंशतिमं शतकम् // 19 // ॥अथ विंशतितमशतके द्वीन्द्रियाख्य-प्रथमोद्देशकः॥ बेइंदिय 1 मागासे 2 पाणवहे 3 उवचए 4 य परमाणू 5 / अंतर 6 बंधे 7 भूमी 8 चारण 1 सोवकमा 10 जीवा // 1 // रायगिहे जाव एवं क्यासी-सिय भंते ! जाव चत्तारि पंच बेंदिया एगययो साहारणसरीरं बंधति 2 तो पच्छा श्राहारेंति वा परिणामेति वा सरीरं वा बंधति ?, णो तिण? सम?, बेदिया णं पत्तेयाहारा पत्तेयपरिणामा पत्तेयसरीरं बंधति 2 तो पच्छा श्राहारेंति वा परिणामेति वा सरीरं वा बंधति 1 / तेसि णं भंते ! जीवाणं कति लेस्सागो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! तो लेस्सा पन्नत्ता, तंजहा-कराहलेस्सा नीललेस्सा काउलेस्सा 2 / एवं जहा एगूणवीसतिमे सए तेऊकाइयाणं जाव उव्वटुंति, नवरं सम्मदिट्ठीवि मिच्छादिट्ठीवि नो सम्मामिच्छदिट्ठीवि, दो नाणा दो अन्नाणा नियम, नो मणजोगी वयजोगीवि कायजोगीवि, श्राहारो नियम छदिसि 3 / तेसि णं भंते ! जीवाणं एवं सन्नाति वा पन्नाति वा मणेति वा वइति वा अम्हे णं इट्टाणि? रसे इटाणिठे फासे पडिसंवेदेमो ?, णो तिणढे सम8, पडिसंवेदेति पुण ते, ठिती जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बारस संवच्छराई, सेसं तं चेव 4 / एवं तेइंदियावि, एवं चउरिदियावि, नाणत्तं इंदिएसु ठितीए य सेसं तं चेव ठिती जहा पन्नवणाए 5 / सियभंते ! जाव चत्तारि पंच पंचिंदिया Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 20 :: उद्देशकः 1 ] [617 एगयो साहारणं, एवं जहा बेंदियाणं नवरं छल्लेसायो दिट्ठी तिविहावि चत्तारि नाणा तिन्नि अन्नाणा भयणाए तिविहो जोगो 6 / तेसि णं भंते ! जीवाणं एवं सन्नाति वा पनाति वा जाव वतीति वा अम्हे णं श्राहारमाहारेमो?, गोयमा! अत्थेगइयाणं एवं सन्नाइ वा पन्नाइ वा मणोइ वा वतीति वा अम्हे णं याहारमाहारेमो अत्थेगइयाणं नो एवं सन्नाति वा जाववतीति वा अम्हे णं याहारमाहारेमो याहारेंति पुरण ते 7 / तेसि णं भंते ! जीवाणं एवं सन्नाति वा जाववइति वा अम्हे णां इट्टाणिढे सद्दे इटाणिढे रूवे इट्टाणि? गंधे इटाणि? रसे इटाणि? फासे पडिसंवेदेमो ?, गोयमा ! अत्थेगतियाणं एवं सन्नाति वा जाव वयीति वा अम्ह णं इटाणि? सद्दे जाव इठ्ठाणि? फासे पडिसंवेदेमो अत्थेगतियाणं नो एवं सन्नाइ वा जाव वयीइ वा अम्हे णं इटाणि? सद्दे जाव इटाणि8 फासे पडिसंवेदेमो पडिसंवेदेति पुण ते = / ते णं भंते! जीवा किं पाणाइवाए उववखाविजंति जाव मिच्छादसणसल्ले उवस्खाइज्जति ?, गोयमा ! अत्थेगतिया पाणातिवाएवि उववखाइज्जति जाव मिच्छादंसणसल्लेवि उववखाइज्जंति, अत्थेगतिया नो पाणाइवाए उवक्खातिन्जंति नो मुसावाए उवक्खातिजति जाव नो मिच्छादसणसल्ले उवक्खातिज्जति 1 / जेसिपि णं जीवाणं ते जीवा एवमाहिज्जंति तेसिपि णं जीवाणं अत्येगतियाणं विनाए नाणत्ते अत्थेगतियाणं नो विराणाए नो नाणत्ते, उववायो सव्वयो जाव सम्वट्ठसिद्धाश्रो ठिती जहन्नेणं अंतोमुहुर्त उकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं छस्समुग्धाया केवलिवजा उज्वट्टणा सव्वस्थ गच्छंति जाव सम्वट्ठसिद्धति, सेसं जहा दियाj 10 / एएसि णं भंते ! बेइंदियाणं पंचिंदियाणं कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा पंचिंदिया चरिंदिया विसेसाहिया तेइंदिया विसेसाहिया बेइंदिया विसेमाहिया 11 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव विहरति 12 // सूत्रं 662 / / 20-1 // Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 618 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विमागः // अथ विंशतितमशतके आकाशाख्य-द्वितीयोद्देशकः // ... कइविहे णं भंते ! यागासे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे यागासे पन्नत्ते, तंजहा-लोयागासे य अलोयागासे य 1 / लोयागासे णं भंते ! किं जीवा जीवदेसा ?, एवं जहा बितियसए अस्थिउद्दे से तह चेव इहवि भाणियव्वं 2 / नवरं अभिलावो जाव धम्मत्थिकाए णं भंते ! केमहालए पन्नत्ते ?, गोयमा ! लोए लोयमेत्ते लोयप्पमाणे लोयफुडे लोयं चेव श्रोगाहित्ताणं चिट्ठति, एवं जाव पोग्गलस्थिकाए 3 / अहेलोए णं भंते ! . धम्मत्थिकायस्स केवतियं योगाढे ?, गोयमा ! सातिरेगं यद्धं श्रोगाढे 4 / एवं एएणं अभिलावेणं जहा वितियसए जाव ईसिपब्भारा णं भंते ! पुढवी लोयागासस्स कि संखेजइभागं श्रोगाढा असंखेजइभागं योगाढा संखेज्जे भागे योगाढा असंखेज्जे भागे भोगाढा सव्वलोयं श्रोगाढा ? पुच्छा, गोयमा ! नो संखेजइभागं योगाढा असंखेजइभागं योगाढा नो संखेज्जे भागे श्रोगाढा नो असंखेज्जे भागे नो सव्वलोयं योगाढा सेसं तं चेव 5 // सूत्रं 663 // धम्मस्थिकायस्स णं भंते ! केवइया अभिवयणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणेगा अभिवयणा पन्नत्ता, तंजहा-धम्मेइ वा धम्मस्थिकायेति वा, पाणाइवायवेरमणाइ वा मुसावायवेरमणेति एवं जाव परिग्गहवेरमणेति वा, कोहविवेगेति वा जाव मिच्छादसणसल्लविवेगेति वा, ईरियासमितीति वा भासासमिए एसणासमिए अायाणभंडमत्तनिक्खेवणसमिए उच्चार-पासवणखेलजल्ल-सिंघाण-पारिट्टावणियासमितीति वा, मणगुत्तीति वा वइगुत्तीति वा कायगुत्तीति वा, जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वे ते धम्मस्थिकायस्स अभिवयणा 1 / अधम्मत्थिकायस्स णं भंते ! केवतिया अभिवयणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! श्रणेगा अभिवयणा पन्नत्ता, तंजहा-अधम्मेति वा अधम्मत्थिकाएति वा पाणाइवाएति वा जाव मिच्छादसणसल्लेति वा, इरियाअस्समितीति वा Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 20 : उद्देशकः 2] / 616 जाव उच्चार-पासवण जाव पारिट्ठावणियाअस्समितीति वा, मणश्रगुत्तीति वा वइयगुत्तीति वा कायग्रगुत्तीति वा, जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वे ते अधम्मत्थिकायस्स अभिवयणा 2 / अागासस्थिकायस्स णं पुच्छा, गोयमा ! यणेगा अभिवयणा पन्नत्ता, तंजहा-यागासेति वा पागासस्थिकायेति वा गगणेति वा नभेति वा समेति वा विसमेति वा खहेति वा विहेति वा वीयीति वा विवरेति वा यबरेति वा अंबरसेत्ति वा छिड्डेत्ति वा झुसिरेति वा मग्गेति वा विमुहेति वा अदति (अट्टइ) वा वियद्दति (वियट्ट इ) वा श्राधारेति वा भायणेति वा अंतरिक्खेति वा सामेति वा उवासंतरेइ वा फलिहेइ वा अगमिइ वा यणंतेति वा, जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वे ते यागासत्थिकायस्स अभिवयणा 3 / जीवत्थिकायस्स णं भंते ! केवतिया अभिवयणा पन्नत्ता, गोचमा ! अणेगा अभिवयणा पत्नत्ता, तंजहाजीवेति वा जीवत्थिकायेति वा भूएति वा सत्तेति वा विन्नूति वा चेयाति वा जेयाति वा यायाति वा रंगणाति वा हिंडुएति वा पोग्गलेति वा माणवेति वा कत्ताति वा विकत्ताति वा जएति वा जंतुति वा जोणिति वा सयंभूति वा ससरीरीति वा नायएति वा यंतरप्पाति वा जे यावन्ने तहप्पगारा मव्वे ते जाव अभिवयणा 4 / पोग्गलत्थिकायस्स णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! अणेगा अभिवयणा पन्नत्ना, तंजहा-पोग्गलेति वा पोग्गलत्थिकायेति वा परमाणुपोग्गलेति वा दुपएसिएति वा तिपएसिएति वा जाव असंखेजपएसिएति वा अणंतपएसिएति वा, जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वे ते पोग्गलत्थिकायस्त अभिवयणा 5 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 6 // सूत्रं 664 // // इति विंशतितमशतके द्वितीय उद्देशकः // 20-2 // Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 620 / . . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः // अथ विंशतितमशतके प्राणवधाख्य-तृतीयोद्देशकः / / अह भंते ! पाणाइवाए मुसावाए जाव मिच्छादसणसल्ले, पाणातिवायवेरमणे जाव मिच्छादसणसल्लविवेगे, उप्पत्तिया जाव पारिणामिया, उग्गहे जाव धारणा, उटाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसकारपरकमे नेरइयत्ते असुरकुमारत्ते जाव वेमाणियत्ते, नाणावरणिज्जे जाव अंतराइए, कराहलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा, सम्मदिट्ठी 3 चक्खुदंसणे 4 श्राभिणिबोहियणाणे जाव विभंगनाणे, आहारसन्ना 4 बोरालियसरीरे 5 मणजोग 3 सागारोवयोगे श्रणागारोवयोगे, जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वे ते णरणत्थ पायाए परिणमंति ?, हंता गोयमा ! पाणाइवाए जाव सव्वे ते णराणस्थ आयाए परिणमंति // सूत्रं 665 // जीवे णं भंते ! गभं वक्कममाणे कतिवन्नं एवं जहा बारसमसए पंचमुद्दे से जाव कम्मयो णं जए णो अकम्मयो विभत्तिभावं परिणमति 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 2 // सूत्रं 666 // 20-3 // // अथ विंशतितमशतके उपचयाख्य-चतुर्थोद्देशकः।। ___कइविहे णं भंते ! इंदियउवचए पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविहे इंदियोवचए पनत्ते, तंजहा-सोइंदियउवचए एवं बितियो इंदियउद्दे सो निरवसेसो भाणियब्वो जहा पन्नवणाए 1 / सेवं भंते ! 2 त्ति भगवं गोयमे जाव विहरति 2 // सूत्रं 667 // 20-4 // // अथ विंशतितमशतके परमाणुनामक-पञ्चमोद्देशकः // परमाणुपोग्गले णं भंते! कतिवन्ने कतिगंधे कतिरसे कतिफासे पन्नत्ते?, गोयमा ! एगवन्ने एगगंधे एगरसे दुफासे पन्नत्ते, तंजहा-जइ एगवन्ने सिय कालए सिय नीलए सिय लोहिए सिय हालिद्दे सिय सुकिल्ले, जइ एगगंधे सिय सुब्भिगंधे सिय दुन्भिगंधे, जइ एगरसे सिय तित्ते सिय कडुए सिय कसाए Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 20 :: उद्देशकः 4 ] [621 सिय अंबिले सिय महुरे, जइ दुफासे सिय सीए य निद्धे य 1 सिय सीए य लुक्खे य 2 सिय उसिणे य निद्धे य 3 सिय उसिणे य लुक्खे य 4, 1 / दुप्पएसिए णं भंते ! खंधे कतिवन्ने ? एवं जहा अट्ठारसमसए छठ्ठदेसए जाव सिय चउफासे पन्नत्ते, जइ. एगवन्ने सिय कालए जाव सिय सुकिल्लए जइ दुवन्ने सिय कालए नीलए य 1 सिय कालए य लोहिए य 2 सिय कालए य हालिद्दए य 3 सिय कालए य सुकिल्लए य 4 सिय नीलए लोहिए 5 सिय नीलए हालिदए 6 सिय नीलए य सुकिल्लए य 7 सिय लोहिए य हालिद्दए य 8 सिय लोहिए य सुकिलए य 1 सिय हालिद्दए य सुकिल्लए य 10 एवं ए दुयासंजोगे दस भंगा 2 / जइ एगगंधे सिय सुन्भिगंधे 1 सिय दुन्भिगंधे य 2 जइ दुगंधे सुन्भिगंधे ये रसेसु जहा वन्नेसु, जइ दुफासे सिय सीए य निद्धे य एवं जहेव परमाणुपोग्गले 4, जइ तिफासे सव्वे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे 1 सब्वे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे 2 सव्वे निद्धे देसे सीए देसे उसिणे 3 सव्वे लुक्खे देसें सीए देसे उसिणे 4 जइ चउफासे देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे 1 एए नव भंगा फासेसु 3 / तियएसिए णं भंते ! खंधे कतिवन्ने जहा अट्ठारसमसए छठ्ठदेसे जाव चउफासे पन्नत्ते, जइ एगवन्ने सिय कालए जाव सुकिल्लए. 5, जइ दुवन्ने सिय कालए य सिय नीलगे य 1 सिय कालगे य नीलगा य 2 सिय कालगा य नीलए य 3 सिय कालए य लोहियए य 1 सिय कालए य लोहीयगा य 2 सिय कालगा य लोहियए य 3, एवं हालिदएणवि समं भंगा 3, एवं सुकिल्लएणवि समं 3, सिय नीलए य लोहियए य एत्थंपि भंगा 3, एवं हालिदएणवि समं भंगा 3, एवं सुकिल्लेणवि समं भंगा 3, सिय लोहियए य हालिदए य भंगा 3, एवं सुकिल्लेणवि समं 3, सिय हालिहए य सुकिल्लए य भंगा 3, एवं सब्वे ते दस दुयासंजोगा भंगा तीसं. भवंति, जइ तिवन्ने सिय कालए Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 622 / . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः। तृतीयो विमागः य नीलए य लोहियए य 1 सिय कालए य नीलए य हालिद्दए य 2 सिय कालए य नीलए य सुकिल्लए य 3 सिय कालए य लोहियए य हालिइए य 4 सिय कालए य लोहियए य सुकिल्लए य 5 सिय कालए य हालिद्दए य सुकिल्लए य 6 सिय नीलए य लोहियए य हालिद्दए य 7 सिय नीलए य लोहिए य सुकिल्लए य 8 सिय नीलए य हालिदए य सुकिल्लए य 1 सिय लोहिए य हालिदए य सुकिल्लए य 10 एवं एए दस तियासंजोगा 4 / जइ एगगंधे सिय सुभिगंधे 1 सिय दुभिगंधे 2 जइ दुगंधे सिय सुब्भिगंधे य दुब्भिगंधे य भंगा 3, 5 / रसा जहा वन्ना 6 / जइ दुफासे सिय सीए य निद्धे य एवं जहेव दुपएसियस्स तहेव चत्तारि भंगा 4, जइ तिफासे सब्वे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे 1 सव्वे सीए देसे निद्धे देसा लुक्खा 2 सब्वे सीए देसा निद्धा देसे लुक्वे 3 सव्वे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे 3 एत्थवि भंगा तिन्नि, सव्वे निद्धे देसे सीए देसे उसिणे भंगा तिन्नि 1, सव्वे लुक्खे देसे सीए देसे उसिणे भंगा तिन्नि एवं 12, जइ चउफासे देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे 1 देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्रे देसा लुक्खा 2 देसे सीए देसे उसिणे देसा निद्धा देसे लुक्खे 3 देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्धे देसे लुक्खे 4 देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्धे देसा लुक्खा 5 देसे सीए देसा उसिणा देसा निद्धा देसे लुक्खे 6 देसा सीया देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे 7 देसा सीया देसे उसिणे देसे निद्रे देसा लुक्खा 8 देसा सीया देसे उसिणे देसा निद्धा देसे लुक्खे 1, एवं एए तिपएसिए फासेसु पणवीसं भंगा 7 / चउप्पएसिए णं भंते ! खंधे कतिवन्ने? जहा अट्ठारसमसए जाव सिय चउफासे पन्नत्ते, जइ एगवन्ने सिय कालए य जाव सुकिल्लए 5, जइ दुवन्ने सिय कालए य नीलगे य 1 सिय कालगे य नीलगा य 2 सिय कालगा य नीलगे य 3 सिय कालगा य नीलगा य 4 सिय कालए य Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 20 :: उद्देशकः 4] [623 लोहियए य, एत्थवि चत्तारि भंगा 4, सिय कालए य हालिद्दए य 4 सियकालए य सुकिले य 4 सिय नीलए य लोहियए य 4 सिय नीलए य हालिद्दए य 4 सिय नीलए य सुकिल्लए य 4 सिय लोहियए य हालिद्दए य 4 सिय लोहियए य सुकिल्लए य 4 सिय लोहियए य हालिदए य 4 सिय लोहियए य सुकिल्लए य 4 सिय हालिदए य सुकिल्लए य 4, एवं एए दस दुयासंजोंगा भंगा पुण चत्तालीसं 40, जइ तिवन्ने सिय कालए य नीलए य लोहियए य 1 सिय कालए नीलए लोहियगा य 2 सिय कालगा य नीलगा य लोहियए य 3 सिय कालगा य नीलए य लोहियए य एए भंगा 4, एवं कालनीलहालिदएहिं भंगा 4 कालनीलसुकिल्ल 4 . काललोहियहालिद 4 काललोहियसुकिल्ल 4 कालहालिदसुकिल्ल 4 नीललोहियहालिदगाणं भंगा 4 नीललोहियसुकिल्ल. 4 नीलहालिदसुकिल्ल 4 लोहिय-हालिद-सुकिल्लगाणं भंगा 4, एवं एए दसतियासंजोगी एक्केक्के संजोए चत्तारि भंगा सव्वे ते चत्तालीसं भंगा 40. जइ चउवन्ने सिय कालए नीलए लोहिय हालिदए य 1 सिय कालए नील लोहिए सुकिल्लए 2 सिय कालए नीलए हालिदए सुकिल्ल 3, सिय कालए लोहिए हालिद्दए सुकिल्लए 4 सिय नीलए लोहियए हालिद्दए सुकिल्लए 5 एवमेते चउक्गसंजोए पंच भंगा एए सब्वे नउइभंगा 8 | जइ एगगंधे सिय सुब्भिगंधे सिय दुब्भिगंधे य जइ दुगंधे सिय सुभिगंधे य सिय दुभिगंधे य 1 / रसा जहा वन्ना 10 / जइ दुफासे जहेव परमाणुपोग्गले 4, जइ तिफासे सव्वे सीय देसे निद्धे देसे लुक्खे 1 सव्वे सीए देसे निद्धे देसा लुक्खा 2 सव्वे सीए देसा निद्धा देसे लुक्खे 3 सव्वे सीए देसा निद्धा देसा लुक्खा. 4 सव्वे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे एवं भंगा 4 सव्वे निद्धे देसे सीए देसे उसिणे 4 सव्वे लुक्खे देसे सीए देसे उसिणे 4 एए तिफासे सोलसभंगा, जइ चउफासे Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 624 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे 1 देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसा लुक्खा 2 देसे सीए देसे उसिणे देसा निद्धा देसे लुक्खे 3 देसे सीए देसे उमिणे देसा निद्धा देसा लुक्खा 4 देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्धे देसे लुक्खे 5 देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्धे देसा लुक्खा 6 देसे सीए देसा उसिणा देसा निद्धा देसे लुक्खे 7 देसे सीए देसा उसिणा देसा निद्धा देसा लुक्खा 8 देसा सीया देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे 1, एवं एए चउफासे सोलस भंगा भाणियव्वा जाव देसा सीया देसा उसिणा देसा निद्धा देसा लुक्खा सब्वे एते फासेसु छत्तीसं भंगा 11 / पंचपएसिए णं भंते ! खंधे कतिवन्ने जहा अट्ठारसमसए जाव सिय चउफासे पन्नत्ते, जइ एगवन्ने एगवन्नदुवन्ना जहेब चउप्पएसिए, जइ तिवन्ने सिय कालए नीलए लोहियए य 1 सिय कालए नीलए लोहिया य 2 सिय काल नीलगा य 3 लोहिए य 3 सिय कालए नीलगा य लोहियगा य 4 सिय काल नीलए य लोहियए य 5 सिय कालगा य नीलगे य लोहियगा य 6 सिय कालगा नीलगा य लोहियए य 7 सिय कालए नीलए हालिद्दए य एत्थवि सत्त भंगा 7, एवं कालग-नीलग-सुकिल्लएसु सत्त भंगा, कालग-लोहिय-हालिद्देसु 7 कालग-लोहिय-सुकिल्लेसु 7 कालग-हालिद-सुकिल्लेसु 7 नीलग-लोहिय-हालिबेसु 7 नीलग-लोहियसुकिल्लेसु सत्त भंगा 7 नीलग-हालिह-सुकिल्नेसु 7 लोहिय-हालिदसुकिल्लेसुवि सत्त भंगा 7 एवमेते तियासंजोए एए सत्तरि भंगा, जइ चउवन्ने सिय कालए य नीलए लोहियए हालिदए य 1 सिय कालए य नीलए य लोहियए य हाल्लिद्दगा य 2 सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिदगे य 3 सिय कालए नीलगा य लोहियगे य हालिदगे य 4 सिय कालगा य नीलए य लोहियए य हालिदए य 5 एए पंच. भंगा, सिय कालए य नीलए य लोहियए य सुकिल्लए य एत्थवि पंच भंगा, एवं Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 20 :: उद्देशकः 4] [625 कालग-नीलग-हालिद-सुकिल्लेसुवि पंच भंगा, कालग-लोहिय-हालिद्दसुकिल्लएसुवि पंच भंगा 5, नीलग-लोहिय-हालिद-सुकिल्लेसुवि पंच भंगा एवमेते चउक्गसंजोएणं पणवीस भंगा, जइ पंचवन्ने कालए य नीलए लोहियए हालिदए सुकिल्लए सव्वमेते एकग-दुयग-तियग-वउक-पंचगसंजोएणं ईयालं भंगसयं भवति 12 / गंधा जहा चउप्पएसियस्स 13 / रसा जहा वन्ना 14 / फासा जहा चउप्पएसियस्स 15 / छप्पएसिए णं भंते ! खंधे कतिवन्ने ?, एवं जहा पंचपएसिए जाव सिय चउफासे पन्नत्ते, जइ एगवन्ने एगवन्नदुवन्ना जहा पंचपएसियस्स, जइ तिवन्ने सिय कालए य नीलए य लोहियए य एवं जहेब पंचपएसियस्स सत्त भंगा जाव सिय कालगा य नीलगा य लोहियए य 7 सिय कालगा य नीलगा य लोहियगा य 8 एए अट्ठ भङ्गा एवमेते दस तियासंजोगा एक्केक्कए संजोगे अट्ट भंगा एवं सव्वेवि तियगसंजोगे असीति भंगा, जइ चउवन्ने सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिदए य 1 सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिया य 2 सिय कालए य नीलए य लोहिया य हालिदए य 3 सिय कालगे य नीलगे य लोहियगा य हालिदए य 4 सिय कालगे य नीलगा य लोहियए य हालिद्दए य 5 सिय कालए य नीलगा य लोहियए हालिदगा य 6 सिय कालगे य नीलगा य लोहियगा य हालिदए य 7 सिय कालगा य नीलए य लोहियए य हालिदए य 8 सिय कालगा नीलए लोहियए हालिदगा य 1 सिय कालगा नीलगे लोहियगा य हालिदगे य 10 सिय कालगा य नीलगा य लोहियए य हालिदए य 11 एए एकारस भंगा, एवमेते पंचचउकसंजोगा कायव्वा एक्केकसंजोए एकारस भंगा सव्वे ते चउक्गसंजोएणं पणपन्नं भंगा जइ पंचवन्ने सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुकिल्लए य 1 सिय कालए य नीलए य लोहियए हालिदए सुकिलगा य 2 सिय Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 626 / . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : तृतीयो विभागः कालए नीलए लोहियए हालिदगा य सुकिल्लए य 3 सिय कालए नीलए लोहियगाहालिद्दए य सुकिल्लए 4 सिय कालए य नीलगाय लोहियए य हालिदए सुकिल्लए य 5 सिय कालगा नीलगे य लोहियगे य हालिदए य सुकिल्लए 6 एवं एए छन्भंगा भाणियव्वा, एवमेते सव्वेवि एकग-दुयग-तियग-चउक्कगपंचगसंजोगेसु छासीयं भंगसयं भवति 16 / गंधा जहा पंचपएसियस्स 17 / रसा जहा एयस्सेव 18 / वन्ना फासा जहा चउप्पएसियस्स. 16 / सत्तपएसिए णं भंते ! खंधे कतिवन्ने कतिगंधे कतिरसे कतिफासे पराणते ?, जहा पंचपएसिए जाव सिय चउफासे पन्नत्ते, जइ एगवन्ने एवं एगवन्नदुवराणतिवन्ना जहा छप्पएसियस्स, जइ चउवन्ने सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य 1 सिय कालए. य नीलए य लोहियए य हालिदगा य 2 सिय कालए य नीलए य लोहियंगा हालिदए 3 एवमेते चउक्गसंजोगेणं पन्नरस भंगा भाणियव्वा जाव सिय कालगा य नीलगा य लोहियगा य हालिदए य 15 एवमेते पंचचउकसंजोगा नेयव्वा एक्केक्के संजोए पन्नरस भंगा सबमेते पंचसत्तरि भंगा भवंति 20 / जइ पंचवन्ने सिय कालए य नीलए य लोहियए हालिद्दए सुकिल्लए 1 सिय कालए नीलए य लोहियए य हालिद्दगे य सुकिल्लगा य 2 सिय कालए य नीलए लोहियए हालिदगा य सुकिल्लए य 3 सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिदगा य सुकिल्लगा य 4 सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिद्दए य सुकिल्लए य 5 सिय कालए य नीलए य लोहियगा. य हालिदगे य सुकिल्लए य 6 सिय कालए य नीलए य लोहियगा यं हालिदगा य सुकिल्लए य 7 सिय कालए य नीलगा य लोहियगे य हालिदए य सुकिल्लएय 8 सिय कालगे य नीलगा य लोहियए य हालिद्दए य सुकि: ल्लमा य 1 सिय कालगे य नीलगा य लोहियगे हालिदगा सुकिल्लए य 10 सिथ कालए य नीलगा य लोहियगा य हालिदए य सुकिल्लए य 11 Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 20 : उद्देशकः 4 ) [627 सिय कालगा य नीलगे य लोहियए य हालिदए य सुकिल्लए य 12 सिय कालगा य नीलगे य लोहियगे य हालिहए य सुकिल्लगा य 13 सिय कालगा य नीलए य लोहियए य हालिदगा य सुकिल्लए य 14 सिय कालगाय नीलए य लोहियगा य हालिद्दए य सुकिल्लए य 15 सिय कालगा य नीलगा य लोहियए य हालिदए य सुकिल्लए य 16 एए सोलस भंगा, एवं सव्वमेते एकग-दुयग-तियग-चउक्कग-पंचगसंजोगेणं दो सोला भंगसया भवंति 21 / गंधा जहा चउप्पएसियस्स, रमा जहा एयस्स चेव वन्ना फासा जहा चउप्पएसियस्स 22 / अट्ठपएसियस्स णं भंते ! खंधे पुच्छा, गोयमा ! सिय एगवन्ने जहा सत्तपएसियस्स जाव सिय चउफासे पन्नत्ते, जइ एगवन्ने एवं एगवन्न वन्नतिवन्ना जहेव सत्तपएसिए, जइ चउवन्ने सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य 1 सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिदगा य 2, एवं जहेव सत्तपएसिए जाव सिय कालगा य नीलगा य लोहियगा य हालिदगे य 15 सिय कालगा य नीलगा य लोहियगा य हालिदगा य 16 एए सोलस भंगा, एवमेते पंच चउकसंजोगा, एवमेते असीति भंगा 80, जइ पंचवन्ने सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिदए य सुकिल्लए य 1 सिय कालए य नीलगे य लोहियगे य हालिदगे य सुकिल्लगा य 2, एवं एएणं कमेणं भंगा चारेयव्वा जाव सिय कालए य नीलगा य लोहियगा य हालिदगा य सुकिल्लगे य 15 एसो पनरसमो भंगो सिय कालगा य नीलगे य लोहियगे य हालिहए य सुकिल्लए य 16 सिय कालगा य नीलगे य लोहियगे य हालिदगे य सुकिल्लगा य 17 सिय कालगा य नीलगे य लोहियगे य हालिदगा य सुकिल्लए य 18 सिय कालगा य नीलगे य लोहियगे य हालिदगा य सुकिल्लगा य 11 सिय कालगा य नीलगे य लोहियगा य हालिद्दए य सुकिल्लए य 20 सिय कालगा य नीलगे य लोहियगा य हालिदए Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 628 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः य सुकिल्लए य 21 सिय कालगा य नीलगे य लोहियगा य हालिदगा य सुकिल्लए य 22 सिंय कालगा य नीलगा य लोहियंगे य हालिदए य सुकिल्लए य 23 सिय कालगा य नीलगा य लोहियगे य हालिदए य सुकिल्लगा य 24 सिय कालंगा य नीलगा य लोहियगे य हालिदगा य सुकिल्लए य 25 सिय कालगा य नीलगा य लोहियगा य हालिदए य सुकिल्लए य 26 एए पंचसंजोएणं छब्बीसं भंगा भवंति, एवमेव सपुत्वावरेणं एकगदुयग तियगचउकग-पंचगसंजोएहिं दो एकतीसं भंगासया भवंति 23 / गंधा जहा सत्तपएसियस्स, रसा जहा एयस्स चेव वन्ना, फासा जहा चउप्पएसियस्स 24 / नवपएसियस्स पुच्छा, गोयमा ! सिय एगवन्ने जहा अपएसिए जाव सिय चउफासे पन्नत्ते, जइ एगवन्ने एगवन्न-दुवन्न-तिवन्नचउवन्ना जहेव अट्ठपएसियस्स, जइ पंचवन्ने सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिदए य सुकिल्लए य 1 सिय कालगे य नीलगे य लोहियए य हालिद्दए य सुकिलगा य 2 एवं परिवाडीए एकतीसं भंगा भाणियबा, एवं एकम-दुयग-तियग-चउकग-पंचगसंजोएहिं दो छत्तीसा भंगसया भवंति 21 / गंधा जहा अट्टपएसियस्स, रसा जहा एयस्स चेव वन्ना, फासा जहा चउपएसियस्स 26 / दसपएसिए णं भंते ! खंधे पुच्छा, गोयमा ! सिय एगवन्ने जहा नवपएसिए जाव सिय चउफासे पन्नत्ते, जइ एगवन्ने एगवन्न-दुवन्न-तिवन्न-चउवन्ना जहेव नवपएसियस्स, पंचवन्नेवि तहेव नवरं बत्तीसतिमो भंगो भन्नति, एवमेते एकग-दुयग-तियग-चउकग-पंचगसंजोएसु दोन्नि सत्ततीसा भंगसया भवंति 27 / गंधा जहा नवपएसियस्स रसा जहा एयस्स चेव वन्ना, फासा जाव चउप्पएसियस्स 28 / जहा दसपएसियो एवं संखेजपएसियोवि, एवं असंखेजपएसियोवि, सुहुमपरिणश्रोवि अणंतपएसियोवि एवं चेव 21 // सूत्रं 668 // बायरपरिणए णं भंते ! अणतपएसिए खंधे कतिवन्ने एवं जहा Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 20 // उद्देशकः 5 ] [ 626 अट्ठारसमसए जाव सिय अठ्ठफासे पन्नत्ते वन्नगंधरसा जहा दसपएसियस्स, जइ चउफासे सब्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे सीए सव्वे निद्धे 1 सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सब्वे सीए सब्वे लुक्खे 2 सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सब्वे उसिणे सव्वे निद्रे 3 सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे सीए सव्वे लुवखे 4 सब्वे कक्खडे सब्वे लहुए सव्वे सीए सव्वे लुक्खे 5 सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सब्वे सीए सव्वे लुक्खे 6 सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे उसिणे सव्वे निद्धे 7 सब्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे उसिणे सव्वे लुक्खे 8 सव्वे मउए सव्वे गरुए सव्वे सीए सव्वे निद्धे 1 सव्वे मउए सब्वे गरुऐ सब्वे सीए सव्वे लुक्खे 10 सब्वे मउए सव्वे गरुए सव्वे उसिणे सव्वे निद्धे 11 सव्वे मउए सब्वे गरुए सब्वे उसिणे सव्वे लुक्खे 12 सव्वे मउए सब्वे लहुए सव्वे सीए सव्वे निद्रे 13 सव्वे मउए सव्वे लहुए सव्वे सीए सव्वे लुक्खे 14 सव्वे मउए सब्वे लहुए सव्वे उसिणे सव्वे निद्धे 15 सव्वे मउए सव्वे लहुए सब्वे उसिणे सब्वे लुक्खे 16 एए सोलस भंगा 1 / जइ पंचफासे सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे 1 सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सब्वे सीए देसे निद्धे देसा लुक्खा 2 सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे सीए देसा निद्धा देसे लुक्खे 3 सव्वे करावडे सव्वे गरुए सव्वे सीए देसा निद्धा देसा लुक्खा 4 सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे 4 सव्वे कक्खडे सब्वे लहुए सव्ये सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे 4 सब्वे कक्खड़े सव्वे लहुए सव्वे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे 4, एवं एए कक्खडेणं सोलस भंगा 2 / सव्वे मउए सव्वे गरुए सव्वे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे 4 एवं मउएणवि सोलस भंगा एवं बत्तीसं भंगा 3 / सव्वे काखडे सव्वे गरुए सब्वे निद्धे देसे सीए देसे उसिणे 4 सब्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे लुक्खे देसे सीए देसे उसिणे 4 एए बत्तीसं भंगा 4 / सव्वे कक्खडे सव्वे सीए सब्वे निद्धे देसे गरुए देसे लहुए एस्थवि बनीमं भंगा 4, 5 / सव्वे गरुए सब्वे Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 630 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः सीए सब्वे निद्धे देसे कक्खडे देसे मउए एत्थवि बत्तीसं भंगा, एवं सव्वे ते पंचफासे अट्ठावीसं भंगसयं भवंति 6 / जइ छफासे सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे 1 सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसा लुक्खा 2 एवं जाव सब्वे कक्खडे सव्वे गरुए देसा सीया देसा उसिणा देसा निद्धा देसा लुक्खा 16 एए सोलस भंगा 7 / सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे एत्थवि सोलस भंगा, सब्वे मउए सब्वे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे एत्थवि सोलम भंगा. एए चउः सहि भंगा, सब्वे कक्खडे सव्वे निद्धे देसे गरुए देसे लहुए देसे निद्धे देसे लुक्खे एत्यवि चउसद्धिं भंगा, सव्वे कक्खडे मव्वे निद्धे देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे 1 जाव सव्वे मउए सव्वे लुक्खे देसा गरुया देसा लहुया देसा मीया देसा उसिणा 16 एए चउसट्टि भंगा, सब्वे गरुए सव्वे सीए देसे कक्खडे देसे मउए देसे निद्धे देसे लुक्खे एवं जाव सव्वे लहुए सव्वे उसिणे देसा कक्खडा देसा निद्धा देसा मउया देसा लुक्खा एए चउसट्टि भंगा, सब्वे गरुए सव्वे निद्धे देसे कक्खडे देसे मउए देसे सीए देसे उसिणे जाव सव्वे लहुए सव्वे लुक्खे देसा कक्खडा देसा मउया देसा सीया देसा उसिणा एए चउसढि भंगा, सव्वे सीए सव्वे निद्धे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए जाव सब्वे उसिणे सव्वे लुक्खे देसा कक्खडा देसा मउया देसा गरुया देसा लहुया एए चउसट्टि भंगा. सव्वे ते छफासे तिन्निचउरासीयं भंगसया भवंति 384, 8 / जइ सत्तफासे सव्वे कक्खडे देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुवखे 1 सव्वे कक्खडे देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसा निद्धा देसा लुक्खा 4 सव्वे कक्खडे देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्धे देसा लुक्खा 4 सव्वे कक्खडे देसे गरुए देसे लहुए देसा सीया Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 20 : उद्देशकः 5] [631 देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे 4 सव्वेते सोलस भंगा भाणियब्वा 1, सव्वे कक्खडे देसे गरुए देसा लहुया देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे एवं गरुएणं एगत्तेणं लहुएणं पुडुत्तेणं एतेवि सोलस भंगा 2, सब्वे कक्खडे देसा गरुया देसे लहुए देमे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे एएवि सोलस भंगा भाणियव्वा 3, सव्वे कक्खडे देसा गरुया देसा लहुया देसे सीए देमे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे एएवि सोलस भंगा भाणियया 4, एवमेते चउसट्टि भंगा काखडेणं समं, सब्चे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे 1 / एवं मउएणवि समं चउसद्धिं भंगा भाणियबा 1, सव्वे गरुए देसे कक्खडे देसे मउए देस सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे एवं गरुएणवि समं चउसद्धिं भंगा काय या 2, सव्वे लहुए देसे कक्खडे देसे मउए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे एवं लहुएणवि समं चउसटिं भंगा कायव्वा 3, सव्वे सीए देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुप देसे लहुए देसे निद्धे देसे लुक्खे एवं सीतेणवि समं चउसढि भंगा कायव्या 4, सव्वे उसिणे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे निद्धे देसे लुक्खे एवं उसिणेणवि समं चउसढि भंगा कायव्वा 5, सव्वे निद्धे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे एवं निद्रेणवि चउसर्टि भंगा कायया 6, सव्वे लुक्खे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देमे सीए देसे उसिणे एव लुक्खेणवि समं चउसट्टि भंगा कायव्वा जाव सव्वे लुक्खे देसा कक्खडा देसा मउया देसा गरुए देसा लहुए देसा सीया देसा उसिणा, एवं सत्तफासे पंचबारसुत्तरा भंगसया भवंति 10 / जइ अट्टफासे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गुरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे 4 देसे कक्खडे देमे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्रे देसे लुक्खे ? देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 632 ) ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः // तृतीयो विभागः देसे लहुए देसा सीया देसे उसिणे देमे निद्धे देसे लुक्खे 4 देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए. देसा सीया देसा उसिणा देसे निद्धे देसे लुक्खे 4 एए चत्तारि चउका सोलस भंगा 1, देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसा लहुया देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एवं एते गरुएणं एगत्तएणं लहुएणं पोहत्तएणं सोलस भंगा कायव्वा 2, देसे कक्खडे देसे मउए देसा गरुया देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे 4 एएवि सोलस भंगा कायव्वा 3, देसे कक्खडे देसे मउए देसा गरुया देसा लहुया देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे एतेवि सोलस भंगा कायव्वा 4, सव्वेऽवि ते चउसद्धिं भंगा कक्खडमउएहिं एगत्तएहिं, ताहे कक्खडेणं एगत्तएणं मउएणं पुहत्तेणं एते चउट्टि भंगा कायवा 11 / ताहे कक्खडेणं पुहत्तएणं मउएणं एगत्तएणं चउसर्टि भंगा कायवा 1, ताहे एतेहिं चेव दोहिवि पुहुत्तेहिं चउसट्टि भंगा कायव्वा 2, जाव देसा कक्खडा देसा मउया देसा गरुया देसा लहुया देसा सीया देसा उसिणा देसा निद्धा देसा लुक्खा एसो अपच्छिमो भंगो, सव्वेते अट्टफासे दो छप्पना भंगसया भवंति 12 / एवं एते बादरपरिणएं अणंतपएसिए खंधे सव्वेसु संजोएसु बारस छन्नउया भंगसया भवंति 13 // सू० 661 // कइविहे भंते ! परमाणु पनने ?, गोयमा ! चउब्विहे परमाणु पन्नत्ते, तंजहा-दव्बपरमाणू खेत्तपरमाणू कालपरमाणू भावपरमाणू 1 / दव्वपरमाणु णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ? गोयमा! चउबिहे पन्नत्ते, तंजहा-अच्छेज्जे अभेज्जे अडझे अगेज्मे 2 / खेत्तपरमाणू णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! चउविहे पन्नते, तंजहा-अणद्धे अमज्झे अपदेसे अविभाइमे 3 / कालपरमाणू पुच्छा, गोयमा ! चउविहे पन्नत्ते, तंजहा-अवन्ने अगंधे अरसे अफासे 4 / भावपरमाणू णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ?. गोयमा ! चउविहे पन्नत्ते, तंजहा-चन्नमंते गंधर्मते रसमंते फासमंते 5 / सेवं भते 2 Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 20 : उद्देशकः 6] / 633 त्ति जाव विहरति 6 // सूत्रं 670 // // इति विंशतितमशतके पञ्चम उद्देशकः // 20-5 // // अथ विंशतितमशतके अंतराख्य-षष्ठोद्देशकः // __पुढविकाइए णं भंते! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए सकरप्पभाए पुढवीए अंतरा समोहए समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे कप्पे पुढविकाइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते ! किं पुदि उववजित्ता पच्छा श्राहारेज्जा पुखि श्राहारित्ता पच्छा उववज्जेजा ?, गोयमा ! पुब्बि वा उववजित्ता एवं जहा सत्तरसमसए छठ्ठद्द से जाव से तेण? गां गोयमा ! एवं वुच्चइ पुब्बि वा जाव उववज्जेजा नवरं तहिं संपाउणेजा इमेहिं श्राहारो भन्नति सेसं तं चेव 1 / पुढविकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए सकरप्पभाए पुढवीए अंतरा समोहए जे भविए ईमाणे कप्पे पुढविकाइयत्ताए उववजित्तए एवं चेव एवं जाव ईसीप-भाराए उववाएयबो 2 / पुढविकाइए णं भंते ! सकरप्पभाए वालुयप्पभाए पुढवीए अंतरा समोहते 2 जे भविए सोहम्मे जाव ईसिपभाराए एवं एतेण कमेणं जाव तमाए अहेसत्तमाए य पुढवीए अंतरा समोहए समाणे जे भविए उववाएयव्वो 3 / पुढविकाइए णं भंते ! सोहम्मीसाणसणं कुमारमाहिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहए 2 जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुढविक्काइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते ! पुन्वि उववजित्ता पच्छा अाहारेजा सेसं तं चेव जाव से तेण?णं जाव णिवखेवो 4 / पुढविक्काइए णं भंते ! सोहम्मीसाणाणं सणंकुमारमाहिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहए 2 जे भविए सकरप्पभाए पुढवीए पुढविकाइयत्ताए उववजित्तर एवं चेव एवं जाव अहेसत्तमाए उववाएयव्वो 5 / एवं सणंकुमारमाहिदाणं बंभलोगस्स कप्पस्स अंतरा समोहए समोहणित्ता पुणरवि जाव आहे. सत्तमाए उववाएयव्यो, एवं बंभलोगस्स लंतगस्स य कप्पस्स अंतरा समोहए Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 634 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभागः पुणरवि जाव अहेसत्तमाए, एवं लंतगस्त महासुक्कस्स कप्पस्स य अंतरा समोहए पुणरवि जाव अहेसत्तमाए, एवं महासुक्कसहस्सारस्स य कप्पस्स अंतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए, एवं सहस्सारस्स ग्राणयपाणयकप्पाण अंतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए, एवं प्राणयपाणयाणं धारणअच्चुयाण य कप्पाणं अंतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए, एवं पारणच्चुयाणं गेवेजविमाणाण य अंतरा जाव अहेसत्तमाए, एवं गेवेजविमाणाणं अणुत्तरविमाणाण य अंतरा. पुणरवि जाव अहेसत्तमाए, एवं अणुत्तरविमाणणं ईसीपब्भाराए य पुणरवि जाव अहेसत्तमाए उववाएयब्वो 1, 6 .. // सू० 671 // पाउकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए सकरप्पभाए पुढवीए अंतरा समोहए 2 जे भविए सोहम्मे कप्पे पाउकाइयत्ताए उववजित्तए सेसं जहा पुढविकाइयस्स जाव से तेण?णं एवं पढमदोच्चाणं अंतरा समोहए जाव ईसीपब्भाराए उववाएयत्वो 1 / एवं एएणं कमेणं जाव तमाए अहेसत्तमाए य पुढवीए अंतरा समोहए 2 जाव ईसीपभाराए उववाएयवो पाउकाइयत्ताए 2 / पाउयाए णं भंते / सोहम्मीसाणाणं सणंकुमारमाहिंदाण य कप्पाणं यंतरा समोहए समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए घणोदधिवलएसु श्राउकाइयत्ताए उववजित्तए सेसं तं चेव एवं एएहि चेव अंतरा समोहयो जाव अहेसत्तमाए पुढवीए घणोदधिवलएसु अाउकाइयत्ताए उववाएयव्यो, एवं जाव अणुत्तरविमाणाणं ईसिपभाराए पुढबीए अंतरा समोहए जाव अहे सत्तमाए घणोदधिवलएसु उववाएयवो 3 // सू० 672 // वाउकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए सकरप्पभाए पुढवीए अंतरा समोहए समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे कप्पे वाउकाइयत्ताए उववजित्तए 1 / एवं जहा सत्तरसमसए वाउक्काइयउद्देसए तहा इहवि नवरं अंतरेसु समोहणा नेयव्वा सेसं तं चेव जाव अणुत्तरविमाणाणं ईसीपब्भासए य पुढवीए अंतरा समोहए समोहणित्ता 2 Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 20 :: उद्देशकः 7 ] [ 635 जे भविए घणवायतणुवाए घणवायतणुवायवलएसु वाउकाइयत्ताए उववजितए सेसं तं चेव जाव से तेणढणं जाव उबवज्जेजा 2 / सेवं भंते 2 त्ति जाव विहरति 3 // सूत्रं 673 // ( वाचनान्तराभिप्रायेण तु पृथिव्यवायुविषयत्वादुद्दे शकत्रयमिदमतोऽष्टमः // 8 // ) // इति विंशतितमशतके षष्ठ उद्देशकः // 20-6 // // अथ विंशतितमशतके बन्धाख्य-सप्तमोद्दशकः // - कइविहे णं भंते ! बंधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! तिविहे पन्नत्ते, तंजहाजीवप्पयोगबंधे अणंतरपयोगबंधे परंपरबंधे 1 / नेरइयाणं भंते ! कइविहे बंधे पन्नत्ते ? एवं चेव, एवं जाव वेमाणियाणं 2 / नाणावरणिज्जस्स णं भंते ! कम्मस्स कइविहे बंधे पन्नते ?, गोयमा ! तिविहे बंधे पन्नत्ते, तंजहा-जीवप्पयोगबंधे अणंतरबंधे परंपरबंधे 3 / नेरइयाणं भंते ! नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स कइविहे बंधे पन्नत्ते, एवं चेव जाव वेमाणियाणं, एवं जाव अंतराइयस्स 4 / णाणावरणिजोदयस्त णं भंते ! कम्मस्स कइविहे बंधे पन्नत्ते ?, गोयमा! तिविहे बंधे पन्नत्ते, एवं चेव एवं नेरइयाणवि एवं जाव वेमाणियाणं, एवं जाव अंतराइउदयस्स 5 / इस्थीवेदस्स णं भंते ! कइविहे बंधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! तिविहे बंधे पन्नत्ते, एवं चेव 6 / असुरकुमाराणं भंते ! इत्थीवेदस्स कतिविहे बंधे पन्नत्ते?, गोयमा ! तिविहे बंधे पन्नत्ते, एवं चेव एवं जाव वेमाणियाणं, नवरं जस्स इथिवेदो अस्थि, एवं पुरिसवेदस्सवि एवं नपुंसगवेदस्सवि, एवं जाव वेमाणियाणं, नवरं जस्स जो अत्थि वेदो 7 / दंसणमोहणिजस्स णं भंते ! कम्मस्स कइविहे बंधे पन्नत्ते ?, एवं चेव निरंतरं जाव वेमाणियाणं, एवं चरित्तमोहणिजस्सवि जाव वेमाणियाणं, एवं एएणं कमेणं बोरालियसरीरस्स जाव कम्मगसरीरस्स श्राहारसन्नाए जाव परिग्गहसन्नाए, कराहलेसाए जाद पुक्कलेसाए, सम्मदिट्ठीए मिच्छा Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 636 ) . ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभाग : दिट्ठीए सम्मामिच्छादिट्ठीए, आभिणिबोहियणाणरस. जाव केवलनाणस्स, मइअन्नाणस्स सुयअन्नाणस्स विभंगनाणस्स 8 / एवं आर्भिणिबोहियणाणविसयस्स भंते ! कइविहे बंधे पन्नत्ते ? जाव केवलनाणविसयस्स मइअन्नाणविसयस्स सुयअन्नाणविसयस्स विभंगणाणविसयस्स. एएसिं सब्वेसि पदाणं तिविहे बंधे पन्नत्ते, सव्वेऽवेते चउव्वीसं दंडगा भाणियव्वा, 1 / नवरं जाणियव्वं जस्स जइ अत्थि जाव वेमाणियाणं भंते ! विभंगणाणविसयस कइविहें बंधे पन्नते ?, गोयमा ! तिविहे बंधे पन्नत्तेजीवप्पयोगबंधे अणंतरबंधे परंपरबंधे 10 / इह सङ्ग्रहगाथे-जीवप्पयोगबंधे अणंतरपरंपरे बोधव्वे = | पगडी 8 उदए 8 वेए 3 दंसणमोहे चरिते य॥ 1 // थोरालिय-वेउब्बिय-याहारग-तेयकम्मए चेव / सन्ना 4 लेस्सा 6 दिट्ठी 3 नाणा ५-नाणेसु 3 तस्विसए 8 // 2 // सेवं भंते ! 2 जाव विहरति 11 // सूत्रं 674 // 20-7 // // अथ विंशतितमशतके भूमिनामकोऽष्टमोद्देशकः // ___कइ णं भंते ! कम्मभूमीश्रो पत्नत्तायो ?, गोयमा ! पन्नरस कम्मभूमीयो पन्नत्तायो, तंजहा-पंच भरहाई पंच एरवयाई पंच महाविदेहाई 1 / कति णं भंते ! अकम्मभूमीयो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! तीसं अम्मभूमीश्रो पन्नत्तायो, तंजहा-पंच हेमवयाई पंच हेरनवयाइं पंच हरिखासाई पंच रम्मगवासाइं पंच देवकुराइं पंच उत्तरकुराई 2 / एयासु णं भंते ! तीसासु अकम्मभूमीसु अत्थि उस्सप्पिणीति वा अोसप्पिणीति वा ?, णो तिणढे सम? 3 / एएसु णं भंते ! पंचसु भरहेसु पंचसु एरवएसु अस्थि उस्सप्पिणीति वा योसप्पिणीति वा ?, हंत अस्थि 4 / एएसुणं पंचसु महाविदे. हेसु अस्थि उस्सप्पिणीति वा योसप्पिणीति वा ? गोवत्थि उस्सणिणी नेवत्थि अोसप्पिणी अवट्ठिए णं तत्थ काले पन्नत्ते समणाउसो.! 5 // सूत्रं 675 // एएसु णं भंते ! पंचसु महाविदेहेसु अरिहंता भगवंतो Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 20 :: उद्देशकः 8 ] [ 637 पंचमहब्वइयं सपडिक्कमणं धम्म पन्नवयंति ?, णो तिण? सम8 1 / एएसु णं भंते ! पंचसु भरहेसु पंचसु एरवएसु पुरच्छिमपञ्चच्छिमगा दुवे अरिहंता भगवंता पंचमव्वइयं पंत्राणुव्वइयं सपडिकमणं धम्मं पन्नवयंति, श्रवसेसा णं अरिहंता भगवंतो चाउज्जामं धम्म पन्नवयंति, एएसु णं पंचसु महाविदेहेसु अरहंता भगवंतो चाउजामं धम्मं पनवयंति 2 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे भारहे वासे इमीसे श्रोसप्पिणीए कति तित्थगरा पन्नत्ता ?, गोयमा ! चउवीसं तित्थगरा पन्नत्ता, तंजहा-उसभमजिय-संभव अभिनंदणं च सुमतिसुप्पभ-सुपास-ससि-पुप्फदंत-सीयल-सेज्जंस-वासपुज्जं च विमल-अणंत-धम्ममंति-कुथु-अर-मल्लि-मुणिसुव्वय-नमि-नेमि--पासवद्धमाणा 24, 3 // सूत्रं 676 // एएसि णं भंते ! चवीसाए तित्थगराणं कति जिणंतरा पन्नत्ता ?, गोयमा ! तेवीसं जिणंतरा पन्नत्ता 4 / एएसि णं भंते ! तेवीसाए जिणंतरेसु कस्स कहिं कालियसुयस्स वोच्छेदे पन्नत्ते ?, गोयमा ! एएसु णं तेवीसाए जिणंतरेसु पुरिमपच्छिमएसु अट्ठसु 2 जिणंतरेसु एत्थ णं कालियसुयस्स अवोच्छेदे पन्नत्ते, मज्झिमएसु सत्तसु जिणंतरेसु एत्थ णं कालियसुयस्स वोच्छेदे पन्नत्ते, सवत्थवि वोच्छिन्ने दिट्ठिवाए 5 // सूत्रं 677 // जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे भारहे वासे इमीसे अोसप्पिणीए देवाणुप्पियाणं केवतियं कालं पुव्वगए अणुसज्जिस्सति ?, गोयमा ! जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे उस्सप्पिणीए ममं एगं वाससहस्सं पुव्वगए अणुसजिस्सति 1 / जहा णं भंते ! जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे इमीसे श्रोसप्पिणीए देवाणुप्पियाणं एगं वाससहस्सं पुव्वगए अणुसजिस्सइ तहा णं भंते ! जंबुद्दीव 2 भारहे वासे इमीसे योसप्पिणीए अवसेसाणं तित्थगराणं केवतियं कालं पुब्वगए अणुसजित्था ?, गोयमा : अत्थेगतियाणं संखेज्ज कालं अत्थेगइयाणं असंखेज्जं कालं 2 // सूत्रं 678 // जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे भारहे वामे इमीसे अोसप्पिणी देवाणुप्पियाणं केवतियं कालं Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 638 ] ... [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः तित्थे अणुसजिस्सति ?, गोयमा ! जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे इमीसे श्रोसप्पिणीए ममं एगवीसं वाससहस्साई तित्थे अणुसज्जिस्सति // सूत्रं 676 // जहा णं भंते ! जंबुद्दीवे 2 भारहे बासे इमीसे श्रोसप्पिणीए देवाणुप्पियाणं एकवीसं वाससहस्साई तित्थं अणुसजिस्सति तहा णं भंते ! जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे आगमेस्साणं चरिमतित्थगरस्स केवतियं कालं तित्थे अणुसजिस्सति ?, गोयमा ! जावतिए णं उसभस्स अरहो कोसलियस्स जिणपरियाए एवइयाई संखेजाइं श्रागमेस्साणं चरिमतित्थगरस्स तित्थे अणुसजिस्सति // सूत्रं 680 // तित्थं भंते ! तित्थं तित्थगरे तित्थं ?, गोयमा ! अरहा ताव नियमं तित्थकरे, तित्थं पुण चाउवन्नाइन्ने समणसंघो(घे) तंजहा-समणा समणीयो सावया सावियायो // सूत्रं 681 // पवयणं भंते ! पवयणं पावयणी पवयणं ?, गोयमा ! परहा ताव नियमं पावयणी, पवयणं पुण दुवालसंगे गणिपिडगे, तंजहा-पायारो जाव दिट्टिवायो 1 / जे इमे भंते ! उग्गा भोगा राइना इक्खागा नाया कोरवा एए णं अस्सि धम्मे श्रोगाहंति 2 अट्टविहं कम्मरयमलं पवाहेति -पवाहित्ता तो पच्छा सिझति जाव अंतं करेंति ?, हंता गोयमा ! जे इमे उग्गा भोगा तं चेव जाव अंतं करेंति, अत्थेगइया अन्नयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उबवत्तारो भवंति 2 / कइविहा णं भंते ! देवलोया पन्नत्ता ?, गोयमा ! चउबिहा देवलोया पन्नत्ता, तंजहा-भवणवासी वाणमंतरा जोतिसिया वेमाणिया 3 / सेवं भंते 2 त्ति जाव विहरति 4 // सूत्रं 682 // // इति विंशतितमशतके अष्टम उद्देशकः // 20-8 // // अथ विंशतितमशतके चारणाख्य-नवमोद्देशकः // . कइविहा णं भंते ! चारणा पत्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा चारणा पन्नत्ता, तंजहा-विजाचारणा य जंघाचारणा य 1 / से केण?णं भंते ! Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 20 :: उद्देशकः 6 ] [636 एवं वुचइ विजाचारणा विजाचारणा ?, गोयमा ! तस्स णं छटुंछट्टेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं विजाए उत्तरगुणलद्धि खममाणस्स विजाचारणलद्रीनाम लद्धी समुप्पजइ, से तेणटेणं जाव विजाचारणा 2, 2 / विजाचारणस्स णं भंते ! कहं सीहा गती कहं सीहे गतिविसए पन्नत्ते ?, गोयमा ! अयन्नं जंबुद्दीवे 2 जाव किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं देवे णं महड्डीए जाव महसखे जाव इणामेवत्तिकटु केवलकप्पं जंबुद्दीवं 2 तिहिं अच्छरानिवाएहिं तिक्खुत्तो अणुपरियट्टित्ता णं हवमागच्छेजा, विजाचारणस्स णं गोयमा ! तहा सीहा गती तहा सीहे गतिविसए पन्नते 3 / विजाचारणस्स णं भंते ! तिरियं केवतियं गतिविसए पन्नत्ते ?, गोयमा ! से णं इयो एगेणं उप्पाएणं माणुसुत्तरे पवए समोसरणं करेति 2 तहिं चेझ्याई वंदति तहिं 2 बितिएणं उप्पारणं नंदीसरवरे दीवे समोसरणं करेति 2 तहिं चेइयाई वंदति 2 तो पडिनियत्तति 2 इहमागच्छइ 2 इह चेइयाई वंदति, विजाचारणस्स णं गोयमा ! तिरियं एवतिए गतिविसए पन्नत्ते 4 / विजाचारणस्स णं भंते ! उड्डे केवतिए गतिविसए पन्नत्ते ?, गोयमा ! से णं इयो एगेणं उप्पाएणं नंदणवणे समोसरणं करेइ 2 तहिं चेइयाई वंदति 2 बितिएणं उप्पाएणं पंडगवणे समोसरणं करेइ 2 तहिं चेइयाई वंदइ तहिं चेइयाई वंदित्ता तो पउिनियत्तति 2 इहमागच्छइ 2 इहं चेइयाई वंदइ 2 विजाचारणस्स णं गोयमा ! उड्ड एवतिए गतिविसए पन्नत्ते, से णं तस्स गणस्त अणालोइयपडिक्कने कालं करेति नत्थि तस्स याराहणा, से णं तस्स ठाणस्स बालोइयपडिक्कते कालं करेति अस्थि तस्स बाराहणा 5 ॥सूत्र 683 // से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जंघाचारणे 2 ?, गोयमा ! तस्स णं अट्ठमंथट्टमेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावेमाणस्स जंघाचारणलद्धी नाम लदी समुप्पजति, से तेण?णं जाव जंघाचाणे 2, 1 / जंघाचारणस्स णं भंते ! कहं सीहा गति कहं Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 640 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः सीहे गतिविसए पन्नत्ते ?, गोयमा ! अयन्नं जंबुद्दीवे 2 एवं जहेब विजाचारणस्स नवरं तिसत्तखुत्तो अणुपरियट्टित्ताणं हव्वमागच्छेजा जंघाचारणस्स णं गोयमा ! तहा सीहा गती तहा सीहे गतिविसए पन्नत्ते, सेसं तं चेव 2 / जंघाचारणस्स णं भंते ! तिरियं केवतिए गतिविसए पन्नत्ते ?, गोयमा ! से णं इत्रो एगेणं उप्पारणं रुयगवरे दीवे समोसरणं करेति 2 तहिं चेइयाई वंदइ 2 तो पडिनियत्तमाणे बितिएणं उप्पारणं नंदीसरवरदीवे समोसरणं करेति 2 तहिं चेइयाई वंदइ तहिं चेइयाई वंदित्ता इहमागच्छइ 2 इहं चेइयाइं वंदइ, जंघाचारणस्स णं गोयमा ! तिरियं एवतिए गइविसए पन्नत्ते 3 / जंघाचारणस्स णं भंते ! उड्ढ केवतिए गतिविसए पन्नत्ते !, गोयमा ! से णं इयो एगेणं उप्पाएणं पंडगवणे समोसरणं करेति 2 तहिं चेइयाई वंदति 2 ततो पडिनियत्तमाणे बितिएणं उप्पारणं नंदणवणे समोसरणं करेति नंदणवणे 2 तहिं चेइयाई वंदति इह श्रागच्छइ 2 इह चेझ्याइं वंदति, जंघाचारणस्म णं गोयमा ! उ8 एवतिए गतिविसए पन्नत्ते, से णं तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कते कालं करेइ नस्थि तस्स बाराहणा, से णं तस्त ठाणस्स बालोइयपडिवकते कालं करेति अस्थि तस्स बाराहणा 4 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव विहरइ 5 // सूत्रं 684 // // इति विंशतितमशतके नवम उद्देशकः // 20-6 // / / अथ विंशतितमशतके सोपक्रमाख्य-दशमोद्दशकः // ___जीवा णं भंते ! किं सोवकमाउया निरुवकमाउया?, गोयमा ! जीवा सोवकमाउयावि निरुवकमाउयावि 1 / नेरइया णं पुच्छा, गोयमा ! नेरझ्या नो सोवकमाउया निरुवकमाउया 2 / एवं जाव थणियकुमारा पुढविकाइया जहा जीवा, एवं जाव मणुस्सा, वाणमंतरा जोइसिया वेमाणिया जहा नेरझ्या 3 // सूत्रं 685 // नेरइया णं भंते ! किं यायोक्कमेणं उवव. Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 20 : उद्देशकः 10 ] [641 ज्जति परोवक्कमेणं उववज्जति निरुवक्कमेणं उववज्जति ?, गोयमा ! प्रायोवक्कमेणवि उववज्जति परोक्कमेणवि उववज्जति निरुवकमेणवि उववज्जति एवं जाव वेमाणियाणं 1 / नेरझ्या णं भंते ! किं श्रायोवक्कमेणं उववट्टति परोवक्कमेणं उववट्टति निरुवक्कमेणं उबवट्टांति ?, गोयमा ! नो अायो. वकमेणं उबट्टांति नो परोक्कमेणं उववट्टांति निरुवक्कमेणं उव्वट्टति, एवं जाव थणियकुमारा 2 / पुढविकाइया जाव मणुस्सा तिसु उव्वट्टति, सेसा जहा नेरझ्या, नवरं जोइसियवमाणिया चयंति 3 / नेरइया णं भंते ! किं आइडीए उववजंति परिड्डीए उबवज्जति ?, गोयमा ! अाइड्डीए उववज्जति नो परिडीए उववज्जंति, एवं जाव वेमाणियाणं 4 / नेरइया णं भंते ! किं याइट्टीए उववट्टइ परिडीए उववट्टइ ?, गोयमा ! श्राइड्डीए उव्वट्टति नो परिड्डीए उववट्टति, एवं जाव वेमाणियाणं, नवरं जोइसियवेमाणिया चयंतीति अभिलावो 5 / नेरझ्या णं भंते ! कि आयकम्मुणा उववज्जंति परकम्मुणा उववज्जति ?, गोयमा ! श्रायकम्मुणा उववज्जति नो परकम्मुणा उववज्जति, एवं जाव वेमाणिया, एवं उव्वट्टणादंडयोवि 6 / नेरइया णं भंते ! किं पायप्पयोगेणं उववज्जंति परप्पनोगेणं उववज्जति ?, गोयमा ! श्रायप्पयोगेणं उववज्जति नो परप्पयोगेणं उववज्जंति, एवं जाव वेमाणिया, एवं उबट्टणादंडगोवि 7 // सूत्रं 686 // नेरइया णं भंते ! किं कतिसंचिया अकतिसंचिया अव्वत्तगसंचिया ?, गोयमा ! नेरइया कतिसंचियावि अकतिसंचियावि अव्व. त्तगसंचियावि 1 / से केण?णं जाव अव्वत्तगसंचया ?, गोयमा ! जे णं नेरइया संखेजएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया कतिसंचियां जेणं नेरझ्या असंखेजएणं पवेसएणं पविसंति ते णं नेरइया अकतिसंचिया, जे णं नेरइया एकएणं पवेसएणं पविसंति ते णं नेरइया अव्वत्तगसंचिया, से तेणटेणं गोयमा! जाव यवत्तगसंचियापि, एवं जाव थणियकुमारा 2 / Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 642 ] [श्रीमदागमसुधासिन्धु :: तृतीयो विभागः पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! पुढविकाइया नो कइसंचिया अकइसंचिया नो अवत्तगतंत्रिया 3 / से केण?णं एवं वुच्चइ जाव नो अब्वत्तगसंचिया?, गोयमा ! पुढविकाइया असंखेजएणं पवेसणएणं पविसंति से तेण?णं जाव नो अंवत्तगसंचया 4 / एवं जाव वणस्सइकाइया, बैंदिया जाव वेमाणिया जहा नेरइया 5 / सिद्धा णं पुच्छा गोयमा ! सिद्धा कतिसंचिया नो अकतिसंचया अव्वत्तगसंचियावि, से केण?णं जाव अव्वत्तगसंचियावि ?, गोयमा ! जे णं सिद्धा संखेजएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं सिद्धा कतिसंचिया जे णं सिद्धा एकएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं सिद्धा श्रव्वत्तगसंचिया, से तेण?णं जाव अब्दत्तगसंचियावि 6 / एएसि णं भंते ! नेरझ्याणं कतिसंचियाणं अतिसंचियाणं अब्बत्तगसंचियाण य कयरे 2 जाव विसेसाहिया ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा नेरइया यवत्तगसंचिया कतिसंचिया संखेजगुणा अकतिसंचिया असंखेजगुणा, एवं एगिदियवजाणं जाव वेमाणियाणं अप्पाबहुगं, एगिदियाणं नस्थि अप्पाबहुगं 7 / एएसि णं भंते ! सिद्धाणं कतिसंचियाणं अव्वत्तगसंचियाण य कयरे 2 जाव. विसेमाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्योवा सिद्धा कतिसंचिया अवत्तगसंचिया संखेजगुणा 8 / नेरइयाणं भंते ! किं छक्कसमजिया 1 नोछकसमजिया 2 छक्केण य नोछक्केण य समजिया 3 छक्केहि य समजिया 4 छक्केहि य नोछक्केण य समजिया 5?, गोयमा ! नेरझ्या छकसमजियावि 1 नोछकसमजियावि 2 छक्केण य नोछक्केण य समजियावि 3 छक्केहि य समजियावि 4 छक्केहि य नोछक्केण य समजियावि 5, 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुचइ नेरइया छक्कसमजियावि जाव छक्केहि य नोछक्केण य समजियावि ?, गोयमा ! जे णं नेरझ्या छक्कएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरझ्या छक्कसमजिया ? जे णं नेरइया जहन्नेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहि वा उक्कोसेणं पंचएणं पवेसणएणं Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 20 :: उद्देशकः 10 ] [ 643 पविसंति ते णं नेरइया नोछक्कसमजिया 2 जे णं नेरइया एगेणं छक्कएणं अन्नेण य जहन्नेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहि वा उकोसेणं पंचएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया छक्केण य नोछक्केण य समजिया 3 जे णं नेरइया णेगेहि छक्केहिं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया छक्केहि समजिया 4 जे णं नेरइया णेगेहि छक्केहिं अराणेण य जहन्नेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा उक्कोसेणं पंचएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरझ्या गोगेहि छक्केहि य नोछक्केण य समजिया 5 से तेणटेणं तं चेव जाव समजियावि, एवं जाव थणियकुमारा 10 / पुदविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! पुढविकाइया नो छक्कसमजिया 1 नो नोछक्कसमजिया 2 नोछक्केण य समजिया 3 छक्केहिं समजियावि 4 छक्केहि य नोछक्केण य समज्जियावि 5, 11 / से केणटेणं जाव समजियावि ?, गोयमा ! जे णं पुढविकाइया णेगेहिं छक्कएहिं पवेसणगं पविसंति ते णं पुढविकाइया छक्केहिं समजिया, जे णं पुढविकाइया णेगेहिं छक्कएहि य अन्नेण य जहन्नेणं एक्केणं वा दोहिं वा तीहिं वा उकोसेणं पंचएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं पुढविक्काइया छक्केहि य नोछक्केण य समजिया, से तेणटेणं जाव समजियावि, एवं जाव वणस्सइकाइयावि, बेदिया जाव वेमाणिया, सिद्धा जहा नेरइया 12 / एएसि णं भंते ! नेरझ्याणं छक्कसमजियाणं नोछक्कसमजियाणं छक्केण य नोछक्केण य समजियाणं छक्केहि य समजियाणं छक्केहि य नोछक्केण य समज्जियाणं कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा नेरइया छक्कसमजिया नोछक्कसमजिया संखेजगुणा छक्केण य नोछक्केण य समजिया संखेजगुणा छक्केहि य समजिया असंखेजगुणा छक्केहि य नोछक्केण य समजिया संखेजगुणा एवं जाव थणियकुमारा 13 / एएसि णं भंते ! पुढविकाइयाणं छक्केहिं सजियाणं छक्केहि य नोछक्केण य समज्जियाणं कयरे 2 जाव विसेसा Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 644 ] __ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विमागः हिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा पुढविकाइया छक्केहिं समजिया छक्केहि य नोछक्केण य समजिया संखेजगुणा एवं जाव वणस्सइकाइयाणं, बेइंदियाणं जाव वेमाणियाणं जहा नेरझ्याणं 14 / एएसि णं भंते ! सिद्धाणं छक्कसमजियाणं नोछक्कसमजियाणं जाव छक्केहि य नोछक्केण य समन्जियाण य कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा सिद्धा छक्केहि य नोछक्केण य समजिया छक्केहिं समजिया संखेजगुणा छक्केण य नोछक्केण य समजिया संखेजगुणा छक्कसमज्जिया संखेज्जगुणा नोछक्कसमजिया संखेजगुणा 15 / नेरइया णं भंते ! किं बारससमजिया 1. नोवारससमजिया 2 बारसएण य नोबारसरण य समन्जिया 3 बारसएहिं समजिया 4 बारसएहि नोवारसएण य समजियावि 5 ?, गोयमा ! नेरतिया बारससमज्जियावि जाव बारसएहि य समजियावि 16 / से केण?णं जाव समजियावि ?, गोयमा ! जे णं नेरइया बारसरणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया बारससमजिया 1 जे णं नेरइया जहन्नेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहि वा उक्कोसेणं एकारसरणं पवेसणएणं पविसंति ते गं नेरइया नोबारससमजिया 2 जे णं नेरइया बारसएणं अन्नेण य जहन्नेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहि वा उक्कोसेणं एकारसएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया बारसएण य नोवारसएण य समजिया 3 जे णं नेरइया ोगेदिं बारसएहिं पवेसणगं पविसंति ते णं नेरतिया बारसएहिं समजिया 4 जे णं नेरइया णेगेहिं बारसएहिं अन्नेण य जहन्नेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा उक्कोसेणं एकारसएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया बारसएहि य नोवारसपण य समजिया 5, से तेणटेणं जाव समन्जियावि, एवं जाव थणियकुमारा 17 / पुढविकाइयाणं पुच्छा गोयमा ! पुढविकाइया नोवारससमजिया 1 नो नोबारससमजिया 2 नो बारसएण य समज्जिया 3 बारसएहिं समज्जिया 4 बारसेहि य नो Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 20 :: उद्देशकः 10 ] [645 बारसेण य समज्जियावि 5, 18 / से केणटेणं जाव समज्जियावि ? [ग्रन्थाग्रं 12000] गोयमा ! जे णं पुढविकाइया णेगेहिं बारसएहिं पवेसणगं पविसंति ते णं पुढविकाइया बारसएहिं समजिया जे णं पुढविकाझ्या णेगेहिं बारसएहिं अनेण य जहन्नेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा उक्कोसेणं एकारसरणं पवेसणएणं पविसंति ते णं पुढविकाइया बारसएहिं नोवारसएण य समजिया से तेण?णं जाव समजियावि, एवं जाव वणस्सइकाइया, बेइंदिया जाव सिद्धा जहा नेरइया 16 / एएसि णं भंते ! नेरतियाणं बारससमजियाणं बरसरहिं नो वारसएण य समजियाण य, जाव सव्वेसिं अप्पाबहुगं जहा छकसमजियाणं नवरं बारसाभिलावो सेसं तं चेव 20 / नेरतिया णं भंते ! किं चुलसीतिसमन्जिया नोचुलमीतिसमजिया 2 चुलसीते य नोचुलसीते य समजिया 3 चुलसीतिहिं समजिया 4 चुलसीतीहि य नोचुलसीतीए समजिया 5 ?, गोयमा ! नेरतिया चुलसीतीए समजियावि जाव चुलसीतीहि य नोचुलसीतीए य समजियावि 21 / से केण?णां भंते ! एवं वुच्चइ जाव समजियावि ?, गोयमा ! जे ण नेरइया चुलसीतीएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया चुलसीतिसमजिया 1 जे णं नेरइया जहन्नेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा उक्कोसेणं तेसीतीपवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया नोचुलसीतिसमजिया 2 जे णं नेरइया चुलसीतीएणं अन्नेण य जहन्नेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा जाव उक्कोसेणं तेसीतीएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरतिया चुलसीतीए नोचुलसीतीएण य समजिया 3 जे णं नेरइया ोगेहिं चुलसीतीएहिं पवेलणगं पविसंति ते णं नेरतिया चुलसीतीएहिं समजिया 4 जे णं नेरइया णेगेहिं चुलसीतीएहिं अन्नेण य जहन्नेणं एक्केण वा जाव उक्कोसेणं तेसीइएणं जाव पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरतिया चुलसीतीहि य नोचुलसीतीए य समजिया 5, से तेण?णं जाव Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 646 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभागः समजियावि, एवं जाव थणियकुमारा 22 / पुढविक्काइया तहेव पच्छिल्लएहिं दोहिं 2 नवरं अभिलावो चुलसीतीयो भंगो एवं जाव वणस्सइकाइया, बेंदिया जाव वेमाणिया जहा नेरतिया 23 / सिद्धा णं पुच्छा, गोयमा ! सिद्धा चुलसीतिसमजियावि 1 नोचुलसीतिसमज्जियावि 2 चुलसीते य नोचुलसीतीए समजियावि 3 नोचुलसीतीहिं समजिया 4 नोचुलसीतीहि य नोचुलसीतीए य समज्जिया 5, 24 / से केण?णं जाव समज्जिया ?, गोयमा ! जे गं सिद्धा चुलसीतीएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं सिद्धा चुलसीतिसमज्जिया जे णं सिद्धा जहन्नेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा उक्कोसेणं तेसीतीएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं सिद्धा नो. चुलसीतिसमजिया, जे णं सिद्धा चुलसीयएणं अन्नेण य जहन्नेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा उक्कोसेणं तेसीएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं सिद्धा चुलसीतीए य नोचुलसीतीए य समन्जिया, से तेणटेणं जाव समजिया 25 / एएसि. णं भंते ! नेरतियाणं चुलसीतिसमजियाणं नोचुलसीतिसमजियाणं जाव सव्वेसिं अप्पाबहुगं जहा छक्कसमजियाणं जाव वेमाणियाणं, नवरं अभिलावो चुलसीतियो 26 / एएसि णं भंते ! सिद्धाणं चुलसीतिसमजियाणं नोचुलसीतिसमजियाणं चुलसीतीए य नोचुलसीतीए य समजियाणं कयरे 2 जाव विसेसाहिया ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा सिद्धा चुलसीतीए य नोचुलसीतीए य समजिया चुलसीतीसमजिया श्रणंतगुणा नोचुलसीतिप्तमजिया अणंतगुणा 27 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरह 28 // सूत्रं 687 // वीसतिमं सयं समत्तं // // इति विंशतितमशतके दशम उद्देशकः // 20-10 / / // इति विशतितमं शतकम् // 20 // Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति)वत्रं :: शतकं 21 वर्गः 1 ] [ 647 // अथ एकविंशतितमशतके प्रथमवर्गे प्रथमोद्देशकः // सालि कल अयसि वंसे इक्व दन्भे य दम्भ तुलसी य / अट्ठए दस वग्गा असीति पुण होंति उद्दे सा // 1 // रायगिहे जाव एवं वयासी-ग्रह भंते ! साली बीही गोधूमजवजवाणं एएसि णं भंते ! जीवा मूलनाए वकमंति ते णं भंते ! जीवा कोहितो उववज्जति ?, किं नेरइएहितो उपवजंति, तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति, मणुसेहितो उववज्जति देवेहिंतो उववज्जति ? जहा वक्तीए तहेव उववायो नवरं देववज्जं 1 / ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ?, गोयमा ! जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेजा वा असंखेजा वा उववज्जति अवहारो जहा उप्पलुद्दे से 2 / तेसि णं भंते ! जीवाणं केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं धणुहपुहुत्तं 3 / ते णं भंते ! जीवा नाणावरणिजस्स कम्मस्स कि बंधगा अबंधगा ? जहा उप्पलुद्दे से, एवं वेदेवि उदएवि उदीरणाएवि 4 / ते णं भंते ! जीवा किं कराहलेस्सा नीललेस्सा काउलेस्सा ? छब्बीसं भंगा, दिट्ठी जाव इंदिया जहा उप्पलुद्दे से 5 / ते णं भंते ! सालीवीही गोधूम-जव-जवग-मूलगजीवे कालो केवचिरं होति ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं असंखेन्जं कालं 6 / से णं भंते ! साली बीही गोधूम-जव-जवग-मूलगजीवे पुढवीजीवे पुणरवि सालीवीही जाव जब-जवग-मूलगजीवे केवतियं कालं सेवेजा ?, केवतियं कालं गतिरागतिं करिजा ?. एवं जहा उप्पलुद्दे से, एएणं अभिलावेणं जाव मणुस्सजीवे अाहारो जहा उप्पलुद्दे से ठिती जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं वासपुहुत्तं, समुग्घायसमोहया उव्वट्टणा य जहा उप्पलुद्दे से 7 / अह भंते ! सव्वपाणा जाव सवसत्ता साली वीही जाव जब-जवग-मूलगजीवत्ताए उववन्नपुव्वा ?, Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 6.48 ] * [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विमागः हंता गोयमा ! असति अदुवा अंणतखुत्तो छ / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरति 1 // सूत्रं 688 // 21-1 // // अथ एकविंशतितमशतके प्रथमवर्गे द्वितीयोद्देशकः // अह भंते ! साली वीही जाव जवजवाणं एएसि णं जे जीवा कंदताए वक्कमंति ते णं भंते ! जीवा करोहितो उववज्जति एवं कंदाहिकारेण सच्चेव मूलुद्द सो अपरिसेसो भाणियव्यो जाव असतिं अदुवा अणतखुत्तो 1 / सेवं भंते 2 ति जाव विहरति 2 // 21-2 // एवं खंधेवि उद्दे सत्रो नेयम्वो // 21-3 // एवं तयाणवि उद्देसो भाणियब्वो // 21-4 // सालेवि उद्दे सो भाणियव्वो // 21-5 // पवालेवि उद्देसो भाणियव्यो // 21-6 // पत्तेवि उद्दे सो भाणियबो॥२१-७॥ एए सत्तवि उद्दे सगा अपरिसेसं जहा मूले तहा नेयव्वा 1 / एवं पुप्फेवि उद्देसो नवरं देवा उववज्जति जहा उप्पलुद्द से चत्तारि लेस्सायो असीति भंगा योगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं अंगुलपहुत्तं सेसं तं चेव 2 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 3 // 21-8 // जहा पुप्फे एवं फलेवि उद्देसयो अपरिसेसो भाणियब्बो॥ 21-1 // एवं बीएवि उद्देसयो // 21-10 // एए दस उद्देसगा // पढमो वग्गो समत्तो॥२१-१॥सूत्र 681 // यह भंते ! कलाय-मसूर-तिल-मुग्ग-मास-निष्फाव-कुलत्थ-श्रालिसंदगसडिण-पलिमंथगाणं, एएसि म जे जीवा मूलत्ताए वकमंति ते णं भंते ! जीवा कयोहिंतो उवदज्जंति ?, एवं मूलादिया दस उद्दे सगा भाणियव्वा जहेब सालीणं निरवसेसं तं चेव // वितियो वग्गो समत्तो॥२१-२॥ ___अह भंते ! अयसि-कुसुभ-कोदव-कंगुरालग-तुवरी-कोदूसासण-सरिसव-मूलगबीयाणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वकमंति ते णं भंते ! जीवा करोहितो उववज्जति ? एवं एस्थवि मूलादीया दस उद्देसमा जहेव सालीणं निरवसेसं नहेर भाणियव्वं // तइयो वग्गो समत्तो॥२१-३॥ Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शक्क 21 वर्गः 4-5-6-7 ] [ 646 ___ यह भंते ! वंस-वेणु-कणक-कक्कावंस-वा(चा)रुवंस-द(उ)डा-कुडा-विमाचंडा-वेणुया-कलाणीण(णाणं) एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वकमंति एवं एत्थवि मूलादीया दस उद्देसगा जहेव सालीणं, नवरं देवो सव्वत्थवि न उववज्जति, तिन्नि लेसानो सव्वत्थवि छब्बीसं भंगा, सेसं तं चेव // चउत्थो वग्गो समत्तो // 21-4 // ग्रह भंते ! उक्खु-इक्खु-वाडिया-वीरणाइकडभ-मास सुठि-सत्तवेत्ततिमिर-सत्तपोवो)रगनलाणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वकर्मति एवं जहेव वंसवग्गो तहेव एत्थवि मूलादीया दस उद्देसगा, नवरं खंधुद्दे से देवा उववज्जंति, चत्वारि लेसायो सेसं तं चेव॥ पंचमो वग्गो समत्तो // 21-5 // अह भंते ! सेडि(दि)यभंडि(त्ति)यदभ-कोतियदब्भ-कुसदब्भ-गयोइद(दइ)ल-अंजुल-त्रासादग-रोहियंस-मु(सु)तवखीर-भुस-एरिंड-कुरुभ कुंद-करवरसुंठ-विभंगु महुव(र)यण-थुरग-सिप्पिय-सुकलितणाणं एएसि णं जे जीवा मुलत्ताए वकमंति एवं एत्थवि दस उद्देसगा निरवसेसं जहेव वंसस्स // छट्टो वग्गो समत्तो // 21-6 // ___ अह भंते ! अब्भरुह-बो(वे)याण-हरितग-तंदुलेजग-तणवत्थुल-चो(पो)रग-मनार-या(पा)ई-चिल्लियालकदग-पिप्पलिय-दन्धिसोस्थिक-सायमंडुक्किमूलग-सरिसव-ग्रंबित्न साग-जिवंतगाणं एएसि णं जे जीवा मूल एवं एथवि दस उद्दे सगा जहेव वंसस्स // सत्तमो वग्गो समत्तो // 21-7 // ____ अह भंते! तुलसी-कराहद(दरा)ल-फोज्जा-अजा-चू(भू)यणा-चोरा-जीरा दमणा-मस्याइं दीवरसयपुप्फा णं एएसिणं जे जीवा मूलत्तार वक्कमंति एत्थवि दस उद्दे सगा निरवसेसं जहा वंसाणं // अट्ठमो वग्गो समत्तो // 21-8 // एव एएसु अट्ठसु वग्गेसु असीतिं उद्दे सगा भवंति // सूत्रं 610 // एकवीसतिमं सयं समत्तं // इति अष्टवर्गाः // 8 // इति एकविंशतितमं शतकम // 21 // Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 650 ] ... ... .. [ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: तृतीयो विभागा // अथ द्वाविंशतितमं शतकम् // तालेगट्ठिय-बहुवीयगा य गुच्छा य गुम्म वल्ली य / छद्दस वग्गा एए सटिं पुण होति उद्देसा // 1 // रायगिहे जाव एवं वयासी-ग्रह भंते ! ताल-तमाल-तकलि-तेतलिसाल-सरला-सारगल्लाण-जावति-केयति-कदल-चम्मरुक्ख-गुत(ब)रुक्ख-हिंगुरुक्ख-लवंगरुक्ख-पूयफल-खज्जूरि-नालएरीणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वकमंति ते णं भंते ! जीवा कोहिंतो उववज्जति ?, एवं एत्थवि मूलादीया दस उद्देसगा कायव्वा जहेव सालीणं 1 / नवरं इमं नाणत्तं मूले कंद खंधे तयाय साले य एएसु पंचसु उद्दसगेसु देवो न उपवजति 2 / तिन्नि लेसायो, ठिती जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं दसवाससहस्साई, उवरिल्लेसु पंचसु उद्देसएसु देवो उववजति 3 / चत्तारि लेसानो ठिती जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं वासपहुत्तं योगाहणा मूले कंदे धणुहयुहुत्तं खंधे तयाय साले य गाउयपुहुत्तं पवाले पत्ते धणुहपुहुत्तं, पुप्फे हत्थपुहुत्तं, फले बीए य अंगुलपुहुत्तं 4 / सव्वेसि जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं सेसं जहा सालीणं 5 | एवं एए दस उद्देसगा // पढमो वग्गो समत्तो // 22-1 // . अह भंते ! निबंब-जंबु-कोसंब-ता(सा)ल-अंकोल्ल-पीलु-सेलु–सल्लइमोयइ-मालुय-बउल-पलास-करंज-पुत्तंजीवग-रिट्ठवहेडग-हरितग-भलायउंबरिय--खीरणि-धायई--पियाल--पूइय-णिवायग--सेराहय(ग)--पासिय-सीसवअयसि-पुन्नाग-नागरुक्ख-सीवन(रिण)असोगाणं एएसि णं जे जीवा. मूलत्ताए वकर्मति एवं मूलादीया दस उद्दे सगा कायव्वा निरवसेसं जहा तालवग्गो // बितियो वग्गो समत्तो // 22-2 // अह भंते ! अस्थिया-तिदुय-बोरक-विट्ठ-अंबाडग-माउलिंग-बिल्लश्रामलग-फणस-दाडिम-यासत्थ(असोलु-ट्राउंबर-वडणग्गोह-नंदिरुक्ख-पिप्पलि-सतर-पिलक्खुरुक्ख-काउंबरिय-कुच्छुभरिय-देवदालि-तिलग-लउय-छत्तोह Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र : शतकं 2-3 ] [ 351 सिरीस-सत्तवन्न-दहिवनलोद्ध-धव-चंदण-अज्जुण-णीव(म)-कुडु(ड)ग-कलंबाणं एएसि गां जे जीवा मूलत्ताए वकमंति ते णं भंते ! एवं एस्थवि मूलादीया दस उद्देसगा तालवग्गसरिसा नेयव्या जाव बीयं // तइयो वग्गो समतो // 22-3 // . अह भंते ! वाइंगणि-अलइ-पोडइ एवं जहा पन्नवणाए गाहाणुसारेणं णेयव्वं जाव गंज-पाडला-वासि-कोलाणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वकमंति एवं एत्थवि मूलादीया दस उद्देसगा तालवग्गसरिसा नेयव्वा जाव बीयंति निरवसेसं जहा वंसवग्गो॥ चउत्थो वग्गो समत्तो // 22-4 // यह भंते ! सिरियका(सणियका)णवमालिय-कोरंटग-बंधुजीवग-मणोजा जहा पत्रवणाए पढमपदे गाहाणुसारेणं जाव नल(व)णी य कुंदमहाजाइणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वकमंति एवं एत्थवि मूलादीया दस उद्देसगा निरवसेसं जहा सालीणं // पंचमो वग्गो समत्तो // 22-5 // ग्रह भंते ! प्रसफलि-कालिगी-तुबी-तउसी-एलावालुकी एवं पदाणि छिदियवाणि पन्नवणागाहाणुसारेणं जहा तालवग्गे जाव दधिफोलइ-काकलि-सो(मो)कलि-अकबोंदीणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति एवं एत्थवि मूलादीया दस उद्देसगा कायव्वा जहा तालवग्गो नवरं फलउद्दे से योगाहणाए जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं धणुहपुजुत्तं ठिती सव्वत्थ जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं वासपुहत्तं, सेसं तं चेव ॥छट्टो वग्गो समत्तो॥ 22-6 ॥एवं छसुवि वग्गेसु सट्ठि उद्देसगा भवंति // सूत्रं 611 // बावीसतिमं सयं समत्तं // // इति द्वाविंशतितमं शतकम् // 22 / / // अथ त्रयोविंशतितमं शतकम् // नमो सुयदेवयाए भगवईए // बालुयलोहो अवया पाढी तह मासवन्निवल्ली य / पंचेते दसवग्गा पन्नासा होंति उद्देसा // 1 // Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 652 ) / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभाग रायगिहे जाव एवं वयासी-ग्रह भंते ! बालुय-मूलग-सिंगबेर-हलिद्दरुख-कंडरिय-जारुच्छीर-बिरालिकिट्टिकुदु(यु)-कराहकडडसु-महुप(धु)यलइमहुसिगिणि(नो)रुहा-सप्पसुगंधा छिन्नरुहा बीयरुहा णं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वकमंति एवं मूलादीया दस उद्दे सगा कायव्वा वसवग्गसरिसा नवरं परिमाणं जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेजा असंखेजा वा अणंता वा उववज्जति, अवहारो गोयमा ! ते णं अणंता समये अवहीरमाणा 2 अणंताहि श्रोसप्पिणीहिं उस्सप्पिणीहिं एवतिकालेणं अवहीरंति नो चेव णं अवहरिया सिया ठिती जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, सेसं तं चेव // पढमो वग्गो समत्तो // 23-1 // अह भंते ! लोही णीहू-थीहथिवगा अस्सकन्नी सीउंदी मुसंढीणं एएसि णं जीवा मूलत्ताए वक्कमंति, एवं एत्थवि दस उद्दे सगा जहेव बालुवग्गे, णवरं योगाहणा तालवग्गसरिसा, सेसं तं चेव 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // बितियो वग्गो समत्तो // 23-2 // . ग्रह भंते ! श्राय-काय-कुहुण-दुरुक-उ(ति)व्वहलिया-सफा-सज्जा. छत्ता-वंसाणिय-कुमाराणं (कुराणं) एतेसि णं जे जीवा मूलत्ताए बक्कमंति, एवं एत्थवि मूलादीया दस उद्दे सगा निरवसेसं जहा बालुवग्गो नवरं श्रोगाहणा तालुवग्गसरिसा, सेसं तं चेव 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 2 // तइयो वग्गो समत्तो / / 23-3 // यह भंते ! पाढामिए वालु कि मधुररसा-रायवल्लि-पउमा-मोंढरि-द्दतिचंडीणं एतेसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति, एवं एथवि मूलादीया दस उद्दसगा बालुयवग्गसरिसा नवरं योगाहणा जहा वल्लीणं, सेसं तं चेव 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 2 // चउत्थो वग्गो समत्तो॥२३-४॥ __ यह भंते / मासपन्नी-मुग्गपन्नी-जीव-सरिसवक-एणुयकायोलि-खीरकाकोलि-भंगि-गहिकि-मिरासि-भद्दमुच्छ-णंगलइ-पोय-किणापउ(ड)लपाढे. Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 24 :: उद्देशकः 3] [653 हरेणुयालोहीणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वकमंति, एवं एत्थवि दस उद्देसगा निरवसेसं बालुयवग्गसरिसागपंचमो वग्गो समत्तो॥२३-५॥ एवं एत्थ पंचसुवि वग्गेसु पन्नासं उद्दे सगा भाणियन्वा सव्वत्थ देवा ण उववजंतित्ति तिन्नि लेसायो / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव.विहरति॥ तेवीसइमं सयं समत्तं // 23 // // सूत्रं 612 // . // अथ चतुर्विंशतितमशतके उत्पादाख्य-प्रथमोइशकः // ___उववायपरीमाणं संघयणुच्चत्तमेव संठाणं / लेस्सा दिट्ठी णाणे अन्नाणे जोग उवथोंगे // 1 // सन्नाकसायइंदियसमुग्घाया वेदणा य वेदे य / बाउं अज्झवसाणा अणुबंधो कायसंवेहो // 2 // जीवपदेजीवपदे जीवाणं दंडगंमि उद्देसो। चवीसतिमंमि सए चउव्वीसं होंति उद्देसा॥३॥ ___रायगिहे जाव एवं वयासी-णेरइयाणं भंते ! कयोहितो उववज्जति कि नेरइएहितो उववज्जति तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति मणुस्सेहितो उववज्जंति देवेहितो उववज्जति ?, गोयमा / णो नेरइंएहितो उववज्जति तिरिक्खजोणिएहितोवि उववज्जति मणुस्सेहितोवि उववज्जति णो देवेहितो उववज्जति 1 / जइ तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं एगिदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उपवज्जति बेइंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति तेइंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उपवज्जति चरिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति पंचिंदिय-तिरिक्खजोगिएहितो उववज्जति ?, गोयमा ! नो एगिदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति णो दिय-तिरिक्खजोएहितो उववज्जति णो तेइंदिय-तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति णो चउरिदियतिरिक्खजोणिएहिती उववज्जति पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिहितो उववज्जति 2 / जइ पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति असन्निपंचिदिय-तिरिक्जोणिएहितो उववजंति ?, गोयमा ! सन्निपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उपवज्जति Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 654 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागा असन्निपंचिंदिय-तिरिक्जोणिएहितोवि उववजंति 3 / जइ सन्निपंचिदियतिरिक्खजोणिपहितो उववज्जति कि जलचरेहितो उववजंति थलचरेहितो उववज्जति खहचरेहिंतो उववज्जति ?, गोयमा ! जलचरेहितो उववज्जंति थलचरेहितोवि उववज्जति खहचरेहितोवि उववज्जंति 4 / जइ जलचरथलचरखहचरेहितो उववज्जति किं पजत्तएहितो उववज्जति अपज्जत्तएहितो उपवज्जति ?, गोयमा ! पजत्तएहितो उववज्जति णो अपज्जनएहितो उववज्जति 5 / पजत्तायसन्निपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए नेरइएसु उववजित्तए से णं भंते ! कतिसु पुढवीसु उववज्जेजा ?, गोयमा! एगाए रयणप्पभाए पुढवीए उववज्जेजा 6 / पजत्ताग्रसन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए रयणप्पभाए पुढवीए नेरइएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवतिकालट्ठितीएसु उववज्जेजा ?, गोयमा ! जहन्नेणं दसवास-सहस्सद्वितीएसु उक्कोसेणं पलिश्रोवमस्स असंखेजइभागद्वितीएसु उववज्जेजा१,७। तेणं मंते! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ?, गोयमा ! जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेज्जा वा असं. खेजा वा उववज्जति 2, 8 / तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरगा किसंघयणी पन्नत्ता ?, गोयमा / छेवट्ठसंघयणी पन्नत्ता 3. 1 / तेसि णं भंते ! जीवाणं केमहालिया सरीरोगाहाणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजाइभागं उक्कोसेणं जोयणसहस्सं 4, 10 / तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरगा किंसंठिता पन्नत्ता ?, गोयमा ! हुंडसंठाणसंठिया पन्नत्ता 5, 11 / तेसि. णं भंते ! जीवाणं कति लेस्सायो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! तिन्नि लेस्सायो पन्नत्तायो, तंजहा-कराहलेस्सा नीललेस्सा काउलेस्सा 6, 12 / ते णं भंते! जीवा किं सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी ?, गोयमा ! णो सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी णो सम्मामिच्छादिट्ठी 7, 13 / ते णं भंते ! जीवा कि णाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! णो णाणी अन्नाणी Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञ से (श्रीमद्भगवति) मूत्र :: शतकं 24 : उद्देशकः 1 ] [ 655 नियना दुयन्नाणी, तंजहा-मइअन्नाणी य सुपपन्नाणी य 8-1, 14 / ते णं भंते ! जीवा किं मणजोगी वयजोगी कायजोगी ?, गोयमा ! णो मणजोगी वयजोगीवि कायजोगीवि 10, 15 / ते णं भंते ! जीवा कि सागारोवउत्ता प्रणागारोवउत्ता :, गोयमा! सागारोउत्तावि अणागारोवउत्तावि 11, 16 / तेमि ण भंते ! जीवाणं कति सन्नायो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! चनारी सन्ना पनना, तंजहा-याहारसन्ना भयसन्ना मेहुणसन्ना परिग्गहसन्ना 12, 17 / तेमि णं भंते ! जीवाणं कति कमाया पनना ?, गोयमा ! चत्तारि कसाया पत्रत्ता, तंजहा-कोहकसाए माणकमाए मायाफ्साए लोभकमाए 13, 18 | तेसि णं भंते ! जीवाणं कति इंदिया पत्नत्ता ?, गोयमा! पंचिंदिया पन्नता, तंजहा-मोइंदिए चक्खिदिए जाव फासिदिए 14, 11 / तेसि णं भंते ! जीवाणं कति समुग्घाया पन्नत्ता ?, गोयमा ! तयो समुग्घाया पत्रता, तंजहा-वेयणाममुग्घाए कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्याए 15, 20 / ते णं भते ! जीवा कि मायावेयगा असायावेयगा ?. गोयमा ! सायावयगावि असाधावेयगावि 16, 21 / ते णं भंते ! जीवा किं इत्थीवेयगा पुरिसवेयगा नपुंसगवेयगा ?, गोयमा ! गो इत्थीवेयगा णो पुरिसवेयगा नपुंसगवेयगा 17, 22 / तेति णं भंते ! जीवाणं केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुवकोडी 18, 23 / तेसि णं भंते ! जीवाणं केवतिया अज्झवसाणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! श्रसंखेजा यझवसाणा पन्नत्ता 24 / ते णं भंते ! कि पसत्था अप्पसत्या ?, गोयमा ! पसत्यावि अप्पमत्यावि 11, 25 / से णं भंते ! पजताग्रसन्निपंचिंदिय-तिरिक्खजोणियेति कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुषकोडी 20, 26 / से णं भंते ! पज्जत्ताअसन्निपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिए रयणप्पभाए पुढविए णेरइए पुणरवि पजत्ता-असन्निपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएत्ति केवतियं कालं सेवेज्जा केवतिय Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 6.6 .] .. [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभागः कालं गतिरागतिं करेजा ?, गोयमा ! भवादेसेणं दो भवग्गहणाई कालादेसेणं जहन्नेणं दसवाससहस्साई अंतोमुहुत्त-मभहियाई उक्कोसेणं पलिश्रो. वमस्स असंखेजइभागं. पुवकोडीमभहियं एवतियं कालं सेवेजा एवतियं कालं गतिरागतिं करेजा 21, 27 / पजत्ता-असन्निपंचिंदिय-तिरिक्खजोगिए णं भंते ! जे भविए जहन्नकालहितीएसु रयणप्पभा-पुढविनेरइएसु उववजित्तए, से णं भंते ! केवइकालद्वितीसु उववज्जेजा ?, गोयमा ! जहन्नेणं दसवामसहस्सट्टितीएसु उक्कोसेणवि दसवाससहस्सद्वितीएसु उववज्जेजा 2 / ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ?, एवं सच्चेव वत्तव्वया निखसेसा भाणियव्वा जाव अणुबंधोत्ति 26 / से णं भंते ! पजत्ता-असन्निपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिए जहन्नकालद्वितीए रयणप्पभा-पुढविनेरइए जहन्नकालद्वितीएसु रयणप्पभापुढविनेरइएसु पुणरवि पजत्तअप्सन्नि जाव गतिरागति करेजा ?, गोयमा ! भवादेसेणं दो भवग्गहणाई कालादेसेणं जहन्नेणं दसवाससहस्साई अंतोमुहुत्तमभहियाई उक्कोसेणं पुवकोडी दसहिं वाससहस्सेहिं अब्भहियाई एवतियं कालं सेवेजा एवतियं कालं गतिरागतिं करेजा 2, 30 / पजत्ताअसन्निपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएणं जे भविए उक्कोसकालट्ठितीएसु रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवतियकालठिईएसु उववज्जेना ?, गोयमा ! जहन्नेणं पलियोवमस्स असंखेजइभागठिईसु उववज्जेजा उक्को. सेणवि पलियोवमस्स असंखेजइभाट्ठितीएसु उववज्जेज्जा, ते णं भंते ! जीवा अवसेसं तं चेव जाव अणुबंधो 31 / से णं भंते ! पज्जात्ताग्रसन्निपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिए उक्कोसकाल-द्वितीय रयणप्पभापुढविनेरइए पुणरवि पज्जत्ता जाव करेजा ?, गोयमा ! भवादेसेणं दो भवग्गहणाई कालादेसेणं जहन्नेणं पलियोवमस्स असंखेजइभागं अंतोमुहुत्तमभहियं उक्कोसेणं पलिश्रोवमस्स असंखेजइमागं पुषकोडिअमहियं एवतियं कालं सेवेजा एवइयं Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीप्रयारूपाप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र : शतकं 24 :: उद्देशकः 1] / 657 कालं गतिरागतिं करेजा 3, 32 / जहन्नकालद्वितीय-पजत्ताअसन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवतियकालठितीएसु उववज्जेजा ?, गोयमा ! जहन्नेणं दसवाससहस्सट्टितीएसु उक्कोसेणं पलिश्रोवमस्स असंखेजइभागठिंतीएसु उववज्जेजा 33 / ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? सेसं तं चेव णवरं इमाई तिन्नि णाणत्ताई पाउं अज्झवसाणा अणुबंधो य, जहन्नेणं ठिती अंतोमुहत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 34 / तेसि णं भंते ! जीवाणं केवतिया अज्झवसाणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! असंखेजा अज्झवसाणा पन्नत्ता, 35 / ते णं भंते ! किं पसत्था अप्पसस्था ?, गोयमा ! णो पसत्था अप्पसत्था, अणुबंधो अंतोमुहुत्तं सेसं तं चेव 36 / से णं भंते ! जहन्नकालद्वितीए पजत्ताश्रसन्निपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिए रयणप्पभाए जाव करेजा ?, गोयमा ! भवादेसेणं दो भवग्गहणाई कालादेसेगा. जहन्नेणं दसवाससहस्साई अंतोमुहुत्तं अमहियाइं उक्कोसेणां पलियोवमस्स असंखेजइभागं अंतोमुत्तमभहियं एवतियं कालं सेविजा जाव गतिरागति करेजा 4, 37 / जहन्नकालद्वितीय-पजत्त-असन्निपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए जहन्नकालट्ठिइएमु रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवतियकालट्टितीएसु उववज्जेजा ?, गोयमा ! जहन्नेणं दसवामसहस्सट्टितीएसु उक्कोसेणवि दसवाससहस्सट्टितीएसु उववज्जेजा 38 / ते णं भंते ! जीवा सेसं तं चेव ताई चेव तिन्नि णाणत्ताई जाव से णं भंते ! जहन्नकाल-द्वितीयपज्जत जाव जोणिए जहन्नकाल-द्वितीय-रयणप्पभा पुणरवि जाव गोयमा ! भवादेसेणं दो भवग्गहणाई कालादेसेणं जहन्नेणं दसवाससहस्साई अंतोमुहुत्तमभहियाई उक्कोसेणविं दसवाससहस्साइं अंतोमुहुत्तमभहियाई एवइयं कालं सेवेजा जाव करेजा 5, 31 / जहन्नकालद्वितीयपज्जत्त जाव तिरिक्खजोणियाणं भंते ! भविए उक्कोसकालट्ठितीएसु Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 658] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः तृतीयो विभामः रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवतियकालठितीएसु उववज्जेजा ?, गोयमा ! जहन्नेणं पलिग्रोवमस्स असंखेजइभागट्टितीएसु उववज्जेजा उक्कोसेणवि पलिश्रोवमस्स असंखेजइभागद्वितीएसु उववज्जेजा 40 ते णं भंते ! जीवा अवसेसं तं चेव ताई चेव तिन्नि णाणत्ताई जाव से णं भंते ! जहन्नकाल-द्वितीयपजत्त जाव तिरिक्खजोणिए उक्कोसकालद्वितीयरयण जाव करेजा ?, गोयमा ! भवादेसेणं दो भवग्गहणाई कालादेसेणं जहन्नेणं पलिग्रोवमस्स असंखेजइभागं अंतोमुहुनमभहियं उक्कोसे. णवि पलिग्रोवमस्स असंखेजइभागं अंतोमुहुत्तेणब्भहियं एवतियं कालं जाव करेजा 3, 41 / उक्कोसकालट्टिइय-पजत्तयसन्निपंचिंदिय-तिरिवखजोगिए णं भंते! जे भविए रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवतिकालस्स जाव उववज्जेज्जा ?, गोयमा ! जहन्नेणं दमवाससहस्सठिइएसु उकोसेणं पलिश्रोवमस्स असंखेजइ जाव उववज्जेज्जा, ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं अवसेसं जहेव योहियगमएणं तहेव अणुगंतव्वं, नवरं इमाई दोनि नाणत्ताई-ठिती जहन्नेणं पुवकोडी उक्कोसेणवि पुवकोडी एवं अणुबंधोवि श्रवसेसं तं चेव 42 / से णं भंते ! उक्कोसकाल-द्वितीयपजत्तअसनि जाव तिरिक्खजोणिए रयणप्पभा जाव गोयमा ! भवादेसेणं दो भवग्गहणाई कालादेसेणं जहन्नेणं पुव्वकोडी दसहिं वाससहस्सेहि अभहिया उकोसेणं पलिग्रोवमस्स असंखेजइभागं पुवकोडीए अभहियं एवतियं जाव करेजा 7, 43 / उक्कोसकालद्वितीयपजत्ते तिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए जहन्नकालट्ठितीएसु रयण जाव उववज्जेत्तए, से णं भंते ! केवतिकालट्टितीएसु उववज्जेजा?, गोयमा ! जहन्नेणं दसवाससहरसद्वितीएसु उकोसेणवि दसवाससहस्सट्टितीएसु उववज्जेजा 44 / ते णं भंते ! सेसं तं चेव जहा सत्तमगमए जाव से णं भंते ! उक्कोसकालट्टिती जाब तिरिक्खजोणिए जहन्नकालट्टितीयरयणप्पभा जाव करेजा ?, गोयमा ! Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 24 : उद्देशक. 1 / / 656 भवादेसेणं दो भवग्गहणाई कालादेसेणं जहन्नेणं पुव्वकोडी दमहिं वासमहस्सेहिं अहिया उकोसेणवि पुवकोडी दसवाससहरसेहिं अमहिया एवतियं जाव करेजा 8, 15 / उक्कोसकालद्वितीय-पजत्त जाव तिरिवखजोणिए णं भंते ! जे भविए उकोसकालद्वितीएसु रयण जाव उववजित्तए से णं भंते ! केवतिकालं जाव उववज्जेजा ?, गोयमा ! जहन्नेणं पलियोवमस्स असंखेजइभाट्ठितीएसु उक्कोसेणवि पलिश्रोवमस्स असंखेज्जइभागट्टितीएसु उववज्जेजा 46 / ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं सेसं जहा सत्तमगमए जाव से णं भंते ! उक्कोसकालद्वितीय-पजत्त जाव तिरिवखजोणिए उक्कोसकालद्वितीय-रयणप्पभा जाव करेजा ?, गोयमा ! भवादेसेणं दो भवग्गहणाई कालादेसेणं जहन्नेणं पलियोवमरस असंखेजइभागं पुवकोडीए अभहियं उकोसेगावि पलियोवमस्स असंखेजइभागं पुवकोडीए अमहियं एवतियं कालं सेवेजा जाव गतिरागति करेजा 1, 47 / एवं एते योहिया तिन्नि गमगा 3 जहन्नकालट्ठितीएसु तिन्नि गमगा उक्कोसकालद्वितीएसु तिन्नि गमगा 1 सचे ते णव गमा भवंति 48 // सूत्रं 613 // जइ सन्निपंचिंदिय-तिरिक्खजोणि एहितो उववज्जंति कि संखेजवासाउय-सन्निपंबिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति असंखेजवासाउय-सन्निपंचिदियतिरिक्ख जाव उववज्जंति?, गोयमा ! संखेजवासाउय-सन्निपंचिंदिय-तिरिवखजोणिएहितो उववज्जति णो असंखेजवासाउय-सन्निपंचिंदिय जाव उववज्जंतिः 1 / जइ संखेजवासाउय-सन्निपंचिंदिय' जाव उववज्जति किं जलचरेहितो उववज्जति ? पुच्छा, गोयमा ! जलचरेहिंतो उववज्जति जहा असन्नी जाव पजत्तएहितो उववज्जंति णो अपजत्तेहिंतो स्ववज्जति 2 / पजत्तसंखेजवासाउय-सन्निपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए ोरइएसु उववजित्तए से णं भंते ! कतिसु पुढवीसु उववज्जेजा ?, गोयमा ! सत्तसु पुढवीसु उववज्जेजा तंजहा-रयणप्पभाए जाव अहेसत्तमाए 3 / Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 660 ] : - . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः पजत्तसंखेज-वासाउय-सन्निपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए रयणप्पभपुढविनेरइएसु उववजित्तए से मां भंते ! केवतियकालट्ठितीएसु उववज्जेजा ?, गोयमा ! जहन्नेणं दसवाससहस्सद्वितीएसु उक्कोसेणं सागरोवमट्टितीएसु उववज्जेजा 4 / ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ?, जहेव प्रसन्नी 5 / तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरगा किसंघयणी पन्नत्ता ?, गोयमा ! छव्विहसंघयणी पन्नत्ता, तंजहा-वइरोरुभनारायसंघयणी उसभनारायसंघयणी जाव छेवटुसंघयणी, सरीरोगाहणा जहेव असन्नीणं जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं जोयणसहस्सं 6 / तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरगा किंसंठिया पन्नत्ता ?, गोयमा ! छव्विहसंठिया पन्नत्ता, तंजहा-समचउरंससंठिया निग्गोहसंठिया जाव हुंडा 7 / तेसि णं भंते ! जीवाणं कति लेस्सायो पत्नत्तायो ?, गोयमा ! छल्लेसायो पन्नत्तायो, तंजहा-कराहलेस्सा जाव सुकलेस्सा 8 / दिट्ठी तिविहावि तिन्नि नाणा तिनि अन्नाणा भयणाए जोगो तिविहोवि सेसं जहा असन्नीणं जाव अणुबंधो 6 / नवरं पंच समुग्याया पन्नत्ता, तंजहा-पादिल्लगा, वेदो तिविहोवि 10 / श्रवसेसं तं चेव जाव से णं भते ! पजत्तसंखेजवासाउय जाव तिरिक्खजोणिए रयणप्पभा जाव करेजा ?, गोयमा ! भवादेसेणं जहन्नेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेणं श्रट्ट भवग्गहणाई कालादेसेणं जहन्नेणं दसवाससहस्साइं अंतोमुत्तमभयाई उक्कोसेणं चत्तारि सागरोदमाइं चउहि पुवकोडीहिं श्रब्भहियाइं एवतियं कालं सेवेजा जाव करेजा 1, 11 / पजत्तसंखेज जाव जे भविए जहन्नकाल जाव से णं भंते ! केवतियकालठितीएसु उववज्जेजा ?, गोयमा ! जहन्नेणं दसवाससहस्सठितीएसु उक्कोसेणवि दसवाससहस्सट्टितीएसु जाव उववज्जेजा 12 / ते णं भंते ! जीवा एवं सो चेव पढमो गमयो निरवसेसो भाणियव्वो जाव कालादेसेणं जहन्नेणं दसवाससहस्साई अंतोमुहुत्तमभहियाई उक्कोसेणं चत्तारि पुवकोडीयो Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 24 :: उद्देशकः ! ] [661 चत्तालीसाए वाससहस्सेहिं अभहियायो एवतियं कालं सेवेजा एवतियं कालं गतिरागति करेजा 2, 13 / सो चेव उक्कोसकालट्ठितीएसु उववन्नो जहन्नेणं सागरोवमट्टितीएसु उकोसेणवि सागरोवमट्टितीएसु उववज्जेजा 14 / अवसेसे परिमाणादीयो भवादेसपज्जवसाणो सो चेव पदमगमो णेयव्यो जाप कालादेसे जहन्नेणं सागरोवमं अंतोमुहुत्तमभहियं उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाई चउहि पुवकोडीहि अभहियाइं एवतियं कालं सेविजा जाव करेजा 3, 15 / जहन्नकालद्वितीय-पजत्त-संखेजवासाउयमन्निपंचिंदिय-तिरिक्खजोसिए णं भते ! जे भविए रयणप्पभपुढवि जाव अवजित्तए से णं भंते ! केवतिकालट्टितीएसु उववज्जेजा ?, गोयमा ! जहन्नेणं दसवाससहस्तट्टितीएसु उक्कोसेणं सागरोवमट्टितीएसु उववज्जेजा 16 / ते णं भते ! जीवा अवसेसो सो चेव गमयो नवरं इमाई अट्ठ णाणत्ताई-सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्म असंखेजइभागं उकोसेणं धणुहपुहुतं, लेस्सायो तिन्नि यादिलायो, णो सम्मदिट्टी मिच्छादिट्ठी णो सम्मामिच्छादिट्ठी, णो णाणी दो अन्नाणा णियमं, समुग्घाया यादिल्ला तिन्नि, अाउं यज्झवसाणा अणुबंधो य जहेव असन्नीणं अवसेसं जहा पढमगमए जाव कालादेसेणं जहन्नेणं दसवाससहस्साई अंतोमुहुत्तमभहियाई उकोसेणं चत्तारि सागरोवमाइं चरहिं अंतोमुहुत्तेहिं अमहियाई एवतियं कालं जाव करेजा 4, 17 / सो चेव जहन्नकालद्वितीएसु उववन्नो जहन्नेणं दसवाससहस्सट्टितीएसु उक्कोसेणवि दसवाससहस्सद्वितीएसु उववज्जेजा, ते णं भंते! एवं सो चेव चउत्थोगमयो निरवसेसो भाणियव्वो जाव कालादेसेणं जहन्नेणं दसवाससहस्साइं अंतोमुहुत्तमभहियाई उक्कोसेणं चत्तालीसं वाससहस्साई चउहिं अंतोमुहुत्तेहिं अभहियाइं एवतियं जाव करेजा 5, 18 / सो चेव उकोसकालट्ठितीएसु उववन्नो जहन्नेणं सागरोवमट्टितीएसु उववज्जेजा उक्कोसेणवि सागरोवमट्टितीएसु उववज्जेजा, ते णं भंते ! एवं Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 662 ] ... ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विमागः सो चेव चउत्थो गमयो निरवसेसो भाणियब्यो जाव कालादेसेणं जहन्नेणं सागरोवमं अंतोमुहुत्तमभहियं उकोसेणं चत्तारि सागरोवमाई चाहिं अंतोमुहुत्तेहि यभहियाई एवतियं जाव करेजा 6, 11 / उक्कोसकालद्वितीयपज्जत्तसंखेजवासाउय जाव तिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववजितए, से णं भंते ! केवतिकालहितीए उववज्जेज्जा ?, गोयमा ! जहन्नेणं दसावाससहस्सद्वितीएसु उकोसेणं सागरोवमट्टितीएसु उववज्जेजा ते णं भंते ! जीवा अवसेसो परमाणादीयो भवाएसपज्जवसाणो एएसि चेव पढमगमयो ोयम्बो नवरं ठिती. जहन्नेणं पुव्वकोडी उक्कोसेणवि पुत्वकोडी, एवं अणुबंधोवि, सेसं तं चेव, कालादेसेणं जहन्नेणं पुल कोडी दसहिं वाससहस्सेहिं अ-भहिया उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाई चउहि पुदकोडीहि अभहियाई एवतियं कालं जाव करेजा 7,20 / सो चेव जहन्नकालद्वितीएसु उववन्नो जहन्नेणं दसवाससहस्सट्टितीएसु उक्कोसेणवि दसवाससहस्सट्टितीएसु उववज्जेजा ते णं भंते ! जीवा सो चेव सत्तमो गमयो निरवसेसो भाणियव्वो जाव भवादेसोत्ति, कालादेसेणं जहन्नेणं पुवकोडी दसहि वाससहस्सेहिं अभ. हिया उक्कोसेणं चत्तारि पुवकोडीयो चत्तालीसाए वाससहस्सेहि अब्भहियायो एवतियं जाव करेजा८,२१। उक्कोसकालद्वितीय-पजत्त जाव तिरिवखजोणिए णं भंते! जे भविए उक्कोसकालट्ठितीय जाव उववजित्तए से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ?, गोयमा ! जहन्नेणं सागरोवमद्वितीएसु उक्कोसेणवि सागरोवमट्टितीएसु उववज्जेजा, ते णं भंते ! जीवा सो चेव सत्तमगमयो निरवसेसो भाणियब्बो जाव भवादेसोत्ति, कालादेसेणं जहेन्नेणं सागरोवमं पुवकोडीए अन्भहियं उक्कोसेणं चनारि सागरोवमाई चाहिं पुव्वकोडीहिं अभहियाई एवइयं जाव करेजा 1, 22 / एवं पते णव गमका उक्खेवनिक्खेवयो नवसुवि जहेव असन्नीणं 23 // सूत्रं 614 // पजत्तसंखेज-वासाउय-सन्निपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए सक्करप्पभाए Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 24 :: उद्देशकः 1 ] 663 पुढवीए णेरइएसु उववजित्तए से णं भंते / केवइकालद्वितीएसु उवव. ज्जेजा?, गोयमा ! जहन्नेणं सागरोवमट्टितीएसु उक्कोसेणं तिसागरोवमट्टितीएसु उववज्जेजा / / ते णं भंते ! जीगा एगसमएणं एवं जहेब रयणप्पभाए उववज्जंतगमगस्स लद्धी सच्चेव निरवसेसा भाणियव्वा जाव भवादेमोत्ति कालादेसेणं जहन्नेणं सागरोवमं अंतोमुहुतं अभहिथं उक्कोसेणं बारससागरोवमाई चाहिं . पुव्वकोडीहि अहियाई एवतियं जाव करेजा 1, 2 / एवं रयणप्पभपुटविगमसरिसा णववि गमगा भाणियव्वा नवरं सव्वगमएसुवि नेरइयद्वितीसंवेहेसु सागरोवमा भाणियव्वा एवं जाव छट्ठीपुढवित्ति, णवर नेरइयठिई जा जत्थ पुढवीए जहन्नुकोसिया सा तेणं चेव कमेण चउगुणा कायव्वा 3 / वालुयप्पभाए पुढवीए अट्ठावीसं सागरीवमाइं चउंगुणिया भवंति पंकप्पभाए पुढवीए चत्तालीसं धूमप्पभाए असट्टि तमाए अट्टासीइं संघयणाई वालुयप्पभाए पंचविहसंघयणी तंजहावयरोसहनारायसंघयणी जाव खीलियासंवयणी पंकप्पभाए चउन्विहसंघयणी धूमप्पभाए तिविहसंघयणी तमाए दुविहसंघयणी तंजहा-वयरोसभनारायसंघयणी य 1 उसभनारायसंघयणी 2, सेसं तं चेव 4 / पजत्तसंखेनवासाउय जाव तिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए अहेसत्तमाए पुटवीए नेरइएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवतिकालट्ठितीएसु उववज्जेजा गोयमा ! जहन्नेणं बावीसंसागरोवमट्टितीएसु उक्कोसेणं तेत्तीसंसागरोवमद्वितीएसु उववज्जेजा 5 / ते णं भंते ! जीवा एवं जहेव रयणप्पभाए णव गमका लद्धीवि सच्चेव णवरं वयरोसभ-णारायसंघयणी इथिवेयगा न अवज्जति सेसं तं चेव जाव अणुबंधोत्ति 6 / संवेहो भवादेसेणं जहन्नेणं तिन्नि भवग्गहणाई उक्कोसेणं सत्त भवग्गहणाई कालादेसेणं जइन्नेणं बावीसं सागरोवमाई दोहिं अंतोमुहुतेहिं अब्भहियाई उक्कोसेणं छावटि सागरोवमाई चाहिं पुवकोडीहि अब्भहियाई एवतियं जाव करेजा 1, 7 / सो चेव Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 664 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः तृतीयो विभागः जहन्नकालद्वितीएसु उबानो सच्चेव वत्तव्वया जाव भवादेसोत्ति, कालादेसेणं जहन्नेणं कालादेसोवि तहेव जाव चाहिं पुव्वकोडीहिं अभहियाई एवतियं जाव करेजा 2, सो चेव उकोसकालट्टितीएसु उववज्जति सच्चेव लद्धी जाव अणुबंधोत्ति = / भवादेसेणं जहन्नेणं तिन्नि भवगाहणाई उक्कोसेणं पंच भवग्गहणाई कालादेसेणं जहन्नेणं तेत्तीसं सागरोरमाइं दोहिं अंतोमुहुत्तेहिं अमहियाई उक्कोसेणं छावढि सागरोवमाई तिहिं पुवकोडीहिं अब्भहियाइं एवतियं जाव करेजा 3, 1 / सो चेव अप्पणा जहन्नकालद्वितीयो जायो सच्चेव रयणप्पभपुढविजहन्नकालद्वितीयवत्तव्वया भाणियव्वा जाव भवादेसोत्ति नवरं पढमसंघयणं णो इथिवेयगा भवादेसेणं जहन्नेणं तिन्नि भवग्गहणाई उक्कोसेणं सत्त भवग्गहणाई कालादेसेणं जहन्नेणं बावीसं सागरोवमाइं दोहिं अंतोमुहत्तेहिं अब्भहियाई उक्कोसेणं छावहिं सागरोवमाइं चरहिं अंतोमुहुत्तेहिं अभहियाई एवतियं जाव करेजा 4, 10 / सो चेव जहन्नकालद्वितीएसु उववन्नो एवं सो चेव चउत्थो गमयो निरवसेसो भाणियव्वो जाव कालादेसोत्ति 5, 11 / सो चेव उक्कोकालद्वितीएसु उववन्नो सच्चेव लद्धी जाव अणुबंधोत्ति भवादेसेणं जहन्नेणं तिन्नि भवग्गहणाई उक्कोसेणं पंच भवग्गहणाई कालादेसेणं जहन्नेणं तेत्तीसं सागरोवमाई दोहिं अंतोमुहुत्तेहिं अभहियाई उक्कोसेणं छावढि सागरोवमाई तिहिं अंतोमुहुत्तेहिं अमहियाई एवइयं कालं जाव करेजा 6, 12 / सो चे अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जहन्नेणं बावीससागरोवमट्टिइएसु उकोसेणं तेत्तीससागरोवमट्टितीएसु उववज्जेजा ते णं भंते ! अवसेसा सच्चेव सत्तमपुढविपढमगमवत्तव्वया भाणियव्वा जाव भवादेसोत्ति नवरं ठिती अणुबंधो य जहन्नेणं पुवकोडी उक्कोसेणवि पुव्वकोडी सेसं तं चेव कालादेसेणं जहन्नेणं बावीसं सागरोवमाई दोहिं पुव्वकोडीहिं अन्भहियाई उक्कोसेणं छावट्टि सागरोवमाई चाहिं पुवकोडोहिं अब्भहियाइं एवइयं जाव करेजा 7, 13 / Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र : शतकं 24 :: उद्देशकः 1] [665 सो चेव जहन्नकालद्वितीएसु उववन्नो सच्चेव लद्धी संवेहोवि तहेव सत्तमगमगसरिसो 8, 14 / सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववन्नो एस चेव लद्धी जाव अणुबंधोत्ति भवादेसेणं जहन्नेणं तिन्नि भवग्गहणाई उकोसेणं पंच भवग्गहणाई कालादेसेणं जहन्नेणं तेत्तीससागरोदमाई दोहिं पुव्वकोडीहि अब्भहियाइं उक्कोसेणं छावट्टि सागरोवमाइं तिहिं पुव्व कोडीहिं अब्भहियाई एवतियं कालं सेवेजा जाव करेजा 15 // सूत्रं 615 // जइ मणुस्सेहितो उववज्जति कि सन्निमणुस्सेहितो उववज्जति असन्निमणुस्सेहितो उवव जंति ?, गोयमा ! सन्निमणुस्सेहिंतो उववज्जति णो असन्नीमणुस्सेहितो उववज्जति 1 / जइ सन्निमणुस्सेहितो उववज्जंति किं संखेजवासाउयसन्निमणुस्सेहिंतो उववज्जति असंखेजवासाउय जाव उववज्जति ?, गोयमा ! संखेजवासाउय-सन्निमणुस्सेहितो णो असंखेजवासाउय जाव उववज्जति 2 / जइ संखेजवासा जाव उववज्जति किं पजत्तसंखेजवासाउय-सन्निमणुस्सेहितो उववज्जति अपजनसंखेजवासाउय सन्निमणुस्सेहितो उववज्जति ?, गोयमा ! पजत्तसंखेजवासाउय-सन्निमणुस्सेहितो उववज्जंति नो अपज्जत्तसंखेजवासाउय जाव उववज्जति 3 / पजत्तसंखेजवासाउय-सन्निमणुस्से णं भंते ! जे भविए नेरइएसु उववजित्तए से णं भंते ! कति पुढवीसु उववज्जेजा?, गोयमा ! सत्तसु पुढवीसु उववज्जेजा, तंजहा-रयणप्पभाए जाव अहेसत्तमाए 4 / पजत संखेजवासाउय-सन्निमणुस्से णं भंते ! जे भविए रयणप्पभाए पुढवीए नेरइएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवतिकालटिइएसु उववज्जेज्जा ?, गोयमा ! जहन्नेणं दसवाससहस्सट्ठितीएसु उक्कोसेणं सागरोवमट्टितीएसु उववज्जेजा 5 / ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उववज्जति ?, गोयमा ! जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उकोसेणं संखेजा उववज्जति संघयणा छ सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलपुहुत्तं उक्कोसेणं पंचधणुसयाई, एवं सेसं जहा सन्निपंचिंदिय तिरिक्खजोणियाणं जाव भवादेसोत्ति नवरं चत्तारि Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 666 ] - [ श्रीमदागमसुधा सिन्धुः : तृतीयो विभागः णाणा तिन्नि अन्नाणा भयणाए छ समुग्घाया केवलिवजा ठिती अणुबंधो य जहन्नेणं मासपुहुत्तं उकोसेणं पुवकोडी सेसं तं चेव कालादेसेणं जहन्नेणं दसवाससहस्साई मासपुडसमभहियाई उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाई चउहिं पुव्वकोडीहिं अन्भहियाई एवतियं जाव करेजा 1, 6 / सो चेव जहन्नकालहितीएसु उववन्नो सो चेव वत्तव्वया नवरं कालादेसेणं जहन्नेणं दसवाससहस्साई मासपुहुत्तमभहियाई उकोसेणं चत्तारि पुषकोडियो चत्तालीसाए वाससहस्सेहिं अभहियायो एवतियं जाव करेजा 2, 7 / सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया नवरं कालादेसेणं जहन्नेणं सागरोवमं मासपुहुत्तमभहियं उक्कोसेणं चत्तारि सागरोधमाई चउहि पुषकोडीहिं श्रब्भहियाई एवतियं जाव करेजा 3, 8 / सो व श्रप्पणा जहन्नकाल द्वितीयो जायो एस चेव वत्तब्धया नवरं इमाई पंच नाणत्ताई सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलपुहुत्तं उकासेणवि अंगुलपुहुत्तं तिनि नाणा तिनि अन्नाणाई भयणाए पंच समुग्घाया श्रादिल्ला ठिती अणुबंधो य जहन्नेणं मासपुहुत्तं उक्कोसेणवि मासपुहुत्तं, सेसं तं चेव जाव भवादेसोत्ति, कालादेसेणं जहन्नेणं दसवाससहस्साई मासपुहुत्तमभहियाई उकोसेणं चत्तारि सागरोवमाई चाहिं मासपुहुत्तेहि अब्भहियाइं एवतियं जाव करेजा 4, 6 ! सो चेव जहन्नकालट्ठिताएसु उववन्नो एस चेव चत्तव्वया चउत्थगमगसरिसा णेयव्वा नवरं कालादेसेणं जहन्नेणं दसवाससहस्साई मासपुहृत्तमभहियाई उक्कोसेणं चत्तालीसं वाससहस्साई चाहिं मासपुहुत्तेहि अभहियाइं एवतियं जाव करेजा 5, 10 / सो चेव उक्कोसकालट्टितीएसु उववन्नो एस चेव गमगो नवरं कालादेसेणं जहन्नेणं सागरोवम मासपुहृत्तमब्भहियं उकोसेणं चत्तारि सागरोवमाई चरहिं मासपुहुत्तेहि भहियाई एवइयं जाव करेजा 6, 11 / सो चेव अप्पणा उकोसकालद्वितीयो जायो सो चेव पढमगमत्रो णेयव्यो नवरं सरीरोगाहणा जहन्नेणं पंचवणुसयाई Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतक 24 :: उद्दे शकः 1 / [667 उकोसेणवि पंचधणुमयाई ठिती जहन्नेणं, पुठ्धकोडी उक्कोसेणवि पुवकोडी एवं अणुबंधोरि, कालादेसेणं जहन्नेणं पुवकोडी दसहिं वाससहस्सेहि अब्भहिया उकोसेणं चत्तारि सागरोरमाइं चरहिं पुव्वकोडीहिं अब्भहियाई एवतियं कालं जाव करेजा 7, 12 / सो चेव जहन्नकालट्टितीएसु उववन्नो सच्चेव सत्तमगमगवत्तव्बया नवरं कालादेसेणं जहन्नेणं पुवकोडी दसहि वाससहस्सेहिं अभहिया उक्कोसेणं चत्तारि पुव्यकोडीयो चत्तालीसाए वाससहस्सेहिं अमहियायो एवतियं कालं जाव करेजा 8, 13 / सो.चेव उकोसकालट्टितीएसु उववन्नो सो चे सत्तमगमगवत्तव्वया नवरं कालादेसेणं जहन्नेणं सागरोवमं पुब्बकोडीए अब्भहियं उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाई चाहिं पुनकोडीहिं अभहियाई एवतियं कालं जाव करेजा 1, 14 // सूत्रं 616 // पजत्त-संखेजवासाउय-सन्निमणुस्से णं भंते ! जे भविए संकरप्पभाए पुढवीए नेरइएसु जाव उववजित्तए से णं भंते ! केवति जाव उववज्जेजा ?, गोयमा ! जहन्नेणं सागरोवमट्टितीएसु उकोसेणं तिसागरोवमट्टितीएसु उववज्जेज्जा 1 / ते णं भंते ! सो चेव रयणप्पभपुढविगमश्रो णेयधो नवरं सरीरोगाहणा जहन्ने रयणिपुहुत्तं उक्कोसेणं पंचधणुसयाई ठिती जहन्नेणं वातपुहृत्तं उक्कोसेणं पुब्बकोडी एवं अणुबंधोवि, सेसं तं चेच जाव भवादेसोत्ति, कालादेसेणं जहन्नेणं सागरोवमं वासपुहृत्तं अन्भहियं उक्कोसेणं बारस सागरोवमाइं चरहिं पुव्वकोडीहिं अब्भहियाई एवतियं जाव करेजा 1, 2 / ऐवं एसा योहिएसु तिसु गमएसु मणूसस्स लद्धी नाणत्तं नेरइयट्टिती कालादेसेणं संवेहं च जाणेजा 3, 3 / सो चेव अप्पणा जहन्नकालद्वितीयो जायो तिसुवि गमएसु एस चेव लद्धी नवरं सरीरोगाहणा जहन्नेणं रयणिपुजुत्तं उकोसेणवि. रयणिपुहुत्तं ठिती जहन्नेणं वासपुहुत्तं उक्कोसेणवि वासपुहुत्तं, एवं अणुबंधोवि सेसं जहा श्रोहियाणं संवेहो सब्बो उवजुजिऊण भाणियब्वो 4-5-6, 4 / सो चेव अप्पणा Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 668 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभागः उक्कोसकालद्वितीयो तस्सवि तिसुवि गमएसु इमं णाणत्तं, सरीरोगाहणा जहन्नेणं पंचधणुसयाई उक्कोसेणवि पंचधणुसयाइं ठिती जहन्नेणं पुव्वकोडी उकोसेणवि पुवकोडी एवं अणुबंधोवि सेसं जहा पढमगमए नवरं नेरइयठिई य कायसंवेहं च जाणेजा 1, 5 / एवं जाव छ?पुढवी नवरं तच्चाए बाढवेत्ता एक्कक्क संघयणं परिहायति जहेव तिरिक्खजोणियाणं कालादेसोवि तहेव नवरं मणुस्सट्टिती भाणियव्वा 10 / पजत्तसंखेजवासाउयसनिमणुस्से णं भंते ! जे भविए अहेसत्तमाए पुढविनेरइएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवतिकालट्टितीएसु उववज्जेज्जा ?, गोयमा ! जहन्नेणं बावीसं सागरोवमठितीएसु उक्कोसेगां तेत्तीसं सागरोवमठितीएसु उववज्जेज्जा 11 / ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं अवसेसो सो चेव सकरप्पभापुढविगमयो णेयव्यो नवरं पढमं संघयणं इथिवेयगा न उववज्जंति सेसं तं चेव जाव अणुबंधोत्ति भवादेसेणं दो भवग्गहणाई कालादेसेणं जहन्नेणं बावीसं सागरोवमाई वासपुहुत्तमभहियाई उक्कोसेणं तेत्तीसं सागसेवमाई पुव्वकोडीए अमहियाई एवतियं जाव करेजा 1, 12 / सो चेव जहन्नकालट्ठितीएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्या नवरं नेरइयट्ठिति संवेहं च जाणे जा 2, 13 / सो चेव उक्कोसकालहितीएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया नवरं संवहं च जाणेजा 3, 14 / सो चेव अप्पणा जहन्नकालद्वितीयो जाबो तस्सवि तिसुवि गमएसु एस चेव वत्तव्वया नवरं सरीरोगाहणा जहन्नेणं रयणिपुहुत्तं उकोसेणवि रयणिपुहुत्तं ठिती जहन्नेणं वासपुहुत्तं उक्कोसेणवि वासपुजुत्तं एवं अणुबंधोवि संवेहो उवजुजिऊण भाणियव्वो 6, 15 / सो चेव अप्पणा उकोसकालद्वितीयो जाबो तस्सवि तिसुवि गमएसु एस चैव वत्तव्वया नवरं सरीरोगाहणा जहन्नेणं पंचधणुसयाई उक्कोसेणवि पंचधणुसयाई ठिती जहन्नेणं पुव्वकोडी उक्कोसेणवि पुवकोडी एवं अणुबंधोवि णवसुवि एतेसु गमएसु नेरइयद्विती संवेहं च जाणेजा सव्वत्थ भवग्गहणाई Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // अथ च एवं बयासी नतिरिक्खजोणिणहता गोरहितो श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र : शतकं 24 :: उद्देशकः 1 / [669 दोन्नि जाव णवमगमए कालादेसेणं जहन्नेणं तेत्तीसं सागरोवमाई पुव्वकोडीए अभहियाई उकोसेणवि तेत्तीसं सागरोवमाई पुवकोडीए अभहियाई एवतियं कालं सेवेन्जा एवतियं कालं गतिरागतिं करेजा 1, 16 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरति १७॥सूत्रं 667 // चउवीसतिमसए पढमो // : // इति चतुर्विंशतितमशतके प्रथम उद्देशकः // 24-1 // .. // अथ चतुर्विशतितमशतके द्वितीयोद्देशकः // रायगिहे जाव एवं वयासी-असुरकुमारा णं भंते ! कत्रोहितो, उववज्जति कि नेरइएहितो उववज्जति तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति / मणुसेहितो उपवज्जंति देवेहितो उववज्जति ?, गोयमा ! णो णेरइएहितो उववज्जति तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति मणुस्सेहितो उववज्जति नो देवेहितो उववज्जति 1 / एवं जहेव नेरइयउद्देसए जाव पजत्त-श्रसन्निपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए असुरकुमारेसु उववजित्तए से णं भंते ! केवतिकालट्ठितिएसु उववज्जेजा ?, गोयमा ! जहन्नेणं दसवासमहस्सट्टितीएसु उक्कोसेणं पलियोवमस्स असंखेजइभागट्टितीएसु उवबज्जति 2 / ते णं भंते ! जीवा एवं रयणप्पभागमगसरिसा णववि गमा भाणियव्वा नवरं जाहे अप्पणा जहन्नकालद्वितीयो भवति ताहे अज्झवसाणा पसत्था णो अप्पसत्था तिसुवि गमएसु अवसेसं तं चेव 1, 3 / जइ सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं संखेजवासाउय-सन्निपंचिंदिय जाव उववज्जति असंखेजवासाउय-सन्निपंचिंदिय जाव, उववज्जंति ?, गोयमा ! संखेजवासाउय जाव उववज्जति असंखेजवासाउय जाव उववज्जति 4 / असंखेजवासाउय-सन्निपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो भंते ! जे भविए असुरकुमारेसु उववजित्तए से णं भंते ! केवइकालट्ठितीएसु उववज्जेजा ?, गोयमा ! जहन्नेणं दसवाससहस्सद्वितीएसु उववजिजा उकोसेणं Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 670 / : [श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः तिपलिश्रोवमट्टितीएसु उववज्जेजा 5 / ते णं भंते ! जीवा एगसमएगां पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेन्जा उववज्जेजा वयरोसभनारायसंघयणी योगाहणा जहराणेणं धणुपुहुन उकोसेणं छ गाउयाई समचउरंससंठाणसंठिया पन्नत्ता 6 / चत्तारि लेस्सायी श्रादिलायो, णो सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी णो सम्मामिच्छादिट्ठी, णो णागी अन्नाणी नियमं दुअन्नाणी मतिअन्नाणी सुयनाणी य, जोगो तिविहोवि. उवयोगो दुविहोवि, चत्तारि सन्नायो, बत्तारि कसाया, पंच इंदिया, तिन्नि समुग्घाया श्रादिल्लगा, समोहयावि मरंति असमोहयावि मरंति, वेदणा दुविहावि सायावेयगा असायावेयगा, वेदो दुविहोवि इथिवेयगावि पुरिसवेयगावि णो नपुंसगवेदगा, ठिती जहन्नेणं साइरेगा पुवकोडी उकोसेणं तिनि पलिग्रोवमाई, अज्झवसाणा पसत्थावि अप्पसत्थावि, अणुबंधो जहेव ठिती, कायसंवेहो भवादेसेणं दो भवग्गहणाई कालादेसेणं जहन्नेणं सातिरेगा पुचकोडी दसहिं वाससहस्सेहिं अब्भहिया उकोसेणं छप्पलिग्रोवमाई एवतियं जाव करेजा 1, सो चेव जहन्नकालट्ठितीयएस उववन्नो एस चेव वत्तव्वया नवरं असुरकुमारद्विती संवेहं च जाणेजा 2. सो चेव उक्कोसकालट्टितीएसु उववन्नो जहन्नेणं तिपलियोवमट्टितीएसु उकोसेणवि तिपलिग्रोवमद्वितीएसु उववज्जेजा एस चेव वत्तव्वया नवरं ठिती से जहन्नेणं तिन्नि पलिश्रोवमाई उक्कोसेणवि तिन्नि पलियोवमाइं एवं अणुबंधोवि, कालादेसेणं जहरणेणं छप्पलियोवमाई उकोसेणवि छप्पलिग्रोवमाइं एवतियं सेसं तं चेव 3, सो चेव अप्पणा जहन्नकालट्ठितीयो जाबो जहन्नेणं. दसवाससहस्सट्टितीएसु उकोसेणं सातिरेगपुव्वकोडीग्राउदिइएसु अप्पणा उववज्जेजा 7 / ते गां भंते ! अवसेसं तं चेव जाव भवादेसोत्ति, नवरं श्रोगाहणा जहन्नेणं धणुहपुहुत्तं उकोसेणं सातिरेगं धणुसहस्सं ठिती जहन्नेणं सातिरेगा Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 20 :: उद्देशका 10 ] [ 671 पुवकोडी उक्कोसेणवि सातिरेगा पुवकोडी एवं अणुबंधोवि, कालादेसेणं जहन्नेणं सातिरेगा पुषकोडी दसहिं वावसहस्सेहिं अन्भहिया उक्कोसेणं मातिरेगायो दो पुचकोडीयो एवतियं 4, सो चेव अप्पणा जहन्नकालद्वितीएसु उववज्जेजा एस चेव वत्तव्वया नवरं असुरकुमारट्टिई संवेहं च जाणेजा 5, सो चेव उकोसकालद्वितीएसु उववराणो जहरणेणं सातिरेगपुनकोडीग्राउएसु उक्कोसेणवि सातिरेगपुब्धकोडीग्राउएसु उववज्जेजा संसं तं चेव नवरं कालादेसेणं जहरणेणं सातिरेगायो दो पुषकोडीयो उक्कोसेणवि सातिरेगायो दो पुवकोडीयो एवतियं कालं सेवेजा 6, सो चेच अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जाबो सो चेव पढमगमगो भाणियव्वो नवरं ठिती जहन्नेणं तिन्नि पलिग्रोवमाई उक्कोसेणवि तिन्नि पलिग्रोवमाई एवं अणुबंधोंवि कालादेसेणं जहराणेणं तिनि पलियोवमाइं दसहि वाससहस्सेहिं श्रभहियाई उक्कोसेणं छ पलियोवमाइं एवतियं 7, सो चेव जहन्नकालट्ठितीएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया नवरं असुरकुमारहिती संवेहं च जाणिज्जा 8, सो चेव उकोसकालद्वितीएसु उववन्नो जहराणेणं तिपलिश्रोवमाई उक्कोसेणं तिपलियोवमाई एस चे वत्तव्वया नवरं कालादेसेणं जहरणेणं छप्पलिश्रोवमाइं एवतियं 1, 8 | जई संखेज-वासाउय-सन्निपंचिंदिय जाव उववज्जति कि जलचर-संखेजवासाउयसन्निपंचिदिय-तिरिक्खजोणिए एवं जाव पजत्त-संखेजवासाउय-सन्निपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए असुरकुमारेसु उववजित्तए 1 / से णं भंते ! केवइयकालद्वितीएसु उववज्जेजा ?, गोयमा ! जहराणेणं दसवासहितीएसु उक्कोसेणं साति. रेगसागरोवमट्टितीएसु उववज्जेज्जा 10 / ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं एवं एतेसिं रयणप्पभपुढविगमगसरिसा नब गमगा गेयव्वा, नवरं जाहे यप्पणा जहन्नकालट्ठिइयो भवइ ताहे तिसुवि गमएसु इमं णाणत्तं चत्तारि नेस्सायो अज्झवसाणा पसत्था नो श्रप्पसत्था सेसं तं चेव संवेहो साति Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 372 ] . . [ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: तृतीयो विभागः रेगेण सागरोवमेण कायव्वो 1, 11 / जइ मणुस्सेहितो उववज्जति कि सन्निमणुस्सेहिंतो श्रमन्निमणुस्सेहितो ?. गोयमा ! सन्निमणुस्सेहितो नो असन्निमणुस्सेहितो उववज्जति, जइ सन्निमणुस्सेहितो उववज्जति किं संखेज-बासाउय-सन्निमणुस्सेहितो उववज्जति असंखेजवासाउयसनिमणुस्सेहिंतो उबवज्जति ?, गोयमा ! संखेजवासाउय जाव उववज्जति असंखेजवासाउय जाव उववज्जति 12 ।असंखेजवासाउयसन्निमणुस्से णं भंते जे भविए असुरकुमारेसु उववज्जित्तए से णं भंते ! केवतिकालहितीएसु उववज्जेज्जा ?, गोयमा ! जहराणेणं दसवाससहस्सट्टितीएसु उकोसेणं तिपलियोवमट्टितीएसु उपवज्जति 13 / एवं असंखेजवासाउय-तिरिक्खजोणियसरिसा श्रादिला तिनि गमगा नेयव्वा, नवरं सरीरोगाहणा पढमबितिएसु गमएसु जहन्नेणं सातिरेगाइं पंचधणुसयाई उक्कोसेणं तिनि गाउयाई सेसं तं चेव, तईयगम श्रोगाहणा जहन्नेणं तिन्नि गाउयाई उक्कोसेणवि तिन्नि गाउयाई सेसं जहेव तिरिक्खजोसियाणं 3, सो चेव अप्पणा जहन्नकालद्वितीयो जायो तस्सवि जहन्नकालट्ठितियतिरिक्खजोणियसरिसा तिन्नि गमगा भाणियव्वा, नवरं सरीरोगाहणा तिसुवि गमएसु जहराणेणं साइरेगाई पंचधणुसयाई उको सेणवि सातिरेगाइं पंचधणसयाई सेसं तं चेव 6. सो. चेव अप्पणा उकोसकालद्वितीयो जायो तस्सवि ते चेव पच्छिल्लगा तिन्नि गमगा भाणियब्वा नवरं सरीरोगाहणा. तिसुवि गमएसु जहन्नेणं तिन्नि गाउयाई उक्कोसेणवि तिन्नि गाउयाई अवसेसं तं चेव 1, 14 / जइ संखेज-वासाउयसन्निमणुस्सेहिंतो उववज्जइ किं पन्जत्त-संखेज-वासाउय-सन्निमणुस्सेहितो उववजइ अपज्जत्न-संखेज-वासाउय-सन्निमणुस्सेहितो उववज्जइ ?, गोयमा / पज्जत्तसंखेजवासाउय-सन्निमणुस्सेहितो उववजइ णो अपजत्त-संखेजवासाउयसनिमणुस्सेहितो उववजइ 15 / पजत्त-संखेजवासाउय-सन्निमणुस्स गणं भंते ! जे भविए असुरकुमारेसु उववजित्तए से णं भंते ! केवतिकालट्ठितीएस Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञाप्त (श्रीमद्भगवति) सूत्रं / शतकं 24 // उद्देशकः ! ] [ 673 उबवज्जेजा ?, गोयमा ! जहन्नेणं दसगससहस्सद्वितीएसु उक्कोसेणं साइरेगसागरोवमट्टितीएसु उववज्जेन्ना 16 / तें गणं भंते ! जीवा एवं जहेव एतेसि रयणप्पभाए उववज्जमाणाणं णव गमगा तहेव इहवि णव गमगा भाणियव्वा णवरं संवेहो सातिरेगेण सागरोवमेण कायब्बो सेसं तं चेव 1, 17 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 18 // सूत्र 618 // ..... // इति चतुर्विंशतितमशतके द्वितीय उद्देशकः // 24-2 // // अथ चतुर्विंशतितमशतके तृतीयोद्देशकः // // चतुर्थतः एकादशमपर्यन्तोद्दे शकाश्च // . . रायगिहे जाव एवं वयासी-नागकुमारा णं भंते ! करोहितो उववज्जति किं नेरइएहिंतो उववज्जति तिरिक्खजोणिएहितो उववजंति ? मणुस्सेहिंतो उववजंति देवेहितो उववज्जति ?, गोयमा ! णो णेरइएहितो उववज्जति तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति मणुस्सेहितो उववज्जति नो देवेहितो उववज्जति 1 / जइ तिरिक्ख एवं जहा असुरकुमाराणं वत्तव्यया तहा एतेसिपि जाव असन्नीति 2 / जइ सन्निपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो किं. संखेज-वासाउय-सन्निपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति असंखेजवासाउय-सन्निपंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ?, गोयमा ! संखेजवासाउय-सन्निपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति असंखेजवासाउयसन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति 3 / श्रसंखिज-वासाउयसन्निपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए नागकुमारेसु उववजित्तए से णं भंते ! केवतिकालट्ठितीएसु उववज्जति ?, गोयमा ! जहन्नेणं दसवाससहस्सट्ठितिएसु ·उकोसेणं देसूणदुपलिश्रोवमट्टितीएसु उववज्जेजा 4 / ते णं भंते ! जीवा अवसेसो सो चेव असुरकुमारेसु उववन्नमाणस्स गमगो भाणियन्वो जाव भवादेसोत्ति कालादेसेणं जहन्नेणं Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 674 ] _ [श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभाग सातिरेगा पुब्बकोडी दसहिं वाससहस्सेहिं अभहिया उक्कोसेणं देसूणाई पंच पलिग्रोवमाई एवतियं जाव करेजा 1, सो चेव जहन्नकालट्ठितीएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया नवरं णागकुमारद्वितीं संवेहं च जाणेज्जा 2, सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववन्नो तस्सवि एस चेव वत्तव्वया नवरं ठिती जहन्नेणं देसूणाई दो पलियोवमाई उक्कोसेणं तिनि पलिग्रोवमाई सेसं तं चेव जाव भवादेसोत्ति कालादेसेणं जहन्नेणं देसूणाई चत्तारि पलियोवमाइं उक्कोसेणं देसूणाई पंच पलिग्रोवमाइं एवतियं कालं 3, सो चेव अप्पणा जहन्नकालहितीयो जायो तस्सवि तिसुवि गमएसु जहेब असुरकुमारेसु उववजमाणस्स जहन्नकालट्ठितियस्स तहेव निरवसेसं 6 सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जातो तस्सवि तहेव तिन्नि गमगा जहा असुरकुमारेसु उववजमाणस्स नवरं नागकुमारद्वितीं संवेहं च जाणेज्जा सेसं तं चेव 1, 5 / जइ संखेजवासाउयसन्निपंचिंदिय जाव किं पजत्त. संखेजवासाउयसन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति अपजत्तसंखेजवासाउय-सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो ? गोयमा ! पजत्तसंखेजवासाउयसन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो णो अपजत्तसंखेजवासाउय सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति 6 / पजत्तसंखेजवासाउय जाव जे भविए णागकुमारेसु उववजित्तए से | भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उबवज्जेज्जा, एवं जहेव असुरकुमारेसु उववजमाणस्स बत्तव्वया तहेव इहवि णवसुवि गमएसु, गावरं णागकुमारठिति संवेहं च जाणेजा, सेसं तं चेव 6, 7 / जइ मणुस्सेहितो उववज्जति किं सन्निमणुस्सेहितो उववज्जति असन्नीमणुस्सेहिंतो उववज्जंति ?, गोयमा ! सन्निमणुस्सेहितो उववज्जंति णो असन्निमणुस्सेहिंतो उववज्जति 8 | जहा असुरकुमारेसु उववजमाणस्म जाव असंखेजवासाउथसन्निमणुस्से मां भंते ! जे भविए णागकुमारेस उववजित्तए से एं भंते / केवतिकालद्वितीएसु उववज्जइ ?, गोयमा ! Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 24 :: उद्देशकः 1] / 675 जहन्नेणं दस वाससहस्सं उक्कोसेणं देसूणाई दो पलियोवमाइं एवं जहेव असंखेजवासाउयाणं तिरिक्खजोणियाणं नागकुमारेसु आदिला तिन्नि गमगा तहेव इमस्सवि, नवरं पढमबितिएसु गमएसु सरीरोगाहणा जहन्नेणं सातिरेगाई पंचधणुसयाई उक्कोसेणं तिन्नि गाउयाई तइयगमे श्रोगाहणा जहन्नेणं देसूणाई दो गाउयाई उक्कोसेणं तिनि गाउयाई सेसं तं चेव 3, सो चेव अप्पणा जहन्नकालद्वितीयो जायो तस्स तिसुवि गमएसु जहा तस्स चेव असुरकुमारेसु उववजमाणस्स तहेव निरवसेसं 6, सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जात्रो तस्स तिसुवि गमएसु जहा तस्म चेव उक्कोसकालट्ठितियस्स असुरकुमारेसु उववजमाणस्स नवरं णागकुमारठ्ठिति संवेहं च जाणेजा, सेसं तं चेत्र 1, 1 ।जइ संखेन्जवासाउयसन्निमणुस्सेहितो उववज्जति किं पजत्तसंखेजवासाउयसन्निमणुस्सेहिंतो उववज्जति अपजत्तसंखेजवासाउयसन्निमणुस्सेहिंतो उववज्जति?, गोयमा ! पजनसंखेजवासाउयसन्निमणुस्सेहिंतो उववज्जति णो अपजत्तसंखेन्जवासाउयसन्निमणुम्सेहितो उववज्जति 10 / पजत्तसंखेजवासाउयसन्निमणुस्से णं भंते ! जे भविए णागकुमारेसु उववजित्तए से णं भंते ! केवतियट्टितीएसु उववजइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं दसवाससहस्सं उक्कोसेणं देसूणदोपलिश्रोवमट्टिती 11 / एवं जहेव असुरकुमारेसु उववजमाणस्स सच्चेव लद्धी निरवसेसा नवसु गमएसु णवरं णागकुमारट्ठिति संवेहं च जाणेजा 12 / सेवं भंते ! 2 ति जाब विहरइ 13 // सूत्र 616 // चउवीसतिमे सए ततिश्री समत्तो // 24-3 // श्रवसेसा सुवनकुमाराई जाव थणियकुमारा एए अट्ठवि उद्देसगा जहेव नागकुमारा तहेव निरवसेसा भाणियव्वा, सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरइ // सूत्रं 700 // चउवीसतिमे सते एकारसमो उद्देसो समत्तो // 24-11 // Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 676 ] [ श्रीमदांगमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः // अथ चतुर्विशतितमशतके द्वादशमोद्देशकः // पुढेविकाइया ग भंते ! करोहितो उववज्जति कि नेरइएहितो उपवज्जति तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति मणुस्सेहितो उववज्जंति देवेहितो उववज्जति ?, गोयमा ! णो ोरइएहितो उववज्जति तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति मणुस्सेहितो. उववज्जति .. देवेहितोवि उववज्जति 1 / जइ तिरिक्खजोणिए कि एगिदियतिरिक्खजोणिए एवं जहा वक्कंतीए उववायो जाव जइ बायरपुढविक्काइय-एगिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं पजत्तबादर जाव उववज्जति अपजत्तबादर. पुढवि ?, गोयमा ! पजत्तबादरपुढवि अपजत्तबादरपुदविकाइय जाव उववज्जति 2 / पुढविक्काइए णं भंते ! जे भविए पुढविक्काइएसु उववजित्तए से गां भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेजा ?, गोयमा ! जहन्नेगां अंतोमुहुत्तहितीएसु उक्कोसेणं बावीससहस्सट्टितीएसु उववज्जेज्जा 3 / ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं पुच्छा, गोयमा ! अणुसमयं अविरहिया असं. खेजा उववज्जति छे(से)बट्ट(छेवट, सेव)संघयणी सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उकोसेणवि अंगुलस्स असंखेजइभागं मसूरचंदसंठिया, चत्तारि लेस्सायो, गो सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी णो सम्मामिच्छादिट्टी, णो णाणी अन्नाणी दो अन्नाणा नियम णो मणजोगी णों वइजोगी कायजोगी, उवयोगो दुविहोवि, चत्तारि सन्नायो, चत्तारि कसाया, एगे फासिदिए पन्नत्ते, तिन्नि समुग्घाया, वेदणा दुविहा, णो इथिवेदगा गो पुरिसवेदगा नपुसगवेदगा, ठितीए जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साई, अज्झवसाणा पसत्थावि अपसस्थावि अणुबंधो जहा ठिती 1, 4 / से णं भंते ! पुढविकाइए पुणरवि पुढविकाइएत्ति केवतियं कालं सेवेजा ?, केवतियं कालं गतिरागति करेजा ?, गोयमा ! भवादेसेणं जहराणेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेणं असंखेजाइं भवग्गहणाई कालादेसेणं Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमदयाल अंतोमुटुत्ता उकालद्वतीएमु उन एवं चेव वालणं श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 24 :: उद्देशकः 12 ] [ 677 जहन्नेणं दो अंतोमुहुत्ता उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं एवतियं जाव करेजा 1, सो चेव जहन्नकालट्ठितीएसु उववन्नो जहन्नेणं अंतोमुहुत्तठितीएसु उक्कोसेणवि. अंतोमुहुत्तट्टिीएसु एवं चैव वत्तव्वया निरवसेसा 2, सो चेव उकोसकालद्वितीएसु। / "उपवनो . जहन्नेणं बावीसवाससहस्सद्वितीएसु. उक्कोसेणवि बाबींसवाससहस्सट्टितीएसु सेसं तं चेव जाव अणुबंधोति, वरं जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कीसेणं संखेज्जा वा असंखेजा वा उववज्जेजा भवादेसेणं जहराणेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई कालादेसेणं जहसणेणं बावीसं वाससहस्साई अंतोमुत्तमभहियाई उक्कोसेंणं छावत्तरि वास(संहस्सु. तरं) सयसहस्सं एवतियं कालं जाव करेजा 3, सो चेव अपणा जहन्नकालद्वितीयो जात्रो सो चेव पढमिल्लयो गमश्रो भाणियव्यो, नवरं लेस्सायो तिन्नि ठिती जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं अप्पमत्था अज्झवसाणा अणुबंधो जहा ठिती सेसं तं चेव 4, सो चेव जहन्नकालट्टितीएसु उववन्नो एसो चेव चउत्थगमगवत्तव्वया भाणियव्वा 5, मो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया नवरं जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेगां संखेजा वा असंखेज्जा वा जाव भवादेमंगां जहन्नेणं दो भवग्गहणाई उकोसेणां अट्ठ भवग्गहणाई कालादेसेगां जहन्नेगां बावीसवाससहस्साइं अंतोमुहुत्तमभहियाई उकोसेगां अट्ठासीई वाससहस्साई चउहिं अंतोमुहुत्तेहिं अभहियाई एवतियं कालं जाव करेजा 6, सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जायो एवं तझ्यगमगसरिसो निरवसेसो भाणियब्यो, नवरं अप्पणा से ठिई जहन्नेणं बावीसवाससहस्साई उक्कोसेणवि बावीसं वाससहस्साई 7, सो चेव जहन्नकालट्टितीएसु उववन्नो जहन्नेगां अंतोमुहुत्तं उक्कोसेगवि अंतोमुहत्तं, एवं जहा सत्तमगमगो जाव भवादेसो, कालादेसेणं जहन्नेणं बावीसं वाससहस्साई अंतोमुहुत्तमब्भहियाई Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 67% ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः उक्कोसेणं अट्ठासीई वाससहस्साई चउहिं अंतोमुहुत्तेहिं अमहियाई एवतियं कालं जाव करेजा 8, सो चेव उक्कोसकालट्टितीएसु उववन्नो जहन्नेणं बावीसं-वाससहस्सद्वितीएसु उक्कोसेणवि बावीस-बाससहस्सद्वितीएसु एस चेव सत्तमगमगवत्तव्वया जाणियव्वा जाव भवादेसोत्ति कालादेसेणं जहगणणं चोयालीसं वाससहस्साई उकोसेणं छावत्तरि-वाससहस्सुत्तरं सयसहस्सं एवतियं कालं जाव करेजा 1, 5 / जइ अाउकाइय-एगिदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं सुहुमयाउकाइय-एगिदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति बादरयाउकाइय-एगिदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? एवं चउक्कयो भेदो भाणियव्वो जहा पुढविक्काइयाणं 6 / अाउकाइयाणं भंते ! जे भविए पुढविकाइएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवइकालट्ठितीएसु उववजिज्जा ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तट्टितीएसु उक्कोसेणं बावीसंवाससहस्सद्वितीएसु उववति , एवं पुढविकाइयगमगसरिसा नव गमगा भाणियव्वा 1, नवरं थिबुगबिंदुसंठिए, ठिती जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं सत्त वाससहस्साई 7 / एवं अणुबंधोवि एवं तिसुवि गमएसु, ठिती संवेहो तइयछट्ठसत्तमट्ठमणवमगमेसु भवादेसेणं जहराणेगां दो भवग्गहणाई उक्कोसेगां अट्ठ भवग्गहणाई, सेसेसु चउसु गमएसु जहन्नेगां दो भवग्गहणाई उक्कोसेणां असंखेजाई भवग्गहणाई, ततियगमए कालादेसेगां जहन्नेगां बावीसं वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तमभहियाई उक्कोसेगां सोलसुत्तरं वाससयसहस्सं एवतियं कालं जाव करेजा, छ8 गमए कालादेसेगां जहन्नेगां बावीसं वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तमभहियाई उक्कोसेगां अट्ठासीतिं वाससहस्साई चरहिं अंतोमुहुत्तेहिं अमहियाई एवतियं कालं जाव करेजा, सत्तमे गमए कालादेसेगां जहन्नेगां सत्त वाससहस्साई अंतोमुहुत्तमभहियाई उक्कोसेगां सोलसुत्तरवाससयसहस्सं एवतियं कालं जाव करेजा, अट्ठमे गमए कालादेसेणं जहन्नेणं सत्त वाससहस्साई अंतोमुहुत्तमब्भहियाई उकोसेणं Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीपद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्वगवति) सूत्रं : शतकं 24 :: उद्देशकः 12] / 676 यट्ठावीसं वाससहस्साई चरहिं अंतोमुहुत्तेहिं अभहियाई एवतियं कालं जान करेजा, णवमे गमए भवादेसेणं जहन्नेणं दो भवग्गहणाई उकोसेणं य? भवग्गहणाई कालादेसेणं जहन्नेणं एकूणतीसाई वाससहस्साई उक्कोसेणं मोलसुत्तरं वाससयसहस्सं एवतियं कालं जाव करेजा, एवं णवसुविं गमएसु याउकाइयठिई जाणियन्वा 1, 8 / जइ तेउकाइएहितो उववज्जति तेउकाइयाणवि एस चेव वत्तव्वया, नवरं नवसुवि गमएसु तिन्नि लेस्साश्रो तेउकाइयाणां सुईकलावसंठिया ठिई जाणियव्या तईयगमए कालादेसेणं जहन्नेणं वारीसं वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तमभहियाई उक्कोसेणं अट्ठासीति वामसहस्साहं बारसहिं राइदिएहि अभहियाई एवतियं एवं संवेहो उवजु जिऊण भाणियव्यो 1, 1 / जइ वाउकाइएहितो वाउकाइयाणवि एवं चेव णव गमगा जहेव तेउकाइयाणं णवरं पडागासंठिया पन्नत्ता, संवेहो वाससहस्सेहिं कायव्वो, तइयममए कालादेसेणं जहराणेणं बावीसं वाससहस्साई अंतोमुहुत्तमभहियाई उकोसेणं एगं वाससयसहस्सं. एवं संवेहो उवजुजि(जुजि, वजि)ऊण (उवजुजित्ताण, उववजित्ताण) भाणियब्यो 10 / जइ वणस्सइकाइएहितो उववज्जति वणस्सइकाइयाणं आउकाइयगमगसरिसा साव गमगा भाणियव्वा नवरं गाणासंठिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता, पढमएसु पच्छिल्लएंसु य तिसु गमएमु जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उकोसेणं मातिरेगं जोयणसहस्सं मझिल्लएसु तिसु तहेव जहा पुदविकाइयाणं संवेहो ठिती य जाणियव्वा तइयगमे कालादेसेणं जहन्नेणं बावीसं बाससहस्साई यंतोमुहुत्तमभहियाइं उकोसेणं अट्ठावीसुत्तरं वाससयसहस्सं एवतियं एवं संवेहो उवजुजिऊण भाणियब्बो 11 // सूत्रं 701 // जइ - बेइंदिएहितो उववज्जति किं पजत्तबेइंदिएहितो. उववज्जति अपजत्तबेइंदिएहितो उववज्जंति ?, गोयमा ! पजत्तबेइंदिएहित्तो उववज्जति अपज्जत्तबेइंदिएहितोवि उववज्जति 1 / बेइंदिए णं भंते ! जे भविए पुढविकाइएसु Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 680 ] _ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः उववजितए से णं भंते ! केवतिकालं ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुतद्वितीएसु उक्कोसेणं बावीसंवाससहस्सद्वितीएसु 2 / ते णं भंते ! जीवा एगममए जाव उववज्जति ?, गोयमा ! जहन्नेणां एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेजावा असंखेजा वा उववज्जति 3 / छेवट्ठसंघयणी श्रोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं बारस जोयमणाई, हुंडसंठिया तिन्नि लेसायो, सम्मदिट्ठीवि मिच्छादिट्ठीवि नो सम्मामिच्छादिट्ठी, दो णाणा दो अन्नाणा नियम णो मणजोगी वयजोगीवि कायजोगीवि, उवयोगो दुविहोवि, चत्तारि सन्नाथो चत्तारि कसाया, दो इंदिया पन्नत्ता, तंजहा-- जिभिदिए य फासिदिए य, तिन्नि समुग्घाया सेसं जहा पुढविकाइयाणं णवरं ठिती जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बारस संवच्छराई एवं अणुबंधोऽवि, सेसं तं चेव, भवादेसेणं जहराणेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेणं संखेजाइं भवग्गहणाई कालादेसेणं जहन्नेणं दो अंतोमुहुत्ता उक्कोसेणं संखेज्जं कालं एवतियं कालं जाव करेजा 1, सो चेव जहन्नकालट्ठितीएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया सव्वा 2, सो चेव उक्कोसकालट्ठितिएसु उववन्नो एसा चेव बेदियस्स लद्धी नवरं भवादेसेणं जहरणेणं दो भवग्गहणाई. उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई कालादेसेगां जहरणेगां बावीसं वाससहस्साई अंतोमुहुत्तमभहियाई उक्कोसेगां अट्ठासीति वाससहस्साई अडयालीसाए संवच्छरेहिं अमहियाइं एवतियं कालं जाव करेजा 3, सो चेव अप्पणा जहन्नकालद्वितीयो जायो तस्सवि एस चेव वत्तव्वया तिसुवि गमएसु नवरं इमाई सत्त णाणत्ताई सरीरोगाहणा जहा पुढविकाइयाणां णो सम्मदिट्टी मिच्छदिट्ठी णो सम्मामिच्छादिट्ठी दो अन्नाणा णियमं णो मणजोगी णो वयजोगी कायजोगी ठिती जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं अज्झवसाणा अपसत्था अणुबंधो जहा ठिती संवेहो तहेव आदिल्लेसु दोसु गमएसु तइयगमए भवादेसो तहेव अट्ठ भवग्गहणाई कालादेसेणं जहन्नेगां बावीसं Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 24 :. उद्देशकः 12] [681 वाससहस्साई अंतोमुहुत्तमभहियाई उक्कोसेणं अट्टासीतिं वाससहस्साई चरहिं अंतोमुहुत्तेहिं अमहियाई 6, सो चेव अप्पणा उक्कोसकालट्ठितीयो जागो एयस्सवि श्रोहियगमगसरीसा तिन्नि गमगा भाणियव्वा, नवरं तिसुवि गमएसु ठिती जहन्नेणं बारस संवच्छराई उक्कोसेणवि बारस संवच्छराई, एवं अणुबंधोवि, भवादेसेणं जहन्नेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई, कालादेसेणं उवजुजिऊण भाणियव्वं जाव गावमे गमए जहन्नेणं बावीसंवाससहस्साइं बारसहिं संवच्छरेहिं अब्भहियाई उक्कोसेणं अट्ठासीती वाससहस्साई अडयालीमाए संवच्छरेहिं अभहियाई एवतियं जाव करेजा 1, 4 / जइ तेइंदिएहितो उववजइ एवं चेव नव गमगा भाणियव्वा नवरं अादिल्लेसु तिसुवि गमएसु सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइ. भागं उक्कोसेणं तिन्नि गाउयाई तिनि इंदियाई ठिती जहन्नेगां अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं एगणपन्नं राइंदियाई, तइयगमए कालादेसेणं जहन्नेणं बावीसं वाससहस्साई अंतोमुहुत्तमब्भहियाई उक्कोसेगां अट्ठासीति वाससहस्साई छन्नउइं राइंदियसयमभहियाइं एवतियं कालं जाव करेजा, मज्झिमा तिनि गमगा तहेव पच्छिमावि तिन्नि गमगा तहेव नवरं ठिती जहन्नेणं एकूणपन्नं राइंदियाइं उक्कोसेणवि एगणपन्नं राइंदियाई संवेहो उवजुजिऊण भाणियवो 1, 5 / जइ चउरिदिएहितो उववजइ एवं चेव चउरिदियाणवि नव गमगा भाणियव्वा नवरं एतेसु चेव ठाणेसु नाणत्ता भाणियव्वा सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं चतारि गाउयाइं ठिती जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेण य छम्मासा एवं अणुबंधोवि चत्तारि इंदियाई सेसं तहेव जाव नवमगमए कालादेसेणं जहराणेणं बावीसं वाससहस्साई छहिं मासेहिं अहियाई उकोसेणं अट्ठासीति वाससहस्साई चवीसाए मासेहिं अमहियाई एवतियं 1, 6 / जइ पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं सन्निपंचिदियतिरिवखजोणिएहितो उव Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 682] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : तृतीयो विभागः वजंति असन्निपंचिंदियतिरिवखजोणिएहितो उववज्जति ?, गोयमा ! मन्निपंचिंदियतिरिवखजोणिएहितो उनबज्जति असन्नि जाव उववज्जति, जइ असन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति किं जलयरेहितो उववज्जति जाव किं पजत्तएहितो उववज्जंति अपजत्तएहितो उववज्जंति ?, गोयमा ! पजत्तएहिंतोवि उववज्जंति अपजत्तएहितोवि उववज्जंति७। असन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए पुढविक्काइएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवति ?, गोयमा ! जहन्नेणं घेतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साई 8 | ते णं भंते ! जीवा एवं जहेब बेइंदियस्स ग्रोहियगमए लद्धी तहेव नवरं सरीरोगाहणा जहरणेणं अंगुलस्म असंखेजइभागं उक्कोसेणं जोयणसहस्साई, पंचिंदिया ठिती अणुबंधेणं जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं पुव्वकोडी सेसं तं चेव भवादेसेणं जहराणेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहराणेणं दो अंतोमुहुत्ता उकोसेणं चत्तारि पुव्वकोडीयो अट्ठासीतीए वाससहस्सेहिं अभहियायो एवतियं कालं जाव करेजा, णवसुवि गमएसु कायसंवेहो भवादेसेणं जहन्नेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेगां अट्ठ भवग्गहणाई कालादेसेणं उवजुजिऊण भाणियत्वं, नवरं मझिमएसु तिसु गमएसु जहेब बेइंदियस्स पच्छिल्लएसु तिसु गमएंसु जहा एतस्स चेव पढमगमएसु, नवरं ठिती अणुबंधो जहन्नेणं पुव्वकोडी उक्कोसेणवि पुवकोडी, सेसं तं चेव जाव नवमगमएसु जहराणेणं पुव्वकोडी बावीसाए बाससहरसेहिं अभहिया उक्कोसेणं चत्तारि पुब्बकोडीयो अट्ठासीतीए वाससहस्सेहिं अब्भहियायो एवतियं कालं सेविजा 1, 1 / जइ सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति किं संखेजवासाउयसन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति असंखेजवासाउय-सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ?, गोयमा ! संखेजवासाउय-सन्निपंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति णो असंखेजवासाउय-सन्निपंचिंदिय Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 24 :: उद्देशकः 12 ] / 683 तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ?, जइ संखेजवासाउय-सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति किं जलयरेहितो सेसं जहा असन्नीणं जाव ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति एवं जहा रयणप्पभाए उववज्जमाणस्स सन्निस्स तहेव इहवि, नवरं श्रोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स यसंखेजइभागं उक्कोसेणं जोयणसहस्सं सेसं तहेव जाव कालादेसेणं जहन्नेणं दो अंतोमुहुत्ता उक्कोसेणं चत्तारि पुवकोंडीयो अट्ठासीतीए वाससहस्सेहिं अभहियायो एवतियं कालं जाव करेजा, एवं संवेहो णवसुवि गमएसु जहा असन्नीणं तहेव निरवसेसो, लद्धी से श्रादिल्लएसु तिसुवि गमएसु एस चेव मझिल्लएसु तिसुवि गमएसु एस चेव नवरं इमाइं नव णाणत्ताई श्रोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं उक्कोसेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं तिन्नि लेस्साश्रो मिच्छादिट्ठी दो अन्नाणा कायजोगी तिन्नि समुग्घाया ठिती जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं अप्पसत्था अज्झवसाणा अणुबंधो जहा ठिती सेसं तं चेव पच्छिलएसु तिसुवि गमएसु जहेव पढमगमए णवरं ठिती अणुबंधो जहन्नेणं पुबकोडी उक्कोसेणवि पुव्वकोडी सेसं तं चेव 1 // सूत्रं 702 // जइ मणुस्सेहितो उपवज्जति किं सन्नीमणुस्सेहितो उववज्जति असन्नीमाणुस्सेहिंतो उववज्जति ?, गोयमा! सन्नीमणुस्सेहितो असन्निमणुस्सेहितोवि उपवजंति 1 / असन्त्रीमणुस्से णं भंते ! जे भविए पुढविकाइएसु उववज्जंति से णं भंते ! केवतिकालं एवं जहा असन्नीपंचिदियतिरिक्खस्स जहन्नकालद्वितीयस्स तिन्नि गमगा तहा एयस्सवि श्रोहिया तिनी गमगा भाणियब्वा तहेव निरवसेसं सेसा छ न भरणंति 1, 2 / जइ मन्त्रिमणुस्सेहिंतो उववज्जति किं संखेजवासाउय-सन्निमणुस्सेहितो उववज्जति असंखेजवासाउयसन्निमणुस्सेहिंतो उववज्जति ?, गोयमा ! संखेजवासाउयसनिमणुस्सेहितो उववजंति णो असंखेजवासाउय-सन्निमणु Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Ir 684 ] . : / श्रीमदागमसुधासिन्धु / / तृतीयो विभागः स्सेहितो उववजंति, जइ संखेजवासाउय-सन्निमणुस्सेहितो उववज्जंति किं पजत्तसंखेज्जवासाउय-सन्निमणुस्सेहितो उबवज्जति अपजत्त-संखेजवासाउयसन्निमणुस्सेहितो उववज्जति ?, गोयमा ! पजत्तसंखेजवासाउय-सन्निमगुस्सेहिंतो उववज्जंति अपजत्तसंखेज्जवासाउय-सन्त्रिमणुस्सेहितो उववज्जति 3 / सन्निमणुस्से णं भंते ! जे भविए पुढविकाइएसु उववज्जंति से णं भंते ! केवतिकालं उववज्जति ? गोयमा! जहराणेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्स ठितीएसु 4 / ते णं भंते ! जीवा एवं जहेव रयणप्पभाए उववज्जमाणस्स तहेव तिसुवि गमएसु लद्धी नवरं थोगाहणा जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं पंचधणुसयाई ठिती जहराणेणं अंतोमुहुत्ते उक्कोसेणं पुवकोडी एवं अणुबंधो सवेहो नवसु गमएसु जहेब सन्निपंचिदियस्स मझिल्लएसु तिसु गमएसु लद्धी जहेव सन्निपंचिंदियस्म सेसं तं चेव निरवसेसं, पच्छिल्ला तिन्नि गमगा जहा एयस्स चेव श्रोहिया गमगा नवरं योगाहणां जहराणेणं पंचधणुसयाई उक्कोसेणं पंच धणुसयाई ठिती अणुबंधो जहराणेणं पुवकोडी उक्कोसेणवि पुवकोडी, सेसं तहेव नवरं पच्छिल्लएसु गमएसु संखेजा उववज्जति नो असंखेजा उववति 5 / जइ देवेहितो उववज्जंति किं भवणवासिदेवेहितो उपवज्जति वाणमंतरदेवेहिंतो उववज्जति जोइसियदेवेहितो उववज्जति वेमाणियदेवेहितो उववज्जति?. गोयमा ! भवणवासिदेवेहितोवि उववज्जंति जाव वेमाणियदेवेहितोवि उववज्जंति, 6 / जइ भवणवासिदेवेहिंतो उववज्जति किं असुरकुमारभवणवासिदेवेहिंतो उबवज्जति जाव थणियकुमारभवणवासिदेवेहितो उपवज्जति ?. गोयमा ! असुरकुमारभवणवासिदेवेहितो उक्वज्जति जाव थणियकुमारभवणवासिदेवेहितो उववज्जति 7 / असुरकुमारे णं भंते ! जे भविए पुढविकाइएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवतिकालं ?, गोयमा ! जहन्नेणं घेतो. मुहुत्तं उकोसेणं बावीसं वाससहस्साइंठिती 8 / ते णं भंते ! जीवा Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं / शतकं 25 :: उद्देशकः 12 ] [685 पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उकोसेणं संखेजा वा असंखेना वा उववज्जति 1 / तेसिणं भंते ! जीवाणं सरीरंगा किसंघयणी पन्नत्ता ?, गोयमा ! छगह संघयणाणं असंघयणी जाव परिणमंति 10 / तेसि णं भंते ! जीवाणं केमहालिया सरीरोगाहणा?, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा--भवधारणिजा य उत्तरवेउत्विया य, तत्थ णं जा सा भवधारणिजा सा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं सत्त रयणीयो, नत्थ णं जा सा उत्तरवेउब्विया सा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं जोयणमयसहस्सं, 11 / तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरगा किसंठिया पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-भवधारणिज्जा य उत्तरवेउव्विया य, तत्थ णं जे ते भवधारणिज्जा ते समचउरंससंठिया पन्नत्ता, तत्थ णं जे से उत्तरवेउब्विया ते णाणासंठाणसंठिया पन्नत्ता, लेस्सायो चत्तारि, दिट्ठी तिविहावि तिन्नि णाणा नियमं तिन्नि अन्नाणा, भयणाए जोगो तिविहोवि उवयोगो दुविहोवि चत्तारि सन्नायो चत्तारि कसाया पंच समुग्वाया वेयणा दुविहावि इत्थिवेदगावि पुरिसवेयगावि णो णसगवेगा ठिती जहन्नेणं दसवाससहस्साई उक्कोसेणं सातिरेगं सागरोवमं अज्झवसाणा असंखेजा पसत्यावि अप्पसत्थावि अणुबंधो जहा ठिती भवादेसेणं दो भवग्गहणाई कालादेसेणं जहराणेणं दसवाससहस्साई अंतोमुहुत्तमभहियाई उक्कोसेणं सातिरेगं सागरोवमं बावीसाए वाससहस्सेहिं अब्भहियं एवतियं कालं जाव करेजा, एवं णववि गमा गोयव्वा नवरं मज्झिलएसु पन्मिल्लएसु तिसु गमएसु असुरकुमाराणं टिइविसेसो जाणियव्वो सेसा श्रोहिया चेव नदी कायसंवेहं च जाणेजा सव्वत्थ दो भवग्गहणाई जाव णवमगमए कालादेसेणं जहराणेणं सातिरेगं सागरोवमं बावीसाए वाससहस्सेहिमभहियं उकोसेणवि सातिरेगं सागरोवमं बावीसाए वाससहस्सेहिं अमहियं एवतियं 1, 12 / णागकुमारा णं भंते ! जे भविए पुढविकाइए एस चेव Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 686 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभाग वत्तव्वया जाव भवादेसोत्ति, वरं ठिती जहराणणं दसवाससहस्माई उकोसेणं देसूणाई दो पलिग्रोवमाई, एवं अणुबंधोवि, कालादेसेणणं जहराणेणं दसवाससहस्साई अंतोमुहत्तमभहियाई उक्कोसेणं देसूणाई दो पलिग्रोवमाइं बावीसाए वाससहस्सेहि अन्भहियाई एवं णववि गमगा असुरकुमारगमगसरिसा नवरं ठिती कालादेसं जाणेजा, एवं जाव थणिय कुमाराणं 13 / जइ वाणमंतरेहितो उववज्जंति किं पिसाय-वाणमंतर जाव गंधववाणमंतरेहिंतो उववज्जति?,गोयमा! पिसायवाणमंतर जाव गंधव्ववागामंतरेहितो उववज्जति 14 / वाणमंतरदेवे णं भंते ! जे भविए पुढविकाहा एतेसिपि असुरकुमारगमगसरिसा नव गमगा भाणियव्वा, नवरं ठिती कालाढ़ेग च जाणेजा, ठिती जहन्नेणं दसवाससहस्साई. उकोसेणं पलियोवमं समं तहेव 15 / जइ जोइसियदेवेहितो उववज्जति कि चंदविमाणजोतिसिय देवेहितो उववज्जति जाव ताराविमाणजोइसियदेवेहितो उववज्जति ?. गोयमा ! चंदविमाण जाव ताराविमाणजोइसियदेवेहितो उववज्जति 16 / जोइसियदेवे णं भंते ! जे भविए पुढविक्काइए लद्धी जहा असुरकुमाराग णवरं एगा तेउलेस्सा पन्नत्ता तिनि णाणा तिन्नि अन्नाणा णियमं ठिती जहन्नेणं अट्ठभागपलियोवमं उक्कोसेणं पलिश्रोवमं वाससहस्सअमहियं एवं अणुबंधोवि कालादेसेणं जहराणेगां अट्ठभागपलियोवमं अंतोमुहुत्त मभहियं उक्कोसेणं पलिश्रोवमं वाससयसहस्से णं बावीसाए वाससहस्सेहि अमहियं एवतियं कालं जाव करेजा, एवं सेसावि अट्ठ गमगा भाणियव्वा नवरं ठिती कालादेसेणं जाणेजा 17 / जइ वेमाणियदेवेहिंतो उववज्जलि कि कप्पोवगवेमाणियदेवेहितो उववज्जति कप्पातीयवेमाणियदेवेहितो उवव ज्जंति ?, गोयमा ! कप्पोवगवेमाणियदेवेहिंतो उववज्जति णो कप्पातीन वेमाणियदेवेहितो उववजंति 18 / जइ कप्पोवगवेमाणियदेवेहितो उवव ज्जति कि सोहम्मकप्पोवगवेमाणिय जाव अच्चुयकप्पोवगवेमाणिय Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 24 :: उद्देशका 13 ] [ 687 देवेहितो उववज्जति ?, गोयमा ! सोहम्मकप्पोवगवेमाणियदेवेहितो उववज्जंति ईसाणकप्पोवगवेमाणियदेवेहिंतो उववज्जति णो सणंकुमार जाव णो अच्चुय-कप्पोवग-वेमाणियदेवेहिंतो उववज्जति 18 / सोहम्मदेवे णं भंते ! जे भविए पुढविकाइएसु उववज्जति ते णं भंते ! केवतिया एवं जहा जोइसियस्स गमगो णवरं ठिती अणुबंधो य जहन्नेणं पलिश्रोवमं उक्कोसेगां दो सागरोवमाई कालादेसेणं जहराणेणं पलिश्रोवमं अंतोमुहुत्तमब्भहियं उक्कोसेणं दो सागरोवमाइं बावीप्ताए वाससहस्सेहिं श्रभहियाई एवतियं कालं जाव करेजा, एवं सेसावि अट्ठ गमगा भाणियब्वा, णवरं ठिति कालादेसं च जाणेज्जा 11 / ईसाणदेवे णं भंते ! जे भविए एवं ईसाणदेवेणवि णव गमगा भाणियबा नवरं ठिती अणुबंधो जहन्नेणं सातिरेगं पलियोवमं उकोसेणं सातिरेगाइं दो सागरोवमाई सेसं तं चेव 20 / सेवं भंते ! 2 जाव विहरति 21 // सूत्रं 703 // // इति चतुर्विंशतितमशतके द्वादशम उद्देशकः // 24-12 / / // अथ चतुर्विंशतितमशतके त्रयोदशतः . एकोविंशतिपर्यन्तोद्देशकाः // . श्राउकाइया णं भंते ! कत्रोहिंतो उववज्जति एवं जहेव पुढविकाइयउद्दसए जाव पुढविकाइया णं भंते ! जे भविए बाउकाइएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवति ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उकोसेणं सत्तवाससहस्सटिइएसु उववज्जेज्जा एवं पुढविक्काइयउद्देसगसरिसो भाणियब्वो णवरं ठिनी संवेहं च जाणेजा, सेसं तहेव सेवं भंते ! 2 त्ति जाब विहरति // सूत्रं 704 ॥२४-१३॥तेउकाइया णं भंते ! कोहिंतो उववज्जति एवं जहेव पुढविक्काइयउद्दे सगसरिसो उद्देसो भाणियन्वो नवरं ठिति संवेहं च जाणेज्जा देवेहितो ण उववज्जति सेसं तं चेव 1 / सेवं भंते ! 2 जाव विहरति 2 Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 688 ] . .. [श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः // सूत्रं 705 // 24-14 // वाउकाइया णं भंते ! कश्रोहिंतो उबवज्जंति एवं जहेव तेउकाइयउद्दे सयो तहेव नवरं ठिति संवेहं च जाणेज्जा 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 2 // सूत्रं 706 // 24-15 // वणस्सइकाइया णं भंते ! करोहितो उववज्जंति एवं पुढविकाइयसरिसो उद्देसो नवरं जाहे वणस्सइकाइयो वणस्सइकाइएसु उबवज्जति ताहे पढमवितियचउत्थपंचमेसु गमएसु परिमाणं अणुसमयं अविरहियं श्रणंता उववज्जति भवादेसेणं जहराणेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेणं अणंताई भवग्गहणाई कालादेसेणं जहरणेणं दो अंतोमुहुत्ता उक्कोसेणं अणंतं कालं एवतियं कालं जाव करेजा, सेसा पंच गमा अट्ठभवग्गहणिया तहेव नवरं ठितीं संवेहं च जाणेज्जा 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 2 // सूत्रं७०७॥२४-१६ // बेंदिया णं भंते ! करोहितो उववज्जति जाव पुढविकाइए णं भंते ! जे भविए दिएसु उर्ववजित्तए से णं भंते ! केवति कालं उववजति ?, सच्चेव पुढविकाइयस्स लद्धी जाव कालादेसेणं जहन्नेणं दो अंतोमुहुत्ताई उक्कोसेणं संखेजाई भवग्गहणाई एवतियं कालं जाव करेजा, एवं तेसु चेव चउसु गमएसु संवेहो सेसेसु पंचसु तहेव अट्ठ भवा 1 / एवं जाव चउरिदिए णं समं चउसु संखेजा भवा पंचसु अट्ट भवा, पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिय-मणुस्सेसु समं तहेव अट्ठ भवा, देवे न चेव उववज्जंति, ठिति संवेहं च जाणेज्जा 2 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरड 3 // सूत्रं 708 // 24-17 // तेइंदिया णं भंते ! कयोहिंतो उववज्जति ?, एवं तेइंदियाणं जहेव बेइंदिउद्देसो नवरं ठिति संवेहं च जाणेजा 1 / तेउकाइएसु समं ततियगमो उक्कोसेणं अठ्ठत्तराई बे राइंदियसयाई बेइंदिएहि समं ततियगमे उकोसेणं अडयालीसं संवच्छराई छन्नउय-राइंदिय-सतमब्भहियाई तेइंदिएहि समं ततियगमे उक्कोसेणं बाणउयाई तिन्नि राइंदियसयाइं एवं सव्वत्थ जाणेजा जाव सन्निमणुस्सत्ति 2 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 3 // सूत्र 706 // Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 24 : उद्देशकः 20 ) [ 686 // 24-18 // चरिंदिया णं भंते ! कयोहितो उववज्जति जहा तेइंदियाणं उद्देसको तहेव चरिंदियाणवि नवरं ठिति संवेहं च जाणेजा 1 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरइ // सूत्रं 710 // 24-11 // // अथ चतुर्विंशतितमशके विंशतितमोद्देशकः // पंचिंदियतिरिक्खजोणिया णं भंते ! कयोहितो उववज्जति ? किं नेरइएहितो उववज्जति तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति मणुस्सेहितो उववज्जति देवेहितो उववज्जति ?, गोयमा ! नेरइएहितो उववज्जति तिरि. क्खजोणिएहितोवि उववज्जति मणुस्सेहितोवि उववज्जंति देवेहितोवि उववज्जति 1 / जइ नेरइएहितो उववज्जति किं रयणप्पभ-पुढविनेरइएहितो उववज्जति जाव अहेसत्तम-पुढविनेरइएहितो उववज्जति ?, गोयमा ! रयणप्पभपुढविनेरइएहितो उववज्जंति , जाव अहेसत्तम-पुढविनेरइएहितो उववज्जति 2 / रयणप्पभपुढविनेरइए. णं भंते ! जे भविए पंचिंदिय- .. तिरिक्खजोणिएलु उववजंति से णं भंते ! केवइकालट्ठितिएसु उववज्जति ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहृत्तद्वितीएसु उक्कोसेणं पुव्वकोडिबाउएसु उववज्जति 3 / ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उववज्जति ?, एवं जहा असुरकुमाराणं वत्तव्वया नवरं संघयणे पोग्गला अणिट्ठा अकंता जाव परिणमति 4 / योगाहणा दुविहा पराणत्ता, तंजहा-भवधारणिज्जा उत्तरवेउब्विया, तत्थ णं जा सा भवधारणिज्जा सा जहरणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं सत्त धणूई तिन्नि रयणीयो छच्चंगुलाई, तत्थ णं जा सा उत्तरवेउब्विया सा जहन्नेणं अंगुलस्स संखेजइभागं उकोसेणं पनरस धणूई अड्डाइजात्रो रयणीयो 5 / तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरंगा किंसंठिया पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-भवधारणिजा य उत्तरवेउव्विया य, तत्थ णं जे ते भवधारणिजा ते इंडसंठिया Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 690 / ___ ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभाग पराणत्ता, तत्थ णं जे ते उत्तरवेउब्विया तेवि हुंडसंठिता पराणत्ता, एगा काउलेस्सा पराणत्ता, समुग्घाया चत्तारि णो इस्थिवेदगा णो पुरिसवेदगा णपुसगवेदगा, ठिती जहन्नेणं दसवाससहस्साई उक्कोसेणं सागरोपमं एवं अणुबंधोवि, सेसं तहेव 6 / भवादेसेणं जहरणेणं दो भाग्गहणाई उको सेणं अट्ठ भाग्गहणाई कालादेसेणं जहन्नेणां दसवाससहस्साई अंतोमुहुत्त मभहियाई उकासेगां चत्तारि सागरोवमाइं चउहि पुवकोडीहिं अब्भहिया एवतियं कालं जाव करेजा / सो चेव जहन्नकालट्ठितीएसु उववन्नो जहन्नेग अंतोमुहुत्तट्टितीएसु उववन्नो उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तठितीएसु अवसेसं तहेव नवरं कालादेसेणं जहन्नेगां तहेव उक्कोसेगां चत्तारि सागरोवमाइ चउहि अंतोमुहुत्तेहिं अभहियाई एवतियं कालं जाव करेजा 2, 8 | एवं सेसावि सत्त गमगा भाणियव्वा जहेव नेरइयउद्दसए सन्निपंचिदिएहिं सम गोरइयाणां मझिमएसु य तिसुवि गमएसु पच्छिमएसु तिसुवि गमएस ठितिणाणत्तं भवति, सेसं तं चेव सव्वत्थ ठिति संवेहं च जाणेन्जा 1, 1 ! सकरप्पभापुढविनेरइए णं भंते ! जे भविए एवं जहा रयणप्पभाए र गमका तहेव सकरप्पभाएवि, नवरं सरीरोगाहणा जहा योगाहणसंठागं तिन्नि णाणा तिन्नि अनाणा नियमं ठिती अणुबंधा पुव्वभणिया, एक णववि गमगा उवर्जु जिऊण भाणियव्वा, एवं जाव छठ्ठपुढवी, नवर योगाहणा लेस्सा ठिति अणुबंधो संवेहो य जाणियव्वा 10 / अहेसत्तम पुढवीनेरइए णं भंते ! जे भविए एवं चेव णव गमगा णवरं योगाहणा लेस्सा ठिति अणुबंधा जाणियव्वा, संवेहो भवादेसेणं दो भवग्गहणा उकोसेगां छब्भग्गहणाई कालादेसेगां जहराणेणं बावीसं सागरोवमाड अंतोमुहुत्तमभहियाई उक्कोसेगां छावट्टि सागरोवमाई तिहिं पुवकोडीहि अब्भहियाई एवतियं कालं जाव करेजा 11 / श्रादिल्लएसु छसुवि गमएस जहन्नेणं दो भवग्गहणाई उकोसेगां छ भवग्गहणाई पच्छिल्लएसु तिस Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 24 : उद्देशकः 20 ] / 661 गमएसु जहन्नेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेणां चत्तारि भवग्गहणाई, लद्धी नवसुवि गमएसु जहा पढमगमए नवरं ठितीविसेसो कालादेसो य बितियगमएसु जहन्नेगां बावीसं सागरोवमाई अंतोमुहुत्तमभहियाई उकोसेगां छावढि सागरोवमाइ तिहिं अंतोमुहुत्तेहिमभहियाई एवतियं कालं तइयगमए जहन्नेणं बावीसं सागरोवमाई पुवकोडीए अब्भहियाई उक्कोसेणं छावढि सागरोवमाइं तिहिं पुव्वकोडीहिं अब्भहियाई चउत्थगमे जहन्नेणं बावीसं सागरोवमाई यतोमुहुत्तमभहियाई उक्कोसेणं छावढि सागरोवमाई तिहिं पुषकोडीहिं अब्भहियाई पंचमगमए जहन्नेणं बावीसं सागरोवमाई अंतोमुहुत्तमन्भहियाई उकोसेणं छावढि सागरोवमाई तिहिं अंतोमुहुत्तेहिं अमहियाई छट्टगमए जहन्नेणं बावीसं सागरोवमाई पुचकोडीहिं अभहियाई उक्कोसेणं छावढि सागरोवमाइं तिहि पुवकोडीहिं अब्भहियाई सत्तमगमए जहन्नेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तमभहियाई उक्कोसेणं छावढि सागरोवमाई दोहि पुव्वकोडीहिं अभंहियाई अट्ठमगमए जहराणेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तमभहियाई उक्कोसेणं छावटि सागरोवमाई दोहिं अंतोमुहुत्तेहिं यभहियाई णवमगमए जहन्नेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं पुव्वकोडीहिं अब्भहियाई उक्कोसेणं छावट्टि सागरोवमाई दोहिं पुव्वकोडीहिं अब्भहियाई एवतियं 1, 12 / जइ तिरिक्खजोणिएहितो उववजति किं एगिदिय तिरिक्खजोणिएहितो एवं उववायो जहा पुढविकाइयउद्दसए जाव पुढविकाइए ण भंते ! जे भविए पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति से गं भंते ! केवतियं कालं उववज्जति ?, गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तट्ठितिएसु उक्कोसेणं पुचकोडीयाउएसु उववज्जति 13 / ते णं भंते ! जीवा एवं परिमाणादीया अणुबंधपजवसाणा जच्चेव अप्पणो सट्ठाणे वत्तव्वया सच्चेव पंचिंदियतिरिवखजोणिएसुवि उववजमाणस्स भाणियव्वा Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HEALTHTHANE 662 / - 1 श्रीमदागमसुधासिन्धु :: तृतीयो विभागः णवरं गवसुवि गमएसु परिमाणे जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेजा असंखेजा वा उववज्जति भवादेसेणवि णवसुवि गमएसु जहन्नेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई, सेसं तं चेव कालादेसेणं उभयो ठितीए करेजा 14 / जइ अाउकाइएहितो उववजइ एवं बाउकाइयाणवि एवं जाव चउरिदिया उववाएयव्वा, नवरं सव्वस्थ अप्पणो लद्धी भाणियव्वा 15 / णवसुवि गमएसु भवादेसेणं जहन्नेणं दो भवग्गहणाई उकोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई कालादेसेणं उभयो ठिती करेजा सव्वेसिं सव्वगमएसु जहेव पुढविकाइपसु उववजमाणाणं लद्धी तहेव सव्वत्थ ठिति संवेहं च जाणेजा 16 / जइ पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति असन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति ?, गोयमा ! सन्निपंचिंदिय असन्निपंचिदियभेयो जहेब पुढविकाइएसु उववजमाणस्स जाव असन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे. भविए. पंचिंदिय तिरिक्खजोणिएसु उववज्जंति से णं भंते ! केवति कालं उववज्जंति ?, गोयमा ! जहन्नेणां अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं पलिग्रोवमस्स असंखेजइभागद्वितीएसु उववज्जंति, ते णं भंते ! अवसेसं जहेव पुढविकाइएसु उववजमाणस्स असन्निस्स तहेव निरवसेसं जाव भवादेसोत्ति, कालादेसेणं जहन्नेणं दो अंतोमुहुत्ताई उक्कोसेणं पलिश्रोवमस्स असंखेजइभागं पुत्वकोडिपुहुत्तमब्भहियं एवतियं कालं जाव करेजा 1, 17 / बितियगमए एस चेव लद्धी नवरं कालादेसेणं जहन्नेणं दो अंतोमुहुत्ता उक्कोसेणं चत्तारि पुव्वकोडीयो चउहिं अंतोमुहुत्तेहिं अब्भहियायो एवतियं कालं जाव करेजा 2, 18 / सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववन्नो जहन्नेणं पलियोवमस्स असंखेजतिभागट्टिइएसु उक्कोसेणं पलियोवमस्स असंखेजइभागट्ठितिएसु उववज्जंति, ते णं भंते ! जीवा एवं जहा रयणप्पभाए उववजमाणस्स Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 24 :: उद्देशकः 21] . [ 663 यसन्निस्स तहेव निरवसेसं जाव कालादेसोत्ति, नवरं परिमाणे जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उकासेणं संखेज्जा वा असंखेजा वा उववज्जति सेसं तं चेव 3, 11 / सो चेव अप्पणो जहन्नकालट्ठितियो जहन्नेणं यंतोमुहुत्तद्वितीएसु उक्कोसेणं पुवकोडिअाउएसु उववज्जति, ते णं भंते ! अवसेसं जहा एयस्स पुढविकाइएसु उववजमाणस्स मज्झिमेसु तिसु गमएसु नहा इहवि मज्झिमेसु तिसु गमासु जाव यणुबंधोत्ति 20 / भवादेसेणं जहन्नेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहराणेणं दो अंतोमुहुत्ता उक्कोसेणं चत्तारि पुब्वकोडीयो चउहिं अंतोमुहुत्तेहिं यभहियायो 4, 21 / सो चेव जहन्नकालट्ठितिएसु. उववन्नो एस चेव वत्तव्वया नवरं कालादेसेणं जहराणेणं दो यंतोमुहुत्ता उक्कोसेणं अट्ठ यंतोमुहुत्ता एवतियं कालं जाव करेजा 5, 22 / सो चेव उक्कोसकालद्वितिएसु उववज्जति जहराणेणं पुत्वकोबीघाउएसु उक्कोसेणवि पुवकोडीयाउएसु उववज्जति एस चेव वत्तव्वया नवरं कालादेसेणं जाव जाणेजा 6, 23 / सो चेव अप्पणा उक्कोसकालट्ठितिश्रो जायो सञ्चेव पढमगमगवत्तव्वया नवरं ठिती जहराणेणं पुब्दकोडी उक्कोसेणं पुव्वकोडी सेसं तं चेव कालादेसेणं जहरणेणं पुवकोडी अंतोमुहुत्तमभहिया उक्कोसेणं पलिश्रोवमस्स असंखेजइभागं पुत्वकोडिपुहुत्तमहियं एवतियं 7, 24 / सो चेव जहन्नकालट्ठितीएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया जहा सत्तमगमे नवरं कालादेसेणं जहन्नेणं पुवकोडी अंतोमुहुत्तमभहिया उक्कोसेणं चत्तारि पुवकोडीयो चाहिं अंतोमुहुत्तेहि अभहियायो एवतियं कालं जाव करेजा 8, 25 / सो चेव उक्कोसकालटिइएसु उववन्नो जहन्नेणं पलियोवमस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणवि पलिश्रोवमस्स असंखेजइभागं एवं जहा रयणप्पभाए उववजमाणस्स असन्निस्स नवमगमए तहेव निरवसेस जाव कालादेसोत्ति, नवरं परिमाणं जहा एयस्सेव ततियगभे सेसं तं चेव 1,26 / 30 Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 664 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : तृतीयो विभागः जइ सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति. किं संखेजवासाउय सन्निपचिंदियतिरिक्ख जोणिएहितो उववज्जंति असंखेन्जवासाउय-सन्निपंचि दियतिरिक्खजोगिएहिंतो उववज्जंति ?, गोयमा ! संखेजवासाउय-सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति णो असंखेजवासाउय-सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उपवजंति 27 / जइ संखेज जाव किं पजत्तसंखेज वासाउय-सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोगिएहितो उववज्जति अपजत्तसंखेजवाना उय-मन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति ?, दोसुवि 28 / संखेज वासाउय-सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिए असंज्जवासाउय-सन्निपंचिंदियतिरिकग्वजोणिए य भंते!जे भविए पंचिंदियतिरिक्ख जोणिएसु उववजंति से णं भंते केवति कालं उववज्जति ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिपनि ग्रोवमट्टितीएसु उववज्जति 21 / ते णं भंते ! अवसेसं जहा एयस्स चेय सनिस्स रयणप्पभाए उववजमाणस्स पढमगमए नवरं योगाहणा जहन्नेगा अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं जोयणसहस्सं, सेसं तं चेव जाव भवा देसोत्ति, कालादेसेणं जहन्नेणं दो अंतोमुहुत्ता उक्कोसेणं तिन्नि पलियोवमाई पुवकोडी हुत्तमभहियाई एवतियं कालं जाव करेजा 1, 30 / सो चेव जहन्नकालट्ठितीएसु उववन्नो एस चेव वत्तवया नवरं कालादेसेगा जहन्नेणं दो अंतोमुहुत्ता उक्कोसेणं चत्तारि पुवकोडीयो चउहि अंतोमुहु तेहिं अभहियायो 2, सो चेव उक्कोसकालट्टितीएसु जहराणेणं तिपलि अोवमट्टितीएसु उववन्नो उक्कोसेणवि तिपलियोवमट्टितीएसु उववज्जति 31 / एस चेव वत्तव्यया नवरं परिमाणं जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेजा उववज्जंति, योगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखजइभागं उक्कोसेणं जोयणसहस्सं सेसं तं चेव जाव अणुबंधोत्ति भवादेसेगा दो भवग्गहणाई कालादेसेणं जहन्नेणं तिन्नि पलियोवमाई अंतोमुहुत्तमम्भहियाई उकोसेणं तिन्नि पलिश्रोवमाइं पुवकोडीए अभहियाई 3, 32 / Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 24 :उद्देशका 21 ] [695 मो चेव अप्पणा जहन्नकालद्वितीयो जातो जहरणेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं पुवकोडीग्राउएसु उववज्जंति, लद्धी से जहा एयस्स चेव सन्निपंचिंदियस्स पुढविकाइएसु उववजमाणस्स मज्झिल्लएसु तिसु गमएसु सच्चेव इहवि मज्झिमेसु तिसु गमएसु कायब्बा, संवेहो जहेव एत्थ चेव असन्निस्स मज्झिमेसु तिसु गमएसु सो चे अप्पणा उकोसकालद्वितीयो जाबो जहा पढमगमयो णवरं ठिती अणुबंधो जहन्नेणं पुब्बकोडी उकोसेणवि पुचकोडी कालादेसेणं जहन्नेणं पुवकोडी अंतोमुहुत्तमभहिया उक्कोसेणं तिन्नि पलियोवमाई पुव्वकोडीपुहुत्तमभहियाई 7, 33 / सो चेव जहन्नकालद्वितीएसु उववज्जंति एस चेव वत्तव्वया नवरं कालादेसेणं जहन्नेणं पुवकोडी अंतोमुहुर्तमभहिया उक्कोसेणं चत्तारि पुवकोडीयो चउहिं यंतोमुहुत्तेहि अमहियायो, सो चेव उक्कोसकालट्ठितिएसु उववन्नो जहन्नेगां तिपलिश्रोवमट्टिती उक्कोसेणं तिपलिश्रोवमट्टिती अवसेसं तं चेव नवरं परिमाणां योगाहणा य जहा एयस्सेव तइयगमए, भवादेसेणं दो भवग्गहणाई कालादेसेगां जहराणेणं तिन्नि पलियोवमाइं पुवकोडीए यभहियाई उक्कोसेगां तिन्नि पलियोवमाइं पुवकोडीए अभहियाई एवतियं 1, 34 / जइ मणुस्सेहितो उववज्जति किं सन्निमणुस्सेहितो उववज्जति असन्निमणुस्सेहितो उववज्जंति ?, गोयमा ! सन्निमणुस्से हितो उववज्जति असन्निमणुस्सेहितो उववज्जति 35 / असन्निमणुस्से णं भंते ! जे भविए पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जंति से णं भंते ! केवति कालं उववज्जंति ?, गोयमा ! जहराणेगां अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुवकोड़ी याउएसु उपवज्जति लद्धी से तिसुवि गमएसु जहा पुढविकाइएसु उववजमाणस्स संवेहो जहा एत्थ चेव असन्निपंचिंदियस्स मज्झिमेसु तिसु गमएसु तहेव निरवसेसो भाणियव्यो 36 / जइ सन्निमणुरसेहिंतो उववज्जंति किं संखेजवासाउयसन्निमणुस्सेहितो उववजंति असंखेजवासा Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ __ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / नृतीयो विमागः उयसन्निमणुस्सेहिंतो उववज्जति ?, गोयमा ! संखेन्जवासाउयसन्निमणुस्सेहितो उववज्जति नो असंखेजवासाउयसन्निमणुस्सेहितो उववज्जति जइ संखेजवासाउयसन्निमणुस्सेहिंतो उववज्जति किं पजत्तसंखेन्जवासाउयसन्नि-मणुस्सेहितो उबवज्जति अपजत्तसंखेजवासाउय सन्निमणुस्सेहिंतो उववज्जति?, गोयमा ! पज्जत्तसंखेजवासाउयसन्नि-मणुस्सेहितो उववज्जति अपज्जत्तसंखेजवासाउयसन्निमणुस्सेहिंतो उववज्जति 37 / सन्त्रिमणुस्से णं भंते ! जे भविए पंचिंदियतिरि. क्खजोणिएसु उववज्जंति से णं भंते ! केवतिकालं उववज्जंति ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिपलिश्रोवमट्ठितिएसु उववज्जंति, ते णं भंते ! लद्धी से जहा एयस्सेव सन्निमणुस्सस्स पुढविकाइएसु उववज्जमाणस्स पढमगमए जाव भवादेसोत्ति कालादेसेणं जहराणेणं दो अंतोमुहुत्ता उक्कोसेणं तिन्नि पलिश्रोवमाइं पुवकोडिपुहुत्तमभहियाई 1, 38 / सो वेव जहन्नकालट्टितीएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया णवरं कालादेसेणं जहरणेणं दो अंतोमुहुत्ता उक्कोसेणां चत्तारि पुवकोडीयो चउहिं अंतोमुहुत्तेहिं अभहियायो 2, सो चेव उक्कोसकालहितीएसु उववज्जंति जहन्नेणं तिपलियोवमटिइएसु उक्कोसेणवि तिपलियोवमट्टिइएसु सच्चेव वत्तव्वया नवरं योगाहणा जहन्नेणं अंगुलपुहुत्तं उक्कोसेणं पंच धणुसयाई 31 / ठिती जहन्नेगां मासपुहुत्तं उक्कोसेणं पुव्वकोडी एवं अणुबंधोवि, भवादेसेगां दो भवग्गहणाई कालादसेणं जहराणेणं तिन्नि पलिश्रोवमाई मासपुहृत्तमभहियाई उक्कोसेणं तिनि पलिश्रोवमाई पुव्वकोडीए अब्भहियाई एवतियं कालं जाव करेजा 3, 40 / सो चेव अप्पणा जहन्नकालट्टिइयो जाबो जहा सन्निपंचिंदिय-तिरिक्खजोणियस्स पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु उववजमाणस्स मज्झिमेसु तिसु गमएसु वत्तव्वया भणिया एस चेव एयस्सवि मज्झिमेसु तिसु गमएसु निरवसेसा भाणियव्वा, नवरं परिमाणं उक्कोसेगां संखेजा उक्वन्जंति सेसं तं चेव 6, सो चेव Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञाप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 24 :: उद्देशकः 21 ] / 697 अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जातो सच्चेव पढमगमगवत्तव्वया नवरं योगाहणा जहराणेणं पंच धणुसयाई उक्कोसेणं पंच धणुसयाई, ठिती अणुबंधो जहराणेगां पुब्बकीडी उक्कोसेणं पुवकोडी सेसं तहेव जाव भवादेसोति, कालादेसेणां जहराणेणं पुवकोडी अंतोमुहुत्तमब्भहियाई उक्कोसेणं तिनि पलियोवमाई पुवकोडिपुहुत्तमभहियाई एवतियं कालं जाव करेजा 7, 41 / सो चेव जहन्नकालट्ठितीएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्बया नवरं कालादेसेणं जहरणेणं पुवकोडी अंतोमुहुत्तमभहिया उक्कोसेगां चत्तारि पुवकोडीयो चउहिं अंतोमुहुत्तमभहियायो 8, मो चेव उक्कोसकालट्ठितिएसु उववन्नो जहराणेगां तिनि पलिग्रोवमाइं उक्कोसेणवि तिन्नि पलिश्रोवमाई एस चेव लद्धी जहेव सत्तमगमे भवादेसेणं दो भवग्गहणाई कालादेसेणं जहन्नेणं तिन्निपलियोवमाई पुचकोडीए अमहियाई उक्कोसेणवि तिन्नि पलिश्रोवमाई पुवकोडीए अब्भहियाइं एवतियं कालं जाव करेजा 1, 42 / जइ देवेहितो उववज्जति किं भवणवासिदेवेहितो उववजंति वाणमंतरदेवेहितो उववज्जति जोइसियदेवेहितो उववज्जति वेमाणियदेवेहितो उववज्जति ?, गोयमा ! भवणवासिदेवे जाव वेमाणियदेवेहितो उववज्जति 43 / जइ भवणवासिदेवेहितो उववज्जंति किं असुरकुमारभवण जाव थणियकुमारभवणवासिदेवेहितो उपवजंति ?, गोयमा ! असुरकुमार जाव थणियकुमारभवणवासिदेवेहिंतो उववज्जति 44 / असुरकुमारे णं भंते ! जे भविए पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु उववजित्तए से णं भंते ! केवतिकालं उवव जंति ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तद्वितीएसु उक्कोसेणं पुव्वकोडिबाउएसु उववज्जंति, असुरकुमारा णं लद्धी णवसुवि गमएसु जहा पुढविकाइ. एसु उववजमाणस्स एवं जाव ईसाणदेवस्स तहेव लद्धी भवादेसेणं सव्वत्थ अट्ठ भवग्गहणाई उक्कोसेणं जहराणेणं दोन्नि भवट्टिती संवेहं च Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 698 ] __ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभागः सव्वत्थ जाणेज्जा 1, 45 / नागकुमारा णं भंते ! जे भविए एस चेव वत्तब्बया नवरं ठिति संवेधं च जाणेजा एवं जाव थणियकुमारे 1, 46 / जइ वाणमंतरे किं पिसाय तहेव जाव वाणमंतरे णं भंते ! जे भविए पंचिं. दियतिरिक्खजोणिएसु एवं चेव नवरं ठिति संवेहं च जाणेजा 1, 47 / जइ जोतिसिय उववायो तहेव जाव जोतिसिए णं भंते ! जे भविए पंचिंदियतिरिक्ख जोणिएसु एस चेव यत्तव्वया जहा पुढविकाइयउद्दे सए भवग्गहणाई णवसुवि गमएसु अट्ट" जाव कालादेसेणं जहन्नेणं अट्ठभागपलियोवमं अंतोमुहुत्तमभहियं उनकोसेणं चत्तारि पलियोवमाई चरहिं पुवकोडीहिं चउहि य वासासयसहस्सेहिं अभहियाई एवतियं कालं जाव करेजा, एवं नवसुवि गमएसु नवरं ठिति संवेहं च जाणेजा 1, 48 | जइ वेमाणियदेवेहितो उववज्जंति किं कप्पोरगदेवेहितो उववज्जति कप्पातीतवेमाणियदेवेहितो उंववज्जति ?, गोयमा ! कप्पोवगवेमाणियदेवेहितो उववज्जति नो कप्पातीतवेमाणियदेवेहितो उववज्जति 41 / जइ कप्पोवग जाव सहस्सारकप्पो. वगवेमाणियदेवेहितोवि उववज्जति नो प्राणय जाव [ग्रन्थाग्रं 13000] णो अच्चुयकप्पोवगवेमाणियदेवेहितो उबवज्जति 50 / सोहम्मदेवे णं भंते ! जे भविष पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु उववजित्तय से णं मंते ! केवतिकालं उववजंति ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुवकोडीग्राउएसु सेसं जहेब पुढविक्काइयउद्दे सए नवसवि गमएसु नवरं नवसुवि गमएस जहन्नेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेण अट्ठ भवंग्गहणाई ठिति कालादेसं च जाणिजा 51 / एवं इसाणदेवेवि, एवं एएणं कमेणं अवसेसावि जाव सहस्सारदेवेसु उववाएयव्वा नवरं प्रोगाहणा जहा योगाहणासंठाणे, लेस्सा सणंकुमारमाहिंदवंभलोएमु एगा पम्हलेस्सा सेसाणं एगा सुक्कलेस्सा, वेदे नो इत्थिवेदगा पुरिसवेदगा णो नपुंसगवेदगा, ग्राउअणुबंधा जहा ठितिपदे सेसं जहेव ईसाणमाणं कायसंवेहं च जाणेजा 52 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 53 / / सूत्रं 711 // 24 शते वीसतिमो // 24-20 // Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 24 :: उद्देशकः 21 ] [ 666 // अथ चतुर्विंशतितमशतके एकविंशतितमोद्देशकः // मणुस्सा णं भंते ! कयोहिंतो उववज्जंति ? किं नेरइएहितो उववज्जंति जाव देवेहिंतो उववज्जति ?. गोयमा ! ोरइएहितोवि उववज्जति जाव देवेहिंतोवि उववज्जति 1 / एवं उववायो जहा पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिउद्देसए जाव तमापुढविनेरइएहितोवि उववज्जति णो अहेसत्तमपुढविनेरइएहितो उववज्जति 2 / रयणप्पभपुढविनेरइए णं भंते ! जे भविए मणुस्सेसु उववज्जंति से णं भंते ! केवतिकालं उववज्जति ?, गोयमा ! जहराणेणं मासपुहत्तद्वितीएसु उक्कोसेणं पुवकोडीअाउएसु अवसेसा वत्तव्वया जहा पंचिंदियतिरिक्खजोणिउद्दसए, उववज्जंतस्स तहेव नवरं परिमाणे जहरणेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उकोसेणं संखेजा उववज्जंति, जहा तहिं अंतोमुहुत्तेहिं तहा इहं मासपुहुत्तेहिं संवेहं करेजा सेसं तं चेव 1, 3 / जहा रयणप्पभाएवि वत्तव्वया तहा सकरप्पभाएवि वत्तव्वया, नवरं जहन्नेणं वासपुहुत्तट्टिइएसु उक्कोसेणं पुव्वकोडि, श्रोगाहणा लेस्साणाण-ट्ठिति-अणुबंधसंवेहं णाणत्तं च जाणेज्जा जहेव तिरिक्खजोणियउद्दसए एवं जाव तमापुढविनेरइए 1, 4 / जइ तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं एगिदिय-तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति जाव पंचिंदिय-तिरिक्खजोगिएहिं उववज्जति ?, गोयमा! एगिदिय-तिरिक्खजोणिए भेदो जहा पंचिंदियतिरिक्खजोणिउद्दसए नवरं तेउवाऊ पडिसेहेयव्वा 5 / सेसं तं चेव जाव पुढविक्काइए णं भंते ! जे भविए मणुस्सेसु उववजित्तए से णं भंते ! केवति कालं उववजंति ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तट्ठितिएसु उक्कोसेणं पुब्वकोडीग्राउएसु उववज्जति 6 / ते णं भंते / जीवा एवं जच्चेव पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएसु उववजमाणस्स पुदविकाइयस्स वत्तव्वया सा चेव इहवि उववजमाणस्स भाणियव्वा गवसुवि गमएसु, नवरं ततियछट्टणवमेसु गमएसु परिमाणं जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 700 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभागः संखेजा उववज्जंति, जाहे अप्पणा जहन्नकालट्ठितियो भवति ताहे पदमगमए अज्झवसाणा पसत्थावि अप्पसत्थावि बितियगमए अप्पसत्था ततियगमए पसत्था भवंति सेसं तं चेव निरवसेसं 1, 7 / जइ अाउक्काइए एवं याउकाइयाणवि, एवं वणस्सइकाइयाणवि, एवं जाव चउरिंदियाणवि, असन्नि--पंचिंदियतिरिक्खजोणिय-सन्निपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिय-असन्निमणुस्ससन्निमाणुस्साण य एते सव्वेवि जहा पंचिंदियतिरिक्खजोणियउद्दे सए तहेव भाणियबा, नवरं एयाणि चेव परिमाण-अज्झवसाण-णाणत्ताणि जाणिजा पुढविकाइयस्स एत्थ चेव उद्देसए भणियाणि सेसं तहेव निरवसेसं = / जइ देवेहितो उववज्जति किं भवणवासिदेवेहितो उववज्जति वाणमंतरदेवेहितो उववज्जति जोइसियदेवेहिंतो उववज्जति वेमाणियदेवेहिंतो उववज्जति ?, गोयमा ! भवणवासि जाव वेमाणियदेवेहितो उववज्जति 1 / जइ भवणवासिदेवेहिंतो उववज्जति किं असुर जाव थणियकुमारदेवेहितो उवव जंति ?, गोयमा ! असुर जाव थणियकुमारदेवेहितो उववज्जंति 10 / यसुरकुमारे णं भंते! जे भविए मणुस्सेसु उववजित्तए से णं भंते ! केवतिकालं उबवज्जंति ?, गोयमा! जहराणेणं मासपुहुत्तट्ठितिएसु उक्कोसेणं पुवकोडियाउएसु उववज्जति 11 / एवं जब्चेव पंचिंदिय-तिरिवख. जोणिउद्देसए वत्तवया सच्चेव एस्थवि भाणियव्या, नवरं जहा तहि जहन्नगं अंतोमुहुत्तठितीएसु तहा इहं मासपुहुत्तट्टिईएसु, परिमाणं जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेजा उववज्जंति, सेसं तं चेव, एवं जाव ईसाणदेवोत्ति 12 / एयाणि चेव णाणत्ताणि सणंकुमारादीया जाव सहस्सारोत्ति जहेव पंचिंदियतिरिवखजोणिउद्देसए, नवरं परिमाणं जहराणेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेज्जा उववज्जंति, उववायो - जहन्नेणं वासपहुत्तट्टितीएसु उक्कोसेणं पुवकोडी श्राउएसु उववज्जति, सेसं तं चेव संवेहं वासपहृत्तं पुव्वकोडीसु करेजा 13 Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रनप्ति(श्रीमद्भगवति) :: शतकं 24 :: उद्दे शकः 21 / / 701 सणंकुमारे ठिती चउगुणिया अट्ठावीसं सागरोवमा भवंति, माहिदे ताणि चेव सातिरेगाणि, बम्हलोए चत्तालीसं लंतए छप्पन्नं महासुक्के अट्ठसर्टि महस्सारे बावत्तरि सागरोवमाई एसा उक्कोसा ठिती भाणियब्वा जहन्नट्ठितिपि चउ गुणज्जा 1, 14 / पाणयदेवे णं भंते ! जे भविए मणुस्सेसु उववजित्तए से णं भंते! केवतिकालं उववज्जति? गोयमा !जहन्नेणं वास हुत्तट्टितिएसु उव. वजंति उक्कोसेणं पुवकोडीठितीएसु 15 / ते णं भंते ! एवं जहेव सहस्सारदेवाणं वत्तव्वया नवरं योगाहणा ठिई अणुबंधो य जाणेजा, सेसं तं चेव, भवादेसेणं जहन्नेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेणं छ भवग्गहणाई, कालादेसेगां जहन्नेणं अट्ठारस सागरोवमाई वासपुहुत्तमभहियाई उक्कोसेणं सत्तावन्नं मागरोवमाई तिहिं पुव्वकोडीहिं अमहियाई एवतियं कालं जाव करेजा, एवं णववि. गमा, नवरं ठिति श्रणुबंध संवेहं च जाणेजा, एवं जाव अच्चुयदेवो, नवरं ठिति अणुबंधं संवेहं च जाणेज्जा, पाणयदेवस्स ठिती तिगुणिया सर्टि सागरोवमाई, धारणगस्स तेवढि सागरोवमाई, अच्चुयदेवस्स छावहिँ सागरोवमाई 16 / जइ कप्पातीत-वेमाणियदेवेहितो उववज्जति किं गेवेजकप्पातीतदेवेहिंतो उववज्जति अणुत्तरोववातियकप्पातीतदेवेहितो उववज्जति ?, गोयमा ! गेवेजकप्पातीतदेवेहितो उववज्जति अणुत्तरोववातियकप्पातीतदेवेहितो उववज्जति 17 / जइ गेवेजकप्पातीतदवेहितो उववजंति किं हिट्ठिमरगेविजगकप्पातीत जाव उवरिमरगेवेज्जकप्पातीतदेवेहितो उववज्जंति?, गोयमा ! हिटिमरगेवेज जाव उवरिम 2 गेवेजगकप्पातीतदेवेहितो उववज्जति 18 / गेवेजदेवे णं भंते !जे भविए मणुम्सेसु उववजित्तए से णं भंते ! केवतिकालं उववज्जति ?, गोयमा ! जहरणेणं वासपुहुत्तठितीएसु उक्कोसेणं पुव्वकोडी अवसेसं जहा आणयदेवस्स वत्तव्वया नवरं योगाहणा, गोयमा ! एगे भवधारणिज्जे सरीरए से जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं दो रयणीयो, संठाणं, गोयमा ! एगे भवधारणिज्जे Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 702 ) / श्रीमदागमसुधासिन्धुः // तृतीयो विभागः सरीरे समचउरंससंठिए पगणत्ते, पंच समुग्घाया पन्नत्ता, तंजहा-वेदणासमु. ग्घाए जाव तेयगसमुग्याए, णो चेव णं वेउब्धियतेयगसमुग्घाएहितो समोहणिंसु वा समोहणंति वा समोहणिसंति वा, ठिती अणुबंधो जहन्नेणं बावीसं सागरोवमाई उक्कोसेणं एकतीसं सागरोवमाई, सेसं तं चेव 11 / कालादेसेणं जहरणेणं बावीसं सागरोवमाई वासपुहुत्तमभहियाई उक्कोसेणं तेणउति सागरोवमाई तिहिं पुब्बकोडीहिं अब्भहियाई एवतियं कालं जाव करेजा, एवं सेसेसुवि अट्ठगमएसु नवरं ठिती संवेहं च जाणेजा 1, 20 / जइ अणुत्तरोववाइय-कप्पातीत-वेमाणियदेवेहितो उववज्जति किं विजयश्रणुत्तरोववाइय-कप्पातीतवेमाणियदेवेहितो उववज्जति वेजयंतअणुत्तरोववातिय-कप्पातीतवेमाणियदेवेहितो उववज्जति जाव सव्वट्ठसिद्धश्रणुत्तरोववाइय-कप्पातीतवेमाणियदेवेहिंतो उववज्जति ?, गोयमा! विजयअणुत्तरोववातिय जाव सबट्टसिद्धअणुत्तरोववातिय-कप्पातीतवेमाणियदेवेहितो उववज्जंति 21 / विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजियदेवे णं भंते ! जे भविए मणुस्सेसु उववजित्तए से णं भंते ! केवतिकालं उववज्जति ? एवं जहेव गेवेजदेवाणं नवरं योगाहणा जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजइ भागं उक्कोसेणं एगा रयणी, सम्मदिट्ठी णो मिच्छदिट्ठी णो सम्मामिच्छदिट्ठी, णाणी णो अन्नाणी नियमं तिन्नाणी, तंजहा-श्राभिणिबोहियणाणी सुयणाणी अोहिणाणी, ठिती जहन्नेणं एकतीसं सागरोवमाई उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई, सेसं तहेव 22 / भवादेसेणं जहराणेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेणं चत्तारि भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहराणेणं एकतीसं सागरोवमाई वासपुहत्तमभहियाई उकोसेणं छावटि सागरोवमाई दोहिं पुब्बकोडीहिं अमहियाई एवतियं 23 / एवं सेसावि अट्ठ गमगा भाणियव्वा नवरं ठिति अणुबंधं संवेधं च जाणेज्जा सेसं एवं चेव 24 / सव्वट्ठसिद्धगदेवे णं भंते ! जे भविए मणुस्सेसु उववजित्तए सा चेव विजयादिदेववत्तब्वया Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवति)वत्रं : शतकं 24 :: उद्देशकः 22 ] [ 703 भाणियबा णवरं ठिती अजहन्नमणुकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई एवं अणुबंधोवि, सेसं तं चेव, भवादेसेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहन्नेणं तेत्तीसं सागरोवमाई वासपुडुत्तमब्भहियाई उक्कोसेणं तेत्तीसं मागरोवमाई पुवकोडीए अभहियाई एवतियं कालं जाव करेजा 1, 25 / सो चेव जहन्नकालद्वितीएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया नवरं कालादेसेणं जहन्नेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं वासपुहुत्तमभहियाई उक्कोसेणवि तेत्तीस सागरोवमाई वासपुहुत्तमभहियाई पवतियं कालं जाव करेजा 2, 26 / मो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया, नवरं कालादेसेणं जहन्नेणं तेत्तीसं सागरोवमाई पुवकोडीए अमहियाई, उक्कोसेणवि तेत्तीसं सागरोवमाई पुवकोडीए अभहियाई एवतियं कालं जाव करेजा 3, एते चेव तिन्नि गमगा सेसा न भगणंति 27 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 28 // सूत्रं 712 // 24-21 // // अथ चतुर्विंशतितमशतके द्वाविंशतितमोद्देशकः // वाणमंतरा णं करोहिंतो उववज्जति किं .नेरइएहिंतो उववज्जति तिरिक्खजोणिएहितो उववजंति, एवं जहेव णागकुमारउद्देसए श्रसन्नी निरवसेसं 1 / जइ सन्निपंचिंदिय जाव असंखेजवासाउय-सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए वाणमंतरदेवेसु उववत्तए से णं भंते ! कवतियं कालं उववज्जंति ?, गोयमा ! जहन्नेणं दसवाससहस्सठितीएसु उक्कोसेणं पलिग्रोवमठितीएसु, सेसं तं चेव जहा नागकुमारउद्दसए जाव कालादेसेणं जहराणेणं सातिरेगा पुवकोडी दसहिं वाससहस्सेहिं श्रब्भहिया उक्कोसेणं चत्तारि पलिग्रोवमाई एवतियं 1, 2 / सो चेव जहन्नकालट्ठितिएसु उववन्नो जहेव णागकुमाराणं बितियगमे वत्तव्वया 2,3 / सो चेव उक्कोसकालट्ठितिएसु उववन्नो जहराणेणं पलिश्रोवमट्टितीएसु उकोसेणवि Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 704 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः पलिग्रोवमट्टितिएसु एस चेव वत्तव्या नवरं ठिती से जहराणेणं पलियोवम उक्कोसेणं तिन्नि पलियोवमाई, संवेहो जहरणेणं दो पलिग्रोवमाइं उक्कोसेगा चत्तारि पलियोवमाइं एवतियं 3, 4 / मज्झिमगमगा तिन्निवि जहेव नागकुमारेसु पच्छिमेसु तिसु गमएसु तं चेव जहा नागकुमारुद्दे सए नवरं ठिति संवेहं च जाणेजा 5 / संखेजवासाउय तहेव नवरं ठिती अणुबंधो संवेहं च उभयो ठितीएसु जाणेजा 6 / जइ मणुस्साणं असंखेजवासाउयाणं जहर नागकुमाराणं उद्दे से तहेव वत्तव्वया नवरं तइयगमए ठिती जहरागोणं पलि ओवमं उकोसेणं तिनि पलिग्रोवमाइं योगाहणा जहन्नेणं गाउयं उकोसेगा तिनि गाउयाई, सेसं तहेव, संवेहो से जहा एत्थ चेव उद्देसए असंखेजवासाउय-सन्निपंचिंदियाणं 7 / संखेजवासाउयसन्निमणुस्से जहेव नाग कुमारदसए नवरं वाणांतरे ठिति संवेहं च जाणेजा 8 / सेवं भंते ! 2 नि जाव विहरइ 1 // सूत्रं 713 / / 24-22 // // अथ चतर्विशतितमशतके त्रयोविंशतितमोद्देशकः // जोइसिया णं भंते ! कोहिंतो उववज्जंति किं नेरइएहितो उव वज्जति ? भेदो जाव सन्निपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति नो असन्निपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति 1 / जइ सन्निपंचिंदिय तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं संखेजवासाउय-सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति असंखेजवासाउय-सन्निपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिप हिंतो उववज्जति ?, गोयमा ! संखेजवासाउय-सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिराहिंतो उववज्जति असंखेजवासाउय-सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उव. वज्जति 2 / सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिए | भंते ! जे भविए जोतिसिएस उववजित्तए से णं भंते ! केवतिकालं उववज्जति?, गोयमा ! जहन्नेणं अट्ट भागपलियोवमट्ठितिएसु उकोसेणं पलिश्रोवम-वाससयसहस्सट्ठितिएसु उववज्जंति 3 / अवसेसं जहा असुरकुमारहे सए नवरं ठिती जहन्नेणं अट्ठभाग Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवति)सूत्रं :: शतकं 24 :: उद्देशकः 23 ] [ 705 पलि योवमाइं उक्कोसेणं तिन्नि पलिग्रोवमाई,एवं अणुबंधोवि सेसं तहेव, नवरं कालादेसेणं जहराणेणं दो अट्ठभागपलिग्रोवमाई उक्कोसेणं चत्तारि पलियोवमाई वाससयसहस्समभहियाई एवतियं कालं जाव करेजा 1, 4 / सो चेव जहन्नकालट्ठितीएसु उववन्नो जहराणेणं अट्ठभाग-पलियोवमट्टितीएसु उक्कोसेणं अट्ठभाग-पलिग्रोवमट्टितीएसु एस चेव वत्तव्वया नवरं कालादेसं जाणेजा 2, 5 / सो चेव उक्कोसकालठिइएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया णवरं ठिती जहराणेणं पलिग्रोवमं वाससयसहस्समभहियं उकोसेणं तिनि पलिश्रोवमाई, एवं अणुबंधोवि, कालादेसेणं जहरणेणं दो पलियोवमाइं दोहिं वाससयसहस्सेहिमब्भहियाई उकोसेणं चत्तारि पलियोवमाई वाससयसहस्समभहियाइं 3, 6 / सो चेव अप्पणा जहन्नकालद्वितीयो जायो जहन्नेणं अट्ठभागपलियोवमद्वितीएसु उववन्नो उक्कोसेणवि अट्ठभागपलियोवमट्टितीएसु उववन्नो, ते णं भंते ! जीवा एस चेव वत्तव्वया नवरं योगाहणा जहन्नेणं धणुहपुहुत्तं उक्कोसेणं सातिरंगाई अट्ठारसधणुसयाई ठिती जहन्नेणं अट्ठभागपलियोवमं उक्कोसेणं अट्ठभागपलियोवमं, एवं अणुबंधोऽवि सेसं तहेव 7 / कालादेसेणं जहराणेणं दो अट्ठभागपलियोवमाई उक्कोसेणं दो अट्ठभागपलियोवमाई एवतियं जहन्नकालातियस्स एस चेव एको गमो 6, 8 / सो चेव अप्पणा उक्कोसकालट्ठितिश्रो जायो सा चेव योहिया वत्तव्वया नवरं ठिती जहन्नेणं तिन्नि पलियोवमाई उक्कोसेणं तिन्नि पलिश्रोवमाई एवं अणुबंधोवि, सेसं तं चेव, एवं पच्छिमा तिनि गमगा णेयव्वा नवरं ठिति संवेहं च जाणेज्जा, एते सत्त गमगा 1 / जइ संखेजवासाउय-सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति जाव संखेजवासाउयाणं जहेव असुरकुमारेसु उववजमाणाणं तहेव नववि गमा भाणियव्वा नवरं जोतिसियठिति संवेहं च जाणेज्जा, सेसं तहेव निरवसेसं भाणियव्वं 10 / जइ मणुस्सेहितो उववज्जति भेदो तहेव Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 706 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विमामा जाव असंखेजवासाउय-सन्निमणुस्से णं भंते ! जे भविए जोइसिएसु उववजित्तए से णं भंते ! एवं जहा असंखेजवासाउयसन्निपंचिंदियस्स जोइसिएसु चेव उववजमाणस्स सत्त गमगा तहेव मणुस्साणवि नवरं योगाहणाविसेसो पढमेसु तिसु गमएसु योगाहणा जहन्नेणं सातिरे. गाइं नव धणुसयाई उक्कोसेणं तिनि गाउयाई मज्झिमगमए जहरणेणं सातिरेगाइं नव धणुसयाई उक्कोसेणवि सातिरेगाई नव धणुसयाई, पच्छिमेसु तिसु गमएसु जहरणेणं तिन्नि गाउयाई उक्कोसेणं तिन्नि गाउयाई सेसं तहेव निरवसेसं जाव संवेहोत्ति 11 / जइ संखेजवासाउय-सन्निमणुस्सेहितो उववज्जति जाव संखेजवासाउयाणं जहेव असुरकुमारेसु उववजमाणाणं तहेव नव गमगा भाणियब्वा, नवरं जोतिसियरिति संवेहं च जाणेज्जा, सेसं तं चेव निरवसेसं 12 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 13 // सूत्रं 714 // 24.23 // // अथ चतुर्विंशतितमशतके चतुर्विंशतितमोद्देशकः // ___सोहम्मदेवा णं भंते। करोहितो उबवजंति किं नेरइएहितो उववज्जति ? भेदो जहा जोइसियउद्देसए 1 / असंखेजवासाउय-सन्निपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए सोहम्मगदेवेसु उववज्जति से णं भंते ! केवतिकालं उववज्जंति ?, गोयमा ! जहराणेणं पलिग्रोवमद्वितीएसु उकोसेणं तिपलियोवमट्टितीएसु उववज्जति, ते णं भंते ! अवसेसं जहा जोइसिएसु उववजमाणस्स नवरं सम्मदिट्ठीवि मिच्छादिट्ठीवि णो सम्मामिच्छादिट्ठी णाणीवि अन्नाणीवि दो णाणा दो अन्नाणा नियम ठिती जहराणेणं दो पलिश्रोवमाई उक्कोसेणं छप्पलिश्रोवमाई एवतियं 1, 2 / सो चेव जहन्नकालट्ठितिएसु उववन्नो एस चेव वत्तव्वया नवरं कालादेसेणं जहन्नेणं दो पलिश्रोवमा उक्कोसेणं चत्तारि पलिश्रोवमाइं एवतियं कालं करेजा 2, 3 / सो चेव उकोसकालट्ठितिएसु Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवति सूत्रं :, शतकं 24 :: उद्देशकः 24 ] [707 उववन्नो जहन्नेणं तिपलिग्रोवमं उक्कोसेणवि तिपलियोवमं एस चेव वत्तव्वया नवरं ठिती जहन्नेणं तिन्नि पलियोवमाई उक्कोसेणवि तिन्नि पलियोवमाइं सेसं तहेव कालादेसेणं जहराणेणं छप्पलिग्रोवमाइं उक्कोसेणवि छप्पलिश्रोवमाइंति एवतियं 3, 4 / सो चेव अप्पणा जहन्नकालट्टितियो जाबो जहराणेणं पलिश्रोवमट्ठितिएसु उकोसेणं पलिश्रोवमट्ठितिएसु एस चेव वत्तव्वया नवरं श्रोगाहणा जहराणेणं धणुहपुहुत्तं उकोसेणं दो गाउयाई, ठिती जहन्नेणं पलिग्रोवमं उक्कोसेगावि पलियोवमं सेसं तहेव, कालादेसेणं जहराणेणं दो पलिग्रोवमाइं उक्कोसेणंपि दो पलिश्रोवमाई एवतियं कालं जाव करेजा 6, 5 / सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जायो श्रादिलगमगसरिसा तिनि गमगा णेयव्वा नवरं ठिति कालादेसं च जाणेजा 1, 6 / जइ संखेन्जवासाउयसन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति जाव संखेजवासाउयस्स जहेव असुरकुमारेसु उववजमाणस तहेव नववि गमा, नवरं ठिति संवेहं च जाणेजा जाहे य अप्पणा जहन्नकालद्वितियो भवति ताहे तिसुवि गमएसु सम्मदिट्ठीवि मिच्छादिट्ठीवि णो सम्मामिच्छादिट्टी दो नाणा दो अन्नाणा नियमं सेसं तं चेव 7 / जइ मणुस्सेहितो उववज्जति भेदो जहेब जोतिसिएसु उववजमाणस जाव असंखेजवासाउय-सन्निमणुस्से णं भंते ! जे भविए सोहम्मे कप्पे देवत्ताए उववजित्तए एवं जहेव असंखेजवासाउयस्स सन्निपंचिदियतिरिक्खजोणिस्स सोहम्मे कप्पे उववजमाणस्स तहेव सत्त गमगा नवरं श्रादिलएसु दोसु गमएसु योगाहणा जहन्नेणं गाउयं उक्कोसेणं तिन्नि गाउयाई, ततियगमे जहन्नेणं तिन्नि गाउयाई उक्कोसेणवि तिन्नि गाउयाई,चउत्थगमए जहन्नेणं गाउयं उक्कोसेणवि गाउयं, पच्छिमएसु गमएसु जहन्नेणं तिनि गाउयाई उक्कोसेणं तिन्नि गाउयाई सेसं तहेव निरवसेसं 1, 8 / जइ संखेजवासाउयसन्निमणुस्सेहितो एवं संखेजवासाउयसन्निमणुस्से जहेव असुरकुमारेसु उववज अयणा जनसमामिच्छादि भदो जहेब जोतिविए मोहम्मे कायख Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 708 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभाग माणाणं तहेव णव गमगा भाणियव्वा, नवरं सोहम्मदेवट्ठिति संवेहं च जाणेजा, सेसं तं चेव 1, 1 / ईसाणदेवा णं भंते ! कोहितो उववज्जति ?, ईसाणदेवाणं एस चेव सोहम्मगदेवसरिसा वत्तव्यया नवरं असंखेजवासा उय-सन्निपंचिदिय-तिरिक्खजोणियस्स जेसु ठाणेसु सोहम्मे उववजमाणम्म पलिग्रोवमठितीसु गणेसु इहं सातिरेगं पलिश्रोवमं कायव्वं, चउत्थगम योगाहणा जहन्नेणं पणुहपुहुत्तं उक्कोसेणं सातिरेगाई दो गाउयाई सम्म तहेव 1, 10 / असंखेजवासाउय-सन्निमणुसस्सवि तहेव ठिती जहा पंचि दियतिरिक्खजोणियस्स असंखेजवासाउयस्स भोगाहणावि जेसु ठाणेरम गाउयं तेसु ठाणेसु इहं सातिरेगं गाउयं सेसं तहेव 1, 11 / संखेजवामा. उयाणं तिरिक्खजोणियाणं मणुस्साण य जहेव सोहम्मेसु उववजमाणाग तहेव निरवसेसं णववि गमगा नवरं ईसाणठिति संवेहं च जाणेजा 1, 12 // सणंकुमारदेवा णं भंते ! कत्रोहिंतो उववज्जति उववायो जहा सक्करप्पभा. पुढविनेरइयाणं जाव पजत्तसंखेजवासाउय-सन्निपंचिदियतिरिवखजोणिए गां भंते ! जे भविए सणंकुमारदेवेसु उववज्जति अवसेसा परिमाणा दीया भवादेसपज्जवसाणा सच्चेव वत्तव्वया भाणियव्वा जहा सोहम्मे उववजमाणस्स नवरं सणंकुमारट्ठिति संवेहं च जाणेजा, जाहे य अप्पणा जहन्नकालट्ठितीयो भवति ताहे तिसुवि गमएसु पंच लेस्सायो श्रादिलायो कायब्वायो सेसं तं चेव 1, 13 / जइ मणुस्सेहितो उववज्जति मणुस्सागणं जहेव सकरप्पभाए उववजमाणाणं तहेव णववि गमा भाणियव्या नवरं सणंकुमारट्ठिति संवेहं च जाणेजा 1, 14 / माहिंदगदेवा णं भंते / कमोहितो उववज्जति जहा सणंकुमारगदेवाणं वत्तव्वया तहा माहिंदगदेवाणं भाणियव्वा, नवरं माहिंदगदेवाणं ठिती सातिरेगा जाणियव्वा सा चेव, एवं बंभलोगदेवाणवि वत्तव्वया नवरं बंभलोगट्ठिति संवेहं च जाणेज्जा एवं जाव सहस्सारो, णवरं ठिति संवेहं च जाणेजा, लंतगादीणं जहन्न Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्यापाप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 24 :: उद्देशकः 24 ] [ 709 कालट्ठितियस्स तिरिक्खजोणियस्स तिसुवि गमएसु छप्पि लेस्सायो कायव्वायो, संघयणाई बंभलोगलंतएसु पंच आदिल्लगाणि महासुकसहस्सारेसु चत्तारि, तिरिक्खजोणियाणवि मणुस्साणवि, सेसं' तं चेव. 1, 15 / याणयदेवा णं भंते ! कयोहिंतो उववज्जति ? उववायो जहा सहस्सारे देवाणं णवरं तिरिक्खजोणिया खोडेयवा जाव पजत्तसंखेज-वासाउयसनिमणुस्से णं भंते ! जे भविए श्राणयदेवेसु उववज्जित्तए मणुस्साण य वत्तव्बया जेहेव सहस्सारेसु उववजमाणाणं णवरं तिन्नि संघयणाणि- सेसं तहेव जाव अणुबंधो भवादेसेणं जहन्नेणं तिन्नि भवग्गहणाई उक्कोसेणं सत्त भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहन्नेणं अट्ठारस सागरोवमाई दोहिं वासपुहुत्तेहिं अब्भहियाई उक्कोसेणं सत्तावन्नं सागरोवमाई चउहिं पुव्वकोडीहिं अभहियाई एवतियं कालं जाव करेजा, एवं सेसावि अट्ठ गमगा भाणियव्वा नवरं ठिति संवेहं च जाणेजा, सेसं तं चेव 1, 16 / एवं जाव यच्चुयदेवा, नवरं ठिति संवेहं च जाणेज्जा 1, 17 / चउसुवि संघयणा तिन्नि श्राणयादीसु 18 / गेवेजगदेवा णं भंते ! कत्रो उववज्जति ?, एस चे वत्तव्वया नवरं संघयणा दोवि, ठिति संवेहं च जाणेज्जा 11 / विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजितदेवा णं भंते ! कतोहिंतो ववज्जति ?, एस चेव वत्तवया निरवसेसा जाव अणुबंधोत्ति, नवरं पढमं संघयणं, सेसं तहेव भवादेसेणं जहन्नेणं तिन्नि भवग्गहणाई उक्कोसेणं पंच भवग्गहणाई कालादेसेणं जहन्नेणं एक्कतीसं सागरोवमाई.दोहिं वासपुहृत्तेहिं अब्भहियाई उक्कोसेणं छावढि सागरोवमाई तिहिं पुवकोडीहिं अब्भहियाई एवतियं, एवं सेसावि अट्ठ गमगा भाणियव्वा, नवरं विति संवेहं च जाणेजा, मणूसे लद्धी णवसुवि गमएसु जहा गेवेज्जेसु उववजमाणस्स नवरं पढमसंघयणं 20 / सव्वट्टगसिद्धगदेवा णं भंते ! कमोहितो उववज्जंति ?, उववायो जहेब विजयादीणं जाव से णं भंते ! केवतिकालट्ठितिएसु उवव Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 710 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभागः ज्जेजा ?, गोयमा ! जहन्नेणं तेत्तीसं सागरोवमट्टितिएसु उक्कोसेणवि तेत्तीससागरोवमट्टितीएसु उववन्नो, अवसेसा जहा विजयाइसु उववज्जताणं नवरं भवादेसेणं तिन्नि भवग्गहणाई कालादेसेणं जहन्नेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं दोहिं वासपुहुत्तेहिं अमहियाई उक्कोसेणवि तेत्तीसं सागरोवमाई दोहिं पुव्वकोडीहिं अभहियाई एवतियं 1, 21 / सो चेव अप्पणा जहन्नकालद्वितीयो जायो एस चेव वत्तव्वया नवरं श्रोगाहणाठितियो रयणिपुहुत्तवासपुहुत्ताणि सेसं तहेव संवेहं च जाणेजा 1, 22 / सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जात्रो एस चेव वत्तव्वया नवरं योगाहणा जहराणेणं पंचधणुसयाई उक्कोसेणं पंचधणुसयाई, ठिती जहराणेणं पुव्वकोडी उक्कोसेणं पुब्बकोडी, सेसं तहेव जाव भवादेसोत्ति, कालादेसेणं जहरणेणं तेत्तीसं सागरोवमाई दोहिं पुव्वकोडीहि अभहियाई उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोमवाइं दोहिवि पुवकोडीहिं अब्भहियाई एवतियं कालं सेवेजा एवतियं कालं गतिरागतिं करेजा, एते तिन्नि गमगा सब्वट्ठसिद्धगदेवाणं 23 / सेवं भंते ! 2 त्ति भगवं गोयमे जाव विहरइ 24 // सूत्र 715 // 24-24 // समत्तं च चउवीसतिमं सयं // // इति चतुर्विंशतितमं शतकम् // 24 // ॥अथ पञ्चविंशतितम-जीवाख्यशतके प्रथमलेश्योद्देशकः // लेसा य 1 दव्व 2 संठाण 3 जुम्म 4 पजव 5 नियंठ 6 समणा य 7 / पोहे 8 भविया 1 भविए 10 सम्मा 11 मिच्छे य 12 उद्देसा // 1 // तेणं कालेणं 2 रायगिहे जाव एवं वयासी-कति णं भंते ! लेस्सागो पराणत्तायो गोयमा ! छल्लेसायो पराणत्तायो तंजहा-कराहलेसा जहा पढमसए वितिए उद्देसए तहेव लेस्साविभागो अप्पाबहुगं च जाव चउबिहाणं देवाणं मीसगं अप्पाबहुगंति // सूत्रं 716 // कतिविहा गां Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 25 : उद्देशकः 1 / [711 भंते ! संसारसमावन्नगा जीवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! चोदसविहा संसारसमाबन्नगा जीवा य, तंजहा-सुहुमत्रप्पजत्तगा 1 सहुमपज्जत्तगा 2 बादरअपजत्तगा 3 बादरपजत्तगा 4 बेइंदिया अप्पजत्ता 5 बेइंदिया पजत्ता 6 एवं तेइंदिया 8 एवं चरिंदिया 10 असन्निपंचिंदिया अप्पजत्तगा 11 यमन्निपंचिंदिया पजत्तगा 12 सन्निपंचिंदिया अपजत्तगा 13 सन्निपंचिंदिया पजत्तगा 14, 1 / एतेसि णं भंते ! चोदसविहाणं संसारसमावनगाणं जीवाणं जहन्नुक्कोसगस्स जोगस्स कयरे 2 जाव विसेसाहिया ?, गोयमा ! सव्वत्थोवे सुहुमस्म अपजत्तगस्स जहन्नए जोए 1 बादरस्स अपजत्तगस्स जहन्नए जोए असंखेंजगुणे 2 दियस्स अपजत्तगस्स जहन्नए जोए असंखेज्जगुणे 3 एवं तेइंदियस्स 4 एवं चउरिदियस्स 5 असन्निस्स पंचिदियस्स अपजत्तगस्स जहन्नए जोए असंखेजगुणे 6 सन्निस्स पंचिदियस्स अपज्जत्तगस्स जहन्नए जोए असंखेजगुणे 7 सुहुमस्स पजत्तगस्स जहन्नए जोए असंखेजगुणे 8 बादरस्स पजत्तगस्स जहन्नए जोए असंखेजगुणे. 1 सुहुमस्स अपजत्तगस्स उक्कोसए जोए असंखेजगुणे 10 बादरस्स अपजत्तगस्स उकोसए जोए असंखेजगुणे 11 सुहुमस्स पजत्तगस्स उक्कोसए जोए असंखेज. गुणे 12 बादरस्स पजत्तगस्स उक्कोसए जोए असंखेजगुणे 13 बेंदियस्स पजत्तगस्स जहन्नए जोए असंखेजगुणे 14 एवं तेंदिय एवं जाव सन्निपंचिदियस्स पजत्तगस्स जहन्नए जोए असंखेजगुणे 18 दियस्स अपज्जत्तगस्स उक्कोसए जोए असंखेजगुणे 11 एवं तेंदियस्सवि 20 एवं चउरिदियस्सवि 21 एवं जाव सन्निपंचिंदियस्स अपज्जत्तगस्स उक्कोसए जोए असंखेजगुणे 23 बेंदियस्स पजत्तगस्स उक्कोसप जोए असंखेजगुणे 24 एवं तेइंदियस्सवि पज्जत्तगस्स उक्कोसए जोए असंखेजगुणे 25 चउरिंदियस्स पजत्तगस्स उक्कोसए असंखेजगुणे 26 असन्निपंचिंदियपज्जत्तगस्स उकोसए जोए असं खेजगुणे 27 एवं सन्निपंचिंदियस्स पजत्तगस्स उवकोसए जोए असंखेज Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 712 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः गुणे 28, 2 ॥सूत्रं 717 // दो भंते ! नेरतिया पढमसमयोववन्नगा कि समजोगी कि विसम(असम)जोगी ?, गोयमा ! सिय समजोगी सिय विसमजोगी 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चति सिय समजोगी सिय विसमजोगी ?, गोयमा ! याहारयायो (याहारो, अाहारायो) वा से प्रणाहारण अणाहारयायो वा से श्राहारए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अभहिए जइ हीणे असंखेजइभागहीणे वा संखेजइभागहीणे वा संखेजगुणहीणे वा असंखेजगुणहीणे वा ग्रह अन्भहिए असंखेजइभागमभहिए वा संखेजइ. भागमभहिए वा संखेजगुणमहिए वा असंखेजगुणमब्भहिए वा से तेणटेणं जाव सिय विसमजोगी एवं जाव वेमाणियाणं 2 // सूत्रं 718 / / कतिविहे णं भंते ! जोए पराणत्ते ?, गोयमा ! पन्नरसविहे जोए पराणत्ते, तंजहा-सचमणजोए असञ्च(मोस)मणजोए सच्चामोसमणजोए असच्चामोसमणजोए सच्चवइजोए मोसवइजोए सच्चामोसवइजोए असच्चामोसवइजोए थोरालियसरीरकायजोए पोरालियमीसासरीरकायजोए वेउव्वियसरीरकायजोए वेउब्बियमीसासरीरकायजोगे श्राहारगसरीरकायजोगे श्राहारगमीसा सरीरकायजोए कम्मासरीरकायजोए 15, 1 / एयस्स णं भंते ! पनरसविहस्स जहन्नुक्कोसगस्स कयरे 2 जाव विसेसाहिए ?, गोयमा सवत्थोवे कम्मग(कम्मा, कम्म)सरीरस्स जहन्नजोए 1 बोरालियमीसगस्स जहन्नजोए असंखेजगुणे 2 वेउब्वियमीसगस्स जहन्नए असंखेजगुणे 3 बोरालियसरीरस्स जहन्नए जोए असंखेजगुणे 4 वेउब्वियसरीरस्स जहन्नए जोए असंखेजगुणे 5 कम्मगसरीरस्स उक्कोसए जोए असंखेजगुणे 6 श्राहारगमीसगस्स जहन्नए जोए असंखेजगुणे 7 तस्स चेव उक्कोसए जोए असंखेजगुणे 8 पोरालियमीसगस्त 1 वेउब्वियमीसगस्स 10, एएसि णं उक्कोसए जोए दोराहवि तुल्ने असंखेजगुणे, असच्चामोसमणजोगस्स जहन्नए जोए असंखेजगुणे. 11 श्राहारगसरीरस्स जहन्नए जोए असंखेजगुणे 12 तिविहस्स मणजोगस्स Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 25 // उद्देशकः 2] [713 15 चउब्विहस्स वयजोगस्स 11 एएसि णं सत्तगहवि तुल्ले जहन्नए जोए असंखेजगुणे, थाहारगसरीरस्म उक्कोसए जोए असंखेजगुणे 20 ओरालियसरीरस्स वेउब्वियस्स चउब्विहस्स य मणजोगस्स चउब्विहस्स य वइजोगस्स एएसि णं दसराहवि तुल्ले उकोसए जोए असंखेजगुणे 30, 2 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 3 // सूत्रं 711 // पणवीसइमे सए पढमो उद्दे सो // 25-1 // // पञ्चविंशतितमशतके द्वितीयद्रव्योद्देशकः // ___ कतिविहा णं भंते ! दव्वा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा दव्वा पन्नत्ता, तंजहा-जीवदव्या य अजीवदव्वा य 1 / अजीवदव्वा णं भंते ! कतिविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-रूविधजीवदव्वा य अरूवियजीवदव्वा य 2 / एवं एएणं अभिलावेणं जहा अजीवपजवा जाव से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ ते णं नो संखेजा नो असंखेजा अणंता 3 / जीवदव्वा णं भंते ! किं संखेजा असंखेजा अणंता?, गोयमा !नो संखेजा नो असंखेजा अणंता 4 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जीवदव्वा णं नो संखेजा नो अमंखेजा अणंता ?, गोयमा ! असंखेजा नेरइया जाव असंखेजा वाउकाइया वणस्सइकाइया अणंता असंखिजा बेंदिया एवं जाव वेमाणिया यणता सिद्धा से तेण?णं जाव अणंता 5 // सूत्रं 720 // जीवदव्वाणं भंते ! अजीवदव्वा परिभोगत्ताए हव्वमागच्छति श्रजीवदव्वाणं जीवदव्वा परिभोगत्ताए हब्वमागच्छति ?, गोयमा! जीवदव्वाणं अजीवदव्वा परि. भोगताए हव्यमागच्छंति नो अजीवदव्वाणं जीवदव्वा परिभोगनाए हव्वमागच्छंति 1 / से केणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ जाव हव्वमागच्छंति ?, गोयमा ! जीवदवाणं अजीवदव्वे परियादियंति 2 बोरालियं वेउव्वियं श्राहारगं तेयगं कम्मगं सोइंदियं जाव फासिंदियं मणजोगं वइजोगं कायजोगं श्राणापाण Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 714 ] | श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः (गु)त्तं च निव्वत्तियंति से तेणट्टेणं जाव हव्वमागच्छंति 2 / नेरतिया णं भंते ! अजीवदव्या परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति अजीवदव्वाणं नेरतिया परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति ?, गोयमा ! नेरतियाणं अजीवदव्वा जाव हव्वमागछति नो यजीवदव्वाणं नेरतिया हव्वमागच्छति 3 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जाव हबमागच्छंति ?, गोयमा ! नेरतिया अजीवदब्बे परियादियंति 2 वेउब्विय-तेयग-कम्मगं सोइंदियं जाव फासिंदियं (माजोगं वयजोगं कायजोगं) प्राणापाणुत्तं च निबत्तियंति, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुचइ जाव वेमाणिया नवरं सरीरइंदियजोगा भाणियव्वा जस्स जे अस्थि 4 // सूत्रं 721 // से नूणं भंते ! असंखेज्जे लोए अणंताई दवाई अागासे भइयव्वाई ?, हंता गोयमा ! असंखेज्जे लोए जाव भवियव्वाइं 1 / लोगस्स णं भंते ! एगंमि भागासपएसे कतिदिसि पोग्गला चिजंति ?,गोयमा ! निव्वाघाएणं छदिसि वाघायं पडुच्च सिय तिदिसि सिय चउदिसि सिय पंचदिसिं, लोगस्स णं भंते ! एगमि अागासपएसे कतिदिति पोग्गला छिज्जंति एवं चेव, एवं उवचिज्जंति एवं अवचिजंति 2 // सूत्रं 722 // जीवे णं भंते ! जाई दव्वाइं पोरालियसरीरत्ताए गेराहइ ताइं किं ठियाई गेराहइ अठियाई गेराहइ ?, गोयमा ! ठियाईपि गेराहइ अठियाईपि गेराहइ 1 / ताइं भंते ! किं दव्यो गेराहइ खेत्तयो गेराहइ कालो गेराहइ भावो गेराहइ ?, गोयमा / दव्वग्रोवि गेराहइ खेत्तयोकि गेराहइ कालथोवि गेराहइ भावश्रोवि गेराहइ, ताई दबयो अणंतपएसियाई दवाइं खेतो असंखेजपएसोगाढाई 2 / एवं जहा पन्नवणाए पढमे श्राहारुद्दे सए जाव निव्याघाएणं छदिसिं वाघायं पडुच्च सिय तिदिसि सिय चउदिसि सिय पंचदिसि 3 / जीवे णं भंते ! जाई दवाई वेउवियसरीरत्ताए गेराहइ ताई किं ठियाई गेराहइ अठियाइं गेराहइ ?, एवं चेव नवरं नियम छदिसि एवं पाहारगसरीरत्ताएवि 4 / जीवे णं भंते ! जाई दव्वाइं तेयगसरीरत्ताए गिराहइ पुच्छा, गोयमा ! Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 25 / उद्देशकः 3] [715 ठियाई गेराहइ नो अठियाई गेराहइ सेसं जहा ओरालियसरीरस्स कम्मगमरीरे एवं चेव एवं जाव भावनोवि गिराहइ 5 / जाई दवाई दव्वश्रो गेगहइ ताई किं एगपएसियाई गेराहइ दुपएसियाई गेगहइ ?, एवं जहा भासायदे जाव अणुपुर्वि गेराहइ नो अणाणुपुब्बि गेराहइ, ताई भंते ! कतिदिसि गेराहइ ?, गोयमा ! निवाघाएणं जहा पोरालियस्स 6 / जीवे णं भंते ! जाइं दव्वाई सोइंदियत्नाए गेराहइ जहा वेउब्वियसरीरं एवं जाव जिभिदियत्ताए फासिदियत्ताए जहा पोरालियसरीरं मणजोगत्ताए जहा कम्मगसरीरं. नवरं नियम छदिसि एवं वइजोगत्ताएवि कायजोगत्ताएवि जहा पोरालियसरीरस्स 7 / जीवे णं भंते ! जाइं दवाइं श्राणापाणत्ताए गेराहइ जहेव थोरालियसरीरत्ताए जाव सिय पंचदिसि 8 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 1 ! केइ चउवीसदंडएणं एयाणि पदाणि भन्नति जस्स जं अत्थि 10 // सूत्रं 723 // 25-2 // // अथ पंचविंशतितमशतके तृतीयसंस्थानोद्देशकः // ___कति णं भंते ! संगणा पराणत्ता ?, गोयमा ! छ संगणा पराणत्ता, तंजहा-परिमंडले वट्टे तसे चउरंसे आयते अणित्थंथे 1 / परिमंडला णं भंते ! संठाणा दवट्टयाए किं संखेजा असंखेज्जा अणंता ?, गोयमा ! नो संखेजा नो असंखेजा अणंता 2 / वट्टा णं भंते ! संगणा एवं चेव एवं जाव अणित्थंथा एवं पएसट्टयाएवि 3 / एएसि णं भंते ! परिमंडल-वट्टतंस-चउरंस-प्रायत-अणित्यंथाणं संठाणाणं दवट्ठयाए पएसट्टयाए दव्वट्ठपएसट्रयाए कयरे२हिंतो जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा परिमंडलसंगणा दव्वट्ठयाए वट्टा संठाणा दवट्टयाए संखेजगुणा चउरंसा संठाणा दव्वट्टयाए संखेजगुणा तंसा संगणा दबट्टयाए संखेजगुणा श्रायतसंगणा दव्वट्ठयाए संखेजगुणा अणित्थंथा संठाणा दवट्टयाए असंखेजगुणा, Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 716 ) / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभागः पएसट्टयाए सम्वत्थोवा परिमंडला संठाणा पएसट्टयाए वट्टा संगणा संखेजगुणा जहा दवट्ठयाए तहा पएसट्ठयाएवि जाव अणिथंथा संठाणा पएसट्ठयाए असंखेजगुणा, दबट्टपएसट्टयाए सव्वत्थोवा परिमंडला संठाणा दबट्टयाए सो चेव गमश्रो भाणियव्वो जाव अणित्थंथा संठाणा दबट्टयाए असंखेजगुणा अणित्थंथेहितो संठाणेहितो दबट्टयाए परिमंडला संठाणा पएसट्टयाए असंखेजगुणा वट्टा संटाणा पएसट्टयाए संखेजगुणा सो चेव पएसट्ठयाए गमयो भाणियव्यो जाव अणित्थंथा संठाणा पएसट्टयाए असंखेजगुणा 2 / / सूत्रं 724 // कति णं भंते ! संठाणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंच संठाणा पराणत्ता, तंजहा-परिमंडले जाव यायते 1 / परिमंडला णं भंते ! संगणा कि संखेजा असंखेजा अणंता ?, गोयमा ! नो संखेजा नो असंखेजा अणंता 2 / वट्टा णं भंते ! संगणा कि संखेजा असंखेजा श्रणंता ?, एवं चेव एवं जाव आयता 3 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए परिमंडला संगणा कि संखेजा असंखेजा अणंता ?, गोयमा ! नो संखेजा नो असंखेजा अणंता 4 / वट्टा णं भंते ! संठाणा किं संखेजा असंखेजा एवं चेव, एवं जाव आयया 5 / सकरप्पभाए णं भंते ! पुढवीए परिमंडला संठाणा एवं चेव एवं जाव श्रायया एवं जाव अहेसत्तमाए 6 / सोहम्मे णं भंते ! कप्पे परिमंडला संगणा एवं चेव एवं जाव 'अच्चुए 7 / गेविजविमाणा णं भंते ! परिमंडलसंगणा एवं चेव, एवं अणुत्तरविमाणेसुवि, एवं ईसिपभाराएवि 8 / जत्थ णं भंते ! एगे परिमंडले संठाणे जवमज्झे तत्थ परिमंडला संठाणा किं संखेजा असंखेजा अणंता ?, गोयमा ! नो संखेजा नो असंखेजा - अणंता 1 / वट्टा णं भंते ! संठाणा किं संखेजा असंखेजा चेव एवं जाव अायता 10 / जत्थ णं भंते ! एगे वट्टे संठाणे जवमज्झे तत्थ परिमंडला संगणा एवं चेव वट्टा संगणा एवं चेव एवं जाव आयता, एवं एक्केकेणं संगणेणं पंचवि चारेयव्वा 11 / जत्थ णं Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 25 :: उद्देशकः 3 ] [717 भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए एगे परिमंडले संगणे जवमज्झे तत्थ णं परिमंडला संगणा किं संखेजा पुच्छा, गोयमा ! वो संखेजा नो असंखेजा अर्णता 12 / वट्टा णं भंते.! संठाणा किं संखेजा पुच्छा, गोयमा ! नो संखेजा नो असंखेजा अणंता, एवं चेव जाव अायता 13 / जत्थ णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए. पुढवीए एगे वट्टे संगणे जवमज्झे तत्थ णं परिमंडला संठाणा किं. संखेजा पुच्छा, गोयमा ! नो संखेजा नो असंखेजा अणंता, वट्टा संगणा एवं चेव जाव श्रायता 14 / एवं पुणरवि एक्केकेणं संगणेणं पंचवि चारेयव्वा जहेव हेडिल्ला जाव पायताणं एवं जाव अहेसत्तमाए एवं कप्पेसुवि जाव ईसीपब्भाराए पुढवीए 15 // सूत्रं 725 // वट्टणं भंते ! संठाणे कतिपदेसिए कतिपदेसोगाढे पण्णत्ते ?, गोयमा ! वट्टे संगणे दुविहे पराणत्ते, तंजहा-घणव? य पयरवट्टे ए 1 / तत्थ णं जे से पयरवट्ट से दुविहे पराणत्ते, तंजहां-बोयपएसे य जुम्मपएसे य 2 / तत्थ णं जे से श्रोयपएसिए. से जहन्नेणं पंचपएसिए पंचपएसोगाढे उक्कोसेणं अणंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे 3 / तत्थ णं जे से जुम्मपएसिए से जहन्नेणं बारसपएसिए बारसपएसोगाढे उकोसेणं अणंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे 4 / तत्थ णं जे से घणषट्टे से दुविहे पराणत्ते, तंजहा-बोयपएसिए य जुम्मपएसिए य 5 / तत्थ णं जे से योयपएसिए से जहराणेणं सत्तपएसिए सत्तपएसोगाढे पराणत्ते उक्कोसेणं यणंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे पराणते 6 / तत्थ णं जे से जुम्मपएसिए से जहन्नेणं बत्तीसपएसिए बत्तीसपएसोगाढे पराणत्ते, उक्कोसेणं अणंतपएसिए यसंखेजपएसोगाढे पराणते 7 / तसे णं. भंते ! संठाणे कतिपदेसिए कतिपदेसोगाढे पराणते ?, गोयमा ! तसे णं संठाणे दुविहे पराणत्ते, तंजहाघणतंसे य पयरतंसे या तत्थ णं जे से पयरतंसे से दुविहे पराणते, तंजहाथोयपएसिए य जुम्मपएसिए य 1 / तत्थ णं जे से श्रोयपएसिए से जहराणेणं 35 Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 718 ) ..... [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विमागः तिपएसिए तिपएसोगाढे पगणते उक्कोसेणं अणंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे पराणत्ते 10 / तत्थ णं जे से जुम्मपएसिए से जहन्नेणं छप्पएसिए छप्पएसोगाढे पराणत्ते उक्कोसेणं अणंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे पराणत्ते 11 / तत्थ णं जे से घणतंसे से दुविहे पगणत्ते, तंजहा-बोयपएसिए जुम्मपएसिए य 12 / तत्थ णं जे से श्रोयपएसिए से जहन्नेणं पणतीसपएसिए पंणतीसपएसोगाढे उक्कोसेणं अणंतपएसिए तं चेव 13 / तत्थ णं जे से जुम्मपएसिए से जहन्नेणं चउप्पएसिए चउप्पएसोगाढे पराणत्ते उक्कोसेगा श्रणंतपएसिए तं चेव 14 / चउरंसे णं भंते ! संठाणे कतिपदेसिए ? पुच्छा, गोयमा ! चउरंसे सठाणे दुविहे पराणत्ते, भेदो जहेव वट्टस्स जाव तत्थ णं जे से श्रोयपएसिए से जहन्नेणं नवपएसिए नवपएसोगाढे पराणत्ते, उकोसेणं अणंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे पराणत्ते 15 / तत्थ णं जे से जुम्मपदेसिए से जहन्नेणं चउपएसिए चउपएसोगाढे पराणत्ते उक्कोसेणं अणंतपएसिए तं चेव 16 / तत्थ णं जे से घणचउरंसे से दुविहे पराणत्ते, तंजहा-बोयपएसिए जुम्मपएसिए 17 / तत्थ णं जे से श्रोयपएसिए से जहन्नेणं सत्तावीसइपएसिए सत्तावीसतिपएसोगाढे उक्कोसेणं अणंतपएसिए तहेव 18 / तत्थ णं जे से जुम्मपएसिए से जहन्नेणं अट्ठपएसिए अट्टपएसोगाढे पराणते उक्कोसेणं अणंतपएसिए तहेव 11 / आयए णं भंते ! संगणे कतिपदेसिए कतिपएसोगाढे पराणते ? गोयमा ! अायए णं संगणे तिविहे पराणत्ते, तंजहा-सेढियायते पयरायते घणायते 20 / तत्थ णं जे से सेढिायते से दुविहे पराणत्ते, तंजहा-श्रोयपएसिए य जुम्मपएसिए य 21 / तत्थ णं जे से श्रोयपएसिए से जहरणेणं तिपएसिए तिपएसोगाढे उकोसेणं अणंतपए तं चेव 22 / तत्थ णं जे से जुम्मपएसे जहरणेणं दुपएसिए दुपएसोगाढे उक्कोसेणं अणंता तहेव 23 / तत्थ णं जे से पयरायते से दुविहे पराणत्ते, तंजहा-बोयपएसिए य जुम्मपएसिए य 24 / Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 25 : उद्देशकः 3] [716 तत्थ णं जे से श्रोयपएसिए से. जहन्नेणं पन्नरसपएसिए पन्नरसपएसोगाढे उक्कोसेणं अणंत तहेव 25 / तत्थ णं जे से जुम्मपएसिए से जहन्नेणं छप्पएसिए छप्पएसोगाढे उक्कोसेणं अणंत तहेव: 26 / तत्थ णं जे से घणायते से दुविहे पराणत्ते, तंजहा-बोयपएसिए जुम्मपएसिए 27 / तत्थ णं जे से श्रोयपएसिए से जहन्नेणं पणयालीसपएसिए पणयालीसपएमोगाढे उक्कोसेणं अणंतपएसिए तहेव 28 / तत्थ एंजे से जुम्मपएसिए से जहराणेणं बारसपएसिए बारसपएसोगाढे उक्कोसेणं अणंतपएसिए तहेव 21 / परिमंडले णं भंते ! संठाणे कतिपदेसिए ? पुच्छा, गोयमा ! परिमंडले णं संगणे दुविहे पराणत्ते, तंजहा-घणपरिमंडले य पयरपरिमंडले य 30 / तत्थ णं जे से पयरपरिमंडले से जहन्नेणं वीसतिपदेसिए वीसइपएसोगाढे उक्कोसेणं अणंतपदेसिए तहेव 31 / तत्थ णं जे से घणपरिमंडले से जहन्नेणं चत्तालीसतिपदेसिए चत्तालीसपएसोगाढे पराणत्ते, उक्कोसेणं अणंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे पराणत्ते 32 // सूत्र 726 // परिमंडले णं भंते ! संठाणे दव्वट्टयाए कि कडजुम्मे तेश्रोए दावरजुम्मे कलियोए ?, गोयमा ! नो कडजुम्मे णो तेयोए णो दावरजुम्मे कलिथोए 1 / व? णं भंते ! संठाणे दव्वट्ठयाए एवं चेव एवं जाव अायते 2 / परिमंडला णं भंते ! संगणा दवट्ठयाए कि कडजुम्मा नेयोया दावरजुम्मा कलियोगा पुच्छा, गोयमा ! श्रोधादेसेणं सिय कडजुम्मा सिय तेश्रोगा सिय दावरजुम्मा सिय कलियोगा, विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा नो तेश्रोगा नो दावरजुम्मा कलिश्रोगा एवं जाव अायता 3 / परिमंडले णं भंते ! संगणे पएसट्टयाए किं कडजुम्मे ? पुच्छा, गोयमा! सिय कडजुम्मे सिय तेयोगे सिय दावरजुम्मे सिय कलियोए एवं. जाव श्रायते 4 / परिमंडला णं भंते ! संठाणा पएसट्टयाए कि कडजुम्मा ? पुच्छा, गोयमा ! अोघादेसेणं सिय कड. जुम्मा जाव सिय कलियोगा विहाणादेसेणं कडजुम्मावि तेश्रोगावि दावर Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 720 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः जुम्मावि कलियोगावि 4 एवं जाव अायता 5 / परिमंडले णं भंते ! संठाणे किं कडजुम्मपएसोगाढे जाव कलियोगपएसोगाढे ?, गोयमा ! कडजुम्मपएमोगाढे णो तेयोगपएसोगाढे नो दावरजुम्मपएसोगाढे नो कलियोगपएसोगाढे 6 / व?णं भंते ! संठाणे किं कडजुम्मे ? पुच्छा, गोयमा ! सिय कडजुम्मपएसोगाढे सिय तेयोगपएसोगाढे नो दावरजुम्मपएसोगाढे सिय कलियोगपएसोगाढे 7 / तंसे णं भंते ! संठाणे पुच्छा, गोयमा ! सिय कडजुम्मपएसोगाढे सिय तेयोगपएसोगाढे सिय दावरजुम्मपएसोगाढे नो कलियोगपएसोगाढे 8 | चउरंसे णं भते ! संगणे जहा वट्टे तहा चउरंसेवि 1 / आयए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! सिय कडजुम्मपएसोगाढे जाव सिए कलि योगपएसोगाढे 10 / परिमंडला णं भंते ! संठाणा किं कडजुम्मपएसोगाढा तेयोगपएसोगाढा ? पुच्छा, गोयमा ! श्रोधादेसेणवि विहाणादेसेणवि कडजुम्मपएसोगाढा णो तेयोगपएसोगाढा नो दावर. जुम्मपएसोगाढा नो कलियोगपएसोगाढा 11 / वट्टा णं भंते ! संठाणा किं कडजुम्मपएसोगाढा पुच्छा, गोयमा ! श्रोघादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा नो तेयोगपएसोगाटा नो दावरजुम्मपएसोगाढा नो कलियोगपएसोगाढावि 12 / तंसा णं भंते ! संठाणा किं कडजुम्मा पुच्छा, गोयमा ! अोघादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा नो तेयोगपएसोगाढा नो दावरजुम्मपएसोगाढा नो कलियोगपएसोगाढावि विहाणादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा तेयोगपएसोगाढा नो दावरजुम्मपएसोगाढा नो कलियोगपएसोगाढा 13 / चउरंसा जहा वट्टा 14 / श्रायया णं भंते ! संगणा पुच्छा, गोयमा ! श्रोधादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा नो तेयोगपएसोगाढा नो दावरजुम्मपएसोगाढा नो कलियोगपएसोगाढा विहाणादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढावि जाव कलियोगपएसोगाढावि 15 / परिमंडले णं भंते ! संठाणे किं कडजुम्मसमयठितीए तेयोगसमयठितीए दावरजुम्मसमय Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 25 :: उद्देशकः 3] [721 द्वितीए कलियोगसमयठितीए ?, गोयमा ! सिय कडजुम्मसमयठितीए जाव मिय कलियोगसमयठितीए एवं जाव अायते 16 / परिमंडला णं भंते ! संगणा किं कडजुम्मसमयठितीया पुन्छा, गोयमा ! श्रोधादेसेणं सिय कडजुम्मसमयद्वितीया जाव सिय कलियोगसमद्वितीया, विहाणादेसेणं कडजुम्मसमयठितीयावि जाव कलियोगसमयठितीयावि, एवं जाव अायता 17 / परिमंडले णं भंते ! संठाणे कालवन्नपजवेहिं किं कडजुम्मे जाव सिय कलियोगे?, गोयमा ! सिय कडजुम्मे एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ठितीए एवं नीलवन्नपजवेहिं एवं पंचहिं वन्नेहिं दोहिं गंधेहिं पंचहिं रसेहिं अहिं फासेहिं जाव लुक्खफासपनवेहिं 18 / [संग्रहगाथा:-परिमंडले य 1 वट्टे 2 तंसे 3 चउरंस 4. आयए 5 चेव / घणपयरपढमवज्जं श्रोयपएसे य जुम्मे य॥ 1 // पंच य बारसयं खलु सत्त य बत्तीसयं च वट्टमि / तियछक्कयपणतीसा चउरो य हवंति तंसंमि // 2 // नव चेव तहा चउरो सत्तावीसा य अट्ठ चउरंसे / तिगदुगपन्नरसे चेव छच्चेव य पायए होंति // 3 // पणयालीसा बारस छब्भेया श्राययम्मि संगणे / परिमंडलम्मि वीसा चत्ता य भवे पएसग्गं // 4 // सव्वेवि अाययम्मि गेराहसु परिमंडलंमि कडजुम्मं / वज्जेज कलिं तंसे दावरजुम्मं च सेसेसु // 5 // ] // सूत्रं 727 // सेढीयो णं भंते ! दबट्टयाए कि संखेबायो असंखेजात्रो अणंतायो ?, गोयमा ! नो संखेजायो नो असंखेजात्रो अणंतायो / पाईणपडीमायतायो णं भंते ! सेढीयो दवट्टयाए कि संखेजात्रो एवं चेव 3, एवं दाहिणुत्तरायताबोधि एवं उड्डमहायताप्रावि 2 / लोगागाससेढीयो णं भंते ! दव्वट्ठयाए किं संखेजायो असंखेजात्रो अणंतायो ?, गोयमा ! नो संखेजाओ असंखेजायो नो अणंतायो 3 / पाईणपडीणायतायो णं भंते ! लोगागाससेढीयो दबट्टयाए किं संखेजायो एवं चेव, एवं दाहिणुत्तराययात्रोवि, एवं उड्डमहायतामोवि 4 / अलोयागाससेढीयो णं भंते ! दव्वट्ठयाए कि संखे Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 722 / ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभागः जायो असंखेन्जायो अणंतायो ?, गोयमा ! नो संखेजायो नो असंखेजायो अणंतागो, एवं पाईणपडीणाययायोवि एवं दाहिणुत्तराययायोवि एवं उडमहायतायोवि 5 / सेढीयो णं भंते ! पएसट्टयाए कि संखेजात्रो जहा दबट्टयाए तहा पएसट्टयाएवि जाव उट्टमहाययात्रोवि सव्वायो अणंतायो 6 / लोयागाससेढीयो णं भंते ! पएसट्टयाए कि संखेजाश्रो पुच्छा, गोयमा ! सिय संखेजायो सिय असंखेजायो नो अणंतायो, एवं पाईणपडीणायताश्रो दाहिणुत्तरायतायोवि एवं चेव उड्डमहायतायोवि नो संखेजायो असंखेजायो नो अणंतायो 7 / अलोगागाससेदीयो णं भंते ! पएसट्टयाए पुच्छा, गोयमा ! सिय संखेजायो सिय असंखेजात्रो सिय श्रणंतायो 8 / पाईणपडीणाययात्रो णं भंते ! अलोयागाससेढीयो पुच्छा, मोयमा ! नो संखेज्जाबो नो असंखेजायो अणंतायो, एवं दाहिणुत्तरायतागोवि 1 / उड्डमहायतायो पुच्छा, गोयमा ! सिय संखेजाश्रो सिय असंखेज्जायो सिय अणंतायो 10 // सू० 728 // सेढीयो णं भंते ! किं साइयायो सपजवसियायो 1 साईयायो अपजवसियानो 2 अणादीयायो सपजवसियायो 3 अणादीयायो अपज्जवसियायो 4 ?, गोयमा ! नो सादीयायो सपजवसियायो नो सादीयायो अपजवसियायो णो अणादीयात्रो सपन्जवसियात्रो अणादीयायो अपजवसियायो, एवं जाव उड्डमहायतायो 1 / लोयागाससेढीयो णं भंते ! किं सादीयायो सपजवसियायो पुच्छा, गोयमा ! सादीयाओ संपन्जवसियानो नो सादीयाश्रो श्रपज्जवसियायो नो अणादीयायो सपजवसियानो नो अणादीयायो अपजवसियाश्रो, एवं जाव उड्डमहायतायो / अलोयागाससेढीयो णं भंते ! किं सादीयायो सपज्जवसियायो पुच्छा, गोयमा ! सिय साइयायो सपज्जवसियायो 1 सिय साईयायो अपज्जवसियायो 2 सिय अणादीयायो सपजवसियायो 3 सिय श्रणाइयायो अपजवसियायो 4, पाईणपडीणाययात्रो दाहिणुत्तरायतायो Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) त्रं :: शतकं 25 :: उद्देशकः 3] / 723 य एवं चेव, नवरं नो सादीयायो सपज्जवसियायो सिय साईयायो अपजचसियात्रो सेसं तं चेव, उडमहायतायो जाव श्रोहियायो तहेव चउभंगो 3 / सेदीयो णं भंते ! दव्वट्ठयाए कि कडजुम्मायो तेश्रोयाश्रो ? पुच्छा, गोयमा ! कडजुम्मायो नो तेश्रोयायो नो दावरजुम्मायो नो कलियोगायो एवं जाव उड्डमहायताओ, लोगागाससेढीयो एवं चेव, एवं अलोगागाससेढीयोवि 4 / सेढीयो णं भंते ! पएसट्टयाए कि कडजुम्मायो पुच्छा, एवं चेव एवं जाव उड्डमहायतायो 5 | लोयागाससेदीयो णं भंते ! पएसट्टयाए पुच्छा, गोयमा ! सिय कडजुम्मानो नो तेश्रोयाश्रो सिय दावरजुम्मायो नो कलिश्रोगाओ, एवं पाईणपडीणायताोवि दाहिणुत्तरायतायोवि 6 / उडमहाययायो णं पुच्छा, गोयमा ! कडजुम्मायो नो तेश्रोगाश्रो नो दावरजुम्मायो नो कलियोगायो 7 / (संग्रहगाथा-तिरियाययाउ कडबायरायो लोगस्स संखसंखा वा / सेढीयो कडजुम्मा उडमहेश्राययमसंखा // 1 // अलोगागातसेढीयो णं भंते ! पएसट्टयाए पुच्छा, गोयमा ! सिय कडजुम्मायो जाव सिय कलियोगात्रो, एवं पाईणपडिणायताश्रोवि एवं दाहिणुत्तरायतामोवि उड्डमहायताप्रोवि एवं चेव, नवरं नो कलियोगायो सेसं तं चेव - // सूत्रं 721 // कति णं मंते ! सेढीयो पगणतायो ?. गोयमा ! सत्त सेदीयो पनत्तात्रो, तंजहा-उज्जुश्रायता एगोवंका दुहश्रोवंका एगोखहा दुहश्रोखहा चक्कवाला श्रद्धचकवाला 1 / परमाणुपोरगलाणं भंते ! किं अणुसेढी गती पवत्तति सिदि गती पवत्तति ?, गोयमा ! अणुसेढी गति पवत्तति नो विसेढी गती पवत्तति 2 / दुपएसियाणं भंते ! खंधाणं अणुसेटी गती पवतति विसेढी गती पवत्तति एवं चेव, एवं जाव अणंतपएसियाणं खंधाणं 3 / नेरइयाणं भंते ! कि अणुसेही गती पवत्तति विसेटी गती पवत्तति एवं चेव, एवं जाव वेमाणियाणं 4 // सूत्रं 730 / / इमीसे णं भंते ! रयण Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 724 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः प्पभाए पुढविए केवतिया. निरयावाससयसहस्सा पन्नत्ता ?, गोयमा ! तीसं निरयावाससयसहस्सा पराणत्ता, एवं जहा पढमसते पंचमुद्दे सगे जाव एगा अणुत्तरविमाणत्ति // सूत्रं 731 // कइविहे णं भंते ! गणिपिडए पराणत्ते ?. गोयमा ! दुवालसंगे गणिपिडए पराणत्ते, तंजहा-पायारो जाव दिट्टिवायो 1 / से किं तं पायारो ?, आयारे णं समणाणं निग्गंथाणं आयार-गोयर. विणय--वेणझ्य--सिक्खा-भासा-प्रभासा-चरण-करण-जाया--मायावित्तीयो श्राघवेज्जति 1 / एवं अंगपरूवणा भाणियव्वा जहा नंदीए, जाव सुत्तत्थो खलु पढमो बीयो निजुत्तिमीसियो भणियो / तइयो य निरवसेसो एस विहि होइ अणुयोगे // 1 // सूत्रं 732 // एएसि णं भंते ! नेरतियाणं जाव देवाणं सिद्धाण य पंचगतिसमासेणं कयरे 2 ? पुच्छा, गोयमा ! अप्पाबहुयं जहा बहुवत्तव्वयाए अट्टगइसमासप्पाबहुगं च 1 / एएसि णं भंते ! सइंदियाणं एगिदियाणं जाव अणिदियाण य कयरे 2 ?, एयपि जहा बहुवत्तव्वयाए तहेव श्रोहियं पयं भाणियंव्वं, सकाइयअप्पाबहुगं तहेव श्रोहियं भाणियध्वं 2 / एएसि णं भंते ! जीवाणं पोग्गलाणं जाव सव्वपजवाण य कयरे 2 जाव बहुवत्तव्वयाए 3 / एएसि णं भंते ! जीवाणं अाउयस्स कम्मस्स बंधगाणं प्रबंधगाणं जहा बहुवत्तव्वयाए जाव पाउयस्स कम्मस्स अबंधगा विसेसाहिया 4 / सेवं भंते ! सेवं भंते त्ति जाव विहरइ 5 // सूत्रं 733 // .. // इति पञ्चविंशतितमशतके तृतीय उद्देशकः // 25-3 // // अथ पञ्चविंशतितमशतके चतुर्थयुग्मोद्देशकः // . कति णं भंते ! जुम्मा पन्नत्ता ? गोयमा ! चत्तारि जुम्मा पन्नत्ता, तंजहाकडजुम्मे जाव कलियोगे 1 / से केण?णं भंते ! एवं बुचइ चत्तारि जुम्मा पन्नत्ता, तंजहा-कडजुम्मे जहा अट्ठारसमसते चउत्थे उद्देसए तहेव जाव से Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवशि)सूत्र :: शतकं 25 :: उदं शकः 4 ] ( 725 तेण?णं गोयमा ! एवं वुचइ जाव कलियोगे 2 / नेरइयाणं भंते ! कति जुम्मा पराणत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि जुम्मा पराणत्ता, तंजहा-कडजुम्मे जाव कलियोए 3 / से केण?णं भंते ! एवं वुचइ नेरइयाणं चत्तारि जुम्मा पराणत्ता, तंजहा-कडजुम्मे अट्टो तहेव, एवं जाव वाउकाइयाणं 4 / वणस्सइकाइयाणं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! रणस्सइकाइया सिय कडजुम्मा सिय तेयोया. सिय दावरजुम्मा सिय कलियोगा 5 / से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ वणस्सइकाइया जाव कलियोगा ?, गोयमा ! उववायं पडुच, से तेणटेणं तं चैव, बेदियाणं जहा नेरइयाणं एवं जाव वेमाणियाणं, सिद्धाणं जहा वणस्सइकाइयाणं 6 / कतिविहा णं भंते ! सव्वदव्वा पराणता ?, गोयमा ! छविहा सव्वदव्वा पराणत्ता, तंजहा-धम्मस्थिकाए अधम्मत्थिकाए जाव श्रद्धासमए 7 / धम्मत्थिकाए णं भंते ! दव्वट्टयाए किं कडजुम्मे जाव कलियोगे ?, गोयमा ! नो कडजुम्मे नो तेयोए नो दावरजुम्मे कलियोए, एवं अहम्मत्थिकाएवि, एवं श्रागासस्थिकाएवि = / जीवत्थिकाए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! कडजुम्मे नो तेयोये नो दावरजुम्मे नो कलियोये 1 / पोग्गलत्थिकाए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! लिय कडजुम्मे जाव सिय कलियोगे, श्रद्धासमये जहा जीवत्थिकाए 10 / धम्मस्थिकाए णं भंते ! पएसट्टयाए किं कडजुम्मे ? पुच्छा, गोयमा ! कडजुम्मे नो तेयोए नो दावरजुम्मे नो कलियोगे एवं जाव श्रद्धासमए 11 / एएसि णं भंते ! धम्मत्थिकाय अधम्मस्थिकाय जाव श्रद्धासमयाणं दव्वठ्याए जाव एएसि णं अप्पाबहुगं जहा बहुवत्तव्वयाए तहेव निरवसेसं 12 / धम्मत्थिकाए णं भंते ! किं श्रोगाढे अणोगाढे ?, गोयमा ! योगाढे नो अणोगाढे, जइ योगाढे किं संखेजपएसोगाढे असंखेजपएसोगाढे यणंतपएसोगाढे ?, गोयमा ! नो संखेजपएसोगाढे असंखेजपएसोगाढे नो अणंतपएसोगाढे. 13 / जइ. असंखेजपएसोगाढे किं कडजुम्म Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 726 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विमागा पएसोगाढे ? पुच्छा, गोयमा ! कडजुम्मपएसोगाढे नो तेश्रोगे नो दावर. जुम्मे नो कलियोगपएसोगादे, एवं अधम्मत्थिकायेवि, एवं अागासस्थिकायेवि, जीवत्थिकाये पुग्गलत्थिकाये श्रद्धासमए एवं चेव 14 / इमा मां भंते ! रयणप्पभा पुढवी किं श्रोगाढा अणोगाढा जहेव धम्मत्थिकाए एवं जाव अहेसत्तमा, सोहम्मे एवं चेव, एवं जाव ईसिपब्भारा पुढवी 15 // सूत्रं 734 // जीवे णं मंते ! दवट्ठयाए कि कडजुम्मे पुच्छा, गोयमा ! नो कडजुम्मे नो तेयोगे नो दावरजुम्मे कलिश्रोए, एवं नेरइएवि एवं जाव सिद्धे 1 / जीवा णं भंते ! दव्वट्ठयाए किं कडजुम्मा ? पुच्छा, गोयमा ! श्रोघादेसेणं कडजुम्मा नो तेयोगा नो दावरजुम्मा नो कलिश्रोगा, विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा नो तेयोगा नो दावरजुम्मा कलियोगा 2 / नेरइया णं भंते ! दवट्ठयाए पुच्छा, गोयमा ! योघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा, विहाणादेसेणं णो कडजुम्मा णो तेयोगा णो दावरजुम्मा कलियोगा एवं जाव सिद्धा 3 / जीवे ण भंते ! पएसट्टयाए किं कडजुम्मे पुच्छा, गोयमा ! जीवपएसे पडुच्च कडजुम्मे नो तेयोगे नो दावरजुम्मे नो कलियोगे, सरीरपएसे पडुच्च सिय कड. जुम्मे जाव सिय कलियोगे, एवं जाव वेमाणिए 4 / सिद्धे' णं भंते ! पएसट्टयाए कि कडजुम्मे ? पुच्छा, गोयमा ! कडजुम्मे नो तेयोगे नो दावरजुम्मे नो कलिश्रोए 5 / जीवा णं भंते ! पएसट्ठयाए कि कडजुम्मे ? पुच्छा, गोयमा ! जीवपएसे पडुच्च अोघादेसेणवि विहाणादेसेणवि कडजुम्मा नो तेयोगा नो दावरजुम्मा नो कलि योगा, सरीरपएसे पडुच्च श्रोधादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा, विहाणादेसेणं कड. जुम्मावि जाव कलियोगावि, एवं नेरझ्यावि, एवं जाव वेमाणिया 6 / सिद्धा णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! श्रोधादेसेणवि विहाणादेसेणवि कडजुम्मा नो तेयोगा नो दावरजुम्मा नो कलियोगा 7 // सूत्रं 735 / / Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञाप्त(श्रीमद्भगवति)सूत्रं :: शतकं 25 :: उद्देशकः 4 ) [ 727 जीवे णं भंते ! किं कडजुम्मपएसोगाढे पुच्छा, गोयमा ! सिए कडजुम्मपएमोगाढे जाव सिय कलियोगपएसोगाढे, एवं जाव सिद्धे 1 / जीवा णं भंते ! किं कडजुम्मपएसोगाढा पुच्छा, गोयमा ! ओघादेसेणं कडजुम्मपए. मोगाढा नो तेयोगपएसोगाढा नो दावरजुम्मपएसोगाढा नो कलियोगपएमोगाढा, विहाणादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढावि जाव कलियोगपएसोगाढावि 2 / नरइयाणं पुच्छा, गोयमा ! योघादेसेणं सिय कडजुम्मपएसोगाढा जाव सिय कलियोगपएसोगाढा, विहाणादेसेणं कडजुम्मपएसोगादावि जाव कलियोगपाएसोगाढावि, एवं एगिदियसिद्धवजा सव्वेवि, सिद्धा एगिदिया य जहा जीवा 3 / जीवे गां भंते ! किं कडजुम्मसमयद्वितीए जाव सिय कलियोगसमयट्रितीए ? पुच्छा, गोयमा! कडजुम्मसमयट्टितीए नो तेयोगसमयट्टितीए नो दावरजुम्मा नो कलियोगसमयट्टितीए 4 / नेरइए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! मिय कडजुम्मसमयट्टितीए जाव सिय कलियोगसमयट्टितीए, एवं जाव चमाणिए, सिद्धे जहा जीवे 5 / जीवा णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! श्रोघादसेणवि विहाणादेसेणवि कडजुम्मसमयद्वितीया नो तेश्रोगसमयद्वितीया नो दावरजुम्मसमयट्ठितिया नो कलियोगसमयट्टितीया 6 / नेरइया णं पुच्छा, गोयमा ! योघादेसेणं सिय कडजुम्मसमयद्वितीया जाव सिय कलियोगसमयद्वितीयावि, विहाणादेसेणं कडजुम्मसमयद्वितीयावि जाव कलियोगसमयट्टितीयावि, एवं जाव वेमाणिया, सिद्धा जहा जीवा 7 // सूत्रं 736 // जीवे णं भंते ! कालवन्नपज्जवेहिं किं कडजुम्मे ? पुच्छा, गोयमा ! जीवपएसे पडुच्च णो कडजुम्मे जाव णो कलियोगे सरीरपएसे पडुच्च सिय कडजुम्मे जाव सिय कलियोगे, एवं जाव वेमाणिए, सिद्धो ण चेव पुच्छिन्नति 1 / जीवा णं भंते ! कालवन्नपजवेहिं पुच्छा. गोयमा ! जीवपएसे पडुच्च अोघादेसेणवि विहाणादेसेणवि णो कडजुम्मा जाव णो कलिथोगा, सरीरपएसे पडुच्च याघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा, विहाणादेसेणं कड Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 728 ] - [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः जुम्मावि जाव कलियोगावि 2 / एवं जाव वेमाणिया, एवं नीलवन्नपज्जवेहि दंडयो भाणियव्वो, एगत्तपुहत्तेणं एवं जाव लुक्खफासपज्जवेहिं 3 / जीव णं भंते ! श्राभिणिबोहियणाणपनवेहि किं कडजुम्मे पुच्छा, गोयमा ! सिय कडजुम्मे जाव सिय कलियोगे, एवं एगिदियवज्ज जाव वेमाणिए 4 / जोवा णं भंते ! भाभिणिबोहियणाणपजवेहिं पुच्छा, गोयमा ! श्रोघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा, विहाणादेसेणं कडजुम्मावि जाव कलियोगावि 5 / एवं एगिदियवज्जं जाव वेमाणिया, एवं सुयणाणपजवेहिवि, प्रोहिणाणपजवेहिवि एवं चेव, नवरं विकलिंदियाणं नथि अोहिनाणं, मणपजवनाणंपि एवं चेव, नवरं जीवाणं मणुस्साण य, सेसाणं नत्थि 6 / जीवे णं भंते ! केवलनाणपजवेहिं किं कडजुम्मा पुच्छा, गोयमा ! कडजुम्मे णो तेयोगे णो दावरजुम्मे णो कलियोगे, एवं मणुस्सेवि, एवं सिद्धेवि 7 | जीवा णं भंते ! केालनाण पुच्छा, गोयमा ! अोघादेसेणवि विहाणादेसेणवि कडजुम्मा नो तेश्रोगा नो दावरजुम्मा णो कलियोगा, एवं मणुस्सावि, एवं सिद्धावि = | जीवे णं भंते ! मइअन्नाणपजवेहिं किं कडजुम्मे ? पुच्छा, जहा ग्राभिणिबोहियणाणपजवेहिं तहेव दो दंडगा, एवं सुयन्नाणपजवेहिवि, एवं विभंगनाणपजवेहिवि 1 / चक्खुदंसण-अचक्खुदंसण-योहिदंसणपजवेहिवि एवं चेव, नवरं जस्स जं अस्थि तं भाणियन्वं, केवलदसणपजवेहिं जहा केवलनाणपजवेहिं 10 // सूत्रं 737 // कति णं भंते ! सरीरगा पन्नत्ता ?, गोयमा! पंच सरीरगा पन्नत्ता, तंजहा-थोरालिए जाव कम्मए, एत्थ सरीरगपदं निरवसेसं भाणियव्वं जहा पन्नवणाए // सूत्रं 738 // जीवा णं भंते ! कि सेया णिरेया ?, गोयमा ! जीवा सेयावि निरेयावि 1 / से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चति जीवा सेयावि निरेयावि ?, गोयमा ! जीवा दुविहा, पन्नत्ता, तंजहा-संसारसमावनगा य असंसारसमावन्नगा य, तत्थ णं जे ते असंसारसमावन्नगा ते णं सिद्धा, Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवति)सूत्रं : शतकं 25 :: उद्देशकः 4 ] [ 726 सिद्धा णं दुविहा पन्नता, तंजहा-अणंतरसिद्धा य परंपरसिद्धा य, तत्थ णं जे ते परंपरसिद्धा ते णं निरेया, तत्थ णं जे ते यणंतरसिद्धा ते णं सेया, ते णं भंते ! किं देसेया सव्वेया ?, गोयमा ! णो देसया सवेया, तत्थ णं जे ते संसारसमावन्नगा ते दुविहा पराणत्ता, तंजहा-सेलेसिपडिवनगा य असेलेसिपडियन्नगा य, तत्थ णं जे ते सेलेसीपडिवनगा ते णं निरेया, तत्थ णं जे ते असेलेसीपडिवनगा ते णं सेया, ते णं भंते ! किं देसेया सव्वेया ?, गोयमा ! देसेयावि सम्वेयावि, से तेण?णं जाव निरेयावि 2 / नेरइया णं भंते ! किं देसेया सव्वेया ?, गोयमा ! देसेयावि सव्वेयावि 3 / से केण?णं जाव सम्वेयावि ?, मोयमा ! नेरइया दुविहा पराणत्ता, तंजहा-विग्गहगतिसमावनगा य अविग्गहगइसमावन्नगा य, तत्थ णं जे ते विग्गहगतिसमावनगा ते णं सव्वेया, तत्थ णं जे ते अविग्गहगतिसमावन्नगा ते णं देसेया, से तेणटेणं जाव सव्वेयावि, एवं जाव वेमाणिया 4 // सूत्र 731 // परमाणुपोग्गला णं भंते ! किं संखेजा असंखेजा अणंता ?, गोयमा ! नो संखेजा नो यसंखेजा अणंता, एवं जाव अणंतपएसिया खंधा 1 / एगपएसोगाढा णं भंते ! पोग्गला किं संखेजा असंखेजा अणंता ?, एवं चेव, एवं जाव असंखेजपएसोगाढा 2 / एगसमयठितीया णं भंते ! पोग्गला किं संखेजा ?, एवं चेव, एवं जाव असंखेजसमयद्वितीया 3 / एगगुणकालगा णं भंते ! पोग्गला किं संखेजा असंखेजा अणंता ?, एवं चेव, एवं जाव अणंतगुणकालगा, एवं श्रवसेसावि वरणगंधरसफासा णेयव्वा जाव अणंतगुणलुक्खत्ति 4 / एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं दुपएसियाण य खंधाणं दव्वट्ठयाए कयरे२हिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! दुपएसिएहितो खंधेहिंतो परमाणुपोग्गला दव्वट्ठयाए बहुगा 5 / एएसि णं भंते ! दुपएसियाणं तिप्पएसाण य खंधाणं दव्वट्ठयाए Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एसिएहितोस एसिणं भने, 730 / __ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः कयरेश्हिंतो बहुया ?, गोयमा! तिपएसियखंधेहितो दुपएसिया खंधा दव्वट्टयाए बहुया, एवं एएणं गमएणं जाव दसपएसिएहितो खंधेहितो नवपएसिया खंधा दव्वट्ठयाए बहुया 6 / एएसि णं भंते ! दसपएसिए पुच्छा, गोयमा ! दसपएसिएहितो खंधेहितो संखेजपएसिया खंधा दवट्टयाए बहुया 7 / एएसि ण भंते ! संखेजपएसिए पुच्छा, गोयमा ! संखेजपएसिएहिंतो खंधेहिंतो असंखेजपएसिया खंधा दव्वट्टयाए बहुया 8 / एएसिणं भंते ! असंखेजपणसिए पुच्छा, गोयमा , अणंतपएसिएहिंतो खंधेहितो असंखेजपएसिया खंधा दबट्टयाए बहुया 1 / एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं दुपएसियाण य खंधाणं पएसट्टयाए कयरे हितो बहुया ?, गोयमा ! परमाणुपोग्गलेहितो दुपएसिया खंधा पएसट्टयाए बहु / 10 / एवं एएणं गमएणं जाव नवपएसिएहितो खंधेहितो दसपएसिया खंधा पएसट्टयाए बहुया, एवं सव्वत्थवि पुच्छियव्वं, दसपएसिएहितो खंधेहितो संखेजपएसिया खंधा पएसट्टयाए बहुया, संखेजपएसिएहितो असंखेजपएसिया खंधा पएसटुंयाए बहुया 11 / एएसि णं भंते ! असंखेजपएसियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंतपएसिएहितो खंधेहितो असंखेजपएसिया खंधा पएसट्टयाए बहुया 12 / एएसि णं भंते ! एगपएसोगाढाणं दुपएसोगाढाण य पोग्गलाणं दवट्टयाए कयरे२हिंतो जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! दुपएसोगाढेहितो पोग्गले. हिंतो एगपएसोगाढा पोग्गला दवट्ठयाए विसेसाहिया 13 / एवं एएणं गमएणं तिपएसोगाढेहितो पोग्गलेहितो दुपएसोगाढा पोग्गला दव्वट्ठयाए विसेसाहिया जाव दसपएसोगादेहितो पोग्गलेहितो नवपएसोगाढा पोग्गला दबट्टयाए विसेसाहिया, दसपएसोगादेहितो पोग्गलेहितो संखिजपएसोगाढा पोग्गला दबट्ठयाए बहुया, संखेजपएसोगादेहितो पोग्गलेहितो असंखेज्जपएसोगाढा पोग्गला दबट्टयाए बहुया, पुच्छा सव्वस्थ भाणियव्वा 14 / एएसि . णं भंते ! एगपएसोगाढाणं दुपएसोगाढाण य पोग्गलाणं पएसट्टयाए कयरे 2 Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवति)सूत्रं :: शतकं 25 :: उद्देशकः 4 ] [731 हितो बहुया वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! एगपएसोगादेहितो पोग्गलेहिंतो दुपएसोगाढा पोग्गला पएसट्टयाए विसेसाहिया 15 / एवं जाव नवपएसोगादेहितो पोग्गलेहितो दसपएसोगाढा पोग्गला पएसट्टयाए विसेसाहिया, दसपएसोगादेहितो पोग्गलेहिंतो संखेजपएसोगाढा पोग्गला पएसट्टयाए बहुया, संखेजपएसोगाढहितो पोग्गलेहितो असंखेजपएसोगाढा पोग्गला पएसट्टयाए बहुया 16 / एएसि णं भंते ! एगसमयटितीयाणं दुसमयठितीयाण य पोग्गलाणं दव्वट्टयाए जहा योगाहणाए वत्तव्वया एवं ठितीएवि 17 / एएसि णं भंते ! एगगुणकालयाणं दुगुणकालयाण य पोग्गलाणं दबट्टयाए एएसि णं जहा परमाणुपोग्गलादीणं तहेव वत्तव्वया निरवसेसा, एवं सव्वेसि वन्नगंधरसाणं 18 / एएसि णं भंते ! एगगुणकक्खडाणं दुगुणकक्खडाण य पोग्गलाणं दवट्ठयाए कयरे२हिंतो वहुया वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! एगगुणकक्खडेहितो पोग्गलेहितो दुगुणकक्खडा पोग्गला दबट्टयाए विसेमाहिया 11 / एवं जाव नवगुणकक्खडेहिंतो पोग्गलेहितो दसगुणकाखडा पोग्गला दव्वट्ठयाए विसेसाहिया, दमगुणकक्खडेहिंतो पोग्गलेहितो संखिजगुणकक्खडा पोग्गला दवट्टयाए बहुया, संखेजगुणकक्खडेहितो पोग्गलेहितो असंखेजगुणकक्खडा पोग्गला दबट्टयाए बहुया, असंखेजगुणकक्खडेहितो पोग्गलेहितो अणंतगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्ठयाए बहुया 20 / एवं पएसट्टयाए सव्वत्थ पुच्छा भाणियव्वा, जहा कक्खडा एवं मउयगरुयलहुयावि, सीयउसिणनिद्धलक्खा जहा वन्ना 21 // सूत्रं 740 ॥एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं संखेजपएसियाणं असंखेजपएसियाणं अणंतपएसियाण य खंधाणं दव्वट्ठयाए पएसट्टयाए दवट्ठपएसट्टयाए कयरे२हिंतो जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा अणंतपएसिया खंधा दवट्टयाए परमाणुपोग्गला दव्वट्ठयाए अणंतगुणा संखेजपएसिया खंधा दवट्ठयाए संखेजगुणा असंखेजपएसिया खंधा बहुया वा विगुणकक्खडाणपनगधरसाण पोग HTHARTHI Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 732 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभाग दबट्टयाए असंखेजगुणा, पएसट्टयाए सव्वत्थोवा अणंतपएसिया खंधा पएसट्ठयाए परमाणुपोग्गला अपएसट्टयाए अणंतगुणा संखेजपएसिया खंधा पएसट्टयाए संखेजगुणा असंखेजपएसिया खंधा पएसट्टयाए असंखेजगुणा, दवट्ठपएसट्टयाए सब्बत्थोवा अणंतपएसिया खंधा दव्वट्ठयाए ते चेव पएसट्टयाए अणंतगुणा परमाणुपोग्गला दवट्ठपएसट्टयाए अणंतगुणा संखेजपएसिया खंधा दवट्ठयाए संखेजगुणा ते चेव पएसट्टयाए संखेजगुणा असंखेजपएसिया खंधा दबट्टयाए असंखेजगुणा ते चेव पएसट्टयाए यसंखेजगुणा 1 / एएसि ग भंते! एगपएसोगाढाणं संखेजपएसोगादाणं असंखेजपएसोगादाण यपोग्गलाग दव्वट्ठयाए पएसट्टयाए दवट्टपएसट्टयाए कयरे 2 जाव विसैसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा एगपएसोगाढा पोग्गला दवट्ठयाए संखेजपएसोगाढा पोग्गला दवट्ठयाए संखेनगुणा असंखेजपएसोगाढा पोग्गला दबट्ठया असंखेजगुणा, पएसट्टयाए सव्वत्थोवा एगपएसोगाढा पोग्गला अपराम ठुयाए संखेजपएसोगाढा पोग्गला पएसट्टयाए संखेजगुणा असंखेजपए. सोगाढा पोग्गला पएसट्टयाए असंखेजगुणा दवट्ठपएसट्टयाए सव्वत्थोवा एगपएसोगाढा पोग्गला दवट्ठअपदेसट्टयाए असंखेजपएसोगाढा पोग्गला दबट्टयाए संखेजगुणा ते चेव पएसट्टयाए संखेजगुणा असंखेजपएसोगादा पोग्गला दबट्टयाए असंखेजगुणा ते चेव पएसट्टयाए असंखेजगुणा 2 / एएसि णं भंते ! एगसमयद्वितीयाणं संखिजसमयद्वितीयाणं असंखेज समयट्टिीयाण य पोग्गलाणं जहा श्रोगाहणाए तहा ठितीएवि भागियव्वं अप्पाबहुगं 3 / एएसि णं भंते ! एगगुणकालगाणं संखेजगुणकाल गाणं असंखेजगुणकालगाणं अणंतगुणकालगाण य पोग्गलाणं दव्वट्टया पएसट्टयाए दवट्ठपएसट्टयाए एएसि णं जहा परमाणुपोग्गलाणं अप्पाबहुग तहा एएसिपि अप्पाबहुगं, एवं सेसाणवि वन्नगंधरसाणं 4 / एएसि णं भंते / एगगुणकक्खडाणं संखेजगुणकवखडाणं असंखेजगुणकक्डाणं अणंतगुण Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सत्रं : शतकं 25 :. उद्देशकः 4 ] [ 733 कक्खडाण य पोग्गलाणं दबट्टयाए पएसट्टयाए दबट्टपएसट्टयाए कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सम्वत्थोवा एगगुणकक्खडा पोग्गला दबट्ठयाए संखेजगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्ठयाए संखेजगुणा असंखेजगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्ठयाए असंखेजगुणा अणंतगुणकक्खडा दव्वट्ठयाए यणंतगुणा, पएसट्टयाए एवं चेव नवरं संखेजगुणकक्खडा पोग्गला पएसट्याए असंखेजगुणकक्खडा सेसं तं चेव, दवट्ठपएसट्टयाए सव्वत्थोवा एगगुणकक्खडा पोग्गला दब्वट्ठपएसट्टयाए संखेजगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्याए संखेजगुणकक्खडा ते चेव पएसट्टयाए संखेजगुणा असंखेजगुणकक्खडा दबट्टयाए असंखेजगुणा ते चेव पएसट्टयाए असंखेजगुणा अणंतगुणकक्खडा दवट्टयाए अणंतगुणा ते चेव पएसायाए अणंतगुणा एवं मउयगरुयलहुयाणवि अप्पाबहुयं, सीयउसिणनिद्धलुक्खाणं जहा वनाणं नहब 5 // सूत्रं 741 // परमाणुपोग्गले णं भंते ! दव्वट्ठयाए कि कडजुम्मे तेयोए दावरजुम्मे कलियोगे?, गोयमा ! नो कडजुम्मे नो तेयोए नो दावरजुम्मे कलियोगे एवं जाव अणंतपएसिए खंधे 1 / परमाणुपोग्गला गणं भंते ! दवट्ठयाए किं कडजुम्मा पुच्छा, गोयमा ! श्रोधादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा, विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा नो तेयोगा नो दावरजुम्मा कलियोगा एवं जार अणंतपएसिया खंधा 2 / परमाणुपोग्गले णं भंते ! पएसट्टयाए कि कडजुम्मे पुच्छा, गोयमा ! नो कडजुम्मा नो तेयोगा नो दावरजुम्मा 3 / कलियोगे दुपएसिए पुच्छा, गोयमा ! नो कडजुम्मे नो तेयोये दावरजुम्मे नो कलियोगे 4 / तिषएसिए पुच्छा, गोयमा ! नो कडजुम्मे तेयोए नो दावरजम्मे नो कलियोए 5 / चउप्पएमिए पुच्छा, गोयमा ! कडजुम्मे नो तेश्रोए नो दावरजुम्मे नो कलियोगे, पंचपएसिए जहा परमाणुपोग्गले, छप्पएसिए जहा दुप्पएसिए, सत्तपएसिऐ जहा तिपएसिए, अट्ठपएसिए जहा चउप्पएसिए, नवपएसिए जहा परमाणु Page #307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 734 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभाग पोग्गले, दसपएसिए जहा दुप्पएसिए 6 / संखेजपएसिए | भंते ! पोग्गने पुच्छा, गोयमा ! सिय कडजुम्मे जाव सिय कलियोए एवं असंखेजपएसिएवि अणंतपएसिएवि 7 / परमाणुपोग्गला णं भंते ! परसट्टयाए कि कडजुम्मा पुच्छा, गोयमा ! श्रोघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा, विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा नो तेयोया नो दावरजुम्मा कलियोगा 8 | दुप्पएसियाणं पुच्छा, गोयमा! अोघादेसेणं सिय कड जुम्मा नो तेयोया सिय दावरजुम्मा नो कलियोगा, विहाणादेसेणं ना कडजुम्मा नो तेयोया दावरजुम्मा नो कलियोगा 1 / तिपएसिया गां पुच्छा, गोयमा ! श्रोधादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा विहाणादसेणं नो कडजुम्मा तेयोगा नो दावरजुम्मा नो कलियोगा 10 ! चउप्पएसियाणं पुच्छा, गोयमा ! श्रोधादेसेणवि विहाणादेसेणवि कडजुम्मा नो तेयोगा नो दावरजुम्मा नो कलियोगा, पंचपएसिया जहा परमाग] पोग्गला, छप्पएसिया जहा दुप्पएसिया, सत्तपएसिया जहा तिपएसिया. अट्ठपएसिया, जहा उपएसिया, नवपएसिया, जहा परमाणुपोग्गला, दम पएसिया जहा दुपएसिया 11 / संखेजपएसिया णं -पुच्छा, गोयमा / थोघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा विहाणादेसेणं कट जुम्मावि जाव कलियोगावि एवं असंखेजपएसियावि अणंतपएसियावि 12 / परमाणुपोग्गले णं भंते ! किं कडजुम्मपएसोगाढे ? पुच्छा, गोयमा कडजुम्मपएसोगाढे नो तेयोगपएसोगाढे नो दावरजुम्मपएसोगाटे कलियोग पएसोगाढे 13 / दुपएसिएणं पुच्छा, गोयमा ! नो कडजुम्मपएसोगाटे गो तेयोगपएसोगाढे सिय दावरजुम्मपएसोगाढे सिय कलियोगपएसोगाढे 14 / तिपएसिए णं पुच्छा, गोयमा : णो कडजुम्मपएसोगाढे सिय तेयोगपएसोगाट सिय दावरजुम्मपएसोगाढे सिय कलियोगपएसोगाढे 3, 15 / चउप्पएमि णं पुच्छा, गोयमा ! सिय कडजुम्मपएसोगाढे जाव सिय कलियोगपएसोगा Page #308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 25 :: उद्देशकः 4 ] / 735 4, एवं जाव अणंतपएसिए 16 / परमाणुपोग्गला णं भंते ! किं कडजुम्मा पुच्छा, गोयमा ! योघादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा णो तेयोगपएसोगाढा नो दावरजुम्मा नो कलियोगपएसोगाढा, विहाणादेसेणं नो कडजुम्मपएसोगाढा णो तेयोगपएसोगाढा नो दावरजुम्मपएसोगाढा कलिश्रोगपएसोगाढा 17 / दुप्पएसिया णं पुच्छा, गोयमा ! श्रोधादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा नो तेयोगपएसोगाढा नो दावरजुम्मपएसोगाढा नो कलियोगपएसोगाढा, विहाणादेसेणं नो कडजुम्मपएसोगाढा नो तेयोगपएसोगाढा दावरजुम्मपएसोगाढावि कलियोगपएसोगाढावि 18 / तिप्पएसियाणं पुच्छा, गोयमा ! श्रोधादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा नो तेयोगपएसोगाढा नो दावरजुम्मपएसोगाढा नो कलियोगपएसोगाढा विहाणादेसेणं नो कडजुम्मपएसोगाढा तेश्रोगपएसोगाढावि दावरजुम्मपएसोगाढावि कलिश्रोगपएसोगाढावि 3, 11 / चउप्पएसियाणं पुच्छा, गोयमा ! श्रोघादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा नो तेयोगपएसोगाढा नो दावरजुम्मपएसोगाढा नो कलि योगपएसोगाढा विहाणादेसेणं कडजुम्म-पएसो गाढावि जाव कलियोगपएसोगाढावि 4 एवं जाव अणंतपएसिया 20 / परमाणुपोग्गले णं भंते ! किं कडजुम्मसमयट्टितीए ? पुच्छा, गोयमा ! सिय कडजुम्मसमयट्टितीए जाव सिय कलियोगसमयट्टितीए, एवं जाव अणंतपएसिए 21 / परमाणुपोग्गला णं भंते ! किं कडजुम्म पुच्छा, गोयमा ! योघादेसेणं सिय कडजुम्मसमयद्वितीया जाव सिय कलियोगसमयट्टितीया 4, विहाणादेसेणं कडजुम्मसमयद्वितीयावि जाव कलियोगसमयट्ठितीयावि 4, एवं जाव अर्णतपएसिया 22 / परमाणुपोग्गले णं भंते ! कालवन्नपजवेहिं किं कडजुम्मे तेश्रोगे जहा ठितीए वत्तव्वया एवं वन्नेसुवि सव्वेसु गंधेसुवि एवं चेव रसेसुवि जाव महुरो रसोत्ति 23 / अणंतपएसिए णं भंते ! खंधे कक्खडफासपज्जवेहिं किं कडजुम्मे पुच्छा, गोयमा ! सिय कडजुम्मे जाव मिय कलिगोगे 24 / अणंतपएसिया णं भंते ! खंधा Page #309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 736 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: तृतीयो विभागः कक्खडफासपज्जवेहिं किं कडजुम्मा पुच्छा, गोयमा ! श्रोघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा 4, विहाणादेसेणं कडजुम्मावि जाव कलियोगावि 4, एवं मउयगरुयलहुयावि भाणियव्वा, सीयउसिणनिद्धलुक्खा जहा वन्ना 25 // सूत्रं 742 // परमाणुपोग्गले णं भंते ! कि सड्ढे अणड्ढे ?, गोयमा ! नो सङ्के अणड्ढे 1 / दुपएसिए णं पुच्छा, गोयमा ! सड्ढे नो अणड्ढे 2 / तिपएसिए जहा परमाणुपोग्गले, चउपएसिए जहा दुपएसिए, पंचपएसिए जहा तिपएसिए छप्पएसिए जहा दुपएसिए सत्तपएसिए जहा तिपएसिए अट्ठपएसिए जहा दुपएसिए नवपएसिए जहा तिपएसिए दसपएसिए जहा दुपएसिए 3 / संखेजपएसिए णं भंते ! खंधे पुच्छा, गोयमा ! सिय सड्ढे सिय अणड्डे, एवं असंखेजपएसिएवि, एवं अणंतपएसिएवि 4 / परमाणुपोग्गला णं भंते ! किं सड्ढा अणड्डा ?, गोयमा ! सड्ढा वा अणड्डा वा, एवं जाव अणंतपएसिया 5 ॥सूत्रं 743 // परमाणुपोग्गले णं भंते ! कि सेए निरेए ?, गोयमा! सिय सेए सिय निरेए, एवं जाव अणंतपएसिए 1 / परमाणुपोग्गला णं भंते ! कि सेया निरेया ?, गोंयमा ! सेयावि निरेयावि, एवं जाव अणंतपएसिया 2 / परमाणुपुग्गले णं भंते ! सेए कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं प्रावलियाए असंखेजइभागं 3 / परमाणुपोग्गले णं भंते ! निरेए कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं एक्कं समयं उकोसेणं असंखेज्ज कालं, एवं जाव अणंतपएसिए 4 / पमाणुपोग्गला णं भंते ! सेया कालत्रो केवचिरं होंति ?, गोयमा ! सव्वद्धं 5 / परमाणुपोग्गला णं भंते ! निरेया कालश्रो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! सव्वद्धं, एवं जाव अणंतपएसिया 6 / परमाणुपोग्गलस्स णं भंते ! सेयस्स कवतियं कालं अंतरं होइ ?, गोयमा ! सट्ठाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एक्कं समयं उकोसेणं असंखेज्ज कालं परटाणंतरं पडुच जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं Page #310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 25 :: उद्देशकः 4 / / 737 यसंखेन्जं कालं 7 / निरेयस्स केवतियं कालं अंतर होइ ?, गोयमा ! सट्ठाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं श्रावलियाए असंखेजइभागं, परट्ठाणंतरं पडुच जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं 8 / दुपएसियरस णं भंते ! खंधस्स सेयस्स पुच्छा, गोयमा ! सट्ठाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं, परट्ठाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एकं समयं उकोसेणं अणंतं कालं / निरेयस्स केवतियं कालं अंतरं होइ ?, गोयमा ! सटाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एवकं समयं उक्कोसेणं श्रावलियाए असंखेजइभागं, परहाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एवक समयं उकोसेणं श्रणंतं कालं, एवं जाव अणंतपएसियस्स 10 / परमाणुपोग्गला णं भंते ! सेयाणं केवतियं कालं अंतरं होइ ?, गोयमा ! नत्थि अंतरं, एवं जाव अणंतपएसियाणं खंधाणं 11 / एएसिणं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं सेवाणं निरेयाण य कयरे२हिंतो जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा परमाणुपोग्गला सेया निरेया असंखेजगुणा, एवं जाव असंखिजपएसियाणं खंधाणं 12 / एएसि णं भंते ! अणंतपएसियाणं खंधाणं सेयाणं निरेयाण य कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वस्थोवा अणंतपएसिया खंधा निरेया सेया अणंतगुणा 13 / एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं संखेजपएसियाणं असंखेजपएसियाणं गणंतपएसियाण य खंधाणं सेयाणं निरेयाण य दवट्टयाए पएसट्टयाए दवट्टपएसट्ठयाए कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा !. सव्वत्थोवा अणंतपएसिया खंधा निरेया दवट्ठयाए 1 अणंतपएसिया खंधा सेया दवट्ठयाए. अणंतगुणा 2 परमाणुपोग्गला सेया दव्वट्टयाए अणंतगुणा 3 संखेजपए. सिया खंधा सेया दवट्ठयाए असंखेज्जगुणा 4 असंखेजपएसिया खंधा सेया दव्वट्ठयाए असंखेजगुणा 5 परमाणुपोग्गला निरेया दवट्टयाए असंखेजगुणा 6 संखेजपएसिया खंधा निरेया दव्वट्टयाए संखेजगुणा 7 असंखेज Page #311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 738 ) श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभाग पएसिया खंधा निरेया दवट्ठयाए असंखेजगुणा 8 पएसट्टयाए एवं चेव, नवरं परमाणुपोग्गला अपएसट्टयाए भाणियव्वा, संखेजपएसिया खंधा निरेया पएसट्टयाए असंखेजगुणा सेसं तं चेव, दवट्ठपएसट्टयाए सव्वत्थोवा अणंतपएसिया खंधा निरेया दवट्टयाए 1 ते चेव पएसट्टयाए अणंतगुणा 2 श्रणंतपएसिया खंधा सेया दवट्ठयाए अणंतगुणा 3 ते चेव पएसट्टयाए श्रणंतगुणा 4 परमाणुपोग्गला सेया दवट्ठयाए अपएसट्टयाए अणंतगुणा 5 संखेजपएमिया खंधा सेया दव्वट्टयाए असंखेनगुणा 6 ते चेव पएसट्ठयाए असंखेजगुणा 7 असंखेजपएसिया खंधा सेया दव्वठ्ठयाए असंखेजगुणा 8 ते चेव पएसट्टयाए असंखेजगुणा 1 परमाणुपोग्गला निरेया दव्वट्ठअपएसट्टयाए असंखिजगुणा 10 संखिजपएसिया खंधा निरेया दव्वट्ठयाए असंखेजगुणा 11 ते चेव पएसट्ठयाए संखिजगुणा 12 असंखिज. पएसिया खंधा निरेया दव्वट्टयाए असंखेजगुणा 13 ते चेव पएसट्टयाए असंखिजगुणा 14, 14 / परमाणुपोग्गले णं भंते ! किं देसेए सव्वेए निरेए ?, गोयमा ! नो देसेए सिय सव्वेए सिय निरेए 15 / दुपएसिए णं भंते ! खंधे पुच्छा, गोयमा ! सिय देसेए सिय निरेए एवं जाव अणंतपएसिए 16 / परमाणुपोग्गला णं भंते ! किं देसेया सव्वेया निरेया ?, गोयमा ! नो देसेया सव्वेयावि निरेयावि 17 / दुपएसिया णं भंते ! खंधा पुच्छा, गोयमा ! देसेयावि सव्वेयावि निरेयावि, एवं जाव अणंतपए. सिया 18 / परमाणुपोग्गले णं भंते ! सब्वेए कालश्रो केवचिरं होइ 1, गोयमा ! जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं श्रावलियाए असंखेजइ. भागं 16 / निरेये कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं एक्क समयं उक्कोसेणं असंखिज्ज कालं 20 / दुपएसिए णं भंते ! खंधे देसेए कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं एक्कं समयं उकोसेणं श्रावलियाए असंखेइभागं 21 / सव्वेए कालो केवचिरं होइ ?, Page #312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवति)सूत्र :: शतकं 25 :: उद्देशकः 4 ] [ 736 गोयमा ! जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं श्रावलियाए असंखेजइभागं 22 / निरए कालश्रो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं यसंखिज्जं कालं, एवं जाव अणंतपएसिए 23 / परमाणुपोग्गला णं भंते ! सव्वेया कालयो केवचिरं होंति ?, गोयमा ! सव्वद्धं 24 / निरेया कालयो केवचिरं होति ?, सव्वद्धं 25 / दुप्पएसिया णं भंते ! खंधा देसेया कालयो केवचिरं होंति ?, सम्बद्धं 26 / सव्वेया कालो केवचिरं होति ?, संव्वद्धं 27 / निरेया कालो केवचिरं होति ?, सव्वद्धं एवं जाव अणंतपएसिया 28 / परमाणुपोग्गलस्स णं भंते ! सब्वेयस्य केवतियं कालं अंतर होइ ?, गोयमा ! सट्ठाणंतरं पड्डन्च जहन्नेणं एक्कं समयं उकोसेणं. असंखिज्ज कालं, परटाणांतरं पडुच्च जहन्नेणं एक्कं समयं उकोसेणं असंखिज्ज कालं 21 / निरेयस्स केवतियं अंतरं होइ ?, सट्टा. तरं पडुच्च जहरणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं श्रावलियाए असंखेजइभागं, परट्ठाणंतरं पडुच जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं असंखिज्ज कालं.३०। दुपएसियस्म णं भंते ! खंधस्स देसेयस्स केवतियं कालं अंतरं होइ ?, सट्ठाणंतरं पडुच्च जहरामेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं असंखिज्ज कालं, परट्ठाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एक्कं समयं उकोसेणं अणंतं कालं 31 / सव्वेयस्स केवतियं कालं ? एवं चेव जहा देसेयस्स, निरेयस्स केवतियं ?, सट्ठाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एक्कं समयं उकोसेणं श्रावलियाए असंखेजइभागं, परट्ठाणंतरं पडुच्च जहन्नेणं एक समयं उक्कोसेणं अणतं कालं, एवं जाव अणंतपएसियस्स 32 / परमाणुपोग्गलाणं भंते ! सव्वेयाणं केवतियं कालं अंतरं होइ ?, नत्थि अंतरं 33 / निरेयाणं केवतियं कालं अंतरं होइ ?, नत्थि अंतरं 34 / दुपएसिया भंते ! खंधाणं देसेयागां केवतियं कालं ?, नत्थि अंतर 35 / सव्वेयाणं केवतियं कालं ?, नत्थि अंतरं 36 / निरेयागां केवतियं कालं ?, नत्थि अंतरं, एवं जाव अगांतपएसियाणं 37 / एएसि Page #313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 74. ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु : तृतीयो विमागः णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं सव्वेयाणं निरेयाण य कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सम्बत्योवा परमाणुपोग्गला सव्वेया निरेया असंखेजगुणा 38 | एएसि णं भंते ! दुपएसियाणां खंधाणां देसेयाणां सव्वेयागां निरेयाण य कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा! सव्वत्थोवा दुपएसिया खंधा सव्वेया देसेया असंखेजगुणा निरेया असंखिजगुणा एवं जाव असंखेजपएसियाणं खंधाणां 31 / एएसि णं भंते ! अणंतपएसियाणं खंधाणं देसेयाणं सव्वेयाणं निरेयाण य कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा अणंतपएसिया खंधा सव्वेया निरेया अणंतगुणा देसेया अणंतगुणा 40 / एएसि णं भते ! परमाणुपोग्गलाणं संखेजपएसियाणं असंखेजपएसियाणं अणंतपएसियाण य खंधाणं देसेयाणं सव्वेयाणं निरेयाणं दबट्टयाए पएसट्टयाए दवट्ठपएसट्टयाए कयरे 2 जाव विसेमाहिया वा?,गोयमा ! सव्वत्योवा अणंतपएसिया खंधा सव्वेया दव्वट्ठयाए 1 अणांतपएसिया खंधा निरेया दबट्टयाए अणंतगुणा 2 अणंतपएसिया खंधा देसेया दवट्ठयाए अणंतगुणा 3 असंखेजपएसिया खंधा सव्वेया दव्वट्ठयाए असंखेजगुणा 4 संखेजपएसिया खंधा सव्वेया दवट्ठयाए असंखेजगुणा 5 परमाणुपोग्गला सव्वेया दवट्टयाए असंखेजगुणा 6 संखेजपएसिया खंधा देसेया दवट्ठयाए असंखेजगुणा 7 असंखेजपएसिया खंधा देसेया दव्वट्ठयाए असंखेजगुणा 8 परमाणुपोग्गला निरेया दबट्टयाए असंखेजगुणा 1 संखेजपएसिया खंधा निरेया दबट्ठयाए संखेजगुणा 10 असंखेजपएसिया खंधा निरेया दबट्टयाए असंखिजगुणा 11, एवं पएसट्टयाएवि नवरं परमाणुपोग्गला अपएसट्टयाए भाणियव्वा संखिजपएसिया खंधा निरेया पएसट्टयाए असंखिजगुणा सेसं तं .चेव, दवट्ठपएसट्टयाए सम्बत्थोवा श्रणंतपएसिया खंधा सम्वेया दवट्ठयाए 1 ते. चेव पएसट्टयाए अणंतगुणा 2 अणंतपएसिया खंधा निरेया दवट्ठयाए अणंतगुणा 3 ते चेव पएसट्टयाए Page #314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 25 :: उद्देशकः 4 ] [741 यणंतगुणा 4 अणंतपएसिया खंधा देसेया दबट्टयाए अणंतगुणा 5 ते चव पएसट्टयाए अणंतगुणा 6 असंखिजपएसिया खंधा सव्वेया दवट्टयाए यणंतगुणा 7 ते चेव पएसट्टयाए असंखेजगुणा = संखिजपएसिया खंधा मव्वेया दबट्टयाए असंखेजगुणा 1 ते चेव पएसट्टयाए असंखेजगुणा मंखेजगुणा) 10 परमाणुपोग्गला सव्वेया दबट्टअपएसट्टयाए असंखेजगुणा 11 संखेजपएसिया खंश देसेया दवट्टयाए असंखेजगुणा 12 ते चव पएसट्टयाए असंखेजगुणा 13 असंखेजपएसिया खंधा देसेया दव्वट्याए असंखेजगुगा 14 ते चेव पएसट्टयाए असंखेजगुणा 15 परमाणुपोग्गला निरेया दव्वट्ठअपदेसट्टयाए असंखेजगुणा 16 संखेजपएसिया बंधा निरेया दव्वट्ठयाए संखेजगुणा 17 ते चेव पएसट्टयाए संखेजगुणा 18 असंखेजपएसिया निरेया दवट्टयाए असंखेजगुणा 11 ते चेव परसट्ठयाए असंखेजगुणा 20, 41 // सूत्रं 744 // कति णं भंते ! धम्मथिकायस्म मज्झपएसा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अट्ट धम्मत्थिकायस्स मज्झपएसा पन्नत्ता 1 / कति णं भंते ! अधम्मत्थिकायस्स मज्झपएसा पराणत्ता ?, एवं चेर 2 / कति णं भंते ! भागासस्थिकायस्स मज्झपएसा पराणत्ता ?, एवं चेव 3 / कति णं भंते ! जीवत्थिकायस्स मज्झपएसा पराणता ?, गायमा ! अट्ठ जीवत्थिकायस्स मज्मपएसा पराणत्ता 4 / एए णं भंते ! य? जीवस्थिकायस्स मज्भपएसा कतिसु श्रागासपएसेसु श्रोगाहंति ?, गायमा ! जहन्नेणं एक्कसि वा दोहिं वा तीहिं वा चउहि वा पंचहि वा बहिं वा उक्कोसेणं अट्ठसु नो चेव : णं सत्तसु 5 / सेवं भंते 2 त्ति जाव विहरइ 6 // सूत्रं 745 // // इति पञ्चविंशतितमशतके चतुर्थ उद्देशकः // 25-4 // . Page #315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 742 / ___ ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः // अथ पंचविंशतितमशतके पंचमपर्यायोद्देशकः // ___ कतिविहा णं भंते ! पजवा पत्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पजवा पराणत्ता, तंजहा-जीवपजवा य अजीवपजवा य, पजवपदं निरवसेग्में भाणियव्वं जहा पन्नवणाए // सूत्रं 746 // श्रावलियाणं भंते ! कि संखेजा समया असंखेज्जा समया अणंता समया ?, गोयमा ! नो संखेजा समया असंखेजा समया नो अणंता समया 1 / थाणापाणणं भंते ! कि संखेजा ? एवं चेव 2 / थोवे णं भंते ! कि संखेज्जा ?, एवं चेव 3 / एवं लवेधि मुहुत्तेवि एवं अहोरत्तेवि, एवं पक्खे मासे उडू अयणे संवच्छरे जुगे वाससय वासमहस्से वाससयसंहस्से पुव्वंगे पुव्वे तुडियंगे तुडिए अडडंगे अड? अववंगे अववे हुहुयंगे हुहुए उप्पलंगे उप्पले पउमंगे पउमे नलिणंगे नलिगा अच्छिणिउपरंगे अच्छणिउतरे (अत्थनिपूरंगे अत्थनिपूरे, अथिनि भरंग अत्थनिन्भरे) अउयंगे श्रउये नउयंगे. नउए पउयंगे पउए चूलियंग चूलिए सीसपहेलियंगे सीसपहेलिया पलिग्रोवमे सागरोवमे श्रोसप्पिा एवं उस्सप्पिणीवि 4 / पोग्गलपरियट्टे णं भंते ! किं संखेजा समया असंखेजा समया अणंता समया ? पुच्छा, गोयमा ! नो संखेजा समया नो असंखेजा समया अणंता समया, एवं तीयद्धायणागयद्धसव्वद्धा 5 / / श्रावलियायो णं भंते ! कि संखेजा समया. ? पुच्छा, गोयमा ! नो संखेजा समया सिय असंखिजा समया सिय अणंता समया 6 / श्राणा पाणूणं भंते ! किं संखेजा समया 3 ?, एवं चेव 7 / थोवाणं भंते ! कि संखेजा समया 3, एवं जाव भोसप्पिणीयोत्ति 8 | पोग्गलपरियट्टाणं भंते / कि संखेजा समयो ? पुच्छा, गोयमा ! णो संखेजा समया णो असंखेजा समया अणंता समया 1 / प्राणापाणूणं भंते ! किं संखेजात्रो भावनि यायो पुच्छा, गोयमा ! संखेजात्रो श्रावलियानो णो असंखिजाया श्रावलियायो नो अणंतायो श्रावलियायो, एवं थोवेवि एवं जाव सीम. Page #316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्वगवति) सूत्र :: शतकं 25 :: उद्देशकः 5 ] / 743 पहलियत्ति 10 / पलिग्रोवमे णं भंते ! किं संखेजा 3 ? पुच्छा, गोयमा ! गो संखेजायो प्रावलियायो असंखिजायो प्रावलियायो नो अणंतायो यावलियायो, एवं सागरीवमेवि एवं योसप्पिणीवि उस्सप्पिणीवि 11 / पोग्गलपरियट्टे पुच्छा, गोयमा ! नो संखेजात्रो श्रावलियानो रणो असंखेजात्रो श्रावलियायो अणंताओ श्रावलियारो, एवं जाव सव्वद्धा 12 / प्राणापाणूणं भंते ! किं संखेजायो श्रावलियायो ? पुच्छा, गायमा ! सिय संखेजायो श्रावलियायो सिय असंखेजायो सिय अणंतायो, एवं जाव सीसपहेलियाो 13 / पलिग्रोवमाणं पुच्छा, गोयमा ! णो संखेजायो श्रावलियारो सिय असंखेजायो श्रावलियायो सिय : यणतायो प्रावलियात्रो, एवं जाव उस्सप्पिणीयो 14 / पोग्गलपरियट्टाणं पुच्छा, गोयमा ! णो संखेजाश्रो श्रावलियानो णो असंखेजात्रो श्रावलियात्रो अणंतायो श्रावलियायो 15 / थोवे णं भंते! किं संखेजात्रो याणापाणूश्रो असंखेजात्रो जहा श्रावलियाए वत्तव्वया एवं प्राणापाणूवि निरवसेसा, एवं एतेणं गमएणं जाव सीसपहेलिया भाणियव्वा 16 / मागरोवमे णं भंते ! किं संखेजा पलियोवमा ? पुच्छा, गोयमा ! संखेना पलियोवमा णो असंखेना पलियोवमा यो अणंता पलिश्रोवमा, एवं योसप्पिणीएवि उस्सप्पिणीएवि 17 / पोग्गलपरियट्टे णं पुच्छा, गोयमा ! णो संखेजा पलिग्रोवमा णो असंखेजा पलिग्रोवमा श्रणंता पलिश्रोवमा एवं जाव सव्वद्धा 18 / सागरोवमाणं भंते ! किं संखेजा पलिग्रोवमा ? पुच्छा, गोयमा ! सिय संखेजा पलिश्रोवमा सिय असंखिजा पलिश्रोवमा : मिय अणंता पलिश्रोवमा, एवं जाव प्रोसप्पिणीवि उस्सप्पिणीवि 11 / पाग्गलपरियट्टाणं पुच्छा, गोयमा ! णो संखेज्जा पलिश्रोवमा णो : यसंखेज्जा पलिग्रोवमा अणंता पलिग्रोवमा 20 / श्रोसप्पिणी णं भंते ! किं संखेजा सागरोवमा जहा पलियोवमस्स वत्तव्वया तहा Page #317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 744 / ... [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : तृतीयो विभागः सागरोजमस्सवि 21 / पोग्गलपरिय? णं भंते / किं संखेजात्रो श्रोसप्पिणीयो पुच्छा, गोयमा ! णो संखेजात्रो प्रोसप्पिणीयो णो असंखिज्जा अणूताश्रो श्रोसप्पिणिउस्सप्पिणीयो, एवं जाव सब्बद्धा 22 / पोग्गलपरि. यट्टा णं भंते ! किं संखेजायो श्रोसप्पिणिउस्सप्पिणीयो पुच्छा, गोयमा ! णो संखेजात्रो त्रीसप्पिणिउस्सप्पिणीयो णो असंखेजात्रो अणंतायो अोसप्पिणिउस्सप्पिणीयो 23 / तीतद्धा णं भंते ! किं संखेजा पोग्गलपरियट्टा ? पुच्छा, गोयमा ! नो संखेजा पोग्गलपरियट्टा नो असंखेज्जा अणंता - पोग्गलपरियट्टा, एवं अंणागयद्धावि, एवं सव्वद्धावि 24 // सूत्रं 747 / / अणागंयद्धा णं भंते ! कि संखेजात्रो तीतद्धानो असंखेजात्रो अणंतात्रो ?. गोयमा ! णो संखेजायो तीतद्धाश्रो.णो असंखेजात्रो तीतद्धात्रो गो अणंतानो तीतद्धाश्रो, अणागयद्धा णं तीतद्धामो समयाहिया, तीतद्धा णं अणागयद्धाश्रो समयूणा 1 / सव्वद्धा णं भंते ! कि संखेज्जायो तीतद्धायो ? पुच्छा, गोयमा ! णो संखेन्जायो तीतद्धाश्रो णो असंखेजात्रो गो अणंतायो तीयद्धाश्रो, सव्वद्धा णं तीयद्धाश्रो सातिरेगदुगुणा तीतद्धाणं सब्बद्धाश्रो थोवूणए श्रद्धे 2 / सव्वद्धा णं भंते ! किं संखेज्जायो श्रणागयद्धाश्रो पुच्छा, गोयमा ! णो संखेजायो अणागयद्धाश्रो णो असंखेजात्रो श्रणागयद्धाश्रो गो अणंतायो अणागयद्धाश्रो सव्वद्धा णं अणागयद्धाश्रो थोवूणगदुगुणा प्रणागयद्धा णं सव्वद्धाश्रो सातिरेगे श्रद्धे ३॥सूत्र 748 // कतिविहा णं भंते ! णिश्रोदा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा णिौदा पगणता, तंजहा-णियोगा यणियोयजीवा य 1 / णिश्रोदा णं भंते ! कतिविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सुहुमनिगोदा य बायरनियोगा य 2 / एवं निश्रोगा भाणियव्वा जहा जीवाभिगमे तहेव निरवसेसं 3 // सूत्रं 741 // कतिविहे णं भंते ! गामे पत्नत्ते ?, गोयमा ! छविहे णामे पन्नत्ते ?, तंजहा-श्रोदइए जाव सन्निवाइए 1 / से कि तं Page #318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 25 : उद्देशका 6 ] [ 745 उदइए णामे ?, उदइए णामे दुविहे पराणत्ते, तंजहा-उदए य उदयनिष्फन्ने य 2 / एवं जहा सत्तरसमसए पढमे उद्देसए भावो तहेव इहवि, नवरं इम(नाम) णाणत्तं सेसं तहेव जाव सन्निवाइए 3 / सेवं भंते ! 2 तिजाव विहरइ 4 / सूत्रं 750 // 25-5 // // अथ पञ्चविंशतितमशतके षष्ठनिर्ग्रन्थोहकः // - पनवण 1 वेद 2 रागे 3 कप्प 4 चरित्त 5 पडिसेवणा 6 गाणे 7 / तित्थे - लिंग-१ सरीरे 10 खेत्ते 11 काल 12 गइ 13 संजम 14 निगासे 15 // 1 // जोगु 16 वयोग 17 कसाए 18 लेसा 11 परिणाम 20 बंध 21 वेदे य 22 / कम्मोदीरण 23 उपसंपजहन्न 24 सन्ना य 25 श्राहारे 26 // 2 // भव 27 प्रागरिसे 28 कालं 21 तरे य 30 समुग्घाय. 31 खेत्त 32 फुसणा य 33 / भावे 34 परिमाणे 35 वि य अप्पाबहुयं 36 नियंठाणं // 3 // रायगिहे जाव एवं वयासी-कति णं भंते ! णियंठा पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंच णियंठा पनत्ता, तंजहा-पुलाए बउसे कुसीले णियठे सिणाए 1 / पुलाए णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविहे पगणत्ते, तंजहानाणपुलाए दंसणपुलाए चरित्तपुलाए लिंगपुलाए अहासुहुमपुलाए णाम पंचमे 2 / बउसे णं भंते ! कतिविहे पराणते ?, गोयमा ! पंचविहे पराणत्ते, तंजहा-श्राभोगवउसे अणाभोगबउसे संवुडबउसे असंवुडबउसे अहासुडमबउसे णामं पंचमे 3 / कुसीले णं भंते ! कतिविहे पराणते ?, गोयमा ! दुविहे पराणत्ते, तंजहा-पडिसेवणाकुसीले य कसायकुसीले य 4 / पडि. सेवणाकुसीले णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते?, गोयमा ! पंचविहे पराणत्ते, तंजहानाणपडिसेवणाकुसीले दंसणपडिसेवणाकुसीले चरित्तपडिसेवणाकुसीले लिंगपडिसेवणाकुसीले अहासुहमपडिसेवणाकुसीले णामं पंचमे 5 / Page #319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 746 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभागः कसायकुसीले णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविहे पराणत्ते, तंजहा-नाणकसायकुसीले दंसणाकसायकुसीले चरित्तकसायकुसीले लिंगकसायकुसीले अहासुहुमकसायकुसीले णामं पंचमे 6 / नियंठे णं भंते ! कतिविहे पराणते ?, गोयमा ! पंचविहे पराणत्ते, तंजहा-- पढमसमयनियंठे अपढमसमयनियंठे चरिमसमयनियठे अचरिमसमयनियंठे ग्रहासुहुमनियंठे णामं पंचमे 6 / सिणाए ण भंते ! कतिविहे पराणते ?, गोयमा ! पंचविहे पराणत्ते, तंजहा-अच्छवी 1 असबले 2 अकम्मसे 3 संसुद्धनाणदसणधरे अरहा . जिणे केवली 4 अपरिस्सावी 5,7, 1 / पुलाए णं भंते ! किं सवेयए होजा अवेदए होजा ?, गोयमा ! सवेयए होजा णो अवेयए होजा 8 / जइ सवेयए होजा कि इत्थिवेदए होजा पुरिसवेयए पुरिसनपुंसगवेदए होजा ?, गोयमा ! नो इत्थिवेदए होजा पुरिसवेयए होजा पुरिसनपुसगवेयए वा होजा है / बउसे णं भंते ! किं सवेदए होजा अवेदए होजा?, गोयमा ! सवेदए होजा णो अवेदए होजा 10 / जइ सवेदए होजा कि इथिवेयए होजा पुरिसवेयए होजा पुरिसनपुंसगवेदए होजा ?, गोयमा ! इस्थिवेयए वा होजा पुरिसवेयए वा होजा पुरिसनपुंसगवेयए वा होजा, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि 11 / कसायकुसीले णं भंते ! कि सवेदए ? पुच्छा, गोयमा ! सवेदए वा होजा अवेदए वा होजा 12 / जइ अवेदए कि उवसंतवेदए खीणवेदए होजा ?, गोयमा ! उवसंतवेदए वा खीणवेदए वा होजा 13 / जइ सवेयए होजा किं इत्थिवेदए पुच्छा, गोयमा! तिसुवि जहा बउसो 14 / णियंठे णं भंते ! कि सवेदए पुच्छा, गोयमा ! णो सवेयए होजा अवेयए होजा 15 / जइ अवेयए होजा कि उवसंत पुच्छा, गोयमा ! उवसंतवेयए वा होइ खीणवेयए वा होजा 16 / सिणाए णं भंते ! किं सवेयए होजा ?, जहा नियंठे तहा सिणाएवि, नवरं णो उवसंतवेयए होजा खीणवेयएहोजा १७,२॥सूत्रं७५१॥ Page #320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमभद्गवति) सूत्र :: शतकं . 5 : उद्देशकः 6 / [747 पुलाए भंते ! किं सरागे होजा वीयरागे होजा?, गोयमा! सरागे होजा णो चीयरागे होजा, एवं जाव कसायकुसीले 1 / णियठे णं भंते ! कि सरागे होजा ? पुच्छा, गोयमा ! णो सरागे होजा वीयरागे होजा 2 / जइ वीयरागे होजा किं उवसंत-कसायवीयरागे होजा खीण-कसायवीयरागे वा होजा ?, गोयमा ! उवसंत-कसायवीयरागे वा होजा खीणकसायवीयरागे वा होजा 3 / सिणाए एवं चेव, नवरं णो उवसंत-कमायवीयरागे होजा खीणकसायवीयरागे होजा 4, 3 // सूत्रं 752 // पुलाए णं भंते ! किं ठियकप्पे होजा अट्ठियकप्पे होजा ? गोयमा ! ठियकप्पे वा होजा अट्ठियकप्पे वा हाजा, एवं जाव सिणाए 1 / पुलाए | भंते ! किं जिणकप्पे होजा थरकप्पे होजा कप्पातीते होज्जा ?, गोयमा ! नो जिणकप्पे होजा थेरकप्पे होजा णो कप्पातीते होजा 2 | बउसे णं पुच्छा, गोयमा / जिणकप्पे वा होज्जा थेरकप्पे वा होज्जा नो कप्पातीते होज्जा, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि 3 / कसायकुसीले णं पुच्छा, गोयमा ! जिणाकप्पे वा होजा थेरकप्पे होजा कप्पातीते वा होजा 4 / नियंठे णं पुच्छा, गोयमा ! नो जिणकप्पे होजा नो थेरकप्पे होजा कप्पातीते होजा, एवं सिणाएवि 4, 5 // सूत्रं 753 // पुलाए णं भंते ! किं सामाइयसंजमे होजा छेग्रोवट्ठावणियसंजमे होजा परिहारविसुद्धियसंजमे होजा सुहुमसंपरागसंजमे होजा अहक्खायसंजमे होजा?, गोयमा! सामाझ्यसंजमे वा होज्जा छेत्रोवट्ठावणियसंजमे वा होजा णो परिहारविसुद्धियसंजमे होजा णो सुहुमसंपरागे होजा णो अहक्खायसंजमे होजा 1, एवं बउसेवि, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि 2 / कसायकुसीले णं पुच्छा, गोयमा ! सामाइयसंजमे वा होजा जाव सुहुमसंपरागसंजमे वा होजा णो अहक्खायसंजमे होजा 3 / नियंठे णं पुच्छा, गोयमा ! गो सामाइयसंजमे होजा जाव णो सुहुमसंपरागसंजमे होज्जा अहक्खायसंपरागसंजमे होजा, एवं सिणाएवि 4,5 // सूत्रं७५४॥ पुलाए णं भंते ! किं Page #321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 748 / ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः पडिसेवए होजा अपडिसेवए होजा ?, गोयमा! पडिसेवए होजा णो अपडिसेवए होजा 1 / जइ पडिसेवए होजा किं मूलगुणपडिसेवए होजा उत्तरगुणपडिसेवए होजा ?, गोयमा ! मूलगुणपडिसेवए वा होजा उत्तरगुणपडिसेवए वा होजा, मूलगुण-पडिसेवमाणे पंचराहं पासवाणं अन्नयरं पडिसेवेजा, उत्तरगुण-पडिसेवमाणे दसविहस्स पञ्चक्खाणास्स . अन्नयरं पडिसेवेजा 2 / बउसे णं पुच्छा, गोयमा ! पडिसेवए होजा णो अपडि. सेवए होजा, जइ पडिसेवए होजा किं मूलगुणपडिसेवए होजा उत्तरगुणपडिसेवए वा होज्जा ?, गोयमा ! णो मूलगुणपडिसेवए होज्जा उत्तरगुणपडिसेवए होज्जा, उत्तरगुणपडिसेवमाणे दसविहस्स पञ्चक्खाणस्स अन्नयरं पडिसेवेज्जा, पडिसेवणाकुसीले जहा पुलाए 3 / कसायकुसीले णं पुच्छा, गोयमा ! णो पडिसेवए होजा अपडिसेवए होजा, एवं निग्गंथेवि, एवं सिणाएवि 4, 6 // सूत्रं 755 // पुलाए णं भंते ! कतिसु नाणेसु होजा ?, गोयमा ! दोसु वा तिसु वा होजा, दोसु होजमाणे दोसु श्राभिणियोहियनाणे मुश्रनाणे होजा तिसु होमाणे तिसु प्राभिणिबोहियनाणे सुयनाणे श्रोहिनाणे होजा, एवं बउसेवि, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि 1 / कसायकुसीले णं पुच्छा, गोयमा ! दोसु वा तिसु वा चउसु वा होजा, दोसु होमाणे दोसु आभिणियोहियनाणे सुयनाणे होजा, तिसु होमाणे तिसु श्राभिणिबोहियनाण-सुनाणोहिनाणेसु होजा श्रहवा तिसु होमाणे याभिणिबोहियनाण-सुयनाण-मणपजवनाणेसु होजा, चउसु होजमाणे चउसु श्राभिणिबोहियनाण-सुयनाण-रोहिनाण-मणपजवनाणेसु होजा, एवं नियंठेवि 2 / सिणाए णं पुच्छा, गोयमा ! एगंमि केवलनाणे होजा 3 // सूत्रं 756 // पुलाए णं भंते ! केवतियं सुयं अहिज्जेजा ?, गोयमा ! जहन्नेणं नवमस्स पुवस्स ततियं आयारवत्थु, उक्कोसेणं नव पुज्वाई अहिज्जेजा 1 / बउसे पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अट्ठ पवयणमायायो Page #322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 25 :: उद्देशक. 6 ] / 746 कोसेणं दम पुवाई अहिज्जेजा, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि 2 / कसायकुसीले पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अट्ठ पवयणमायायो उक्कोसेणं चोदस पुल्वाई यहिज्जेज्जा, एवं नियठेवि 3 / सिणाए पुच्छा, गोयमा ! सुयवतिरित्ते डोजा 1, 7 // सूत्र 757 // पुलाए | भंते ! किं तित्थे होजा अतित्थे होजा ?. गोयमा ! तित्थे होजा णो अतित्थे होजा, एवं बउसेवि, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि 1 / कसायकुसीले पुच्छा, गोयमा ! तित्थे वा होजा अतित्थे वा होजा, जइ अतित्थे होजा कि तित्थयरे होजा पत्तेयबुद्धे होजा ?, गोयमा! तित्थगरे वा होजा पत्तेयबुद्धे वा होजा, एवं नियंठेवि, एवं मिणाएवि 2, 8 // सूत्रं 758 // पुलाए णं भंते ! किं मलिंगे होजा अन्नलिंगे होजा गिहिलिंगे होजा ?, गोयमा ! दव्वलिंगं पडुच्च सलिंगे वा होजा अन्नलिंगे वा होजा गिहिलिंगे वा होजा, भावलिंग बडुच्च नियमा सलिंगे होजा एवं जाव सिणांए 1 // सूत्रं 751 // पुलाए णं भंते ! कइंसु सरीरेसु होजा ?, गोयमा ! तिसु बोरालिय-तेयाकम्मएसु होजा 1 / बउसे णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! तिसु वा चउसु वा होज्जा, निसु होमाणे तिसु श्रोरालिय तेयाकम्मएसुः होजा, चउसु होमाणे चउसु योरालिय-वेउब्विय-तेयाकम्मएसु होजा, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि 2 / कसायकुसीले पुच्छा, गोयमा ! तिसु वा चउसु वा पंचसु वा होजा, तिसु होजमाणे तिसु थोरालिय-तेयाकम्मएसु होजा, चउसु होमाणे चउसु पोरालिय-वेउब्विय-तेयाकम्मएसु होजा पंचसु होमाणे पंचसु पोरालिय-वेउब्विययाहारग-तेयाकम्मएसु होजा, णियठे सिणायो य जहा पुलायो 3, 10 / / सूत्रं 760 // पुलाए णं भंते ! किं कम्मभूमीए होजा अकम्मभूमीए होजा ?, गोयमा ! जम्मणसंतिभावं पडुच कम्मभूमीए होज्जा णो अकम्मभूमीए होजा 1 / बउसे णं पुच्छा, गोयमा :: जम्मणसंतिभावं एडुच्च कम्मभूमीए होजा णो अकम्मभूमीए होजा, साहरणं पडुच्च कम्मभूमीए वा Page #323 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 750 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः होजा अकम्मभूमीए वा होजा, एवं जाव सिणाए 2, 11 // सूत्रं 761 // पुलाए णं भंते ! किं श्रोसप्पिणिकाले होजा उस्सप्पिणिकाले होजा णोश्रोसप्पिणि णोउस्सप्पिणिकाले वा होजा ?, गोयमा ! श्रोसप्पिणिकाले वा होजा उस्सप्पिणिकाले वा होज्जा नोउस्सप्पिणि-नोयोसप्पिणिकाले वा होजा 1 / जई अोसप्पिणिकाले होजा किं सुसमसुसमाकाले होजा 1 सुसमाकाले होन्जा 2 सुसमदूसमाकाले होजा 3 दूसमसुसमाकाले होजा 4 दूसमाकाले होजा 5 दूसमदूसमाकाले होजा 6 ?, गोयमा ! जमणं पडुच्च णों सुसमसुसमाकाले होजा 1 णो सुसमाकाले होजा 2 सुसमदूसमाकाले होजा 3 दूममसुसमाकाले वा होजा 4 णो दूसमाकाले होजा 5 णो दूसमदूसमाकाले होजा ६,संतिभावं पडुच्च णो सुसमसुसमाकाले होजाणो सुसमाकाले होजा सुसमदूसमाकाले वा होजा दूसमसुममाकाले वा होजा इसमाकाले वा होजा णो दूसमदूसमाकाले होजा 2 / जइ उस्सप्पिणिकाले होजा कि दूसमदूसमाकाले होजा दूसमाकाले होजा. दूसमसुसमाकाले होजा सुसमदूसमाकाले होजा सुसमाकाले होजा सुसमसुसमाकाले होजा ?, गोयमा ! जमणं पडुच्च णो दूसमदूसमाकाले होजा 1 दूसमाकाले वा होजा 2 दूसमसुसमाकाले वा होजा 3 सुसमदूममाकाले वा होजा 4 णो सुसमाकाले होजा 5 णो सुसमसुप्तमाकाले होजा 6, संतिभावं पडुच्च णोदूसमदूसमाकाले होजा 1 दूसमाकाले होजा 2 दूसमसुसमाकाले वा होजा 3 सुसमदूसमाकाले वा होजा 4 णो सुसमाकाले होजा 5 णो सुसमसुसमाकाले होज्जा 6, 3 / जइ णोउस्सप्पिणि-नोश्रवसप्पिणिकाले होजा किं सुसमसुसमापलिभागे होजा सुसमपलिभागे होजा सुसमदूसमापलिभागे होजा दूसमसुसमापलिभागे होजा?, गोयमा! जमणं संतिभावं च पडुच्च णो सुसमसुसमापलिभागे होजा णो सुसमपलिभागे होजा णो दूसमदूसमापलिभागे होजा दूसमसुसमापलिभागे होजा 4 / बउसे णं पुच्छा, गोयमा ! Page #324 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 25 : उद्देशकः 6 ] [751 योसप्पिणिकाले वा होजा उस्सप्पिणिकाले वा होजा नोयोसप्पिणिनोउस्सप्पिणिकाले वा होजा 5 / जइ योसप्पिणिकाले होज्जा किं सुसमसुसमाकाले पुच्छा, गोयमा ! जमणं संतिभावं च पडुच्च णो सुसमसुसमाकाले होज्जा णो सुसमाकाले होज्जा सुसमदूसमाकाले वा होज्जा दूसमसुसमाकाले वा होज्जा दूसमाकाले वा होज्जा णो दूसमदूसमाकाले होज्जा, माहरणं पडुच्च अन्नयरे समाकाले होज्जा 6 / जइ उस्सप्पिणिकाले होज्जा कि दूसमदूसमाकाले होज्जा 6 ? पुच्छा, गोयमा ! जम्मणं पडुच्च णो दूसमदूसमाकाले होजा जहेव पुलाए, संतिभावं पडुच्च णो दूसमदूसमाकाले होजा णो दूसमाकाले होजा एवं संतिभावेणवि जहा पुलाए जाव णो सुसमसुममाकाले होजा, साहरणं पडुच्च अन्नयरे समाकाले होजा 7 / जइ नोयोसप्पिणि-नोउस्सप्पिणिकाले होज्जा ? पुच्छा, गोयमा ! जम्मणसंतिभावं पडुच्च णो सुसमसुसमापलिभागे होजा जहेव पुलाए जाव दूसमसुसमापलिभागे होजा, साहरणं पडुच्च अन्नयरे पलिभागे होजा, जहा बउसे एवं पडिसेवणाकुसीलेवि, एवं कसायकुसीलेवि, नियंठो सिणाश्रो य जहा पुलायो, नवरं एतेसि अमहियं साहरणं भाणियब्वं, सेसं तं चेव 8, 12 // सूत्रं 762 // पुलाए णं भंते ! कालगए समाणे किं गतिं गच्छति ?, गोयमा ! देवगति गच्छति 1 / देवगति गच्छमाणे किं भवणवासीसु उववज्जेजा वाणमंतरेसु उववज्जेजा जोइसवेमाणिएसुः उववज्जेजा ?, गोयमा ! णो भवणवासीसु णो वाणमंतरेसु णो जोइसवेमाणिएसु उववज्जेजा, वेमाणिएसु उववज्जमाणे जहराणेणं सोहम्मे कप्पे उक्कोसेणं सहस्सारे कप्पे उववज्जेजा 1 / बउसे णं एवं चेव नवरं उकोसेणं यच्चुए कप्पे, पडिसेवणाकुसीले जहा बउसे, कसायकुसीले जहा पुलाए, नवरं उक्कोसेणं अणुत्तरविमाणेसु उववज्जेज्जा 2 / णियंठे णं भंते ! एवं चव, एवं जाव वेमाणिएसु उववजमाणे अजहन्नमणुकोसेणं अणुत्तरविमा Page #325 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 752 ] .. . [श्रीमदागमसुधासिन्धुः। तृतीयो विभागः णेसु उववज्जेजा 3 / सिणाए ‘णं भंते ! कालगए समाणे किं गति गच्छइ ?, गोयमा ! सिद्धिगतिं गच्छइ 4 / पुलाए णं भंते ! देवेसु उबवजमाणे किं इंदत्ताए उववज्जेजा सामाणियसाए उववज्जेज्जा तायत्तीसगत्ताए वा उववज्जेजा लोगपालत्ताए वा उपवज्जेजा अहमिंदत्ताए या उववज्जेजा ?, गोयमा ! अविराहणं पडुच इंदत्ताए उववज्जेजा सामाणियत्ताए उववज्जेजा लोगपालत्ताए वा उववज्जेज्जा तायत्तीसाए वा उववज्जेजा नो अहमिंदत्ताए उबवज्जेजा, विराहणं पडुच्च अन्नयरेसु उववज्जेजा 5 / एवं बउसेवि, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि 6 / कसायकुसीले पुच्छा, गोयमा ! अविराहणं पडुच्च इंदत्ताए वा उववज्जेजा जाव अहमिंदत्ताए उववज्जेज्जा विराहणं पडुच्च अन्नयरेसु उववज्जेजा 7 / नियंठे पुच्छा, गोयमा ! अविराहणं पडुच्च णो इंदत्ताए उववज्जेजा जाव णो लोगपालत्ताए उववज्जेजा अहमिदत्ताए उववज्जेजा विराहणं पडुच्च अन्नयरेसु उववज्जेजा 8 / पुलायस्स णं भंते ! देवलोगेसु उववजमाणस्स केवतियं कालं ठिती पराणता ?, गोयमा ! जहन्नेणं पलिश्रोवमपुहुत्तं उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमाइं 1 | बउसस्स पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं पलिग्रोवमपुहुत्तं उक्कोसेणं बावीसं सागरोवमाई, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि 10 / कसायकुसीलस्स पुच्छा, गोयमा! जहन्नेणं पलियोवमपुहुत्तं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई 11 / णियंठस्स पुच्छा, गोयमा ! अजहन्नमणुक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं 12, 13 // सूत्र 763 // पुलागस्स णं भंते ! केवतिया संयमट्ठाणा पराणत्ता ?, गोयमा ! असंखेजा संयमट्ठाणा पराणत्ता, एवं जाव कसायकुसीलस्स 1 / नियंठस्स णं भंते ! केवइया संजमट्ठाणा पराणत्ता ?, गोयमा ! एगे अजहन्नमणुकोसए संजमट्ठाणे, एवं सिणायस्सवि 2 / एतेसि णं भंते! पुलाग-बउस-पडिसेवणा-कसायकुसील-नियंउसिणायाणं संजमट्ठाणाणं कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवे नियंठस्स सिणायस्स Page #326 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञाप्त (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 25 : उद्देशकः 6 ) [ 753 [ग्रन्थाग्रं 14000] य एगे अजहन्नमणुकोसए संजमट्ठाणे पुलागस्स णं संजमट्ठाणा असंखेजगुणा बउसस्स संजमट्ठाणा असंखेजगुणा पडिसेवणाकुसीलस्स संजमट्ठाणा असंखेजगुणा कसायकुमीलस्स संजमट्ठाणा असंखेजगुणा 3, 14 // सूत्रं 764 // पुलागस्स ण भंते ! केवतिया चरित्तपजवा पराणत्ता ?, गोयमा ! अणंता चरित्तपजवा पराणत्ता, एवं जाव सिणायस्स 1 / पुलाए णं भंते ! पुलागस्स सट्टाणसन्निगासेणं चरित्तपजवेहिं कि हीणे तुल्ले अब्भहिए ?, गोयमा ! सिय हीणे 1. सिय तुल्ले 2 सिय अब्भहिए 3, जइ हीणे अणंतभामहीणे वा असंखेजभागहीणे वा मंखेजइभागहीणे * वा संखेज्जगुणहीणे वा असंखेजगुणहीणे वा अनंतगुणहीणे वा, अह अमहिए अणंतभागमभहिए . वा श्रसंखेजइभागमभहिए वा संखेजभागमभहिए वा संखेजगुणमभहिए वा असंखेजगुणमभहिए वा अणंतगुणमभहिए वा 2 / पुलाए णं भंते ! बउसस्स परट्ठाणसन्निगासेणं चरित्तपज्जवेहिं कि हीणे तुल्ले ग्रभहिए ?, गोयमा ! हीणे नो तुल्ले नो अब्भहिए, अणंतगुणहीणे, एवं पडिसेवणाकुसीलस्सवि, कसायकुसीलेणं समं छट्ठाणवडिए जहेव सट्टाणे नियंठस्स जहा बउसस्स, एवं सिणायस्सवि 3 / बउसे णं भंते ! पुलागस्स परट्ठाणसन्निगासेण चरित्तपजवेहिं किं हीणे तुल्ले अब्भहिए ? गोयमा ! णो हीणे णो तुल्ले अभहिए अणंतगुणमभहिए 4 / बउसे गां भंते ! बउसस्स सट्ठाणसन्निगासेणं चरित्तपज्जवेहिं पुच्छा, गोयमा ! मिय हीणे सिय तुल्ले सिय अभहिए, जइ हीणे छट्टाणवडिए 5 / बउसे गणं भंते ! पडिसेवणाकुसीलस्स परट्ठाणसन्निगासेणं चरित्तपज्जवेहिं किं हीणे तुल्ले अभहिए ?, छट्ठाणवडिए, एवं कसायकुसीलस्सवि 6 / बउसे णं भंते ! नियंठस्स परट्ठाणसन्निगासेणं चरित्तपन्जवेहिं पुच्छा, गोयमा ! हीणे णो तुल्ले णो अब्भहिए अणंतगुणहीणे, एवं सिणायस्सवि 7 / Page #327 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 754 ] .. [श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः पडिसेवणाकुसीलस्स एवं चेव बउसवत्तव्यया भाणियब्वा, कसायकुसीलस्स एस चेव बउसवत्तव्वया नवरं पुलाएणवि समं छट्ठाणवडिए 8 / णियंठ णं भंते ! पुलागस्स परट्ठाणसन्निगासेणं चरित्तपजवेहिं पुच्छा, गोयमा ! णो हीणे णो तुल्ले अब्भहिए श्रणंतगुणमब्भहिए, एवं जाव कसायकुसीलस्स 1 / णियंठे णं भंते ! णियंठस्स सट्टाणसन्निगासेणं पुच्छा, गोयमा ! नो हीणे तुल्ले णो अब्भहिए, एवं सिणायस्सवि 10 / सिणाए णं भंते ! पुलागस्स परट्ठाणसन्निगासेणं, एवं जहा नियंठस्स वत्तव्वया तहा सिणायस्सवि भाणियव्वा जाव सिणाए णं भंते ! सिणायस्स सट्टाणसन्निगासेणं पुच्छा, गोयमा ! णो हीणे तुल्ले णो अब्भहिए 11 / एएसि णं भंते ! पुलाग-बकुस-पडिसेवणाकुसील-कसायकुसील-नियंठसिणायाणं जहन्नुकोसगाणं चरित्तपजवाणं कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा?, गोयमा ! पुलागस्स कसायकुसीलस्स य एएसि णं जहन्नगा चरित्तपन्जवा दोराहवि तुल्ला सम्वत्थोवा, पुलागस्स उकोसगा चरित्तपज्जवा अनंतगुणा, बउसस्स पडिसेवणाकुसीलस्स य एएसि णं जहन्नगा चरित्तपज्जका दोराहवि तुल्ला अणंतगुणा, बउसस्स उकोसगा चरित्तपज्जवा अणंतगुणा, पडिसेवणाकुसीलस्स उक्कोसगा चरित्तपज्जवा अणंतगुणा, कसायकुसीलस्स उकोसगा चरित्तपज्जवा अणंतगुणा, णियंठस्स सिणायस्स य एतेसि णं अजहन्नमणुकोसगा चरित्तपज्जवा दोराहवि तुल्ला अणंतगुणा 20, 15 ॥सूत्रं 765 / / पुलाए णं भंते ! किं सयोगी होज्जा अजोगी वा होज्जा ?, गोयमा ! सयोगी होज्जा नो अयोगी होज्जा 1 / जइ सयोगी होज्जा किं मणजोगी होज्जा वइजोगी होज्जा काययोगी होज्जा ?, गोयमा ! मणजोगी वा होज्जा वयजोगी वा होज्जा कायजोगी वा होज्जा, एवं जाव नियंठ 2 / सिणाए णं पुच्छा, गोयमा ! सयोगी वा होज्जा अयोगी वा होजा, जइ सयोगी होजा कि मणजोगी होजा सेसं जहा पुलागस्स 3, 16 Page #328 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: 25 :: उद्देशकः 6 ) / 755 // सूत्र 766 // पुलाए णं भंते ! कि सागारोवउत्ते होजा अणागारोवउत्ते होजा ?, गोयमा ! सागारोवउत्ते वा होजा अणागारोवउत्ते वा होना, एवं जाव सिणाए 17 // सूत्रं 767 // पुलाए णं भंते ! सकसायी होजा यकसायी होजा ?, गोयमा ! सकसायी होजा णो अकसायी होजा 1 / जइ सकसाई से णं भंते ! कतिसु कसाएसु होजा ?, गोयमा ! चउसु कोह. माणमायालोभेसु होजा, एवं बउसेवि, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि 2 / कसायकुमीले णं पुच्छा, गोयमा ! सकसायी होजा णो अकसायी होजा 3 / जइ सकसायी होजा से णं भंते ! कतिसु कसाएसु होजा ?, गोयमा ! चउसु वा तिसु वा दोसु वा एगमि वा होजा, चउसु होमाणे चउसु संजलणकोह-माण-मायालोमेसु होजा तिसु होमाणे तिसु संजलण-माण-मायालोभेसु होजा दोसु होमाणे संजलण-माया-लोभेसु होजा एगंमि होमाणे संजलणलोभे होजा 4 / नियंठे णं पुच्छा, गोयमा ! णो सकसायी होज्जा अकसायी होज्जा 5 | जइ अकसायी होज्जा किं उवसंतकसायी होज्जा खीणकसायी होज्जा ?, गोयमा ! उवसंतकसायी वा होज्जा खीणकसायी वा होज्जा, सिणाए एवं चेव, नवरं णो उवसंतकसायी होन्जा, खीणकसायी होज्जा 6, 18 // सूत्रं 768 // पुलाए णं भंते ! किं सलेस्से होज्जा अलेस्से होज्जा ?, गोयमा ! सलेस्से होज्जा णो अलेस्से होज्जा 1 / जइ सलेस्से होज्जा से णं भंते ! कतिसु लेस्सासु होजा ?, गोयमा ! तिसु विसुद्धलेस्सासु होजा, तंजहा-तेउलेस्साए पम्हलेस्साए सुकलेस्साए एवं बउसस्सवि, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि 2 / कसायकुसीले पुच्छा, गोयमा ! सलेस्से होज्जा णो अलेस्से होज्जा 3 / जइ सलेस्से होज्जा से णं भंते ! कतिसु लेसासु होज्जा ? गोयमा ! सु लेसासु होज्जा, तंजहा-कराहलेस्साए जाव सुक्कलेस्साए 4 / नियंठे णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! सलेस्से होज्जा णो अलेस्से होज्जा 5 / जइ Page #329 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 756 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः सलेसे होज्जा से णं भंते ! कतिसु लेस्सासु होज्जा ?, गोयमा ! एकाए सुकलेस्साए होज्जा 6 / सिणाए पुच्छा, गोयमा ! सलेस्से वा यलेस्से वा होज्जा 7 / जइ सलेस्से होज्जा से णं भंते ! कतिसु लेस्सासु होज्जा ? गोयमा ! एगाए परमसुक्कलेस्साए होज्जा 8, 11 / / सूत्रं 766 ॥पुलाए णं भंते ! किं. वड्डमाणपरिणामे होज्जा हीयमाणपरिणामे होज्जा अवट्ठियपरिणामे होज्जा ?, गोयमा ! वड्डमाणपरिणामे वा होज्जा हीयमाणपरि. णामे वा होज्जा अवट्ठियपरिणामे वा होज्जा, एवं जाव कसायकुसीले 1 / णियंठे णं पुच्छा, गोयमा ! वडमाणपरिणाम होज्जा, गो हीयमाणपरिणामे होज्जा, अवट्ठियपरिणामे वा होज्जा, एवं सिणाएवि 2 | पुलाए णं भंते ! केवइयं कालं वड्डमाणपरिणामे होज्जा ?, गोयमा ! जहन्नेणं एक्कं समयं उकोसेणं अंतोमुहुत्तं 3 / केवतियं कालं हीयमाणपरिणामे होज्जा ? गोयमा ! जहराणेणं एक समयं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं, केवइयं कालं अवट्ठियपरिणामे होज्जा ?, गोयमा ! जहन्नेणं एक्कं समयं उकोसेणं सत्त समया, एवं जाव कसायकुसीले 4 / नियंठे णं भंते ! केवतियं कालं वड्डमाणपरिणामे होज्जा ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 5 / केवतियं कालं अवट्ठियपरिणामे होज्जा ?, गोयमा ! जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं 6 / सिणाए णं भंते ! केवइयं कालं वडमाणपरिणामे होज्जा ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 7 / केवइयं कालं' अवट्ठियपरिणामे होज्जा ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं देसूणा पुव्वकोडी 8, 20 // सूत्रं 770 // पुलाए | भंते ! कति कम्मपगडीयो बंधति ?, गोयमा ! ग्राउयवजायो सत्त कम्मप्पगडीयो बंधति 1 / बउसे पुच्छा, गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अट्टविहबंधए वा, सत्त बंधमाणे श्राउयवजायो सत्त कम्मप्पगडीयो बंधति, अट्ट बंधमाणे पडिपुन्नायो अट्ट कम्मप्पगडीयो बंधइ, एवं पडिसेवणाकसी Page #330 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गोमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 25 :: उद्देशकः 6 ] [ 757 नवि 2 / कसायकुपीले पुच्छा, गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अट्टविहबंधए वा छविहबंधए वा, सत्त बंधमाणे पाउयवज्जायो सत्त कम्मप्पगडीयो बंधइ, अट्ठ बंधमाणे पडिपुन्नायो अट्ट कम्मप्पगडीयो बंधइ, छ बंधमाणे याउयमोहणिजवजायो छक्कम्मप्पगडीयो बंधइ 3 / नियंठे. णं पुच्छा, गोयमा ! एगं वेयणिज्ज कम्मं बंधड 4 / सिणाए पुच्छा, गोयमा ! एगविबंधए वा प्रबंधए वा, एगं बंधमाणे एगं वेयणिज्ज कम्मं बंधइ 5, 21 / / सूत्रं 771 // पुलाए णं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो वेदेइ ?, गोयमा ! नियमं अट्ठ कम्मप्पगडीयो वेदेइ, एवं जाव कसायकुसीले 1 / नियंठे णं पुच्छा, गोयमा ! मोहणिज्जवज्जायो सत्त कम्मप्पगडीयो वेदेइ 2 / सिणाए णं पुच्छा, गोयमा ! वेयणिजयाउयनामगोयायो चत्तारि कम्मप्पगडीयो वेदेइ 3, 22 // सूत्रं 772 // पुलाए णं भंते ! कति कम्मप्पगंडीयो उदीरेति ?, गोयमा! याउयवेयणिजवजायो छ कम्मप्पगडीयो उदीरेइ 1 / बउसे पुच्छा, गोयमा ! सत्तविहउदीरए वा अट्टविहउदीरए वा छबिहउदीरए वा, सत्त उदीरेमाणे पाउयवजायो सत्त कम्मप्पगडीयो उदीरेति, अट्ट उदीरेमाणे पडिपुन्नायो अट्ट कम्मप्पगडीयो उदीरेति, छ उदीरेमाणे पाउयवेयणिजवजायो छ कम्मप्पगडीयो उदीरेति, पडिसेवणाकुसीले एवं चेव 2 / कसायकुसीले णं पुच्छा, गोयमा ! सत्तविहउदीरए वा अविहउदीरए वा छविहउदीरए वा पंचविहउदीरए वा, सत्त उदीरेमाणे पाउयवजारो सत्त कम्मप्पगडीयो उदीरेति. अट्ट उदीरेमाणे पडिपुन्नायो अट्ठ कम्मप्पगडीयो उदीरेति, छ उदीरेमाणे पाउयवेयणि जवजाश्रो छ कम्मप्पगडीयो उदीरेति, पंच उदीरेमाणे पाउय-वेयणिज्जमाहणिज्जबज्जायो पंच - कम्मप्पगडीयो. उदीरेति 3 / नियंठे णं पुच्छा, गोयमा ! पंचविहउदीरए वा दुविहउदीरए वा, पंच उदीरेमाणे याउय-वेयणिज्ज-मोहणिज्जबज्जायो पंच.. कम्मप्पगडीयो उदीरेति, दो Page #331 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 758 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : तृतीयो विभागः उदीरेमाणे णामं च गोयं च उदीरेति 4 / सिणाए पुच्छा, गोयमा ! दुविहउदीरए वा अणुदीरए वा, दो उदीरेमाणे णामं च गोयं च उदीरेति 5, 23 // सूत्र 773 // पुलाए णं भंते ! पुलायत्तं जहमाणे किं जहति किं उवसंपज्जति ?, गोयमा ! पुलायत्तं जहति कसायकुसीलं वा अस्संजमं वा उवसंपज्जति 1 / बउसे णं भंते ! बउसत्तं जहमाणे किं जहति किं उवसंपज्जति ?, गोयमा ! बउसत्तं जहति पडिसेवणाकुसीलं वा कसायकुसीलं वा असंजमं वा संजमासंजमं वा उपसंपज्जति 2 / पडिसेवणाकुसीले णं भंते ! पडिसेवणाकुसीलत्तं पुच्छा, गोयमा ! पडिसेवणाकुसीलत्तं जहति बउसं वा कसायकुसीलं वा अस्संजमं वा संयमासंयम वा उपसंपज्जति 3 / कसायकुसीले पुच्छा, गोयमा ! कसायकुसीलत्तं जहति पुलायं वा बउसं वा पडिसेवणाकुसीलं वा णियंठं वा अस्संजमं वा संयमासंयम वा उवसंपन्जति 4 / णियंठे पुच्छा, गोयमा! नियंठत्तं जहति कसायकुसीलं वा सिणायं वा अस्संजमं वा उपसंपन्जति 5 / सिणाए पुच्छा, गोयमा ! सिणायत्तं जहति सिद्धिगति उवसंपन्जति 6,24 // सूत्रं 774 // पुलाए णं भंते ! किं सन्नोवउत्ते होजा नोसन्नोवउत्ते होज्जा ?, गोयमा ! णोसन्नोवउत्ते वा होज्जा सन्नोवउत्ते वा होजा 1 / बउसे णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! सनोवउत्ते वा होजा नोसन्नोवउत्ते वा होजा 2 / एवं पडिसेवणाकुसीलेवि, एवं कसायकुसीलेवि, नियंठे सिणाए य जहा पुलाए 3, 25 // सूत्रं 775 // पुलाए णं भंते ! किं श्राहारए होज्जा राणाहारए होजा ?, गोयमा ! श्राहारए होज्जा णो अणाहारए होज्जा, एवं जाव नियंठे 1 / सिणाए पुच्छा, गोयमा ! श्राहारए वा होज्जा श्रणाहारए वा होज्जा 2,26 // सूत्रं 776 // पुलाए णं भंते ! कति भवग्गहणाई होजा ?, गोयमा ! जहन्नेणं एक्कं उकोसेणं तिन्नि ? / बउसे पुच्छा, गोयमा ! जहरागोणं एक्कं उक्कोसेणं अट्ठ 2 / एवं पडिसेवणाकुसीलेवि, एवं कसायकुसीलेवि, नियंठे Page #332 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णता ?, / उसस्स णं पु सतग्गसो 2 / लेवि 3 | श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 25 :: उद्देशकः 6 ] [ 759 जहा पुलाए 3 / सिणाए पुच्छा, गोयमा ! एक्कं 4, 27 // सूत्रं 777 // पुलागस्स णं भंते ! एगभवग्गहणीया केवतिया अागरिसा पराणत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एको उक्कोसेणं तिन्नि 1 / बउसस्स णं पुच्छा, गोयमा!, जहन्नेणं एको उक्कोसेणं सतग्गसो 2 / एवं पडिसेवणाकुसीलेवि, एवं कसायकुसीलेवि 3 / णियंठस्स णं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं एको उक्कोनणं दोनि 4 / सिणायस्स णं पुच्छा, गोयमा ! एको वि नथि 5 / पुलागस्स णं भंते ! नाणाभवग्गहणिया केवतिया श्रागरिमा पन्नत्ता ?, गोयमा! जहन्नेणं दोन्नि उक्कोसेणं सत्त 6 / बउसस्स पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं दानि उक्कोसेणं सहस्सग्गसो, एवं जाव कसायकुसीलस्स 7 / नियंठस्स णं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं दोन्नि उक्कोसेणं पंच 8 / सिणायस्स पुच्छा, गायमा ! नत्थि एकोवि 6, 28 // सूत्रं 778 // पुलाए णं भंते ! कालो कवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं 1 / उसस्स पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं देसूरणा पुव्वफोडी, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि कसायकुसीलेवि 2 / नियठे पुच्छा, गायमा ! जहराणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं 3 / सिणाए पुच्छा, गायमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं देसूणा पुव्वकोडी 4 / पुलाया णं : भंते ! कालयो केवचिरं होंति ?, गोयमा ! जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं यंतोमुहुत्तं 5 / बउसे णं पुच्छा, गोयमा ! सव्वद्धं, एवं जाव कसायकुतीला 6 / नियंठा जहा पुलागा, सिणाया जहा बउसा 7,26 ॥सूत्रं७७१ // पुत्लागस्स भंते ! केवतियं कालं अंतरं होइ ?, गोयमा ! जहरणेणं यंतोमुहुत्तं उकोसेणं अणंतं कालं अणंतायो अोसप्पिणिउस्सप्पिणीयो कालयो खेत्तयो अवड्डपोग्गलपरियट्ट देसूणं, एवं जाव नियंठस्स 1 / मिणायस्स पुच्छा, गोयमा ! नत्थि अंतरं 2 / पुलायाणं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होइ ?, गोयमा ! जहरणेणं एक समयं उक्कोसेणं संखेजाई Page #333 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 760 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / नृतीयो विभाग। वासाई 2 / बउसाणं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! नत्यि अंतरं, एवं जाव कसायकुसीलाणं 4 / नियंठाणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं छम्मासा, सिणायाणं जहा बउसाणं 5,30 / / सूत्रं 780 // पुलागस्स णं भंते ! कति समुग्घाया पन्नत्ता ?, गोयमा ! तिन्नि समुग्घाया पराणत्ता, तंजहा-वेयणासमुग्घाए कसायसमुग्धाए मारणंतियसमुग्घाए 1 / बउसस्स णं भंते / पुच्छा, गोयमा / पंच समुग्घाया पराणत्ता, तंजहा-वेयणासमुग्घाए जाव तेयासमुग्घाए, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि 2 / कसायकुसीलस्स पुच्छा, गोयमा ! छ समुग्घाया परणत्ता, तंजहा-वेयणासमुग्घाए जाव श्राहारगसमुग्घाए 3 / नियंठस्स णं पुच्छा, गोयमा ! नत्थि एकोवि 4 / सिणायस्स पुच्छा, गोयमा ! एगे केवलिसमुग्घाए पराणत्ते 5, 31 // सूत्रं 781 // पुलाए णं भंते ! लोगस्स किं संखेज्जइभागे होज्जा 1 अंसंखेज्जइभागे होज्जा 2 संखेज्जेसु भागेसु होज्जा 3 असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा 4 सव्वलोए होज्जा 5 ?, गोयमा ! णो संखेज्जइभागे होज्जा असंखेज्जइभागे होज्जा णो संखेज्जेसु भागेसु होज्जा णो असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा णो सव्वलोए होज्जा, एवं जाव नियंठे 1 / सिणाए णं पुच्छा, गोयमा! णो संखेज्जइभागे होज्जा असंखेज्जइभागे होज्जा णो संखेज्जेसु भागेसु होज्जा असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा सबलोए वा होज्जा 2, 32 / / सूत्रं 782 // पुलाए णं भंते ! लोगस्स कि संखेज्जइभागं फुसइ असं. खेजइभागं फुसइ ?, एवं जहा भोगाहणा भणिया तहा फुसणावि भाणियव्वा जाव सिणाए 33 // सूत्रं 783 // पुलाए णं भंते ! कतरंमि भावे होज्जा ?, गोयमा ! खोवसमिए भावे होज्जा, एवं जाव कसायकुसीले 1 / नियंठे पुच्छा, गोयमा ! उपसमिए वा भावे होज्जा खइए वा भावे होजा 2 / सिणाए पुच्छा, गोयमा ! खाइए भावे होज्जा 3, 34 // सूत्र 784 // पुलाया णं भंते ! एगसमएणं केवतिया होज्जा ? गोयमा ! पडिवज्जमाणए Page #334 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वामद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं शतकं 25 : उद्देशकः 6 ] [761 बडुच्च सिय अस्थि सिय नत्थि, जइ अत्थि जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि मा उकोसेणं सयपुहुत्तं, पुव्वपडिवन्नए पडुच्च सिय अत्थि सिय नस्थि, उइ अस्थि जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं सहस्सपुहुत्तं 1 / 5 उमा णं भंते ! एगसमएणं पुच्छा, गोयमा ! पडिवज्जमाणए पडुच्च सिय यस्थि सिय नस्थि, जइ अत्थि जहन्नेणं एको वा दो वा तिनि वा उकोयणं सयपुहुत्तं, पुवपडिबन्नए पडुच्च जहन्नेणं कोडिसयपुहुत्तं उक्कोसेणवि डिमयपुहुत्तं, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि 2 / कसायकुसीलाणं पुच्छा, गायमा ! पडिवजमाणए पडुच्च सिय अस्थि सिय नत्थि, जइ अस्थि रहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं सहस्सपुहृत्तं, पुव्वपडिवन्नए पहुच जहन्नेणं कोडिसहस्सपुहुत्तं उक्कोसेणवि कोडिसहस्सपुहुत्तं 3 / 'नयंठाणं पुच्छा, गोयमा ! पडिवजमाणए पडुच्च सिय अस्थि सिय नत्थि, जइ यत्थि जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं बावट्ठ सतं, अट्ठसयं ववगाणं चउप्पन्नं उत्सा(स)मगाणं, पुवपडियन्नए पडुच्च सिय अस्थि सिय नत्थि, जइ अस्थि जहन्नेणं एको वा दो वा तिनि वा उक्कोसेणं सयपुहुत्तं / सिणायाणं पुच्छा, गोयमा ! पडिवजमाणए पडुच्च सिय अस्थि सिय नाथ, जइ अस्थि जहन्नेणं एको वा दो वा तिनि वा उक्कोसेणं असतं, पुख्वपडियनए पडुन जहन्नेणं कोडिपुहुत्तं उक्कोसेणवि कोडिपुहृत्तं 5, 35 / एसि णं भंते ! पुलाग-बकुस-पडिसेवणाकुसील-कसायकुसील-नियंउसिणायाणं कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सब्वत्थोवा नियंठा पन्नागा संखेजगुणा सिणाया संखेजगुणा बउसा संखेजगुणा पडिसेवणाकमीला संखेज्जगुणा कसायकुसीला संखेज्जगुणा 6,36 / सेवं भंते ! सेवं भनेति जाव विहरति 7 // सूत्रं 785 // पंचवीसमसयस्स छट्टो उद्दसत्रो ममत्तो। // इति पञ्चविंशतितमशतके षष्ठ उद्देशकः // 25-6 // Page #335 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 762 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः // अथ पञ्चविंशतितमशतके सप्तमसंयतोद्देशकः // कति णं मंते ! संजया पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंच संजया पराणत्ता, तंजहा-सामाइयसंजए छेदोवट्ठावणि(ट्ठाणि)यसंजयए परिहारविसुद्धियसंजए सुहमसंपरायसंजए अहक्खायसंजए 1 / सामाइयसंजए णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-इत्तरिए य श्रावकहिए य 2 / छेयोवट्ठावणियसंजए णं पुच्छा, गोयमा ! दुविहे पराणत्ते, तंजहा-सातियारे य निरतियारे य 3 / परिहारविसुद्धियसंजए पुच्छा, गोयमा ! दुविहे पराणत्ते, तंजहा-णिव्विसमाणए य निविट्ठकाइए य 4 / सुहुमसंपराग पुच्छा, गोयमा ! दुविहे पराणत्ते, तंजहा-संकिलिस्समाणए य विसुद्धं(ज्म)माणए य 5 / ग्रहक्खायसंजए पुच्छा, गोयमा-! दुविहे पराणत्ते, तंजहा-छउमत्थे य केवली य 6 / सामाइयंमि उ कए चाउजामं अणुत्तरं धम्मं / तिविहेणं फासयंतो सामाइयसंजयो स खलु // 1 // छेत्तण उ परियागं पोराणं जो ठवेइ अप्पाणं / धम्ममि पंचनामे छेदोवट्ठावणो स खलु // 2 // परिहरइ जो विसुद्धं तु पंचयाम अणुत्तरं धम्मं / तिविहेणं फासयंतो परिहारियसंजयो स खलु // 3 // लोभाणु वेययंतो जो खलु उवसामथो व खवयो वा / सो सुहुमसंपराश्रो ग्रहक्खाया ऊणयो किंचि // 4 // उवसंते खीणमि व जो खलु कम्ममि मोहणिज्जंमि / छउमत्थो व जिणो वा अहक्खायो संजयो स खलु // 5 // सूत्रं 786 // सामाइयसंजए णं भंते ! किं सवेदए होजा अवेदए होजा ?, गोयमा ! सवेदए वा होजा अवेदए वा होजा 1 / जइ सवेदए एवं जहा कसायकुसीले तहेव निरवसेसं, एवं छेदोवट्ठावणियसंजएवि 2 / परिहारविसुद्धियसंजयो जहा पुलायो 3 / सुहुमसंपरायसंजो अहक्खायसंजयो य जहा नियंठो 2, 4 / सामाइयसंजए णं भंते ! कि सरागे होजा वीयरागे होजा ?, गोयमा! सरागे होजा. नों वीयरागे होजा, एवं सुहुमसंपरायसंजए, अहक्खायसंजए जहा नियंठे Page #336 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र : शतकं 25 : उद्देशकः 7 ] [763 3, 5 // सामाइयसंजमे णं भंते ! किं ठियकप्पे होज्जा अट्ठियकप्पे होजा ?, गोयमा ! ठियकप्पे वा होजा अट्ठियकप्पे वा होजा 6 / छेदोवट्ठावणियसंजए पुच्छा, गोयमा ! ठियकप्पे होजा नो अट्ठियकप्पे होजा, एवं परिहारविसुद्धियसंजएवि, सेसा जहा सामाइयसंजए 7 / सामाइयसंजए णं भंते ! किं जिणकप्पे होजा थेरकप्पे वा होजा कप्पातीते वा होजा ?, गोयमा ! जिणकप्पे वा होजा = | जहा कसायकुसीले तहेव निरवसेसं, छेदोवद्यावणियो परिहारविसुद्धियो य जहा बउसो, सेसा जहा नियंठे 4, 1 ।सूत्रं 787 // सामाइयसंजए णं भंते ! किं पुलाए होजा बउसे जाव सिणाए होजा?, गोयमा! पुलाए वा होजा बउसे जाव कसायकुसीले वा होजा नो नियंठे होजा नो सिणाए होजा, एवं छेदोवद्यावणिएवि 1 / परिहारविसुद्धियसंजए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा! नो पुलाए नो बउसे नो पडिसेवणाकुसीले होजा कसायकुसीले होजा नो नियंठे होजा नो सिणाए होजा, एवं सुहुमसंपराएवि 2 / अहक्खायसंजए पुच्छा, गोयमा ! नो पुलाए होजा जाव नो कमायकुसीले होजा नियंठे वा होजा सिणाए वा होजा 5, 3 / सामाइयसंजए णं भंते ! किं पडिसेवए होजा अपडिसेवए होजा?, गोयमा! पडिसेवए वा होजा अपडिसेवए वा होजा, जइ पडिसेवए होजा कि मूलगुणपडिसेवए होजा सेसं जहा पुलागस्स, जहा सामाइयसंजए एवं छेदोवट्ठावणिएवि 4 / परिहारविसुद्धियसंजए पुच्छा, गोयमा ! नो पडिसेवए होजा अपडिसेवए होजा एवं जाव अहक्खायसंजए 6, 5 / सामाइयसंजए णं भंते ! कतिसु नाणेसु होजा ?, गोयमा ! दोसु वा तिसु वा चउसु वा नाणेसु होजा, एवं जहा कसायकुसीलस्स तहेव चत्तारि नाणाई भयणाए. एवं जाव सुहुमसंपराए 6 / अहक्खायसंजयस्स पंच नाणाई भयणाए जहा नाणुद्दे सए 7 / सामाइयसंजए णं भंते ! केवतियं सुयं अहिज्जेजा ?, गोयमा ! जहन्नेणं अट्ठ पवयणमायायो जहा कसाय Page #337 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 764 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः कुसीले, एवं छेदोवट्ठावणिएवि 8 / परिहारविसुद्धियसंजए पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं नवमस्स पुवस्स ततियं पायावत्थु उकोसेणं असंपुन्नाई दस पुबाई. अहिज्जेजा सुहेमसंपरायसंजए जहाँ सामाइयसंजए 1 | अहक्खायसंजए पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अट्ठ पवर्यणमायायो उक्कोसेणं चोइस पुब्वाइं अहिज्जेजा सुयवतिरित्ते वा होजा 7, 10 / सामाइयसंजए णं भंते ! कि तित्थे होजा अतित्थे होजा ?, गोयमा ! तित्थे वा होजा अतित्थे वा होजा जहा कसायकुसीले 11 / छेदोदट्टावणिए परिहारविसुद्धिए य जहा पुलाए, सेसा जहा सामाइयर्सजए 8, 12 / सामाइयसंजए णं भंते ! किं सलिंगे होजा अन्नलिंगे होजा गिहिलिंगे होजा जहा पुलाएं, एवं छेदोवद्यावणिएवि. 13 / परिहारविसद्धियसंजए णं भंते ! किं पुच्छा, मोयमा ! दव्वलिंगपि भावलिंगपि पडुच्च सलिंगे होजा नो अन्नलिंगे होजा नो गिहिलिंगे होजा, सेसा जहा सामाइयसंजए 1, 14 / सामाइयसंजए णं भंते ! कतिसु सरीरेसु होजा?, गोयमा ! तिसु वा चउसु वा पंचसु वा. जहा कसायकुसीले, एवं छेदोवठ्ठावणिएवि सेसा जहा पुलाए 10, 15 / सामाइयसंजए णं भंते ! किं कम्मभूमीए होजा अकम्मभूमिए होजा ?, गोयमा ! जम्मणं संतिभावं च पडुच्च कम्मभूमीए नो अकम्मभूमीए जहा बउसे, एवं छेदोवट्ठावणिएवि 16 / परिहारविसुद्धिए य जहा पुलाए, सेसा जहा सामाइसंजए 11, 17 // सूत्रं 788 // सामाइयसंजए णं भंते ! किं श्रोसप्पिणीकाले होजा उस्सप्पिणिकाले होजा नोयोसप्पिणि-नोउस्सप्पिणिकाले होजा ?, गोयमा ! श्रोसप्पिणिकाले जहा बउसे, एवं छेदोवट्ठावणिएवि, नवरं जम्मणं संतिभावं च पडुच्च चउसुवि पलिभागेसुः नत्थि साहरणं पडुच्च अन्नयरे पडि. भागे होजा, सेसं तं चेव 1 / परिहारविसुद्धिए पुच्छा, गोयमा ! श्रोसप्पिणिकाले वा होजा उस्सप्पिणिकाले वा होज्जा. नोयोसप्पिणि Page #338 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 25 :: उद्देशकः 7] [765 नोउस्सप्पिणिकाले नो होजा, जइ योसप्पिणिकाले होजा जहा पुलायो, उम्मप्पिणिकालेवि जहा पुलायो, सुहुमसंपराइयो जहा नियंठो, एवं यहक्खायोवि 2, 12 // सूत्रं 781 // सामाइयसंजए णं भंते ! कालगए समाणे किं गतिं गच्छति ?, गोयमा ! देवगति गच्छति 1 / देवगति गच्छमाणे कि भवणवासीसु उववज्जेजा वाणमंतरेसु उववज्जेजा जोइसिएसु उववज्जेजा वेमाणिएसु उववज्जेजा ?, गोयमा ! णो भवणवासीसु उववज्जेजा जहा कसायकुसीले, एवं छेदोवट्ठावणिएवि, परिहारविसुद्धिए जहा पुत्लाए, सुहुमसंपराए जहा नियंठे 2 / अहक्खाए. पुच्छा, गोयमा ! एवं यहक्खायसंजएवि जाव अजहन्नमणुकोसेणं श्रगुत्तरविमाणेसु उववज्जेजा, यत्थेगतिए सिझति जाव अंतं करेंति 3 / सामाइयसंजए णं भंते ! देवलोगेसु उववजमाणे कि इंदत्ताए उववज्जति पुच्छा, गोयमा ! अविराहणं पडुच्च एवं जहा कसायकुसीले, एवं छेदोवट्ठावणिएवि, परिहार. विसुद्धिए जहा पुलाए, सेसा जहा नियंठे 4 / सामाइयसंजयस्स णं भंते ! देवलोगेसु उबवजमाणस्स केवतियं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं दो पलिग्रोवमाइं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई, एवं छेदोवट्टावणिएवि 5 / परिहारविसुद्धियस्स पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं दो पलियोवमाई उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमाई, सेसाणं जहा नियंठस्स 6, 13 / सूत्रं 710 // सामाइयसंजयस्स णं भंते ! केवइया संजमट्ठाणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! असंखेजा संजमट्ठाणा पराणत्ता, एवं जाव परिहारविसुद्धियस्स 1 / सुहुमसंपरायसंजयस्स पुच्छा, गोयमा! असंखेजा 'अंतोमुहुत्तिया मंजमट्ठाणा पराणत्ता 2 / अहक्खायसंजयस्स पुच्छा, गोयमा ! एगे यजहन्नमणुकोसए संजमट्ठाणे 3 / एएसि णं भंते ! सामाइय-छेदोवट्ठावणिय--परिहारविसुद्धिय-सुहुमसंपराग-ग्रहक्खायसंजयाणं संजमट्ठाणाणं कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवे अहक्खायसंजमस्स Page #339 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 766 . . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // तृतीयो विमान एगे. अजहन्नमणुकोसए संजमट्ठाणे सुहुमसंपरागसंजयस्स अंतोमुहुत्तिया संजमट्ठाणा असंखेजगुणा परिहारविसुद्धियसंजयस्स संजमट्ठाणा असंखेजगुणा सामाइयंसंजयस्त छेदोवट्टावणियसंजयस्स य एएसि णं संजमट्टाणा दोराहवि तुल्ला असंखेजगुणा 3, 14 // सूत्रं 711 // सामाइयसजयस्स णं भंते ! केवइया चरित्तपजवा पराणत्ता ?, गोयमा ! अणंता चरित्तपजवा पराणत्ता, एवं जाव ग्रहक्खायसंजयस्स 1 / सामाइयसंजए णं भंते ! सामाझ्यसंजयस्स सट्टाणसन्निगासेणं चरित्तपजवेहिं कि हीणे तुल्ले अन्भहिए ?, गोयमा ! सिय हीणे छट्टाणवडिए 2 / सामाइयसंजए णं भंते ! छेदोवट्ठावणियसंजयस्स परट्ठाणसन्निगासेणं चरित्तपनवेहिं पुच्छा, गोयमा ! सिय हीणे छट्ठाणवडिए, एवं परिहारविसुद्धियस्सवि 3 / सामाइयसंजए णं भंते ! सुहमसंपरागसंजयस्म परट्टाणसन्निगासेणं चरित्तपजवे पुच्छा, गोयमा ! हीणे नो तुल्ले नो अब्भहिए अणंतगुणहीणे, एवं हक्खायसंजयस्सवि, एवं छेदोवट्ठावणिएवि, हेट्ठिल्लेसु तिसुवि समं छट्ठाणवडिए उवरिल्लेसु दोसु तहेव हीणे, जहा छेदोवट्ठावणिए तहा परिहारविसुद्धिएवि 4 / सुहुमसंपरागसंजए णं भंते ! सामाझ्यसंजयस्स परट्ठाण पुच्छा, गोयमा! नो हीणे नो तुल्ले अन्भहिए अणंतगुणमब्भहिए, एवं छेत्रोवट्ठावणियपरिहारविसुद्धिएसुवि समं सटाणे सिय हीणे नो तुल्ले सिय अब्भहिए, जइ हीणे अणंतगुणहीणे यह अभहिए अणंतगुणमब्भहिए 5 / सुहुमसंपरायसंजयस्स अहक्खायसंजयस्स परहाणे पुच्छा, गोयमा ! हीणे नो तुल्ले नो अब्भहिए अणंतगुणहीणे, अहक्खाए हेट्ठिलाणं चउराहवि नो हीणे नो तुल्ले अब्भहिए अणंतगुणमब्भहिए, सट्ठाणे नो हीणे तुल्ले नो अब्भहिए 6 / एएसि णं भंते ! सामाइय छेदोवट्ठावणिय-परिहारविसुद्धिय--सुहुमसंपराय-हक्खायसंजयाणं जहन्नुकोसगाणं चरित्तपजवाणं कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सामाइय Page #340 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमन्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) मूत्रं :: शतकं 25 :: उद्देशकः 7 ] ( 767 संजयस्स छेत्रोवट्ठावणियसंजयस्स य एएसि णं जहन्नगा चरित्तपन्जवा दोराहवि तुल्ला सव्वत्थोवा परिहारविसुद्धियसंजयस्स जहन्नगा चरित्तपजवा यणंतगुणा तस्स चेव उक्कोसगा चरित्तपजवा अणंतगुणा सामाइयसंजयस्स छेयोवट्ठावणियसंजयस्स य एएसि णं उक्कोसगा चरित्तपजवा दोगहवि तुल्ला अनंतगुणा सुहुमसंपरायसंजयस्स जहन्नगा चरित्तपज्जवा अांतगुणा तस्स चेव उक्कोसगा चरित्तपजवा अणंतगुणा अहक्खायसंजयस्स अजहन्नमणुकोसगा चरित्तपजवा अणंतगुणा 7, 15 / सामाझ्यसंजए णं भंते ! कि सजोगी होजा अजोगी होजा ?, गोयमा ! सजोगी जहा पुलाए एवं जाव सुहुमसंपरायसंजए अहक्खाए जहा सिणाए 8, 16 / सामाइयसंजए णं भंते ! किं सागारोवउत्ते होजा अणागारोवउत्ते होजा ?, गोयमा ! सागारोवउत्ते जहा पुलाए एवं जाव अहक्खाए, नवरं सुहुमसंपराए सागारोवउत्ते होजा नो अणागारोवउत्ते होजा 1, 17 / सामाइयसंजए णं भंते ! किं सकसायी होजा अकसायी होजा ?, गोयमा ! सकसायी होज्जा नो अकसायी होजा, जहा कसायकुसीले, एवं छेदोवट्ठावणिएवि, परिहारविसुद्धिए जहा पुलाए 10 / सुहमसंपरागसंजए पुच्छा, गोयमा ! सकसायी होजा नो अकसायी होजा 11 / जइ सकसायी होजा से णं भंते ! कतिसु कसायेसु होज्जा ?, गोयमा ! एगंमि संजलणलोभे होज्जा, अहक्खायसंजए जहा नियंठे 12, 18 / सामाइयसंजए णं भंते ! किं सलेस्से होज्जा अलेस्से होजा ?, गोयमा ! सलेस्से होज्जा जहा कसायकुसीले, एवं छेदोवट्ठावणिएवि, परिहारविसुद्धिए जहा पुलाए, सुहुमसंपराए जहा नियंठे, अहक्खाए जहा मिणाए, नवरं जइ सलेस्से होजा एगाए सुक्कलेस्साए होजा 11, 11 // सूत्रं 71 2 // सामाइयसंजए णं भंते ! किं वड्डमाणपरिणामे होजा हीयमाणपरिणामे अवट्ठियपरिणामे ?, गोयमा ! वड्डमाणपरिणामे जहा पुलाए, एवं जाव परिहारविसुद्धिए 1 / सुहमसंपराय पुच्छा, गोयमा ! वट्ठमाण Page #341 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 768 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः परिणामे वा होजा हीयमाणपरिणामे वा होजा नो अवट्ठियपरिणामे होजा, अहक्खाए जहा नियंठे 2 / सामाइयसंजए णं भंते ! केवतियं कालं वट्ठमाणपरिणामे होजा ?, गोयमा ! जहराणेणं एवकं समयं जहा पुलाए, एवं जाव परिहारविसुद्धिएवि 3 / सुहमसंपरागसंजए णं भंते ! केवतियं कालं वड्डमाणपरिणामे होजा ?, गोयमा ! जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं 4 / केवतियं कालं हीयमाणपरिणामे एवं चेव 5 / अहक्खायसंजए णं भंते ! केवतियं कालं वड्डमाणपरिणामे होजा?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 6 / केवतियं कालं अवट्ठियपरिणामे होजा ?, गोयमा ! जहन्नेणं एक समयं उक्कोसेणं देसूणा पुवकोडी 7, 20 ॥सूत्रं 713 // सामाइयसंजए णं भंते ! कइ कम्मप्पगडीयो बंधइ ?, गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अट्टविहवंधए वा एवं जहा बउसे, एवं जाव परिहारविसुद्धिए 1 / सुहुमसंपरागसंजए पुच्छा, गोयमा ! श्राउयमोहणिज्जवजायो छ कम्मप्पगडीश्री बंधति, अहक्खाए संजए जहा सिणाए 2,21 / सामाइयसंजए णं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो वेदेति ?, गोयमा ! नियम अट्ठ कम्मप्पगडीयो वेदेति, एवं जाव सुहुमसंपराए 3 / अहक्खाए पुच्छा, गोयमा ! सत्तविहवेयए वा चउबिहवेयए वा, सत्तविहवेदेमाणे मोहणिजवजाश्रो सत्त कम्मप्पगडीयो वेदेति, चत्तारि वेदेमाणे वेयणिजाउयनामगोयायो चत्तारि कम्मप्पगडीयो वेदेति 4, 22 / सामाइयसंजए णं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो उदीरेति ?, गोयमा ! सत्तविहउदीरए वा जहा बउसो, एवं जाव परिहारविसुद्धीए 5 / सुहमसंपराए पुच्छा, गोयमा ! छविह उदीरए वा पंचविह उदीरए वा, छ उदीरेमाणे श्राउय-वेयणिजवजारो छ कम्मप्पगडीयो उदीरेइ पंच उदीरेमाणे आउय-वेयणिज-मोहणिजवजारो पंच कम्मप्पगडीयो उदीरेइ 6 / श्रहक्खायसंजए पुच्छा, गोयमा ! पंचविह उदीरए वा दुविह उदीरए वा श्रणुदीरए वा, पंच उदीरेमाणे श्राउय-वेयणिज Page #342 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 25 :: उदे शकः 7 / / 766 मोहणिज-बजायो पंच कम्मप्पगडीयो उदीरेइ, सेसं जहा नियंठस्स 7, 23 // सूत्रं 714 // सामाइयसंजए णं भंते ! सामाइयसंजयत्तं जहमाणे किं जहति किं उपसंपजति ?, गोयमा ! सामाइयसंजयत्तं जहति छेदोवट्ठावणियसंजयं वा सुहुमसंपरागसंजयं वा असंजमं वा संजमासंजमं वा उवमंपजति 1 / छेग्रोवट्ठावणिए पुच्छा, गोयमा! छेयोवट्ठावणियसंजयत्तं जहति सामाइयसंजयत्तं जहति परिहारविसुद्धिसंजयत्तं जहति सुहुमसंपरायसंजयत्तं जहति असंजयत्तं जहति संजमासंजम वा उवसंपजति 2 / परिहारविसुद्धिए पुच्छा, गोयमा ! परिहारविसुद्धियसंजयत्तं जहति छेदोवट्ठावणियमंजयं वा असंजमं वा उपसंपज्जति 3 / सुहुमसंपराए पुच्छा, गोयमा ! सुहुमसंपरायसंजयत्तं जहति सामाइयसंजयं वा छेत्रोवट्ठावणियसंजयं वा ग्रहक्खायसंजयं वा असंजमं वा उपसंपजइ 4 / अहक्खायसंजए णं पुच्छा, गोयमा ! ग्रहक्खायसंजयत्तं जहति सुहुमसंपरागसंजयं वा असंजमं वा सिद्धिगति वा उपसंपजति 5, 24 // सूत्रं 795 // सामाइयसंजए णं भंते ! कि सन्नोवउत्ते होजा नोसन्नोवउत्ते होजा ?, गोयमा ! सन्नोवउत्ते जहा बउसो, एवं जाव परिहारविसुद्धिए, सुहुमसंपराए अहक्खाए य जहा पुलाए 1, 25 / सामाइयसंजए णं भंते ! किं श्राहारए होजा अणाहारए होजा, जहा पुलाए, एवं जाव सुहुमसंपराए, श्रहक्खायसंजए जहा सिणाए 2, 26 / सामाइयसंजए णं भंते ! कति भवग्गहणाइं होजा?, गोयमा ! जहराणेणं एक्कं समयं उकोसेणं अट्ठ, एवं छेदोवट्ठावणिएवि 3 / परिहारविसुद्धिए पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं तिन्नि, एवं जाव ग्रहक्खाए 4, 27 / / 766 // सामाइयसंजयस्स णं भंते ! एगभवग्गहणिया केवतिया श्रागरिसा पगणता ?, गोयमा ! जहन्नेणं जहा बउसस्स 1 / छेदोवट्ठावणियस्स पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं एको उक्कोसेणं वीसपुहुत्तं 2 / परिहारविसुद्धियस्स पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं Page #343 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 770 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभागः एको उकोसेणं तिन्नि 3 / सहुमसंपरायस्स पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं एको उकोसेणं चत्तारि 4 / अहक्खायस्स पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं एको. उक्कोसेणं दोनि 5 / सामाझ्यसंजयस्स णं भंते ! नाणाभवग्गहणिया केवतिया अागरिसा पराणत्ता ?, गोयमा ! जहा बउसे 6 / छेदोवट्ठावणियस्स पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं दोन्नि उक्कोसेणं उवरिं नवराहं सयाणं अंतो सहस्सस्स, परिहारविसुद्धियस्स जहन्नेणं दोन्नि उकोसेणं सत्त, सुहुमसंपरागस्स जहन्नेणं दोन्नि उक्कोसेणं नव, अहक्खायस्स जहन्नेणं दोन्नि उक्कोसेणं पंच 7 // सूत्रं 717 // सामाइयसंजए णं भंते ! कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं देसूणएहिं नवहिं वासेहिं उणिया पुवकोडी, एवं छेदोवद्यावणिएवि, परिहारविसुद्धिए जहन्नेणं एक समयं उकोसेणं देसूणएहि एकूणतीसाए वासेहिं ऊणिया पुवकोडी, सुहुमसंपराए जहा नियंठे, अहक्खाए जहा सामाइयसंजए 1 / सामाइयसंजया णं भंते ! कालो केवच्चिरं होइ ?, गोयमा ! सव्वद्धा 2 / छेदोवट्ठावणिएसु .पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अट्ठाइजाई वाससयाई उक्कोसेणं पन्नासं सागरोवमकोडिसयसहस्साई 3 / परिहारविसुद्धीए पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं देसूणाई दो वाससयाई उक्कोसेणं देसूणाश्रो दो पुव्वकोडीयो 4 / सुहुमसंपरागसंजया. णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं एक्कं समयं उकोसेणं अंतोमुहुत्तं, अहक्खायसंजया जहा सामाइयसँजया 5, 21 / सामाइयसंजयस्स 2 णं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं जहा पुलागस्स एवं जाव अहक्खायसंजयस्स 6 / सामाइयसंजयाणां. भंते ! पुच्छा, गोयमा ! नस्थि अंतरं 7 / छेदोवट्ठावणिय पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं तेवहिँ वाससहस्साइं उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमकोडाकाडीयो 8 / परिहारविसुद्धियस्स पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं चउरासीई वाससहस्साई उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमकोडा Page #344 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 25 :: उद्देशकः 7 ] / 771 कोडीयो, सुहुमसंपरायाणं जहा नियंठगणं, ग्रहक्खायाणं जहा सामाइयसंजयाणं 1, 30 / सामाइयसंजयस्स णं भंते ! कति समुग्घाया पन्नत्ता ?, गोयमा ! छ समुग्घाया पन्नत्ता, तं जहा कसायकुसीलस्स, एवं छेदोवट्ठावणियस्सवि, परिहारविसुद्धियस्स जहा पुलागस्स, सुहमसंपरागस्स जहा नियंठस्स, अहक्खायस्स जहा सिणायस्स 10, 31 / सामाइयसंजए णं भंते ! लोगस्स किं संखेजइभागे होजा असंखेज्जइभागे पुच्छा, गोयमा ! नो संखेजइ जहा पुलाए, एवं जाव सुहुमसंपराए। ग्रहक्खायसंजए जहा मिणाए 11, 33 / सामाइयसंजए णं भंते ! लोगस्स कि संखेज्जइभागं फुसइ जहेव होज्जा तहेव फुसइ 12, 33 / सामाइयसंजए णं भंते ! कयरंमि भावे होज्जा ?, गोयमा ! उबसमिए भावे होज्जा, एवं जाव सुहुमसंपराए 13 / अहक्खायसंपराए पुच्छा, गोयमा ! उपसमिए वा खइए वा भावे होज्जा 14, 34 / सामाइयसंजयाणं भंते ! एगसमएणं केवतिया होज्जा ?, गोयमा! पडिवज्जमाणए य पडुच्च जहा कसायकुसीला तहेव निरवसेसं 15 / छेदोवट्ठावणिया पुच्छा, गोयमा ! पडिवज्जमाणए पडुच्च सिय यत्थि सिय नत्थि, जइ अस्थि जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं सयपुडुत्त, पुव्वपडिवन्नए पडुच्च सिय अस्थि सिय नत्थि, जइ अस्थि जहन्नेणं कोडिसयपुहुत्तं उक्कोसेणवि कोडिसयपुहुत्तं, परिहारविसुद्धिया जहा पुलागा, सुहुमसंपराया जहा नियंठा 16 / अहक्खायसंजयाणं पुच्छा, गोयमा ! पडिवजमाणए पडुच्च सिय अत्थि सिय नत्थि, जइ अस्थि जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं बावट्ठसयं अट्ठत्तरसयं (अट्ठसयं) खबगाणं चउप्पन्नं उवसामगाणं, पुव्वपडिवन्नए पडुच्च जहन्नेणं कोडिपुहुत्तं उक्कोसेणवि कोडिपुहुत्तं 17 / एएसि णं भंते ! सामाइय अोवट्ठावणिय-परिहारविसुद्धिय-सुहुमसंपराय-अहक्खायसंजयाणं कयरे 2 जाव विसेसाहिया ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा सुहुमसंपरायसंजया परिहार. Page #345 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 772 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः विसुद्धियसंजया संखेजगुणा ग्रहक्खायसंजया संखेजगुणा छेत्रोवट्ठावणियसंजया संखेजगुणा सामाइयसंजया संखेजगुणा 18, 36 // सूत्रं 718 // पडिसेवण दोसालोयणा य पालोयणारिहे चेव / तत्तो सामायारी पायच्छित्ते तवे चेव // 1 // कइविहा णं भंते ! पडिसेवणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दसविहा पडिसेवणा पराणत्ता, तंजहा-दप्प 1 प्पमाद 2 ऽणाभोगे 3, अाउरे 4 श्रावती 5 ति य 1 / संकिन्ने (संकिए, तितिणे) 6 सहसकारे, 7 भय 8 प्पोसा 1 य वीमंसा 10 // 1 // दस बालोयणादोसा पन्नत्ता, तंजहा-याकंपइत्ता 1. अणुमाणइत्ता 2 जं दिट्ठ 3 बायरं च 4 सुहुमं वा 5 / छन्नं 6 सदाउलयं 7 बहुजण 8 अन्वत्त 1 तस्सेवी 10 // 2 // दसहि ठाणेहिं संपन्ने अणगारे अरिहति अत्तदोसं पालोइत्तए, तंजहा-जातिसंपन्ने - 1 कुलसंपन्ने 2 विणयसंपन्ने 3 णाणसंपन्ने 4 दसणसंपन्ने 5 चरित्तसंपन्ने 6 खंते 7 देते 8 अमायी 1 अपच्छाणुतावी 10, 2 / अट्टहिं ठाणेहिं संपन्ने अणगारे अरिहति आलोयणं पडिच्छित्तए, तंजहा-पायावं 1 श्राहावं (अाधारवं, अवधारवं) 2 ववहारवं 3 उन्वीलए 4 पकुव्वए 5 अपरिस्सावी 6 निजवए 7 अवायदंसी 8, 3 // सूत्र 761 // दसविहा सामायारी पराणत्ता; तंजहा-इच्छा 1 मिच्छा 2 तहकारे 3, श्रावस्सिया य 4 निसीहिया 5 / आपुच्छणा य 6 पडिपुच्छा 7, छंदणा य 8 निमंतणा 1 // 1 // उवसंपया 10 य काले, सामायारी भवे दसहा // सूत्रं 800 // दसविहे पायच्छित्ते पराणत्ते, तंजहा-बालो. यणारिहे पडिक्कमणारिहे तदुभयारिहे विवेगारिहे विउसग्गारिहे तवारिहे छेदारिहे मूलारिहे अणवठ्ठप्पारिहे पारंचियारिहे // सूत्रं 801 // दुविहे तवे पन्नत्ते, तंजहा-बाहिरिए य अभितरए य 1 / से किं तं बाहिरिए तवे ?, बाहिरए तवे छब्बिहे पराणत्ते, तंजहा-अणसण ऊणोयरिया भिक्खायरिया य रसपरिचायो। कार्याकलेसो पडिसंलीणया बन्झो तवो Page #346 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 25 :: उद्देशकः 7] [773 होइ // 1 // से किं तं अणसणे ?, अणसणे 2 दुविहे पराणत्ते. तंजहाइत्तरिए य श्रावकहिए य 2 / से किं तं इत्तरिए ?, 2 अणेगविहे पन्नत्ते, तंजहा-चउत्थे भत्ते छ8 भत्ते अट्ठमे भत्ते दसमे भत्ते दुवालसमे भत्ते बौदसमे भत्ते अद्धमासिए भत्ते मासिए भत्ते दोमासिए भत्ते तेमासिए भत्ते जाव छम्मासिए भत्ते, सेत्तं इत्तरिए 3 / से किं तं श्रावकहिए ?, यावकहिए 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-पायोवगमणे य भत्तपच्चक्खाणे य 4 / से कि नं पायोवगमणे ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-नीहारिमे य अणीहारिमे य नियमं अपडिकम्मे, से तं पायोवगमणे 5 / से किं तं भत्तपञ्चक्खाणे ?, भत्तपञ्चक्खाणे 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-नीहारिमे य अनीहारिमे य नियम मपडिक्कमे, सेत्तं भत्तपञ्चक्खाणे, सेत्तं श्रावहिए, सेत्तं अणसणे 6 / से कि नं प्रोमोयरिया ?, योमायरिया दुविहा पराणत्ता, तंजहा-दब्वोमोयरिया य भावोमोयरिया य 7 / से किं तं दव्योमोयरिया ?, 2 दुविहा पराणत्ता, नंजहा-उवगरणदव्योमोयरिया य भत्तपाणदव्योमोयरिया य 8 / से कि नं उबगरणदब्वोमोयरिया ?, 2 तिविहा पराणत्ता, तंजहा-एगे वत्थे एगे पादे चियत्तोवगरणसातिजणया, सेत्तं उवकरणदव्योमायरिया 1 / से किं तं भत्तपाणदव्वोमोयरिया ?, 2 थट्ठ-कुक्कुडि-अंडगप्प. माणमेत्ते काले अाहारं श्राहारेमाणस्स अप्पाहारे दुवालस जहा सत्तमसए पटमोदसए जाव नो पकामरसभोतीति वत्तव्वं सिया, सेत्तं भत्तपाणदव्वोमायरिया, सेत्तं दबोमोयरिया 10 / से किं तं भावोमोयरिया ?, भावोमायरिया अणेगविहा पराणत्ता, तंजहा-यप्पकोहे जाव अप्पलोभे अप्पसद्दे अप्पझञ्झे अप्पतुमंतुमे, सेत्तं भावोमोदरिया, सेत्तं श्रोमोयरिया 11 / से किं त भिक्खायरिया ?, 2 अणेगविहा पराणत्ता, जहा-दब्बाभिग्गहचरए जहा उववाइए जाव सुद्धेसणिए संखादत्तिए, सेत्तं भिखायरिया 12 / से किं तं रसपरिचाए ?, 2 अणेगविहे पराणत्ते, तंजहा Page #347 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 774 / . ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः निविगितिए पणीयरसविवजए जहा उववाइए जाव लूहाहारे, सेत्तं रसपरिचाए 13 / से किं तं कायकिलेसे ?, कायकिलेसे अणेगविहे परागते, तंजहा-ठाणादीए उक्कुडुयासणिए जहा उववाइए जाव सव्वगायपडिकम्मविप्पमुक्के, सेतं कायकिलेसे 14 / से किं तं पडिसंलीणया ?, पडिसंलीणया चउबिहा पराणत्ता, तंजहा-इंदियपडिसंलीणया कसायपडिसंलीणया जोगपडिसंलीणया विवित्तसयणासणसेवणया 15 / से कि तं इंदियपडिसंलीणया ?, 2 पंचविहा पराणत्ता, तंजहा-सोहंदियविसयप्पयारणिरोहो वा सोइंदियविसयप्पत्तेसु वा अत्थेसु रागदोसविणिग्गहो चक्खिदियविसय-प्पयारणिरोहो, एवं जाव फासिंदिय-विसय-पयारणिरोहो वा फासिंदिय-विसयप्पत्तेसु वा अत्थेसु रागदोसविणिग्गहो, सेत्तं इंदियपडिसंलीणया 16 / से किं तं कसायपडिसंलीणया ?, कसायपडिसंलीणया चउविहा पराणत्ता, तंजहा-कोहोदयनिरोहो वा उदयप्पत्तस्स वा कोहस्स विफलीकरणं एवं जाव लोभोदयनिरोहो वा उदयपत्तस्स वा लोभस्स विफलीकरणं, सेतं कसायपडिसंलीणया 17 / से किं तं जोगपडिसंलीणया ?, जोगपडिसंलीणया तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-अकुसलमणनिरोहो वा कुसलमणउदीरणं वा मणस्स वा एगत्तीभावकरणं अकुसलवइनिरोहो वा कुसलवइउदीरणं वा वइए वा एगत्तीभावकरणं 18 / से किं तं कायजोगपडि. संलीणया ?, 2 जन्नं सुसमाहिय-पसंत साहरियपाणिपाए कुम्मो इव गुतिदिए अल्लीणे पल्लीणे चिट्टति, सेत्तं कायपडिसंलीणया, सेत्तंजोगपडिसंलीणया 11 | से किं तं विवत्त-सयणासणसेवणया ?, विवित्तसयणासणसेवणया जन्नं बारामेसु वा उजाणेसु वा जहा सोमिलुद्देसए जाव सेजसंथारगं उपसंपजित्ताणं विहरइ, सेत्तं विवित्त-सयणासणसेवणया, सेत्तं पडिसंलीणया, सेत्तं बाहिरए तवे 1,20 / से कि तं अभितरए तवे ?, 2 छविहे पण्णत्ते, तंजहा-पायच्छित्तं विणयो वेयावच्चं तहेव सज्झायो झाणं विउ Page #348 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :, शतकं 25 :: उद्देशकः 7 ] [ 775 मग्गो 21 / से किं तं पायच्छित्ते ?, पायच्छित्ते 2 दसविहे पराणत्ते, नंजहा-यालोयणारिहे जाव पारंचियारिहे, सेत्तं पायच्छित्ते 22 / से कि तं विणए ?, विणए सत्तविहे पन्नत्ते, तंजहा-नाणविणए दंसणविणए चरित्तविणए मणविणए वयविणए कायविणए लोगोवयारविणए 23 / से किं तं नाणविणए ?, 2 पंचविहे पण्णरे, तंजहा-श्राभिणियोहिय. नाणविणए जाव केवलनाणविणए, सेत्तं नाणविणए. 24 / से किं तं दसणविणए ?, दंसणविणए दुविहे पराणत्ते, तंजहा-सुस्सूसणाविणए य अणचासादणाविणए य 25 / से कि तं सुस्सूमणाविणए ?, 2 अणेगविहे पराणत्ते, तंजहा-सकारेइ वा सम्माोइ वा जहा चोदसमसए ततिए उद्देसए जाव पडिसंसाहणया, सेत्तं सुस्सूसणाविणए 26 / से किं तं अणचासायणाविणए ?, 2 पणयालीसइविहे पराणत्ते, तंजहा-अरिहंताणं अणचासादणया अरिहंतपन्नत्तस्स धम्मस्स अणचासादणया पायरियाणं अणचासादणया उववज्झायाणं अणचासादणया थेराणं अणचासादणया कुलस्सयणचासादणया / गणस्स अणचासादणया संघस्स अणचासादया किरियाए अंणचासांदणया संभोगस्स अणचासायणया श्राभिणिबोहियनाणस्स अणचासायणया जाव केवलनाणस्त अणचासादणया 15, एएसि चेव भत्तिबहुमाणेणं एएसिं चेव वन्नसंजलणया, सेत्तं श्रणञ्चासायणयाविणए, सेत्तं दंसणविणए 27 / से किं तं चरित्तविणए ?, 2 पंचविहे पराणते, तंजहा-सामाझ्यचरित्तविणए जाव. अहक्खायचरित्तविणए, मत्तं चरित्तविणए 28 | से किं तं मणविणए ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहा-पसत्थमणविणए अपसत्थमणविणए य 21 / से कि तं पसत्थमणविणए ?, पसत्थमणविणाए-जे य मणे असावज्जे अकिरिए अककसे यकडुए अणिट्ठरे अफरुसे अणराहयकरे अछेयकरे अभेयकरे अपरि. लावणकरे अणुइवणकरे अभूयोरघाइए तहप्पगारं मगो पहारेज्जा, पसत्थ Page #349 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 776 ] व / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभाग मणविणए सत्तविहे पराणत्ते, तंजहा-अपावए असावज्जे श्रकिरिए निरुवक्कसे अणराहवकरे अच्छविकरे अभूयाभिसंकणे, सेत्तं पसत्थमणविणए 30 / से कि तं श्रप्पसत्थमणविणए ?, अप्पमत्थमणविणए -जे य मणे सावज्ज सकिरिए सककसे कडुए निठुरे फरसे अराहयकरे छेयकरे भेयकरे परि तावणकरे उद्दवणकरे भूग्रोवघाइए तहप्पगारं मणो णो पहारेजा, अप्प सत्थमणविणए सत्तविहे पराणते, तंजहा-पावए सावज्जे सकिरिए सउव केसे अराहवयकरे छविकरे भूयाभिसंकणे, सेत्तं अप्पसत्थमणविणण सेत्तं मणविणए 31 / से किं तं वइविणए ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहापसत्थवइविणए अप्पसत्थवइविणए य 32 / से किं तं पसत्थवइविणए / 2 सत्तविहे पराणते, तंजहा-अपावए जाव अभूयाभिसंकणे, सेत्तं पसत्य वइविणए 33 / से किं तं श्रप्पसत्थवइविणए ?, 2 सत्तविहे पराणत्ते. तंजहा-पावए सावज्जे जाव भूयाभिसंकणे, सेत्तं अपसत्थवयविणण सेत्तं वयविणए 34 / से किं तं कायविणए ?, 2 दुविहे पराणत्ते, तंजहापसत्थकायविणए य अपसत्थकायविणए य 35 / से किं तं पसत्थकाय विणए ?, 2 सत्तविहे पराणत्ते, तंजहा-थाउत्तं गमणं पाउत्तं ठाणं श्राउन निसीयणं पाउत्तं तुयट्टणं बाउत्तं उल्लंघणं थाउत्तं पल्लंघणं श्राउ सबिंदियजोगजुजणया, सेत्तं पसत्थकायविणए 36 / से किं तं अपसत्थ कायविणए ?, 2 सत्तविहे पन्नत्ते, तंजहा-प्रणाउत्तं गमणं जाव अणाउन सबिंदियजोगमुंजणया, सेतं अप्पसत्थकायविणए, सेत्तं कायविणए 37 ! से किं तं लोगोवयारविणए ?, 2 सत्तविहे पराणत्ते, तंजहाअब्भासवत्तियं परच्छंदाणुवत्तियं कजहेऊं कयपडिकतिया अत्तगवेसणया देसकालगण(गणु)या सव्वत्थेसु अप्पडिलोमया, सेत्तं लोगोवयारविणए. सेत्तं विणए 38 / से किं तं वेयावच्चे ?, 2 दसविहे पण्णत्ते, तंजहापायरियवेयावच्चे उवमाययावच्चे थेरवेयावच्चे तवस्सीवेयावच्चे गिलाग Page #350 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) त्रं : शतकं 25 : उद्देशकः 7] [777 वेयावच्चे सेहवेयावच्चे कुलवेयावच्चे गणवेयावच्चे संघवेयावच्चे साहम्मियवेयावच्चे, सेत्तं वेयावच्चे 31 / से किं तं समाए ?, सन्माए पंचविहे पनत्ते, तंजहा-वाणया पडिपुच्छणा परियट्टणा शृणुप्पेहा धम्मकहा, सेत्तं सज्झाए 40 // सूत्रं 802 // से किं तं झाणे ?, झाणे चउविहे पनत्ते, तंजहा-अट्ट झाणे रोहे झाणे धम्मे झाणे सुक्के झाणे, अट्टे झाणे चउबिहे पत्नत्ते, तंजहा-अमणुन-संपयोग-संपउत्ते तस्स विप्पयोग-सतिसमनागए यावि भवइ 1 मणुन-संपयोग-संपउत्ते तस्स अविप्पयोग-सतिसमनागए यावि भवइ 2 श्रायंक-संपयोग-संपउत्ते तस्स विप्पयोग-सतिसमन्नागए यावि भवइ 3 परिझुसिय-कामभोग-संपयोगसंपउत्ते तस्स अविप्पयोगसतिसमन्नागए यावि भवइ 4, अट्टस्स णं माणस्स चत्तारि लक्खणा पराणना, तंजहा-कंदणया सोयणया तिप्पणया परिदेवणया 1 / रोद्दज्झाणे चउबिहे पराणत्ते, तंजहा-हिंसाणुबंधी मोसाणुबंधी तेयाणुबंधी सारक्खणाणुबंधी, रोदस्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खणा पराणत्ता, तंजहा-श्रोस्सन्नदोसे बहुलदोसे अराणाणदोसे अामरणांतदोसे 2 / धम्मे झाणे चउविहे चउप्पडोयारे पराणत्ते, तंजहा-प्राणाविजए अवायविजए विवागविजए संठाणविजए, धम्मस्स णं माणस्स चत्तारि लक्खणा पराणत्ता, तंजहा-याणारुयी निसग्गरुयी सुत्तरुयी योगाढस्यी, धम्मस्स णं माणस्स चत्तारि बालंबणा पराणत्ता, तंजहा-वायणा पडिपुच्छणा परियट्टणा धम्मकहा, धम्मस्स णं झाणस्स चत्तारि अणुप्पेहात्रो पराणत्तायो, तंजहाएगत्ताणुप्पेहा अणिचाणुप्पेहा असरणाणुप्पेहा संसाराणुप्पेहा 3 / सुक्के झाणे चउविहे चउप्पडोयारे पराणत्ते, तंजहा-पुहुत्तवियक्के सवियारी 1 एगंतवियक्के अवियारी 2 सुहुमकिरिए अनियट्टी 3 समोच्छिन्नकिरिए अप्पडिवायी 4, सुक्कस्स णं माणस्स चत्वारि लक्खणा पराणत्ता, तंजहाखंती मुत्ती अजवे मद्दवे, सुक्कस्स णं माणस्स चत्तारि श्रालंबणा पराणत्ता, Page #351 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 778 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः तंजहा-श्रबहे असंमोहे विवेगे विउसग्गे, सुक्कस्स णं माणसं चत्तारि अणुप्पेहाथो परांणत्तायो, तंजहा-श्रणंतवत्तियाणुप्पेहा विप्परिणामाणुप्पेहा असुभाणुप्पेहा अवायाणुप्पेहा 4, सेत्तं झाणे // सूत्रं 803 // से किं तं विउसग्गे ?, विउसग्गे दुविहे पण्णत्ते, तंजहा-दव्वविउसग्गे य भावविउसग्गे य 1 / से कि तं दव्वविउसग्गे ?, दव्वविउसग्गे चउविहे पराणत्ते, तंजहा-गणविउसग्गे सरीरविउसग्गे उर्वहिविउमग्गे भत्तपाणविउसग्गे, सेत्तं दव्वविउसग्गे 2 / से कि तं भावविउसग्गे ?, भावविउसग्गे तिविहे पराणत्ते, तंजहा–कसायविउसंग्गो संसारविउसग्गो कम्मविउसग्गो 3 / से किं तं कसायविउसग्गे ?, कसायविउसग्गे चउब्विहे पराणत्ते, तंजहा-कोहविउसग्गे माणविउसग्गे मायाविउसग्गे लोभविउसग्गे, सेत्तं कसायविउसग्गे 4 / से किं तं संमारविउसंग्गे ?, संसारविउसग्गे. चउविहे पराणत्ते, तंजहा–नेरइयसंसारविउसग्गे जाव देवसंसारविउसग्गे, सेत्तं संसारविउसग्गे 5 / से किं तं कम्मविउसग्गे ?, कम्मविउसग्गें अट्ठविहे पराणत्ते, तंजहा-गाणावरणिज्जकम्मविउसग्गे जाव अंतराइयकम्मविउसग्गे, सेत्तं कम्मविउसग्गे, सेत्तं भावविउसग्गे, सेतं अभितरिए तवे 6 / सेवं भंते 2 ति जाव विहरइ // सूत्रं 804 // पंचविसतितमसए सत्तमो उद्दे सश्रो समत्तो। // इति पञ्चविंशतितमशतके सप्तम उद्देशकः // 25-7 // // अथ पञ्चविंशतितमशतके अष्टमाधुद्देशकाः / / रायगिहे जाव एवं वयासी-नेरइया गां. भंते ! कहं उववज्जंति ?, से जहानामए-पवए परमाणे अन्झवसाणनिव्वत्तिएणं करणोवारणं सेयकाले तं ठाणं विप्पजहिता पुरिमं ठाणं उवसंपजित्ताणं विहरइ एवामेव एएवि जीवा पवयोविव पवमाणा अज्झवसाणनिव्वत्तिएणं Page #352 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 25 :: उद्देशकाः 8-9-20 ] [ 776 करणोवाएणं सेयकाले तं भवं विप्पजहित्ता पुरिमं भवं उपसंपजित्ताणं विहरंति 1 / तेसि णं भंते ! जीवाणं कहं सीहा गती कहं सीहे गतिविसए पराणते ?, गोयमा ! से जहानामए-केइ पुरिसे तरुणे बलवं एवं जहा चोदसमसए पदमुद्दसए जाव तिसमएण वा विग्गहेणं उववज्जंति, तेसि णं जीवाणं तहा सीहा गई तहा सीहे गतिविसए पराणत्ते 2 / ते णं भंते ! जीवा कहं परभवियाउयं पकरेंति ? गोयमा ! अज्झवसाणजोगनिव्वत्तिएणं करणोवाएणं एवं खलु ते जीवा परभवियाउयं पकरेंति 3 / तेसि णं भंते ! जीवाणं कहं गती पवत्तइ ?, गोयमा ! थाउक्खएणं भवक्खएणं ठिइवखएणं, एवं खलु तेसि जीवाणं गती पवत्तति 4 / ते णं भंते ! जीवा किं बाइडीए उववज्जति परिडीए उववज्जति ?, गोयमा ! श्राइडीए उववज्जंति नो परिड्डीए उववज्जति 5 / ते णं भंते ! जीवा किं पायकम्मुणा उववज्जति परकम्मुणा उववज्जंति ?, गोयमा ! श्रायकम्मुणा उववज्जति नो परकम्मुणा उववज्जति 6 / ते णं भंते ! जीवा किं श्रायप्पयोगेणं उववज्जति परप्पयोगेणं उवववज्जति ?, गोयमा ! श्रायप्पयोगेणं उववज्जति नो परप्पयोगेणं उववज्जति 7 / असुरकुमारा णं भंते ! कहं उववज्जति ?, जहा नेरतिया तहेव निरवसेसं जाव नो परप्पयोगेणं उववज्जंति एवं एगिदियवजा जाव वेमाणिया, एगिदिया तं चेव नवरं चउसमइनो विग्गहो, सेसं तं चेव 8 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 1 // सूत्रं 805 // पंचवीसइमस्स अट्ठमो // 25-8 // भवसिद्धियनेरइया णं भंते ! कहं उववज्जति ?, गोयमा ! से जहानामए पवए पवमाणे अवसेस तं चेव जाव वेमाणिए 1 / सेवं भंते ! 2 तिजाव विहरइ 2 // सूत्रं 806 // 25-1 // अभवसिद्धियनेरइया णं भंते ! कहं उववज्जंति ?, गोयमा ! से जहानामए पवए परमाणे अवसेसं तं चेव एवं जाव वेमाणिए 1 / सेवं भंते ! 2 नि जाव विहरइ 2 // सूत्रं 807 // 25-10 ॥सम्मदिट्टिनेरइया Page #353 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 780 ) . / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः णं भंते ! कहं उववज्जति ?, गोयमा ! से जहानामए पवए पवमाणे अवसेसं तं चेव एवं एगिदियवज्जं जाव वेमाणिया 1 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 2 // सू०८०८ // 25-11 // मिच्छदिट्टिनेरझ्या णं भंते ! कहं उववज्जति ?, गोयमा ! से जहानामए-पवए: पवमाणे अवसेसं तं चेव एवं जाव वेमाणिए 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विरहइ 2 // सूत्रं 801 // 25-12 // पंचवीसतिमं सयं सम्मत्तं // // इति पञ्चविंशतितमशतकम् // 25 // // अथ बन्धीनाम-पडविंशतितमशतके प्रथमोद्देशकः // नमो सुयदेवयाए भगवईए। जीवा 1 य लेस्स 2' पक्खिय 3 दिट्ठी 4 अन्नाण 5. नाण 6 सन्नायो 7 / वेय 8 कसाए 1 उपयोग 10 जोग 11 एकारवि ठाणा // 1 // तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे जाव एवं वयासी-जीवे णं भंते ! पावं कम्मं किं बंधी बंधइ बंधिस्सइ 1 बंधी बंधइ ण बंधिस्सइ 2 बंधी न बंधइ बंधिस्सइ 3 बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ 4 ?, गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ 1 अत्थेगतिए बंधी बंधइण बंधिस्सइ 2 अत्थेगतिए बंधी ण बंधड बंधिस्सइ 3 अत्थेगतिए बंधी ण बंधइ ण बंधिस्सइ 4, 1, 1 / सलेस्से णं भंते ! जीवे पावं कम्मै कि बंधी बंधई बंधिस्सइ 1 बंधी बंधइ-गा बंधिस्सइ ? पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ 1 अत्थेगतिए एवं चउभंगो 2 / कराहलेसे णं भंते ! जीवे पावं कम्मं किं बंधी पुच्छा, गोयमा ! प्रत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ अत्यंगतिए बंधी बंधइ न बंधिस्सइ एवं. जाव पम्हलेसे सव्वत्थ पढमबितियभंगा, सुक्क. लेस्से जहा सलेस्से तहेव चउभंगो 3 / अलेस्से णं भंते ! जीवे पावं कम्म कि बंधी पुच्छा, गोयमा ! बंधी न बंधइ म बंधिसइ 2, 4 / कराहपक्खिए Page #354 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 26 :: उद्देशकः 1] / 781 णं भंते ! जीवे पावं कम्मं पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी पढमबितिया भंगा 5 / सुक्कपक्खिए णं भंते / जीवे पुच्छा, गोयमा ! चउभंगो भाणियव्वो 6 // सूत्रं 810 // सम्मबिट्ठीणं चत्तारि भंगा, मिच्छादिट्ठीणं पढमबितिया भंगा, सम्मामिच्छादिट्ठीणं एवं चेव 1 / नाणीणं चत्तारि भंगा, याभिणियोहियणाणीणं जाव मणपजवणाणीणं चत्तारि भंगा, केवलनाणीणं चरमो भंगो जहा अलेस्साणं 5, 2 / अन्नाणीणं पढमबितिया, एवं मइअन्नाणीणं सुयअन्नाणीणं विभंगणाणीणवि 6, 3 / श्राहारसन्नोवउत्ताणं जाव परिग्गहमन्नोवउत्ताणं पदमबितिया नोसन्नोवउत्ताणं चत्तारि 7, 4 / सवेदगाणं पढमबितिया, एवं इत्थिवेदगा पुरिसवेदगा नपुंसगवेदगावि, अवेदगाणं चत्तारि 5 / सकसाईणं चत्तारि, कोहकसायीणं पढमबितिया भंगा, एवं माणकसायिस्सवि मायाकसायिस्सवि लोभकसायिस्सवि चत्तारि भंगा 6 / अकसायी णं भंते ! जीवे पावं कम्मं किं बंधी ? पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी न बंधइ बंधिस्सइ 3 अत्थेगतिए बंधी ण बंधइ ण बंधिस्सइ 4,7 / सजोगिस्स चउभंगो, एवं मणजोगस्सवि वइजोगस्सवि कायजोगस्सवि, अजोगिस्स चरिमो, सागारोवउत्ते चत्तारि, अणागारोवउत्तेवि चत्तारि भंगा 11, 8 // सूत्रं 811 // नेरइए णं भंते ! पावं कम्मं किं बंधी बंधइ बंधिस्सइ ?, गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी पढमबितिया 1, सलेस्से णं भंते ! नेरतिए पावं कम्मं चेव, एवं कराहलेस्सेवि नीललेस्सेवि काउलेसेवि, एवं कराहपक्खिए सुक्कपक्खिए, सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्टी, गाणी श्राभिणियोहियनाणी सुयनाणी श्रोहिणाणी अन्नाणी मइअन्नाणी सुयअन्नाणी विभंगनाणी थाहारसन्नोवउत्ते जाव परिग्गहसन्नोवउत्ते, सवेदए नपुंसकवेदए, सकसायी जाव लोभकसायी, सजोगी मणजोगी वयजोगी कायजोगी, सागारोवउत्ते अणागारोवउत्ते, एएसु सव्वेसु पदेसु पढमबितिया भंगा भाणियव्वा, एवं असुरकुमारस्सवि वत्तव्वया भाणियब्वा नवरं 54 Page #355 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 782 ] - / श्रीमदागमसुधासिन्धुः तृतीयो विभागः तेउलेस्सा इत्थिवेयगपुरिसवेयगा य अब्भहिया नपुसगवेदगा न भन्नंति सेसं तं चे सव्वत्थ पढमबितिया भंगा, एवं जाव थणियकुमारस्स, एवं पुढविकाइयस्सवि श्राउकाइयस्सवि जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियस्सवि सव्वत्थवि पढमबितिया भंगा नवरं जस्स जा लेस्सा, दिट्ठी णाणं अन्नाणं वेदो जोगो य जं जस्स अस्थि तं तस्स भाणियव्वं सेसं तहेव, मणूसस्स जच्चेव जीवपदे वत्तव्वया सच्चेव निरवसेसा भाणियव्वा, वाणमंतरस्स जहा असुरकुमारस्स, जोइसियस्स वेमाणियस्स एवं चेव नवरं लेस्सायो जाणियव्वाश्रो, सेसं तहेव भाणियव्वं // सूत्रं 812 // जीवे णं भंते ! नाणावरणिज्ज कम्मं किं बंधी बंधइ बंधिस्सइ एवं जहेव पावकम्मस्स वत्तव्वया तहेव नाणावरणिजस्सवि भाणियब्वा, नवरं जीवपदे मणुस्सपदे य सकसाई जाव लोभकसाइंमि य पढमबितिया भंगा अवसेसं तं चेव जाव वेमाणिया, एवं दरिसणावरणिज्जेणवि दंडगो भाणियव्वो निरवसेसो 1 / जीवे णं भंते ! वेयणिज्जं कम्मं किं बंधी पुच्छा, गोयमा ! अत्यंगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ 1 अत्थेगतिए बंधी बंधइ न बंधिस्सइ 2 प्रत्येगतिए बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ 4, सलेस्सेवि एवं चेव ततियविहूणा भंगा, कराहलेस्से जाव पम्हलेस्से पढमबितिया भंगा, सुकलेस्से ततियविहूणा भंगा, अलेस्से चरिमो भंगो, कराहपक्खिए पढमबितिया भंगा, सुक्कपक्खिया ततियविहूणा, एवं सम्मदिहिस्सवि, मिच्छादिट्ठिस्स सम्मामिच्छादिहिस्स य पढमबितिया, णाणस्स ततियविहूणा आभिणिबोहियनाणी जाव मणपजवणाणी पढमबितिया केवलनाणी ततियविहूणा, एवं नोसन्नोवउत्ते अवेदए अकसायी सागारोवउत्ते अणागारोवउत्ते एएसु ततियविहूणा, अजोगिम्मि य चरिमो, सेसेसु पढमबितिया 2 / नेरइए णं भंते ! वेयणिज्ज कम्मं बंधी बंधइ एवं नेरतिया जाव वेमाणियत्ति जस्स जं अस्थि सव्वयव पढमवितिया, नवरं मणुस्से जहा जीवो, जीवे णं भंते ! मोहणिज्ज कम्मं किं बंधइ ?, जहेव Page #356 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवति)सूत्रं :: शतकं 26 :: उद्देशकः 1] [783 पावं कम्मं तहेव मोहणिज्जंपि निरवसेसं जाव वेमाणिए 3 // सूत्रं 813 // जीवे णं भंते ! पाउयं कम्मं किं बंधी बंधइ ? पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी चउभंगो सलेस्से जाव सुक्कलेस्से चत्तारि भंगा अलेस्से चरिमो . भंगो 1 / कराहपक्खिए णं पुच्छा, गोयमा ! अत्यंगतिए बंधी बंधइ बंधि- - स्मइ अत्थेगतिए बंधी न बंधइ बंधिस्सइ, सुकपक्खिए सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी वनारि भंगा, सम्मामिच्छादिट्ठी पुच्छा, गोयमा ! अत्यंगतिए बंधी न बंधई बंधिस्सइ अत्यंगतिए बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ, नाणी जाव श्रोहिनाणी चत्तारि भंगा 2 / मणपजवनाणी पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ, अत्यंगतिए बंधी न बंधइ बंधिस्सइ, अत्थेगतिए बंधी न बंधइ न चंधिस्सइ, केवलनाणे चरमो भंगो, एवं एएणं कमेणं नोसन्नोवउत्ते बितियविहूणा जहेव मणपजवनाणे, अवेदए अकसाई य ततियचउत्था जहेव मम्मामिच्छत्ते, अजोगिम्मि चरिमो, सेसेसु पदेसु चत्तारि भंगा जाव यणागारोवउत्ते 3 / नेरइए णं भंते ! पाउयं कम्मं किं बंधी पुच्छा, गोयमा ! अत्यंगतिए चत्तारि भंगा एवं सव्वत्थवि नेरइयाणं चत्तारि भंगा नवरं कण्हलेस्से कराहपक्खिए य पढमततिया भंगा, सम्मामिच्छत्ते ततियचउत्था, असुरकुमारे एवं चेव, नवरं कराहलेस्सेवि चत्तारि भंगा भाणियब्वा सेसं जहा नेरइयाणं एवं जाव थणियकुमाराणं, पुढविकाइयाणं सव्वत्थवि चत्तारि भंगा, नवरं कराहपक्खिए पढमततिया भंगा 4 / तेऊलेस्से पुच्छा, गोयमा ! बंधी न बंधइ बंधिस्सइ सेसेसु सव्वत्थ चत्तारि भंगा, एवं ग्राउकाइय-वणस्सइकाइयाणवि निरवसेसं तेउकाइय-वाउकाइयाणं मवत्थवि पढमततिया भंगा, बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदियाणंपि सव्वत्थवि पढमततिया भंगा, नवरं सम्मत्ते नाणे आभिणिबोहियनाणे सुयनाणे ततियो भंगो 5 / पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं कराहपक्खिए पढमततिया भंगा, सम्मामिच्छत्ते ततियचउत्थो भंगो, सम्मत्ते नाणे श्राभिणिबोहियनाणे Page #357 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 784 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः सुयनाणे श्रोहिनाणे एएसुपंचसुवि पदेसु बितियविहूणा भंगा, सेसेसु चत्तारि भंगा, मणुस्साणं जहा जीवाणं, नवरं सम्मत्ते श्रोहिए नाणे श्राभिणिबोहियनाणे सुयनाणे श्रोहिनाणे एएसु बितियविहूणा भंगा, सेसं तं चेव, वाणमंतर-जोइसियवेमाणिया जहा असुरकुमारा, नाम गोयं अंतरायं च एयाणि जहा नाणावरणिज्जं 6 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 7 // सूत्र 814 // बंधिसयस्स पढमो उद्दे सयो॥ 26-1 // // अथ षड्विंशतितमशतके द्वितीयोद्देशकः / / अणंतरोववन्नए णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी ? पुच्छा, तहेव, गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी पढमबितिया भंगा 1 / सलेस्से णं भंते ! अणंतरोववन्नए नेरइए पावं कम किं बंधी पुच्छा, गोयमा ! पढमबितिया भंगा, एवं खलु सव्वत्थ पढमबितिया भंगा, नवरं सम्मामिच्छत्तं मणजोगो वइजोग य न पुच्छिज्जइ, एवं जाव थणियकुमाराणं, बेइंदिय-तेइंदियचउरिदियाणं वयजोगो न भन्नइ, पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणंपि सम्मामिच्छत्तं श्रोहिनाणं विभंगनाणं मणजोगो वयजोगो एयाणि पंच पदाणि ण भन्नति 2 / मणुस्साणं अलेस्स-सम्मामिच्छत्त-मणपजवणाण केवलनाणविभंगनाण-नोसन्नोवउत्त-अवेदग-अकसायी-मणजोग--वयजोग--अजोगिएयाणि एकारस पदाणि ण भन्नति 3 / वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणियाणं जहा नेरइयाणं तहेव ते तिन्नि न भन्नति सव्वेसि, जाणि सेसाणि ठाणाणि सव्वत्थ पढमबितिया भंगा, एगिदियाणं सव्वत्थ पढमबितिया भंगा, जहा पावे एवं नाणावरणिज्जेणवि दंडो, एवं श्राउयवज्जेसु जाव अंतराइए दंडश्रो 4 / अणंतरोववन्नए णं भंते ! नेरइए पाउयं कम्मं किं बंधी पुच्छा, गोयमा ! बंधी न बंधइ बंधिस्सइ 5 / सलेस्से णं भंते ! अणंतरोववन्नए नेरइए पाउयं कम्मं किं बंधी ?, एवं चेव ततियो भंगो Page #358 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 26 :: उद्देशकाः 3-7 ] [ 785 एवं जाव श्रणागारोवउत्ते, सव्वत्थवि ततियो भंगो, एवं मणुस्सवज्जं जाव वेमाणियाणं मणुस्साणं सम्बन्थ ततियचउत्था भंगा, नवरं कराहपक्खिएसु ततिश्रो भंगो, सव्वेसि नाणत्ताई ताई चेव 6 / सेवं भंते ! * तिजाव विहरइ 7 // सूत्रं 815 // बंधिसयस्स वितियो // 26-2 // // अथ षड्विंशतितमशतके तृतीयादय उद्देशकाः // __परंपरोववन्नए णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगतिए पढमबितिया 1 / एवं जहेब पढमो उद्दे सत्रो तहेव परंपरोववन्नएहिवि उद्दसत्रो भाणियब्यो नेरइयाइयो तहेव नवदंडगसहियो, अट्ठाहवि कम्मप्पगडीणं जा जस्स कम्मस्स वत्तव्वया सा तस्स अहीणमतिरित्ता नेयव्वा जाव वेमाणिया श्रणागारोवउत्ता 2 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 3 // सूत्रं 816 // 26-3 // अणंतरोगाढए णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी ? पुच्छा, गोयमा ! अत्यंगतिए 1 / एवं जहेव अणंतरोववन्नएहिं नवदंडगसंगहियो उद्दे सो भणियो तहेव अणंतरोगाढएहिवि अहीणमतिरित्तो भाणियब्वो नेरइयादीए जाव वेमाणिए 2 / सेवं. भंते ! २त्तिजाव विहरइ 3 // 26-4 // परंपरोगाढए णं भंते! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी जहेव परंपरोववन्नएहिं उद्दे सो सो चेव निरवसेसो भाणियव्वो 1 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 2 // 26-5 // अणंतराहारए णं भंते ! नेरतिए पावं कम्मं किं बंधी ? पुच्छा, एवं जहेव श्रणंतरोववन्नएहिं उद्देसो तहेव निरवसेसं 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // 26-6 // परंपराहारए णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी पुच्छा, गोयमा ! एवं जहेव परंपरोववन्नएहिं उद्देसो तहेव निवसेसो भाणियव्वो 1 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरइ 2 // 26-7 // अणंतरपजत्तए णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी ? पुच्छा, गोयमा ! जहेव अणंतरोववन्न Page #359 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 786 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभाग एहिं उद्देसो तहेब निरवसेसं 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // 26-8 / / परंपरपजत्तए णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं कि बंधी ? पुच्छा गोयमा ! एवं जहेव परंपरोववन्नएहिं उद्दे सो तहेव निरवसेसो भाणियव्या 1 / सेवं भंते ! 2 जाव विहरइ 2 // 26-1 / / चरिमे णं भंते ! नेरइए पाव कम्मं किं बंधी ? पुच्छा, गोयमा ! एवं जहेव परंपरोववन्नएहिं उद्दे सो तहब चरिमेहिं निरवसेसो 1 / सेवं भंते ! 2 जाव विहरति 2 // 26-10 अचरिमे णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किंबंधी ? पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइए एवं जहेब पढमोबेसए पढमबितिया भंगा भाणियव्वा सव्वत्थ जाव पंचिदिय तिरिक्खजोणियाणं 1 / अचरिमे णं भंते ! मणुस्से पावं कम्मं किं बंधी पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ अत्थेगतिए बंधी बंधइ न बंधिस्सइ अत्यंगतिए बंधी न बंधइ बंधिस्सइ 2 / सलेस्से णं भंते / अचरिमे मणूसे पावं कम्मं किं बंधी ?, एवं चेव तिन्नि भंगा चरमविहूणा भाणियव्वा एवं जहेव पदमुद्दे से, नवरं जेसु तत्थ वीससु चत्तारि भंगा तेस इह आदिला तिन्नि भंगा भाणियव्वा चरिमभंगवज्जा, अलेस्से केवलनाणी य अजोगीय एए तिन्निवि न पुच्छिज्जंति, सेसं तहेव, वाणमंतर-जोइसिय वेमाणिया जहा नेरइए 3 / अचरिमे णं भंते ! नेरइए नाणावरणिज्ज कम्मं किं बंधी पुच्छा, गोयमा ! एवं जहेव पावं नवरं मणुस्सेसु सकसाईस लोभकसाईसु य पढमबितिया भंगा सेसा अट्ठारस चरमविहूणा सेसं तहेब जाव वेमाणियाणं, दरिसणावरणिज्जंपि एवं चेव निरवसेसं, वेयणिज्जे सम्वत्थवि पढमबितिया भंगा जाव वेमाणियाणं नवरं मणुस्सेसु अलेस्से केवली अजोगी य नत्थि 4 / अचरिमे णं भंते ! नेरइए मोहणिज्ज कम्म किं बंधी ? पुच्छा, गोयमा ! जहेव पावं तहेव निरवसेसं जाव वेमाणिए 5 / अचरिमे णं भंते ! नेरइए अाउयं कम्मं किं बंधी ? पुच्छा, गोयमा ! पढमबितिया भंगा, एवं सवपदेसुवि, नेरइयाणं Page #360 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवति)सूत्रं : शतकं 27 :: उद्दे शकाः 1-11 ] [ 787 पढमततिया भंगा नवरं सम्मामिच्छत्ते ततियो भंगो, एवं जाव थणियकुमाराणं 6 / पुढविकाइय-अाउकाइय-वणस्सइकाइयाणं तेउलेस्साए ततिश्रो भंगो सेसेसु पदेसु सम्वत्थ पढमततिया भंगा, तेउकाइय-वाउकाइयाणं सम्वत्थ पढमततिया भंगा 7 / बेइंदियतेइंदियचउरिदियाणं एवं चेव नवरं सम्मत्ते श्रोहिनाणे आभिणियोहियनाणे सुयनाणे एएसु चउसुवि ठाणेसु ततियो भंगो, पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं सम्मामिच्छत्ते ततिश्रो भंगो, सेसेसु पदेसु सव्वत्थ पढमततिया भंगा 8 / मणुस्साणं सम्मामिच्छत्ते अवेदए अंकसाइम्मि य ततियो भंगो, अलेस्स केवलनाण अजोगी य न पुच्छिज्जंति, सेसपदेसु सव्वत्थ पढमततिया भंगा, वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा नेरइया 1 / नामं गोयं अंतराइयं च जहेव नानावरणिज्ज तहेव निरवसेसं 10 / सेवं भंते ! 2 जाव विहरई 11 // सूत्रं 817 // 26-11 उद्दे सो॥ बंधिसयं सम्मत्तं // . // इति षड्विंशतितमं शतकम् // 26 // // अथ करिसुनामकं सप्तविंशतितमं शतकम् // जीवे णं भंते ! पावं कम्मं किं करिसु करेंति करिस्संति 1 ? करिसु करेति न करिस्संति 21 करिंसु न करेंति करिस्संति 3 ? करिसुन करेंति न करेस्संति 4 ?, गोयमा ! प्रत्येगतिए करिंसु करेंति करिस्संति 1 अत्थेगतिए करिसु करेंति न करिस्संति 2 अत्थेगतिए करिंसु न करेंति करेस्संति 3 अत्थेगतिए करिंसु न करेंति न करेस्संति 1 / सलेस्से णं भंते ! जीवे पावं कम्मं एवं एएणं अभिलावेणं जच्चेव बंधिसए वत्तव्वया सच्चेव विरवसेसा भाणियब्वा, तहेव नवदंडगसंगहिया एकारस उद्देसगा भाणियब्बा 2 // सूत्रं 818 // करिसुगसयं समत्तं // 27-1-11 // // इति सप्तविंशतितमं शतकम् // 27 // Page #361 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 788 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः // अथ कर्मसमर्जनाख्यमष्टाविंशतितमं शतकम् // जीवा भंते ! पावं कम्मं कहि समजिणिंसु कहिं समायरिंसु ?, गोयमा ! सव्वेवि ताव तिरिवखजोणिएसु होजा 1 अहवा तिरिक्खजोणिएसु य नेरइएसु य होजा 2 अहवा तिरिक्खजोणिएसु य मणुस्सेसु य होजा 3 अहवा तिरिक्खजोणिएसु य देवेसु य होजा 4 अहवा तिरिक्खजोणिएसु य मणुस्सेसु देवेसु य होजा 5 अहवा तिरिक्खजोणिएसु य नेरइएसु य देवेसु य होजा 6 श्रहवा तिरिक्खजोणिएसु य मेणुस्सेसु देवेसु य होजा 7 अहवा तिरिक्खजोणिएसु नेरइएसु य मणुस्सेसु देवेसु य होजा 8, 1 / सलेस्सा णं भंते ! जीवा पावं कम्मं कहं समजिणिंसु कहिं समायरिंसु ?, एवं चेव, एवं कराहलेस्सा जाव अलेस्सा, कराहपक्खिया सुकपंक्खिया एवं जाव अणागारोवउत्ता 2 | नेरइया णं भंते ! पावं कम्मं कहिं समजिणिंसु कहिं समायरिंसु ?, गोयमा ! सव्वेवि ताव तिरिक्खजोणिएसु होजत्ति एवं चेव अट्ट भंगा भाणियव्या, एवं सव्वत्थ अट्ट भंगा 3 / एवं जाव अणागारोवउत्तावि, एवं जाव वेमाणियाणं, एवं नाणावरणिज्जेणवि दंडयो, एवं जाव अंतराइएणं, एवं एए जीवादीया वेमाणियपज्जवसाणा नव दंडगा भवंति 4 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 5 // सूत्रं 816 // 28-1 // अणंतरोववन्नगा. णं भंते ! नेरइया पावं कम्म कहिं समजिणिंसु कहिं समायरिंसु ?, गोयमा ! सव्वेवि ताव तिरिक्खजोणिएसु होजा, एवं एस्थवि अट्ट भंगा 1 / एवं अणंतरोववन्नगाणं नेरझ्याईणं जस्स जं अत्थि लेसादीयं अणागारोवश्रोगपजवसाणं तं सव्वं एयाए भयणाए भाणियव्वं जाव वेमाणियाणं, नवरं अणंतरेसु जे परिहरियव्वा ते जहा बंधिसए तहा इहंपि, एवं नाणावरणिज्जेणवि दंडयो एवं जाव अंतराइएणं निरवेसेसं एसोवि नवदंडगसंगहियो उद्द.सश्रो भाणियव्यो 2 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 3 // सूत्रं 820 // 24-2 // Page #362 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवती)सत्रं : शतकं 26 ] [ 786 एवं एएणं कमेणं जहेव बंधिसए उद्देसगाणं परिवाडी तहेव इहंपि अट्ठसु भंगेसु नेयवा नवरं जाणियव्वं जं जस्स अस्थि तं तस्स भाणियव्वं जाव अचरिमुद्दे सो 1 / सव्वेवि एए एकारस उद्देसगा 2 / सेवं भंते ! 2 इति जाव विहरइ 3 // सूत्रं 821 // कम्मसमजणणसयं समत्तं // ... ॥इति अष्टाविंशतितमं शतकम् // 28 // // अथ कर्मप्रस्थापनाख्यमेकोनविंशतितमं शतकम् // जीवाणं भंते ! पावं कम्मं किं समायं पट्टविंसु समायं निट्टविंसु 1 ? समायं पट्टविसु विसमायं निविसु 2 ? विसमायं पट्टविंसु समायं निट्ठविंसु 3 ? विसमायं पट्टविंसु विसमायं निट्ठविंसु ?, गोयमा ! अत्थेगइया समायं पट्टविंसु समायं निविसु जाव अत्गइया विसमायं पट्टविसु विसमायं निट्ठविंसु, 1 / से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ अत्थेगइया समायं पट्टविंसु समायं निट्ठविंसु? तं चेव गोयमा! जीवा चउन्विहा पन्नत्ता, तंजहा-पत्थेगइया समाउया समोववन्नगा 1 अत्थेगइया समाउया विसमोववन्नगा 2 अत्थेगइया विसमाउया समोववनगा 3 प्रत्येगइया विसमाउया विसमोववन्नगा 4, तस्थ णं जे ते समाउया समोववन्नगा ते णं पावं कम्मं समायं पट्टविंसु समायं निट्ठविसु, तत्थ णं जे ते समाउया विसमोववनगा ते णं पावं कम्मं समायं पट्टविसु विसमायं निट्ठविंसु, तत्थ णं जे ते विसमाउया समोववन्नगा ते णं पावं कम्मं विसमायं पट्टविंसु समायं निट्ठविंसु, तत्थ णं जे ते विसमाउया विसमोववन्नगा ते णं पावं कम्मं विसमायं पट्टविंसु विसमायं णिविंसु, से तेण?णं गोयमा ! तं चेव 2 / सलेस्सा णं भंते ! जीवा पावं कम्मं एवं चेव, एवं सबट्टाणेसुवि जाव अणागारोवउत्ता एए सब्वेवि पया एयाए वत्तव्वयाए भाणियब्वा 3 / नेरझ्या णं भंते ! पावं 54 Page #363 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 790 ] - [ श्रीपदागमसुधासिन्धुः : तृतीयो विमागः कम्मं किं समायं पट्टविसु समायं निर्विसु ? पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइया समायं पट्टविंसु एवं जहेब जीवाणं तहेव भाणियव्वं जाव अणागारोव उत्ता, एवं जाव वेमाणियाणं जस्स जं अस्थि तं एएणं चेव कमेणं भाणियव्वं जहा पावेण दंडयो, एएणं कमेणं अट्ठसुवि कम्मप्पगडीसु अट्ठ दंडगा भाणि. यया जीवादीया वेमाणियपजवसाणा एसो नवदंडगसंगहियो पढमो उद्दे सो भाणियब्वो 4 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 5 // सूत्रं 822 // 21-1 // अणंतरोववन्नगा णं भंते ! नेरइया पावं कम्म किं. समायं पट्टविसु समायं निविसु ? पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइया समायं पट्टविंसु समायं निट्ठविंसु अत्थेगइया समायं पट्टविसु विसमायं निट्ठविसु 1 / से केणट्टेणं भंते ! एवं वुचइ अत्थेगइया समायं पट्टविंसु ? तं चेव, गोयमा ! अणंतरोववन्नगा नेरइया दुविहा पराणत्ता, तंजहा-अत्थेमइया समाउया समोववन्नगा प्रत्येगइया समाउया विसमोववन्नगा, तत्थ णं जे ते समाउया समोववन्नगा ते णं पावं कम्म समायं पट्टविसु, समायं निविंसु, तत्थ णं जे ने समाउया विसमोववन्नगा ते णं पावं कम्मं समायं पट्टविंसु विसमायं नि? विसु से तेणटेणं तं चेव 2 / सलेस्मा णं भंते ! अणंतरोववन्नगा नेरइया पावं ? एवं चेव, एवं जाव अणागारोवउत्ता, एवं असुरकुंमारावि एवं जाव वेमाणिया नवरं जं जस्स अस्थि तं तस्स भाणियव्वं, एवं नाणावरणिज्जेणवि दंडयो, एवं निरवसेसं जाव अंतराइएणं 3 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरति 4 // 21-2 // एवं एएणं गमएणं जच्चेव बंधिसए उद्देसगपरिवाडी सच्चेव इहवि भाणियव्वा जाव अचरिमोत्ति, अणंतरउद्देसगाणं चउराहवि एका वत्तव्वया सेसाणं सत्तरहं एका // सूत्रं 823 // 21-11 / / कम्मपट्टवणसयं समत्तं // // इति एकोनविंशतितमं शतकम् // 29 // . Page #364 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवती सूत्र :: शतकं 30 :: उद्देशकः 1] [761 // अथ समवसरणाख्य-त्रिंशत्तमं शतकम // कइ णं भंते ! समोसरणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि समोसरणा पनत्ता, तंजहा-किरियावादी अकिरियावादी अन्नाणियवाई वेणइयवाई 1 / जीवा णं भंते ! किं किरियावादी अकिरियावादी अन्नाणियवादी वेणइयवादी ?, गोयमा ! जीवा किरियावादीवि अकिरियावादीवि अन्नाणियवादीवि वेणइयवादीवि 2 / सलेस्सा णं भंते ! जीवा किं किरियावादी ? पुच्छा, गोयमा! किरियावादीवि अकिरियावादीवि अन्नाणियवादीवि वेणइय. वादीवि, एवं जाव सुकलेस्सा 3 / अलेस्सा णं भंते ! जीवा ? पुच्छा, गोयमा! किरियावादी नो अकिरियावादी नो अन्नाणियवादी नो वेणइयवादी 4 / कराहपक्खिया णं भंते ! जीवा किं किरियावादी ? पुच्छा, गोयमा ! नो किरियावादी अकिरियावादी अन्नाणियवादीवि वेणइयवादीवि, सुक्कपक्खिया जहा सलेम्सा, सम्मदिट्ठी जहा अलेस्सा, मिच्छादिट्ठी जहा कराहपक्खिया 5 / सम्मामिच्छादिट्ठीणं पुच्छा, गोयमा ! नो किरियावादी नो अकिरियावादी अन्नाणियवादीवि वेणइयवादीवि, णाणी जाव केवलनाणी जहा अलेस्से, अन्नाणी जाव विभंगनाणी जहा कराहपक्खिया, श्राहारसनोवउत्ता जाव परिग्गहसन्नोवउत्ता जहा सलेस्सा, नोसन्नोवउत्ता जहा अलेस्सा, सवेदगा जाव नपुंसगवेदगा जहा सलेस्सा, अवेदगा जहा अलेस्सा, सकसायी जाव लोभकसायी जहा सलेस्सा, अकसायी जहा अलेस्सा, सजोगी जाव काययोगी जहा सलेस्सा, अजोगी जहा अलेस्सा, सागारोवउत्ता प्रणागारोवउत्ता जहा सलेस्सा 6 / नेरइया णं भंते ! किं किरियावादी ? पुच्छा, गोयमा ! किरियावादीवि जाव वेणइयवादीवि 7 / सलेस्सा णं भंते ! नेरइया कि किरियावादी ? एवं चेव, एवं जाव काउलेस्सा कराहपक्खिया किरियाविवजिया, एवं एएणं कमेणं जच्चेव जीवाणं वत्तव्वया सच्चेव नेरइयाणं वत्तव्वयावि जाव अणागारोवउत्ता नवरं जं Page #365 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 792 ] - [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः अस्थि तं भाणियव्वं सेमं न भराणाति, जहा नेरइया एवं जाव थणियकुमारा 8 | पुढविकाइया णं भंते ! कि किरियावादी ? पुच्छा, गोयमा ! नो किरियावादी अकिरियावादीवि अन्नायिवादीवि नो वेणइयवादी, एवं पुढविकाइयाणं जं अत्थि तत्थ सव्वत्थवि एयाइं दो मझिलाई समोसरणाई जाव अणागारोवउत्तावि, एवं जाव चरिंदियाणं सवट्ठाणेसु एयाई चेव मझिल्लगाइं दो समोसरगमाई, सम्मत्तनाणेहिवि एयाणि चेव मज्झिलगाई दो समोसरणाई, पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया जहा जीवा नवरं जं अस्थि तं भाणियब्वं, मणुस्सा जहा जीवा तहेव निरवसेमं. वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा असुरकुमारा 1 / किरियावादी णं भंते ! जीवा किं नेरझ्याउयं पकरेइ तिरिक्खजोणियाउयं पकरेइ मणुस्साउयं पकरेइ देवाउयं पकरेइ ?, गोयमा ! नो नेरझ्याउयं पकरेइ नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेइ मणुस्साउयंपि पकरेइ देवाउयंपि पकरेइ 10 / जइ देवाउयं पकरेइ किं भवणवासीदेवाउयं पकरेइ जाव वेमाणियदेवाउयं पकरेइ ?, गोयमा ! नो भवणवासीदेवाउयं पकरेइ नो वाणमंतरदेवाउयं पकरेइ नो जोइसियदेवाउयं पकरेइ वेमाणियदेवाउयं पकरेइ 11 / अकिरियावादी णं भंते ! जीवा किं नेरझ्याउयं पकरेइ ? तिरिक्खजोणियाउयं पुच्छा, गोयमा ! नेरइयाउयपि पकरेइ जाव देवाउयंपि पकरेइ, एवं अन्नाणियवादीवि वेणइयवादीवि 12 / सलेस्मा णं भंते ! जीवा किरियावादी कि नेरइयाउयं पकरेइ ? पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइयाउयं एवं जहेव जीवा तहेव सलेस्सावि चउहिवि समोसरणेहिं भाणियव्वा 13 / कराहलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावादी किं नेरझ्याउयं पकरेइ ? पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेइ नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेइ मणुस्साउयं पकरेइ नो देवाउयं पकरेइ, अकिरियवादी अन्नाणियवेणइयवादी य चत्तारिवि पाउयाई पकरेइ, एवं नीललेस्सावि 14 / तेउलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावादी कि नेरंइयाउयं पकरेइ ? Page #366 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र :: शतकं 30 :: उद्देशकः . ] [763 पुच्छा. गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेइ नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेइ मणुस्साउयं पकरेइ देवाउयंपि पकरेइ, जइ देवाउयं पकरेइ तहेव 15 / नेउलेस्सा णं भंते ! जीवा अकिरियावादी कि नेरइयाउयं पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेइ मणुस्साउयपि पकरेइ तिरिक्खनोणियाउयंपि पकरेइ देवाउयंपि पकरेइ, एवं अन्नाणियवादीवि वेणइयवादीवि, जहा तेउलेस्सा एवं पम्हलेस्सावि सुकलेस्सावि नेयवा 16 / अल्लेसा णं भंते ! जाव किरियावादी किं णेरइयाउयं पुच्छा, गोयमा ! नेरझ्याउयपि पकरेइ एवं चउः विहंपि, एवं अन्नाणियवादीवि वेणइयवादीवि, सुक्कपक्खिया जहा सलेस्सा 17 / सम्मदिट्ठी णं भंते ! जीवा किरियावादी कि नेरइयाउयं पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेइ नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेइ मणुस्साउयं पकरेइ देवाउयंपि पकरेइ, मिच्छादिट्ठी जहा कराहपक्खिया 18 | सम्मामिच्छादिट्ठी णं भंते ! जीवा अन्नाणियवादी कि नेरझ्याउयं जहा अलेस्सा, एवं वेणइयवादीवि, णाणी भाभिणिबोहियनाणी य सुयनाणी य श्रोहि. नाणी य जहा सम्मट्ठिी 11 / मणपजवणाणी णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेइ नोतिरिक्खजोणियाउयं पकरेइ नो मणुस्साउयं पकरेइ देवाउयं पकरेइ 20 / जइ देवाउयं पकरेइ किं भवणवासिदेवाउयं पुच्छा, गोयमा ! नो भवणवासिदेवाउयं पकरेइ नो वाणमंतरदेवाउयं पकरेइ नो जोइसियदेवाउयं पकरेइ वेमाणियदेवाउयं पकरेइ 21 / केवलनाणी जहा अलेस्सा, अन्नाणी जाव विभंगनाणी जहा कराहपक्खिया, सन्नासु चउसुवि जहा सलेस्सा, नोसन्नोवउत्ता जहा मणपजवनाणी, सवेदगा जाव नपुंसगवेदगा जहा सलेस्सा, अवेदगा जहा अलेस्सा, सकसायी जाव लोभकसायी जहा सलेस्सा, अकसायी जहा अलेस्सा, सयोगी जाव काययोगी जहा सलेस्सा, अजोगी जहा अलेस्सा, सागारोवउत्ता यथणागारोवउत्ता य जहा मलेस्सा 22 ॥सूत्र 824 // किरियावादी णं भंते ! नेरइया किं नेरइयाउयं Page #367 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 794) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः पुच्छा, गोयमा ! 'नो नेस्याउयं पकरेंतिनो-तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति मणुस्साउयं एकरेंति नो देवाज्यं परेंति 1 / अकिरियावादी णं भंते ! नेरइया पुच्छा, गोयमा ! नो नैरइयाउयं तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति मणुस्सोउयपि पकरेंति नो देवाउयं पकरेंति, एवं अन्नाणियवादी वि वेणइयवादीवि 2 / सलेस्सा णं भंते ! नेरइया किरियावादी किं नेरइयाउयं, एवं सब्वेवि नेरइया जे किरियावादी ते मणुस्साउयं एगं पकरेइ, जे अकिरियावादी अन्नाणियवादी वेणइयवादी ते सव्वट्ठाणेसुवि नो नेरइयाउयं पकरेइ तिरिक्खजोणियाउयंपि पकरेइ मणुस्साउयंपि पकरेइ नो देवाउयं पकरेइ, नवरं सम्मामिच्छत्ते उवरिल्लेहि दोहिवि समोसरणेहिं न किंचिवि पकरेइ जहेब जीवपदे, एवं जाव थणियकुमारा जहेव नेरइया 3 / अकिरियावादी णं भंते ! पुढविकाइया पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेइ तिरिक्खजोणियाउयं पकरेइ मणुस्साउयं पकरेइ नो देवाउयं पकरेइ, एवं अन्नाणियवादीवि 4 / सलेस्सा णं भंते ! एवं जं जं पदं अत्थि पुढविकाइयाणं तहिं 2 मज्झिमेसु दोसु समोसरणेसु एवं चेव दुविहं पाउयं पकरेइ नवरं तेउलेस्साए न किंपि पकरेइ, एवं अाउक्काइयाणवि, वणस्सइकाइयाणवि तेउकाइयाणवि वाउकाइयाणवि, सवट्ठाणेसु मज्झिमेसु दोसु समोसरणेसु नो नेरइयाउयं पकरेइ तिरिक्खजोणियाउयं पकरेइ नो मणुयाउयं पकरेइ नो देवाउयं पकरेइ 5 / बेइंदिय-तेइंदिय-चरिदियाणं जहा पुढविकाइयाणं नवरं सम्मत्तनाणेसु न एक्कंपि पाउयं पकरेइ 6 / किरियावादी णं भंते ! पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया कि नेरइयाउयं पकरेइ पुच्छा, गोयमा ! जहा मणपजवनाणी, अकिरियावादी अन्नाणियवादी वेणइयवादी य चउहिपि पकरेइ, जहा श्रोहिया तहा सलेस्सावि 7 / कराहलेस्सा णं भंते ! किरियावादी पंचिंदियतिरिक्खजोणियाउयं किं नेरइयाउयं पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेइ णो तिरिक्खजोणियाउयं नो मणुस्साउयं नो Page #368 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र :: शतकं 30 : उद्देशकः 1] [795 देवाउयं पकरेइ, अकिरियावादी अन्नाणियवादी वेणइयवाई चउन्विहंपि पकरेइ, जहा कराहलेस्सा एवं नीललेस्सावि काउलेस्सावि, तेउलेस्सा जहा सलेस्सा, नवरं अकिरियावादी अन्नाणियवादी वेणइयवादी य णो नेरइयाउयं पकरेइ देवाउयंपि पकरेइ तिरिक्खजोणियाउयपि पकरेइ मणुस्साउयंपि पकरेइ, एवं पम्हलेस्सावि, एवं सुकलेस्सावि भाणियव्वा = | कराहपक्खिया तिहिं समोसरणेहिं चउन्विहंपि अाउयं पकरेइ, सुक्कपक्खिया जहा सलेस्सा, मम्मदिट्ठी जहा मणपजवनाणी तहेव वेमाणियाउयं पकरेइ, मिच्छदिट्ठी जहा कराहपंक्खिया, सम्मामिच्छादिट्ठी ण य एक्कंपि पकरेइ जहेव नेरइया, गणाणी जाव मोहिनाणी जहा सम्मदिट्ठी, अन्नाणी जाव विभंगनाणी जहा कराहपक्खिया, सेसा जाव श्रणागारोवउत्ता सब्वे जहा सलेस्सा तहा चेव भाणियब्वा 1 / जहा पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं वत्तव्वया भणिया एवं मगुस्साणवि भाणियब्वा, नवरं मणपज्जवनाणी नोसन्नोवउत्ता य जहा सम्महिट्ठी तिरिक्खजोणिया तहेव भाणियव्वा 10 / अलेस्सा केवलनाणी यवेदगा अकसायी अयोगी य एए न एगपि पाउयं पकरेइ जहा श्रोहिया जीवा सेसं तहेव, वाणमंतर जोइसियवेमाणिया जहा असुरकुमारा ११शकिरियावादी णं भंते ! जीवा किं भवसिद्धिया अभवसिद्धीया ?, गोयमा ! भवसिद्धीया नो अभवसिद्धीया 12 / अकिरियावादी णं भंते ! जीवा किं भवसिद्धीया पुच्छा, गोयमा ! भवसिद्धीयावि अभवसिद्धीयावि, एवं अन्नाणियवादीवि, वणइयवादीवि 13 / सलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावादी किं भवमिदीया पुच्छा, गोयमा ! भवसिद्धीया नो भवसिद्धीया 14 / सलेस्सा णं भंते ! जीवा अकिरियावादी किं भवसिद्धीया पुच्छा, गोयमा ! भवसिद्धीयावि अभवसिद्धीयावि, एवं अन्नाणियवादीवि वेणइयवादीवि जहा मलेस्सा, एवं जाव सुक्कलेस्सा 15 / अलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावादी किं भवसिद्धीया पुच्छा, गोयमा ! भवसिद्धीया नो अभवसिद्धीया, एवं Page #369 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 766 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विमागः एएणं अभिलावेणं कराहपक्खिया तिसुवि समोसरणेसु भयणाए, सुक्कपक्खिया चउसुवि समोसरणेसु भवसिद्धीया नो अभवसिद्धीया, सम्मदिट्ठी जहा अलेस्सा, मिच्छादिट्ठी जहा कराहपक्खिया, सम्मामिच्छादिट्ठी दोसुवि समोसरणेसु जहा अलेस्सा, नाणी जाव केवलनाणी भवसिद्धीया नो अभवसिद्धीया, अन्नाणी जाव विभंगनाणी जहा कराहपक्खिया, सन्नासु चउसुवि जहा सलेस्सा, नोसन्नोवउत्ता जहा सम्मदिट्ठी, सवेदगा जाव नपुंसगवेदगा जहा सलेस्सा, अवेदगा जहा सम्मदिट्ठी, सकसायी जाव लोभकसायी जहा सलेस्सा, अकसायी जहा सम्मदिट्ठी, सयोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा, अयोगी जहा सम्मदिट्ठी, सागारोवउत्ता अणागारोवउत्ता जहा सलेस्सा, एवं नेरइयावि भाणियबा नवरं नायव्वं जं अस्थि, एवं असुरकुमारावि. जाव थणियकुमारा, पुढविकाइया सव्वट्ठाणेसुवि मझिल्लेसु दोसुवि समवसरणेसु भवसिद्धीयावि अभवसिद्धीयावि एवं जाव वणस्सइकाइया, बेइंदियतेइंदियचउरिंदिया एवं चेव नवरं संमत्ते श्रोहिनाणे श्राभिणिबोहियनाणे सुयनाणे एएसु चेव दोसु मज्झिमेसु समोसरणेसु भवसिद्धिया नो अभवसिद्धिया, सेसं तं चेव, पंचिंदियतिरिक्खजोणिया जहा नेरझ्या नवरं नायव्वं जं अत्थि, मणुस्सा जहा श्रोहिया जीवा, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा असुरकुमारा 16 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरति 17 // सूत्रं 825 // // इति प्रथमोद्देशकः // 30-1 // - अणंतरोववन्नगाणं भंते ! नेरइया किं किरियावादी ? पुच्छा,गोयमा! किरियावादीवि जाव वेणइयवादीवि 1 / सलेस्सा णं भंते ! अणंतरोववन्नगा नेरइया कि किरियावादी एवं चेत्र, एवं जहेव पढमुद्दे से नेरझ्याणं वत्तव्वया तहेव इंइवि भाणियब्वा, नवरं जं जस्स अस्थि अणंतरोववनगाणं नेरइ Page #370 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पामव्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवति)सूत्रं :: शतकं 30 :: उद्देशकः ] [767 याणं तं तस्स भाणियव्वं, एवं सबजीवाणं जाव वेमाणियाणं, नवरं ग्रणंतरोववनगाणं जं जहिं अस्थि तं तहिं भाणियव्वं 2 / किरियावाई णं भंते ! अणंतरोववन्नगा नेरइया कि नेरझ्याउयं पकरेंति ? पुच्छा, गोयमा ! नो नेग्इयाउयं पकरेंति नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, नो मणुस्साउयं पकरेंति नो देवाउयं पकरंति, एवं अकिरियावादीवि अन्नाणियवादीवि चणइयवादीवि 3 / सलेस्सा णं भंते ! किरिवादी अणंतरोववन्नगा नेरइया कि नेरझ्याउयं पुच्छा, गोयमा ! नेरझ्याउयं पकरेइ जाव नो देवाउयं पकरेइ एवं जाव वेमाणिया, एवं सब्वट्ठाणेसुवि अणंतरोववन्नगा नेरइया न किंचिवि श्राउयं पकरंति जाव. अणगारोवउत्तत्ति, एवं जाव वेमाणिया नवरं जं जस्स. अत्थि तं तस्स भाणियव्वं 4 / किरियावादी णं भंते ! यणंतरोक्वन्नगा नेरइया किं भवसिद्धिया अभवसिद्धिया ?, गोयमा ! भवसिद्धिया नो अभवसिद्धिया 5 / अकिरियावादी णं पुच्छा, गोयमा ! भवसिद्धियावि अभवसिद्धियावि, एवं अन्नाणियवादीवि वेणइयवादीवि / सलेस्सा णं भंते ! किरियावादी अणंतरोववनगा नेरइया कि भवसिद्धिया अभवसिद्धिया ?, गोयमा ! भवसिद्धिया नो अभवसिद्धिया, एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ओहिए उद्दसए नेरइयाणं वत्तव्वया भणिया नहर इहवि भाणियब्वा जाव अणगारोवउत्तत्ति एवं जाव वेमाणियाणं नवरं जं जस्स अत्थि तं तस्स भाणियव्वं, इमं से लक्खणं-जे किरियावादी सुक्कपक्खिया सम्मामिच्छदिट्ठीया एए सव्वे भवसिद्धिया नो अभवमिद्रीया, सेसा सव्वे भवसिद्धीयावि अभवसिद्धियावि 7 / सेवं भते ! 2 इति जाव विहरति 8 // सूत्र 826 // 30-2 // परंपरोववनगा णं भंते ! नेरइया किरियावादी एवं जहेव श्रोहियो उद्दसत्रो तहेव परंपरोववन्नएसुवि नेरइयादीग्रो तहेव निरवसेसं भाणियव्वं तहेव तियदंडगसंगहियो 1 / सेवं भंते ! 2 जाव विहरइ 2 // सूत्रम् 827 // 30-3 // एवं एएणं कमेणं Page #371 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 768 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विमागः जव्चेव बंधिसए उद्दे सगाणं परिवाडी सच्चेव इहंपि जाव अचरिमो उद्दे सो, नवरं अणंतरा चत्तारिवि एक्कगमगा, परंपरा चत्तारिवि एकगमएणं, एवं चरिमावि, अचरिमावि एवं चेव नवरं अलेस्सो केवली अजोगी न भन्नइ, सेसं तहेव 1 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाब विहरति 2 // 30-4 // एए एकारसवि उद्दे सगा // सूत्रं 828 // समवसरणसयं समत्तं // // इति त्रिंशत्तमं शतकम् // 30 // .. // अथ उपपाताख्यमेकत्रिंशत्तमं शतकम् // रायगिहे जाव एवं वयासि-कति णं भंते ! खुड्डा जुम्मा पन्नत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि खुड्डा जुम्मा पराणत्ता, तंजहा-कडजुम्मे 1 तेयोए 2 दावरजुम्मे 3 कलियोए 4, 1 / से केण? णं भंते ! एवं कुचइ चत्तारि खुड्डा जुम्मा पराणत्ता, तंजहा-कडजुम्मे जाव कलियोगे ?, गोयमा ! जे णं रासी चउकएणं अवहारेणं अवहीरमाणे चउपजवसिए सेत्तं खुड्डागकडजुम्मे, जे णं रासी चउकएणं अवहारेणं अवहीरमाणे तिपजवसिए सेत्तं खुड्डागतेयोगे, जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे दुपजवसिए सेत्तं खुड्डागदावरजुम्मे, जे णं रासी चउकएणं अवहारेणं अवहीरमाणे एगपज्जवसिए सेत्तं खुड्डागकलियोगे, से तेण?णं जाव कलियोगे 2 / खुड्डाग-कडजुम्मनेरइया णं भंते ! को उववज्जति ? कि नेरइएहितो उववज्जति ? तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइएहितो उववज्जंति एवं नेरइयाणं उबवायो जहा वक्कंतीए तहा भाणियबो 3 / ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उववज्जति ?, गोयमा ! चत्तारि वा अट्ट वा बारस वा सोलस वा संखेजा वा असंखेजा वा उववज्जंति 4 / ते णं भंते ! जीवा कहं उववज्जति ?, गोयमा ! से जाहनामए पवए पवमाणे अझवसाण ऐवं जहा पंचविंसतिमे सए अट्ठमुद्देसए Page #372 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवति)सूत्रं :: शतकं 30 :: उद्दे शकः ] [ 766 नेरइयाणं वत्तव्यया तहेव इहवि भाणियव्वा जाव पायप्पयोगेणं उववज्जति नो परप्पयोगेणं उबवज्जति 5 / रयणप्पभा-पुढविखुड्डाग-कडजुम्मनेरइया णं भंते ! कयो. उववज्जति ?, एवं जहा श्रोहियनेरइयाणं वत्तव्वया सच्चेव रयणप्पभाएवि भाणियव्वा जाव नो परप्पयोगेणं उववज्जंति, एवं सकरप्पभाएवि जाव असत्तमाए, एवं उववाश्रो जहा वक्कंतीए, अस्सन्नी खलु पढमं दोच्चं व सरीसवा तइय पक्खी, गाहाए उववाएयव्वा, सेसं तहेव 6 / खुड्डाग-तेयोगनेरइया णं. भंते ! कयो उववज्जति किं नेरइएहितो ? उववाश्रो जहा वक्कंतीए, ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उववज्जंति ?, गोयमा ! तिन्नि वा सत्त वा एक्कारस वा पन्नरस वा संखेजा वा असंखेजा वा उववज्जंति सेसं जहा कडजुम्मस्स, एवं जाव अहेसत्तमाए 7 / खुड्डाग-दावरजुम्म-नेरइया णं भंते ! कयो उववज्जति ?, एवं जहेव खुड्डागकडजुम्मे नवरं परिमाणं दो वा छ वा दस वा चोइस वा संखेजा वा असंखेजा वा सेसं तं चेव जाव अहे सत्तमाए / खुड्डागकेलिश्रोगनेरइया णं भंते ! कत्रो उववज्जति ?, एवं जहेव खुड्डागकडजुम्मे नवरं परिमाणं एक्को वा पंच वा.नव वा तेरस वा संखेजा वा असंखेजा वा उववज्जति सेसं तं चेव एवं जाव अहेसत्तमाए 1 / सेवं भंते ! 2. ति जाव विहरति 10 // सूत्रं 826 // 31-1 // कराहलेस्स-खुड्डाग-कडजुम्मनेरइया णं भते ! को उववज्जंति ?, एवं चेव जहा श्रोहियगमो जाव नो परप्पयोगेणं उववज्जति; नवरं उववायो जहा वक्कंतीए, धूमप्पभापुढविनेरइया णं सेसं तं चेव 1 / धूमप्पभा-पुढवि-कराहलेस्स-खुड्डाग-कडजुम्मनेरइया णं भंते ! को उववज्जति ?, एवं चे निरवसेसं, एवं तमाएवि अहेसत्तमाएवि, नवरं उबवायो सव्वत्थ जहा वक्कंतीए 2 / कराहलेस्स-खुड्डाग-तेश्रोग-नेरइया णं भंते ! को उतवज्जंति ?, एवं चेव नवरं तिन्नि वा सत्त वा एकारस वा पन्नरस वा संखेज्जा वा असंखेजा वा सेसं तं चेव एवं जाव अहेसत्तमा Page #373 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 800 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभाग एवि 3 / कराहलेस्स-खुड्डाग-दावरजुम्मनेरइया णं भंते ! को उववज्जति ?. एवं चेव नवरं दो वा छ वा दस वा चोइस वा सेसं तं चेव, धूमप्पभाएवि जाव अहेसत्तमाए 4 / कराहलेस्स-खुड्डाग-कलियोगनेरइया णं भंते ! कयो उववज्जति ?, एवं चेव नवरं एक्को वा पंच वा नव वा तेरस वा संखेजा वा असंखेजा वा सेसं तं चेव, एवं धूमप्पभाएवि तमाएवि अहेसत्तमाएवि 5 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 6 // सूत्रं 830 / / 31-2 // नीललेस्स-खुड्डाग-कडजुम्मनेरइया णं भंते ! कयो उववज्जति. एवं जहेब कराहलेस्स-खुड्डाग-कडजुम्मा नवरं उववायो जो वालुयप्पभाए सेसं तं चव 1 / वालुयप्पभापुढवि-नीललेस्स-खुड्डाग-कडजुम्मनेत्या एवं चेव, एवं पंकप्पभाएवि, एवं धूमप्पभाएवि, एवं चउसुवि जुम्मसु नवरं परिमाणं जाणियव्वं 2 / परिमाणं जहा कराहलेस्सउद्देसए / सेसं तहेव 3 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरति 4 / / सूत्र 831 // 31-3 // काउलेस्स-खुड्डाग-कडजुम्मनेरइया णं भंते ! को उववज्जंति ?, एवं जहेव कराहलेस्सखुड्डाग-कडजुम्मणेरड्या, नवरं उववायो जो रयणप्पभाए सेसं तं चेव 1 / रयणप्पभापुढवि-काउलेस्स-खुड्डाग-कडजुम्मनेरड्या णं भंते ! कया उववज्जति ?, एवं चेव, एवं सकरप्पभाएवि, एवं वाजुयप्पभाएवि, एवं चउसुवि जुम्मेसु, नवरं परिमाणं जाणियव्वं 2 / परिमाणं जहा कराहलेस्सउद्देसए सेसं तं चेव 3 / सेवं भंते ! 2 नि जाव विहरति 4 // सूत्रं 832 // 31-4 // भवसिद्धीय-खुड्डाग-कडजुम्मनेरइया णं भंते ! कत्रो उवज्जति ? किं नेरइए ?, एवं जहेब श्रोहियो गमत्रो तहेव निरवसेसं, जाव नो परप्पयोगेणं उववज्जति 1 / रयणप्पभा-पुढवि भवसिद्धीय-खुड्डाग-कडजुम्मनेरझ्या णं भंते ! एवं चेव निरवसेसं, एवं जाव अहेसत्तमाए, एवं भवसिद्धिय-खुड्डाग-तेयोग नेरझ्यावि एवं जाव कलियोगत्ति, नवरं परिमाणं जाणियव्वं 2 / परिमाणं पुव्वभणियं जहा पढमुद्देसए 3 / सेवं भंते ! Page #374 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * मद्व्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवति सूत्रं शतकं 30 : उद्देशकः ] [801 त्ति जाब विहरति 4 // सूत्र 833 // 31-5 // कराइलेस्स-भवसिद्धियबुड्डाग-कडजुम्मनेरइया णं भंते ! कयो उववज्जति ?, एवं जहेव श्रोहियो कराहलेस्सउद्दे सत्रो तहेव निरवसेसं चउसुवि जुम्मेसु भाणियब्वो जाव अहे. मत्तमपुढवि-कराहलेस्स-खुड्डाग-कलियोगनेरइया णं भंते ! कत्रो उववज्जति?, हव 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 2 // सूत्र 834 // 31-6 // नीललेस्स-भवसिद्धिया चउसुवि जुम्मेसु तहेव भाणियवा जहा श्रोहिए नीललेस्सउद्दसए 1 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव विहरइ 2 // सूत्रं 835 // 31-7 // काउलेस्सा भवसिद्धिया चउसुवि जुम्मेसु तहेव खवाएयव्वा जहेव श्रोहिए काउलेस्सउद्देसए 1 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 2 // सूत्रं 836 // 31-8 // जहा भवसिद्धिएहिं चत्तारि उद्देसया भणिया एवं अभवसिद्धीएहिवि चत्तारि उद्दे सगा भाणियव्वा जाव काउनेस्साउद्दे सश्रोत्ति 1 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 2 // सूत्रं 837 // 31-12 // एवं सम्मदिट्ठीहिवि लेस्सासंजुत्तेहि चत्तारि उद्दे सगा कायव्वा, नवरं सम्मदिट्ठी पढमबितिएसुवि दोसुवि उद्देसएसु अहेसत्तमापुढवीए न उववाएयव्यो, सेसं तं चेव 1 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरति 2 / / सूत्रं 838 // 31-16 // मिच्छादिट्ठीहिवि चत्तारि उद्देसगा कायव्वा जहा भवसिद्धियाणं 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 2 // सूत्रं 831 // 31-20 // एवं कराहपक्खिएहिवि लेस्सासंजुत्तेहिं चत्तारि उद्देसगा कायव्वा जहेव भवसिद्धीएहिं 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 2 // सूत्रं 840 // 31-24 // सुक्कपक्खिएहिं एवं चेव चत्तारि उद्दे सगा भाणियव्वा जाव वालुयप्पभापुढवि-काउलेस्स-सुक्कपक्खिय-खुड्डागकलियोगनेरइया णं भंते ! कत्रो उववज्जति ?, तहेव जाव नो परप्पयोगेणं उववज्जति 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 2 // सूत्रं 841 // सम्वेवि एए अट्ठावीस उद्दे सगा // 31-28 // उववायसयं सम्मत्तं / // इति एकत्रिंशत्तमं शतकम् // 31 // Page #375 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 802 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: तृतीयो विभाग // अथ उद्वर्त्तनाख्यं द्वात्रिंशत्तमं शतकम् / खुड्डागकडजुम्मनेरइया णं भंते ! अणंतरं उध्वट्टित्ता कहिं गच्छंति ? कहिं उववज्जंति ? किं नेरइएसु उववज्जति तिरिक्खजोणिएसु उववज्जति उब्वट्टणा जहा वक्तीए 1 / ते णं भंते ! जीवा. एगसमएणं केवइया उव्वट्टति ?, गोयमा ! चत्तारि वा अट्ट वा बारस वा सोलस वा संखेजा वा असंखेजा वा उबट्टति 2 / ते णां. भंते ! जीवा कहं उन्वट्टति ?, गोयमा ! से जहा नामए पवए एवं तहेव, एवं सो. चेव गमयो जाव अायप्पयोगेणं उबट्टति नो परप्पयोगेणं उबट्टति 3 / रयणप्पभापुढविनेरइए खुड्डागकडजुम्मे, एवं रयणप्पभाएवि एवं जाव अहेसत्तमाए 4 / एवं खुड्डाग. तेयोग-खुड्डाग-दावरजुम्म-खड्डागकलियोगा नवरं परिमाणं जाणियव्वं, सेसं तं चेव 5 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 6. // सूत्रं 42 // 32-1 / / कराहलेस्स-कडजुम्मनेरइया एवं एएणं कमेणं जहेव उववायसए अट्ठावीसं उद्दे सगा भणिया तहेव उवट्टणासएवि अट्ठावीसं उद्दे सगा भाणियव्वा निरवसेसा नवरं उबट्टतित्ति अभिलायो भाणियव्वो, सेसं तं चेव 1 / सेवं भते ! २त्ति जाव विहरइ 2 // सूत्रं 843 // 32-28 // उववट्टणासयं समत्तं // ..... . // इति द्वाविशत्तमं शतकम् // 32 // . // अथ एकेन्द्रियाख्यं त्रयस्त्रिंशत्तमं शतकम् // ( अवान्तरद्वादशशतकोपेतम् ) कतिविहा णं भंते !. एगिदिया पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा एगिदिया पराणत्ता, तंजहा-पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया 1 / पुढविकाइया णं भंते ! कतिविहा पराणता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-सुहुम Page #376 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवति): शतकं 30 : उद्देशकः ] [803 पुढविकाइया य बायरपुढविकाइया य 2 / सुहुमपुढविकाइया णं भंते ! कतिविहा पराणत्ता ?, गोयमा! दुविहा पत्नत्ता, तंजहा-पजत्ता सुहुमपुढविकाइया य अपजत्ता सुहुमपुढविकाइया य 3 / बायरपुढविकाइया णं भंते ! कतिविहा पराणत्ता ?, गोयमा ! एवं चेव, एवं ग्राउकाइयावि चउक्कएणं भेदेणं भाणियव्वा एवं जाव वणस्सइकाइया 4 / अपजत्त-सुहुम-पुढविकाइया णं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो पराणत्तायो ?, गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडी पराणत्ता, तंजहा-नाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं 5 / पजत्त-सुहुमपुढविकाइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो पराणत्तानो ?, गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडीयो पराणत्तायो, तंजहा-नाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं 6 / अपजत्त-बायर-पुढविकाइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो पराणत्ताश्रो ?, गोयमा ! एवं चेव 8,7 / पजत्त-बायर-पुढविकाइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो ? एवं चेव 8, एवं एएणं कमेणं जाव बायर-वणस्सइकाइयाणं पजत्तगाणंति 8 / अपजत्त-सुहम-पुढविकाइया णं भंते ! कति कम्मप्पगडीओ बंधंति ?, गोयमा ! सत्तविहबंधगावि अट्टविहबंधगावि मत्तविह बंधमाणा अाउयवजायो सत्त कम्मप्पगडीयो बंधति अट्ट बंधमाणा पडिपुन्नायो अट्ठ कम्मप्पगडीश्री बंधति 1 / पज्जत्तसुहुमपुढविकाइया णं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो बंधति ?, एवं चेव 10 / एवं सव्वे जाव पजत्तबायर-वणस्सइकाइया णं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो बंधंति ?, एवं चेव 11 / अपजत्त-सुहुम-पुढविकाइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो वेदेति ?, गोयमा ! चोद्दस कम्मप्पगडीयो वेदेति, तंजहा-नाणावरणिज्जं जाव अतराइयं, सोइंदियवझ चक्खिदियवझ घाणिदियवझ जिभिदियवझ इथिवेदवझ पुरिसवेदवझ 12 / एवं चउकएणं भेदेणं जाव पज्जत्तबायरवणस्सइकाइया णं भंते ! कति कम्मप्पगडीश्रो वेदेति ?, गोयमा ! एवं चेव चोइस कम्मप्पगडीयो वेदेति 13 / सेवं भंते ! 2 ति. Page #377 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 804] .. [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः जावः विहरइ. 14 // सूत्रं 844 // 33-1 // कइविहा णं भंते ! अणतरोववन्नगा एगिदिया पराणता ?, गोयमा ! पंचविहा अणंतरोववन्नगा एगिदिया पराणत्ता, तंजहा–पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया 1 / अणंतरोववन्नगा णं भंते ! पुढविकाइया कतिविहा पराणत्ता , गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सुहमपुढविकाइया य बायरपुढविकाइया य, एवं. दुपएणं भेदेणं जाव वणस्सइकाइया 2 / यणंतरोववन्नग-सुहुमपुढविकाइयाणं भंते / कति कम्मप्पगडीयो पराणत्तायो ?, गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडीयो पराणत्तायो, तंजहा-नाणावरणिज्ज जाव अंतराइयं 3 / अणंतरोववन्नग-बादरपुढविकाइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो पराणत्तायो ?, गोयमा ! श्रट्ठ कम्मप्पगडीयो पराणत्तायो, तंजहा-नाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं, एवं जाव अणंतरोक्वन्नंग-बादर-वणस्सइकाइयाणंति 4 / अणंतरोववन्नग-सुहुमपुढविकाइया णं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो बंधंति ?, गोयमा ! श्राउयवजारो सत्त कम्मप्पगडीयो बंधंति, एवं जाव अणंतरोववनग-बादरवणस्सइकाइयत्ति 5 / अणंतरोववन्नगःसुहुम-पुढविकाइया णं भंते ! कइ कम्मप्पगडीयो वेदेति ?, गोयमा ! चउद्दस कम्मप्पगडीयो वेदेति, तंजहानाणावरणिज्ज तहेव जाव पुरिसवेदवझ, एवं जाव अणंतरोववन्नग-बादरवणस्सइकाइयत्ति 6 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 7 // सूत्रं 845 // 33-2. // कतिविहा णं भंते ! परंपरोववनगा एगिदिया पराणत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा परंपरोववन्नगा एगिदिया पराणत्ता, तंजहा-पुढविकाइया एवं चउको भेदो जहा श्रोहिउद्देसए 1 / परंपरोववन्नग-अपज्जत्त-सुहुमपुढविकाइयाणं भंते ! कह कम्मप्पगडीयो पराणत्तायो ?, एवं एएणं अभिलावेणं जहा भोहिउद्दसए तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव चउद्दस वेदेति 2 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 3 // सूत्रं 846 // 33-3 // अणंतरोगाढा जहा अणंतरोववन्नगा // 33-4 // परंपरोगाढा जहा Page #378 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 33 / / अवांतरशतक-१-२ ] [ 805 परंपरोक्वनगा // 33-5 // श्रणंतराहारगा जहा अणूतरोववन्नगा // 33-6 // परंपराहारगा जहा परंपरोववन्नंगा॥३३-७॥ अणंतरपजत्तगा जहा अणंतरोववन्नगा // 33-8 // परंपरपजत्तगा जहा परंपरोववनगा / / 33-1 // चरिमावि जहा परंपरोववन्नगा तहेव // 33-10 // एवं अचरिमावि // 33-11 // एवं एए एकारस उद्दे सगा। सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ // सूत्रं 847 // पढमं एगिदियसयं सम्मत्तं // 33 // 1 // किइविहा णं भंते ! कराहलेस्ता एगिदिया परणत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा कराहलेस्साएगिदिया पराणत्ता, तंजहा-पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया 1 / कराहलेस्सा णं भंते ! पुढविक इया कइविहा पराणता ?, गोयमा ! दुविहा पराणता, तंजहा-सुहुमपुटविकाइया य बादरंपुढविकाइया य 2 / कराहलेस्सा णं भंते ! सुहुमपुढविकाइया कइविहा पराणता ?, गोयमा ! एवं एणं अभिलावेणं चउकभेदो जहेव श्रोहिउद्दसए जाव वणस्सइकाइयत्ति 3 / कराहलेस्स-अपजत्त-सुहुम-पुढविकाइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीयो पराणत्तायो ?, एवं चेव एएणं अभिलावणं जहेव श्रोहिउद्देसए तहेव पन्नत्तायो तहेव बंधति तहेव वेदेति 4 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 5 / / 33-2-1 // कइविहा णं भंते ! अणंतरोववन्नंग-कराहलेस्स-एगिदिया पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा अणंतरोववन्नगा कराहलेस्सा एगिदिया एवं एएणं अभिलावेणं तहेव दुयत्रो भेदो जाव. वणस्सइकाइयत्ति 6 / अणं. तरोववन्नग-कराहलेस्स-सुहुम-पुढविकाइयाणं भंते ! कई कम्मप्पगडीयो पराणत्तायो ?, एवं एएणं अभिलावेणं जहा गोहियो अणंतरोववनगाणं उद्दे. मयो तहेव जाव वेदेति / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 8 // 33-2-2 // कइविहा णं भंते ! परंपरोववन्नगा कराहलेस्सा एगिदिया पराणत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा परंपरोववन्नगा कराहलेस्सा एगिदिया पन्नत्ता, तंजहा-पुढविकाइया एवं एएणं अभिलावेणं तहेव चउको भेदो जाव वणस्सइकाइयत्ति 1 / Page #379 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 866] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः परंपरोक्वन्नगं-कराहलेस्स-अपजत्त--सुहुमपुढविकाइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीयो पराणत्तो ?, एवं एएणं अभिलावेणं जहेव श्रोहियो. परंपरोववन्नग-उद्देसयो तहेव जाव वेदेति 10 / एवं एएणं अभिलावेणं जहेब श्रोहिणगिदियसए एकारस उद्दे सगा भणिया तहेव कराहलेस्समतेवि भाणियबा जाव अवरिम-चरिम-कराहलेस्साएगिंदिया 11 // सूत्रं 848 // 33-2-3 // 11 बितियं एगिदियसयं सम्मत्तं // 33 // 2 // ..जहा कराहलेस्सेहिं भणियं एवं नीललेस्सेहिवि सयं भाणियब्वं 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ. 2 // ततियं एगिदियसयं सम्मत्तं // 33 // 3 // ____ एवं काउलेस्सेहिवि सयं भाणियव्वं नवरं काउलेस्सेति अभिलावो भाणियवो.३ / चउत्थं एगिदियसयं सम्मत्तं // 33 // 4 // कइविहा णं भंते ! भवसिद्धीया एगिदिया पराणत्ता ?, गोयमा ! पंवविहा भवसिद्धिया एगिदिया पराणत्ता, तंजहा-पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया भेदो चउक्कयो जाव वणस्सइकाइयति 4 / भवसिद्धियअपजत्त-सुहुमपुढविकाइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो पण्णत्ताश्रो ?, एवं एएणं अभिलावेणं जहेब पढमिल्लग. एगिदियसयं तहेव भवसिद्धियसर्यपि भाणियब्वं 5 / उद्दे सगपरिवाडी तहेव जाव अचरिमोत्ति 6 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 7 / पंचमं एगिदियसयं सम्मत्तं // 33 // 5 // कइविहा j भंते ! कराहलेस्सा भवसिद्धिया एगिदिया पराण त्ता ?, मोयमा ! पंचविहा कराहलेस्सा भवसिद्धिया एगिदिया पराणत्ता, पुढविकइया जाव वणस्सइकाइया 8 / कराहलेस्स-भवसिद्धिय-पुढविकाइया णं भंते ! कतिविहा पराणत्ता ?, गोयमा! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-सुहुम-पुढवि. काइया य बायरपुढविकाइया य 1 / कराहलेस्स-भवसिद्धिय-सुहमपुढवि. काइया णं भंते ! कइविहा पराणत्ता 1. गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा Page #380 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 33 : अवांतर शतकं 11] / 807 पजत्तगा य अपजत्तगा य, एवं बायरावि 10 / एएणं अभिलावेणं तहेव चउक्कयो भेदो भाणियबो 11 / कराहलेस्स-भवसिद्धिय-अपजत्तसुहुम-पुढविकाइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीयो पराणत्तायो, एवं एएणं अभिलावेणं जहेब मोहिउद्दसए तहेव जाव. वेदेति 12 / कइविहा णं भंते ! अणंतरोववनगा कराहलेस्साभवसिद्धिया एगिदिया पराणत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा अणंतरोक्वनगा जाव वणस्सइकाइया 13 / अणंतरो. ववन्नग-कराहलेस्स-भवसिद्धिय-पुढविकाइयाणं भंते ! कतिविहा पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहा-सुहुमपुढविकाइया, एवं दुयो भेदो 14 / अणंतरोववन्नग-कराहलेस्स-भवसिद्धीय-सहुम-पुढविकाइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीयो पराणत्तायो ?, एवं एएणं अभिलावेणं जहेव श्रोहियो अणंतरोववन्नउद्देसयो तहेव जाव वेदेति 15 / एवं एएणं अभिलावणं एकारसवि उद्देसगा तहेव भाणियव्या जहा श्रोहियसए जाव अचरिमोत्ति 16 / छट्ट एगिदियसयं समत्तं // 33 // 6 // [ग्रन्थाग्रं१५०००] जहा कराहलेसभवसिद्धिएहि सयं भणियं एवं नीललेस्स-भवसिद्धिएहिवि सयं भाणियव्वं 17 / सत्तसं एंगिदियसयं समत्तं // 33 // 7 // एवं काउलेस्सभवसिद्धीएहिवि सयं. 18 / अट्ठमं एगिदियसयं समतं // 33 // 8 // कइविहा णं भंते ! अभवसिद्धीया एगिदिया पराणत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा अभवसिद्धिया एगिदिया पराणत्ता, तंजहा-पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया, एवं जहेव भवसिद्धीयसयं भणियं नवरं नव उद्दे सगा चरमअचरमउद्दे सगवजा सेसं तहेव 19 / नवमं एगिदियसयं समत्तं // 33 // 6 // एवं कराहलेस्स-अभवसिद्धीय-एगिदियसयपि 20 / दसमं एगिदियसयं समत्तं // 33 // 10 // नीललेस्स-अभवसिद्धीय-एगिदिएहिवि सय 21 // 33-11 // Page #381 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 80.] .. [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः काउलेस्स-श्रभवसिद्धीयसयं, एवं चत्तारिवि श्रभवसिद्धीयसयाणिणव 2 उद्दे सगा भवंति, एवं एयाणि बारस एगिदियसयाणि भवंति 22 // 33 // 12 // सूत्रं 841 // तेत्तीसइमं सयं सम्मत्तं // // इनि त्रयस्त्रिंशत्तमं शतकम् // 33 // // अथ एकेन्द्रियश्रेणीनामकं चतुस्त्रिंशत्तमं शतकम् // - कइविहा णं भंते ! एगिदिया पराणत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा एगिदिया पराणत्ता, तंजहा-पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया, एवं एतेणं चेव चउकएणं भेदेणं भाणियव्वा जाव वणस्सइकाइया 1 / अपजत्त-सुहुमपुढविकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समोहए समोहइत्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पचच्छिमिल्ले चरिमंते अपजत्तसुहुमपुढविकाइयत्ताए उववजित्तए 2 / से णं भंते ! कइसमएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा ?, गोयमा ! एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेणं उववज्जेजा 3 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ एगसमइएण वा दुसमइएण वा जाव उववज्जेजा ?; एवं खलु गोयमा ! मए सत्त सेढीयो पराणत्तात्रो, तंजहा-उज्जुयायता सेढी एगययोवंका दुहोवंका एगयनोखहा दुहयोखहा चकवाला श्रद्धचकवाला 7, उज्जु. अायताए सेदीए उववजमाणे एगसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेजा, एगयोवंकाए सेढीए उववजमाणे दुसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेजा, दुहश्रोवंकाए सेढीए उववजमाणे तिसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेजा, से तेणटेणं गोयमा ! जाव उववज्जेजा 4 / अपजत्त-सुहुमपुढविकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समोहए समो 2 जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पचच्छिमिल्ले चरिमंते पजत्त-सुहुम-पुढविकाइयत्ताए. उववजित्तए से णं भंते ! कइसमइए विग्गहेणं उवज्जेजा ?, गोयमा ! एगस Page #382 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 34 :: उद्देशकः 1 ] [809 मइएण वा सेसं तं चेव जाव से तेण?णं जाव विग्गहेणं उववज्जेजा 5 / एवं अपजत्त-सुहुम-पुढविकाइयो पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समोहणावेत्ता पञ्चच्छिमिल्ले चरिमंते बादरपुढविकाइएसु अपजत्तएसु उववाएयव्यो, ताहे तेसु चेव पजत्तएसु 4, एवं अाउकाइएसु चत्तारि घालावगा सुहुमेहिं अपजत्तपहिं ताहे पजत्तएहिं बायरेहिं अपजत्तएहिं ताहे पजत्तएहिं उववाएयब्वो 4, एवं चेव सुहुमतेउकाएहिवि अपजत्तएहिं 1 ताहे पजत्तएहिं उववाएयव्वो 2, 6 / अपजत्त-हुमपुढविकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरच्छिमिल्ने चरिमंते समोहए समोहइत्ता जे भविए मणुस्सखेत्ते अपजत्तबादरतेउकाइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते ! कइसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेजा ?, सेसं तं चेव, एवं पजत्त-बायर-तेउक्काइयत्ताए उववाएयवो 4, वाउकाइए सुहुमवायरेसु जहा पाउकाइएसु उववाश्रो तहा उववाएयव्यो 4, एवं वणस्सइकाइएसुवि 20, 7 / पजत्त-सुहुमपुढविकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए एवं पजत्त-सुहुम-पुढविकाइनोवि पुरच्छिमिल्ने चरिमंते समोहणावेत्ता एएणं चेव कमेणं एएसु चेव वीससु ठाणेसु उववाएयबो जाव बादरवणस्सइकाइएसु पजत्तएसुवि 40, एवं अपजत्तबादरपुढविकाइअोवि 60, एवं पजत्तबादरपुढविकाइग्रोवि 80, एवं श्राउकाइयोवि चउसुवि गमएसु पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समोहए एयाए चेव वत्तव्वयाए एएसु चेव वीसइठाणेसु उववाएयब्बो 160, सुहुमतेउकाइनोवि अपजत्तो पजत्तो य एएसु चेव वीसाए ठाणेसु उवषाएयव्यो 8 / अपजत्त-बायरतेउकाइए णं भंते ! मणुस्सखेत्ते समोहए 2 जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पचच्छिमिल्ले चरिमंते अपजत्त-सुहुम-पुढविकाइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते ! कइसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेजा सेसं तहेव जाव से तेण?णं जाव उववज्जेजा एवं पुढविकाइएसु चउविहेसुवि उववाएयव्वो 1 / एवं ग्राउकाइएसु चउविहेसुवि, तेउकाइएसु सुहुमेसु अपजत्तएसु Page #383 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 810] - [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभाग पजत्तएसु य एवं चेव उववाएयब्बो 10 / अपजत्तवायरते उकाइए णं भंते ! मणुस्सखेत्ते समोहए 2 जे भविए. मणुस्सखेत्ते अपजत्तबायरतेउकाइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते ! कतिसमएणं विग्गहेणं उववज्जेजा ?, सेसं तं चेव 11 / एवं पजत्त-बायर-तेउकाइयत्ताएवि उववाएयव्यो, वाउकाइयत्ताप य वणस्सइकाइयत्ताए य जहा पुढविकाइएसु हिव चउकएणं भेदेणं उववाएययो, एवं पजत्त-वायर-तेउकाइनोवि समयखेते समोहणावेत्ता एएसु चेव वीसाए ठाणेसु उववाएयव्वो जहेव अपजत्तयो उबवाइयो, एवं सब्बत्थवि बायरतेउकाइया अपजत्तगा य पजत्तगा य समयखेत्ते उववाएयव्वा समोहणावेयव्यावि 240, वाउकाइया वणस्सकाइया य जहा पुढविकाइय! तहेब चउकएणं भेदेणं उववाएयवा जाव पजत्ता 400, 12 / बायर. वणस्सइकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समोहए समोहएत्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पञ्चच्छिमिल्ने चरिमंते पजत-बायर-वणस्सइकाइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते ! कतिसमएणं तिग्गहेणं उववज्जेजा सेसं तहेव जाव से तेण?णं जाव उववज्जेजा 13 / अपजत-सुहुम-पुढविकाइएसु णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पञ्चच्छिमिल्ले चरिमंते समोहए 2 जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरच्छिमिल्ले चरिमंते अपजत्त-सुहुम-पुढविकाइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते ! कइसमएणं विग्गहेणं उबवज्जेजा ?, सेसं तहेव निरवसेसं 14 ! एवं जहेब पुरच्छिमिल्ले चरिमंते सधपदेसुवि. समोहया पचच्छिमिल्ले चरिमंते समयखेत्ते य उववाइया जे य समयखेत्ते समोहया पञ्चच्छिमिल्ने चरिमंते समयखेत्ते य उववाइया एवं एएणं चेव कमेणं पञ्चच्छिमिल्ले चरिमंते समयखेत्ते य समोहया पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समयखेते य उववाएयव्वा तेणेव गमएणं 15 / एवं एएणं गमएणं दाहिणिल्ले चरिमंते समोहयाणं उत्तरिल्ले चरिमंते समयखेत्ते य उबवायो एवं चेव उत्तरिल्ले चरिमंते समय Page #384 -------------------------------------------------------------------------- ________________ यामद्व्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवति)सूत्रं :: शतकं 34 :: उद्देशकः 1 ] [ 811 वन य समोहया दाहिणिल्ले चरिमंते समयखेते य उववाएयव्वा तेणेव गमएणं 16 / अपजत्त-सुहुम-पुटविकाइए णं भंते ! सकरप्पभाए पुढवीए पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समोहए 2 जे भविए सकरप्पभाए पुटवीए पञ्चच्छिमिल्ले चरिमंते अपजत्त-हुम-पुढविकाइयत्ताए उववजइ एवं जहेव रयणप्पभाए नाव स तेण?णं एवं एएणं कमेणं जाव पजत्तएसु सुहुमतेउकाइएसु 17 / यपजत्तसुहुमपुटविकाइए णं भंते ! सकरप्पभाए पुढवीए पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समोहए समोहइत्ता जे भविए समयखेत्ते अपजत बायर. उक्काइयत्ताएं उववजित्तए से णं भंते ! कतिममयएणं पुच्छा, गोयमा ! समइएमा वा तिसमइएण वा विग्गहेण उववजिज्जा 18 / से केण?णं ?, एवं खलु गोयमा ! मए सत्त सेढीयो पगणनायो, तंजहा-उज्जुयायता जाव यद्धचकवाला, एगोवंकाए सेढीए उपवजमाणे दुसमइएणं विग्गहेणं अवज्जेजा दुहयोवंकाए सेटीए उववजमाणे तिसमइएणं विग्गहेणं उववजजा से तेण?णं जाव उववज्जेजा 11 / एवं पजत्तएसुवि बायरतेउआइएसु, सेसं जहा रयणप्पभाए, जेवि बायरतेउकाइया अपजत्तगा य जित्तगा य समयखेत्ते समोहणित्ता दोचाए पुढवीए पञ्चच्छिमिल्ले चरिमंते विकाइएसु चउविहेसु अाउकाइएसु चउविहेसु तेउकाइएसु दुविहेसु याउकाइएसु चउबिहेसु वणस्सइकाएसु चउन्विहेसु उववज्जति तेऽवि एवं चव दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेण उववाएयव्वा, बायरतेउकाइया ५पजत्तगा य पजत्तगा य जाहे तेसु चेव उववज्जति ताहे जहेव रयणप्पभाए रहब एगसमइय-दुसमइय-तिसमइयविग्गहा भाणियव्वा सेसं जहेव रयण भाए तहेव निरवसेसं, जहा सकरप्पभाए वत्तव्वया भणिया एवं जाव अहमत्तमागवि भाणियव्वा 20 // सूत्रं 850 // अपज्जत्त-सुहुम-पुढविकाइए ग भंते ! अहोलोय-खेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते समोहए 2 जे मविए उड्डलोय-खेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते. अपज्जत्त-सहुमपुढवि. Page #385 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 812] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः काइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते ! कइसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेजा ?, गोयमा ! तिसमइएण वा चउसमइएण वा विग्गहेणं उववज्जेजा 1 / केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ तिसमइएण वा चउसमइएण वा विग्गहणं उववज्जे जा ?, गोयमा ! अपजत्त-सुहुमपुढविकाइए णं ग्रहोलोय-खेतनालीर बाहिरिल्ले खेत्ते समोहए 2 जे भविए उड्डलोय-खेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेते अपजत्त-सुहुम पुढविकाइयत्ताए एगपयरंमि अणुसेटीए(दि) उववजित्तए से णं तिसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेजा जे भविए. विसेढाए(दि) उजित्तए से णं चउसमइएण विग्गहेणं उववज्जेजा से तेणट्टेणं जाव उववज्जेजा 2 / एवं पजत्त-सुहुम पुढविकाइयत्ताएऽवि, एवं जाव पजत. सुहुम-तेउकाइयत्ताए 3 / अपजत्त-सुहुम पुढविकाइए णं भंते ! अहेलोग जाव समोहणित्ता जे भविए समयखेत्ते अपजत्त-बायर-तेउकाइयत्ताए उववजित्तप से णं भंते ! कइसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेजा ?, गोयमा ! दुममइएगा वा तिममइएण वा विग्गहेणं उववज्जेजा 4 / से केणटेणं ?, एवं खलु गोयमा ! मए सत्त सेढीयो पराणत्तायो, तंजहा-उज्जुश्रायता जाव अद्धचकवाला, एगयोवंकाए सेटीए उववजमाणे दुसमइएणं विग्गहेणं उवव. ज्जेजा दुहयोवंकाए सेटीए उपवजमाणे तिसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेजा से तेण?णं जाव उववज्जेजा 5 / एवं. पज्जत्तएसुवि बायरतेउकाइएसवि उववाएयत्वो, वाउकाइय-वणस्सइकाइयत्ताए चउक्कएणं भेदेणं जहा अाउकाइयत्ताए तहेव उववाएयव्यो 27, एवं जहा अपजत्त-सुहुम-पुढविक्काइयस्स गमयो भणियो एवं पजत-सुहुम-पुढविकाइयस्सवि भाणियव्वो तहेव वीसाए ठाणेसु उववाएयब्वो 40, अहोलोयखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते समोहए समोहएत्ता एवं बायरपुढविकाइयस्सवि अपजत्तगस्स पजतगस्स य भाणियव्वं 80, एवं ग्राउकाइयस्स चउब्विहस्सवि भाणियव्वं 160, सुहुमतेउक्काइयस्म दुविहस्सवि एवं चेव 200, 6 / श्रपजत्त-वायरतेउक्काइए णं भंते ! समयखेत्ते Page #386 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीपद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्वगवति) सूत्रं : शतकं 34 :: अवांतर श०१ उ०१ ] / 813 समोहए 2 जे भविए उड्डलोगखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते अपजत्त-सुहुमपुढविकाइयत्ताए उववजित्तए से णं भते! कइसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेजा?, गोयमा ! दुसमइएण वा तिसमइएण वा चउसमइएण वा विग्गहेणं उववज्जेजा 7) से केण?णं भंते ! जाव उववज्जेजा ? अट्ठो जहेव रयणप्पभाए तहेव सत्त सेढीयो 8 / एवं जाव अपजत्तवायरतेउकाइए ण भंते ! समयखेत्ते समोहए 2 जे भविए उडलोग-खेतकालीए बाहिरिल्ले खेत्ते पजत्तसुहुम-तेउकाइयत्ताए उअवजित्तर से णं भंते ! सेसं तं चेव 1 / अपजत्तं-बायरतेउक्काइए णं भंते ! समयखेते समोहए 2 जे भविए समयखेत्ते अपजन-बायर तेउकाइयत्ताए उवव. जित्तए से णं भंते ! कइसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेजा ?, गोयमा ! एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेणं उववज्जेजा 10 / से केण?णं ? अट्ठो जहेव रयणप्पभाए तहेव सत्त सेढीयो, एवं पजत्त-बायरतेउकाइत्ताएवि, वाउयकाइएसु वणस्सइकाइएसु य जहा पुढविकाइएसु उववाइयो तहेव चउक्कएणं भेदेणं उववाएयव्यो, एवं पजत्तवायरसेउकाइथोवि एएसु चेव ठाणेसु उववाएयवो, वाउकाइयवणस्सइकाइयाणं जहेव पुढविकाइयत्ते उववायो तहेव भाणियब्यो 11 / अपजत्त-सुहुम-पुढविकाइए णं भंते! उडलोगखेतनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते समोहए समोहणित्ता जे भविए अहेलोगखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते अपजत्त-सुहुम-पुढविकाइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते ! कइसमएणं विग्गहेणं उववज्जेजा?, एवं उड्डलोग-खेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेते समोहयाणं अहेलोग-खेतनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते उववजयाणं सो चेव गमयो निरवसेसो भाणियन्बो जाव बायरवणस्सइकाइयो पजत्तयो बायरवणस्सइकाइएसु पजत्तएसु उववाइयो 12 / अपजत्त-सुहुमपुढविकाइए णं भंते ! लोगस्स पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समोहए 2 जे भविए लोगस्म पुरच्छिमिल्ले चेव चरिमंते अपज्जत-सुहुम-पुढविकाइयत्ताए उववजि. त्तए से णं भंते ! कइसमइएणं विग्गहेणं उववज्जति ?, गोयमा ! एगसम Page #387 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 814 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः इएणं वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा चउसमइएण वा विग्गहेणं उववज्जति 13 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ एगसमइएण वा जाव उवव. ज्जेज्जा ?, एवं खलु गोयमा ! मए मत्त सेटीयो पराणत्ताश्रो, तंजहा-उज्जु. आयता जाव अद्रकवाला, उज्जुयाययाए सेटीए उववजमाणे एगसमाएणं विग्गणं उववज्जेजा एगोवंकाए सेटीए उववजमाणे दुसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेजा दुहयोवंकाए सेटीए उववजमाणे जे भविए एगपयरंसि अणुसेटी उबवजित्तए से णं तिसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेजा जे भविए विसेदि उववजित्तर से णं चउसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेजा, से तेण?णं जाव उबवज्जेजा 14 / एवं अपजत्तसुहुमपुटुविकाइयो लोगस्स पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समोहए 2 लोगस्स पुरच्छिमिल्ले चेव चरिमंते अपजत्तएसु पजत्नएसु य सुहुमपुढविकाइएसु सुहुमयाउकाइएस अपजत्तएसु पज्जत्तएसु सुहुमतेउकाइएसु अपजत्तएसु पजत्तएस य सुहुमवाउकाइएसु अपज्जत्तएसु पजत्तए सु बायरबाउकाइएसु अपजत्नएसु पज्जत्तएसु सुहुमवणस्सइकाइएसु अपजत्नएसु पजत्तएसु य बारससुवि ठाणेसु एएणं चेव कमेणं भाणियव्वो, सुहुमपुढविकाइयो अपजत्तयो एवं चेव निरवसेसो बारससुवि ठाणेसु उववाएयब्वो 24, 15 / एवं एएणं गनएणं जाव सुहुमवणस्सडकाइयो पज्ज. तो सुहुमवणस्मइकाइएसु पजत्तएसु चेव भाणियवो 16 / अपजत्तसुहुम-पुढविकाइए णं भंते ! लोगस्स पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समोहए 2 जे भविए लोगस्स दाहिणिल्ले परिमंते अपजत्त-सुहुम-पुढविकाइएसु उवजित्तए से णं भंते !, कइसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेजा ?, गोयमा ! दुसमइएण वा तिसमइएण वा चउसमइएण वा विग्गहेणं उववजइ 17 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ?, एवं खलु गोयमा ! मए सत्त सेढीयो पनत्ता, तंजहाउज्जुश्रायता जाव श्रद्धचकवाला, एगोवंकाए सेढीए उववजमाणे. दुसमइएणं विग्गहेणं उववजइ दुहयोवंकाए सेटीए उववजमाणे जे भविए एगपयरंमि Page #388 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमभद्गवति) सूत्रं :: शतकं 34 : अवांतर श०१ उ०१ ] [ 815 यणुसेढीयो उववजित्तए से णां तिसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेजा जे भविए विसेदि उववजित्तए से णं चउसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा से नेण?णं गोयमा ! जाव उववज्जेजा 18 / एवं एएणं गमएणं पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समोहए दाहिणिल्ले चरिमंते उववाएयव्वो, जाव सुहुमवगास्सइकाइयो पजत्तो सुहुमवणस्सइकाइएसु पजत्तएसु चेव, सव्वेसिं दुसमइयो तिसमइयो चउसमझ्यो विग्गहो भाणियव्यो 11 / अपज्जत्तसुहुम-पुढविकाइए णं भंते ! लोगस्स पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समोहए 2 जे भविए लोगस्स पञ्चच्छिमिल्ले चरिमंते अपजत्त-सुहुम-पुढविकाइयत्ताए उववजिताए से ण भंते ! कइसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा ?, गोयमा ! एगममइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा चउसमइएण वा विग्गहेणं उववज्जेजा 20 / से केण?णं ?, एवं जहेब पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समो. हया पुरच्छिमिल्ले चेव चरिमंते उववाइया तहेव पुरच्छिमिल्ले चरिमंते ममोहया पचच्छिमिल्ले चरिमंते उववाएयव्या सव्वे 21 / अपजत्त-सुहुमपुटविकाइए णं भंते ! लोगस्स पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समोहए 2 जे भविए लोगस्स उत्तरिल्ले चरिमंते अपज्जत्त-सुहुम-पुढविकाइयत्ताए उवजित्तए से णं भंते ! एवं जहा पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समोहयो दाहिणिल्ले चरिमंते उववाइयो तहा पुरच्छिमिल्ने चरिमंते समोहयो उत्तरिल्ले चरिमंते उववाएयबो, अपजत्त-सुहुम-पुढविकाइए णं भंते ! लोगस्स दाहिणिल्ले चरिमंते समोहए समोहणित्ता जे भविए लोगस्स दाहिणिल्ले चेव चरिमंते अपजन-सुहुम-पुढविकाइयत्ताए उववजित्तए एवं जहा पुरच्छिमिल्ले समोहश्रो पुरच्छिमिल्ले चेव उववाइयो तहेव दाहिणिल्ले समोहए दाहिणिल्ले चेव उववाएयव्वो, तहेव निरवसेसं जाव सुहुमवणस्सइकाइयो पज्जत्तयो सुहुमवणस्सइकाइएसु चेव पज्जत्तएसु दाहिणिल्ले चरिमंते उक्वाइओ एवं दाहिगिल्ले समोहश्रो पञ्चच्छिमिल्ले चरिमंते उववाएयव्वो नवरं दुसमइय-तिस Page #389 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 816 ] -. [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभाग मइय-चउसमइयविग्गही सेसं तहेव, दाहिणिल्ने समोहयो उत्तरित्ने चरि मंने उववाएयव्यो जहेव सट्टाणि तहेव एगसमइय-दुसमइय-तिसमइय-च उसम इयविग्गहो, पुरच्छिमिल्ले जहा पचच्छिमिल्ले तहेव दुसमइय-तिममइय चउसमइयविग्गहो, पञ्चच्छिमिल्ले य चरिमंते समोहयाणं पञ्चच्छिमिल्ने चेव उववजमाणाणं जहा सट्टाणे, उत्तरिल्ले उववजमाणाणं एगसमइयो विग्गहो नत्थि, सेसं तहेव, पुरच्छिमिल्ले जहा सट्टाणे, दाहिणिल्ले एग समइयो विग्गहो नत्थि, सेसं तं चेव, उत्तरिल्ले समोहयाणं उत्तरिल्ले चय उपवजमाणाणं जहेव सट्टाणे, उत्तरिल्ले समोहयाणं पुरच्छिमिल्ले उववज माणाणं एवं चेव, नवरं एगसमइयो विग्गहो नत्थि, उत्तरिल्ले समोहयाग दाहिणिल्ले उववजमाणाणं जहा सट्टाणे, उत्तरिल्ने समोहयाणं पञ्चच्छि मिल्ने उववजमाणाणं एगसमइयो विग्गहो नत्थि, सेसं तहेव जाव सुहुम वणस्सइकाइयो पजत्तयो सुहुमवणस्सइकाइएसु पजत्तएसु चेव 22 / कहिन्नं भंते ! बायरपुढविकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा पराणत्ता ?, गोयमा सट्टाणेणं अट्ठसु पुढवासु जहा ठाणपदे जाव सुहुमवणस्सइकाइया जय पजत्तगा जे य अपजत्तगा ते सव्वे एगविहा अविसेसमणाणत्ता सव्वलोग परियावन्ना पगणत्ता समणाउसो ! 23 / अपज्जत्त-सुहुम-पुटविकाइयाम भंते ! कति कम्मप्पगडीयो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडीया पराणत्ताश्रो, तंजहा-नाणावरणिज्ज जाव अंतराइयं, एवं चउक्कएणं भेदग जहेव एगिदियसएसु जाव बायरवणस्सइकाइयाणं पजत्तगाणं 24 / श्रा जत्त-सुहुम-पुदविकाइया णं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो बंधंति ?, गोयमा सत्तविहबंधगावि अट्ठविहबंधगावि जहा एगिदियसएसु जाव पज्जत्ता बाया वणस्सइकाइया 25 | अपजत्त-सुहुम-पुढविकाइया णं भंते ! कति कम्मप्पा डीयो वेदेति ? गोयमा ! चोदस कम्मप्पगडीयो वेदेति, तंजहा-नाणावर णिज्जं जहा एगिदियसएसु जाव पुरिसवेदवझ एवं जाव बादरवणम्म Page #390 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवति)सूत्र :: शतकं 34 : अवांतर श०१ उ०१ ] [ 817 काइयाणां पजत्तगाणं 26 / एगिदिया णं भंते ! को उववज्जति कि नरइएहिंतो उववज्जति ? जहा वक्कंतीए पुढविकाइयाणं उबवायो 27 / एगिदियाणं भंते ! कइ समुग्घाया पराणता ?, गोयमा ! चत्तारि समुग्घाया पराणत्ता, तंज़हा-वेदणासमुग्घाए जाव वेउब्वियसमुग्घाए 28 / एगिदिया णं भंते ! कि तुल्लट्ठितीया तुलविसेसाहियं कम्मं पकरेंति ?, तुल्लट्ठितीया वमायविसेसाहियं कम्मं पकरेंति ? वेमायद्वितीया तुलविसेसाहियं कम्म पकरेंति ? वेमायद्वितीया वेमायविसेसाहियं कम्मं पकरेंति ?, गोयमा ! अत्थेगइया तुलद्वितीया तुल्लविसेसाहियं कम्मं पकरेंति अत्थेगइया तुलद्वितीया चमायविसेसाहियं कम्मं पकरेंति अत्यंगइया वेमायद्वितीया तुल्लविसेसाहियं कम्मं पकरेंति अत्यंगइया वेमायद्वितीया वेमायविसेसाहियं कम्मं पकरेंति 21) में केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ अत्थेगइमा तुल्लट्ठितीया जाव वेमायविसेसाहियं कम्मं पकरेंति ?, गोयमा ! एगिदिया चउबिहा पन्नत्ता, तंजहां-पत्थेगइया ममाउया समोववन्नगा 1 अत्थेगइया समाउया विसमोववनगा 2 अत्थेगइया विसमाउया समोववन्नगा 3 अत्यंगइया विसमाउया विसमोववन्नगा 4, नत्थ गां जे ते समाउया समोववन्नगा ते णं तुल्लट्ठितीया तुल्लविसेसाहियं कम्मं पकरेंति 1 तत्थ णं जे ते समाउया विसमोववन्नगा ते णं तुलट्ठितीया वेमायविसेसाहियं कम्मं पकरेंति 2 तत्थ णं जे ते विसमाउया समोववन्नगा ते णं वेमायद्वितीया तुल्लविसेसाहियं कम्म पकरेंति 3 तत्थ णं जे ते विसमाउया विसमोववनगा ते गां वेमायट्टिइया मायविसेसाहियं कम्म पकरेंति 4, से तेणटेणं गोयमा ! जाव वेमायविसेसाहियं कम्मं पकरेंति 30 / सेवं भंते ! 2 जाव विहरति 31 // सूत्रं 851 // . // इति चतुस्त्रिंशत्तमशतके प्रथमावन्तरशतके प्रथम उद्देशकः // 34-1-1 // Page #391 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 818 ] [ श्रीमदाममसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः - काविहा णं भंते ! अणंतरोववन्नगा एगिहिया पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा श्रणंतरोववन्नगा एगिदिया पन्नत्ता, तंजहा-पुढविकाइया. दुयाभेदो जहा एगिदियसएसु जाव बायरवणस्सइकाइया य 1 / कहिन्नं भंते ! थणंतरोववन्नगाणं बायर-पुढविकाइयाणं ठाणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! सट्ठाणेणं अट्ठसु पुढवीस, तंजहा-रयणप्पभाए जहा गणपदे जाव दीवेसु समुद्देसु एत्थ णं अणंतरोववनगाणं बायरपुढविकाइयाणं ठाणा पराणत्ता 2 / उववाएणं सव्वलोए ममुग्घाएणं सबलोए सट्ठाणेणं लोगस्स असंखेजइभागे, अणंतरोववन्नग-सुहुम-पुढविकाइया एगविहा अविसेसमणाणत्ता सव्वलोए परियावन्ना पत्नत्ता समणाउसो !, एवं एएणं कमेणं सब्वे एगिदिया भाणियव्वा 3 / सट्टाणाई सम्वेसि जहा ठाणपदे तेसिं पजत्तगाणं बायराणं उववाय-समुग्घायसट्ठाणाणि जहा तेसिं चेव 'अपज्जत्तगाणं, बायराणं सुहुमाणं सव्वेसिं जहा पुढविकाइयाणं भणिया तहेव भाणियव्वा जाव वणस्सइकाइयत्ति 4 / अर्णतरोववन्नगा-सुहुमपुढविकाइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीयो पराणत्तायो. ?, गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडीयो पन्नत्तायो एवं जहा एगिदियसएसु अणंतरोववन्नगउद्देसए तहेव * पन्नत्तायो तहेव बंधति तहेव वेदेति जाव अणंतरोववन्नगा वायरवणस्सइकाइया 5 / अणंतरोववन्नग-एगिदियाणं भंते ! कयो उववज्जति ? जहेव श्रोहिए उद्देसो भणियो तहेव 6 / अणंतरोववन्नग-एगिदियाणं भंते ! कति समुग्घाया पनत्ता ?, गोयमा ! दोनि ,समुग्घाया पराणत्ता, तंजहावेदणासमुग्घाए य कसायसमुग्घाए य 7 / अणंतरोववन्नग-एगिदियाणं भंते ! किं तुल्लट्ठितीया तुल्लविसेसाहियं कम्मं पकरेंति ? पुच्छा, तहेव गोयमा! अत्थेगइया तुल्लद्वितीया तुल्लविसेसाहियं कम्मं पकरेंति अत्थेगइया तुल्लट्ठितीया वेमायविसेसाहियं कम्म पकरैति 8 / से केणटेणं जाव वेमायविसेसाहियं कम्म पकरेंति ?, गोयमा ! अणंतरोववन्नगा एगिदिया दुविहा Page #392 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 34 :: अवांतर श० 2 ] [819 पराणात्ता, तंजहा-प्रत्यंगइया समाउया समोववन्नगा अत्थेगइया समाउया विसमोश्वनगा तत्थ णं जे ते समाउया समोववन्नगा ते णं तुलद्वितीया तुल्लविसेसाहियं कम्म पकरेंति तत्थ णं जे ते समाउया विसमोववन्नगा ते णं तुल्लद्वितीया वेमायविसेसाहियं कम्मं पकरेंति, से तेण?णं जाव वेमायविसेमाहियं कम्मं पकरेंति 1 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरति 10 // सूत्रं 852 // 34-2 // कइविहा णं भंते ! परंपरोववन्नगा एगिदिया पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा परंपरोववन्नगा एगिदिया पराणत्ता, तंजहा-पुढविकाइया भेदो चउको जाव वणस्सइकाइयत्ति 1 / परंपरोक्वन्नग-अपजत्त-सुहुम-पुढविकाइए णं भंते! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समोहए 2 जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए जाव पचच्छिमिल्ले चरिमंते अपजत्तसुहुम-पुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए एवं एएणं अभिलावेणं जहेव पढमो उसयो जाव लागवरिमंतो त्ति 2 / कहिन्नं भंते ! परंपरोक्वनग-बायरपुढविकाइयाणं ठाणा पराणत्ता ?. गोयमा ! सट्ठाणेणं अट्ठसु पुढवीसु एवं एएणं अभिलावेणं जहा पढमे उद्देसए जाव तुल्लट्ठितीयत्ति 3 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 4 // 34-3 // एवं सेसावि अट्ठ उद्देसगा जाव अवरमोति, नवरं अणंतरा अणंतरसरिसा परंपरा परंपरसरिसा चरमा य श्रचरमा य एव चेव, एवं एते एकारस उद्देसगा // 34-4 / 11 // सूत्रं 853 // पढमं एगिदियसेढीसयं समत्तं // 34 // 1 // ____कइविहा णं भंते ! कराहलेस्सा एगिदिया पराणत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा कराहलेस्मा एगिदिया पराणत्ता, भेदो चउको जहा कराहलेस्सएगिदियसए जाव वणस्मइकाइयत्ति 1 / कराहलेस्स-अपजत्तासुहुम-पुढवि. काइए णं भंते ! इसीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरच्छिमिल्ले एवं एएणं अभिलावणं जहेब भोहिउद्देसयो जाव लोगचरिमंतेत्ति सव्वस्थ कराहलेस्सेसु Page #393 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 820 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः चेव उववारयव्यो 2 / कहिन्नं भंते ! कराहनेस्सअपजत्त-बायर-पुढविकाइ. याणं ठाणा पराणत्ता, एवं एएणं अभिलावेणं जहा श्रोहिउद्देसयो जाव तुल्लट्ठिइयत्ति 3 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ // 34-2-1 // एवं एएणं अभिलावेणं जहेब पढमं सेढिसयं तहेव एक्कारस उद्देसगा भाणियवा // 34-2-4 / 11 / / बितियं एगिदियसेढिसयं समत्तं // 34 // 2 // एवं नीललेस्सेहिवि तइयं सयं // 34 // 3 // काउलेस्सेहिवि सयं, एवं चेव चउथं सयं // 34 // 4 // भविसिद्धियएगिदिएहिंवि मयं पंचम समत्तं // 34 // 5 // कइविहा णं भंते ! यणंतरोववन्ना कराहलेस्सा भवसिद्धिया एगिदिया पराणत्ता ?, एवं जहेब यणंतरोववन्नउद्देसयो योहियो तहेब 1 / कइविहा णं भंते ! परंपरोववन्ना कराहलेस्स-भवसिद्धिया एगिदिया पराणत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा परंपरोक्वन्ना कराहलेस्स भवसिद्धिय-एगिदिया पराणत्ता, श्रोहियो भेदो चउकयो जाव वणस्सइकाइयति 2 / परंपरोववन्न-कराहलेस्स-भवसिद्धिय--अपजत्त-सुहुम--पुढविकाइए णं भंते! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए एवं एएणं अभिलावेणं जहेव श्रोहियो उद्दे. सयो जाव लोयचरमंतेत्ति, सव्वत्थ कराहलेस्सेसु भवसिद्धिएसु उववाएयव्वो 3 / कहिन्नं भंते! परंपरोववन्न-कराहलेस्स-भवसिद्धिय-पजत्त-बायर-पुटविकाइयाणं गणा पराणत्ता, एवं एएणं अभिलावेणं जहव योहियो उद्देसयो जाव तुलट्ठिइयत्ति, एवं एएणं अभिलावेणं कगहलेस्स-भवसिद्धिय-एगिदिएहिवि तहेव एक्कारसउद्दे सगसंजुत्तं सतं 5 // 34-6:1 / 11 // छट्ट सतं समत्तं // 33 // 6 // नीललेस्स-भवसिद्धियएगिदिएसु सयं सत्तम समत्तं // 34 // 7 // एवं काउलेस्स-भवसिद्धियएगिदियेहिवि सयं अट्टम सयं // 34 // 8 // जहा भवसिद्धिएहिं चत्तारि सयाणि एवं अभवसिद्धिएहिवि चत्तारि सयाणि भाणियवाणि, नवरं चरमअचरमवजा नव उद्दे सगा भाणियव्वा, सेसं तं चेक, एवं एयाई बारस एगिदियसेदीसयाई // 34 // Page #394 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवति)सूत्रं :: शतकं 35 // अवांतर श० 1 उ०१] / 821 1.10-11-12 // सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ // सूत्रं 854 // एगिदियसेदीप्सयाइं समत्ताई // एगिदियसेढिसयं चउतीसइमं समत्तं // // इति चतुस्त्रिंशत्तम शतकम् // 34 // // अथ एकेन्द्रियराशिनामकं पञ्चविंशत्तमं शतकम् // कइ णं भंते ! महाजुम्मा पन्नत्ता ? गोयमा ! सोलस महाजुम्मा पराणत्ता, तंजहा-कडजुम्मकडजुम्मे 1 कडजुम्मतेश्रोगे 2 कडजुम्मदावर. (बादर, वातर)जुम्मे 3 कडजुम्मकलियोगे 4 तेश्रोगकडजुम्मे 5 तेश्रोगतेयोगे 6 तेश्रोगदावरजुम्मे 7 तेश्रोगकलियोए 8 दावरजुम्मकडजुम्मे 1 दावरजुम्मतेश्रोए 10 दावरजुम्मदावरजुम्मे 11 दावरजुम्मकलियोगे 12 कलियोगकडजुम्मे 13 कलियोगतेश्रोगे 14 कलियोगदावरजुम्मे 15 कलियोगकलियोगे 16, 1 / से केणट्टे भंते ! एवं वुच्चइ सोलस महाजुम्मा पराणत्ता, तंजहा-कडजुम्मकडजुम्मे जाव कलियोगकलियोगे?,गोयमा! जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवही(हा)रमाणे चउपन्जवसिए जे णं तस्स रामिस्स अवहारसमया तेवि कडजुम्मा सेत्तं कडजुम्मकडजुम्मे 1 / जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे तिपज्जवसिए जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया कडजुम्मा सेत्तं कडजुम्मतेयोए 2, जे णं रासी चउकएणं अवहारेणं अबहीरमाणे दुपजवसिए जे [ तस्स रासिस्स अवहारसमया कडजुम्मा सेत्तं कडजुम्मदावरजुम्मे 3, जे णं रासीचउकएणं अवहारेणं अबहीरमाणे एगपजवसिए जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया कडजुम्मा सेत्तं कडजुम्मकलियोगे 4, जे ण रासीचउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे चउपजवसिए जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया तेयोगा सेत्तं तेश्रोगकडजुम्मे 5, जे णं रासी चउकएणं अवहारेणं अवहीरमाणे तिपज्जवसिए जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया तेश्रोगा सेत्तं तेश्रोगतेश्रोगे 6, जे णं Page #395 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 822 ) / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः रासी चउकएणं अवहारेणं अबहीरमाणे दोपज्जवपिए जे णं तस्स रासिस्स अवहारसयमा तेयोया सेतं तेश्रोयदावरजुम्मे 7, जे णं रासी चउक्कएणं श्रवहारेणं अवहीरमाणे एगपजवसिए जेणं तस्स रासिस्स अवहारसमया तेश्रोया सेत्तं तेयोयकलियोगे 8, जे णं रासी चउकएणं अवहारेणं अवहीरमाणे चउपज्जवसिए जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया दावरजुम्मा सेत्तं दावरजुम्मकडजुम्मे 1, जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे तिपज्जवसिए जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया दावरजुम्मा सेत्तं दावरजुम्मतेयोए 10, जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे दुपजवसिए जे णं तस्त रासिस्स अवहारसमया दावरजुम्मा सेत्तं दावरजुम्मदावरजुम्मे 11, जे णं रासी चउकएणं अवहारेणं अवहीरमाणे एगपज्जवसिए जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया दावारजुम्मा सेत्तं दावरजुम्मकलियोए 12, जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अबहीरमाणे चउपजवसिए जे णं तस्स रासिरस अवहारसमया कलियोगा सेतं कलियोगकडजुम्मे 13, जे णं रासी उकएणं अवहारेणं अवहीरमाणे तिपजवसिए जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया कलियोगा सेत्तं कलियोगतेयोए 14, जे णं रासी चउकएणं अवहारेणं अवहीरमाणे दुपजवमिए जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया कलियोगा सेत्तं कलियोगदावरजुम्मे 15 / जे णं रासी चउकएणं अवहारेणं अबहीरमाणे एगपजवसिए जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया कलियोगा सेत्तं कलियोगकलियोगे 16, से तेणटेणं जाव कलियोगकलिगोगे 2 // सूत्रं 855 / / कडजुम्म-कडजुम्मएगिदिया णं भंते ! कयो उववज्जंति किं नेरहिएहितो जहा उप्पलुद्देसए तहा उववाश्रो 1 / ते गां भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उखवज्जति ?, गोयमा ! सोलस वा संखेना वा असंखेजा वा अणंता वा उबवज्जति 2 / ते णं भंते ! जीवा समए समए पुच्छा, गोयमा ! ते णं अणंता समए समए अवहीरमाणा 2 Page #396 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवति)सूत्रं : शतकं 35 :: अवांतर श०१ उ०१ ] [ 823 यगाताहिं उस्सप्पिणीयवसप्पिणीहिं अवहीरंति णो चेव णं अवहरिया (यबहिया) सिया, उच्चत्तं जहा उप्पलुद्दे सए 3 / ते णं भंते ! जीवा नाणाघरणिजस्स कम्मस्स किं बंधगा अबंधगा ?, गोयमा ! बंधगा नो अबंधगा एवं सम्बेसि ग्राउयवज्जाणं, पाउयस्स बंधगा वा प्रबंधगा वा 4 / ते भंते ! जीवा नाणावरणिजस्स पुच्छा, गोयमा ! वेदगा नो अवेदगा, एवं सव्वेसि 5 / ने णं भंते ! जीवा कि सातावेदगा असातावेदगा ? पुच्छों, गोयमा ! सातावेदगा वा असातावेदगा वा, एवं उप्पलुद्दे सगपरिवाडी, मवेसि कम्माणं उदई नो अणुदई, छराहं कम्माणं उदीरगा नो अणुदीरगा, वदणिजाउयाणं उदीरगा वा अणुदीरगा वा 6 / ते णं भंते ! जीवा किं कराहलेस्सा पुच्छा, गोयमा ! कराहलेस्सा वा नीललेस्सा वा काउलेस्सा वा तेउलेस्सा वा 7 / नो सम्मदिट्ठी नो सम्मामिच्छादिट्ठी मिच्छादिट्टी, नो नाणी अन्नाणी नियमं दुअन्नाणी तंजहा-मइअन्नाणी य सुययनाणी य, नो मणजोगी नो वइजोगी काययोगी, सागारोवउत्ता वा अणागारोवउत्ता वा 8 ।तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरा कतिवन्ना ? जहा उप्पलुद्दे सए सव्वस्थ पुच्छा, गोयमा ! जहा उप्पलुद्देसए ऊसासगा वा नीसासगा वा नो उस्सासनीसासगा वा, पाहारगा वा अणाहारगा वा, नो विरया अविरया नो विरयाविरया, सकिरिया नो अकरिया, सत्तविहबंधगा वा अविहबंधगा वा, याहारसन्नोवउत्ता वा जाव परिग्गहसन्नोवउत्ता वा, कोहकसायी वा माणकसायी जाव लोभकसायी वा, नो इस्थिवेदगा नो पुरिसवेदगा नपुंसगवेदगा, इत्थिवेयवंधगा वा पुरिसवेदबंधगा वा नपुंसगवेदबंधगा वा, नो सन्नी असन्नी, मइंदिया नो अणिदिया 1 / ते णं भंते ! कडजुम्मकडजुम्मएगिदिया कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं एक्कं समयं उकोसेणं अणंतं कालं अणंता उस्सप्पिणियोसप्पिणीयो वणस्सइकाइयकालो 10 / संवेहो न भनइ, अाहारो जहा उप्पलुद्देसए नवरं निव्वाघाएणं छदिसिं वाघायं Page #397 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 824 ] - [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः पडुच्च सिय तिदिसि सिय चरदिसि सिय पंचदिसि सेसं तहेव, ठिती जह. न्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बावीस वाससहस्साई समुग्घाया आदिला चत्तारि, मारणंतिय-समुग्धातेणं समोहयावि मरति असमोहयावि मरति, उबट्टणा जहा उप्पलुद्दे सए 11 / यह भंते ! सवपाणा जाव सबसत्ता कडजुम्मरएगिदियत्ताए उववन्नपुव्वा ?, हंता गोयमा ! असई अदुवा अणंतखुत्तो 12 / कडजुम्म-तेश्रोय-एगिदिया णं भंते ! कश्रो उववज्जंति ?, उववाश्रो तहेव 13 / ते णं भंते ! जीवा एगसमए पुच्छा, गोयमा ! एकूणवीसा वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा उववज्जंति, सेसं जहा कडजुम्मकडजुम्माणं जाव अणंतखुत्तो 14 / कडजुम्म-दावरजुम्मएगिदिया णं भंते ! कयोहितो उववजंति ?, उववायो तहेव 15 / ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं पुच्छा, गोयमा ! अट्ठारस वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा उववज्जति सेसं तहेव जाव अणंतखुत्तो 16 / कडजुम्म-कलियोग-एगिदिया णं भंते ! कत्रो उववज्जति ? उववाश्रो तहेब परिमाणं सत्तरस वा संखेजा असंखेन्जा वा अणंत वा सेसं तहेव जाव अणंतखुत्तो 17 / तेयोग-कडजुम्म-एगिदिया णं भंते ! कयो उववज्जति ?, उववायो तहेव परिमाणं बारस वा सखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा उववजंति सेसं तहेव जाव अणंतखुत्तो 18 / तेयोयतेयोय-एगिदिया णं भंते ! कयो उववज्जंति ?, उववायो तहेव परिमाणं पन्नरस वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा सेसं तहेव जाव अणंतखुत्तो 16 / एवं एएसु सोलससु महाजुम्मेसु एको गमश्रो नवरं परिमाणे नाणतं तेयोयदावरजुम्मेसु परिमाणं चोइस वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा उववज्जति 20 / तेयोगकलियोगेसु तेरस वा संखेज्जा वा असंखेजा वा अणंता वा उववज्जति 21 / दावरजुम्म-कडजुम्मेसु अट्ठ वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा उववज्जति दावरजुम्म. Page #398 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवति सत्र :: शतकं 35 :: अवांतर श०१ उ०२] [ 825 तेयोगेसु एक्कारस वा संखेज्जा वा असंखेजा वा अणंता वा उववज्जति 22 / दावरजुम्मदावरजुम्मेसु दस वा संखेज्जा वा असंखेन्जा वा अणंता वा दावरजुम्मकलियोगेसु नव वा संखेजा वा असंखेजा वा अनंता वा उववज्जंति 23 / कलियोगकडजुम्मे चत्तारि वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा उववज्जति 24 / कलियोगतयोगेसु सत्त वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा उववज्जंति 25 / कलियोगदावरजुम्मेसु छ वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा उववज्जति 26 / कलियोगकलियोगएगिदिया णं भंते ! कत्रो उववज्जति ?, उववाश्रो तहेव परिमाणं पंच वा संखेजा वा असंखेजा व अणंता वा उववज्जंति सेसं तहेव जाव अणंतखुत्तो 27 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरति // सूत्रं 856 // पणतीसइमे पढमो उद्दे सो॥ // इति पञ्चविंशतितमशतके अवान्तरप्रथमशतके प्रथम उद्देशकः॥ 35-1-1 // पढमसमय-कडजुम्म२एगिदिया णं भंते ! को उववज्जति ?, गोयमा / तहेव एवं जहेव पढमो उद्दे सश्रो तहेव सोलसखुत्तो बितियोवि भाणियब्वो, तहेव सव्वं, नवरं इमाणि य दस नाणत्ताणि-योगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणवि अंगुलस्स असंखेजइभागं याउयकम्मस्स नो बंधगा अबंधगा अाउयस्स नो उदीरगा अणुदीरगा नो उस्सासगा नो निस्सासगा नो उस्सासनिस्सासगा सत्तविहबंधगा नो अट्टविह बंधगा 1 / ते णं भंते ! पढमसमय-कडजुम्म २एगिदियत्ति कालश्रो कवचिरं होइ ?, गोयमा ! एक समयं, एवं ठितीएवि समुग्घाया आदिल्ला दोन्नि, समोहया वा पुच्छिज्जति उव्वट्टणा न पुच्छिजइ, सेसं तहेव सव्वं निरवसेसं सोलससुवि गमएसु जाव अणंतखुत्तो 2 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 3 // सूत्रं 857 // 35-1-2 // अपढमसमय-कडजुम्मर Page #399 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 426 [ श्रीमदागमसुधासिन्धु : तृतीयो विभागः एगिदिया णं भंते ! कत्रो उववज्जति ?, एसो जहा पढमुद्दे सो सोलसहिवि जुम्मेसु तहेव नेयम्वों जाव कलियोग-कलियोगत्ताए जाव अणंतखुत्तो 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति२ // 35-1-3 // चरिमसमय कडजुम्म २एगिदिया णं भंते ! कोहितो. उववज्जति ?, एवं जहेव पढमसमयउद्दसत्रो नवरं देवा न उववज्जति तेउलेस्सा न पुच्छिजति, सेसं तहेव 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 2 // 35-1-4 // अचरमसमय-कडजुम्म २एगिदिया णं भंते ! को उववज्जति जहा अपढमसमयउद्दसो तहेव निरवसेसो भाणियन्वो 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 2 // 35-1-5 // पढमसमय-कडजुम्म-कडजुम्मएगिदिया णं भंते ! करोहितो उववज्जति ?, जहाँ पढमसमयउद्देसयो तहेव निरवसेसं 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // 35-1-6 // पढमयपढमसमय-कडजुम्म 2 एगिदिया णं भंते ! को उववज्जति ? जहा पढमसमयउद्दे सो तहेव भाणियन्वो 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 2 // 35-1-7 // पढमत्ररिमसमय-कडजुम्म२एगिदिया णं भंते ! कत्रो उववज्जति ?, जहा चरमुद्दे सश्रो तहेव निरवसेसं 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 2 // 35-1-8 // पढमचरिमसमय-कडजुम्म २एगिदिया णं भंते ! को उववज्जति ?, जहा बीग्रो उद्दे सश्रो तहेव निरवसेसं 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // 35-1-1 // चरिम२समयकडजुम्म२एगिदिया णं भंते ! कत्रो उववज्जंति ?, जहा चउत्थो उद्देसयो तहेव 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 2 // 35.1.10 // चरमअचरमसमयकडजुम्म२एगिदिया णं भंते ! कत्रो उववज्जति ?, जहा पढमसमयउद्दे सश्रो तहेव निरवसेसं 1 / सेवं भंते ! 2 जाव विहरति 2 // 35-1-11 // एवं एए एकारस उद्दे सगा, पढमो ततिश्रो. पंचमयो य सरीसगमा सेसा अट्ट सरीसगमगा, नवरं चउत्थे Page #400 -------------------------------------------------------------------------- ________________ यामद्व्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवति)सूत्रं :: शतकं 35 :: अवांतर श०२-५ ] [ 827 छठे अट्ठमे दसमे य देवा न उववज्जंति तेउलेस्सा नत्थि / / सूत्रं 858 // पढमं एगिदिय-महाजुम्मसयं समत्तं // 35 // 1 // कराहलेस्स-कडजुम्मे २एगिदिया णं भंते ! कयो उववज्जंति ?, गोयमा ! उववायो तहेव एवं जहा श्रोहिउद्देसए नवरं इमं नाणत्तं 1 / ते णं भंते ! जीवा कराहलेस्सा ?, हंता कराहलेस्सा 2 / ते णं भंते ! कराहलेस्सकड. जुम्मरणगिदियेत्ति कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा! जहन्नेणं एक्कं ममयं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं 3 / एवं ठितीएवि, सेसं तहेव जाय यणंतखुत्तो, एवं सोलसवि जुम्मा भाणियव्या 4 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 5 // 35-2-1 // पढमसमय-कराहलेस्स-कडजुम्म२. गिदिया णं भंते ! कत्रो उववजंति ?, जहा पढमसमयउद्दसयो नवरं ते णं भंते ! जीवा कराहलेस्सा ?, हंता कराहलेस्सा, सेसं तहेव 1 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 2 // 35-2-2 // एवं जहा श्रोहियसए एकारस उद्दे सगा भणिया तहा कराहलेस्ससएवि एक्कारस उद्दे सगा भाणियव्वा 1 / पढमो तइयो पंचमो य सरिसगमा सेसा अट्ठवि सरिसगमा नवरं चउत्थछट्ट अट्टम-दसमेसु उववायो नत्थि देवस्स 2 / सेवं भंते! 2 ति जाव विहरइ 3 / / 35-2-3 / 11 / सए वितियं एगिदिय-महाजुम्मसयं समत्तं // 35 // 2 // एवं नीललेस्सेहिवि सयं कराहलेस्ससयसरिसं एकारस उद्दे सगा तहेव 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // ततियं एगिदियमहाजुम्मसयं समत्तं // 35 // 3 // एवं काउलेस्सेहिवि सयं कराहलेस्ससयसरिसं 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाब विहरइ 2 // चउत्थं एगिदियमहाजुम्मसयं // 35-4 // भवसिद्धिय-कडजुम्म२एगिदिया णं भंते ! कयो उववज्जंति ? जहा श्रोहियसयं नहव नवरं एकारससुवि उद्दे सएसु 1 / अह भंते ! सव्वपाणा जाव सव्वमत्ता भवसिद्धिय-कडजुम्म २एगिदियत्ताए उववन्नपुव्वा ?, गोयमा ! णो इण? सम8, सेसं तहेव 2 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 3 // पंचम Page #401 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 828 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभागः एगिदियमहाजुम्मसयं समत्तं // 35 // 5 // कराहलेस्स-भवसिद्धियकडजुम्म २एगिदिया णं भंते ! कोहिंतो उववज्जति ?, एवं कराहलेस्सभवसिद्धिय-एगिदिएहिवि सयं बितियसय-कराहलेस्स-सरिसं भाणियव्वं 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // छ8 एगिदियमहाजुम्मसयं समत्तं // 35 // 6 // एवं नीललेस्स-भवसद्धियएहिवि सयं 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // सत्तमं एगिदिय-महाजुम्मसयं समत्तं // 35 // 7 // एवं काउलेस्स-भवसिद्धिय-एगिदिएहिवि तहेव एकारस-उद्दे सगसंजुत्तं सयं, एवं एयांणि चत्तारि भवसिद्धियाणि सयाणि, चउसुवि सएसु. सव्वपाणा जाव उववन्नपुव्वा ?, नो इण? सम? 1 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरति 2 // अट्ठमं एगिदिय-महाजुम्मसयं समत्तं // 35 // 8 // जहा भवसिद्धि. पहिं चत्तारि सयाई भणियाई एवं अभवसिद्धिएहिवि चत्तारि सयाणि लेस्सासंजुत्ताणि भाणियवाणि 1 / सब्वे पाणा तहेव नो इण? सम? 2 / एवं एयाइं बारस एगिदियमहाजुम्मसयाई भवंति 3 // 35 // 1-12 / / सेवं भंते / 2 ति जाब विहरति 4 // सूत्रं 851 // पंचतीसइमं सयं समत्तं / / . // इति पञ्चविंशतितमं शतकम् // 35 / / .. . // अथ द्वीन्द्रियाख्यं षडत्रिंशत्तमं शतकम् // कडजुम्मरदिया णं भते ! कयो उववज्जति ?, उववाश्रो जहा वक्कतीए, परिमाणं सोलस वा संखेजा वा उववज्जंति असंखेजा वा उववज्जंति 1 / अवहारो जहा उप्पलुद्देसए, श्रोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं बारस जोयणाई 2 / “एवं जहा एगिदियमहाजुम्माणं पढमुद्दे सए तहेव नवरं तिनि लेस्सायो देवा न उववज्जंति सम्मदिट्टी वा मिच्छट्टिी वा नो सम्मामिच्छादिट्ठी नाणी वा अन्नाणी वा नो मणयोगी वययोगो वा कायजोगी वा 3. / ते णं भंते ! कडजुम्म२. Page #402 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : 36 :: अवांतर श० 1-6 ) / 826 दिया कालयो केवचिरं होइ ?. गोयमा / जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं संखेज्जं कालं ठिती जहन्नेणं एक समयं उक्कोसेणं बारस संवच्छराई 4 / थाहारो नियमं छदिसि, तिन्नि समुग्घाया सेसं तहेव जाव अणंतखुत्तो, एवं सोलससुवि जुम्मेसु 5 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 6 // ३दियमहाजुम्मसए पढमो उद्दे सश्रो समत्तो // 36-1-1 // पढमसमयकडजुम्मरदिया णं भंते ! को उववज्जति ?, एवं जहा एगिदियमहाजुम्माणं पढमसमयउद्देसए दस नाणत्ताइं ताई चेव दस इहवि 1 / एकारसमं इमं नाणत्तं-नो मणयोगी नो वइयोगी काययोगी सेसं जहा बेंदियाणं चेव पढमुद्दसए 2 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 3 // 36-1-2 // एवं एएवि जहा. एगिदियमहाजुम्मेसु एकारस उद्देसगा तहेव भाणियव्वा नवरं चउत्थाटुंअट्ठमदसमेसु सम्मत्तनाणाणि न भवंति, जहेव एगिदिएसु पढमो तइयो पंचमो य एकगमा सेसा अट्ट एकगमा // 36-1-3 // 11 // पढमं बेइंदियमहाजुम्मसयं समत्तं // 36 // 1 // कराहलेस्सकडजुम्मर बेइंदिया णं भंते ! कत्रो उववज्जति ?, एवं चेव कराहलेस्सेसुवि एकारसउद्देसगसंजुत्तं सयं, नवरं लेस्सा संचिट्टणा ठिती जहा एगिदियकराहलेस्साणं // बितियं बेंदियसयं सम्मत्तं // 36 // 2 // एवं नीललेस्सेहिवि सयं / ततियं सयं समत्तं // 36 // 3 // एवं काउलेस्सेहिवि, सयं 4 समत्तं // 36 // 4 // भवसिद्धियकडजुम्मरबेइंदिया णं भंते !, एवं भवसिद्धियसयावि चत्तारि तेणेव पुञ्चगमएणं नेयव्वा नवरं सव्वे पाणा तहेव णो तिण? समढे 1 / सेसं तहेव श्रोहियसयाणि चत्तारि 2 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरति 3 / छत्तीसमसए अट्ठमं सयं समत्तं // 36 // 5-8 // जहा भवसिद्धियसयाणि चत्तारि एवं अभवसिद्धियसयाणि चत्तारि भाणियब्वाणि नवरं सम्मत्तनाणाणि नत्थि, सेसं तं चेव 1 / एवं एयाणि बारस बेइंदियमहाजुम्मसयाणि भवंति 2 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 46 Page #403 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 830 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः तृतीयो विभागः 3 // सूत्रं 660 ॥३दियमहाजुम्मसया समत्ता // 36 // 1-10--11-12 // छत्तीसतिमं सयं समत्तं // ____ // इति षट्त्रिंशत्तमं शतकम् // 36 // .. // अथ त्रीन्द्रियाख्यं सप्तत्रिंशत्तमं शतकम् // कडजुम्मरतेंदिया णं भंते ! कत्रो उववजंति ?, एवं तेईदिएसुवि बारस सया काव्या बेइंदियसयसरिसा नवरं योगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं तिनि गाउयाई 1 / ठिती जहन्नेणं एक्क समयं उकोसेणं एकूणवन्नं राइंदियाई सेसं तहेव 2 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 3 // सूत्र 861 // तेंदियमहाजुम्मसया समत्ता // 12 // सत्ततीसइमं सयं समत्तं // 37 // // अथ चतुरिन्द्रयाख्यं अष्टत्रिंशत्तमं शतकम् / / _ चउरिदिएहिवि एवं चेव बारस सया कायब्वा नवरं श्रोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उकोसेणं चत्तारि गाउयाई ठिती जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं छम्मासा सेसं जहा बेदियाणं 1 / सेवं भंते / 2. त्ति जाव विहरइ 3 // सूत्रं 862 // चरिंदियमहाजुम्मसया समत्ता // 12 // अट्टतीसइमं सयं समत्तं // 38 // // अथ असंज्ञिपञ्चेन्द्रियाख्यं एकोनचत्वारिंशत्तमं शतकम् / / * कडजुम्मर असन्निपंचिंदिया णं भंते ! कत्रो उववज्जति जहा बेंदियाणं तहेव असन्निसुवि बारस सया कायब्वा नवरं श्रोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं जोयणसहस्सं संचिट्ठणा जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं पुवकोडीपुहुत्तं ठिती जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं पुवकोडी सेसं जहा बेंदियाणं 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 Page #404 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 40 :: अवांतर श० 1 ] [ 831 // सूत्रं 863 // श्रमन्निपंचिंदियमहाजुम्मसया समत्ता // 12 // एगूणयालीसइमं सयं समत्तं // 31 // // अथ संज्ञिपञ्चेन्द्रियाख्यं चत्वारिंशत्तमं शतकम् // कडजुम्मरसन्निपंचिंदिया णं भंते ! कयो उववज्जंति ?, उववाश्रो चउसुवि गईसु, संखेजवासाउय-असंखेजवासाउय-पजत्तअपजत्तएसु य न कयोवि पडिसेहो जाव अणुत्तरविमाणत्ति 1 / परिमाणं अवहारो भोगाहणा य जहा असन्निपंचिंदियाणं वेयणिजवजाणं सत्तरहं पगडीणं बंधगा वा प्रबंधगा वा वेयणिजस्स बंधगा नो अबंधगा मोहणिजस्स वेदगा वा अवेदगा वा सेसाणं सत्तराहवि वेदगा नो अवेयगा सायावेयगा वा असायावेयगा वा मोहणिजस्स उदई वा अणुदई वा सेसाणं सत्तराहवि उदयी नो अणुदई नामस्स गोयस्स य उदीरगा नो अणुदीरगा सेसाणं छराहवि उदीरगा वा अणुदीरगा वा कराहलेस्सा वा जाव सुक्कलेस्सा वा सम्मदिट्ठी वा मिच्छादिट्ठी वा सम्मामिच्छादिट्ठी वा णाणी वा अन्नाणी वा मणजोगी वा वइजोगी वा कायजोगी वा उपयोगो वन्नमादी उस्सासगा वा नीसासगा वा याहारगा य जहा एगिदियाणं विरया य अविरया य विरयाविरया२. सकिरिया नो अकिरिया 2 / ते णं भंते ! जीवा कि सत्तविहबंधगा वा अट्टविहबंधगा वा छबिहबंधगा वा एगविहबंधगा वा ?, गोयमा ! सत्तविहबंधगा वा जाव एगविहबंधगा वा 3 / ते णं भंते ! जीवा किं श्राहारसन्नोवउत्ता जाव परिग्गहसन्नोवउत्ता वा नोसन्नोवउत्ता वा ?, गोयमा ! श्राहारसन्नोवउत्ता जाव नोसन्नोवउत्ता वा 4 / सव्वत्थ पुच्छा भाणियव्वा कोहकसायी वा जाव लोभासायी वा अकसायी वा इत्थीवेदगा वा पुरिसवेदगा वा नपुंसगवेदगा वा अवेदगा वा इत्थिवेदबंधगा वा पुरिसवेदबंधगा वा नपु. सगवेदबंधगा वा प्रबंधगा वा, सन्नी नो असन्नी सइंदिया नो अणिदिया Page #405 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 32] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः संचिटणा जहन्नेणं एक्कं समयं उकोसेणं, सागरोपमसयपुहुत्तं सातिरेगं थाहारो तहेव जाव नियमं छदिसि ठिती जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोबमाई छ समुग्घाया आदिल्लगा मारणंतियसमुग्घाएणं समो. हयावि मरंति असमोहयावि मरंति, उवट्टणा जहेव उववायो न कत्थइ पडिसेहो जाव अणुत्तरविमाणत्ति 5 / अह भंते ! सव्वपाणा जाव अणंतखुत्तो, एवं सोलससुवि जुम्मेसु भाणियव्वं जाव अणंतखुत्तो, नवरं परिमाणं जहा बेइंदियाणं सेसं तहेव. 6 / सेवं भंते ! 2 ति जाब विहरइ 7 // 40-1-1 // पदमसमय-कडजुम्मरसन्निपंचिंदिया णं भंते ! कत्रो उववज्जति ?, उववायो परिमाणं श्राहारो जहा एएसिं चेव पढमोद्दे सए योगाहणा बंधो वेदो वेदणा उदयी. उदीरगा य जहा बेंदियाणं पढमसमयाणं तहेव कराहलेस्सा वा जाव सुक्कलेस्सा वा, सेसं जहा बेंदियाणं पढमसमइयाणं जाव अणंतखुत्तो नवरं इत्थिवेदगा वा पुरिसंवेदगा वा नपुंसगवेदगा वा सनिणो असन्नीणो सेसं तहेव एवं सोलससुवि जुम्मेसु परिमाणं तहेव सव्वं 1 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 2 // 40-1-2 / / एवं एत्थवि एकारस उद्देसगा तहेव, पढमो तइग्रो पंचमो य सरिसगमा सेसा अट्ठवि सरिसगमा, चउत्थ-छट्ट-अट्ठम-दसमेसु नत्थि विसेसो कायवो 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // सूत्रं 864 // // 40-1-3 / 11 // सते पढमसन्निपंचिंदियमहाजुम्मसयं समतं // 40 // 1 // कराहलेस्स-कडजुम्म रसन्निपंचिंदिया णं भंते ! कयो उववज्जंति ?, तहेव जहा पढमुद्दे सयो सन्नीणं, नवरं बंधो वेग्रो उदयी उदीरणा लेस्सा बंधगसन्ना कसायवेदबंधगा य एयाणि जहा बेंदियाणं 1 / कराहलेस्साणं वेदो तिविहो अवेदगा नत्थि संचिटणा जहन्नेणं एक्कं समयं उकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तमभहियाइं एवं ठितीएवि नवरं ठितीए अंतोमुहत्तमन्भहियाई न भन्नंति सेसं जहा एएसिं चेव पढमे उद्देसए जाव अणंत Page #406 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवती)सूत्रं :: शतकं 40 :: अवांतर श० 2-7 ] [ 833 खुत्तो 2 / एवं सोलससुवि जुम्मेसु 3 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 4 / पढमसमय-कराहलेस्स-कडजुम्म २सन्निपंचिंदिया णं भंते ! कयो उववज्जंति ?, जहा सन्निपंचिंदिय-पढमसमयउद्देसए तहेव निरवसेसं 5 / नवरं ते णं भंते ! जीवा कराहलेस्सा ?, हंता कराहलेस्सा सेसं तं चेव, एवं सोलससुवि जुम्मेसु 6 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 7 / एवं एएवि एकारसवि उद्दे सगा कराहलेस्ससए, पढमततियपंचमा सरिसगमा सेसा अट्ठवि एकगमा 8 / सेवं भंते ! 2 ति जाब विहरइ 1 | बितियं सयं समत्तं // 40 // 2 // एवं नीललेस्सेसुवि सयं, नवरं संचिट्ठणा जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं दस सागरोवमाई पलियोवमस्स असंखेजइभागमभहियाई, एवं ठितीए, एवं तिसु उद्दसएसु, सेसं तं चेव 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // तइयं सयं समत्तं // 40 // 3 // एवं काउलेस्ससयंपि, नवरं संचिट्ठणा जहरणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं तिन्नि सागरोवमाइं पलियोवमस्स असंखेजइभागमभहियाई, एवं ठितीएवि, एवं तिसुवि उद्देसएसु, सेसं तं चेव 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाब विहरइ 2 // चउत्थं सयं // 40 // 4 // एवं तेउलेस्सेसुवि सयं, नवरं संचिट्ठणा जहराणेणं एक्कं समयं उकोसेणं दो सागरोवमाई पलियोवमस्स यसंखेजइ-भाग-मन्भहियाइं एवं ठितीएवि नवरं नोसन्नोवउत्ता वा, एवं तिसुवि उद्दसएलु(गमएसु) सेसं तं चेव 1 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 2 // पंचमं सयं // 40 // 5 // जहा तेउलेस्सासतं तहा पम्हलेसासयंपि नवरं संचिट्ठणा जहन्नेणं एक्कं समयं उकोसेणं दस सागरोवमाई अंतोमुहुत्तमब्भहियाई, एवं ठितीएवि, नवरं अंतोमुहत्तं न भन्नति सेसं तं चेव, एवं एएसु पंचसु सएसु जहा कराहलेस्सासए गमश्रो तहा नेयम्वो जाव अणंतखुत्तो 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // छ8 सयं समत्तं // 40 // 6 // सुकलेस्ससयं जहा श्रोहियसयं नवरं संचिट्टणा ठिती य जहा कराहलेस्ससए सेसं तहेव जाव अतखुत्तो 1 / सेवं भंते ! 2 त्ति Page #407 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभागः जाव विहरइ 2 // सत्तमं सयं समत्तं // 40 // 7 // भवसिद्धिय-कडजुम्म२सन्निपंचिंदिया णं भंते ! कयो उवबज्जंति?, जहा पदमं सन्निसतं तहा णेयव्वं भवसिद्धियाभिलावेणं नवरं सव्वपाणा ?, गो तिण? सम?,, सेसं तहेव 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // अट्ठमं सयं // 40 // 8 // कराहलेस्सभवसिद्धीय कडजुम्म २सन्निपंचिंदिया णं भंते ! कयो उववज्जति ?, एवं एएणं अभिलावेणं जहा श्रोहियकराहलेस्ससयं 1 / सेवं भंते / 2 ति जाव विहरइ 2 // नवमं सयं // 40 // 1 // एवं नीललेस्सभवसिद्धीएवि सयं 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ // दसमं सयं // 40 // 10 // एवं जहा श्रोहियाणि संन्निपंचिंदियाणं सत्त सयाणि भणियाणि एवं भवसिद्धीएहिवि सत्त सयाणि कायवाणि, नवरं सत्तसुवि सएसु सव्वपाणा जाव णो तिणट्टे समढे, सेसं तं चेव 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // भवसिद्धियसया समत्ता // चोहसमं सयं समत्तं // 40 // 11 // 14 // अभवसिद्धिय-कडजुम्म 2 सन्निपंचिंदिया णं भंते ! कयो उववज्जति ?, उववायो तहेव अणुत्तरविमाणवजो परिमाणं अवहारो उच्चत्तं बंधो वेदो वेदणं उदयो उदीरणा य जहा कराहलेस्ससए कराहलेस्सा वा जाव सुकलेस्सा वा नो सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी नो सम्मामिच्छादिट्ठी नो नाणी अन्नाणी एवं जहा कराहलेस्ससए नवरं नो विरया अविरया नो विरया 2 संचिट्ठणा ठिती य जहा मोहिउद्देसए समुग्घाया अादिलगा पंच उव्वट्टणा तहेव अणुत्तरविमाणवजं सबपाणा णो तिणढे सम8 सेसं जहा कराहलेस्ससए जाव अणंतखुत्तो, एवं सोलससुवि जुम्मेसु 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 ॥४०-१५-१॥पढमसमय अभवसिद्धिय-कडजुम्मरसन्निपंचिदिया णं भंते ' को उववज्जति ?, जहा सन्नीणं पढमसमयउद्दे सए तहेव नवरं समत्तं सम्मामिच्छत्तं नाणं च सव्वत्थ नस्थि सेसं तहेव 1 / सेवं भंते ! 2 नि जाव विहरइ 2 // 40-15-2 // एवं एथवि एक्कारस उद्देसगा Page #408 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 41 उद्देशकः 1] [835 कायया पढमतइयपंचमा एक्कगमा सेसा अट्ठवि एकगमा 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 / / 40-15-3 / 11 // पढमं श्रभवसिद्धिय-महाजुम्मसयं समत्तं // चत्तालीसमसए पन्नरसमं सयं समत्तं // // 40 // 15 // कराहलेस्स-अभवसिद्धिय-कडजुम्मरसन्निपंचिंदिया णं भंते ! कयो उववज्जति ?, जहा एरसिं चेव श्रोहियसयं तहा कराहलेस्समयंपि नवरं ते णं भंते ! जीवा कराहलेस्सा ?, हंता कराहलेस्सा, ठिती संचिट्टणा य जहा कराहलेस्सासए सेसं तं चेव 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // वितियं अभवसिद्धिय-महाजुम्मसयं // ४०-सते सोलसमं समत्तं // 40 // 16 // एवं छहिवि लेस्साहि छ सया कायव्वा जहा कराहलेस्ससयं नवरं संचिट्टणा ठिती य जहेव श्रोहियसए तहेव भाणियव्वा 1 / नवरं सुकलेस्साए उक्कोसेणं एकतीसं सागरोवमाई अंतोमुहुत्तमभहियाइं 2 / ठिती एवं चेव नवरं अंतोमुहत्तं नत्थि जहन्नगं तहेव सव्वस्थ मम्मत्तनाणाणि नत्थि विरई विरयाविरई अणुत्तरविमाणोववत्ति एयाणि नत्थि 3 / सव्वपाणा ? णो तिण? समढे 4 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरइ 5 // 40 // 17 // एवं एयाणि सत्त अभवसिद्धियमहाजुम्मसया भवंति 1 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरइ 2 // एवं एयाणि एकव्वीसं सन्निमहाजुम्मसयाणि 3 // 40 // 18 // 21 // सवाणिवि एकासीतिमहाजुम्मसया समत्ता // सूत्रं 865 // चत्तालीसतिमं सयं समत्तं / // इति चत्वारिंशत्तमं शतकम् // 40 // // अथ शशियुग्माख्यं एकचत्वारिंशत्तमं शतकम् // कइ णं भंते ! रासीजुम्मा पन्नत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि रासीजुम्मा पन्नत्ता, तंजहा-कडजुम्मे जाव कलियोगे 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ चत्तारि रासीजुम्मा पन्नत्ता, तंजहा-जाव कलियोगे ?, गोयमा ! जे Page #409 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 836 ] ... . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं श्रवहीरमाणे चउपजवसिए सेत्तं रासीजुम्मकडजुम्मे, एवं जाव जे णं. रासी चरक्कएणं अवहारेणं एगपज्जवसिए सेत्तं रासीजुम्मकलियोगे, से तेण?णं जाव कलियोगे 2 / रासीजुम्म-कडजुम्मनेरइया णं भंते ! को उववज्जति ?, उववायो जहा वक्कंतीए 3 / ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उववज्जति ?, गोयमा ! चत्तारि वा अट्ट वा बारस वा सोलस वा संखेजा वा असंखेजा वा उववज्जति 4 / ते णं भंते ! जीवा किं संतरं उववज्जति निरंतरं उबवज्जंति ?, गोयमा ! संतरपि उववज्जति निरंतरंपि उववज्जति, संतरं उववजमाणा जहन्नेणं एक्कं समयं उकोसेणं असंखेजा समया अंतरं कटु उववज्जति, निरंतरं उववज्जमाणा जहन्नेणं दो समया उक्कोसेणं असंखेना समया अणुसमयं अविरहियं निरंतरं उववज्जंति 5 / ते णं भंते ! जीवा जसमयं कडजुम्मा तंसमयं तेयोगा जंसमयं तेयोगा समयं कडजुम्मा ?, णो तिण? सम8 6 / जसमयं कडजुम्मा तंसमयं दावरजुम्मा जंसमयं दावरजुम्मा तंसमयं कडजुम्मा ?, नो तिण? सम? 7 / जसमयं कडजुम्मा तंसमयं कलियोगा जंसमयं कलियोगा तं समयं कडजुम्मा ?, णो तिणढे सम? 8 / ते णं भंते ! जीवा कहिं उववज्जंति ?, गोयमा ! से जहा नामए पवए पवमाणे एवं जहा उबवायसए जाव नो परप्पयोगेणं उववज्जति 1 / ते णं भंते ! जीवा किं प्रायजसेणं उववज्जति श्रायजसेणं उववजति ?, गोयमा ! नो श्रायजसेणं उववज्जति अाययजसेणं उववज्जंति 10 / जइ पायअजसेणं उववज्जति किं प्रायजसं उवजीवंति थायजसं उवजीवंति ?, गोयमा ! नो प्रायजसं उवजीवंति आयअजसं उवजीवंति 11 / जई श्रायअजसं उवजीवंति किं सलेस्सा अलेस्सा ?, गोयमा ! सलेस्सा नो अलेस्सा 12 / जइ सलेस्सा किं सकिरिया अकिरिया ?, गोयमा ! सकिरिया नो अकिरिया 13 / जइ सकिरिया तेणेव भवग्गहणेणं सिझति जाव अंतं Page #410 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं " शतकं 40 // उद्देशकः 2 ] [ 837 करेंति ?, णो तिण? सम? 14 / रासीजुम्मकडजुम्म-असुरकुमारा णं भंते ! कयो उववज्जति?, जहेव नेरतिया तहेव निरवसेसं एवं जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणिया नवरं वणस्सइकाइया जाव असंखेज्जा वा अणंता वा उववज्जति सेसं एवं चेव 15 / मणुस्सावि एवं चेव जाव नो श्रायजसेणं उववज्जंति प्रायजसेणं उववज्जति 16 / जइ प्रायजसेणं उववज्जंति किं पायजसं उवजीवंति प्रायजसं उवजीवंति ?, गोयमा ! प्रायजसंपि उवजीवंति श्रायजसंपि उवजीवंति 17 / जइ श्रायजसं उवजीवंति कि सलेस्सा अलेस्सा ?, गोयमा ! सलेस्सावि अलेस्सावि 18 / जइ अलेस्सा किं सकिरिया अकिरिया ?, गोयमा ! नो सकिरिया अकिरिया 11 / जइ अकिरिया तेणेव भवग्गहणेणं सिझति जाव अंतं करेंति ?, हंता सिझंति जाव अंतं करेंति 20 / जइ सलेस्सा किं सकिरिया अकिरिया ?, गोयमा ! सकिरिया नो अकिरिया 21 / जइ सकिरिया तेणेव भवग्गहणेणं सिझति जाव अंतं करेंति ?, गोयमा ! अत्थेगइया तेणेव भवग्गहणेणं सिझति जाव अंतं करेंति अत्यंगझ्या नो तेणेव भवग्गहणेणं सिझंति जाव अंतं करेंति 22 / जइ प्रायजसं उवजीवंति किं सलेस्सा अलेस्सा ?, गोयमा ! सलेस्सा नो अलेस्सा 23 / जइ सलेस्सा किं सकिरिया थकिरिया ?, गोयमा ! सकिरिया नो अकिरिया 24 / जइ सकिरिया तेणेव भवग्गहणेणं सिझति जाव अंतं करेंति ?, नो इम? समढे 25 / वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा नेरइया 26 / सेवं भंते ! 2 ति जार विहरइ 27 / रासीजुम्मसए पढमो उद्दसत्रो // 41-1 // रासीजुम्मतेयोयनेरइया णं भंते ! को उववज्जति ?, एवं चेव उद्दे सश्रो भाणियवो नवरं परिमाणं तिनि वा सत्त वा एकारस वा : पन्नरस वा संखेजा वा असंखेजा वा उववज्जति संतरं तहेब 1 / ते णं भंते ! जीवा जं समयं तेयोगा तं समयं. कडजुम्मा जं समयं कडजुम्मा तं समयं तेयोगा ?, णो Page #411 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 838 ] श्रीमदागमसुधासिन्धु / तृतीयो विभागः इण? समढे 2 / जसमयं तेयोया तंसमयं दावरजुम्मा जंसमयं दावरजुम्मा तंसमयं तेयोया ?, णो इण8 सम? 3 / एवं कलियोगेणवि समं, सेस तं चेव जाव वेमाणिया नवरं उववायो सव्वेसि जहा वक्कंतीए 4 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 5 // 41-2 // रासीजुम्म-दावरजुम्मनेरइया णं भंते ! कयो उववज्जंति ?, एवं चेव उद्दसत्रो नवरं परिमाणं दो वा छ वा दस वा संखेजा वा असंखेजा वा उववज्जति संवेहो 1 / ते णं भंते ! जीवा जंसमयं दावरजुम्मा तंसमयं कडजुम्मा जंसमयं कडजुम्मा तंसमयं दावरजुम्मा ?, णो इण? सम? 2 / एवं तेयोएणवि समं, एवं कलियोगेणवि समं, सेसं जहा पढमुद्देसए जाव वेमाणिया 3 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 4 // 41-3 // रासीजुम्म-कलिगोगनेरइया णं भंते ! कयो उववज्जंति?, एवं चेव नवरं परिमाणं एको वा पंच वा नव वा तेरस वा संखेन्जा वा असंखेजा उववज्जति संवेहो 1 / ते णं भंते ! जीवा जंसमयं कलियोगा तंसमयं कडजुम्मा जंसमयं कडजुम्मा तंसमयं कलियोगा ?; नो इण? सम? 2 / एवं तेयोएणवि समं, एवं दावरजुम्मेणवि समं, सेसं जहा पदमुदेसए जाव वेमाणिया 3 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 4 // 41-4 // कराहलेस्स-रासीजुम्म-कडजुम्मनेरइया णं भंते ! कयो उववज्जति ?, उववायो जहा धूमप्पभाए सेसं जहा पदमुद्दे सए 1 / असुरकुमाराणं तहेव एवं जाव वाणमंतराणं मणुस्साणवि जहेव नेरइयाणं प्रायजसं उवजीवंति श्रलेस्सा अकिरिया तेणेव भवग्गहणेणं सिझति एवं न भाणियव्वं सेसं जहा पढमुद्देसए 2 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 3 // 41-5 / / कराहलेस्स-तेयोएहिवि एवं चेव उद्देसको 1 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 2 // 41-6 // कराहलेस्स-दावरजुम्मेहिं एवं चेव उद्देसो 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // 41-7 // कराहलेस्स-कलियोएहिवि एवं चेव उद्देसो परिमाणं संवेहो य जहा श्रोहिएसु उद्देसएसु 1 ! Page #412 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं :: शतक 41 :: उद्देशकः 45 ] [836 मेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // 41-8 // जहा कराहलेस्सेहिं एवं नीललेस्सेहिवि चत्तारि उसगा भाणियव्वा निरवसेसा, नवरं नेरइयाणं उपवायो जहा वालुयप्पभाए सेसं तं चेव 1 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरड 2 // 41-1 / 12 // काउलेस्सेहिवि एवं चेव चत्तारि उद्दे सगा कायबा नवरं नेरइयाणं उववायो जहा रयणप्पभाए, सेसं तं चेव 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // 41-13 / 16 // तेउलेस्सरासीजुम्मकडजुम्मसुरकुमारा णं भंते ! को उववज्जति ?, एवं चेव नवरं जेसु उल्नेस्सा अस्थि तेसु भाणियव्वा 1 / एवं एएवि कराहलेस्सासरिसा चत्तारि उद्दे सगा कायव्वा 2 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 3 // 41-17 / 20 // एवं पम्हलेस्साएवि चत्तारि उद्दे सगा कायव्वा पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं मणुस्साणं वेमाणियाण य एएसिं पम्हलेस्सा सेसाणं नत्थि 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // 41-21 / 24 // जहा पम्हलेस्साए एवं सुक्कलेस्साएवि चत्तारि उद्दसगा कायव्वा नवरं मणुस्साणं गमयो जहा श्राहि उद्दे सएसु सेसं तं चेव 1 / एवं एए छसु लेस्सासु चउवीसं उद्दे सगा योहिया चत्तारि 2 / सव्वे ते अट्ठावीसं उद्दे सगा भवंति 3 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 4 // 41-25 / 28 // भवसिद्धियरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कयो उववज्जति ? जहा योहिया पढमगा चत्तारि उद्देसगा तहेव निरवसेसं एए बत्तारि उद्दे सगा 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // 41-26 / 32 // कराहलेस्स-भवसिद्धिय-रासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कयो उववज्जति ?, जहा कराहलेस्साए चत्तारि उद्दे सगा भवंति तहा इमेवि भवसिद्धिय-कराहलेस्सेहिवि चत्तारि उद्दसगा कायव्वा // 41-33 / 36 // एवं नीललेस्सभवसिद्धिएहिवि चत्तारि उद्देसगा कायव्वा // 41-3740 // एवं काउलेस्सेहिवि चत्तारि उद्देसगा // 41-41144 // तेउलेस्सेहिवि . चत्तारि उद्देसगा श्रोहियसरिसा Page #413 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 840 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः // 41-45148 // पम्हलेस्सेहिवि चत्तारि उद्देसमा // 41-41152 / / सुक्कलेस्सेहिवि चत्तारि उद्देसगा प्रोहियसरिसा, एवं एएवि भव. सिद्धिएहिवि अट्ठावीसं उद्देसगा भवंति 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // 41-5356 // अभवसिद्धिय-रासीजुम्म-कडजुम्मनेरइया णं कयो उववज्जति जहा पढमो उद्दे सगो नवरं मणुस्सा नेरइया य सरिसा भाणियव्या 1 / सेसं तहेव / सेवं भंते ! 2 जाव. विहरइ 2 / एवं चउसुवि जुम्मेसु चत्तारि उद्देसगा 3 / कराहलेस्स-अभवसिद्धिय-रासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कत्रो. उववज्जति ?, एवं चेव चत्तारि उद्देसगा 4 / एवं नीललेस्स-प्रभवसिद्धिय-रासीजुम्म-कडजुम्मनेरझ्याण चत्तारि उद्दे सगा 5 / काउलेस्सेहिवि चत्तारि उद्देसगा 6 / तेउलेस्सेहिवि चत्तारि उद्दे सगा-७ / पम्हलेस्सेहिवि चत्तारि उद्दे सगा 8 / सुकलेस्सअभवसिद्धिएवि चत्तारि उद्देसगा 1 / एवं एएसु अट्ठावीसाएवि अभवसिद्धियउद्दसएसु मणुस्सा नेरइयगमेणं नेयव्वा 10 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 11 / एवं एएवि अट्ठावीस उद्दे सगा 12 // 41-57/84 / / सम्मदिट्ठी-रासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! को उववज्जति ?, एवं जहा पढमो उद्दसत्रो एवं चउसुवि जुम्मेसु चत्तारि उद्देसगा भवसिद्धियसरिसा कायदा 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 / कराहलेम्ससम्मदिट्ठी-रासीजुम्मकडजुम्मनेरझ्या णं भंते ! कत्रो उववज्जति ?, एएवि कराहलेस्ससरिसा चत्तारिवि उद्देसगा कायव्वा 3 / एवं सम्मदिट्ठीसुवि भवसिद्धियसरिसा अट्ठावीसं उद्दे सगा कायव्वा 4 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाब विहरइ 5 // 41-85 / 112 // मिच्छादिट्ठी-रासीजुन्म-कडजुम्मनेरझ्या णं भंते ! कत्रो उववज्जति ?, एवं एथवि मिच्छादिठ्ठि अभिलावेणं अभवसिद्धियसरिसा अट्ठावीसं उद्देसगा कायवा 1 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरइ 2 // 41-113/140 // कराहपक्खिय-रासी. उद्देसएसु मा एएवि अावा भंते ! का भवसिद्धि Page #414 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 41 :: उद्देशकः 166 ] [841 जुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कत्रो उववज्जति ?, एवं एत्थवि अभवसिद्धियसरिसा अट्ठावीसं उद्दे सगा कायव्वा 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // 41-141 / 168 // सुकपक्खिय-रासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कत्रो उववज्जति ?, एवं एथवि भवसिद्धियसरिसा अट्ठावीस उद्दे सगा भवंति 1 / एवं एए सब्वेवि छन्नउयं उद्दे सगसयं भवंति रासीजुम्मसयं 2 // 41-166 / 116 // जाव सुकलेस्सा सुकपक्खिय-रासीजुम्म कलियोगवेमाणिया जाव जइ सकिरिया तेणेव भवग्गहणेणं सिझति जाव अंतं करेंति, णो इणडे सम? 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ // सूत्रं 867 // . भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो श्रायाहिणपयाहिणं करेइ 2 त्ता वंदति नमसति वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-एवमेयं भंते ! तहमेयं भंते ! अवितहमेयं भंते! असंदिद्धमेयं भंते! इच्छियमेयं भंते ! पडिच्छियमेयं भंते ! इच्छियपडिच्छियमेयं भंते ! सच्चे णं एसम? जे ण तुज्मे वदहत्तिकटु, श्रपति(अपुव्व)वयणा खलु अरिहंता भगवंतो, समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति वंदित्ता नमंसित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरइ // सूत्र 868 // रासीजुम्मसयं समत्तं // 41 सतं // // इति एकचत्वारिंशत्तमं शतकम् // 41 // सव्वाएभगवईए अट्टतीसं सतं सयाणं 138 उद्देसगाणं 1125 // चुलसीयसयसहस्सा पदाण * पवरवरणाणदंसीहिं / भावाभावमणंता पन्नत्ता एस्थमंगमि // 1 // तवनियमविणयवेलो जयति सदा नाणविमलविपुलजलो / हेतुसत-विपुलवेगो संघसमुद्दो गुणविसालो // 2 // णमो गोयमाईणं गणहराणं, णमो भगवईए विवाहपन्नत्तीए, णमो दुवालसंगस्स गणिपिडगस्स // Page #415 -------------------------------------------------------------------------- ________________ { श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः कुम्मसु(कुसुम)संठिय-चलणा, यमलिय-कोरंट-बेंट-संकासा। सुयदेवया भगवई मम मतितिमिरं पणासेउ // 1 // फ्नत्तीए श्राइमाणं अट्टाहं सयाणं दो दो उद्देसगा उदिसिज्जंति णवरं चउत्थे सए पढमदिवसे अट्ठ बितियदिवसे दो उद्द सगा उद्दिसिज्जति 1 / नवरं नवमायो सतायो पारद्धं जावइयं जावइयं एति तावतियं 2 एगदिवसेणं उदिसिन्जति 2 / उक्कोसेणं सतंपि एगदिवसेणं मज्झिमेणं दोहि दिवसेहिं सतं जहन्नेणं तिहिं दिवसेहिं सतं एवं जाव वीसतीमं सतं 3 / गवरं गोसालो एगदिवसेणं उदिसिजति जदि ठियो एगेण चेव आयंबिलेणं अणुनन्जिहीति (अणुराणवति, अणुणजति, अणुणञ्चति) ग्रह ण ठितो आयंबिलेणं छट्टेणं अणुराणवति 4 / एकवीस-बावीस-तेवीसतिमाई सताई एक्केकदिवसेणं उद्दिसिज्जति 5 / चउवीसतिमं सयं दोहिं दिवसेहिं छ छ उद्दसगा 6 / पंचवीसतिमं दोहिं दिवसेहिं छ छ उसगा 7 / बंधिसयाइ अट्ठसयाई एगेणं दिवसेणं सेढिसयाई बारस एगेणं एगिदिय-महाजुम्मसयाई बारस एगेणं एवं बेदियाणं बारस तेइंदियाणं बारस चउरिदियाणं वारस एगेण असन्निपंचिंदियाणं बारस सन्नि-पंचिंदिय-महाजुम्मसयाई एकवीस एगदिवसेणं उदिसिज्जंति 8 / रासीजुम्मसतं एगदिवसेणं उद्दिसिजति 1 / वियसिय-अरविंदकरा नासियतिमिरा सुयाहिया देवी। मज्झपि देउ मेहं बुहविबुहणमंसिया णिच्चं // 1 // सुयदेवयाए पणमिमो जीए पसाएण सिक्खियं नाणं / अगणं पवयणदेवी संतिकरी तं नमसामि // 1 // सुयदेवया य जक्खो कुभधरो बंभसंति वेरोट्टा। विजा य अंतहुंडी देउ अविग्धं लिहंतस्स // 1 // सू० 861 // इति श्रीविवाहपन्नत्ती पंचमं अंगं समत्तं // श्रेयोऽस्तु लेखकपाठकयोः॥ ग्रं० 15751 // श्रीरस्तु // Page #416 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // इति श्रीव्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवती) . सूत्रस्य उत्तरार्धम् // ककककककककककककककककककककककककककककककका testedadlastustastastostadostecedebtestestes destacadostetusta totestostestestedetected // इति श्रीव्याख्याप्रज्ञप्ति-श्रीभगवतीसूत्रं पञ्चमांगं समाप्तम् // 5 // ......... . .. ... .. ... 000000000000000क्यपकककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककका Page #417 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमन् मुनिमहोदयानां श्री जिनेन्द्रविजयमुनिवराणां पन्न्यासपद-प्रदान-महोत्सवे शुभाशंसनम् र श्रोहालारधराधिरत्नशुभदं पन्याससन्यासयुक् जिज्ञासाप्तजिनेन्द्रशासनरस - न्यासाधिसौरभ्यवद् नेत्रानन्दविधायिसचरणतः सत्त्वं प्रशस्य हि सान्द्रत्यागार्जितधर्मदेवगुरुसत् पद्म जिनेन्द्राभिधम् // 1 // विश्वेऽस्मिन्निकसत्सुधर्मसदलं दम्भाद्रिदम्भोलिकम् जन्तूनां हितकाम्ययाऽऽचरति यत् प्रत्नं गुरोः शासनम् // यस्मै चाधमहामहोत्सवयुतं दाक्षिण्यपाण्डित्ययुक् मुन्याचारविचारचारुजये नत्वा पदं दीयते // 2 // निर्दम्भाचरणाघथाहि वसुधा मध्यन्दिनेऽहस्करमन्त्रोऽयं गुरुसत्कृपापरिमलोड होरात्रमाराधितः // होराशास्त्रविशारदश्चितिवसु- सर्वहजाग्रत्प्रधीः दम्यानां दमनं करोति सुमना वेद्यन्द्रियाणां सुधीः // 3 // यावश्चन्द्रदिवाकरौ विलसतः शुभ्र यशोमानुमत् .. नाम्नां स्यात्परमेष्ठिनां हि गणना भंगस्ततः कर्मणाम् // लाखाबावल-भूमणि-गुणमणिश्चारित्र्यचूडामणिः . श्रीपंन्यासवरो जिनेन्द्रविजयो जीयात्सदा सर्वदा // 4 // पूज्याचार्यवरान्प्रणम्य मनसा श्रीदेवभूयं गतान् श्री पंन्यासपदप्रदानमधिकं येषां कृपातोऽभवत् / हर्षोल्लासवशात्करोमि सुभगं काव्यं प्रसंगोचितम् / धन्यः श्रीव्रजलालपण्डित इहागत्याहमानन्दभाक् // 5 // शुभाशंसक : पं. व्रजलालोपाध्याय वेदान्ताचार्यः अध्यापक : श्री शान्तिदास लेतशीभाई श्रमण संस्कृत पाठशाला, जामनगर: Page #418 -------------------------------------------------------------------------- _