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________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 19 :: उद्देशकः 3] [607 तराए ?, गोयमा ! श्राउकाए सव्वसहमे पाउकाए सव्वसुहुमतराए 4, 4 / एयस्स णं भंते ! पुढविकाइयस्स पाउकाइयस्स तेउकाइयस्स वाउकाइयस्स वणस्सइकाइयस्स कयरे काये सव्ववादरे कयरे काये सव्वबादरतराए ?, गोयमा ! वणस्सइकाये सव्ववादरे वणस्सइकाये सव्वबादरतराए 1, 5 / एयस्स णं भंते ! पुढविकाइयस्स अाउकाइयस्स तेउकाइयस्स वाउकाइयस्स कयरे काए सव्वबादरे कयरे काए सव्ववादरतराए ?, गोयमा ! पुढविकाए सव्वबादरे पुढविकाए सव्वबादरतराए 2, 6 / एयस्स णं भंते ! बाउकाइयरस तेऊकाइयस्स वाउकाइयस्स कयरे काए सव्वबादरे कयरे काए सव्वबादरतराए?, गोयमा ! अाउकाए सव्वबादरे बाउकाए सव्वबादरतराए 3, 7 / एयस्स णं भंते ! तेउकाइयस्स वाउकाइयस्स कयरे काए सव्वबादरे कयरे काए सव्वबादरतराए ?, गोयमा ! तेउकाए सव्वबादरे तेउकाए सव्वबादरतराए 4, 8 / केमहालए णं भंते ! पुढविसरीरे पन्नत्ते ?, गोयमा ! अणंताणं सुहुमवणस्सइकाइयाणं जावइया सरीरा से एगे सुहुमवाउसरीरे असंखेजाणं सुहुमवाउसरीराणं(काइयाणं) जावतिया सरीरा से एगे सुहुमतेऊसरीरे, असंखेजाणं सुहुमतेऊकाइयसरीराणं जावतिया सरीरा से एगे सुहुमे पाऊसरीरे, असंखेजाणं सहुमयाउकाइयसरीराणं जावइया सरीरा से एगे सुहुमे पुढविसरीरे, असंखेजाणं सुहुमपुढविकाइयसरीराणं जावइया सरीरा से एगे बादरवाउसरीरे, असंखेजाणं बादरवाउकाइयाणं जावइया सरीरा से एगे बादरतेऊसरीरे, असंखेजाणं बादरतेउकाइयाणं जावतिया सरीरा से एगे बादराउसरीरे, असंखेजाणं बादरयाउकाइयाणं जावतिया सरीरा से एगे बादरपुढविसरीरे, एमहालए गां गोयमा ! पुढविसरीरे पन्नत्ते 1 // सूत्रं 652 // पुढविकाइयस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! से जहानामए रन्नो चाउरंतचकवट्टिस्स वनगपेसिया तरुणी बलवं जुगवं जुवाणी अप्पायंका वन्नयो जाव निउणसिप्पोवगया
SR No.004364
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1977
Total Pages418
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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