________________ 714 ] | श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः (गु)त्तं च निव्वत्तियंति से तेणट्टेणं जाव हव्वमागच्छंति 2 / नेरतिया णं भंते ! अजीवदव्या परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति अजीवदव्वाणं नेरतिया परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति ?, गोयमा ! नेरतियाणं अजीवदव्वा जाव हव्वमागछति नो यजीवदव्वाणं नेरतिया हव्वमागच्छति 3 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जाव हबमागच्छंति ?, गोयमा ! नेरतिया अजीवदब्बे परियादियंति 2 वेउब्विय-तेयग-कम्मगं सोइंदियं जाव फासिंदियं (माजोगं वयजोगं कायजोगं) प्राणापाणुत्तं च निबत्तियंति, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुचइ जाव वेमाणिया नवरं सरीरइंदियजोगा भाणियव्वा जस्स जे अस्थि 4 // सूत्रं 721 // से नूणं भंते ! असंखेज्जे लोए अणंताई दवाई अागासे भइयव्वाई ?, हंता गोयमा ! असंखेज्जे लोए जाव भवियव्वाइं 1 / लोगस्स णं भंते ! एगंमि भागासपएसे कतिदिसि पोग्गला चिजंति ?,गोयमा ! निव्वाघाएणं छदिसि वाघायं पडुच्च सिय तिदिसि सिय चउदिसि सिय पंचदिसिं, लोगस्स णं भंते ! एगमि अागासपएसे कतिदिति पोग्गला छिज्जंति एवं चेव, एवं उवचिज्जंति एवं अवचिजंति 2 // सूत्रं 722 // जीवे णं भंते ! जाई दव्वाइं पोरालियसरीरत्ताए गेराहइ ताइं किं ठियाई गेराहइ अठियाई गेराहइ ?, गोयमा ! ठियाईपि गेराहइ अठियाईपि गेराहइ 1 / ताइं भंते ! किं दव्यो गेराहइ खेत्तयो गेराहइ कालो गेराहइ भावो गेराहइ ?, गोयमा / दव्वग्रोवि गेराहइ खेत्तयोकि गेराहइ कालथोवि गेराहइ भावश्रोवि गेराहइ, ताई दबयो अणंतपएसियाई दवाइं खेतो असंखेजपएसोगाढाई 2 / एवं जहा पन्नवणाए पढमे श्राहारुद्दे सए जाव निव्याघाएणं छदिसिं वाघायं पडुच्च सिय तिदिसि सिय चउदिसि सिय पंचदिसि 3 / जीवे णं भंते ! जाई दवाई वेउवियसरीरत्ताए गेराहइ ताई किं ठियाई गेराहइ अठियाइं गेराहइ ?, एवं चेव नवरं नियम छदिसि एवं पाहारगसरीरत्ताएवि 4 / जीवे णं भंते ! जाई दव्वाइं तेयगसरीरत्ताए गिराहइ पुच्छा, गोयमा !