________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं // शतकं 13 : उद्देशकः 4 ] [461 एकोवि, केवतिया अहम्मत्थिकायप्पएसा योगाढा ? एको, केवतिया अागासथिकायप्पएसा योगाढा ?, एको केवतिया जीवत्थिकायप्पएसा प्रोगाढा ?, श्रणंता, केवतिया पोग्गलत्थिकायप्पएसा योगाढा ?, अणंता, केवतिया श्रद्धासपया ?, सिय श्रोगाढा सिय नो योगाढा जइ श्रोगाढा अणंता 35 / जत्थ णं भंते ! एगे अहम्मत्थिकायपएसे योगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकायप्पएसा श्रोगाढा ?, एको, केवतिया अहम्मत्थिकायप्पएसा योगाढा ?, नत्थि एकोवि, सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स 36 / जत्थ णं भंते ! एगे पागासत्थिकायपएसे योगाढे तत्थ केवतिया धम्मस्थिकायप्पएसा योगाढा ?, सिय योगाढा सिय नो श्रोगाढा, जइ श्रोगाढा एको, एवं श्रहम्मत्थिकायपएसावि, केवइया थागासस्थिकायप्पएसा योगाढा ?, नत्थि एकोवि, केवतिया जीवस्थिकायप्पएसा योगाढा ?, सिय श्रोगाढा सिय नो योगाढा, जइ श्रोगाढा अणंता, एवं जाव श्रद्धासमया 37 / जत्थ णं भंते ! एगे जीवत्थिकायपएसे श्रोगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकायप्पएसा श्रोगाढा ?, एको, एवं अहम्मत्थिकायप्पएसा प्रोगाढा, एवं श्रागासत्थिकायपएसावि, केवतिया जीवत्थिकायप्पएसा योगाढा ?, अणंता, सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स 38 / जत्थ णं भंते ! एगे पोग्गलत्थिकायपएसे श्रोगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकायप्पएसा प्रोगाढा ?, एवं जहा जीवत्थिकायपएसे तहेव निरवसेसं 31 / जस्थ णं भंते ! दो पोग्गलस्थिकायपदेसा श्रोगाढा तत्थ केवतिया धम्मत्थिकायप्पएसा योगाढा ?, सिय एको सिय दोन्नि, एवं अहम्मत्थिकायस्सवि, एवं श्रागासथिकायस्सवि, सेसं जहा धम्मस्थिकायस्स 40 / जत्थ णं भंते ! तिन्नि पोग्गलत्थिकायप्पएसा योगाढा तत्थ केवइया धम्मत्थिकायप्पएसा योगाढा ?, सिय एको सिय दोन्नि सिय तिन्नि, एवं अहम्मत्थिकायस्सवि, एवं श्रागासथिकायस्सवि, सेसं जहेव दोराहं, एवं एक्केको पड्डियव्वो पएसो थाइल्लएहिं तिहिं अस्थिकाएहि, सेसं जहेव दोरहं जाव दसराहं सिय एको सिय दोन्नि