________________ 570 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: तृतीयो विभागः सयसहस्साई एवं जहा दसमसए सक्कविमाणवत्तव्वया सा इहवि ईसाणस्म निरवसेसा भाणियव्वा जाव पायरक्खा, ठिती सातिरेगाइं दो सागरोवमाई, सेसं तं चेव जाव ईसाणे देविंदे देवराया 2, 1 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरइ 2 // सूत्रं 603 // 17-5 // // अथ सप्तदशमशतके पृथिवीनामक-षष्ठ-सप्तमोद्देशकौ // ___ पुढविकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए समोहए 2 जे . भविए सोहम्मे कप्पे पुढविकाइयत्ताए उववजितए से भंते ! किं पुचि उववजित्ता पच्छा संपाउणेज्जा पुब्बि वा संपाउणित्ता पच्छा उववज्जेजा ?, गोयमा ! पुग्विं वा उववजित्ता पच्छा संपाउणेजा पुब्बि वा संपाउणित्ता पच्छा उववज्जेजा 1 / से केण?णं जाव पच्छा उववज्जेजा ?, गोयमा ! पुढविकाइयाणं तयो समुग्घाया पन्नत्ता, तंजहा-वेदणासमुग्घाए कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्घाए, मारणंतियसमुग्घाएणं समोहणमाणे देसेण वा समोहणति सव्वेण वा समोहणति देसेणं समोहन्नमाणे पुब्धि संपाउणित्ता पच्छा उववजिजा, सव्वेणं समोहणमाणे पुदि उववज्जेत्ता पच्छा संपाउणेजा, से तेण?णं जाव उववजिन्जा 2 / पुढविकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए जाव समोहए 2 जे भविए ईसाणे कप्पे पुढवि एवं चेव ईसाणेवि, एवं जाव अच्चुयगेविजविमाणे, अणुत्तरविमाणे ईसिपब्भाराए य एवं चेव 3 / पुढविकाइए णं भंते ! सकरप्पभाए पुढवीए समोहए 2 जे भविए सोहम्मे कप्पे पुढवि एवं जहा रयणप्पभाए पुढविकाइए उववाइयो एवं सकरप्पभाएवि पुढविकाइयो उववाएयब्वो जाव ईसिपब्भाराए, एवं जहा रयणप्प. भाए वत्तव्वया भणिया एवं जाव अहेसत्तमाए समोहए ईसीपब्भाराए उववाए. यवो 4 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 5 // सूत्रं 60 // 17-6 // पुढवीकाइए णं भंते ! सोहम्मे कप्पे समोहए समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए