________________ 688 ] . .. [श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः // सूत्रं 705 // 24-14 // वाउकाइया णं भंते ! कश्रोहिंतो उबवज्जंति एवं जहेव तेउकाइयउद्दे सयो तहेव नवरं ठिति संवेहं च जाणेज्जा 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 2 // सूत्रं 706 // 24-15 // वणस्सइकाइया णं भंते ! करोहितो उववज्जंति एवं पुढविकाइयसरिसो उद्देसो नवरं जाहे वणस्सइकाइयो वणस्सइकाइएसु उबवज्जति ताहे पढमवितियचउत्थपंचमेसु गमएसु परिमाणं अणुसमयं अविरहियं श्रणंता उववज्जति भवादेसेणं जहराणेणं दो भवग्गहणाई उक्कोसेणं अणंताई भवग्गहणाई कालादेसेणं जहरणेणं दो अंतोमुहुत्ता उक्कोसेणं अणंतं कालं एवतियं कालं जाव करेजा, सेसा पंच गमा अट्ठभवग्गहणिया तहेव नवरं ठितीं संवेहं च जाणेज्जा 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 2 // सूत्रं७०७॥२४-१६ // बेंदिया णं भंते ! करोहितो उववज्जति जाव पुढविकाइए णं भंते ! जे भविए दिएसु उर्ववजित्तए से णं भंते ! केवति कालं उववजति ?, सच्चेव पुढविकाइयस्स लद्धी जाव कालादेसेणं जहन्नेणं दो अंतोमुहुत्ताई उक्कोसेणं संखेजाई भवग्गहणाई एवतियं कालं जाव करेजा, एवं तेसु चेव चउसु गमएसु संवेहो सेसेसु पंचसु तहेव अट्ठ भवा 1 / एवं जाव चउरिदिए णं समं चउसु संखेजा भवा पंचसु अट्ट भवा, पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिय-मणुस्सेसु समं तहेव अट्ठ भवा, देवे न चेव उववज्जंति, ठिति संवेहं च जाणेज्जा 2 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरड 3 // सूत्रं 708 // 24-17 // तेइंदिया णं भंते ! कयोहिंतो उववज्जति ?, एवं तेइंदियाणं जहेव बेइंदिउद्देसो नवरं ठिति संवेहं च जाणेजा 1 / तेउकाइएसु समं ततियगमो उक्कोसेणं अठ्ठत्तराई बे राइंदियसयाई बेइंदिएहि समं ततियगमे उकोसेणं अडयालीसं संवच्छराई छन्नउय-राइंदिय-सतमब्भहियाई तेइंदिएहि समं ततियगमे उक्कोसेणं बाणउयाई तिन्नि राइंदियसयाइं एवं सव्वत्थ जाणेजा जाव सन्निमणुस्सत्ति 2 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 3 // सूत्र 706 //