________________ श्रीमद्व्यापाप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 14 :: उद्देशकः 5 ] [483 णं जे से विग्गहगति-समावन्नए नेरतिए से णं अगणिकायस्स मझमज्झेणं वीनएजा, से णं तत्थ झियाएजा ?, णो तिण? सम8, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ, तत्थ णं जे से अविग्गहगइ-समावन्नए नेरइए से णं अगणिकायस्स मज्झमझेणं णो वीइवएजा, से तेणद्वेणं जाव नो वीइवएजा 2 / असुरकुमारे णं भंते ! अगणिकायस्स पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगतिए वीइवएज्जा अत्यंगतिए नो वीइवएना 3 / से केण?णं जाव नो वीइवएजा ?, गोयमा ! असुरकुमारा दुविहा पराणत्ता, तंजहा-विग्गहगइ-समावन्नगा य अविग्गहगइ-समावन्नगा य, तत्थ णं जे से विग्गहगइ-समावन्नए असुरकुमारे से णं एवं जहेव नेरतिए जाव वक्कमति, तत्थ णं जे से अविग्गहगइ-समावन्नए असुरकुमारे से णं अत्थेगतिए अगणिकायस्स मज्झमज्झेणं वीतीवएज्जा अत्थेगतिए नो वीइवएजा जे णं वीतीवएजा से णं तत्थ झियाएजा ?, नो तिण? समढे, नो खलु तत्थ सत्यं कमति, से तेण?णं एवं जाव थणियकुमारे 4 / एगिदिया जहा नेरइया 5 / बेइंदिया णं भंते ! अगणिकायस्स मझमज्झणं जहा असुरकुमारे तहा बेइंदिएवि, नवरं जे णं वीयीवएजा से णं तत्थ झियाएजा ?, हंता झियाएजा, से णं तं चेव एवं जाव चउरिदिए 6 / पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिए णं भंते ! अगणिकाय पुच्छा, गोयमा! अत्थेगतिए वीइवएजा अत्थे. गतिए नो वीइवएजा 7 / से केण?णं भंते ! एवं बुच्चइ ?, गोयमा ! पंचिंदियतिरिक्खजोणिया दुविहा पराणत्ता, तंजहा-विग्गहगति-समावन्नगा य अविगहगइ-समावनगा य, विग्गहगइ समावन्नए जहेव नेरइए जाव नो खलु तत्थ सत्थं कमइ, अविग्गहगइ-समावन्नगा पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-इड्डिप्पत्ता य अणिडिप्पत्ता य, तत्थ णं जे से इडिप्पत्ते पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिए से णं अत्थेगइए अगणिकायस्स मझमज्झेणं वीयीवएन्जा प्रत्येगइए नो वीयीवएज्जा, जे णं वीसीवएजा से णं तत्थ