________________ 484 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः। तृतोयो विभागः झियाएजा ?, नो तिण? सम?, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ, तत्थ णां जे से अणिडिप्पते पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिए से णं अत्थेगतिए अगणिकायस्स मज्झमज्झेणं वीयीवएजा अत्थेगतिए नो वीइवएजा, जे णं वीयीवएज्जा से णं तत्थ झियाएजा ?, हंता झियाएजा, से तेण?णं जाव नो वीयीवएजा 8 / एवं मणुस्सेवि, वाणमंतर-जोइसिय वेमाणिए जहा असुरकुमारे 1 / // सूत्रं 515 // नेरतिया दस ठाणाई पचणुभवमाणा विहरंति, तंजहाअणिट्ठा सदा अणिट्ठा ख्वा अणिट्टा गंधा अणिट्ठा रसा अणिट्ठा फासा अणिट्ठा गती अणिट्ठा ठिती अणि? लावन्ने अणि? जसे कित्ती अणि? उट्ठाणकम्म-बलवीरिय-पुरिसकारपरक्कमे 1 / असुरकुमारा दस ठाणाई पचणुभवमाणा विहरंति, तंजहा-इट्टा सदा इट्टा रूवा जाव इ8 उठाण-कम्म-बलवीरिय-पुरिसकार-परक्कमे एवं जाव थणियकुमारा 2 / पुढविकाइया छट्ठाणाई पञ्चणुभवमाणा विहरंति, तंजहा-इटाणिट्टा फासा इट्टाणिट्ठा गती एवं जाव परकमे, एवं जाव वणस्सइकाइया 3 / बेइंदिया सत्तट्ठाणाई पचणु भवमाणा विहरंति, तंजहा-इट्टाणिट्ठा रसा सेसं जहा एगिदियाणं 4 / तेंदिया णं अट्ठाणाई पञ्चणुब्भवमाणा विहरंति, तंजहा-इटाणिट्ठा गंधा सेसं जहा बेंदियाणं 5 / चरिंदिया नवट्ठाणाई पचणुब्भवमाणा विहरंति, तंजहा-इटाणिट्ठा रूवा सेसं जहा तेंदियाणं 6 / पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया दस ठाणाई पचणुब्भवमाणा विहरंति, तंजहा-इटाणिट्ठा सदा जाव परकमे 7 / एवं मणुस्तावि, वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा 8 // सूत्रं 516 // देवे णं भंते ! महिड्डीए जाव महेसक्खे बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू तिरियपव्ययं वा तिरियभित्तिं वा उल्लंघेत्तए वा पल्लंघेत्तए वा ?, गोयमा ! णो तिण? सम? 1 / देवे णं भंते ! महिड्डिए जाव महेसक्खे बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू तिरिय जाव पल्लंघेत्तए वा ?, हंता पभू 2 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरइ 3 // सूत्रं 517 // // इति चतुर्दशमशतके पञ्चम उद्देशकः // 14-5 //