________________ 482 ] -- [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः पोग्गले 3 ॥सूत्रं 510 // एस णं भंते ! जीवे तीतमणतं सासयं समयं दुक्खी समयं अदुक्खी समयं दुक्खी वा अदुक्खी वा ?, पुचि च करणेणं अणेगभूयं परिणामं परिणमइ ग्रह से वेयणिज्जे निजिन्ने भवति तयो पच्छा एगभावे एगभूए सिया ?, हंता गोयमा ! एस णं जीवे जाव एगभूए सिया, एवं पडप्पन्नं सासयं समयं, एवं अणागयमणंतं सासयं समयं / / सूत्रं 511 // परमाणुपोग्गले णं भंते ! किं सासए असासए ?, गोयमा ! सिय सासए सिय श्रसासए 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुचइ सिय सासए सिय असासए ?, गोयमा ! दव्वट्ठयाए सासए वन्नपज्जवेहिं जाव फासपज्जवेहिं असासए से तेणढणं जाव सिय सासए सिय असासए 2 // सूत्रं 512 // परमाणुपोग्गले णं भंते ! किं चरमे अचरमे?, गोयमा ! दव्वादेसेणं नो चरिमे अचरिमे, खेत्तादेसेणं सिय चरिमे सिय अचरिमे, कालादेसेणं सिय चरिमे सिय अचरिमे, भावादेसेणं सिय चरिमे सिय अचरिमे // सूत्रं 513 // कइविहे णं भंते ! परिणामे पराणते ?, गोयमा ! दुविहे परिणामे पराणत्ते, तंजहा-जीवपरिणामे य अजीवपरिणामे य, एवं परिणामपयं निरवसेसं भाणियव्वं 1 / सेवं भंते ! 2 जाव विहरति // सूत्रं 514 // // इति चतुर्दशमशतके चतुर्थ उद्देशकः // 14-4 // ॥अथ चतुर्दशमशतके अग्निनामकः पञ्चमोद्देशकः // ___“नेरइय अगणिमज्झे दस गणा तिरिय पोग्गले देवे / पव्वयभित्ती उल्लंघणा य पल्लंघणा घे // 1 // ' नेरइए णं भंते ! अगणिकायस्स मज्झमज्झेणं वीइवएजा ?, गोयमा ! अत्थेगतिए वीइवएज्जा अत्यंगतिए नो वीइवएजा 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ अत्थेगइए वीइवएजा अत्थेगतिए नो वीइवएजा ?, गोयमा ! नेरझ्या दुविहा पराणत्ता, तंजहा-विग्गहगति-समावनगा य अविग्गहगति-समावनगा य, तत्थ