________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 14 :: उद्देशकः 4 ] [481 समिट्टीए णं भंते ! देवे समड्डियस्स देवस्स मज्झमझेणं वीइवएजा ? णो इणमढे सम?, पमत्तं पुण वीइवएजा 2 / से णं भंते ! किं सत्येणं श्रवकमित्ता पभू अणकमित्ता पभू ?, गोयमा ! अवकमित्ता पभू नो अणकमित्ता पभू 3 / से णं भंते ! किं पुब्बिं सत्थेणं अक्कमित्ता पच्छा वीयीवएजा पुचि वीईवएजा पच्छा सत्थेणं अकमेजा ?, एवं एएणं अभिलावेणं जहा दसमसए अाइड्डी-उद्दे सए तहेव निरवसेसं चत्तारि दंडगा भाणियव्वा जाव महडिया वेमाणिणी अप्पड्डियाए वेमाणिणीए 4 // सूत्रं 508 // रयणप्पभापुढविनेरइया णं भंते ! केरिसियं पोग्गलपरिणामं पञ्चणुब्भवमाणा विहरंति ?, गोयमा ! अणिटुं जाव अमणामं एवं जाव अहेसत्तमा-पुढविनेरइया 1 / एवं वेदणापरिणाम एवं जहा जीवाभिगमे वितिए नेरइयउद्दे सए जाव आहेसत्तमा-पुढविनेइरया णं भंते ! केरिसयं परिग्गहसन्नापरिणामं पचणुब्भवमाणा विहरंति ?, गोयमा ! अणिटुंजाव अमणामं 2 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ // सूत्रं 501 // // इति चतुर्दशमशतके तृतीय उद्देशकः // 14-3 // .. // अथ चतुर्दशमशतके पुद्गलाभिधः चतुर्थोद्देशकः // __"पोग्गल 1 खंधे 2 जीवे 3 परमाणू 4 सासए य 5 चरमे य। दुविहे खलु परिणामे अजीवाणं च जीवाणं 6 // 1 // " एस णं भंते ! पोग्गले तीतमणंतं सासयं समयं लुक्खी समयं अलुक्खी समयं लुक्खी वा अलुक्खी वा ? पुदि च णं करणेणं अणेगवन्नं श्रोगरूवं परिणाम परिणमति ?, अह से परिणामे निजिन्ने भवति तो पच्छा एगवन्ने एगरूवे सिया ?, हंता गोयमा ! एस णं पोग्गले तीते तं चेव जाव एगरूवे सिया 1 / एस णं भंते ! पोग्गले पडुप्पन्नं सासयं समयं ? एवं चेव, एवं श्रणागयमणंतंपि 2 / एस णं भंते ! खंधे तीतमणंतं ? एवं चेव खंधेवि जहा