________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 25 :: उद्देशकः 3 ] [717 भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए एगे परिमंडले संगणे जवमज्झे तत्थ णं परिमंडला संगणा किं संखेजा पुच्छा, गोयमा ! वो संखेजा नो असंखेजा अर्णता 12 / वट्टा णं भंते.! संठाणा किं संखेजा पुच्छा, गोयमा ! नो संखेजा नो असंखेजा अणंता, एवं चेव जाव अायता 13 / जत्थ णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए. पुढवीए एगे वट्टे संगणे जवमज्झे तत्थ णं परिमंडला संठाणा किं. संखेजा पुच्छा, गोयमा ! नो संखेजा नो असंखेजा अणंता, वट्टा संगणा एवं चेव जाव श्रायता 14 / एवं पुणरवि एक्केकेणं संगणेणं पंचवि चारेयव्वा जहेव हेडिल्ला जाव पायताणं एवं जाव अहेसत्तमाए एवं कप्पेसुवि जाव ईसीपब्भाराए पुढवीए 15 // सूत्रं 725 // वट्टणं भंते ! संठाणे कतिपदेसिए कतिपदेसोगाढे पण्णत्ते ?, गोयमा ! वट्टे संगणे दुविहे पराणत्ते, तंजहा-घणव? य पयरवट्टे ए 1 / तत्थ णं जे से पयरवट्ट से दुविहे पराणत्ते, तंजहां-बोयपएसे य जुम्मपएसे य 2 / तत्थ णं जे से श्रोयपएसिए. से जहन्नेणं पंचपएसिए पंचपएसोगाढे उक्कोसेणं अणंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे 3 / तत्थ णं जे से जुम्मपएसिए से जहन्नेणं बारसपएसिए बारसपएसोगाढे उकोसेणं अणंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे 4 / तत्थ णं जे से घणषट्टे से दुविहे पराणत्ते, तंजहा-बोयपएसिए य जुम्मपएसिए य 5 / तत्थ णं जे से योयपएसिए से जहराणेणं सत्तपएसिए सत्तपएसोगाढे पराणत्ते उक्कोसेणं यणंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे पराणते 6 / तत्थ णं जे से जुम्मपएसिए से जहन्नेणं बत्तीसपएसिए बत्तीसपएसोगाढे पराणत्ते, उक्कोसेणं अणंतपएसिए यसंखेजपएसोगाढे पराणते 7 / तसे णं. भंते ! संठाणे कतिपदेसिए कतिपदेसोगाढे पराणते ?, गोयमा ! तसे णं संठाणे दुविहे पराणत्ते, तंजहाघणतंसे य पयरतंसे या तत्थ णं जे से पयरतंसे से दुविहे पराणते, तंजहाथोयपएसिए य जुम्मपएसिए य 1 / तत्थ णं जे से श्रोयपएसिए से जहराणेणं 35