________________ 724 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः प्पभाए पुढविए केवतिया. निरयावाससयसहस्सा पन्नत्ता ?, गोयमा ! तीसं निरयावाससयसहस्सा पराणत्ता, एवं जहा पढमसते पंचमुद्दे सगे जाव एगा अणुत्तरविमाणत्ति // सूत्रं 731 // कइविहे णं भंते ! गणिपिडए पराणत्ते ?. गोयमा ! दुवालसंगे गणिपिडए पराणत्ते, तंजहा-पायारो जाव दिट्टिवायो 1 / से किं तं पायारो ?, आयारे णं समणाणं निग्गंथाणं आयार-गोयर. विणय--वेणझ्य--सिक्खा-भासा-प्रभासा-चरण-करण-जाया--मायावित्तीयो श्राघवेज्जति 1 / एवं अंगपरूवणा भाणियव्वा जहा नंदीए, जाव सुत्तत्थो खलु पढमो बीयो निजुत्तिमीसियो भणियो / तइयो य निरवसेसो एस विहि होइ अणुयोगे // 1 // सूत्रं 732 // एएसि णं भंते ! नेरतियाणं जाव देवाणं सिद्धाण य पंचगतिसमासेणं कयरे 2 ? पुच्छा, गोयमा ! अप्पाबहुयं जहा बहुवत्तव्वयाए अट्टगइसमासप्पाबहुगं च 1 / एएसि णं भंते ! सइंदियाणं एगिदियाणं जाव अणिदियाण य कयरे 2 ?, एयपि जहा बहुवत्तव्वयाए तहेव श्रोहियं पयं भाणियंव्वं, सकाइयअप्पाबहुगं तहेव श्रोहियं भाणियध्वं 2 / एएसि णं भंते ! जीवाणं पोग्गलाणं जाव सव्वपजवाण य कयरे 2 जाव बहुवत्तव्वयाए 3 / एएसि णं भंते ! जीवाणं अाउयस्स कम्मस्स बंधगाणं प्रबंधगाणं जहा बहुवत्तव्वयाए जाव पाउयस्स कम्मस्स अबंधगा विसेसाहिया 4 / सेवं भंते ! सेवं भंते त्ति जाव विहरइ 5 // सूत्रं 733 // .. // इति पञ्चविंशतितमशतके तृतीय उद्देशकः // 25-3 // // अथ पञ्चविंशतितमशतके चतुर्थयुग्मोद्देशकः // . कति णं भंते ! जुम्मा पन्नत्ता ? गोयमा ! चत्तारि जुम्मा पन्नत्ता, तंजहाकडजुम्मे जाव कलियोगे 1 / से केण?णं भंते ! एवं बुचइ चत्तारि जुम्मा पन्नत्ता, तंजहा-कडजुम्मे जहा अट्ठारसमसते चउत्थे उद्देसए तहेव जाव से