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________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 26 :: उद्देशकः 1] / 781 णं भंते ! जीवे पावं कम्मं पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी पढमबितिया भंगा 5 / सुक्कपक्खिए णं भंते / जीवे पुच्छा, गोयमा ! चउभंगो भाणियव्वो 6 // सूत्रं 810 // सम्मबिट्ठीणं चत्तारि भंगा, मिच्छादिट्ठीणं पढमबितिया भंगा, सम्मामिच्छादिट्ठीणं एवं चेव 1 / नाणीणं चत्तारि भंगा, याभिणियोहियणाणीणं जाव मणपजवणाणीणं चत्तारि भंगा, केवलनाणीणं चरमो भंगो जहा अलेस्साणं 5, 2 / अन्नाणीणं पढमबितिया, एवं मइअन्नाणीणं सुयअन्नाणीणं विभंगणाणीणवि 6, 3 / श्राहारसन्नोवउत्ताणं जाव परिग्गहमन्नोवउत्ताणं पदमबितिया नोसन्नोवउत्ताणं चत्तारि 7, 4 / सवेदगाणं पढमबितिया, एवं इत्थिवेदगा पुरिसवेदगा नपुंसगवेदगावि, अवेदगाणं चत्तारि 5 / सकसाईणं चत्तारि, कोहकसायीणं पढमबितिया भंगा, एवं माणकसायिस्सवि मायाकसायिस्सवि लोभकसायिस्सवि चत्तारि भंगा 6 / अकसायी णं भंते ! जीवे पावं कम्मं किं बंधी ? पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी न बंधइ बंधिस्सइ 3 अत्थेगतिए बंधी ण बंधइ ण बंधिस्सइ 4,7 / सजोगिस्स चउभंगो, एवं मणजोगस्सवि वइजोगस्सवि कायजोगस्सवि, अजोगिस्स चरिमो, सागारोवउत्ते चत्तारि, अणागारोवउत्तेवि चत्तारि भंगा 11, 8 // सूत्रं 811 // नेरइए णं भंते ! पावं कम्मं किं बंधी बंधइ बंधिस्सइ ?, गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी पढमबितिया 1, सलेस्से णं भंते ! नेरतिए पावं कम्मं चेव, एवं कराहलेस्सेवि नीललेस्सेवि काउलेसेवि, एवं कराहपक्खिए सुक्कपक्खिए, सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्टी, गाणी श्राभिणियोहियनाणी सुयनाणी श्रोहिणाणी अन्नाणी मइअन्नाणी सुयअन्नाणी विभंगनाणी थाहारसन्नोवउत्ते जाव परिग्गहसन्नोवउत्ते, सवेदए नपुंसकवेदए, सकसायी जाव लोभकसायी, सजोगी मणजोगी वयजोगी कायजोगी, सागारोवउत्ते अणागारोवउत्ते, एएसु सव्वेसु पदेसु पढमबितिया भंगा भाणियव्वा, एवं असुरकुमारस्सवि वत्तव्वया भाणियब्वा नवरं 54
SR No.004364
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1977
Total Pages418
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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