________________ यामद्व्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवति)सूत्रं :: शतकं 35 :: अवांतर श०२-५ ] [ 827 छठे अट्ठमे दसमे य देवा न उववज्जंति तेउलेस्सा नत्थि / / सूत्रं 858 // पढमं एगिदिय-महाजुम्मसयं समत्तं // 35 // 1 // कराहलेस्स-कडजुम्मे २एगिदिया णं भंते ! कयो उववज्जंति ?, गोयमा ! उववायो तहेव एवं जहा श्रोहिउद्देसए नवरं इमं नाणत्तं 1 / ते णं भंते ! जीवा कराहलेस्सा ?, हंता कराहलेस्सा 2 / ते णं भंते ! कराहलेस्सकड. जुम्मरणगिदियेत्ति कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा! जहन्नेणं एक्कं ममयं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं 3 / एवं ठितीएवि, सेसं तहेव जाय यणंतखुत्तो, एवं सोलसवि जुम्मा भाणियव्या 4 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 5 // 35-2-1 // पढमसमय-कराहलेस्स-कडजुम्म२. गिदिया णं भंते ! कत्रो उववजंति ?, जहा पढमसमयउद्दसयो नवरं ते णं भंते ! जीवा कराहलेस्सा ?, हंता कराहलेस्सा, सेसं तहेव 1 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 2 // 35-2-2 // एवं जहा श्रोहियसए एकारस उद्दे सगा भणिया तहा कराहलेस्ससएवि एक्कारस उद्दे सगा भाणियव्वा 1 / पढमो तइयो पंचमो य सरिसगमा सेसा अट्ठवि सरिसगमा नवरं चउत्थछट्ट अट्टम-दसमेसु उववायो नत्थि देवस्स 2 / सेवं भंते! 2 ति जाव विहरइ 3 / / 35-2-3 / 11 / सए वितियं एगिदिय-महाजुम्मसयं समत्तं // 35 // 2 // एवं नीललेस्सेहिवि सयं कराहलेस्ससयसरिसं एकारस उद्दे सगा तहेव 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // ततियं एगिदियमहाजुम्मसयं समत्तं // 35 // 3 // एवं काउलेस्सेहिवि सयं कराहलेस्ससयसरिसं 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाब विहरइ 2 // चउत्थं एगिदियमहाजुम्मसयं // 35-4 // भवसिद्धिय-कडजुम्म२एगिदिया णं भंते ! कयो उववज्जंति ? जहा श्रोहियसयं नहव नवरं एकारससुवि उद्दे सएसु 1 / अह भंते ! सव्वपाणा जाव सव्वमत्ता भवसिद्धिय-कडजुम्म २एगिदियत्ताए उववन्नपुव्वा ?, गोयमा ! णो इण? सम8, सेसं तहेव 2 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 3 // पंचम