________________ 588 ) .. [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः तृतीयो विभागः सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरति 3 // सूत्रं 621 // // इति अष्टादशमशतके पञ्चम उद्देशकः // 18-5 // // अथ अष्टादशमशतके गुलाख्य-षष्ठोद्देशकः // ___ फाणियगुले णं भंते ! कतिवन्ने कतिगंधे कतिरसे कतिफासे पराणते ?, गोयमा ! एत्थ णं दो नया भवंति, तंजहा-निच्छइयनए य, वावहारियनए य, वावहारियनयस्स गोड्डे फाणियगुले नेच्छइयनयस्स पंचवन्ने दुगंधे पंचरसे अट्ठफासे पन्नत्ते 1 / भमरे णं भंते ! कतिवन्ने ? पुच्छा, गोयमा ! एत्थ णं दो नया भवंति, तंजहा-निच्छइयनए य वावहारियनए य, वावहारियनयस्स कालए भमरे नेच्छझ्यनयस्स पंचवन्ने जाव अट्ठफासे पन्नत्ते 2 / सुयपिच्छे ण भंते ! कतिवन्ने एवं चेव, नवरं वावहारियनयस्स नीलएसुयपिच्छे नेच्छइयनयस्स पंचवराणे सेसं तं चेव 3 / एवं एएणं अभिलावेणं लोहिया मंजिट्ठिया पीतिया हालिद्दा सुकिल्लए संखे सुभिगंधे कोठे दुन्भिगंधे मयगसरीरे तित्ते निबे कडया सुंठी कसाए कविढे अंबा अंबिलिया महुरे खंडे कक्खडे बहरे मउए नवणीए गरुए अए लहुए उलुयपत्ते सीए हिमे उसिणे अगणिकाए णिद्धे तेल्ले 4 / छारिया णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! एत्थ दो नया भवंति, तंजहा-निच्छइयनए य ववहारियनए य, ववहारियनयस्स लुक्खा छारिया नेच्छश्यनयस्स पंचवन्ना जाव अट्ठफासा पन्नत्ता 5 // सूत्रं 630 // परमाणुपोग्गले णं भंते ! कतिवन्ने जाव कतिफासे पन्नत्ते ?, गोयमा ! एगवन्ने एगगंधे एगरसे दुफासे पन्नत्ते .1 / दुपएसिए णं भंते ! खंधे कतिवन्ने पुच्छा, गोयमा! सिय एगवन्ने सिय दुवन्ने सिय एग गंधे सिय दुगंधे सिय ऐगरसे सिय दुरसे सिय दुफासे सिय तिफासे सिय त्रउफासे पन्नत्ते 2 / एवं तिपएसिएवि, नवरं सिय एगवन्ने सिय दुवन्ने सिय तिवन्ने, एवं रसेसुवि, सेसं जहा दुपएसियस्स 3 /