________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 16 :: उद्देशकः 7 ] [557 . // अथ षोडशशतके उपयोगाख्य-सप्तमोद्दशकः // कतिविहे णं भंते ! उवयोगे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे उवयोगे पन्नत्ते, एवं जहा उवयोगपदं पन्नवणाए तहेव निरवसेसं भाणियव्वं 1 / पासणयापदं च निरवसेसं नेयव्वं 2 / सेवं भंते! 2 तिजाव विहरइ ३॥सूनं५८२॥१६-७॥ // अथ षोडशशतके लोकाख्योऽष्टमोद्देशकः // किंमहालए णं भंते ! लोए पन्नत्ते ?, गोयमा ! महतिमहालए जहा बारसमप्सए तहेव नाव असंखेजायो जोयणकोडाकोडीयो परिक्खेवेणं 1 / लोयस्स णं भंते ! पुरच्छिमिल्ले चरिमंते कि जीवा जीवदेसा जीवपएसा अजीवा अजीवदेसा अजीवपएसा ?, गोयमा ! नो जीवा जीवदेसावि जीवपएसावि अनीवावि अजीवदेसावि अजीवपएसावि, जे जीवदेसा ते नियम एगिदियदेसा य ग्रहवा एगिदियदेसा य बेइंदियस्स य देसे एवं जहा दसमसए अग्गेयीदिसा तहेव नवरं देसेसु अणिंदियाणं अाइलविरहियो, जे अरूवी अजीवा ते छविहा, श्रद्धासमयो नत्थि, सेसं तं चेव सव्वं निरवसेसं 2 / लोगस्स णं भंते ! दाहिणिल्ले चरिमंते किं जीवा जाव अजीवपएसावि ?, एवं चेव, एवं पञ्चच्छिमिल्लेवि, उत्तरिल्लेवि 3 / लोगस्स णं भंते ! उवरिल्ले चरिमंते किं जीवा जाव यजीवपएसावि ? पुच्छा, गोयमा ! नो जीवा जीवदेसावि जाव अजीवषएसावि 4 / जे जीवदेसा ते नियम एगिदियदेसा य अणिदियदेसा य अहवा एगिदियदेसा य अणिदियदेसा य बदियस्स य देसे, अहवा एगिदियदेसा य अणिंदियदेसा य दियाण य देसा, एवं मझिल्लविरहियो जाव पंचिंदियाणं 5 / जे जीवप्पएसा ते नियम एगिदियप्पएसा य अणिंदियप्पएसा य अहवा एगिदियप्पएसा य अणिदियप्पएसा य बेंदियस्सप्पदेसा य अहवा एगिदियपएसा य अणिदियप्पएमा य बेइंदियाण य पएसा, एवं आदिल्लविरहियो जाव पंबिंदियाणं, अजीवा जहा दसमसए तमाए तहेव निरवसेसं 6 / लोगस्स गां भंते ! हेट्ठिल्ले चरिमंते