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________________ 766 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विमागः एएणं अभिलावेणं कराहपक्खिया तिसुवि समोसरणेसु भयणाए, सुक्कपक्खिया चउसुवि समोसरणेसु भवसिद्धीया नो अभवसिद्धीया, सम्मदिट्ठी जहा अलेस्सा, मिच्छादिट्ठी जहा कराहपक्खिया, सम्मामिच्छादिट्ठी दोसुवि समोसरणेसु जहा अलेस्सा, नाणी जाव केवलनाणी भवसिद्धीया नो अभवसिद्धीया, अन्नाणी जाव विभंगनाणी जहा कराहपक्खिया, सन्नासु चउसुवि जहा सलेस्सा, नोसन्नोवउत्ता जहा सम्मदिट्ठी, सवेदगा जाव नपुंसगवेदगा जहा सलेस्सा, अवेदगा जहा सम्मदिट्ठी, सकसायी जाव लोभकसायी जहा सलेस्सा, अकसायी जहा सम्मदिट्ठी, सयोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा, अयोगी जहा सम्मदिट्ठी, सागारोवउत्ता अणागारोवउत्ता जहा सलेस्सा, एवं नेरइयावि भाणियबा नवरं नायव्वं जं अस्थि, एवं असुरकुमारावि. जाव थणियकुमारा, पुढविकाइया सव्वट्ठाणेसुवि मझिल्लेसु दोसुवि समवसरणेसु भवसिद्धीयावि अभवसिद्धीयावि एवं जाव वणस्सइकाइया, बेइंदियतेइंदियचउरिंदिया एवं चेव नवरं संमत्ते श्रोहिनाणे श्राभिणिबोहियनाणे सुयनाणे एएसु चेव दोसु मज्झिमेसु समोसरणेसु भवसिद्धिया नो अभवसिद्धिया, सेसं तं चेव, पंचिंदियतिरिक्खजोणिया जहा नेरझ्या नवरं नायव्वं जं अत्थि, मणुस्सा जहा श्रोहिया जीवा, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा असुरकुमारा 16 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरति 17 // सूत्रं 825 // // इति प्रथमोद्देशकः // 30-1 // - अणंतरोववन्नगाणं भंते ! नेरइया किं किरियावादी ? पुच्छा,गोयमा! किरियावादीवि जाव वेणइयवादीवि 1 / सलेस्सा णं भंते ! अणंतरोववन्नगा नेरइया कि किरियावादी एवं चेत्र, एवं जहेव पढमुद्दे से नेरझ्याणं वत्तव्वया तहेव इंइवि भाणियब्वा, नवरं जं जस्स अस्थि अणंतरोववनगाणं नेरइ
SR No.004364
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1977
Total Pages418
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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