________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 13 :: उद्देशकः 4 ] [459 एगे भंते ! जीवस्थिकाय-पएसे केवतिएहिं धम्मत्थिकायपएसेहिं पुच्छा, जहन्नपदे चउहिं उकोसपए सत्तहिं, एवं अहम्मस्थिकायपएसेहिवि 1 / केवतिएहिं अागासस्थिकाय-पऐसेहिं पुढे ?, सत्तहिं 2 / केवतिएहिं जीवत्थिकाय-पएसेहिं पुढे ?, सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स 3 / एगे भंते ! पोग्गलस्थिकायपएसे केवतिएहिं धम्मत्थिकायपएसेहिं पुढे ? एवं जहेव जीवस्थिकायस्त 4 / दो भंते ! पोग्गलत्थिकाय-प्पएसा केवतिएहि धम्मत्थिकायपएसेहिं पुट्ठा ?, जहन्नपए छहिं उकोसपए बारसहिं, एवं अहम्मत्थिकायप्पएसेहिवि 5 / केवतिएहिं अागासस्थिकायपएसेहिं पुढे ?, बारसहिं, सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स 6 / तिन्नि भंते ! पोग्गलत्थिकायपएसा केवतिएहिं धम्मत्थिकाय-पएसेहिं पुट्ठा ?, जहन्नपए अट्टहिं उकोसपए सत्तरसहिं 7 / एवं अहम्मत्थिकायपएसेहिवि 8 / केवतिएहिं अागासत्थिकाय-पएसेहिं पुट्ठा ?, सत्तरसहिं, सेसं जहा धम्मस्थिकायस्स 1 / एवं एएणं गमेणं भाणियव्वं जाव दस, नवरं जहन्नपदे दोनि पक्खिवियव्वा उक्कोसपए पंच 10 / चत्तारि पोग्गलत्थिकायस्स-जहन्नपए दसहिं उकोसपए बावीसाए, पंच पुग्गलत्थिकायस्स, जहरणपए बारसहिं उक्कोसपए सत्तावीसाए, छ पोग्गलत्थिकायस्स-जहराणपए चोदसहिं उकोसपए बत्तीसाए, सत्त पोग्गलथिकायस्स-जहन्नपए सोलसहिं उक्कोसपए सत्ततीसाए, अट्ट पोग्गलस्थिकायस्स जहराणपए अट्ठारसहि उक्कोसपए बायालीसाए, नव पोग्गलत्थिकायस्सजहन्नपए वीसाए उक्कोसपए सीयालीसाए, दस पोग्गलत्थिकायस्स जहगणपए बावीसाए उकोसपए बावन्नाए 11 / बागासत्थिकायस्स सव्वस्थ उकोसगं भाणियव्वं 12 / संखेजा भंते ! पोग्गलस्थिकायपएसा केवतिएहिं धम्मत्थिकायपएसेहिं पुट्ठा ?, जहन्नपदे तेणेव संखेजएणं दुगुणेणं दुरूवाहिएणं उकोसपए तेणेव संखेजएणं पंचगुणेणं दुरूवाहिएणं 13 / केवतिएहिं अधम्मथिकायपएसेहिं एवं चेव 14 / केवतिएहिं अागासत्थिकायपएसेहिं पुट्ठा ?,