________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवति)सूत्रं :: शतकं 26 :: उद्देशकः 1] [783 पावं कम्मं तहेव मोहणिज्जंपि निरवसेसं जाव वेमाणिए 3 // सूत्रं 813 // जीवे णं भंते ! पाउयं कम्मं किं बंधी बंधइ ? पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी चउभंगो सलेस्से जाव सुक्कलेस्से चत्तारि भंगा अलेस्से चरिमो . भंगो 1 / कराहपक्खिए णं पुच्छा, गोयमा ! अत्यंगतिए बंधी बंधइ बंधि- - स्मइ अत्थेगतिए बंधी न बंधइ बंधिस्सइ, सुकपक्खिए सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी वनारि भंगा, सम्मामिच्छादिट्ठी पुच्छा, गोयमा ! अत्यंगतिए बंधी न बंधई बंधिस्सइ अत्यंगतिए बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ, नाणी जाव श्रोहिनाणी चत्तारि भंगा 2 / मणपजवनाणी पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ, अत्यंगतिए बंधी न बंधइ बंधिस्सइ, अत्थेगतिए बंधी न बंधइ न चंधिस्सइ, केवलनाणे चरमो भंगो, एवं एएणं कमेणं नोसन्नोवउत्ते बितियविहूणा जहेव मणपजवनाणे, अवेदए अकसाई य ततियचउत्था जहेव मम्मामिच्छत्ते, अजोगिम्मि चरिमो, सेसेसु पदेसु चत्तारि भंगा जाव यणागारोवउत्ते 3 / नेरइए णं भंते ! पाउयं कम्मं किं बंधी पुच्छा, गोयमा ! अत्यंगतिए चत्तारि भंगा एवं सव्वत्थवि नेरइयाणं चत्तारि भंगा नवरं कण्हलेस्से कराहपक्खिए य पढमततिया भंगा, सम्मामिच्छत्ते ततियचउत्था, असुरकुमारे एवं चेव, नवरं कराहलेस्सेवि चत्तारि भंगा भाणियब्वा सेसं जहा नेरइयाणं एवं जाव थणियकुमाराणं, पुढविकाइयाणं सव्वत्थवि चत्तारि भंगा, नवरं कराहपक्खिए पढमततिया भंगा 4 / तेऊलेस्से पुच्छा, गोयमा ! बंधी न बंधइ बंधिस्सइ सेसेसु सव्वत्थ चत्तारि भंगा, एवं ग्राउकाइय-वणस्सइकाइयाणवि निरवसेसं तेउकाइय-वाउकाइयाणं मवत्थवि पढमततिया भंगा, बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदियाणंपि सव्वत्थवि पढमततिया भंगा, नवरं सम्मत्ते नाणे आभिणिबोहियनाणे सुयनाणे ततियो भंगो 5 / पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं कराहपक्खिए पढमततिया भंगा, सम्मामिच्छत्ते ततियचउत्थो भंगो, सम्मत्ते नाणे श्राभिणिबोहियनाणे