________________ 636 ) . ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभाग : दिट्ठीए सम्मामिच्छादिट्ठीए, आभिणिबोहियणाणरस. जाव केवलनाणस्स, मइअन्नाणस्स सुयअन्नाणस्स विभंगनाणस्स 8 / एवं आर्भिणिबोहियणाणविसयस्स भंते ! कइविहे बंधे पन्नत्ते ? जाव केवलनाणविसयस्स मइअन्नाणविसयस्स सुयअन्नाणविसयस्स विभंगणाणविसयस्स. एएसिं सब्वेसि पदाणं तिविहे बंधे पन्नत्ते, सव्वेऽवेते चउव्वीसं दंडगा भाणियव्वा, 1 / नवरं जाणियव्वं जस्स जइ अत्थि जाव वेमाणियाणं भंते ! विभंगणाणविसयस कइविहें बंधे पन्नते ?, गोयमा ! तिविहे बंधे पन्नत्तेजीवप्पयोगबंधे अणंतरबंधे परंपरबंधे 10 / इह सङ्ग्रहगाथे-जीवप्पयोगबंधे अणंतरपरंपरे बोधव्वे = | पगडी 8 उदए 8 वेए 3 दंसणमोहे चरिते य॥ 1 // थोरालिय-वेउब्बिय-याहारग-तेयकम्मए चेव / सन्ना 4 लेस्सा 6 दिट्ठी 3 नाणा ५-नाणेसु 3 तस्विसए 8 // 2 // सेवं भंते ! 2 जाव विहरति 11 // सूत्रं 674 // 20-7 // // अथ विंशतितमशतके भूमिनामकोऽष्टमोद्देशकः // ___कइ णं भंते ! कम्मभूमीश्रो पत्नत्तायो ?, गोयमा ! पन्नरस कम्मभूमीयो पन्नत्तायो, तंजहा-पंच भरहाई पंच एरवयाई पंच महाविदेहाई 1 / कति णं भंते ! अकम्मभूमीयो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! तीसं अम्मभूमीश्रो पन्नत्तायो, तंजहा-पंच हेमवयाई पंच हेरनवयाइं पंच हरिखासाई पंच रम्मगवासाइं पंच देवकुराइं पंच उत्तरकुराई 2 / एयासु णं भंते ! तीसासु अकम्मभूमीसु अत्थि उस्सप्पिणीति वा अोसप्पिणीति वा ?, णो तिणढे सम? 3 / एएसु णं भंते ! पंचसु भरहेसु पंचसु एरवएसु अस्थि उस्सप्पिणीति वा योसप्पिणीति वा ?, हंत अस्थि 4 / एएसुणं पंचसु महाविदे. हेसु अस्थि उस्सप्पिणीति वा योसप्पिणीति वा ? गोवत्थि उस्सणिणी नेवत्थि अोसप्पिणी अवट्ठिए णं तत्थ काले पन्नत्ते समणाउसो.! 5 // सूत्रं 675 // एएसु णं भंते ! पंचसु महाविदेहेसु अरिहंता भगवंतो