________________ श्रीमन्याख्याप्राप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 14 : उद्देशकः 8 ] ( 461 सचोवाए सन्निहिय-पाडिहेरे लाउलोइय-महिए यावि भविस्सइ 1 / से णं भंते ! तोहितो अणंतरं उब्वट्टित्ता कहिं गमिहिति कहिं उववजिहिति ?, गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतं काहिति 2 / एस भंते ! साललट्ठिया उराहाभिहया तण्णाभिहया दवग्गिजालाभिहया कालमासे कालं किचा जाव कहिं उववजिहिति ?, गोयमा ! इहेव जंबूहीवे 2 भारहे वासे विज्झगिरि-पायमूले महेसरिए नगरीए सामलि-रुक्खत्ताए पञ्चायाहिति, साणं तत्थ अच्चिय-वंदिय-पूइय जाव लाउलोइय-महिए यावि भविस्सइ 3 / से णं भंते ! तयोहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता सेसं जहा सालरुक्खस्स जाव अंतं काहिति 4 / एस णं भंते ! उंबरलट्ठिया उराहाभिहया 3 कालमासे कालं किचा जाव कहिं उववजिहिति ?, गोयमा ! इहेव जंबुद्दीवे 2 भारहे वासे पाडलिपुत्ते नाम नगरे पाडलि-रुक्खत्ताए पञ्चायाहिति, से णं तत्थ अच्चियवंदिय जाव भविस्सति 5 / से णं भंते ! अणंतरं उव्वत्तित्ता सेसं तं चेव जाव अंतं काहिति 6 // सूत्रं 528 // तेणं कालेणं तेणं समएणं अम्मडस्स परिवायगस्स सत्त अंतेवासीसया गिम्हकाल-समयंसि एवं जहा उबवाइए जाव बाराहगा // सूत्रं 521 // बहुजणे णं भंते ! अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ एवं खलु अम्मडे परिवायए कंपिल्लपुरे नगरे घरसए एवं जहा उववाइए अम्मडस्स वत्तव्वया जाव दडप्पइराणो अंतं काहिति // सूत्रं 530 // अत्थि णं भंते ! अव्वाबाहा देवा अव्वाबाहा देवा ?, हंता अस्थि 1 / से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ अब्वाबाहा देवा 2 ?, गोयमा ! पभू णं एगमेगे अव्वाबाहे देवे एगमेगस्स पुरिसस्स एगमेगंसि अच्छिपत्तंसि दिव्वं देविडि दिव्वं देवज्जुतिं दिव्वं देवजुतिं दिव्वं देवाणुभागं दिव्वं बत्तीसतिविहं नट्ट. विहिं उवदंसेत्तए, णो चेव णं तस्स पुरिसस्स किंचि श्राबाहं वा वाबाहं वा उप्पाएइ छविच्छेयं वा करेंति, एसुहुमं च णं उवदंसेजा, से तेणटेणं जाव अव्वाबाहा देवा 2, 2 // सूत्रं 531 // पभू णं भंते ! सक्के देविंदे