________________ श्रीमत्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 20 : उद्देशकः 6] / 633 त्ति जाव विहरति 6 // सूत्रं 670 // // इति विंशतितमशतके पञ्चम उद्देशकः // 20-5 // // अथ विंशतितमशतके अंतराख्य-षष्ठोद्देशकः // __पुढविकाइए णं भंते! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए सकरप्पभाए पुढवीए अंतरा समोहए समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे कप्पे पुढविकाइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते ! किं पुदि उववजित्ता पच्छा श्राहारेज्जा पुखि श्राहारित्ता पच्छा उववज्जेजा ?, गोयमा ! पुब्बि वा उववजित्ता एवं जहा सत्तरसमसए छठ्ठद्द से जाव से तेण? गां गोयमा ! एवं वुच्चइ पुब्बि वा जाव उववज्जेजा नवरं तहिं संपाउणेजा इमेहिं श्राहारो भन्नति सेसं तं चेव 1 / पुढविकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए सकरप्पभाए पुढवीए अंतरा समोहए जे भविए ईमाणे कप्पे पुढविकाइयत्ताए उववजित्तए एवं चेव एवं जाव ईसीप-भाराए उववाएयबो 2 / पुढविकाइए णं भंते ! सकरप्पभाए वालुयप्पभाए पुढवीए अंतरा समोहते 2 जे भविए सोहम्मे जाव ईसिपभाराए एवं एतेण कमेणं जाव तमाए अहेसत्तमाए य पुढवीए अंतरा समोहए समाणे जे भविए उववाएयव्वो 3 / पुढविकाइए णं भंते ! सोहम्मीसाणसणं कुमारमाहिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहए 2 जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुढविक्काइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते ! पुन्वि उववजित्ता पच्छा अाहारेजा सेसं तं चेव जाव से तेण?णं जाव णिवखेवो 4 / पुढविक्काइए णं भंते ! सोहम्मीसाणाणं सणंकुमारमाहिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहए 2 जे भविए सकरप्पभाए पुढवीए पुढविकाइयत्ताए उववजित्तर एवं चेव एवं जाव अहेसत्तमाए उववाएयव्वो 5 / एवं सणंकुमारमाहिदाणं बंभलोगस्स कप्पस्स अंतरा समोहए समोहणित्ता पुणरवि जाव आहे. सत्तमाए उववाएयव्यो, एवं बंभलोगस्स लंतगस्स य कप्पस्स अंतरा समोहए