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________________ 792 ] - [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः अस्थि तं भाणियव्वं सेमं न भराणाति, जहा नेरइया एवं जाव थणियकुमारा 8 | पुढविकाइया णं भंते ! कि किरियावादी ? पुच्छा, गोयमा ! नो किरियावादी अकिरियावादीवि अन्नायिवादीवि नो वेणइयवादी, एवं पुढविकाइयाणं जं अत्थि तत्थ सव्वत्थवि एयाइं दो मझिलाई समोसरणाई जाव अणागारोवउत्तावि, एवं जाव चरिंदियाणं सवट्ठाणेसु एयाई चेव मझिल्लगाइं दो समोसरगमाई, सम्मत्तनाणेहिवि एयाणि चेव मज्झिलगाई दो समोसरणाई, पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया जहा जीवा नवरं जं अस्थि तं भाणियब्वं, मणुस्सा जहा जीवा तहेव निरवसेमं. वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा असुरकुमारा 1 / किरियावादी णं भंते ! जीवा किं नेरझ्याउयं पकरेइ तिरिक्खजोणियाउयं पकरेइ मणुस्साउयं पकरेइ देवाउयं पकरेइ ?, गोयमा ! नो नेरझ्याउयं पकरेइ नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेइ मणुस्साउयंपि पकरेइ देवाउयंपि पकरेइ 10 / जइ देवाउयं पकरेइ किं भवणवासीदेवाउयं पकरेइ जाव वेमाणियदेवाउयं पकरेइ ?, गोयमा ! नो भवणवासीदेवाउयं पकरेइ नो वाणमंतरदेवाउयं पकरेइ नो जोइसियदेवाउयं पकरेइ वेमाणियदेवाउयं पकरेइ 11 / अकिरियावादी णं भंते ! जीवा किं नेरझ्याउयं पकरेइ ? तिरिक्खजोणियाउयं पुच्छा, गोयमा ! नेरइयाउयपि पकरेइ जाव देवाउयंपि पकरेइ, एवं अन्नाणियवादीवि वेणइयवादीवि 12 / सलेस्मा णं भंते ! जीवा किरियावादी कि नेरइयाउयं पकरेइ ? पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइयाउयं एवं जहेव जीवा तहेव सलेस्सावि चउहिवि समोसरणेहिं भाणियव्वा 13 / कराहलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावादी किं नेरझ्याउयं पकरेइ ? पुच्छा, गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेइ नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेइ मणुस्साउयं पकरेइ नो देवाउयं पकरेइ, अकिरियवादी अन्नाणियवेणइयवादी य चत्तारिवि पाउयाई पकरेइ, एवं नीललेस्सावि 14 / तेउलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावादी कि नेरंइयाउयं पकरेइ ?
SR No.004364
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1977
Total Pages418
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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