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________________ 448 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // तृतीयो विभागः / ववन्नगा पन्नत्ता 1 ? केवइया परंपरोववन्नगा पन्नत्ता 2 ? केवइया अणंतरोगाढा पन्नत्ता 3 ? केवइया परंपरोगाढा पन्नत्ता 4 ? केवइया अणंतराहारा पन्नत्ता 5 ? केवतिया परंपराहारा पन्नत्ता 6 ? केवतिया अणंतरपजत्ता पन्नत्ता 7 ? केवतिया परंपरपजत्ता पन्नत्ता 8 ? केवतिया चरिमा पनत्ता 1 ? केवतिया अचरिमा पन्नत्ता 10 ?, गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास-सयसहस्सेसु संखेजवित्थडेसु नरएसु संखेजा नेरतिया पन्नत्ता, संखेजा काउलेसा पनत्ता, एवं जाव संखेजा सन्नी पन्नत्ता, असन्नी सिय अस्थि सिय नत्थि, जइ अस्थि जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेजा पन्नत्ता, संखेजा भवसिद्धी पन्नत्ता, एवं जाव संखेजा परिग्गहसन्नोवउत्ता पनत्ता, इस्थिवेदगा नत्थि पुरिसवेदगा नत्थि, संखेजा नपुंसगवेदगा पन्नत्ता, एवं कोहकसायीवि मानकसाई जहा असन्नी एवं जाव लोभकसायी संखेजा सोइंदियोवउत्ता पन्नत्ता, एवं जाव फासिंदियोवउत्ता नोइंदियोवउत्ता जहा असन्नी, संखेज्जा मणजोगी पन्नत्ता, एवं जाव अणागारोवउत्ता, अणंतरोववन्नगा सिय अस्थि सिय नत्थि, जइ अत्थि जहा असन्नी, संखेजा परंपरोववनगा पन्नत्ता, एवं जहा अणंतरोववन्नगा तहा अणंतरोगाढगा अणंतराहारगा अणंतरपजत्तगा परंपरोगाढगा जाव अचरिमा जहा परंपरोववनगा 7 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास-सयसहस्सेसु असंखेजवित्थडेसु एगसमएणं केवतिया नेरइया उववज्जति जाव केवतिया अणागारोवउत्ता उववज्जति ?, गोयमा / इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास-सयसहस्सेसु असंखेजवित्थडेसु नरएसु एगसमएणं जहराणेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं असंखेजा नेरइया उववज्जंति, एवं जहेव संखेजवित्थडेसु तिनि गमगा तहा असंखेजवित्थडेसुवि तिन्नि गमगा, नवरं असंखेजा भाणियव्वा, सेसं तं चेव जाव असंखेजा अचरिमा पन्नत्ता, नाणत्तं लेस्सासु, लेसायो जहा पढमसए, नवरं
SR No.004364
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1977
Total Pages418
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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