________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 13 : उद्देशकः 1 } [449 संखेजवित्थडेसुवि असंखेजवित्थडेसुवि मोहिनाणी अोहिदंसणी य संखेजा उब्वट्टावेयव्वा, सेसं तं चेव = | सक्करप्पभाए णं भंते ! पुढवीए केवतिया निरयावास पुच्छा, गोयमा ! पणवीसं निरयावास-सयसहस्सा पराणत्ता 1 / ते णं भंते ! किं संखेजवित्थडा असंखेजवित्थडा एवं जहा रयणप्पभाए तहा सक्करप्पभाएवि, नवरं असन्नी तिसुवि गमएसु न भन्नति, सेसं तं चेव 10 / वालुयप्पभाए णं पुच्छा, गोयमा ! पन्नरस निरयावास-सयसहस्सा पन्नत्ता, सेसं जहा सकरप्पभाए णाणत्तं लेसासु लेसायो जहा पढमसए 11 / पंकप्पभाए पुच्छा, गोयमा ! दस निरयावास-सयसहस्सा पन्नत्ता, एवं जहा सकरप्पभाए नवरं श्रोहिनाणी श्रोहिदसणी य न उव्वदृति, सेसं तं चेव 12 / धूमप्पभाए णं पुच्छा, गोयमा ! तिन्नि निरयावास-सयसहस्सा एवं जहा पंकप्पभाए 13 / तमाए णं भंते ! पुढवीए केवतिया निरयावास पुच्छा, गोयमा ! एगे पंचूणे निरयावास-सयसहस्से पराणत्ते, सेसं जहा पंकप्पभाए 14 / अहेसत्तमाए णं भंते ! पुढवीए कति अणुत्तरा महतिमहालया महानिरया पन्नत्ता ?,गोयमा ! पंच अणुत्तरा जाव अपइट्टाणे 15 / ते णं भंते ! किं संखेजवित्थडा असंखेजवित्थडा ?, गोयमा ! संखेजवित्थडे य असंखेजवित्थडा य 16 / अहेसत्तमाए णं भंते ! पुढवीए पंचसु अणुत्तरेसु महतिमहालया जाव महानिरएसु संखेजवित्थडे नरए एगसमएणं केवतिया उववज्जति ?, एवं जहा पंकप्पभाए, नवरं तिसु नाणेसु न उववज्जति न उव्वट्टति, पन्नत्तएसु तहेव अस्थि, एवं असंखेजवित्थडेसुवि नवरं असंखेजा भाणियव्वा 17 // सूत्र 470 // इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास-सयसहस्सेसु संखेजवित्थडेसु नरएसु किं सम्मदिट्ठी नेरतिया उववज्जंति मिच्छदिट्ठी नेरतिया उववज्जंति, सम्मामिच्छदिट्ठी नेरतिया उववज्जति ?, गोयमा ! सम्मदिट्ठीवि नेरझ्या उववज्जंति मिच्छादिट्ठीवि नेरझ्या उववज्जति नो सम्मामिच्छदिट्ठी उवव