________________ 450 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः ज्जंति 1 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास-सयसहस्सेसु संखेजवित्थडेसु नरएसु किं सम्मदिट्टी नेरतिया उबट्टति ? एवं चेव 2 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास-सयसहस्सेसु संखेजवित्थडा नरगा किं सम्मट्ठिीहिं नेरइएहिं अविरहिया मिच्छादिट्टीहि नेरइएहिं अविरहिया सम्मामिच्छदिट्ठीहिं नेरइएहि अविरहिया वा ?, गोयमा ! सम्मदिट्टीहिंवि नेरइएहिं अविरहिया मिच्छादिट्ठीहिंवि अविरहिया सम्मामिच्छादिट्ठीहिं अविरहिया विरहिया वा, एवं असंखेजवित्थडेसुवि तिन्नि गमगा भाणियव्वा, एवं सक्करप्पभाएवि, एवं जाव तमाएवि 3 / अहेसत्तमाए णं भंते ! पुढवीए पंचसु अणुत्तरेसु जाव संखेज. वित्थडे नरए किं सम्मपिट्ठीनेरझ्या पुच्छा, गोयमा ! सम्मट्टिीनेरइया न उववज्जंति मिच्छादिट्टीनेरझ्या उववज्जति सम्मामिच्छदिट्ठी नेरइया न उववज्जंति, एवं उब्वट्टतिवि अविरहिए जहेव रयणप्पभाए, ए असंखेजविस्थडेसुवि तिनि गमगा 4 // सूत्र 471 // से नूर्ण भंते ! कराहलेस्से नीललेस्से जाव सुक्कलेस्से भरित्ता कराहलेस्सेसु नेरइएसु उववज्जति ?, हंता गोयमा ! कराहलेस्से जाव उववज्जति 1 / से केण?णं भंते ! एवं बुच्चइ कराहलेस्से जाव उववज्जति ?, गोयमा ! लेस्सट्ठाणेसु संकिलिस्समाणेसु 2 कराहलेसं परिणमइ कराहलेसे 2 कराहलेसेसु नेरइएसु उवव जंति से तेण?णं जाव उववज्जति 2 / से नूणं भंते ! कराहलेस्से जाव सुकलेसे भवित्ता नीललेस्सेसु नेरइएसु उववज्जंति ?, हंता गोयमा ! जाव उववज्जति 3 / से केण?णं जाव उववज्जति ?, गोयमा ! लेस्सट्टाणेसु संकिलिस्समाणेसु वा विसुज्झमाणेसु वा नीललेस्सं परिणमंति नीललेस्से 2 नीललेस्सेसु नेरइएसु उववनंति से तेण?णं गोयमा ! जाव उववज्जति 4 / से नूणं भंते ! कराहलेस्से नील जाव भवित्ता काउलेस्सेसु नेरइएसु उववज्जंति, एवं जहा नीललेस्साए तहा काउलेस्सावि भाणियव्वा