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________________ 620 / . . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः // अथ विंशतितमशतके प्राणवधाख्य-तृतीयोद्देशकः / / अह भंते ! पाणाइवाए मुसावाए जाव मिच्छादसणसल्ले, पाणातिवायवेरमणे जाव मिच्छादसणसल्लविवेगे, उप्पत्तिया जाव पारिणामिया, उग्गहे जाव धारणा, उटाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसकारपरकमे नेरइयत्ते असुरकुमारत्ते जाव वेमाणियत्ते, नाणावरणिज्जे जाव अंतराइए, कराहलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा, सम्मदिट्ठी 3 चक्खुदंसणे 4 श्राभिणिबोहियणाणे जाव विभंगनाणे, आहारसन्ना 4 बोरालियसरीरे 5 मणजोग 3 सागारोवयोगे श्रणागारोवयोगे, जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वे ते णरणत्थ पायाए परिणमंति ?, हंता गोयमा ! पाणाइवाए जाव सव्वे ते णराणस्थ आयाए परिणमंति // सूत्रं 665 // जीवे णं भंते ! गभं वक्कममाणे कतिवन्नं एवं जहा बारसमसए पंचमुद्दे से जाव कम्मयो णं जए णो अकम्मयो विभत्तिभावं परिणमति 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 2 // सूत्रं 666 // 20-3 // // अथ विंशतितमशतके उपचयाख्य-चतुर्थोद्देशकः।। ___कइविहे णं भंते ! इंदियउवचए पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविहे इंदियोवचए पनत्ते, तंजहा-सोइंदियउवचए एवं बितियो इंदियउद्दे सो निरवसेसो भाणियब्वो जहा पन्नवणाए 1 / सेवं भंते ! 2 त्ति भगवं गोयमे जाव विहरति 2 // सूत्रं 667 // 20-4 // // अथ विंशतितमशतके परमाणुनामक-पञ्चमोद्देशकः // परमाणुपोग्गले णं भंते! कतिवन्ने कतिगंधे कतिरसे कतिफासे पन्नत्ते?, गोयमा ! एगवन्ने एगगंधे एगरसे दुफासे पन्नत्ते, तंजहा-जइ एगवन्ने सिय कालए सिय नीलए सिय लोहिए सिय हालिद्दे सिय सुकिल्ले, जइ एगगंधे सिय सुब्भिगंधे सिय दुन्भिगंधे, जइ एगरसे सिय तित्ते सिय कडुए सिय कसाए
SR No.004364
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1977
Total Pages418
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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