________________ 762 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः // अथ पञ्चविंशतितमशतके सप्तमसंयतोद्देशकः // कति णं मंते ! संजया पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंच संजया पराणत्ता, तंजहा-सामाइयसंजए छेदोवट्ठावणि(ट्ठाणि)यसंजयए परिहारविसुद्धियसंजए सुहमसंपरायसंजए अहक्खायसंजए 1 / सामाइयसंजए णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-इत्तरिए य श्रावकहिए य 2 / छेयोवट्ठावणियसंजए णं पुच्छा, गोयमा ! दुविहे पराणत्ते, तंजहा-सातियारे य निरतियारे य 3 / परिहारविसुद्धियसंजए पुच्छा, गोयमा ! दुविहे पराणत्ते, तंजहा-णिव्विसमाणए य निविट्ठकाइए य 4 / सुहुमसंपराग पुच्छा, गोयमा ! दुविहे पराणत्ते, तंजहा-संकिलिस्समाणए य विसुद्धं(ज्म)माणए य 5 / ग्रहक्खायसंजए पुच्छा, गोयमा-! दुविहे पराणत्ते, तंजहा-छउमत्थे य केवली य 6 / सामाइयंमि उ कए चाउजामं अणुत्तरं धम्मं / तिविहेणं फासयंतो सामाइयसंजयो स खलु // 1 // छेत्तण उ परियागं पोराणं जो ठवेइ अप्पाणं / धम्ममि पंचनामे छेदोवट्ठावणो स खलु // 2 // परिहरइ जो विसुद्धं तु पंचयाम अणुत्तरं धम्मं / तिविहेणं फासयंतो परिहारियसंजयो स खलु // 3 // लोभाणु वेययंतो जो खलु उवसामथो व खवयो वा / सो सुहुमसंपराश्रो ग्रहक्खाया ऊणयो किंचि // 4 // उवसंते खीणमि व जो खलु कम्ममि मोहणिज्जंमि / छउमत्थो व जिणो वा अहक्खायो संजयो स खलु // 5 // सूत्रं 786 // सामाइयसंजए णं भंते ! किं सवेदए होजा अवेदए होजा ?, गोयमा ! सवेदए वा होजा अवेदए वा होजा 1 / जइ सवेदए एवं जहा कसायकुसीले तहेव निरवसेसं, एवं छेदोवट्ठावणियसंजएवि 2 / परिहारविसुद्धियसंजयो जहा पुलायो 3 / सुहुमसंपरायसंजो अहक्खायसंजयो य जहा नियंठो 2, 4 / सामाइयसंजए णं भंते ! कि सरागे होजा वीयरागे होजा ?, गोयमा! सरागे होजा. नों वीयरागे होजा, एवं सुहुमसंपरायसंजए, अहक्खायसंजए जहा नियंठे