________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र : शतकं 25 : उद्देशकः 7 ] [763 3, 5 // सामाइयसंजमे णं भंते ! किं ठियकप्पे होज्जा अट्ठियकप्पे होजा ?, गोयमा ! ठियकप्पे वा होजा अट्ठियकप्पे वा होजा 6 / छेदोवट्ठावणियसंजए पुच्छा, गोयमा ! ठियकप्पे होजा नो अट्ठियकप्पे होजा, एवं परिहारविसुद्धियसंजएवि, सेसा जहा सामाइयसंजए 7 / सामाइयसंजए णं भंते ! किं जिणकप्पे होजा थेरकप्पे वा होजा कप्पातीते वा होजा ?, गोयमा ! जिणकप्पे वा होजा = | जहा कसायकुसीले तहेव निरवसेसं, छेदोवद्यावणियो परिहारविसुद्धियो य जहा बउसो, सेसा जहा नियंठे 4, 1 ।सूत्रं 787 // सामाइयसंजए णं भंते ! किं पुलाए होजा बउसे जाव सिणाए होजा?, गोयमा! पुलाए वा होजा बउसे जाव कसायकुसीले वा होजा नो नियंठे होजा नो सिणाए होजा, एवं छेदोवद्यावणिएवि 1 / परिहारविसुद्धियसंजए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा! नो पुलाए नो बउसे नो पडिसेवणाकुसीले होजा कसायकुसीले होजा नो नियंठे होजा नो सिणाए होजा, एवं सुहुमसंपराएवि 2 / अहक्खायसंजए पुच्छा, गोयमा ! नो पुलाए होजा जाव नो कमायकुसीले होजा नियंठे वा होजा सिणाए वा होजा 5, 3 / सामाइयसंजए णं भंते ! किं पडिसेवए होजा अपडिसेवए होजा?, गोयमा! पडिसेवए वा होजा अपडिसेवए वा होजा, जइ पडिसेवए होजा कि मूलगुणपडिसेवए होजा सेसं जहा पुलागस्स, जहा सामाइयसंजए एवं छेदोवट्ठावणिएवि 4 / परिहारविसुद्धियसंजए पुच्छा, गोयमा ! नो पडिसेवए होजा अपडिसेवए होजा एवं जाव अहक्खायसंजए 6, 5 / सामाइयसंजए णं भंते ! कतिसु नाणेसु होजा ?, गोयमा ! दोसु वा तिसु वा चउसु वा नाणेसु होजा, एवं जहा कसायकुसीलस्स तहेव चत्तारि नाणाई भयणाए. एवं जाव सुहुमसंपराए 6 / अहक्खायसंजयस्स पंच नाणाई भयणाए जहा नाणुद्दे सए 7 / सामाइयसंजए णं भंते ! केवतियं सुयं अहिज्जेजा ?, गोयमा ! जहन्नेणं अट्ठ पवयणमायायो जहा कसाय