________________ 6.48 ] * [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विमागः हंता गोयमा ! असति अदुवा अंणतखुत्तो छ / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरति 1 // सूत्रं 688 // 21-1 // // अथ एकविंशतितमशतके प्रथमवर्गे द्वितीयोद्देशकः // अह भंते ! साली वीही जाव जवजवाणं एएसि णं जे जीवा कंदताए वक्कमंति ते णं भंते ! जीवा करोहितो उववज्जति एवं कंदाहिकारेण सच्चेव मूलुद्द सो अपरिसेसो भाणियव्यो जाव असतिं अदुवा अणतखुत्तो 1 / सेवं भंते 2 ति जाव विहरति 2 // 21-2 // एवं खंधेवि उद्दे सत्रो नेयम्वो // 21-3 // एवं तयाणवि उद्देसो भाणियब्वो // 21-4 // सालेवि उद्दे सो भाणियव्वो // 21-5 // पवालेवि उद्देसो भाणियव्यो // 21-6 // पत्तेवि उद्दे सो भाणियबो॥२१-७॥ एए सत्तवि उद्दे सगा अपरिसेसं जहा मूले तहा नेयव्वा 1 / एवं पुप्फेवि उद्देसो नवरं देवा उववज्जति जहा उप्पलुद्द से चत्तारि लेस्सायो असीति भंगा योगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं अंगुलपहुत्तं सेसं तं चेव 2 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति 3 // 21-8 // जहा पुप्फे एवं फलेवि उद्देसयो अपरिसेसो भाणियब्बो॥ 21-1 // एवं बीएवि उद्देसयो // 21-10 // एए दस उद्देसगा // पढमो वग्गो समत्तो॥२१-१॥सूत्र 681 // यह भंते ! कलाय-मसूर-तिल-मुग्ग-मास-निष्फाव-कुलत्थ-श्रालिसंदगसडिण-पलिमंथगाणं, एएसि म जे जीवा मूलत्ताए वकमंति ते णं भंते ! जीवा कयोहिंतो उवदज्जंति ?, एवं मूलादिया दस उद्दे सगा भाणियव्वा जहेब सालीणं निरवसेसं तं चेव // वितियो वग्गो समत्तो॥२१-२॥ ___अह भंते ! अयसि-कुसुभ-कोदव-कंगुरालग-तुवरी-कोदूसासण-सरिसव-मूलगबीयाणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वकमंति ते णं भंते ! जीवा करोहितो उववज्जति ? एवं एस्थवि मूलादीया दस उद्देसमा जहेव सालीणं निरवसेसं नहेर भाणियव्वं // तइयो वग्गो समत्तो॥२१-३॥