________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 16 :: उद्देशकः 8] [613 पन्नत्ता, एवं जस्स जइ इंदियाणि जाव वेमाणियाणं 10 / कइविहा गं भंते ! भासानिव्वत्ती पन्नत्ता ?, गोयमा ! चउब्विहा भासानिव्वत्ती पन्नत्ता, तंजहा–सञ्चामासानिव्वत्ती मोसाभासानिव्वत्ती सच्चामोसमासानिव्वत्ती असच्चामोसमासानिव्वत्ती, एवं एगिदियवज्ज जस्स जा भासा जाव वेमाणियाणं 11 / कइविहा णं भंते ! मणनिवत्तीए पन्नत्ता ?, गोयमा ! चउबिहा मणनिबत्ती पन्नत्ता, तंजहा-सच्चमणनिबत्ती जाव असच्चामोसमणनिव्वत्तीए एवं एगिदियविगलिंदियवज्जं जाव चेमाणियाणं 12 / कइविहा णं भंते !. कसायनिव्वत्ती पन्नत्ता ?, गोयमा ! चउब्विहा कसायनिव्वत्ती पन्नता, तंजहा. कोहकसायनिव्वत्ती जाव लोभकसायनिवत्ती एवं जाव वेमाणियाणं 13 / कइविहा णं भंते ! वन्ननिव्वत्ती पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा वननिवत्ती पन्नत्ता, तंजहा-कालवन्ननिव्वत्ती जाव सुकिल्लवन्ननिव्वत्ती 14 / एवं निरवसेसं जाव वेमाणियाणं, एवं गंधनिव्वत्ती दुविहा जाव वेमाणियाणं, रसनिवत्ती पंचविहा जाव वेमाणियाणं, फासनिव्वत्ती अट्टविहा जाव वेमाणियाणं 15 / कतिविहा णं भंते ! संठाणनिव्वत्ती पन्नत्ता ? गोयमा ! छव्विहा संठाणनिव्वत्ती पन्नत्ता तंजहा-समचउरंससंठाणनिव्वत्ती जाव हुंडसंठाणनिव्वत्ती 16 / नेरझ्याणं पुच्छा गोयमा ! एगा हुंडसंठाणनिव्वत्ती पन्नत्ता 17 / असुरकुमाराणं पुच्छा, गोयमा ! एगा समचउरंस-संठाणनिव्वत्ती पन्नत्ता, एवं जाव थणियकुमाराणं 18 / पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! एगा मसूरचंदसंगणनिव्वत्ती पन्नत्ता, एवं जस्स जं संठाणं जाव वेमाणियाणं 11 / कइविहा णं भंते ! सन्नानिव्वत्ती पन्नत्ता ?, गोयमा ! चउब्विहा सन्ना निव्वत्ती पन्नत्ता, तंजहा-थाहारसन्नानिवत्ती जाव परिग्गहसन्नानिव्वत्ती, एवं जाव वेमाणियाणं 20 / कइविहा णं भंते ! लेस्प्तानिव्वत्ती पन्नत्ता ?, गोयमा ! छव्विहा लेस्सानिव्वत्ती पन्नत्ता, तंजहा-कराहलेस्सानिबत्ती जाव सुकलेसानिव्वत्ती, एवं जाव वेमाणियाणं