________________ 728 ] - [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः जुम्मावि जाव कलियोगावि 2 / एवं जाव वेमाणिया, एवं नीलवन्नपज्जवेहि दंडयो भाणियव्वो, एगत्तपुहत्तेणं एवं जाव लुक्खफासपज्जवेहिं 3 / जीव णं भंते ! श्राभिणिबोहियणाणपनवेहि किं कडजुम्मे पुच्छा, गोयमा ! सिय कडजुम्मे जाव सिय कलियोगे, एवं एगिदियवज्ज जाव वेमाणिए 4 / जोवा णं भंते ! भाभिणिबोहियणाणपजवेहिं पुच्छा, गोयमा ! श्रोघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा, विहाणादेसेणं कडजुम्मावि जाव कलियोगावि 5 / एवं एगिदियवज्जं जाव वेमाणिया, एवं सुयणाणपजवेहिवि, प्रोहिणाणपजवेहिवि एवं चेव, नवरं विकलिंदियाणं नथि अोहिनाणं, मणपजवनाणंपि एवं चेव, नवरं जीवाणं मणुस्साण य, सेसाणं नत्थि 6 / जीवे णं भंते ! केवलनाणपजवेहिं किं कडजुम्मा पुच्छा, गोयमा ! कडजुम्मे णो तेयोगे णो दावरजुम्मे णो कलियोगे, एवं मणुस्सेवि, एवं सिद्धेवि 7 | जीवा णं भंते ! केालनाण पुच्छा, गोयमा ! अोघादेसेणवि विहाणादेसेणवि कडजुम्मा नो तेश्रोगा नो दावरजुम्मा णो कलियोगा, एवं मणुस्सावि, एवं सिद्धावि = | जीवे णं भंते ! मइअन्नाणपजवेहिं किं कडजुम्मे ? पुच्छा, जहा ग्राभिणिबोहियणाणपजवेहिं तहेव दो दंडगा, एवं सुयन्नाणपजवेहिवि, एवं विभंगनाणपजवेहिवि 1 / चक्खुदंसण-अचक्खुदंसण-योहिदंसणपजवेहिवि एवं चेव, नवरं जस्स जं अस्थि तं भाणियन्वं, केवलदसणपजवेहिं जहा केवलनाणपजवेहिं 10 // सूत्रं 737 // कति णं भंते ! सरीरगा पन्नत्ता ?, गोयमा! पंच सरीरगा पन्नत्ता, तंजहा-थोरालिए जाव कम्मए, एत्थ सरीरगपदं निरवसेसं भाणियव्वं जहा पन्नवणाए // सूत्रं 738 // जीवा णं भंते ! कि सेया णिरेया ?, गोयमा ! जीवा सेयावि निरेयावि 1 / से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चति जीवा सेयावि निरेयावि ?, गोयमा ! जीवा दुविहा, पन्नत्ता, तंजहा-संसारसमावनगा य असंसारसमावन्नगा य, तत्थ णं जे ते असंसारसमावन्नगा ते णं सिद्धा,