________________ 576 / / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः जीवपदे एगत्तपुहुत्तेणं चरिमे नो अचरिमे, सेसटाणेसु जहा थाहारो, अभवसिद्धीयो सम्वत्थ गत्तपुहुत्तेणं नो चरिमे अचरिमे, नोभवसिद्धीय. नोग्रभवसिद्धीय जीवा सिद्धा य एगत्तपुहुत्तेणं जहा अभवसिद्धीयो 3, 31 / सन्नी जहा अाहारयो, एवं प्रसन्नीवि, नोसन्नीनोसन्नी जीवपदे सिद्धपदे य अचरिमे, मणुस्सपदे चरिमे एगत्तपुहुत्तेणं 4, 32 / सलेस्सो जाव सुक्कलेस्सो जहा आहारयो नवरं जस्स जा अत्थि, अलेस्सो जहा नोसन्नीनोसन्नी 5, 33 / सम्मदिट्ठी जहा अणाहारो, मिच्छादिट्टी जहा आहारयो, सम्मामिच्छादिट्टी एगिदियविगलिंदियवज्जं सिय चरिमे सिय अचरिमे, पुहुत्तेणं चरिमावि अचरिमावि 6, 34 / संजयो जीवो मणुस्सो य जहा थाहारो, अस्संजोऽवि तहेव, संजयासंजएवि तहेव नवरं जस्स जं अत्थि, नोसंजय-नोत्रसंजय नोसंजयासंजय जहा नोभवसिद्धीय-नोअभवसिद्धीया 7,35 / सकसाई जाव लोभकसायी सव्वट्ठाणेसु जहा याहारयो, अकसायी जीवपदे सिद्धे य नो चरिमो अचरिमो, मणुस्सपदे सिय चरिमो सिय अचरिमो 8, 36 / णाणी जहा सम्मट्ठिी सव्वत्थ भाभिणिबोहियनाणी जाव मणपजवनाणीजहा थाहारो नवरं जस्स जं अस्थि केवलनाणी जहा नोसन्नीनोग्रसन्नी, अन्नाणी जाव विभंगनाणी जहा आहारयो 1, 37 / सजोगी जाव कायंजोगी जहा थाहारयो जस्स जो जोगो अस्थि अजोगी जहा नोसन्नीनोश्रसन्नी 10,38 / सागारोवउत्तो प्रणागारोवउत्तो य जहा यणाहारयो 11, 31 / सवेदनो जाव नपुसगवेदयो जहा थाहारो अवेदयो जहा अकसाई 12, 40 / ससरीरी जाव कम्मगसरीरी जहा आहारयो नवरं जस्स जं अत्थि, असरीरी जहा नोभवसिद्धीयनोत्रभवसिद्धीय 13, 41 / पंचहिं पजत्तीहिं पंचहिं अपज्जत्तीहि जहा श्राहारयो सव्वत्थ एगत्तपुहुत्तेणं दंडगा भाणियव्वा 14, 42 / इमा लक्खणगाहा-जो जं पाविहिति पुणो भावं सो तेण अचरिमो होइ / अच्चंतवियोगो जस्स जेण भावेण सो चरिमो॥ 1 // सेवं भंते !