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________________ सादर समर्पण परम उपकारी शासनप्रभावक प्रकृष्टवक्ता कविरत्न सिद्धांतनिष्ठ परमनिस्पृही हालारदेशोद्धारक ग्राम्यप्रजोना उद्धारक . परमउपकारी गुरुदेव पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजयअमृतसूरीश्वरजी महाराजा जेओ श्रीए धर्म बीजना दान वडे भव्य जीवोनो उद्धार कयों, शासनना ___ सत्योनी रक्षा माटे जेओश्री सदा अप्रमत्त रह्या, साचोर तीर्थ उद्धार माटे 20 वर्ष घीनो त्याग कर्यो, संयम जीवनमा सदा माटे लीलोतरीनो त्याग कर्यो, लांबा काल सुधी छ विगई त्याग, चार द्रव्यनी धारणा अने तेमां पण छास ने रोटली प्रायः लेवा, छेले पांच वर्षमा उपवासथी वीशस्थानकनी 17 ओली करी जेमां उपवास प्रायः चोवीहार तेमज - 10 तिथि पण उपवास आवे तेनी कालजी, शासननी आवी अद्भुत आराधना प्रभावना अने रक्षा वडे जेमणे जीवन धन्य बनाव्यु तेोश्रीना महान उपकारोनी स्मृतिमां कृतज्ञता रूपे आ श्री आगम-सुधा-सिन्धु भाग त्रीजो तेओश्रीने अर्पण करी धन्य वनु छु गुरुपदकजभृङ्ग जिनेन्द्रविजय
SR No.004364
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1977
Total Pages418
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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