________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतक 14 :: उद्देशकः 2 ) [ 476 तए णं ते बाहिरगा देवा सद्दाविया समाणा श्राभियोगिए देवे सहावेंति, तए णं ते जाव सदाविया समाणा बुट्टिकाए देवे सहावेंति, तए णं ते बुट्टिकाइया देवा सद्दाविया समाणा वुट्टिकायं पकरेंति, एवं खलु गोयमा ! सक्के देविंदे देवराया बुट्टिकायं पकरेंति 2 / अस्थि णं भंते ! असुरकुमारावि देवा बुट्टिकायं पकरेंति ?, हंता अस्थि, किं पत्तियन्नं भंते ! असुरकुमारा देवा वुट्टिकायं पकरेंति ?, गोयमा ! जे इमे अरहंता भगवता एएसि णं जम्मणमहिमासु वा निक्खमणमहिमासु वा गाणुप्पायमहिमासु वा परिनिव्वाणमहिमासु वा एवं खलु गोयमा ! असुरकुमारावि देवा बुट्टिकायं पकरेंति 3 / एवं नागकुमारावि, एवं जाव थणियकुमारा वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिय एवं चेव 4 // सूत्रं 504 // जाहे णं भंते ! ईसाणे देविंदे देवराया तमुक्कार्य काउकामे भवति से कहमियाणिं पकरेति ?, गोयमा ! ताहे चेव णं से ईसाणे देविंदे देवराया अभितरपरिसए देवे सदावेति, तए णं ते अभितरपरिसगा देवा सदाविया समाणा, एवं जहेव सकस्स जाव तए णं ते श्राभियोगिया देवा सद्दाविया समाणा तमुक्काइए देवे सद्दावेंति, तए णं ते तमुकाइया देवा सदाविया समाणा तमुक्कायं पकरेंति, एवं खलु गोयमा ! ईसाणे देविंदे देवराया तमुक्कायं पकरेंति 1 / अस्थि णं भंते ! असुरकुमारावि देवा तमुकायं पकरेंति ?, हंता अत्थि। किं पत्तियन्नं भंते ! असुरकुमारा देवा तमुक्कायं पकरेंति ?,गोयमा किड्डारति-पत्तियं वा पडिणीय-विमोहणट्टयाए वा गुत्ती-संरक्खणहेउं वा अप्पणो वा सरीर-पच्छायणट्टयाए, एवं खलु गोयमा ! असुरकुमारावि देवा तमुक्कायं पकरेंति एवं जाव वेमाणिया 2 / सेवं भंते 2 त्ति जाव विहरइ 3 // सूत्रं 505 // // इति चतुर्दशमशतके द्वितीय उद्देशकः // 14-2 // - -