________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति(श्रीमद्भगवति)सूत्रं : शतकं 27 :: उद्दे शकाः 1-11 ] [ 787 पढमततिया भंगा नवरं सम्मामिच्छत्ते ततियो भंगो, एवं जाव थणियकुमाराणं 6 / पुढविकाइय-अाउकाइय-वणस्सइकाइयाणं तेउलेस्साए ततिश्रो भंगो सेसेसु पदेसु सम्वत्थ पढमततिया भंगा, तेउकाइय-वाउकाइयाणं सम्वत्थ पढमततिया भंगा 7 / बेइंदियतेइंदियचउरिदियाणं एवं चेव नवरं सम्मत्ते श्रोहिनाणे आभिणियोहियनाणे सुयनाणे एएसु चउसुवि ठाणेसु ततियो भंगो, पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं सम्मामिच्छत्ते ततिश्रो भंगो, सेसेसु पदेसु सव्वत्थ पढमततिया भंगा 8 / मणुस्साणं सम्मामिच्छत्ते अवेदए अंकसाइम्मि य ततियो भंगो, अलेस्स केवलनाण अजोगी य न पुच्छिज्जंति, सेसपदेसु सव्वत्थ पढमततिया भंगा, वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा नेरइया 1 / नामं गोयं अंतराइयं च जहेव नानावरणिज्ज तहेव निरवसेसं 10 / सेवं भंते ! 2 जाव विहरई 11 // सूत्रं 817 // 26-11 उद्दे सो॥ बंधिसयं सम्मत्तं // . // इति षड्विंशतितमं शतकम् // 26 // // अथ करिसुनामकं सप्तविंशतितमं शतकम् // जीवे णं भंते ! पावं कम्मं किं करिसु करेंति करिस्संति 1 ? करिसु करेति न करिस्संति 21 करिंसु न करेंति करिस्संति 3 ? करिसुन करेंति न करेस्संति 4 ?, गोयमा ! प्रत्येगतिए करिंसु करेंति करिस्संति 1 अत्थेगतिए करिसु करेंति न करिस्संति 2 अत्थेगतिए करिंसु न करेंति करेस्संति 3 अत्थेगतिए करिंसु न करेंति न करेस्संति 1 / सलेस्से णं भंते ! जीवे पावं कम्मं एवं एएणं अभिलावेणं जच्चेव बंधिसए वत्तव्वया सच्चेव विरवसेसा भाणियब्वा, तहेव नवदंडगसंगहिया एकारस उद्देसगा भाणियब्बा 2 // सूत्रं 818 // करिसुगसयं समत्तं // 27-1-11 // // इति सप्तविंशतितमं शतकम् // 27 //