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________________ 786 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: तृतीयो विभाग एहिं उद्देसो तहेब निरवसेसं 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // 26-8 / / परंपरपजत्तए णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं कि बंधी ? पुच्छा गोयमा ! एवं जहेव परंपरोववन्नएहिं उद्दे सो तहेव निरवसेसो भाणियव्या 1 / सेवं भंते ! 2 जाव विहरइ 2 // 26-1 / / चरिमे णं भंते ! नेरइए पाव कम्मं किं बंधी ? पुच्छा, गोयमा ! एवं जहेव परंपरोववन्नएहिं उद्दे सो तहब चरिमेहिं निरवसेसो 1 / सेवं भंते ! 2 जाव विहरति 2 // 26-10 अचरिमे णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किंबंधी ? पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइए एवं जहेब पढमोबेसए पढमबितिया भंगा भाणियव्वा सव्वत्थ जाव पंचिदिय तिरिक्खजोणियाणं 1 / अचरिमे णं भंते ! मणुस्से पावं कम्मं किं बंधी पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ अत्थेगतिए बंधी बंधइ न बंधिस्सइ अत्यंगतिए बंधी न बंधइ बंधिस्सइ 2 / सलेस्से णं भंते / अचरिमे मणूसे पावं कम्मं किं बंधी ?, एवं चेव तिन्नि भंगा चरमविहूणा भाणियव्वा एवं जहेव पदमुद्दे से, नवरं जेसु तत्थ वीससु चत्तारि भंगा तेस इह आदिला तिन्नि भंगा भाणियव्वा चरिमभंगवज्जा, अलेस्से केवलनाणी य अजोगीय एए तिन्निवि न पुच्छिज्जंति, सेसं तहेव, वाणमंतर-जोइसिय वेमाणिया जहा नेरइए 3 / अचरिमे णं भंते ! नेरइए नाणावरणिज्ज कम्मं किं बंधी पुच्छा, गोयमा ! एवं जहेव पावं नवरं मणुस्सेसु सकसाईस लोभकसाईसु य पढमबितिया भंगा सेसा अट्ठारस चरमविहूणा सेसं तहेब जाव वेमाणियाणं, दरिसणावरणिज्जंपि एवं चेव निरवसेसं, वेयणिज्जे सम्वत्थवि पढमबितिया भंगा जाव वेमाणियाणं नवरं मणुस्सेसु अलेस्से केवली अजोगी य नत्थि 4 / अचरिमे णं भंते ! नेरइए मोहणिज्ज कम्म किं बंधी ? पुच्छा, गोयमा ! जहेव पावं तहेव निरवसेसं जाव वेमाणिए 5 / अचरिमे णं भंते ! नेरइए अाउयं कम्मं किं बंधी ? पुच्छा, गोयमा ! पढमबितिया भंगा, एवं सवपदेसुवि, नेरइयाणं
SR No.004364
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1977
Total Pages418
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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