________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 19 :: उद्देशकः 3 ] [605 पंच ग्राउकाइया एगययो साहारणसरीरं बंधंति 2 तो पच्छा थाहारेति एवं जो पुढविकाइयाणं गमो सो चेव भाणियव्वो जाव उव्वति नवरं टिती सत्तवाससहस्साई उक्कोसेणं सेसं तं चेव 17 / सिय भंते ! जाव चत्तारि पंच सेउक्काइया एवं चेव नवरं उववायो ठिती उव्वट्टणा य जहा पनवणाए सेसं तं चेव 18 / वाउकाइयाणं एवं चेव नाणत्तं नवरं चत्तारि समुग्घाया 11 / सिय भंते ! जाव चत्तारि पंच वणस्सइकाइया पुच्छा, गोयमा ! णो तिण? समठे, अणंता वणस्सइकाइया एगयो साहारणसरीरं बंधंति 2 तयो पच्छा अाहारेंति वा परिणति वा सरीरं वा बंधंति, सेसं जहा तेउकाइयाणं जाव उव्वट्टति, नवरं श्राहारो नियम छदिसिं, ठिती जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, सेसं तं चैव 20 // सूत्रं 650 // एएसि णं भंते ! पुदविकाइयाणं अाउ-तेउ-वाउ-वणस्सइकाइयाणं सुहुमाणं बादराणं पजत्तगाणं अपजत्तगाणं जाव जहन्नुकोसियाए योगाहणाए कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा सहुमनियोयस्स अपजत्तस्स जहन्निया योगाहणा 1 सुहुमवाउकाइयस्स अपजत्तगस्स जहन्निया योगाहणा असंखेजगुणा 2 सुहुमतेऊयपजत्तस्स जहनिया योगाहणा असंखेज्जगुणा 3 सुहुमयाऊअपजत्तस्स जहनिया योगाहणा असंखेजगुणा 4 सुहुमपुढविअपजत्तस्स जहन्निया योगाहणा असंखेजगुणा 5 बादरवाउकाइयस्स अपजत्तगस्स जहन्निया योगाहणा असंखेजगुणा 6 बादरतेऊ अपजत्तजहनिया योगाहणा असंखेजगुणा 7 बादरग्राउ-अपज्जत्तजहनिया भोगाहणा असंखेजगुणा 8 बादरपुढवीकाइयअपजत्त-जहन्निया योगाहणा असंखेजगुणा 1 पत्तेयसरीर-बादरवणस्सइकाइयस्त बादरनियोयस्स एएसि णं पज्जत्तगाणं एएसि णं अपजत्तगाणं जहन्निया योगाहणा दोराहवि तुल्ला असंखेजगुणा 10-11 सुहुमनिगोयस्स पजत्तगस्स जहन्निया योगाहणा असंखेजगुणा 12 तस्सेव अपज्जत्त