________________ श्रीमद्व्याख्याप्रत्रप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 16 :: उद्देशकः 1-3 ] [603 // अथ एकोनविंशतितमशतके लेश्यागमाख्यौ प्रथम द्वितीयोद्देशकौ // लेस्सा य 1 गम्भ 2 पुढवी 3 महासवा 4 चरम 5 दीव 6 भवणा 7 य / नियत्ति 8 करण 1 वणवरसुरा 10 य एगूणवीसइमे // 1 // . रायगिहे जाव एवं वयासी-कति णं भंते ! लेस्सायो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! छल्लेसायो पन्नत्तायो, तंजहा-एवं जहा पन्नवणाए चउत्थो लेसुदे सयो भाणिय वो निरवसेसो 1 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरति 2 // सूत्रं 648 // 11-1 // कति णं भंते ! लेस्सायो पन्नत्तायो ? एवं जहा पन्नरणाए गम्भुइँसो सो चेव निरवसेसो भाणियबो 1 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाक विहरति 2 // सूत्रं 646 // 11-2 // ॥अथ एकोनविंशतितमशतके पृथिवीकायाख्य-तृतीयोद्देशकः।। रायगिहे जाव एवं वयासी-सिय भंते ! जाव चत्तारि पंच पुढविकाइया एगयो साधारणसरीरं बंधंति 2 तथो पच्छा थाहारेति वा परि. णाति वा सरीरं वा बंधंति ?, नो इण? समठे, पुढविकाइयाणं पत्तेयाहारा पत्तेयपरिणामा पत्तेयं सरीरं बंधंति 2 ततो पच्छा थाहारेंति वा परिणामेति वा सरीरं वा बंधंति 1 / तेसि णं भंते ! जीवाणं कति लेस्सायो पत्नत्तायो ?, गोयमा ! चत्तारि लेस्सायो पन्नत्तायो, तंजहा-कराहेलेस्सा नीललेस्सा काउलेस्सा तेउलेस्सा 2 / ते णं भंते ! जीवा किं सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी ?, गोयमा ! नो सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी नो सम्मामिच्छादिट्ठी 3 / ते णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! नो नाणी अन्नाणी, नियमा दुअन्नाणी तंजहा-मइअन्नाणी य सुयअन्नाणी य 4 / ते णं भंते! जीवा किं मणजोगी वयजोगी कायजोगी ?, गोयमा ! नो मणजोगी नो वयजोगी कायजोगी 5 / ते णं भंते! जीवा कि