________________ 628 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः य सुकिल्लए य 21 सिय कालगा य नीलगे य लोहियगा य हालिदगा य सुकिल्लए य 22 सिंय कालगा य नीलगा य लोहियंगे य हालिदए य सुकिल्लए य 23 सिय कालगा य नीलगा य लोहियगे य हालिदए य सुकिल्लगा य 24 सिय कालंगा य नीलगा य लोहियगे य हालिदगा य सुकिल्लए य 25 सिय कालगा य नीलगा य लोहियगा य हालिदए य सुकिल्लए य 26 एए पंचसंजोएणं छब्बीसं भंगा भवंति, एवमेव सपुत्वावरेणं एकगदुयग तियगचउकग-पंचगसंजोएहिं दो एकतीसं भंगासया भवंति 23 / गंधा जहा सत्तपएसियस्स, रसा जहा एयस्स चेव वन्ना, फासा जहा चउप्पएसियस्स 24 / नवपएसियस्स पुच्छा, गोयमा ! सिय एगवन्ने जहा अपएसिए जाव सिय चउफासे पन्नत्ते, जइ एगवन्ने एगवन्न-दुवन्न-तिवन्नचउवन्ना जहेव अट्ठपएसियस्स, जइ पंचवन्ने सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिदए य सुकिल्लए य 1 सिय कालगे य नीलगे य लोहियए य हालिद्दए य सुकिलगा य 2 एवं परिवाडीए एकतीसं भंगा भाणियबा, एवं एकम-दुयग-तियग-चउकग-पंचगसंजोएहिं दो छत्तीसा भंगसया भवंति 21 / गंधा जहा अट्टपएसियस्स, रसा जहा एयस्स चेव वन्ना, फासा जहा चउपएसियस्स 26 / दसपएसिए णं भंते ! खंधे पुच्छा, गोयमा ! सिय एगवन्ने जहा नवपएसिए जाव सिय चउफासे पन्नत्ते, जइ एगवन्ने एगवन्न-दुवन्न-तिवन्न-चउवन्ना जहेव नवपएसियस्स, पंचवन्नेवि तहेव नवरं बत्तीसतिमो भंगो भन्नति, एवमेते एकग-दुयग-तियग-चउकग-पंचगसंजोएसु दोन्नि सत्ततीसा भंगसया भवंति 27 / गंधा जहा नवपएसियस्स रसा जहा एयस्स चेव वन्ना, फासा जाव चउप्पएसियस्स 28 / जहा दसपएसियो एवं संखेजपएसियोवि, एवं असंखेजपएसियोवि, सुहुमपरिणश्रोवि अणंतपएसियोवि एवं चेव 21 // सूत्रं 668 // बायरपरिणए णं भंते ! अणतपएसिए खंधे कतिवन्ने एवं जहा