________________ 560 ] ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः : तृतीयो विभागा // अथ षोडशशतके अवधिनामक-दशमोद्देशकः // ___“कतिविहे णं भंते ! श्रोही पन्नत्ते !, गोयमा ! दुविहा श्रोही पन्नत्ता, श्रोहीपदं निरवसेसं भाणियव्वं 1 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव विहरति 2 // सूत्रं 588 // 16-10 // - // अथ षोडशशतके द्वीपाख्यैकादशमोद्देशकः / / // उदधिदिशास्थनिताख्य-त्रयोद्दे शकाश्च // दीवकुमारा णं भंते ! सव्वे समाहारा सब्वे समुस्सासनिस्सासा ?, णो तिणढे सम8 1 / एवं जहा पढमसए बितियउद्दे सए दीवकुमाराणं वत्तवया तहेव जाव समाउया समुस्सासनिस्सासा, एवं नागावि 2 / दीवकुमाराणं भंते ! कति लेस्सायो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! चत्तारि लेस्सायो पन्नत्तायो, तंजहा-कराहलेस्सा जाव तेउलेस्सा 3 / एएसि णं भंते ! दीवकुमाराणं कराहलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कयरे 2 हितो जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा दीवकुमारा तेउलेस्सा काउलेस्सा असंखेजगुणा नीललेस्सा विसेसाहिया कराहलेस्सा विसेसाहिया 4 / एएसि णं भंते ! दीवकुमाराणं कराहलेसाणं जाव तेऊलेस्साण य कयरे 2 हिंतो अप्पड्डिया वा महड्डिया वा ?, गोयमा ! कराहलेस्साहितो नीललेस्सा महड्डिया जाव सव्वमहड्डीया तेउलेस्सा 5 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव विहरति 6 / उदहिकुमारा णं भंते ! सव्वे समाहारा एवं चेव 1. / सेवं भंते ! जाव विहरइ 2 // 16-12 // एवं दिसाकुमारावि // 16-13 // एवं थणियकुमारावि, सेवं भंते ! सेव भंते ! जाव विहरइ // 16-14 // // सूत्रं 586 // सोलसमं सयं समत्तं // // इति षोडशं शतम् // 16 //