________________ श्रीमत्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 17 : उद्देशकः 1 / [561 // अथ सप्तदशमशतके कुञ्जराख्य-प्रथमोद्देशकः // नमो सुयदेवयाए भगवईए॥ कुजर 1 संजय 2 सेलेसि 3 किरिय 4 ईसाण 5 पुढवि 6-7 दग 8-1 वाऊ 10-11 / एगिदिय 12 नाग 13 सुवन्न 14 विज्जु 15 वायु 16 ऽग्गि 17 सत्तरसे // 1 // - रायगिहे जाव एवं वयासी-उदायी णं भंते ! हस्थिराया करोहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता उदायिहत्थिरायत्ताए उववन्नो?, गोयमा ! असुरकुमारेहितो देवेहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता उदायिहत्थिरायत्ताए उववन्ने 1 / उदायी णं भंते ! हंत्थिराया कालमासे कालं किवा कहिं गच्छिहिति कहिं उववजिहिति ?, गोयमा ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोससागरोवमट्ठितियंसि निरयावासंसि नेरइयत्ताए उववजिहिति 2 / से णं भंते ! तयोहितो अणंतर उव्यट्टित्ता कहिं गच्छिहिति कहिं उववजिहिति ?, गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतं काहिति 3 / भूयाणंदे णं भंते ! हत्थिराया करोहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता भूयाणंदे हस्थिरायत्ताए एवं जहेव उदायी जाव अंतं काहिति 4 // सू. 510 // पुरिसे णं भंते ! तालमारुहइ 2 तालाबो तालफलं पचालेमाणे वा पवाडेमाणे वा कतिकिरिए ?, गोयमा ! जावंच णं से पुरिसे तालमारुहइ 2 तालाबो तालफलं पयालेइ वा पवाडेइ वा तावंच णं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुढे जेसिपि य णं जीवाणं सरीरेहितो तले निव्वत्तिए तलफले निवत्तिए तेऽवि णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा 1 / अहे णं भंते ! से तालप्फले अप्पणो गरुयत्ताए जाव पच्चोवयमाणे जाई तत्थ पाणाइं जाव जीवियायो ववरोवेति तए णं भंते ! से पुरिसे कतिकिरिए ?, गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे तलप्फले अप्पणो गरुयत्ताए जाव जीवियात्रो ववरोवेति तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव चउहि किरियाहिं पु?, जेसिपि णं जीवाणं सरीरेहितो तले निबत्तिए तेवि णं जीवा काइयाए