________________ 766 . . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // तृतीयो विमान एगे. अजहन्नमणुकोसए संजमट्ठाणे सुहुमसंपरागसंजयस्स अंतोमुहुत्तिया संजमट्ठाणा असंखेजगुणा परिहारविसुद्धियसंजयस्स संजमट्ठाणा असंखेजगुणा सामाइयंसंजयस्त छेदोवट्टावणियसंजयस्स य एएसि णं संजमट्टाणा दोराहवि तुल्ला असंखेजगुणा 3, 14 // सूत्रं 711 // सामाइयसजयस्स णं भंते ! केवइया चरित्तपजवा पराणत्ता ?, गोयमा ! अणंता चरित्तपजवा पराणत्ता, एवं जाव ग्रहक्खायसंजयस्स 1 / सामाइयसंजए णं भंते ! सामाझ्यसंजयस्स सट्टाणसन्निगासेणं चरित्तपजवेहिं कि हीणे तुल्ले अन्भहिए ?, गोयमा ! सिय हीणे छट्टाणवडिए 2 / सामाइयसंजए णं भंते ! छेदोवट्ठावणियसंजयस्स परट्ठाणसन्निगासेणं चरित्तपनवेहिं पुच्छा, गोयमा ! सिय हीणे छट्ठाणवडिए, एवं परिहारविसुद्धियस्सवि 3 / सामाइयसंजए णं भंते ! सुहमसंपरागसंजयस्म परट्टाणसन्निगासेणं चरित्तपजवे पुच्छा, गोयमा ! हीणे नो तुल्ले नो अब्भहिए अणंतगुणहीणे, एवं हक्खायसंजयस्सवि, एवं छेदोवट्ठावणिएवि, हेट्ठिल्लेसु तिसुवि समं छट्ठाणवडिए उवरिल्लेसु दोसु तहेव हीणे, जहा छेदोवट्ठावणिए तहा परिहारविसुद्धिएवि 4 / सुहुमसंपरागसंजए णं भंते ! सामाझ्यसंजयस्स परट्ठाण पुच्छा, गोयमा! नो हीणे नो तुल्ले अन्भहिए अणंतगुणमब्भहिए, एवं छेत्रोवट्ठावणियपरिहारविसुद्धिएसुवि समं सटाणे सिय हीणे नो तुल्ले सिय अब्भहिए, जइ हीणे अणंतगुणहीणे यह अभहिए अणंतगुणमब्भहिए 5 / सुहुमसंपरायसंजयस्स अहक्खायसंजयस्स परहाणे पुच्छा, गोयमा ! हीणे नो तुल्ले नो अब्भहिए अणंतगुणहीणे, अहक्खाए हेट्ठिलाणं चउराहवि नो हीणे नो तुल्ले अब्भहिए अणंतगुणमब्भहिए, सट्ठाणे नो हीणे तुल्ले नो अब्भहिए 6 / एएसि णं भंते ! सामाइय छेदोवट्ठावणिय-परिहारविसुद्धिय--सुहुमसंपराय-हक्खायसंजयाणं जहन्नुकोसगाणं चरित्तपजवाणं कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सामाइय