________________ 564 ] ( श्रीमदागमसुधासिन्धु :: तृतीयो विभागः अासइत्तए वा जाव तुयट्टित्तए वा ?, गोयमा ! णो तिण? सम? 2 / से केणं खाइ अट्टणं भंते ! एवं वुच्चइ जाव धम्माधम्मे ठिते ?, गोयमा ! संजयविरय जाव पावकम्मे धम्मे ठिते धम्मं चेव उवसंपजित्ताणं विहरति, असंयत जाव पावकम्मे अधम्मे ठिए अधम्म चेव उवसंपजित्ताणं विहरइ, संजायासंजए धम्माधम्मे ठिते धम्माधम्म उवसंपजित्ताणं विहरति, से तेणटेणं जाव ठिए 3 / जीवा णं भंते ! किं धम्मे ठिया अधम्मे ठिया धम्माधम्मे ठिया ?, गोयमा ! जीवा धम्मेवि ठिता अधम्मेवि ठिता धम्माधम्मेवि ठिता 4 / नेरझ्याणं पुच्छा ?, गोयमा ! ओरझ्या णो धम्मे ठिता अधम्मे ठिता णो धम्माधम्मे ठिता 5 / एवं जाव चरिंदियाण, पंचिंदियतिरिवखजोणियाणं पुच्छा, गोयमा! पंचिंदियतिरिक्ख-जोणिया, नो धम्मे ठिया अधम्मे ठिया धम्माधम्मेवि ठिया 6 / मणुस्सा जहा जीवा, वाणमंतर-जोइसिय वेमाणिया जहा नेरइया 7 // सूत्रं 514 // अन्नउत्थिया णं भंते ! एव माइक्खंति जाव परूवेति-एवं खलु समणा पंडिया समणोवासया बालपंडिया जस्स णं एगपाणाएवि दंडे अणिक्खित्ते से णं एगंतबालेत्ति वत्तव्यं सिया, से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोयमा ! जगणं ते अन्नउत्थिया एवमाइक्खंति जाव वत्तव्वं सिया, जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु ग्रहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि एवं खलु समणा पंडिया समणोवासगा बालपंडिया जस्स णं एगपाणाएवि दंडे निक्खित्ते से णं नो एगंतबालेति वत्तव्वं सिया 1 / जीवा णं भंते ! कि बाला पंडिया बालपंडिया ?, गोयमा ! जीवा बालावि पंडियावि बालपंडियावि 2 / नेरइयाणं पुच्छा, गोयमा ! नेरइया बाला नो पंडिया नो बालपंडिया, एवं जाव चउरिदियाणं 3 / पंबिंदियातिरिक्ख नोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया बाला नो पंडिया बालपंडियावि, मणुस्सा जहा जीवा, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा नेरइया 4 / / सूत्र 515 //