________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 25 :: उद्देशकः 7 ] / 771 कोडीयो, सुहुमसंपरायाणं जहा नियंठगणं, ग्रहक्खायाणं जहा सामाइयसंजयाणं 1, 30 / सामाइयसंजयस्स णं भंते ! कति समुग्घाया पन्नत्ता ?, गोयमा ! छ समुग्घाया पन्नत्ता, तं जहा कसायकुसीलस्स, एवं छेदोवट्ठावणियस्सवि, परिहारविसुद्धियस्स जहा पुलागस्स, सुहमसंपरागस्स जहा नियंठस्स, अहक्खायस्स जहा सिणायस्स 10, 31 / सामाइयसंजए णं भंते ! लोगस्स किं संखेजइभागे होजा असंखेज्जइभागे पुच्छा, गोयमा ! नो संखेजइ जहा पुलाए, एवं जाव सुहुमसंपराए। ग्रहक्खायसंजए जहा मिणाए 11, 33 / सामाइयसंजए णं भंते ! लोगस्स कि संखेज्जइभागं फुसइ जहेव होज्जा तहेव फुसइ 12, 33 / सामाइयसंजए णं भंते ! कयरंमि भावे होज्जा ?, गोयमा ! उबसमिए भावे होज्जा, एवं जाव सुहुमसंपराए 13 / अहक्खायसंपराए पुच्छा, गोयमा ! उपसमिए वा खइए वा भावे होज्जा 14, 34 / सामाइयसंजयाणं भंते ! एगसमएणं केवतिया होज्जा ?, गोयमा! पडिवज्जमाणए य पडुच्च जहा कसायकुसीला तहेव निरवसेसं 15 / छेदोवट्ठावणिया पुच्छा, गोयमा ! पडिवज्जमाणए पडुच्च सिय यत्थि सिय नत्थि, जइ अस्थि जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं सयपुडुत्त, पुव्वपडिवन्नए पडुच्च सिय अस्थि सिय नत्थि, जइ अस्थि जहन्नेणं कोडिसयपुहुत्तं उक्कोसेणवि कोडिसयपुहुत्तं, परिहारविसुद्धिया जहा पुलागा, सुहुमसंपराया जहा नियंठा 16 / अहक्खायसंजयाणं पुच्छा, गोयमा ! पडिवजमाणए पडुच्च सिय अत्थि सिय नत्थि, जइ अस्थि जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं बावट्ठसयं अट्ठत्तरसयं (अट्ठसयं) खबगाणं चउप्पन्नं उवसामगाणं, पुव्वपडिवन्नए पडुच्च जहन्नेणं कोडिपुहुत्तं उक्कोसेणवि कोडिपुहुत्तं 17 / एएसि णं भंते ! सामाइय अोवट्ठावणिय-परिहारविसुद्धिय-सुहुमसंपराय-अहक्खायसंजयाणं कयरे 2 जाव विसेसाहिया ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा सुहुमसंपरायसंजया परिहार.