________________ 540 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / तृतीयो विभागः से भंते ! किं पुढे उद्दाइ अपुढे उद्दाइ ?, गोयमा! पुढे उद्दाइ नो अपुढे उदाइ 2 / से भंते ! कि ससरीरी निक्खमइ असरीरी निक्खमइ एवं जहा खंदए जाव नो असरीरी निक्खमइ 3 // सूत्रं 561 // इंगालकारियाए णं भंते ! अगणिकाए केवतियं कालं संचिट्ठति ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं तिन्नि राइंदियाई, अन्नेवि तत्थ वाउयाए वकमति, न विणा वाउयाएणं अगणिकाए उजलति // सूत्रं 562 // पुरिसे णं भंते ! अयं अयकोट्ठसि अयोमएणं संडासएणं उबिहमाणे वा पबिहमाणे वा कतिकिरिए ?, गोयमा ! जावं व णं से पुरिसे अयं ययकोट्ठसि अयोमएणं संडासएणं उबिहिति वा पविहिति वा तावंच णं से पुरिसे कातियाए जाव पाणाइवायकिरियाए पंचहि किरियाहिं पुढे, जेसिपिय णं जीवाणं सरीरेहितो अए निव्वत्तिए अयको? नियत्तिए संडासए निव्वत्तिए इंगाला नियत्तिया इंगालकड्डिणि निव्वत्तिया भत्था निव्वत्तिया तेवि णं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुट्ठा 1 / पुरिसे णं भंते ! अयं अयकोट्टायो ययोमएणं संडासएणं गहाय अहिकरणिंसि उक्खिब्धमाणे वा निक्विब्वमाणे वा कतिकिरिए ?, गोयमा! जावं च णं से पुरिसे अयं अयकोहायो जाव निक्खिवइ वा तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पाणाइवायकिरियाए पंचहिं किरियाहिं पुढे,जेसिपिणं जीवा णं सरीरेहितो अयो निव्वत्तिए संडासए निबत्तिए चम्मे? निव्वत्तिए मुट्ठिए निबत्तिए अधिकरणि णिबत्तिया अधिकरणिखोडी णिबत्तिया उदगदोणी णिव्वत्तिया अधिकरणसाला निव्वत्तिया तेवि णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा 2 // सूत्रं 563 // जीवे णं भंते ! कि अधिकरणी अधिकरणं ?, गोयमा ! जीवे अधिकरणीवि अधिकरणंपि 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जीवे अधिकरणीवि अधिकरणंपि ?, गोयमा! अविरतिं पडुच्च से तेण?णं जाव अहिकरणंपि 2 / नेरइए णं भंते ! किं अधिकरणी