SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 140
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं :: शतकं 17 :: उद्देशकः 3 ] [567 पन्नत्ता, तंजहा-नेरइयखेत्तेपणा जाव देवखेत्तेयणा / से केण?णं भंते! एवं बुच्चइ नेरइयखेत्तेयणा 2 ?, एवं चेव नवरं नेरइयखेत्तेयणा भाणियव्वा 7 / एवं जाव देवखेनेयणा, एवं कालेयणावि, एवं भवेयणावि, भावेयणावि जाव देवभावेयणा 8 // सूत्रं 518 // कतिविहा णं भंते ! चलणा पराणत्ता ?, गोयमा ! तिविहा चलणा पत्नत्ता, तंजहा-सरीरचलणा इंदियचलणा जोगचलणा 1 / सरीरचलणा णं भंते ! कतिविहा पन्नत्ता, गोयमा ! पंचविहा पन्नत्ता, तंजहा-थोरालियसरीरचलणा जाव कम्मगसरीरचलणा 2 / इंदियचलणा णं भंते ! कतिविहा पनत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा पराणत्ता, तंजहा-सोइंदियचलणा जाव फासिदियचलणा 3 / जोगचलणा णं भंते ! कतिविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-मणजोगचलणा वइजोगचलणा कायजोगचलणा 4 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ श्रोरालियसरीरचलणा 2 ?, गोयमा ! जे णं जीवा बोरालियसरीरे वट्टमाणा गोरालियसरीरपयोगाई दव्वाई योरालियसरीरत्ताए परिणामेमाणा ओरालियसरीरचलणं चलिंसु वा चलंति वा चलिस्संति वा से तेणतुणं जाव बोरालियसरीरचलणा 2, 5 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ वेउव्वियसरीरचलणा 2 ? एवं चेव नवरं वेउब्वियसरीरे वट्टमाणा एवं जाव कम्मगसरीरचलणा 6 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ सोइंदियचलणा 21, गोयमा ! जन्नं जीवा सोइंदिए वट्टमाणा सोइंदियपायोगाई दव्वाइं सोईदियत्ताए परिणामेमाणा सोइंदियचलणं चलिंसु वा चलंति वा चलिस्संति वा से तेणट्टेणं जाव सोतिदियचलणा 2, एवं जाव फासिदियचलणा 7 / से केणढे णं एवं वुचइ मणोजोगचलणा 2 ?, गोयमा ! जराणं जीवा मणजोए वट्टमाणा मणजोगप्पायोगाई दव्वाइं माजोगत्ताए परिणामेमाणा मणजोगचलणं चलिंसु वा चलिति वा चलिस्संति वा से तेण?णं जाव मणजोगचलणा 2, एवं वइजोगचलणावि, एवं कायजोग
SR No.004364
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1977
Total Pages418
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy